सामग्री की तालिका
4 संबंधों: टिल्ला जोगियाँ, पोठोहारी भाषा, सकेसर, सून वादी।
टिल्ला जोगियाँ
नमक कोह के दुसरे सबसे ऊँचे पहाड़, टिल्ला जोगियाँ (यानि 'योगियों का टीला'), पर हिन्दू मंदिर योगियों की पाठशाला का मुख्य द्वार दूर से टिल्ला जोगियाँ का नज़ारा ढलान वाले रस्ते के साथ लगे दो बुर्ज टिल्ला जोगियाँ परिसर से दिखने वाला एक दृश्य टिल्ला जोगियाँ (ਟਿੱਲਾ ਜੋਗੀਆਂ, Tilla Jogian) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में स्थित नमक कोह पर्वतमाला के पूर्वी भाग में एक ९७५ मीटर (३,२०० फ़ुट) ऊँचा पहाड़ है। यह नमक कोह शृंखला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। प्रशासनिक रूप से टिल्ला जोगियाँ झेलम ज़िले में स्थित है और उस ज़िले का सबसे ऊँचा स्थान है। क्योंकि यह आसपास के सभी इलाक़ों से ऊँचा है इसलिए यहाँ से दूर-दूर तक देखा जा सकता है। नीचे से भी इसे चार ज़िलों - झेलम, चकवाल, गुजरात और मंडी बहाउद्दीन - के लोग देख सकते हैं। .
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पोठोहारी भाषा
पोठोहारी या पोठवारी पंजाबी भाषा की एक पश्चिम-क्षेत्रीय उपभाषा है। यह पोठोहार के पठारी इलाक़े की मातृबोली है और पाक-अधिकृत कश्मीर के कुछ भागों में भी बोली जाती है। हालांकि पोठोहारी और पंजाबी की मानक उपभाषा (जिसे 'माझी' कहते हैं) एक-दूसरे को लगभग पूरी तरह समझ सकते हैं, कुछ पोठोहारी वक्ताओं ने पाकिस्तान में पोठोहारी को अलग भाषा घोषित करवाने का अभियान चलाया है।, pp.
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सकेसर
सकेसर (Sakesar) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में सून वादी के छोर पर स्थित एक १,५२२ मीटर ऊँचा पहाड़ है। यह नमक कोह पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। क्योंकि यह आसपास के सभी इलाक़ों से ऊँचा है इसलिए यहाँ पाकिस्तान टेलिविज़न ने एक प्रसारण स्तंभ लगाया हुआ है और १९५० के दशक में पाकिस्तानी वायु सेना ने भी आते-जाते विमानों पर निगरानी रखने के लिए यहाँ एक रेडार लगाया था।, Salman Rashid, Sang-e-Meel Publications, 2001, ISBN 978-969-35-1257-1,...
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सून वादी
सून वादी में सोढी बाला गाँव सून वादी (Soon Valley) या सून सकेसर (Soon Sakesar) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में स्थित एक मशहूर वादी है। यह ख़ुशाब ज़िले से उत्तरपश्चिम में है और नौशेरा इस वादी का सबसे बड़ा शहर है। ५६ किमी लम्बी और १४ किमी चौड़ी सून वादी नमक कोह शृंखला में स्थित है और उस पर्वतमाला के सबसे ऊँचे पहाड़ सकेसर से शुरू होकर पधराड़ (Padhrar) गाँव तक चलती है। इस वादी में बहुत से ख़ूबसूरत पानी के चश्मे, झीलें, झरने, जंगल और ताल-तालाब हैं। खबिक्की झील (Khabikki Lake) और ऊछाली झील (Uchhalli Lake) सैलानियों में बहुत लोकप्रीय हैं - इनका पानी बहुत खारा होने से इनमें मछलियाँ तो नहीं हैं लेकिन इनपर बहुत से चिड़ियाँ सर्दियाँ गुज़ारने हर साल आती हैं। यहाँ कृषि भी जमकर होती है क्योंकि ज़मीन बहुत ही उपजाऊ है। सून वादी प्राचीनकाल में एक संस्कृति का घर होती थी। आधुनिक ज़माने में यहाँ आवान जाति के लोग बहुसंख्य हैं।, Salman Rashid, Sang-e-Meel Publications, 2001, ISBN 978-969-35-1257-1,...
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