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पाल

सूची पाल

पाल या बादबान पवन की शक्ति द्वारा किसी वाहन को जल, हिम या धरती पर आगे धकेलने के एक साधन को कहते हैं। आमतौर पर पाल कपड़े या अन्य किसी सामग्री से बनी एक सतह होती है जो वाहन में जड़े हुए मस्तूल (mast) कहलाने वाले एक सख़्त खम्बे के साथ लगी हुई होती है। जब पाल पर वायू प्रवाह का प्रहार होता है तो पाल फूल-सा जाता है और आगे को धकेला जाता है। यह बल मस्तूल द्वारा यान को प्रसारित होता है। कुछ पालों का आकार ऐसा होता है जिनपर पवन एक ऊपर की ओर उठाने वाला बल भी प्रस्तुत करती है। इस से भी वाहन को आगे धकेलने में असानी होती है। पाल और पतंग दोनों में पवन के बल का प्रयोग वस्तुओं को गति देने के लिये होता है। .

14 संबंधों: चीख़ते चालिस, एनटीएससी, पतवार, पाल तारामंडल, पाल प्रबन्ध, पाल-उड़ान, पालचलित जहाज़, पालनौका, ब्रेकथ्रू स्टारशॉट, मस्तूल, सौर पाल, हाइब्रिड वाहन, खाप, उत्तराखण्ड का इतिहास

चीख़ते चालिस

चीख़ते चालिस (Roaring Forties) पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में 40 और 50 डिग्री दक्षिण के अक्षांशों (लैटीट्यूड) के बीच चलने वाली शक्तिशाली पछुआ पवन को कहते हैं। पश्चिम-से-पूर्व चलने वाले यह वायु प्रवाह भूमध्य रेखा से वायु दक्षिणी ध्रुव की ओर जाने से और पृथ्वी के घूर्णन से बनते हैं। पृथ्वी के 40 और 50 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के बीच बहुत कम भूमि है और अधिकांश भाग में केवल खुला महासागर है जिस से इन पवनों को रोकने वाली पहाड़ियाँ या अन्य स्थलाकृतियाँ अनुपस्थित हैं और इनकी शक्ति बढ़ती जाती है। चीख़ती चालिस हवाओं से यहाँ की लहरे भी कभी-कभी तेज़ वायु प्रवाह से उत्तेजित होकर भयंकर ऊँचाई पकड़ लेती हैं। इन लहरों के बावजूद मशीनीकरण के युग से पूर्व यूरोप से ऑस्ट्रेलिया जाने वाली नौकाएँ 40 डिग्री से आगे दक्षिण आकर अपने पालों द्वारा इन गतिशील हवाओं को पकड़कर तेज़ी से पूर्व की ओर जाने का लाभ उठाया करती थीं। .

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एनटीएससी

राष्ट्र की टेलीविज़न इनकोडिंग सिस्टम्स; NTSC सिस्टम का उपयोग करने वाले देशों को हरे रंग से दर्शाया गया है। NTSC, अर्थात् नैशनल टेलीविज़न सिस्टम कमिटी अधिकांशतः उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, बर्मा और प्रशांत द्वीप के कुछ प्रदेशों और राष्ट्रों (नक्शा देखें) में प्रयोग किया जाने वाला एनालॉग टेलीविजन सिस्टम है। अमेरिका की उस मानकीकरण संस्था का भी नाम है जिसने प्रसारण मानक का विकास किया है।नैशनल टेलीवीज़न सिस्टम कमिटी (1951–1953), (रिपोर्ट और पैनेल नंबर 11, 11-A, 12-19, के रिपोर्ट और साथ में रिपोर्टों में उद्धृत कुछ अनुपूरक सन्दर्भ और फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन से पहले कलर टेलीविज़न के ट्रांसमिशन मानकों के ग्रहण की याचिका, n.p., 1953, 17 दृश्य, दृष्टान्त, रेखाचित्र, तालिका, 28 सेमी. LC नियंत्रण नंबर: 54021386 पहला NTSC मानक 1941 में विकसित किया गया था और उसमे रंगीन टीवी के लिए कोई प्रावधान नहीं था। 1953 में NTSC मानक के एक दूसरें संशोधित संस्करण को स्वीकृत किया गया था, जिसमें काले और सफेद रिसीवर्स के मौजूदा स्टॉक के साथ अनुकूल रंगीन प्रसारण की अनुमति थी। NTSC व्यापक रूप से स्वीकृत की जाने वाली पहली प्रसारित रंग प्रणाली थी। उपयोग करने के कम से कम आधी शताब्दी के बाद,12 जून 2009 को संयुक्त राज्य अमेरिका में बहुत सारी संख्या में ओवर- द - एअर NTSC प्रसारण को ATSC से परिवर्तित कर दिया गया था और 31 अगस्त 2011, तक कनाडा में भी परिवर्तित हो जाएगा. .

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पतवार

पतवार (अंग्रेज़ी: Oar) नाव खेने की डांड को कहते हैं जो सामान्यतः लकड़ी की बनी एक युक्ति होता है जिसका एक सिरा चपटा होता जिससे पानी को पीछे हटाया जाता है और परिणाम स्वरूप नाव आगे बढ़ती है। इसके अन्य नाम चप्पू और कर्ण हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक द्वितीय वर्ग का उत्तोलक है। वर्तमान समय में लकड़ी के अलावा अन्य हलके और मजबूत पदार्थों से पतवार बनाई जाने लगी हैं। .

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पाल तारामंडल

पाल (वीला) तारामंडल पाल महानोवा अवशेष की नीहारिका के अन्दर स्थित पल्सर अपने तेज़ घूर्णन में पृथ्वी की ओर गामा किरणों का प्रकाश बार-बार फेंकता है पाल या वीला (अंग्रेज़ी: Vela) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक नौका के पाल की आकृति बनाई जा सकती है। पाल हवा पकड़कर नौका धकेलने वाली चादर होती है, जिसे अंग्रेज़ी में "सेल" (sail) कहते हैं। "वीला" लातिनी भाषा में "पाल" के लिए शब्द है। .

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पाल प्रबन्ध

पाल प्रबन्ध (rigging) पालनौकाओं (बादबानियों, sailboats) में लगे हुए उस सभी सामान व उपकरणों को बोलते हैं जिनके प्रयोग से पवन-द्वारा नौका को आगे चलाया जाता है। इसमें पाल, मस्तूल, रस्सियाँ इत्यादि शमिल हैं। .

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पाल-उड़ान

पाल-उड़ान या ग्लाइडिंग (gliding, ग्लाइडिंग) ऐसी मनोरंजन क्रिया व खेल है जिसमें बिना किसी मोटर या अन्य कृत्रिम ऊर्जा की खपत से चलने वाले साधन का प्रयोग करे किसी विमान को अपने पंखों का पाल (sail) के रूप में इस्तेमाल कर के उसे प्राकृतिक वायु बहाव से भूमि से ऊपर हवा में उड़ते हुए रखा जाता है। ऐसे विमानों को ग्लाइडर (gliders) या पालविमान (sailplane) कहते हैं। कई प्राणी और वनस्पति-अंश (जैसे कि कुछ प्रकार के बीज) भी इस सिद्धांत के प्रयोग से स्थान-से-स्थान तक वायु में यातायात करते हैं। पाल-उड़ान में कौशल हवा के ऊपर उठते प्रवाहों को खोजने-पहचानने और फिर विमान को उनके ऊपर ले जाकर उठवाने में महारत को समझा जाता है। अनुकूल स्थितियों में निपुण विमानचालक हलके विमानों को पाल-उड़ान द्वारा सैंकड़ों किलोमीटर तक बिना किसी कृत्रिम ऊर्जा के ले जा सकते हैं और विचित्र परिस्थितियों में १००० किमी तक की ऐसी उड़ाने देखी गई हैं। .

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पालचलित जहाज़

पालचलित जहाज़ (sailing ship) किसी भी बड़े पवन द्वारा चलने वाले जलीय जहाज़ को कहते हैं। इनपर कई पाल (sail) लगे हुए होते हैं जिनसे वह वायु के प्रवाह को स्वयं को धकेलने के काम लाते हैं। पारम्परिक रूप से पालचलित कहलाने के लिये किसी जहाज़ पर कम-से-कम तीन मस्तूल (mast) होने आवश्यक हैं जिनपर कई पाल लगे होते हैं। इस से छोटे जहाज़ों को नौका (boat) की श्रेणी दी जाती है। पालों के संगठन के आधार पर यूरोप में पालचलित जहाज़ों की कई स्थापित श्रेणियाँ थीं: स्कूनर (schooner), बार्क (barque या bark), ब्रिग (brig), बार्केन्टीन (barquentine), ब्रिगेन्टीन (brigantine) और स्लूप (sloop)। .

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पालनौका

बादबानी (sailboat), जिसे पालनौका (sail+boat) भी कहा जा सकता है, ऐसी नौका होती है जिसे गति देने का प्रमुख साधन एक या अनेक पाल (sail) होते हैं जो पवन पकड़कर नौका को आगे घकेलने का काम करते हैं। औद्योगिक युग से पहले नौकाओं को चलाने का यही प्रमुख साधन था। .

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ब्रेकथ्रू स्टारशॉट

एक कल्पित सौर पाल ब्रेकथ्रू स्टारशॉट (Breakthrough Starshot) एक अनुसंधान और अभियान्त्रिकी परियोजना है जिसका ध्येय प्रकाश पाल (light sail) से चलने वाले अंतरिक्ष यानों का एक बेड़ा विकसित करना है जो पृथ्वी से ४.३७ प्रकाशवर्ष दूर स्थित मित्र तारे (Alpha Centauri) के बहु तारा मंडल तक पहुँच सके। इन परिकल्पित अंतरिक्ष यानों का नाम "स्टारचिप" (StarChip) रखा गया है और इन्हें प्रकाश की गति का १५% से २०% तक का वेग देने का प्रस्ताव है। इस रफ़्तार से वे लगभग २० से ३० वर्षों में मित्र तारे के मंडल तक पहुँच सकेंगे और वहाँ से पृथ्वी को सूचित करेंगे। इतनी दूरी पर उनसे प्रसारित संकेतों को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग ४ साल लगेंगे। यह यान इतनी तेज़ी से चल रहे होंगे की वे केवल कुछ देर के लिये मंडल में रहकर आगे अंतरिक्ष में निकल जाएँगे। प्रस्तावकों की चेष्टा है कि इस अंतराल में यह यान अगस्त २०१६ में मिले प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी (Proxima Centauri b) नामक स्थलीय ग्रह (जो पृथ्वी से ज़रा बड़ा ग़ैर-सौरीय ग्रह है) के समीप से भी उड़ें और उसकी तस्वीरें खींचकर पृथ्वी भेजें। .

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मस्तूल

मस्तूल (mast) एक स्थिरता से खड़े हुए लम्बें खम्बे को कहते हैं, विशेषकर नौकाओं में उन खम्बों को जिनपर पाल (sail) लगाया जाता है। अक्सर इन्हें सहारा देने के लिये गाई तारों (guy wires) का प्रयोग किया जाता है। आमतौर में मस्तूल लकड़ी या धातु के बने हुए होते हैं। .

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सौर पाल

सौर पाल (solar sail), जिसे प्रकाश पाल (light sail) या फ़ोटोन पाल (photon sail) भी कहते हैं सौर प्रकाश को बड़े दर्पणों से किसी अंतरिक्ष यान पर लगे बड़े आकार के परावर्तक पाल पर दाग़कर उस से बनने बाले विकिरण दाब द्वारा करे गये अंतरिक्ष यान प्रणोदन (गतिमान करने की क्रिया) को कहते हैं। जिस प्रकार कोई पालनौका पवन के प्रहार से चल पड़ती है, उसी प्रकार विचार है कि अंतरिक्ष यानों को प्रकाश के प्रहार से चलाया जा सकता है। वैज्ञानिकों की सोच है कि इस सिद्धांत से बनाये गये यानों पर ख़र्च कम होगा क्योंकि उन्हें अपने साथ ईन्धन ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी। कुछ प्रस्तावों में सौर प्रकाश के स्थान पर पथ्वी या चंद्रमा पर लेज़र किरणों का स्रोत लगाकर उन्हें पाल पर चमकाने का सुझाव दिया गया है। पृथ्वी की कक्षा के पास स्थित ८०० मीटर चौड़े और ८०० मीटर लम्बे सौर पाल पर सूरज की किरणों का बल लगभग ५ न्य्यूटन के बराबर पड़ेगा। यह एक हल्का बल है। लेकिन जहाँ आज के राकेट कुछ अरसे तक चलकर ईन्धन समाप्त होने पर रुक जाते हैं वहाँ सौर पाल यान को महीनों, वर्षों, दशकों या शताब्दियों तक लगातार अधिक गतिशील कर सकता है। विकिरण दाब एक वास्तविकता है और बिना पाल वाले अंतरिक्ष यानों पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। .

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हाइब्रिड वाहन

होंडा इनसाइट हाइब्रिड NYPD आवागमन प्रवर्तन द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्रियूस एक हाइब्रिड वाहन एक ऐसा वाहन है, जो वाहन को चलाने के लिए दो या दो से अधिक भिन्न ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करता है। यह शब्द सबसे अधिक हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व़ीइकल्स अर्थात् संकर विद्युत वाहन (HEVs), के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक आंतरिक दहन इंजन और एक या एक से अधिक विद्युत मोटर होते हैं। .

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खाप

खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। इसके अनुरूप अन्य प्रचलित संस्थाएं हैं पाल, गण, गणसंघ, सभा, समिति, जनपद अथवा गणतंत्र। समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ।डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया: जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदु, आगरा, 2004, पृ.

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उत्तराखण्ड का इतिहास

उत्तराखण्ड का इतिहास पौराणिक है। उत्तराखण्ड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग का रूपान्तर है। इस नाम का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रन्थों में मिलता है, जहाँ पर केदारखण्ड (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखण्ड (वर्तमान कुमांऊँ) के रूप में इसका उल्लेख है। उत्तराखण्ड प्राचीन पौराणिक शब्द भी है जो हिमालय के मध्य फैलाव के लिए प्रयुक्त किया जाता था। उत्तराखण्ड "देवभूमि" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह समग्र क्षेत्र धर्ममय और दैवशक्तियों की क्रीड़ाभूमि तथा हिन्दू धर्म के उद्भव और महिमाओंं की सारगर्भित कुंजी व रहस्यमय है। पौरव, कुशान, गुप्त, कत्यूरी, रायक, पाल, चन्द, परमार व पयाल राजवंश और अंग्रेज़ों ने बारी-बारी से यहाँ शासन किया था। .

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