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बांग्ला भाषा आन्दोलन

सूची बांग्ला भाषा आन्दोलन

२१ फ़रवरी १९५२ को ढाका में आयोजित विशाल प्रदर्शन २१ फरवरी १९५३ को ढाका विश्वविद्यालय की छात्राएँ बांग्ला भाषा के लिये शान्तिपूर्ण मार्च करते हुए बांग्ला भाषा आन्दोलन (१९५२) तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में संघटित एक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक आन्दोलन था। इसे 'भाषा आन्दोलन' भी कहते हैं। आन्दोलन की मांग थी कि बांग्ला भाषा को पाकिस्तान की एक आधिकारिक भाषा की मान्यता दी जाय तथा इसका उपयोग सरकारी कामकाज में, शिक्षा के माध्यम के रूप में, संचार माध्यमों में, मुद्रा तथा मुहर आदि पर जारी रखी जाय। इसके अलावा यह भी मांग थी कि बांग्ला भाषा को बांग्ला लिपि में ही लिखना जारी रखा जाय। यह आन्दोलन अन्ततः बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में परिणित हो गया। १९७१ में इसी के चलते भारत और पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश मुक्त हुआ। बांग्लादेश में २१ फ़रवरी को 'भाषा आन्दोलन दिवस' के रूप में याद किया जाता है तथा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इस आन्दोलन तथा इसके शहीदों की स्मृति में ढाका मेडिकल कॉलेज के निकट 'शहीद मिनार' का निर्माण किया गया। .

5 संबंधों: बांग्लादेश का ध्वज, बांग्लादेश का इतिहास, भाषा आन्दोलन दिवस, स्वतंत्रता दिवस (बांग्लादेश), उर्दू आन्दोलन

बांग्लादेश का ध्वज

बांग्लादेश का ध्वज (बांग्ला: বাংলাদেশের জাতীয় পতাকা) बांग्लादेश का राष्ट्रीय ध्वज है, जिसे १७ जनवरी १९७२ में अपनाया गया था। ध्वज में एक हरे पृष्ठभूमि पर एक लाल गोला है जो उत्तोलक के ओर है, ताकि फहराते समय केंद्रित दिखाई दे। लाल गोला बांग्लादेश पर सूर्योदय को दर्शाता है और स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए लोगों के बहाए गए खून का प्रतीक है। हरा पृष्ठभूमि बांग्लादेश के हरे-भरे ज़मीन का प्रतीक है। ध्वज १९७१ के बांग्लादेश के स्वतंत्रा युद्ध के दौरान उपयोग किए गए ध्वद पर आधारित है, जिसमें लाल गोले के अंदर पीले रंग का मानचित्र था। १९७२ में इसे हटा दिया गया क्योंकि मानचित्र को ध्वज के दोनों ओर दर्शाना कठिन था। .

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बांग्लादेश का इतिहास

बांग्लादेश में सभ्यता का इतिहास काफी पुराना रहा है। आज के भारत का अंधिकांश पूर्वी क्षेत्र कभी बंगाल के नाम से जाना जाता था। बौद्ध ग्रंथो के अनुसार इस क्षेत्र में आधुनिक सभ्यता की शुरुआत ७०० इसवी इसा पू.

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भाषा आन्दोलन दिवस

भाषा आंदोलन के दिन या भाषा क्रांति दिवस या बंगाली भाषा आंदोलन दिवस (भाषा Andolôn Dibôs), जिसे भाषा शहीद दिवस या शहीद दिवस (Shôhid Dibôs), के रूप में भी संदर्भित करते हैं, एक राष्ट्रीय दिन है, जो बांग्लादेश में 1952 में बंगाली भाषा आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन करते समय मरने वाले छात्रों के बलिदान को याद रखने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। .

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स्वतंत्रता दिवस (बांग्लादेश)

'''जातीय स्मृति शौद्ध''': बांग्लादेश के स्वतन्त्रता-सेनानियों का स्मारक बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस (স্বাধীনতা দিবস शाधिनता दिबोश), 26 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन बांग्लादेश में राष्ट्रीय अवकाश होता है। इस अवसर पर बांग्लादेश में स्वतंत्रता दिवस परेड, राजनीतिक भाषणों, मेलों, संगीत समारोह के साथ बांग्लादेश की परंपराओं पर आधारित उत्सव मनाया जाता है। टीवी और रेडियो स्टेशनों में विशेष कार्यक्रमों और देशभक्ति के गीतों का प्रसारण किया जाता है। आम तौर पर इस दिन सुबह में आयोजित समारोह के दौरान एकतीस तोपों की सलामी दी जाती है। मुख्य सड़कों को राष्ट्रीय ध्वज से सजाया जाता है। विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों के द्वारा एक उचित तरीके से स्वतन्त्रता दिवस समारोह ढाका के आसपास तथा राष्ट्रीय स्मारकों पर आयोजित किया जाता है। बंगबंधु के नाम से विख्यात शेख मुजीबुर्रहमान के द्वारा 25 मार्च 1971 की आधी रात के बाद पाकिस्तान से अपने देश की आजादी की घोषणा की गई, उसके बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा के साथ ही मुक्ति युद्ध की शुरुआत हो गई थी। अंत में जीत 16 दिसम्बर को एक ही वर्ष में हासिल किया गया था, जो विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई। वे बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति बने और बाद में प्रधानमंत्री भी बने। .

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उर्दू आन्दोलन

उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में उर्दू को भारतीय उपमहाद्वीप के सभी मुसलमानों की भाषा तथा सांस्कृतिक-राजनीतिक पहचान की भाषा बनाने का सामाजिक-राजनैतिक प्रयास उर्दू आन्दोलन कहलाता है। यह आन्दोलन मुगल साम्राज्य के पतन के बाद आरम्भ हुआ तथा अलीगढ़ आन्दोलन से इसको बल मिला। उर्दू आन्दोलन का आल इंडिया मुस्लिम लीग तथा पाकिस्तान आन्दोलन पर बहुत प्रभाव पड़ा। इसके अलावा १९५२ में उर्दू के कारण ही पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में बंगाली भाषा आन्दोलन आरम्भ हुआ। .

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