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नीलगिरि (पर्वत)

सूची नीलगिरि (पर्वत)

नीलगिरि भारत के पश्चिमी घाट की एक पर्वतमाला है। नीलगिरि, भारत के राज्य तमिलनाडु का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इस क्षेत्र में बहुत से पर्वतीय स्थल हैं जो इसे उपयुक्त पर्यटन केंद्र बनाते हैं। नीलगिरि का इतिहास 11वीं और 12वीं शताब्दी से शुरु होता है। इसका सर्वप्रथम उल्लेख शिलप्‍पदिकारम में मिलता है। नीलगिरि उन सभी शासक वंशों का हिस्सा रहा जिन्होंने दक्षिण भारत पर शासन किया। नीलगिरि पर्वत श्रृंखला का कुछ हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी आता है। यहां की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है जिसकी कुल ऊंचाई 2637 मीटर है। यह जिला मुख्यत: पर्वत श्रृंखला के मध्य ही स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों की बात करें तो नि:संदेह रूप से सबसे पहला नाम ऊटी का ही आता है। ऊटी दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख पर्वतीय स्थलों में से एक है। इसके अलावा मुदुमलाई, कूनूर आदि बहुत से खूबसूरत स्थान इस जिले में हैं। .

5 संबंधों: दोड्डबेट्ट, नीलगिरी, नीलकुरिंजी, मुदुमलै वन्यजीव अभयारण्य, कुन्नूर

दोड्डबेट्ट

नीलगिरी पर्वत, डोड्डाबेट्टा से दोड्डबेट्ट भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। यह तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि जिले में नीलगिरि पर्वत की सबसे ऊँची तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित सभी पर्वतों से ऊँची चोटी है। यह चोटी समुद्र तल से 2623 मीटर ऊपर है। घाटियों में इसी ढालों पर सिनकोना के सरकारी बागान हैं। इसकी चोटी पर मौसम विज्ञान वेधशाला भी है। यह चोटी ऊटी से केवल 10 किलोमीटर दूर है इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां से घाटी का नजारा अदभुत दिखाई पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब मौसम साफ होता है तब यहां से दूर के इलाके भी दिखाई देते हैं जिनमें कायंबटूर के मैदानी इलाके भी शामिल हैं। यह ऊटी से ४ किमी पूर्व-पूर्वोत्तर में,, है। इसकी ऊंचाई है। इसके बाद धेक्यूबा (ऊंचाई), कट्टडाडू (ऊंचाई) एवं कुलकुडी (ऊंचाई) डोडाबेट्टा से निकटता से जुड़ी अन्य चोटियां हैं। .

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नीलगिरी

नीलगिरी के कई अर्थ हो सकते हैं:-.

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नीलकुरिंजी

नीलकुरिंजी या कुरिंजी (Strobilanthes kunthiana) दक्षिण भारत के पश्चिम घाट के १८०० मीटर से ऊंचे शोला घास के मैदानों में बहुतायत से उगने वाला एक पौधा होता है। नीलगिरी पर्वत को अपना नाम इन्हीं नीले कुरंजी के पुष्पों से आच्छादित होने के कारण नाम मिला। यह पौधा १२ वर्षों में एक बार ही फूल देता है। इस से ही पालियन लोग इस पौधे की आयु का अनुमान लगाते हैं। .

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मुदुमलै वन्यजीव अभयारण्य

दक्षिण भारत में अपनी तरह का पहला मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य केरल-कर्नाटक सीमा पर स्थित है। 321 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य के पास ही बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान है। इन दोनों उद्यानों को मोयार नदी अलग करती है। मैसूर और ऊटी को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग इस उद्यान से होकर गुजरता है। मुदुमलाई में वन्यजीवों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलती हैं जैसे लंगूर, बाघ, हाथी, गौर और उड़ने वाली गिलहरियां। इसके अलावा यहां अनेक प्रकार के पक्षी भी देखे जा सकते हैं जैसे मालाबार ट्रॉगन, ग्रे हॉर्नबिल, क्रेस्टिड हॉक ईगल, क्रेस्टिड सरपेंट ईगल आदि। फरवरी से जून के बीच का समय यहां आने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। यहां पर वनस्पति और जन्तुओं की कुछ दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं और कई लुप्तप्राय:जानवरों भी यहां पाए जाते है। हाथी, सांभर, चीतल, हिरन आसानी से देखे जा सकते हैं। जानवरों के अलावा यहां रंगबिरंगे पक्षी भी उड़ते हुए दिखाई देते हैं। अभयारण्य में ही बना थेप्पाक्कडु हाथी कैंप बच्चों को बहुत लुभाता है। .

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कुन्नूर

कुन्नूर (तमिल: குன்னூர்) दक्षिण भारतीय राज्य तमिल नाडु के नीलगिरि जिले का एक ताल्लुका एवं नगरपालिका क्षेत्र है। यह अपने चाय उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है। कुन्नूर समुद्र सतह से १,८५० मी की ऊंचाई पर स्थित नीलगिरी पर्वतमाला का ऊटी के बाद दूसरा सबसे बड़ा पर्वतीय स्थल है। यह नीलगिरी पर्वतमाला को जाने वाले ट्रैकिंग अभियानों के लिये एक आदर्श स्थल माना जाता है। इसका निकटतम विमानक्षेत्र कोयम्बतूर अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र यहां से लगभग ५६ कि.मी दूर स्थित है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

नीलगिरी पर्वत

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