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निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल

सूची निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता है। उसका कोशिकाओं तक एवं उनसे वापस परिवहन लिपोप्रोटींस नामक वाहकों द्वारा किया जाता है। निम्न-घनत्व लिपोप्रोटीन या एलडीएल, बुरे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। उच्च-घनत्व लिपोप्रोटीन या एचडीएल, अच्छे कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। ट्राइग्लीसिराइड्स एवं Lp (a) कोलेस्ट्रॉल के साथ ये दो प्रकार के लिपिड, कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनाते हैं, जिसे रक्त परीक्षण के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। न्यूनघनत्व लिपोप्रोटीन (लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज्यादा नुकसानदायक माना जाता है। इसका उत्पादन लिवर द्वारा होता है, जो वसा को लिवर से शरीर के अन्य भागों मांसपेशियों, ऊतकों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है। यह बहुत आवश्यक है कि एल डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहे, क्योंकि इससे यह पता चलता है कि रक्त के प्रवाह में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो गई है। ऐसे में यह रक्तनली की दीवारों पर यह जमना शुरू हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं। परिणामस्वरूप हार्टअटैक की संभावना बढ़ जाती है। राष्ट्रीय कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार शरीर में एल डी एल कोलेस्ट्रॉल का स्तर १०० मिली ग्राम/डीएल से कम होना चाहिए। एलडीएल (बुरा) कोलेस्ट्रॉल अत्यधिक होता है, तो यह धीरे-धीरे हृदय तथा मस्तिष्क को रक्त प्रवाह करने वाली धमनियों की भीतरी दीवारों में जमा होता जाता है। यदि एक थक्का (क्लॉट) जमकर संकरी हो चुकी धमनी में रुकावट डाल देता है, तो इसके परिणामस्वरूप हृदयाघात या स्ट्रोक हो सकता है। .

3 संबंधों: लिपिड प्रोफाइल, वसा, कोलेस्टेरॉल

लिपिड प्रोफाइल

लिपिड प्रोफाइल परीक्षण, के अंतर्गत्त कुल कोलेस्ट्राल, उच्च घनत्व कोलेस्ट्रॉल (हाई डेनसिटी लिक्विड कोलेस्ट्राल), निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल, अति निम्न घनत्व कोलेस्ट्रॉल और ट्राय ग्लिसेराइड की जांच होती है। ये जांच नियमित रूप से हर साल करवानी चाहिये। यदि उच्च रक्तचाप की पारिवारिक इतिहास है तो पैतालीस साल की उम्र के बाद इसे जल्दी जल्दी करवा लेनी चाहिए। श्रेणी:चिकित्सकीय परीक्षण श्रेणी:कोलेस्ट्रॉल श्रेणी:मधुमेह.

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वसा

lipid एक ट्राईग्लीसराइड अणु वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसकी संतुलित मात्रा लेना ही लाभदायक है। .

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कोलेस्टेरॉल

कोलेस्ट्रॉल क्रिस्टल का सूक्ष्मदर्शी दर्शन, जल में। छायाचित्र ध्युवीकृत प्रकाश में लिया गया है। कोलेस्ट्रॉल या पित्तसांद्रव मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने में इसकी आवश्यकता होती है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं। अनाज, फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग २५ प्रतिशत उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है। कोलेस्ट्रॉल शब्द यूनानी शब्द कोले और और स्टीयरियोज (ठोस) से बना है और इसमें रासायनिक प्रत्यय ओल लगा हुआ है। १७६९ में फ्रेंकोइस पुलीटियर दी ला सैले ने गैलेस्टान में इसे ठोस रूप में पहचाना था। १८१५ में रसायनशास्त्री यूजीन चुरवेल ने इसका नाम कोलेस्ट्राइन रखा था। मानव शरीर को कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता मुख्यतः कोशिकाओं के निर्माण के लिए, हारमोन के निर्माण के लिए और बाइल जूस के निर्माण के लिए जो वसा के पाचन में मदद करता है; होती है। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में नैशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉ॰ गांग हू के अनुसार कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से पार्किंसन रोग की आशंका बढ़ जाती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एलडीएल, वीडीएल

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