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पर्दा

सूची पर्दा

पर्दा एक कपड़ा होता है जो घर की खिड़कियों एवं दरवाजों पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य बाहर से आने वाले प्रकाश, हवा और पानी को अन्दर आने से रोकना है। इसको लगाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य निजता (प्रायवेसी) की रक्षा करना भी होता है।.

5 संबंधों: एनचांटेड (फिल्म), पारसी रंगमंच, मखमल, शस्यकर्तन, कमरा

एनचांटेड (फिल्म)

एनचांटेड (Enchanted) 2007 की एक अमेरिकी फंतासी-संगीतमय फिल्म है, जिसका निर्माण और वितरण बेरी सोनेनफील्ड और जोसेफसन एंटरटेनमेंट के साथ वाल्ट डिजनी पिक्चर्स के द्वारा किया गया है। इसकी पटकथा बिल केली द्वारा लिखित है और केविन लीमा द्वारा निर्देशित है, इस फिल्म में एमी एडम्स, पैट्रिक डिम्पसे, जेम्स मार्सडेन, तीमुथि स्पैल, इडियाना मेंज़ल, रशेल कोवे और सुज़ान सारांडॉन ने अभिनय किया है। 21 नवम्बर 2007 में संयुक्त राज्य में इसके व्यापक तौर पर जारी करने से पहले लंदन फिल्म महोत्सव पर 20 अक्टूबर 2007 में इसका प्रीमियर किया गया था। यह पहली डिजनी फिल्म है, जिसका वितरण बुएना विस्ता की बजाए वाल्ट डिजनी स्टूडियो मोशन पिक्चर्स द्वारा किया गया था, मई 2007 में अर्द्ध सेवानिवृत्त डिजनी की नाम की वजह से ऐसा किया गया और तब से स्थायी रूप से भविष्य की सभी डिजनी फिल्मों का वितरण वाल्ट डिजनी स्टूडियो मोशन पिक्चर्स से ही होने की निश्चितता मिलती है। इसकी कथावस्तु गिजेला पर केंद्रित है, एक मूल डिजनी राजकुमारी, जिसे उसकी पारम्परिक एनिमेटेड एंडालासिया दुनिया से न्यू यॉर्क के लाइव-एक्शन दुनिया में बल पूर्वक आना पड़ता है। यह फिल्म पारम्परिक वाल्ट डिजनी एनिमेटेड क्लासिक्स के प्रति एक श्रद्धांजलि और आत्म अनुकरण दोनों है, फिल्म निर्माण, पारंपरिक एनीमेशन और कंप्यूटर जनित कल्पना के लाइव एक्शन के संयोजन के माध्यम से डिजनी के अतीत और भविष्य कार्यों को कई प्रकार से संदर्भित करती है। कंपनी के 2004 में पूरी तरह से कम्प्यूटर एनीमेशन में स्थानांतरित करने के निर्णय के बाद यह फिल्म पारम्परिक एनीमेशन से डिजनी फीचर फिल्म की वापसी का संदेशवाहक है। संगीतकार एलन मेंकन और गीतकार स्टेफन शवार्ट्ज जिन्होंने पिछले डिजनी फिल्मों के लिए गाने लिख चुके हैं, मेंकन के स्कोर निर्माण के साथ-साथ एनचांटेड के लिए गानों का निर्माण किया। एनचांटेड को आलोचनात्मक रूप से अच्छी स्वीकार्यता प्राप्त हुई और इसने 65वें गोल्डन ग्लोब पुरस्कार में दो बार नामांकन हासिल की और 80वें अकादमी पुरस्कार में तीन नामांकन प्राप्त किए। इस फिल्म ने व्यावसायिक रूप से सफलता को भी साबित कर दिया और दुनिया भर में बॉक्स ऑफिस में $340 मिलियन से भी अधिक की आमदनी की। .

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पारसी रंगमंच

; 'पारसी रंगमंच' से 'फारसी भाषा का रंगमंच' या 'इरान का रंगमंच' का अर्थ न समझें। यह अलग है जो भारत से संबन्धित है। ---- अंग्रेजों के शासनकाल में भारत की राजधानी जब कलकत्ता (1911) थी, वहां 1854 में पहली बार अंग्रेजी नाटक मंचित हुआ। इससे प्रेरित होकर नवशिक्षित भारतीयों में अपना रंगमंच बनाने की इच्छा जगी। मंदिरों में होनेवाले नृत्य, गीत आदि आम आदमी के मनोरंजन के साधन थे। इनके अलावा रामायण तथा महाभारत जैसी धार्मिक कृतियों, पारंपरिक लोक नाटकों, हरिकथाओं, धार्मिक गीतों, जात्राओं जैसे पारंपरिक मंच प्रदर्शनों से भी लोग मनोरंजन करते थे। पारसी थियेटक से लोक रंगमंच का जन्म हुआ। एक समय में सम्पन्न पारसियों ने नाटक कंपनी खोलने की पहल की और धीरे-धीरे यह मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम बनता चला गया। इसकी जड़ें इतनी गहरी थीं कि आधुनिक सिनेमा आज भी इस प्रभाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है। पारसी रंगमंच, 19वीं शताब्दी के ब्रिटिश रंगमंच के मॉडल पर आधारित था। इसे पारसी रंगमंच इसलिए कहा जाता था क्योंकि इससे पारसी व्यापारी जुड़े थे। वे इससे अपना धन लगाते थे। उन्होंने पारसी रंगमंच की अपनी पूरी तकनीक ब्रिटेन से मंगायी। इसमें प्रोसेनियम स्टेज से लेकर बैक स्टेज की जटिल मशीनरी भी थी। लेकिन लोक रंगमंच-गीतों, नृत्यों परंपरागत लोक हास-परिहास के कुछ आवश्यक तत्वों और इनकी प्रारंभ तथा अंत की रवाइतों को पारसी रंगमंच ने अपनी कथा कहने की शैली में शामिल कर लिया था। दो श्रेष्ठ परंपराओं का यह संगम था और तमाम मंचीय प्रदर्शन पौराणिक विषयों पर होते थे जिनमें परंपरागत गीतों और प्रभावी मंचीय युक्तियों का प्रयोग अधिक होता था। कथानक गढ़े हुए और मंचीय होते थे जिसमें भ्रमवश एक व्यक्ति को दूसरा समझा जाता था, घटनाओं में संयोग की भूमिका होती थी, जोशीले भाषण होते थे, चट्टानों से लटकने का रोमांच होता था और अंतिम क्षण में उनका बचाव किया जाता था, सच्चरित्र नायक की दुष्चरित्र खलनायक पर जीत दिखायी जाती थी और इन सभी को गीत-संगीत के साथ विश्वसनीय बनाया जाता था। औपनिवेशिक काल में भारत के हिन्दी क्षेत्र के विशेष लोकप्रिय कला माध्यमों में आज के आधुनिक रंगमंच और फिल्मों की जगह आल्हा, कव्वाली मुख्य थे। लेकिन पारसी थियेटर आने के बाद दर्शकों में गाने के माध्यम से बहुत सी बातें कहने की परंपरा चल पड़ी जो दर्शकों में लोकप्रिय होती चली गयी। बाद में 1930 के दशक में आवाज रिकॉर्ड करने की सुविधा शुरू हुई और फिल्मों में भी इस विरासत को नये तरह से अपना लिया गया। वर्ष 1853 में अपनी शुरुआत के बाद से पारसी थियेटर धीरे-धीरे एक 'चलित थियेटर' का रूप लेता चला गया और लोग घूम-घूम कर नाटक देश के हर कोने में ले जाने लगे। पारसी थियेटर के अभिनय में ‘‘मेलोड्रामा’’ अहम तत्व था और संवाद अदायगी बड़े नाटकीय तरीके से होती थी। उन्होंने कहा कि आज भी फिल्मों के अभिनय में पारसी नाटक के तत्व दिखाई देते हैं। 80 वर्ष तक पारसी रंगमंच और इसके अनेक उपरूपों ने मनोरंजन के क्षेत्र में अपना सिक्का जमाए रखा। फिल्म के आगमन के बाद पारसी रंगमंच ने विधिवत् अपनी परंपरा सिनेमा को सौंप दी। पेशेवर रंगमंच के अनेक नायक, नायिकाएं सहयोगी कलाकार, गीतकार, निर्देशक, संगीतकार सिनेमा के क्षेत्र में आए। आर्देशिर ईरानी, वाजिया ब्रदर्स, पृथ्वीराज कपूर, सोहराब मोदी और अनेक महान दिग्गज रंगमंचकी प्रतिभाएं थीं जिन्होंने शुरुआती तौर में भारतीय फिल्मों को समृद्ध किया। .

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मखमल

मखमल का परिधान मखमल (फ्रेंच: Velours, जर्मन: Samt, अंग्रेजी: Velvet, स्पेनिश: Terciopelo) हलकी बुनाई के रोयेंदार रेशमी कपड़े को कहते हैं। यह साधारण रेशम (silk) या प्लश (plush) की रोएँदार सतह पर बनाया जाता है। यह सतह बुनाई करते समय ऐंठे हुए रेशमी धागों को पृथक्-पृथक् करने से विकसित होती है। अलग-अलग होने पर यह धागे गुच्छे के रूप में रेशमी, सूती या किसी भी बुने कपड़े के दृढ़ आधार पर सीधे खड़े रहते है। प्राचीन काल में मखमल पोशाकों के लिये काफी लोकप्रिय रहा है। राजकीय, सामाजिक तथा धार्मिक अवसरों पर मखमल के परिधानों का विशेष रूप से उपयोग होता था। इसके कई उपयोग भी हैं, जैसे पर्दे के रूप में एवं शोभा के लिये, सोफे के गद्दे तथा लिहाफों के खोल के रूप में। .

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शस्यकर्तन

शस्यकर्तन फ्रांस मे शस्यकर्तन हाथी के आकार मे,अयुत्थया,थाईलैंड शस्यकर्तन या शस्यकर्तन कला का अर्थ, छंटाई या कटाई के द्वारा पौधों या झाड़ियों को मनचाहा रूप देकर शिल्प निर्माण करना है। शस्यकर्तन दो संस्कृत शब्दों शस्य और कर्तन से मिल कर बना है जिनका अर्थ क्रमशः वनस्पति और काटना होता है। शस्यकर्तन के लिये अमूमन सदाबहार छोटे या सुइयों जैसे घने पत्तों वाले पौधों का उपयोग किया जाता है। कई बार पौधों को मनचाहा आकार देने के लिए उनमें धातु के तार से बना एक पिंजरा फंसा देते है और समय के साथ इस पूरे पिंजरे पर पत्तियां छा जाती है और कुछ ही महीनों में मनचाहा आकार प्राप्त हो जाता है। शस्यकर्तन का सबसे साधारण उदाहरण घरेलु हैज (बाड़) है जिसे बाहरी सीमा, दीवार या पर्दा बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। .

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कमरा

जापान के एक युवा हॉस्टल​ में एक कमरा कमरा, कक्ष या ख़ाना किसी घर या अन्य निर्मित ढाँचे के अन्दर के ऐसे भाग को कहते हैं जो अलग विभाजित कर दिया गया हो। यह विभाजन दीवारों, पर्दों या दरवाजों से किया गया हो सकता है। आमतौर पर कमरों के ऊपर छत भी डली हुई होती है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है। ऐतिहासिक रूप से कमरे मिनोआई सभ्यता के २२०० ईसापूर्व में बने निर्माणों में देखे जा चुके हैं।, Travel to Santorini: Santorini Island Guide, Marinet Ltd., Accessed 23 नवम्बर 2009 .

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