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नांदेड़

सूची नांदेड़

नांदेड़ महाराष्ट्र राज्य का एक शहर है। दक्कन का पठार में गोदावरी नदी के तट पर बसा नांदेड़ महाराष्ट्र का प्रमुख शहर है। औरंगाबाद के बाद यह राज्य का सबसे बड़ा शहर है। नंदा तट के कारण इस शहर का नाम नांदेड़ पड़ा। सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व में नंदा तट मगध साम्राज्य की सीमा थी। प्राचीन काल में यहां सातवाहन, बादामी के चालुक्यों, राष्ट्रकूटों और देवगिरी के यादवों का शासन था। मध्यकाल में बहमनी, निजामशाही, मुगल और मराठों ने यहां शासन किया। जबकि आधुनिक काल में यहां हैदराबाद के निजामों और अंग्रेजों का अधिकार रहा। प्राचीन काल में यह शहर वेदांत की शिक्षा, शास्त्रीय संगीत, नाटक, साहित्य और कला का प्रमुख केन्द्र था। सिख तीर्थस्थल के रूप में शहर काफी चर्चित है। नांदेड़ स्थित सचखंड गुरूद्वारा यहां आने वाले पर्यटकों के केन्द्र में रहता है। गुरू गोविन्द सिंह का जन्मदिन यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राज्य सरकार ने इसे पवित्र शहर घोषित कर रखा है। प्रारंभ में नदीग्राम नाम से चर्चित यह शहर मुम्बई से 650 किलोमीटर और हैदराबाद से 270 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। .

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सामग्री की तालिका

  1. 21 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, नदियों पर बसे भारतीय शहर, नांदेड़ जिला, नांदेड़ विमानक्षेत्र, बन्दा सिंह बहादुर, बुरहानपुर, बीदर, भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, मराठवाड़ा, मराठवाडा, राष्ट्रीय सिख संगत, रेडियो सिटी, सचखंड एक्स्प्रेस 12715, स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, हजूर साहिब, जमदग्नि ऋषि, विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V, गुरु गोबिन्द सिंह, अबचलनगर साहिब, नांदेड़, अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

देखें नांदेड़ और चौदहवीं लोकसभा

नदियों पर बसे भारतीय शहर

नदियों के तट पर बसे भारतीय शहरों की सूची श्रेणी:भारत के नगर.

देखें नांदेड़ और नदियों पर बसे भारतीय शहर

नांदेड़ जिला

नांदेड़ जिला (मराठी: नांदेड जिल्हा), भारत के राज्य महाराष्ट्र का एक प्रशासनिक जिला है। नांदेड़ शहर, जिले का मुख्यालय है। जिले का क्षेत्रफल 10502 वर्ग किमी है, जबकि 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2876259 थी जिसमें से 23.96% जनसंख्या शहरी थी। पवित्र नदी गोदावरी जिले से होकर बहती है। नांदेड़ जिला, औरंगाबाद मंडल में आता है और मराठवाड़ा क्षेत्र के पूर्वी भाग में स्थित है। जिला पूर्व में आंध्र प्रदेश के निज़ामाबाद, मेडक और आदिलाबाद जिलों से घिरा है, मराठवाड़ा के परभणी और लातूर जिले इसके पश्चिम में, विदर्भ क्षेत्र का यवतमाल जिला उत्तर में और कर्नाटक का बीदर जिला इसके दक्षिण में स्थित है। नांदेड़ के लोगों के व्यवहार, भाषा और आचरण पर आंध्र, कर्नाटक और विदर्भ का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। .

देखें नांदेड़ और नांदेड़ जिला

नांदेड़ विमानक्षेत्र

नांदेड़ विमानक्षेत्र नांदेड़ में स्थित है। इसका ICAO कोडहै VAND और IATA कोड है NDC। यह एक Priv.

देखें नांदेड़ और नांदेड़ विमानक्षेत्र

बन्दा सिंह बहादुर

बन्दा सिंह बहादुर बैरागी एक सिख सेनानायक थे। उन्हें बन्दा बहादुर, लक्ष्मन दास और माधो दास भी कहते हैं। वे पहले ऐसे सिख सेनापति हुए, जिन्होंने मुग़लों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा; छोटे साहबज़ादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा संकल्पित प्रभुसत्तासम्पन्न लोक राज्य की राजधानी लोहगढ़ में ख़ालसा राज की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने गुरु नानक देव और गुरू गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक बनाया। .

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बुरहानपुर

बुरहानपुर भारत के मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। बुरहानपुर मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित एक नगर है। यह ख़ानदेश की राजधानी था। इसको चौदहवीं शताब्दी में ख़ानदेश के फ़ारूक़ी वंश के सुल्तान मलिक अहमद के पुत्र नसीर द्वारा बसाया गया। .

देखें नांदेड़ और बुरहानपुर

बीदर

बीदर दुर्ग के प्रवेशद्वार के पास बीदर कर्नाटक प्रान्त का एक शहर एवं जिला है। इसके उत्तर में नांदेड़ तथा उस्मानाबाद, पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिय में उस्मानाबाद, दक्षिण में गुलबर्गा तथा पूर्व में मेदक जिले स्थित हैं। इसके मध्य में २,३५० फुट ऊँचा पठार है। यहाँ का जलवायु शुष्क तथा स्वास्थ्यप्रद है। वर्षा का वार्षिक औसत ३७ इंच है। कृषि में ज्वार, गेहूँ, धान, बाजरा, कपास तथा तिलहन उगाए जाते हैं। .

देखें नांदेड़ और बीदर

भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची

इस लेख में भारत के सर्वोच्च सौ महानगरीय क्षेत्रों की सूची (२००८ अनुसार) है। इन सौ महानगरों की संयुक्त जनसंख्या राष्ट्र की कुल जनसंख्या का सातवां भाग बनाती है। .

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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मराठवाड़ा

right मराठवाडा भारत के महाराष्ट्र प्रदेश का एक एक क्षेत्र हैं। यह क्षेत्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद विभाग के जिलो को मिला कर बनता हैं। .

देखें नांदेड़ और मराठवाड़ा

मराठवाडा

मराठवाडा: मध्य महाराष्ट्र का एक संभाग है जो गोदावरी के घाटी में बसे आठ जिलों से बना है। इस संभाग का मुख्य शहर औरंगाबाद है। नांदेड, लातूर इस इलाके के अन्य महानगर है। मराठवाडा हमेशा से गुलाम रहा है। मराठवाडा के ऊपर निजामोंने जूर्म किया। और अब हम महाराष्ट्र में बिन शर्त शामिल हुए क्योंकी हमें विकास की जरूरत थी। फिर भी हमारे ऊपर जुर्म कम नही हुआ । इसलिए अब मराठवाडा राज्य होना ही चाहिए .

देखें नांदेड़ और मराठवाडा

राष्ट्रीय सिख संगत

राष्ट्रीय सिख संगत एक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था है जो गुरू ग्रन्थ साहब के सन्देशों को पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसारित करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। संगत का मानना है कि गुरू ग्रन्थ साहब केवल सिखों का ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का पवित्र धर्मग्रन्थ है। राष्ट्रीय सिख संगत पूरी तरह सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच है, न कि पांथिक। इसका मुख्य उद्देश्य है सामाजिक समरसता पैदा करना और सिख परम्परा, सिख इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना। उल्लेखनीय है कि सिखों का बड़ा तेजस्वी इतिहास रहा है। देश और धर्म के लिए मर मिटने की परम्परा इनकी रही है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी देश-पंथ के लिए शहीद हुए हैं। गुरु गोविन्द सिंह जी के दो पुत्रों जोरावर सिंह (9) तथा फतेह सिंह (7) को मुगलों ने दीवार में चुनवा दिया था। अपने अन्य दो पुत्रों-अजीत सिंह और जुझार सिंह को गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने हाथों से युद्ध के लिए सजाया था और मुगलों की भारी-भरकम सेना के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारा था। वे दोनों साहिबजादे भी बड़े वीर थे। युद्ध के मैदान में वीरता दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। सच कहा जाए जो ऐसे ही वीरों और शहीदों के कारण मुगलों के अत्याचारों से उत्तर भारत में हिन्दुओं की रक्षा हो पाई। नहीं तो क्या होता, इसको अलकाधर खान योगी ने कहा है- सिखों के इसी इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य राष्ट्रीय सिख संगत पिछले 25 साल से कर रही है। इस निमित्त पूरे देश में संगोष्ठियां एवं अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। .

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रेडियो सिटी

150px रेडियो सिटी भारत का एक गैर शासकीय रेडियो स्टेशन है। इसका प्रसारण ९१.१ मेगाहर्ट्ज़ पर होता है। इस रेडियो स्टेशन कि शुरुआत सबसे पहले मुंबई से २००४ में हुई। अब यह भारत के कई शहरों और महानगरों में एक प्रचलित रेडियो स्टेशन है। इसकीं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिस.

देखें नांदेड़ और रेडियो सिटी

सचखंड एक्स्प्रेस 12715

सचखंड एक्सप्रेस का संचालन भारतीय रेलवे के द्वारा किया जाता हैं। यह महाराष्ट्र के नांदेड से पंजाब के अमृतसर के बीच चलती हैं यह ट्रेन सिखों के दो महतवपूर्ण धार्मिक जगहों को आपस में जोडती हैं। इस ट्रेन का नाम सचखंड साहिब गुरुद्वारे पर रखा गया है जो नांदेड में स्थित हैं। यह ट्रेन भारत की राजधानी दिल्ली को महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्रों नांदेड़,परभणी एवं जालना से जोडती है। .

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स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय

स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (मराठी: स्वामी रामानन्द तीर्थ मराठवाडा विद्यापीठ) महाराष्ट्र के नान्देड़ में स्थित है। इसकी स्थापना १९९४ में की गयी थी। .

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हजूर साहिब

हजूर साहिब, सिखों के ५ तखतों में से एक है। यह नान्देड नगर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। इसमें स्थित गुरुद्वारा 'सच खण्ड' कहलाता है। .

देखें नांदेड़ और हजूर साहिब

जमदग्नि ऋषि

जमदग्नि ऋषि जमदग्नि ऋषि एक ऋषि थे, जो भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे तथा जिनकी गणना सप्तऋषियों में होती है। पुराणों के अनुसार इनकी पत्नी रेणुका थीं, व इनका आश्रम सरस्वती नदी के तट पर था। वैशाख शुक्ल तृतीया इनके पांचवें प्रसिद्ध पुत्र प्रदोषकाल में जन्मे थे जिन्हें परशुराम के नाम से जाना जाता है। .

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विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V

प्रविष्टियों का प्रारूप है.

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गुरु गोबिन्द सिंह

गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म: २२ दिसम्बर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है। उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों (जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ १४ युद्ध लड़े। धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान उन्होंने किया, जिसके लिए उन्हें 'सर्वस्वदानी' भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में ५२ कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। गुरुजी की मान्यता थी कि मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। वे अपनी वाणी में उपदेश देते हैं भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन। वे बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है। .

देखें नांदेड़ और गुरु गोबिन्द सिंह

अबचलनगर साहिब, नांदेड़

महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित सिख पंथ के 10वें गुरु गोबिंदसिंह के पवित्र स्थान जिसे सिख पंथ के पाँच तखत साहिबान में से एक शिरोमणी तखत सचखंड श्रीहजूर अबचलनगर साहिब कहा जाता है। श्रीगुरु गोबिंदसिंह जी के आलौकिक जीवन के अंतिम क्षणों से संबंधित यह पवित्र स्थान सिख पंथ के पाँच तखत साहिबान में से एक शिरोमणी तखत है। जिसकी प्रसिद्धि भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में है। .

देखें नांदेड़ और अबचलनगर साहिब, नांदेड़

अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन मराठी भाषा के लेखकों का वार्षिक साहित्यिक सम्मेलन है।प्रथम मराठी साहित्य सम्मेलन १८७८ ई में पुणे में हुआ था जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानडे ने की थी। .

देखें नांदेड़ और अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन

नान्देड़, नांदेड के रूप में भी जाना जाता है।