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प्रजनन तंत्र

सूची प्रजनन तंत्र

प्रजनन तंत्र प्रजनन तंत्र। प्रजनन तंत्र (Reproductive System) का कार्य संतानोत्पत्ति है। प्राणिवर्ग मात्र में प्रकृति ने संतानोत्पत्ति की अभिलाषा और शक्ति भर दी है। जीवन का यह प्रधान लक्षण है। प्राणियों की निम्नतम श्रेणी, जैसे अमीबा नामक एककोशी जीव, जीवाणु तथा वाइरस में प्रजनन या संतानोत्पत्ति ही जीवन का लक्षण है। निम्नतम श्रेणी के जीवाणु अमीबा आदि में संतानोत्पत्ति केवल विभाजन (direct division) द्वारा होती है। एक जीव बीच में से संकुचित होकर दो भागों में विभक्त हो जाता है। कुछ समय पश्चात् यह नवीन जीव भी विभाजन प्रारंभ कर देता है। ऊँची श्रेणियों के जीवों में प्रकृति ने नर और मादा शरीर ही पृथक् कर दिए हैं और उनमें ऐसे अंग उत्पन्न कर दिए हैं जो उन तत्वों या अणुओं को उत्पन्न करते हैं, जिनके संयोग से माता-पिता के समान नवीन जीव उत्पन्न होता है, प्रथम अवस्था में यह डिंब (ovum) कहलाता है और फिर आगे चलकर गर्भ या भ्रूण (foetus) कहा जाता है। इसको धारण करने के लिए भी मादा शरीर में एक पृथक् अंग बनाया गया है, जिसको गर्भाशय (Uterine) कहते हैं। .

4 संबंधों: पुरुष जननांग, प्रजनन ऋतु, स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली, अंग तंत्र

पुरुष जननांग

मानवों में प्रजनन हेतु जननांग होते हैं, जो स्त्रियों और पुरुषों में भिन्न होते हैं। पुरूष के जनन अंगों को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला बाहरी भाग जैसे लिंग और अंडकोश तथा भीतरी भाग एपीडिडायमिस, टाकटिस नालिका, सैमिनाल वेसाइकल इजैक्यूलेटरी नलिका, गदूद और मूत्र नलिका आदि।.

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प्रजनन ऋतु

प्रजनन ऋतु। प्रजनन ऋतु या प्रजनन काल कुछ वन्य जीवों (पशु एवं पक्षी) के लिए साल का वह समय होता है जिसके अंतर्गत प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल हालात, जैसे भोजन एवं पानी की प्रचुरता, उत्पन्न होते हों। प्रजनन ऋतु वाली जीव जगत की कई जातियाँ प्राकृतिक रूप से साल के एक निश्चित समय पर समागम करने के लिए विकसित हुयी हैं जिससे उनको प्रजनन करने में सबसे अधिक सफलता मिले। वन्य जीवों की अलग-अलग प्रजातियों के प्रजनन ऋतुएँ भी उनकी अपनी आवासीय क्षेत्र की ज़रूरतों के मुताबिक तथा भोजन की उपलब्धी के अनुसार पृथक्-पृथक् होती हैं। प्रजनन की शुरुआत और उसकी सफलता में अजैविक घटक जैसे वर्षा और हवायें भी अहम भूमिका अदा करते हैं। कुछ जीवों की कोई प्रजनन ऋतु नहीं होती है और उनकी मादाएँ साल के किसी भी समय गर्भ धारण कर सकती हैं — उदाहरण के लिए मनुष्य। .

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स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली

स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली (एएनएस या सहज-ज्ञान तंत्रिका प्रणाली) मुख्य तंत्रिका प्रणाली का एक भाग है जो मूल रूप से चेतना के स्तर के नीचे नियंत्रण तंत्र के रूप में कार्य करती है और सहज प्रकार्यों को नियंत्रित करती है। एएनएस का प्रभाव ह्रदय गति, पाचन क्रिया, श्वांस गति, लार निकलना, पसीना निकलना, आंख की पुतलियों का व्यास, मिक्टूरीशन (मूत्र), तथा यौन उत्तेजना पर पड़ता है। हालांकि इसके अधिकांश कार्य अवचेतन रूप से होते हैं, फिर भी कुछ चेतन मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किये जा सकते हैं जैसे श्वांस लेना.

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अंग तंत्र

तंत्र का एक उदाहरण - तंत्रिका तंत्र; इस चित्र में दिखाया गया है कि यह तंत्र मूलत: चार अंगों से मिलकर बना है: मस्तिष्क, प्रमस्तिष्क (cerebellum), मेरुदण्ड (spinal cord) तथा तंत्रिकाएं (nerve) नाना प्रकार के ऊतक (tissue) मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों (organs) का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार, एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक अंग तंत्र (organ system) का निर्माण करते हैं। कई अंग तंत्र मिलकर जीव (जैसे, मानव शरीर) की रचना करते हैं। .

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जनन तंत्र

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