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पहलवानी

सूची पहलवानी

भरतपुर में कुश्ती लड़ते पहलवान (२०१३) भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित कुश्ती का नाम पहलवानी है। जो व्यक्ति पहलवानी का अभ्यास करता है उसे पहलवान कहा जाता है। पहलवानी, मल्लयुद्ध से उपजी है। .

27 संबंधों: चंदगी राम, दारा सिंह, नरसिंह पंचम यादव, नाग पंचमी, नेहा राठी, भारत की संस्कृति, भवनपुरा,जनपद मथुरा, मल्लपुराण, महावीर सिंह फोगाट, मंगला राय, राममूर्ति नायडू (पहलवान), रविन्द्र खत्री, रंधावा (पहलवान), ललिता सहरावत, सतपाल (पहलवान), साक्षी मलिक, सुशील कुमार (पहलवान), सुखचैन सिंह चीमा, सैफ़ई, हरदीप सिंह (पहलवान), हरिप्रसाद चौरसिया, गदा, गुरु हनुमान, गीता फोगाट, गीतिका जाखड़, असोला-फतेहपुर बेरी, ऋतु फोगाट

चंदगी राम

चंदगी राम भारत के प्रसिद्ध पहलवान हैं। १९६० एवं १९७० के दशकों में उनकी पहलवानी की चर्चा जोरों पर थी। उन्हें "हिन्द केसरी", "भारत केसरी" और इसी तरह की तमाम उपाधियों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित् किया और उसके बाद पद्मश्री से भी सम्मानित किये गये। .

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दारा सिंह

दारा सिंह (पूरा नाम: दारा सिंह रन्धावा, अंग्रेजी: Dara Singh, जन्म: 19 नवम्बर, 1928 पंजाब, मृत्यु: 12 जुलाई 2012 मुम्बई) अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। 1968 में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया। उन्नीस सौ साठ के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया। दारा सिंह ने कई फ़िल्मों में अभिनय के अतिरिक्त निर्देशन व लेखन भी किया। उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। उन्होंने अपनी आत्मकथा मूलत: पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिन्दी में भी प्रकाशित हुई। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। वे अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छ: वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल मुम्बई में भर्ती कराया गया किन्तु पाँच दिनों तक कोई लाभ न होता देख उन्हें उनके मुम्बई स्थित निवास पर वापस ले आया गया जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को सुबह साढ़े सात बजे दम तोड़ दिया। .

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नरसिंह पंचम यादव

नरसिंह यादव (जन्म: 6 अगस्त 1989) एक भारतीय पहलवान हैं। इन्होंने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुषों के 74 किलोग्राम भारवर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता था। .

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नाग पंचमी

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।- .

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नेहा राठी

नेहा राठी एक भारतीय पहलवान है, जिनका जन्म हरियाणा के रोहतक के पास भापुड़ा गांव में हुआ था। वह अर्जुन पुरस्कार विजेता जगतपुर सिंह राठी की बेटी हैं। उन्होंने १० वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ बार से अधिक विभिन्न स्तरों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने ५१ किलोग्राम (११२ एलबी) वजन श्रेणी में भाग लिया।और बहुत सी उपलब्धियों प्राप्त की है.

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भवनपुरा,जनपद मथुरा

गांव-भवनपुरा - गोवर्धन से ०३ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित जनपद मथुरा में जिला मुख्यालय से २१ किमी की दूरी पर स्थित है,यहां की किसी भी घर की छत से आप गोवर्धन स्थित श्री गिरिराज जी मंदिर के साक्षात दर्शन कर सकते हैं। यह गांव सडक मार्ग द्वारा जिला मुख्यालय मथुरा उत्तर प्रदेशसे जुडा हुआ है, गांव भवनपुरा हिंदू धर्म इस गांव के लोग सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन बडी ही शालीनता व सहयोग की भावना से करते हैं गांव भवनपुरा के निवासी बडे ही खुशमिजाज व शाकाहारी खानपान के शौकीन हैं,यहां वर्ष भर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन चलते रहते हैं,जैसे ०१ जनवरी के दिन गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है यह आयोजन गांव-भवनपुरा की एकता व भाईचारे का प्रतीक हैं इस गांव में भक्ति भाव व भाईचारे की भावना को बनाये रखने के लिये प्रतिदिन सुबह ०४ बजे भगवान श्री कृष्ण नाम का कीर्तन करते हुये गांव की परिक्रमा करते हुये प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें बडी संख्या में गांव के स्त्री पुरूष भाग लेते हैं,जिससे गांव भवनपुरा का प्रात:काल का वातावरण कृष्णमय हो जाता है जिसके कारण गांव के निवासियों को आनंद की अनुभूति होती है जोकि अविस्मरणीय है,इस प्रभातफेरी का आयोजन बृज के संतों की कृपा से पिछले ३५ वर्षों से किया जा रहा है,अत: इसी प्रभातफेरी की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है,इसी दिन ही गांव भवनपुरा के निवासियों की ओर से आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि एकत्रित कर विशाल प्रसाद भंडारेका आयोजन किया जाता है जिसमें समस्त ग्राम वासी इच्छानुसार नये वस्त्र धारण कर बडे हर्षोल्लास के साथ टाट पट्टियों पर बैठकर सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण करते हैं, यह क्षण वास्तव में ही प्रत्येक ग्रामवासी के लिये अत्यंत आनंद दायक होता है इसके उपरांत अन्य समीपवर्ती गांवों से निमंत्रण देकर बुलवायी गयी कीर्तन मंडलियों द्वारा कीर्तन प्रतियोगिता का रंगारंग आयोजन होता है जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कीर्तन मंडली को मुख्य अतिथि द्वारा विशेष उपहार देकर व अन्य कीर्तन मंडलियों को भी उपहार वितरित कर सम्मानित किया जाता है रक्षाबंधन पर विशेष खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन गांव भवनपुरा में किया जाता है जिसमें बडी संख्या में गांव के युवा द्वारा और रक्षाबंधन के अवसर पर आने वाले नये पुराने रिश्तेदारों द्वारा बढचढकर प्रतिभाग किया जाता है | गांव भवनपुरामें होली,दीपावली,गोवर्धनपूजा के त्यौहार भी बडे हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं,होली के बाद हुरंगा का रंगारंग आयोजन किया जाता है, कुश्ती दंगल- होली से १३ दिवस उपरांत चैत्र माह की त्रियोदशी को गांव में कुश्ती दंगल का आयोजन गांव-भवनपुरा में किया जाता है जिसमें दूर दूर आये हुये से पहलवान अपनी बृज प्रसिद्ध मल्ल विधा के कौशल का परिचय देते हैं इस आयोजन को देखने आसपडोस के गांव कस्बों से भारी संख्या में बालक,युवा,बृद्ध व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित होते हैं,दंगल के दिन ही गांव में विक्रेताओं द्वारा जलेबी सोनहलवा,पान,आईसक्रीम चांट पकौडी,समौसा,आदि की स्टाल व बच्चौं के लिये खिलौनों की दुकान व खेलकूद के लिये तरह तरह के झूले लगाये जाते हैं जिनका कि बच्चे व गांव की महिलायें जमकर लुप्त उठाती हैं तथा दंगल देखने बाद गांव जाने वाले लोग अपने परिवार के लिये जलेबी,सोनहलुवा अनिवार्य रूप से ले जाते हैं इसी दिन ही रात्रि में गांव में नौटंकी का आयोजन किया जाता हैं जिसे आस-पास के गांवों से काफी संख्या में युवा वर्ग के नौजवान एकत्रित होते हैं तथा गांव के युवा वर्ग द्वारा इस आयोजन का जमकर आनंद लिया जाता है, महाशिवरात्रि अर्थात भोला चौदस पर भी गांव-भवनपुरा में विशेष आयोजन होते हैं इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त ग्रामवासी युवा श्री गंगा जी रामघाट से कांवर लेकर आते हैं इन कावडियों के ग्राम पहुंचनें पर भव्य स्वागत किया जाता है तथा गांव के सभी लोग बैंड बाजे के साथ गांव की परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं,इस दिन गांव सभी घरों में विशेष पकवान व गाजर का हलवा,खोवा के लड्डू,सिघाडे का हलवा आदि बनते हैं जिन्हें महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले लोग बडे चाव से खाते हैं, शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा हेतु गांव में ही प्राईमरी स्कूल, जूनियर हाईस्कूल है, इससे आगे की पढाई के लिये निकटवर्ती कस्बा गोवर्धन, अडींग जाना पडता है इन कस्बों के प्रमुख इंटर कालेजों/पी०जी० कालेजों की सूची निम्नलिखित है निकटवर्ती पर्यटन/धार्मिक स्थल- .

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मल्लपुराण

मल्लपुराण १३वीं शताब्दी में रचित एक ग्रन्थ है जिसमें मल्लयुद्ध का विस्तृत वर्णन है। मल्लपुराण कुश्ती के विभिन्न प्रकारों का वर्णन है, इसमें कुश्ती में प्रयुक्त तकनीकों का विस्तृत वर्णन है, मुक्केबाजी की तैयारी के लिये किये जाने वाले विभिन्न व्यायामों की जानकारी है। इसमें पहलवानों के लिये, विभिन्न ऋतुओं में आवश्यक खुराक की भी जानकारी दी गयी है। .

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महावीर सिंह फोगाट

महावीर सिंह फोगाट एक भारतीय शौकिया पहलवान एवं वरिष्ठ ओलम्पिक कोच रहे। २३ दिसम्बर २०१६ को इनके जीवन आधारित फ़िल्म भी प्रदर्शित हुई है जिसका नाम दंगल फ़िल्म है। फोगाट को भारत सरकार द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार भी दिया गया। ये पहलवान गीता फोगाट के पिता और कोच है। .

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मंगला राय

मंगला राय (1916 - 24 जून, 1976) भारत के एक प्रसिद्ध पहलवान थे। मंगला राय का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के जोगा मुसाहिब गांव में सन् 1916 के क्वार महीने में हुआ था। उनके पिता का नाम रामचंद्र राय था। रामचंद्र राय और उनके छोटे भाई राधा राय अपने जमाने के मशहूर पहलवान थे। उन्ही की तरह मंगला राय और उनके छोटे भाई कमला राय ने भी कुश्ती में काफी नाम और यश प्राप्त किया। रामचंद्र राय और राधा राय दोनों अपने जवानी के दिनों में जीविकोपार्जन के चलते म्यांमार (बर्मा) के रंगून में रहते थे जहाँ दोनों एक अखाड़े में रोजाना अभ्यास और कसरत करते थे। दोनो भाइयों में राधा राय ज्यादा कुशल पहलवान थे और उन्होंने ही अपने दोनों भतीजों को कुश्ती की पहली तालीम दी और दाव-पेंच के गुर सिखाए। .

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राममूर्ति नायडू (पहलवान)

प्रोफेसर राममूर्ति नायडू (अंग्रेजी:Kodi Rammurthy Naidu तेलुगू:కోడి రామ్మూర్తి నాయుడు जन्म:१८८२ - मृत्यु:१९४२) भारत के विश्वविख्यात पहलवान हुए हैं जिन्हें उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिये ब्रिटिश सरकार ने कलयुगी भीम की उपाधि से अलंकृत किया था। दक्षिण भारत के उत्तरी आन्ध्र प्रदेश में जन्मे इस महाबली ने एक समय में पूरे विश्व में तहलका मचा दिया था। स्वयं ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम व महारानी मैरी ने लन्दन स्थित बकिंघम पैलेस में आमन्त्रित कर सम्मानित किया और इण्डियन हरकुलिस व इण्डियन सैण्डोज जैसे उपनाम प्रदान किये। उनके शारीरिक बल के करतब देखकर सामान्य जन से लेकर शासक वर्ग तक सभी दाँतों तले उँगली दबाने को विवश हो जाया करते थे। प्रो॰ साहब ने व्यायाम की जो नयी पद्धति विकसित की उसे आज भी भारतीय मल्लयुद्ध के क्षेत्र में प्रो॰ राममूर्ति की विधि के नाम से जाना जाता है जिसमें दण्ड-बैठक के दैनन्दिन अभ्यास से शरीर को अत्यधिक बलशाली बनाया जाता है। .

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रविन्द्र खत्री

रविन्द्र खत्री (Ravinder Khatri) (जन्म १५ मई १९९२) एक भारतीय ग्रीसो रोमन पहलवान है जो ८५ किलोग्राम श्रेणी के अंतर्गत खेलते हैं। .

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रंधावा (पहलवान)

सरदारा सिंह रंधावा (पंजाबी: ਸਰਦਾਰਾ ਸਿੰਘ ਰੰਧਾਵਾ) एक भारतीय पहलवान व अभिनेता थे जो रंधावा नाम से बेहतर जाने जाते थे। वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के छोटे भाई तथा अभिनेत्री मुमताज़ के जीजा थे। .

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ललिता सहरावत

ललिता सहरावत (जन्म: १४ जून १९९४) एक भारतीय महिला पहलवान हैं, इन्होने २०१४ में ग्लासगो कामनवेल्थ गेम्स में 53 किलोग्राम भार वर्ग कुश्ती में भारत की पहलवान ललिता सहरावत ने सिल्वर मेडल जीता। २० वर्षीय ललिता सहरावत ने नौ साल की उम्र से ही कुश्ती में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। मूल रूप से हिसार जिले के गांव खरड़ अलिपुर की हिसार के जवाहर नगर में रहने वाली ललिता इससे पहले जूनियर एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इसके साथ-साथ ललिता ने जूनियर वर्ग में नैशनल और इंटरनैशनल लेवल पर दो दर्जन से अधिक पदक और कुश्ती दंगल अपने नाम किए हैं। .

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सतपाल (पहलवान)

सतपाल भारत के प्रसिद्ध कुश्ती पहलवान हैं। वे १९८२ के एशियाई खेलों के स्वर्ण विजेता हैं। आजकल वे दिल्ली में पहलवानों के प्रशिक्षण में संलग्न हैं। ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार भी उनके शिष्य रहे हैं। सतपाल पहलवान को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। सतपाल आजकल दिल्ली के शिक्षा विभाग में उप शिक्षा निदेशक पद पर कार्य कर रहे हॅ। .

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साक्षी मलिक

साक्षी मलिक (Sakshi Malik) (जन्म: ०३ सितम्बर १९९२) भारतीय महिला पहलवान हैं। इन्होंने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता है। भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली वे पहली महिला पहलवान हैं। इससे पहले इन्होंने ग्लासगो में आयोजित २०१४ के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। २०१४ के विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। वो एक जाट समुदाय से है। .

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सुशील कुमार (पहलवान)

---- सुशील कुमार (जन्म: २६ मई १९८३) भारत के एक कुश्ती पहलवान हैं जो 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लगातार दो ओलम्पिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। २००८ ओलम्पिक में 66 किग्रा फ्रीस्टाइल में कजा‍खिस्तान के लियोनिड स्प्रिडोनोव को हरा कांस्य पदक जीत कर उन्होंने ५६ साल बाद १९५२ के इतिहास को एक बार फिर से दोहराया जब यह पदक महाराष्ट्र के खशाबा जाधव ने जीता था। सुशील, सतपाल पहलवान के शिष्य हैं। सुशील कुमार के लिए दिल्ली सरकार ने ५० लाख के इनाम की घोषणा की जबकि रेलवे ने ५५ लाख और हरियाणा सरकार ने २५ लाख के इनाम की घोषणा की है। 2010 तथा 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में इन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। मंजीत दूबे dhyeya IAS .

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सुखचैन सिंह चीमा

सुखचैन सिंह चीमा(1951- 10 जनवरी 2018) एक भारतीय रेसलर थे। उन्होने वर्ष 1974 में तेहरान में हुए एशियाई खेलों में भारत के लिए कांस्‍य पदक जीता था। उनकी गिनती देश के दिग्‍गज पहलवानों में की जाती थी। उन्‍होंने कुश्‍ती में भारत को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें अर्जुन पुरस्कार के साथ कोचिंग के लिए को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्‍च द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्‍मानित किया जा चुका है। रुस्तम-ए-हिंद ओलिंपियन पहलवान केसर सिंह चीमा और रुस्तम-ए-हिंद ओलिंपियन परविंदर सिंह चीमा के पिता थे। उन्होने कोच के रूप में कई पहलवानों को तैयार किया। वे पटियाला में अपना ट्रेनिंग सेंटर चलाते थे, जहां उनके द्वारा पहलवानों को ट्रेनिंग दी जाती थी। उनका एक सड़क हादसे में निधन को गया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के पटियाला बाईपास में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी। .

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सैफ़ई

सैफ़ई (अंग्रेजी: Saifai), उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित एक कस्बा है। यह इटावा जिले की एक तहसील और विकास खंड भी है। यह मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, निवर्तमान रक्षा मंत्री और निवर्तमान मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का जन्मस्थान भी है। .

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हरदीप सिंह (पहलवान)

हरदीप सिंह (Hardeep Singh) (जन्म २० दिसम्बर १९९०) एक भारतीय पुरुष पहलवान है। ये २०१३ के राष्ट्रमण्डल कुश्ती चैम्पियनशिप में विजेता भी रह चुके है। ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में इन्होंने क़्वालीफाई किया। .

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हरिप्रसाद चौरसिया

thumb हरिप्रसाद चौरसिया (१९८८ में) हरिप्रसाद चौरसिया या पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (जन्म: १ जुलाई १९३८इलाहाबाद) प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं। उन्हे भारत सरकार ने १९९२ में पद्म भूषण तथा सन २००० में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। .

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गदा

द्रोणगिरि पर्वत उठाये तथा बायें हाथ में गदा लिये हनुमान की प्रतिमा गदा, एक प्राचीन भारतीय पौराणिक आयुध है। इसमें एक लम्बा दण्ड होता है ओर उसके एक सिरे पर भारी गोल लट्टू सरीखा शीर्ष होता है। दण्ड पकड़कर शीर्ष की ओर से शत्रु पर प्रहार किया जाता था। इसका प्रयोग बल सापेक्ष्य और अति कठिन माना जाता था। गदा हनुमान (जो कि भगवान शिव के अवतार हैं) का मुख्य हथियार है। हनुमान को बल-सौष्ठव (विशेषकर पहलवानी) का देवता माना जाता है। हिन्दू धर्म में त्रिदेव में से एक विष्णु भी एक हाथ में गदा धारण करते हैं। .

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गुरु हनुमान

गुरु हनुमान (अंग्रेजी: Guru Hanuman, जन्म: १९०१, मृत्यु: १९९९) भारत के प्रख्यात कुश्ती प्रशिक्षक (कोच) तो थे ही, स्वयं बहुत अच्छे पहलवान भी थे। उन्‍होंने सम्‍पूर्ण विश्‍व में भारतीय कुश्‍ती को महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिलाया। कुश्‍ती के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियों के लिये उन्हें १९८३ में पद्मश्री पुरस्कार.

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गीता फोगाट

गीता फोगाट (Geeta Phogat) (जन्म;१५ दिसम्बर १९८८) एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान है जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। गीता ने २०१० राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया। २३ दिसम्बर २०१६ को प्रदर्शित हुई हिन्दी भाषी दंगल फ़िल्म इन्हीं पर आधारित है,जिसमें इनका किरदार फ़ातिमा सना शेख ने निभाया है जबकि आमिर ख़ान ने इनके पिता और प्रशिक्षक महावीर सिंह फोगाट का किरदार निभाया। .

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गीतिका जाखड़

गीतिका जाखड़ (जन्म: १८ अगस्त १९८५) एक भारतीय महिला पहलवान हैं। इन्होने २०१४ में ग्लासगो कामनवेल्थ गेम्स में 63 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। वे ३ बार की वर्ल्ड चैंपियन कनाडा की पहलवान डी.

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असोला-फतेहपुर बेरी

असोला फतेहपुर बेरी दिल्ली से जुड़ा हुआ एक choटा गाँव है। इस गाँव की यह अनोखी बात है कि इस गाँव का हर लड़का एक ही सपना देखता है, पहलवान बनना और क्लब बाउंसर या अंगरक्षक बनना। असोला-फतेहपुर बेरी का मानचित्र इस गाँव में पहलवानी की शुरुआत विजय पहलवान से हुआ, जो अभी एक अंगरक्षकों के कंपनी चला रहे हैं। वह गांव में कई युवा लड़कों को पहलवानों बनने के लिए एक प्रेरणा बन गए। इसका कारण यह है कि गांव के लड़कों को खेल और कुश्ती के रूप में शारीरिक गतिविधियों में शिक्षाविदों से अधिक रुचि रखते हैं और कई अनपढ़ पहलवानों जो सेना में शामिल करने में असमर्थ थे, वे पहलवान विजय की सफलता से प्रेरित थे और वे बाउंसर बन गये। इन पहलवानों का काम झगडा या लडने का नहीं पर्ंतु शांती के दूत के तरह झगडाओं को रोखते हैं। आज तक 1000 से अधिक लड़कों बाउंसर बन गए हैं। इस गाँव के पहलवानो पब, बार और राष्ट्रीय राजधानी के नाइट क्लबों के दरवाजे पर काम स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों को अंगरक्षक के रूप में काम करते हैं, या निजी कॉलेजों, अस्पतालों और महंगे होटल में काम करते हैं। वे जिम और स्वस्थ भोजन में लंबा, कठिन सत्र के साथ उनकी मांसपेशियों में विकास को बनाए रखते है। पहलवानों शाकाहारी हैं। उनके भोजन सूखे मेवे, दूध, मक्खन, सलाद के होते हैं। एक दर्जन केले और करीब आधा किलो फल। दोपहर के भोजन के दौरान, वे भी तीन-चार रोटी के साथ दही का 1.5 से 2 किलोग्राम खपत करते हैं। शाम में, वे दो रोटी और बादाम-संचार दूध पीते है। इस गांव में एक जिम है। इस जिम एक 3000 वर्ग / फुट सीमेंट निर्माण हैं जहां मशीनों, रैक और वजन बेंच उपमब्ध हैं और वहां के पहलवान व्यायाम करते हैं। और यह जिम सुबह ४ बजे खुलता हैं और रात १० बजे तक खुला रहता हैं। हर पहलवान के व्यायाम अवधि दो या तीन घंटे के समय लंबा होता हैं। बस व्यायाम ही नहीं परंतु यह लोग कुश्ति के अभ्यास और योगासन भी करते हैं जो इन्हे धैर्य, नियंत्रण, शांत रहने में मदद करता हैं एवं मानसिक शक्ति को बढाता हैं। लेकिन इस गाँव के लडकों पढाई पर भी ध्यान देते हैं। बाउंसर के काम करने के पेहले यह लोग कम से कम १२ कक्षा तक पढाइ तक पूरा करते हैं। कुश्ती इस गांव के लड़कों के खून में है और हर परिवार के इस गांव में कम से कम एक सदस्य को एक पहलवान बन जाता है से है। इन पहलवानों के परिवारों खुश और अपने सदस्यों के पहलवानों होने के साथ संतुष्ट हैं। वे समझते हैं कि इन लड़कों को अवैध रूप से पैसा नहीं कमा रहे हैं और किसी भी सामाजिक विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं और वे गरिमा के साथ काम करते हैं और यह यह बात उनके परिवार के लोगों को गर्व करता है। इन पहलवानों भारत में संस्कृति के लिए योगदान दिए है। उन के अनुसार एक अंगरक्षक या एक बाउंसर होने का यह काम आसान नहीं होता है, लेकिन वे इस तरह कि काम से अच्छी रकम कमाते हैं और उन्के परिवार को पालन करते हैं। श्रेणी:दिल्ली के गाँव.

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ऋतु फोगाट

ऋतु  फोगाट (जन्म 2 मई १९९४) एक भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप २०१६ में एक स्वर्ण पदक जीता था।  .

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