3 संबंधों: बटेश्वर गाँव, बाह (आगरा), बाह, गेंदालाल दीक्षित।
बटेश्वर गाँव, बाह (आगरा)
बटेश्वर के मन्दिर बटेश्वर उत्तर प्रदेश आगरा जिले में स्थित एक गाँव है। इसे 'भदावर के काशी' के नाम से जाना जाता है। त्रेता युग में यह 'शूर सैनपुर' के नाम से जाना जाता था। बटेश्वर के घाट में प्रसिद्ध घाट आज भी 'कंश कगार' के नाम से जाना जाता है। भदावर के भदौरिया महाराजाओं ने यहाँ १०८ मंदिरों का निर्माण कर इस पवित्र स्थान को तीर्थ में बदल दिया। अठारहवीं सदी में औरंगजेब की मंदिरों को ध्वंश कर के इस्लामी राज्य स्थापित करने के प्रयास का दीर्घकालिक प्रभाव हिन्दू पहचान की भावना बढाता जा रहा था। बटेश्वर शहर के निर्माण में हिंदू भक्ति के महत्व का एक शानदार उदाहरण है। भदावर के राजा द्वारा १७२० और १७४० के बीच का १०८ मंदिरों का निर्माण कराया गया था I .
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बाह
बाह आगला जिले के पूर्व में अंतिम तहसील है, इस तहसील के किनारे से चम्बल नदी गुजरती है। चम्बल और यमुना का दोआबा होने के कारण इस भू-भाग मे खेती की जमीन कम से कम है, पानी का जमीनी लेबल पचास मीटर नीचे होने के कारण यहाँ पीने के पानी की भी किल्लत होती है। भदौरिया राजपूत समुदाय अधिक होने के कारण इस दोआबे में अधिकतर बेरोजगारी की मार युवाओं को झेलनी पडती है और खून गर्म होने के कारण युवा वर्ग जरा सी बात पर मरने मारने के लिये उतारू हो जाता है। अधिकतर युवा अपने प्रयासों के कारण सेना में भर्ती हो जाते हैं और उनके परिवार के व्यक्तियों का जीवन आसानी से चल उठता है। एक तरफ़ चम्बल और दूसरी तरफ़ यमुना नदी होने के कारण बीहड जिन्हें निर्जन जंगल के रूप मे जाना जाता है, बहुत लम्बे भू-भाग में फ़ैले हैं। शिक्षा की कमी के चलते ७० प्रतिशत लोग बीहड के अन्दर अपना जीवन बिताना जानते है, सूखा इलाका होने के कारण यहाँ पर बाजरा और सरसों के अलावा चना अलसी आदि क फ़सलें भ पैदा हो जाती हैं, राज्य सरकार ने चम्बल को अभारण्य घोषित करने के बाद, इस भू-भाग के निवासियों ने बाहर के राज्यों रा्जस्थान दिल्ली बंगाल पंजाब आदि में पलायन शुरु कर दिया है, जो लोग रह गये है, उनमे दस प्रतिशत लोग अपने को जंगलो मे वनवासी रूप मे वासित कर रहे हैं। पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी इसी भू-भाग में बटेश्वर नामक स्थान के है। यह कानपुर जिले का एक प्रखंड भी है। इस प्रखंड में २०५ गाँव हैं। श्रेणी:आगरा श्रेणी:भदावर.
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गेंदालाल दीक्षित
गेंदालाल दीक्षित (१८८८-१९२०) पं॰ गेंदालाल दीक्षित (अंग्रेजी:Pt. Genda Lal Dixit जन्म:१८८८, मृत्यु:१९२०) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा, महान क्रान्तिकारी व उत्कट राष्ट्रभक्त थे जिन्होंने आम आदमी की बात तो दूर, डाकुओं तक को संगठित करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खडा करने का दुस्साहस किया। दीक्षित जी उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों के द्रोणाचार्य कहे जाते थे। उन्हें मैनपुरी षड्यन्त्र का सूत्रधार समझ कर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया किन्तु वे अपनी सूझबूझ और प्रत्युत्पन्न मति से जेल से निकल भागे। साथ में एक सरकारी गवाह को भी ले उड़े। सबसे मजे की बात यह कि पुलिस ने सारे हथकण्डे अपना लिये परन्तु उन्हें अन्त तक खोज नहीं पायी। आखिर में कोर्ट को उन्हें फरार घोषित करके मुकदमे का फैसला सुनाना पड़ा। .