5 संबंधों: डेईडीह धौरहरा, प्राथमिक चिकित्सा किट, बेलखरनाथ मन्दिर, सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण, सुश्रुत संहिता।
डेईडीह धौरहरा
यह गांव उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील में स्थित है। यह उप-जिला मुख्यालय पट्टी से 10 किमी दूर और जिला मुख्यालय प्रतापगढ़ से 35 किमी दूर स्थित है। .
नई!!: पट्टी, उत्तर प्रदेश और डेईडीह धौरहरा · और देखें »
प्राथमिक चिकित्सा किट
फ़्रांसीसी सेना की प्राथमिक- चिकित्सा किट प्राथमिक चिकित्सा किट, आपूर्ति और उपकरणों का संग्रह है, जो प्राथमिक चिकित्सा के लिए प्रयुक्त होता है। प्राथमिक चिकित्सा किट विभिन्न सामग्रियों का बना होता है, जो इस पर निर्भर करता है कि किट को किसने संग्रहित किया और किस प्रयोजन से.
नई!!: पट्टी, उत्तर प्रदेश और प्राथमिक चिकित्सा किट · और देखें »
बेलखरनाथ मन्दिर
बाबा बेलखरनाथ मन्दिर (धाम) उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद मे सई नदी के तट पर स्थित हैं। बाबा बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़ मुख्यालय से १५ किलोमीटर पट्टी मार्ग पर लगभग ९० मीटर ऊँचे टीले पर स्थित है। यह स्थल ग्राम अहियापुर में स्थित है। वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि पर्व पर व् प्रत्येक तीसरे वर्ष मलमास में यहाँ १ महीने तक विशाल मेला चलता है जिसमे कई जिलो से शिवभक्त व संत महात्मा यहाँ आकर पूजन प्रवचन किया करते हैं। प्रत्येक शनिवार को यहाँ हजारो की संख्या में पहुचने वाले श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना किया करते है। .
नई!!: पट्टी, उत्तर प्रदेश और बेलखरनाथ मन्दिर · और देखें »
सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण
सामान्य चिकित्सा और क्लिनिकों (अर्थात् आंतरिक चिकित्सा और बाल रोग) में प्रयुक्त उपकरण इस प्रकार हैं: .
नई!!: पट्टी, उत्तर प्रदेश और सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण · और देखें »
सुश्रुत संहिता
सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। आठवीं शताब्दी में इस ग्रन्थ का अरबी भाषा में 'किताब-ए-सुस्रुद' नाम से अनुवाद हुआ था। सुश्रुतसंहिता में १८४ अध्याय हैं जिनमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे। सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। सुश्रुतसंहिता के उपदेशक काशिराज धन्वन्तरि हैं, एवं श्रोता रूप में उनके शिष्य आचार्य सुश्रुत सम्पूर्ण संहिता की रचना की है। इस सम्पूर्ण ग्रंथ में रोगों की शल्यचिकित्सा एवं शालाक्य चिकित्सा ही मुख्य उद्देश्य है। शल्यशास्त्र को आचार्य धन्वन्तरि पृथ्वी पर लाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में आचार्य सुश्रुत ने गुरू उपदेश को तंत्र रूप में लिपिबद्ध किया, एवं वृहद ग्रन्थ लिखा जो सुश्रुत संहिता के नाम से वर्तमान जगत में रवि की तरह प्रकाशमान है। आचार्य सुश्रुत त्वचा रोपण तन्त्र (Plastic-Surgery) में भी पारंगत थे। आंखों के मोतियाबिन्दु निकालने की सरल कला के विशेषज्ञ थे। सुश्रुत संहिता शल्यतंत्र का आदि ग्रंथ है। .
नई!!: पट्टी, उत्तर प्रदेश और सुश्रुत संहिता · और देखें »