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पंचगंगा घाट

सूची पंचगंगा घाट

पंचगंगा घाट, कोल्हापुर के उत्तर-पश्चिम में पंचगंगा नदी पर निर्मित प्रसिद्ध घाट है। इस घाट के आस-पास कई छोटे बड़े मन्दिर हैं जिसमें से कुछ नदी के बीच भी स्थित हैं। पंचघंगा घाट पूरी तरह से पत्थरों से निर्मित है। यह बहुत बड़ा है और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया और काशिनरेश तथा विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर शोभायात्रा बड़ी धूमधामसे निकाली गयी। श्रेणी:भारत के प्रसिद्ध घाट.

3 संबंधों: राम मंदिर, हरिद्वार, स्वामी रामानन्दाचार्य, काशी

राम मंदिर, हरिद्वार

राममंदिर - देवभूमि हरिद्वार में आकार ले रहा है। निर्माण पूरा होने जाने के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा श्रीराम मंदिर होगा। ये मंदिर हर दृष्टिकोण से अनुपम होगा और आकार-प्रकार में दुनिया का सबसे बड़ा श्रीराम मंदिर होगा। इस मंदिर का निर्माण श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के नियंत्रणाधीन जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्मारक सेवा न्यास के द्वारा हो रहा है। काशी का श्रीमठ - सगुण एवं निर्गुण राम भक्ति परम्परा और रामानंद सम्प्रदाय का एकमात्र मूल आचार्यपीठ है। इस अद्वितीय श्रीराम मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया है, श्रीमठ के वर्तमान पीठाधीश्वर और अनंतश्री विभूषित जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने मंदिर का शिलान्यास सह भूमि पूजन कर्नाटक के उड्डपी स्थित पेजावर स्वामी जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी श्रीविश्वेशतीर्थ जी महाराज के कर कमलों द्वारा १८ नवम्बर २००५ को हुआ था। .

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स्वामी रामानन्दाचार्य

स्वामी रामानंद को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया। वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि - द्वविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद। यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है। उन्होंने तत्कालीन समाज में ब्याप्त कुरीतियों जैसे छूयाछूत, ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया। .

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काशी

काशी जैनों का मुख्य तीर्थ है यहाँ श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म हुआ एवम श्री समन्तभद्र स्वामी ने अतिशय दिखाया जैसे ही लोगों ने नमस्कार करने को कहा पिंडी फट गई और उसमे से श्री चंद्रप्रभु की प्रतिमा जी निकली जो पिन्डि आज भी फटे शंकर के नाम से प्रसिद्ध है काशी विश्वनाथ मंदिर (१९१५) काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है। इस स्थान पर गंगा ने प्राय: चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है और इसी घुमाव के ऊपर इस नगरी की स्थिति है। इस नगर का प्राचीन 'वाराणसी' नाम लोकोच्चारण से 'बनारस' हो गया था जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने शासकीय रूप से पूर्ववत् 'वाराणसी' कर दिया है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है - 'काशिरित्ते..

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