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3 संबंधों: साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल, ज्ञानपीठ पुरस्कार, वंगइन मैंधन।
साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और तमिल भाषा इन में से एक भाषा हैं। .
देखें पी॰ वी॰ अकिलानंदम और साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल
ज्ञानपीठ पुरस्कार
पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .
देखें पी॰ वी॰ अकिलानंदम और ज्ञानपीठ पुरस्कार
वंगइन मैंधन
वंगइन मैंधन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार अखिलन (पी. वी. अकिलंदम) द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें पी॰ वी॰ अकिलानंदम और वंगइन मैंधन
पी.वी. अकिलानंदम, अखिलन (पी. वी. अकिलंदम) के रूप में भी जाना जाता है।