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पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी

सूची पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी

कृष्ण-कैस्पियाई स्तेपी (पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी) दरमियानी हरे-ख़ाकी रंग में है कृष्ण-कैस्पियाई स्तेपी या पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी (Pontic-Caspian steppe) कृष्ण सागर के उत्तर से कैस्पियन सागर के पूर्व के क्षेत्रों तक विस्तृत विशाल स्तेपी मैदानी क्षेत्र को कहते हैं। आधुनिक युग में यह पश्चिमी युक्रेन से रूस के दक्षिणी संघीय क्षेत्र और फिर रूस ही के वोल्गा संघीय क्षेत्र से होता हुआ पश्चिमी काज़ाख़स्तान तक फैला हुआ इलाक़ा है। प्राचीन काल में यह स्किथी लोगों और सरमती लोगों का क्षेत्र हुआ करता था। इस क्षेत्र में सदियों से बहुत से घुड़सवार ख़ानाबदोश क़बीले रहते चले आए हैं जिन्होनें समय-समय पर यूरोप, पश्चिमी एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण कर के क़ब्ज़ा जमाकर जातियों और देशों के इतिहास बदल दिए हैं। बहुत इतिहासकार मानते हैं कि यह विश्व का पहला इलाक़ा था जहाँ घोड़ों को पालतू बनाया गया।, Ralph D.

सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: पूर्वी स्लाव लोग, आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा, आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग

पूर्वी स्लाव लोग

दक्षिण स्लाविक पूर्वी स्लाव (East Slavs) उन स्लाव लोगों को कहा जाता है जो पूर्वी स्लावी भाषाएँ बोलते हैं। यह शुरू में कीवियाई रूस (Kievan Rus') नामक मध्यकालीन राज्य के निवासी हुआ करते थे लेकिन १७वीं सदी तक रूसी, यूक्रेनी और बेलारूसी उपजातियों में बंट चुके थे। .

देखें पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी और पूर्वी स्लाव लोग

आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा

हिन्द-यूरोपीय भाषाओँ का वर्गीकरण ''(अंग्रेजी में, देखने के लिए क्लिक करें)'' आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा (आ॰हि॰यू॰), जिसे प्रोटो-इंडो-यूरोपियन भाषा (अंग्रेजी: Proto-Indo-European) भी कहा जाता है, भाषावैज्ञानिकों द्वारा पूरे हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सभी भाषाओं की एकमात्र प्राचीन जननी भाषा मानी जाती है। माना जाता है के इसे प्राचीन काल में आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग बोला करते थे, लेकिन यह भाषा हज़ारों वर्ष पूर्व ही पूरी तरह से लुप्त हो चुकी थी। बहुत सी हिन्द-यूरोपीय भाषाओं के सजातीय शब्दों की एक-दुसरे से तुलना के बाद भाषावैज्ञानिकों ने इस लुप्त भाषा का पुनर्निर्माण किया है जिस से इस के शब्दों का अनुमान लगाया जा सकता है। भाषावैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं के आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा लगभग ३७०० ई॰पू॰ तक बोली जाती रही और फिर उसका विभिन्न भाषाओं में खंडन होने लगा। इस तिथि के बारे में विद्वानों में हज़ार वर्ष इधर-उधर तक का आपसी मतभेद है। इस बात पर भी कई अवधारणाएँ हैं के इस भाषा को बोलने वाले कहाँ रहते थे, लेकिन बहुत से पश्चिमी विद्वान् कुरगन अवधारणा में विश्वास रखते हैं। कुरगन अवधारणा के अनुसार इस भाषा को बोलने वाले आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के कुछ हिस्सों में फैले हुए पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी के क्षेत्र में रहते थे। आधुनिक युग में विलियम जोन्स पहले विद्वान् थे जिन्होंने प्राचीन संस्कृत, प्राचीन यूनानी, प्राचीन फारसी और लातिन भाषाओं में समानताएँ देखकर यह दावा किया था के ये सारी एक ही आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा से उपजी भाषाएँ हैं। बीसवी शताब्दी की शुरुआत तक भाषावैज्ञानिकों के परिश्रम से आदिम-हिन्द-यूरोपीय (आ॰हि॰यू॰) भाषा का चित्रण काफ़ी हद तक किया जा चुका था, जिसमे छोटे-मोटे सुधार लगातार होते रहे हैं। .

देखें पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी और आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा

आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग

पितृवंश समूह आर१ए का विस्तार आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोगों के फैलाव के साथ सम्बंधित माना जाता है आदिम-हिन्द-यूरोपीय यूरेशिया में बसने वाले उन प्राचीन लोगों को कहा जाता है जो आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा बोलते थे। इनके बारे में जानकारी भाषावैज्ञानिक तकनीकों से और कुछ हद तक पुरातत्व-विज्ञान (आर्कियोलोजी) से आई है। आधुनिक युग में अनुवांशिकी (जेनेटिक्स) के ज़रिये भी इनकी जातीयता के बारे में जानकारी मिल रही है। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि यह लोग ४००० ईसापूर्व के काल में पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी क्षेत्र में बसा करते थे और २,००० ईसापूर्व तक अनातोलिया, पश्चिमी यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिणी साइबेरिया तक विस्तृत हो चुके थे।, J.

देखें पोंटिक-कैस्पियाई स्तेपी और आदिम-हिन्द-यूरोपीय लोग

पोंटिक-कैस्पियन स्टेप, कृष्ण-कैस्पियाई स्तेपी के रूप में भी जाना जाता है।