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बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय

सूची बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय(बंगला: বাংলাদেশ সুপ্রীম কোর্ট, बांलादेश सूप्रीम कोर्ट), गणप्रजातंत्री बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत है और बांग्लादेश की न्यायिक व्यवस्था का शीर्षतम् निकाय है और देश की न्यायिक क्रम का शिखर बिंदू है। यह कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। संविधान की धारा १०० के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का आसन, राजधानी ढाका में अवस्थित है। इसे बांग्लादेश के संविधान की षष्ठम् भाग के चतुर्थ पाठ के द्वारा स्थापित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या बांग्लादेश के संविधान में की गई है। इस संसथान के दो "विभाग" है: अपीलीय विभाग और उच्च न्यायलय विभाग, तथा यह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश व अपीलीय विभाग व उच्च न्यायालय विभाग के न्यायाधीशों का भी स्थायी कार्यालय की भी मेज़बानी भी करता है। अप्रैल 2018 की स्थिति अनुसार, अपीलीय विभाग में 4 और उच्च न्यायालय विभाग में 80 न्यायाधीश हैं, जिनमें 80 स्थायी हैं। इस न्यायालय को सामान्य बोलचाल में अक्सर हाई कोर्ट भी कहा जाता है, क्योंकि स्वतंत्रता पूर्व, अर्थात् १९७१ से पहले तक, इस भवन में पूर्वी पाकिस्तान की उच्च न्यायालय वास करती थी। .

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सामग्री की तालिका

  1. 9 संबंधों: फज़्लुल हक, बांग्लादेश का संविधान, बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश, बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीशगण की सूची, बांग्लादेश की न्यायपालिका, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण की सूची, बांग्लादेश की संसद, लतीफुर रहमान

फज़्लुल हक

न्यायमूर्ति मोहम्मद फज्लुल हक (ম., जन्म 1938) बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, जिन्होंने 2007 में सामयिक के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया था। .

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बांग्लादेश का संविधान

गणप्रजातंत्र बांग्लादेश का संविधान(গণপ্রজাতন্ত্রী বাংলাদেশের সংবিধান, सीधा लिप्यांतरण:गणप्रजातंत्री बांलादेशेर संविधान, उच्चारण:गाॅनोप्रोजातोन्त्री बांलादेशेर् शाॅम्बिधान्) स्वतंत्र, स्वतः स्वाधीन व सर्वसंप्रभुतासम्पन्न बांग्लादेशी राष्ट्र की सर्वोच्च विधि संहिता है। यह एक लिखित दस्तावेज़ है। सन १९७२ के नवंबर मास की 8 तारीख को बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद में यह संविधान अपनी गई एवं उसी वर्ष के १६ दिसंबर को अर्थात् बांग्लादेश की विजय दिवस की प्रथम वर्षगाँठ होते यह कार्यान्वित हुई। मूल संविधान अंग्रेज़ी भाषा में रचित है एवं इसका बंगाली में अनुवाद कराया गया है। तभी यह बांग्ला व अंग्रेज़ी दोनो भाषाओं में विद्यमान है। अंग्रेज़ी व बंगाली के मध्य अर्थगत विरोध दृश्यमान होने पर बंगाली संस्करण अनुसरणीय होगी। १७ सितंबर; वर्ष २०१४ के सोलहवें संशोधन सहित यह संविधान सर्वमत १६ बार संशोधित हुई है। यह संविधान के संशोधन हेतु राष्ट्रीय संसदीय सदस्यों की कुल संख्या की दो तिहाई भाग के मतों का प्रावधान है। हालाँकि, तेरहवें संशोधन रद्द करने के आदेश में बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है की, संविधान की मूल ढाँचा परिवर्तित हो, ऐसी संशोधन नहीं किया जाएगा; लाने पर यह अधिकार क्षेत्र से परे होगा अतः अमान्य होगा। बांग्लादेश का संविधान केवल बांग्लादेश की सर्वोच्च विधि संहिता ही नहीं है; संविधान में बांग्लादेश की नामक राष्ट्रीय चरित्र वर्णित की गई है। इसमें बांग्लादेश की भौगोलिक सीमारेखा विस्तृत है। इस संविधान में दिये गए मूल ढाँचे के अनुसार: देश प्रजातांत्रिक होगा, गणतंत्र होगी इसकी प्रशासनिक नींव, जनगणन होंगे देश के सर्व शक्तियों के स्रोत और न्यायपालिका स्वतंत्रत होगी। गनगण सर्व शक्तियों के स्रोत होने पर भी देश में विधि शासन(कानून का शासन होगा)। बांग्लादेश के संविधान में राष्ट्रवाद, समाजवाद, गणतंत्र व धर्मनिरपेक्षता को राष्ट्र परिचालन के मूल सिद्धांतों के रूप में अपनाया गया है। .

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बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश

बांग्लादेश के मुख्या न्यायाधीश या प्रधान विचारपति(বাংলাদেশের প্রধান বিচারপতি), बांग्लादेश का सर्वोच्च न्यायिक पद है। वे देश की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख एवं बांग्लादेश की उच्चतम न्यायालय के प्रमुख होते हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय के तमाम न्यायाधीशों के प्रमुख होने के साथ साथ, बांग्लादेश की पूरी न्यायिक व्यवस्थापिका एवं तमाम अधिनस्त न्यायालयों के भी प्रमुख होते हैं। उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। परम्परानुसार, सर्वोच्च अदालत के वरिष्ठताम् पदस्थ न्यायाधीश पर यह पद निहित किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के मुखिया होने के नाते वे, न्यायलय के कार्यों में अहम् भूमिका निभाते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा पदोन्नति एवं न्यायलय के अन्य प्रशासनिक कार्यों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उच्च न्यायालय विभाग के अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उनकी स्थायी रूप से नियुक्ति एवं उच्च न्यायालय विभाग से अपीलीय विभाग में पदोन्नति, राष्ट्रपति द्वारा, मुख्यन्यायाधीश की सलाह पर होता है। वे बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय विभाग में मुकदमों की सुनवाई के लिए बैठते हैं। .

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बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीशगण की सूची

बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश का पद, बांग्लादेश सर्वोच्च न्यायिक पद है। इस पद पर विराजमान होने वाले पहले पदाधिकारी न्यायमूर्ति अब सादात मोहम्मह खान सयम थे, जोकि १६ दिसंबर १९७२ से नवंबर १९७५ तक इस पद पर रहे थे। तत्पश्चात, जनवरी २०१५ तक इस पद पर कुल २१ लोग विराजमान हो चुके हैं। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार सिन्हा इस पद पर १७ जनवरी २०१५ विराजमान हैं। वे हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं, तथा बिष्णुप्रिय मणिपुरी समुदाय से आते हैं, तथा वे बांग्लादेश में किसी भी अल्पसंख्यक जातीय समूहों से नियुक्त पहली मुख्य न्यायाधीश है। न्यायमूर्ति भावनी प्रसाद सिन्हा भी एक ही समुदाय से हैं। न्यायमूर्ति महौदय नाज़मन आरा सुल्ताना इस पद को सुशोभित करने वाली पहली महिला न्यायाधीश थीं, और मैडम जस्टिस कृष्णा देबनाथ बांग्लादेश की पहली महिला हिंदू न्यायाधीश है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में छह महिला न्यायाधीशों रहे हैं। बांग्लादेश में सैन्य शासनके के दौरान, १९७३ से १९७५ के बीच, सर्वोच्च न्यायालय को द्विभाजित कर, दो भिन्न, उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय स्थापित किये गए थे। इस बीच, न्यायमूर्ति रूहुल इस्लाम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे, और सैयद महमूद हुसैन सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। निम्न तालिका बांग्लादेश के सारे मुख्य न्यायाधीशों को सूचित करती है। .

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बांग्लादेश की न्यायपालिका

बांग्लादेश के न्यायिक व्यस्था, बांग्लादेशी भूमि पर निवास करने वाले लोगों को सामान्य तथा आपराधिक मामलों में न्याय प्रदान करने की व्यस्था है। इसका मूल ढांचा बांग्लादेश के संविधान के भाग ५ में दिया गया है। बांग्लादेश की न्यायपालिका के दो भाग हैं: सर्वोच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रचित है, जिसके दो विभाग हैं, उच्च न्यायालय विभाग और अपीलीय विभाग, तथा अधीनस्थ न्यायपालिका में जिला न्यायालय इत्यादि जैसे सारे निम्नस्थ न्यायालय व न्यायाधिकरण आते हैं। .

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बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय(बंगला: বাংলাদেশ সুপ্রীম কোর্ট, बांलादेश सूप्रीम कोर्ट), गणप्रजातंत्री बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत है और बांग्लादेश की न्यायिक व्यवस्था का शीर्षतम् निकाय है और देश की न्यायिक क्रम का शिखर बिंदू है। यह कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। संविधान की धारा १०० के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का आसन, राजधानी ढाका में अवस्थित है। इसे बांग्लादेश के संविधान की षष्ठम् भाग के चतुर्थ पाठ के द्वारा स्थापित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या बांग्लादेश के संविधान में की गई है। इस संसथान के दो "विभाग" है: अपीलीय विभाग और उच्च न्यायलय विभाग, तथा यह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश व अपीलीय विभाग व उच्च न्यायालय विभाग के न्यायाधीशों का भी स्थायी कार्यालय की भी मेज़बानी भी करता है। अप्रैल 2018 की स्थिति अनुसार, अपीलीय विभाग में 4 और उच्च न्यायालय विभाग में 80 न्यायाधीश हैं, जिनमें 80 स्थायी हैं। इस न्यायालय को सामान्य बोलचाल में अक्सर हाई कोर्ट भी कहा जाता है, क्योंकि स्वतंत्रता पूर्व, अर्थात् १९७१ से पहले तक, इस भवन में पूर्वी पाकिस्तान की उच्च न्यायालय वास करती थी। .

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बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण की सूची

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय में, मुख्य न्यायाधीश अवं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति, प्रधानमंत्री की अनिवार्यात्मक सलाह पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति द्वारा होती है। सर्वोच्च न्यायालय के उच्च न्यायालय विभाग में जज के रूप में नियुक्ति का प्रवेशद्वार है, एडिशनल जज का पद, जिन्हें, सर्वोच्च न्यायालय की विधिज्ञ परिषद् के अधिवक्ताओं में से अनुच्छेद ९५ के आधार पर दो वर्ष की अवधी के लिए नियुक्त किया जाता है। इस कालावधि के समापन के पश्चात्, मुख्य न्यायाधीश के सिफारिश पर, एक अस्थायी जज को स्थायी रूप से राष्ट्रपति द्वारा अनुछेद ९५ के प्रावधानों के अंतर्गत नियुक्त कर दिया जाता है। ऐसे नियुक्तियों की वर्त्तमान अनुपात, ८:२ है, अर्थात्, ८०% न्यायाधीश, स्थायी होते है, जबकि २०% अस्थायी होते हैं। अपीलीय विभाग के न्यायाधीशों को भी कथित अनुछेद के प्रावधानों के तहत ही नियुक्त किया जाता है। अनुछेद १४८ के प्रावधानों के अनुसार यह सारी नियुक्तियाँ शपथ-ग्रहण की तिथि से प्रभाव में आतें हैं। बांग्लादेश का संविधान  सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण १३वि संशोधन अधिनियम, २००४ के प्रभाव में आने के बाद से, ६७ वर्ष की आयु तक पदस्थ रहते हैं। तथा, विधिनुसार, प्रत्येक सेवानिवृत न्यायाधीश, गणराज्य के सेवा में किसी भी न्यायिक या अर्धन्यायिक लाभकारी पद या मुख्य सलाहकार या सलाहकार के पद की सेवा करने से अक्षम करार है। तथा न्यायाधीशों को सेवाकाल के बीच निलंबन से प्रतिरक्षा निहित की गयी है। न्यायाधीश को केवल अनुछेद ९६ के अनुसार, सर्वोच्च न्यायिक परिषद् द्वारा सुनवाई के बाद ही निलंबित किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायिक परिषद्, मुख्य न्यायाधीश तथा दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा रचित होता है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार सिन्हा बिष्णुप्रिय मणिपुरी सोसायटी या बांग्लादेश में किसी भी अल्पसंख्यक जातीय समूहों से नियुक्त पहली न्याय है। न्यायमूर्ति भावनी प्रसाद सिन्हा को एक ही समुदाय से भी है। मैडम न्यायमूर्ति नाज़मन आरा सुल्ताना पहले कभी महिला न्याय है, और मैडम जस्टिस कृष्णा देबनाथ बांग्लादेश की पहली महिला हिंदू न्याय है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में छह महिला न्यायाधीशों रहे हैं। .

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बांग्लादेश की संसद

राष्ट्रीय संसद या जातीय संसद(জাতীয় সংসদ., जातीयो शॉंशोद्), है जनप्रजातंत्र बांग्लादेश की सर्वोच्च विधाई सदन। इस एकसदनीय विधायिका के सदस्यों की कुल संख्या है 350। जिनमें 300 आसन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सांसदों के लिए होते हैं एवं अवशिष्ट 50 आसन महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। आरक्षित आसनो के नारी सदस्यगण, पूर्वकथित 300 निर्वाचित सांसदों के मतों द्वारा परोक्ष निर्वाचन पद्धति से निर्वाचित होते हैं। निर्वाचित होती संसद की कार्यअवधि 5 वर्ष है। .

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लतीफुर रहमान

लतीफ उर रहमान, (बांग्ला: লতিফুর রহমান; जन्म 1 मार्च 1936) बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्य सलाहकार थे। उनका जन्म जेस्सोर में, मार्च 1936 को हुआ था। वर्ष 1986 में उन्हें अस्थाई रूप से उच्च न्यायालय विभाग में, बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, और 1981 में वह उसी विभाग में स्थाई न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 15 जनवरी 1991 में वह बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय विभाग में भतार न्यायाधीश नियुक्त किए गए, तथा 1 जनवरी सन 2000 में वह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर विराजमान हुए। 28 फरवरी को उन्होंने सेवानिवृत्ति ली। तत्पश्चात् सन 2000 की सामायिक सरकार में उन्हें मुख्य सलाहकार बनाया गया, जिसने अष्टम संसदीय चुनाव की देखरेख की थी। वे इस पद पर 15 जुलाई 2000 से 1 अक्टूबर 2001 तक रहे। .

देखें बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय और लतीफुर रहमान

ढाका हाई कोर्ट, ढाका उच्च न्यायालय, बांग्लादेश की उच्चतम न्यायालय के रूप में भी जाना जाता है।