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परम शून्य

सूची परम शून्य

परम ताप न्यूनतम सम्भव ताप हैं तथा इससे कम कोई ताप संभव नही हैं। इस ताप पर गैसों के अणुओं की गति शून्य हो जाती हैं। इसका मान -२७३ डिग्री सेन्टीग्रेड होता हैं। इसे केल्विन में दर्शाते हैं। श्रेणी:तापमान श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली.

सामग्री की तालिका

  1. 8 संबंधों: ऊष्मा विकिरण, ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम, तापमान, बोस-आइंस्टाइन संघनन, भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली, भौतिकी की शब्दावली, सिन्टरण, अतिचालकता

ऊष्मा विकिरण

किसी पदार्थ के अन्दर स्थित आवेशित कणों के ऊष्मीय गरि के परिणामस्वरूप जो विद्युतचुम्बकीय तरंगें उत्पन्न होतीं हैं उन्हें ऊष्मीय विकिरण (Thermal radiation) कहते हैं। प्रत्येक पदार्थ जो परम शून्य से अधिक ताप पर है, वह ऊष्मा का विकिरण करता है। .

देखें परम शून्य और ऊष्मा विकिरण

ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम

ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम कभी-कभी इस प्रकार से कहा जाता है: शून्य केल्विन ताप पर निकाय अपनी न्यूनतम सम्भव ऊर्जा वाली अवस्था में होगा, तथा ऊष्मागतिकी के तृतीय नियम का यह कथन तभी सत्य होगा यदि विशुद्ध क्रिस्टल (perfect crystal) की केवल एक ही न्यूनतम ऊर्जा वाली अवस्था हो। एण्ट्रॉपी का सम्बन्ध सभी सम्भव सूक्ष्म अवस्थाओं की संख्या से है। चूंकि शून्य केल्विन ताप पर केवल एक सूक्ष्म-अवस्था उपलब्ध है, अतः एण्ट्रॉपी अवश्य ही शून्य होगी। नर्स्ट-साइमन (Nernst-Simon) का कथन इस प्रकार है: .

देखें परम शून्य और ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम

तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

देखें परम शून्य और तापमान

बोस-आइंस्टाइन संघनन

क्वाण्टम फेज ट्रांजीशन बोस-आइंस्टाइन द्राव या बोस-आइंस्टाइन संघनित (Bose–Einstein condensate (BEC)) पदार्थ की एक अवस्था जिसमें बोसॉन की तनु गैस को परम शून्य (0 K या −273.15 °C) के बहुत निकट के ताप तक ठण्डा कर दिया जाता है। इस स्थिति में अधिसंख्य बोसॉन निम्नतम क्वाण्टम अवस्था में होते हैं और क्वाण्टम प्रभाव स्थूल पैमाने पर भी दिखने लगते हैं। इन प्रभावों को 'स्थूल क्वाण्टम परिघटना' (macroscopic quantum phenomena) कहते हैं। पदार्थ की इस अवस्था की सबसे पहले भविष्यवाणी 1924-25 में सत्येन्द्रनाथ बोस ने की थी। किन्तु बाद में किये गये प्रयोगों से जटिल अन्तरक्रिया का पता चला। श्रेणी:पदार्थ श्रेणी:विचित्र पदार्थ.

देखें परम शून्य और बोस-आइंस्टाइन संघनन

भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली

(abscissa) किसी ग्राफ पर किसी बिन्दु की Y-अक्ष से लम्बवत दूरी; इसे X-निर्देशांक भी कहते हैं। प्रति-कण (antiparticle) A counterpart of a subatomic particle having opposite properties (except for equal mass)। द्वारक (aperture) Any opening through which radiation may pass.

देखें परम शून्य और भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली

भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

देखें परम शून्य और भौतिकी की शब्दावली

सिन्टरण

सिण्टरण से बनी एक चक्की चूर्ण (पाउडर) से आरम्भ करके कोई ठोस पदार्थ बनाना सिन्टरण (Sintering) कहलाता है। यह परमाणवीय विसरण (diffusion) पर आधारित है। सभी पदार्थों में परम शून्य ताप से अधिक ताप पर विसरण होता है किन्तु अधिक ताप पर विसरण अधिक तेजी से होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सिन्टरण की अधिकांश प्रक्रियाओं में पाउडर को मोल्ड में रखकर उसे गलनांक से कुछ नीचे ताप तक गरम किया जाता है। उच्च ताप पर पाउडर कणों में स्थित परमाणु कणों की सीमा पार करके दूसरे कनों के साथ जा मिलते हैं और इस प्रकार एक ठोस वस्तु बन जाती है। चूंकि इस प्रक्रिया में गलनांक तक गरम करने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए सिन्टरिंग प्रक्रिया विशेष रूप से उन पदार्थों की स्वरूपण (shaping) के लिए बहुत उपयोगी है जिनका गलनांक अत्यन्त अधिक होता है (जैसे टंगस्टन, मॉलीब्लेडनम और फेराइट)। .

देखें परम शून्य और सिन्टरण

अतिचालकता

सामान्य चालकों तथा अतिचालकों में ताप के साथ प्रतिरोधकता का परिवर्तन जब किसी मैटेरियल को 0°k तक ठंडा किया जाता है तो उसका प्रतिरोध पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। उनके इस गुण को अतिचालकता (superconductivity) कहते हैं। शून्य प्रतिरोधकता के अलावा अतिचालकता की दशा में पदार्थ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य हो जाता है जिसे मेसनर प्रभाव (Meissner effect) के नाम से जाना जाता है। सुविदित है कि धात्विक चालकों की प्रतिरोधकता उनका ताप घटाने पर घटती जाती है। किन्तु सामान्य चालकों जैसे ताँबा और चाँदी आदि में, अशुद्धियों और दूसरे अपूर्णताओं (defects) के कारण एक सीमा के बाद प्रतिरोधकता में कमी नहीं होती। यहाँ तक कि ताँबा (कॉपर) परम शून्य ताप पर भी अशून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करता है। इसके विपरीत, अतिचालक पदार्थ का ताप क्रान्तिक ताप से नीचे ले जाने पर, इसकी प्रतिरोधकता तेजी से शून्य हो जाती है। अतिचालक तार से बने हुए किसी बंद परिपथ की विद्युत धारा किसी विद्युत स्रोत के बिना सदा के लिए स्थिर रह सकती है। अतिचालकता एक प्रमात्रा-यांत्रिक दृग्विषय (quantum mechanical phenomenon.) है। अतिचालक पदार्थ चुंबकीय परिलक्षण का भी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इन सबका ताप-वैद्युत-बल शून्य होता है और टामसन-गुणांक बराबर होता है। संक्रमण ताप पर इनकी विशिष्ट उष्मा में भी अकस्मात् परिवर्तन हो जाता है। यह विशेष उल्लेखनीय है कि जिन परमाणुओं में बाह्य इलेक्ट्रॉनों की संख्या 5 अथवा 7 है उनमें संक्रमण ताप उच्चतम होता है और अतिचालकता का गुण भी उत्कृष्ट होता है। .

देखें परम शून्य और अतिचालकता