पद्यानुवाद अनुवाद का एक प्रकार है जिसमें पद्य (कविता) में अनुवाद किया जाता है। इसमें समतुल्य अभिव्यक्ति के साथ ही मूल लेखक की शैली का भी ध्यान रखना होता है। इसलिए इसे पुनर्सर्जन भी कहा जाता है। यह माध्यम की भाषा आधारित रूपसापेक्ष अनुवाद है। यह गद्य से हो सकता है अथवा अन्य भाषाओं के पद्य से हो सकता है जैसे कि श्रीमद्भगवद्गीता के।श्लोकों का हरिवंश राय बच्चन द्वारा किया गया हिन्दी में श्रीहरिगीता नामक अनुवाद। .
मानव धर्म कार्यालय, नयी दिल्ली के श्री दीनानाथ भार्गव 'दिनेश' कृत, भगवद्गीता का हिन्दी पद्यानुवाद, श्री हरिगीता, कहलाता है। उत्तर भारत में लोग गीता के साथ साथ हरिगीता का पाठ भी करते हैं क्योंकि यह लोकभाषा में होने जल्दी समझ आता है और पद्य रूप में होने से आसानी से याद हो जाता है। इसके पहले १२ अध्याय विकिसोर्स पर उपलब्ध हैं.