प्रतापसिंह छत्रपति (१७९३- १८४७) शाहू द्वितीय के पुत्र थे। प्रतापसिंह पिता के मृत्यु के बाद सतारा के सिंहासन पर बैठा (१८०८)। वह सच्चरित्र, उदार, बुद्धिमान्, विद्याप्रेमी तथा धार्मिक वृत्ति का व्यक्ति था। सतारा की सत्ता तो पहिले ही शून्यप्राय हो चुकी थी। पेशवा बाजीराव द्वितीय ने प्रतापसिंह को बसौटा के एकाकी किले में रख, उसे और भी अपंग बना दिया था। आंग्ल मराठा युद्ध में अष्टा में बाजीराव की पराजय के बाद वह अँगरेजों के अधिकार में आ गया। अँगरेजों ने उसे छोटा सा राज्य दे पुन: सतारा में सिंहासनासीन किया (१० अप्रैल १८१८)। प्राय: तीन साल वह ग्रांट (ग्रांट डफ, प्रसिद्ध इतिहासकार) के अभिभावकत्व में रहा। १८२२ में उसे पूर्ण शासनाधिकार सौंपे गए। १८३९ में, राज्यद्रोह के अभियोग पर पदच्युत कर, उसे बनारस निष्कासित कर दिया गया, जहाँ १८४७ में दयनीय परिस्थिति में उसकी मृत्यु हो गई। .
मराठा साम्राज्य या मराठा महासंघ एक भारतीय साम्राज्यवादी शक्ति थी जो 1674 से 1818 तक अस्तित्व में रही। मराठा साम्राज्य की नींव छत्रपती शिवाजी महाराज जी ने १६७४ में डाली। उन्होने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। बाद में आये पेशवाओनें इसे उत्तर भारत तक बढाया, ये साम्राज्य १८१८ तक चला और लगभग पूरे भारत में फैल गया। .