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निकोलस द्वितीय

सूची निकोलस द्वितीय

निकोलस द्वितीय् निकोलस द्वितीय (रूसी: Николай II, Николай Александрович Романов, tr. Nikolai II, Nikolai Alexandrovich Romanov Nicholas II; 18 मई 1868 – 17 जुलाई 1918) रूस का अन्तिम सम्राट (ज़ार), फिनलैण्ड का ग्रैण्ड ड्यूक तथा पोलैण्ड का राजा था। उसकी औपचारिक लघु उपाधि थी: निकोलस द्वितीय, सम्पूर्ण रूस का सम्राट तथा आटोक्रैट। रूसी आर्थोडोक्स चर्च उसे करुणाधारी सन्त निकोलस कहता है। .

सामग्री की तालिका

  1. 6 संबंधों: एमिली वॉरेन रोब्लिंग, ड्यूमा, रूस का इतिहास, रूसी क्रांति, ग्रिगोरी रास्पुतिन, १९०५ की रूसी क्रांति

एमिली वॉरेन रोब्लिंग

एमिली वॉरेन रोब्लिंग का कार्ल्स -डुरान, ब्रुकलीन संग्रहालय में चित्र एमिली वॉरेन रोब्लिंग (23 सितंबर, 1843 – 28 फरवरी, 1903) को उनके पति वाशिंगटन रोब्लिंग में विसंपीडन बीमारी विकसित होने के बाद ब्रुकलिन ब्रिज पूरा करने के लिए जाना जाता है  । उसके पति के एक सिविल इंजीनियर और ब्रुकलिन ब्रिज के निर्माण के दौरान चीफ इंजीनियर थे। .

देखें निकोलस द्वितीय और एमिली वॉरेन रोब्लिंग

ड्यूमा

ड्यूमा (Duma) रूस के ज़ार निकोलस द्वितीय द्वारा निर्मित सरकारी संस्थायें थीं। .

देखें निकोलस द्वितीय और ड्यूमा

रूस का इतिहास

आधुनिक रूस का इतिहास पूर्वी स्लाव जाति से शुरू होता है। स्लाव जाति जो आज पूर्वी यूरोप में बसती है का सबसे पुराना गढ़ कीव था जहाँ ९वीं सदी में स्थापित कीवी रुस साम्राज्य आधुनिक रूस की आधारशिला के रूप में माना जाता है। हाँलांकि उस क्षेत्र में इससे पहले भी साम्राज्य रहे थे पर वे दूसरी जातियों के थे और उन जातियों के लोग आज भी रूस में रहते हैं - ख़ज़र और अन्य तुर्क लोग। कीवि रुसों को मंगोलों के महाभियान में १२३० के आसपास परास्त किया गया लेकिन १३८० के दशक में मंगोलों का पतन आरंभ हुआ और मॉस्को (रूसी भाषा में मॉस्कवा) का उदय एक सैन्य राजधानी के रूप में हुआ। १७वीं से १९वीं सदी के मध्य में रूसी साम्रज्य का अत्यधिक विस्तार हुआ। यह प्रशांत महासागर से लेकर बाल्टिक सागर और मध्य एशिया तक फैल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में रूस को ख़ासी आंतरिक कठिनाइयों का समना करना पड़ा और १९१७ की बोल्शेविक क्रांति के बाद रूस युद्ध से अलग हो गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में अपराजेय लगने वाली जर्मन सेना के ख़िलाफ अप्रत्याशित अवरोध तथा अन्ततः विजय प्रदर्शित करन के बाद रूस तथा वहाँ के साम्यवादी नायक जोसेफ स्टालिन की धाक दुनिया की राजनीति में बढ़ी। उद्योगों की उत्पादक क्षमता और देश की आर्थिक स्थिति में उतार चढ़ाव आते रहे। १९३० के दशके में ही साम्यवादी गणराज्यों के समूह सोवियत रूस का जन्म हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद शीत युद्ध के काल के गुजरे इस संघ का विघटन १९९१ में हो गया। .

देखें निकोलस द्वितीय और रूस का इतिहास

रूसी क्रांति

सन १९१७ की रूस की क्रांति विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसके परिणामस्वरूप रूस से ज़ार के स्वेच्छाचारी शासन का अन्त हुआ तथा रूसी सोवियत संघात्मक समाजवादी गणराज्य (Russian Soviet Federative Socialist Republic) की स्थापना हुई। यह क्रान्ति दो भागों में हुई थी - मार्च १९१७ में, तथा अक्टूबर १९१७ में। पहली क्रांति के फलस्वरूप सम्राट को पद-त्याग के लिये विवश होना पड़ा तथा एक अस्थायी सरकार बनी। अक्टूबर की क्रान्ति के फलस्वरूप अस्थायी सरकार को हटाकर बोलसेविक सरकार (कम्युनिस्ट सरकार) की स्थापना की गयी। 1917 की रूसी क्रांति बीसवीं सदी के विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही। 1789 ई.

देखें निकोलस द्वितीय और रूसी क्रांति

ग्रिगोरी रास्पुतिन

ग्रिगोरी रास्पुतिन (p) एक रूसी किसान, एक अनुभवी यात्री, एक रहस्यवादी आस्था चिकित्सक, और रूसी साम्राज्य के अंतिम त्सार, निकोलस द्वितीय के परिवार के एक विश्वसनीय मित्र थे। वे सेंट पीटर्सबर्ग में एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गएँ, ख़ासकर अगस्त १९१५ के पश्चात्, जब निकोलस ने प्रथम विश्व युद्ध में युद्धरत सेना की कमान संभाली। असंख्य आध्यात्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर त्सार की पत्नी Alexandra Feodorovna को सलाह देते हुयें, रास्पुतिन रूसी राष्ट्रवादियों, उदारवादियों और अभिजातों के लिए एक आसान बलि का बकरा बन गएँ। रास्पुतिन के जीवन और उनका कमज़ोर इच्छाशक्ति वाले त्सार और हठी त्सारिना पर कितना प्रभाव था, इन बातों को लेकर बहुत अनिश्चितता हैं। वर्णन अक्सर संदिग्ध संस्मरणों, अफ़वाहों और किंवदंती पर आधारित हैं। भले उनके प्रभाव और स्तर की अतिशयोक्ति हुई हो — रास्पुतिन शक्ति, ऐयाशी और हवस का समानार्थी बन गएँ — उनकी उपस्थिति ने शाही दम्पति की बढ़ती अलोकप्रियता में अहम भूमिका निभाई। रास्पुतिन की हत्या राजतन्त्रवादियों द्वारा हुई, जिन्हें शाही परिवार पर रास्पुतिन के असर को ख़त्म कर, त्सारवाद को बचाने की उम्मीद थी। आचार्य रास्पुतिन .

देखें निकोलस द्वितीय और ग्रिगोरी रास्पुतिन

१९०५ की रूसी क्रांति

सन १९०५ में रूसी साम्राज्य के एक विशाल भाग में राजनीति एवं सामाजिक जनान्दोलन हुए जिन्हें १९०५ की रूसी क्रान्ति कहते हैं। यह क्रान्ति कुछ सीमा तक सरकार के विरुद्ध थी और कुछ सीमा तक दिशाहीन। श्रमिकों ने हड़ताल किये, किसान आन्दोलित हो उठे, सेना में विद्रोह हुआ। इसके फलस्वरूप कई संवैधानिक सुधार किये गये जिसमें मुख्य हैं- रूसी साम्राज्य के ड्युमा की स्थापना, बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था, १९०६ का रूसी संविधान। .

देखें निकोलस द्वितीय और १९०५ की रूसी क्रांति

जार निकोलस के रूप में भी जाना जाता है।