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धारिता

सूची धारिता

thumb किसी चालक की वैद्युत धारिता (कैपेसिटी या कैपेसिटेंस), उस चालक की वैद्युत आवेश का संग्रहण करने की क्षमता की माप होती है। जब किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो उसका वैद्युत विभव आवेश के अनुपात में बढता जाता है। यदि किसी चालक को q आवेश देने पर उसके विभव में V वृद्धि हो, तो जहाँ C एक नियतांक है जिसका मान चालक के आकार, समीपवर्ती माध्यम तथा पास में अन्य चालकोँ की उपस्थिति पर निर्भर करता है। इस नियतांक को 'वैद्युत धारिता' कहते हैँ। ऊपर के समीकरण q .

20 संबंधों: त्वरणमापी, परावैद्युत, फैरड, भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली, भौतिक गुण, मापन, मापन एवं जाँच के एलेक्ट्रानिक उपकरण, मापन के मात्रक, माइक्रोफोन, मिलर प्रभाव, श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम परिपथ, संधारित्र, हेनरी कैवेंडिश, विद्युत अपघट्य संधारित्र, विद्युत उपकरण, विद्युतदर्शी, वैद्युत तथा एलेक्ट्रानिक मापक यंत्र, वैद्युत प्रतिघात, अतिसंधारित्र, अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा

त्वरणमापी

कोई भी ऐसी युक्ति जो त्वरण मापने के काम आती है, त्वरणमापी (accelerometer) कहलाती है। प्रायः ये विद्युतयांत्रिक (एलेक्ट्रोमेकैनिकल) युक्तियाँ होती हैं जो त्वरण के संगत उपयुक्त वैद्युत संकेत (विभवान्तर या धारा) प्रदान करती हैं। .

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परावैद्युत

विद्युत क्षेत्र लगाने पर परावैद्युत पदार्थ का ध्रुवण (पोलराइजेशन) उन कुचालक पदार्थों को परावैद्युत (dielectric) कहते हैं जिनके अन्दर विद्युत क्षेत्र पैदा करने पर (या जिन्हें विद्युत क्षेत्र में रखने पर) वे ध्रुवित हो जाते हैं। कुचालक (इंसुलेटर) से आशय उन सभी पदार्थों से है जिनकी प्रतिरोधकता अधिक (या विद्युत चालकता कम) होती है किन्तु परावैद्युत पदार्थ वे हैं जो कुचालक होने के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में ध्रुवण का गुण भी प्रदर्शित करते हैं। किसी पदार्थ के ध्रुवण की मात्रा को उसके परावैद्युत स्थिरांक (dielectric constant) या परावैद्युतांक से मापा जाता है। परावैद्युत पदार्थों का एक प्रमुख उपयोग संधारित्र की प्लेटों के बीच में किया जाता है ताकि समान आकार में अधिक धारिता मिले। पॉलीप्रोपीलीन एक परावैद्युत पदार्थ है। .

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फैरड

फैरड (Farad; संकेत F) धारिता की इकाई है। यह नाम अंग्रेज भौतिकशास्त्री माइकल फैराडे के नाम पर पड़ा है। फैराड बहुत बड़ी इकाई है। अतः व्यवहार में माइक्रोफैराड, नैनोफैराड और पिकोफैराड आदि ही अधिक प्रयुक्त होते हैं। | .

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भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली

(abscissa) किसी ग्राफ पर किसी बिन्दु की Y-अक्ष से लम्बवत दूरी; इसे X-निर्देशांक भी कहते हैं। प्रति-कण (antiparticle) A counterpart of a subatomic particle having opposite properties (except for equal mass)। द्वारक (aperture) Any opening through which radiation may pass.

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भौतिक गुण

किसी भौतिक प्रणाली के किसी भी मापने योग्य गुण को भौतिक गुण (physical property) कहते हैं जो उस प्रणाली की बहुतिक अवस्था का सूचक है। इसके विपरीत वे गुण जो यह बताते हैं कि कोई वस्तु किसी रासायनिक अभिक्रिया में कैसा व्यवहार करती है, उसका रासायनिक गुण कहलाती है। .

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मापन

मापन के चार उपकरण किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है। उदाहरण के लिये जब हम कहते हैं कि किसी पेड़ की उँचाई १० मीटर है तो हम उस पेड़ की उचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं। यहाँ मीटर एक मानक मात्रक है जो भौतिक राशि लम्बाई या दूरी के लिये प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार समय का मात्रक सेकण्ड, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम आदि हैं। .

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मापन एवं जाँच के एलेक्ट्रानिक उपकरण

एक डिजिटल ऑसिलोस्कोप विद्युत एवं एलेक्ट्रानिक कार्य के लिये बहुत से उपकरण लगते हैं जो मापन, जाँच, सिगनल पैदा करने (संकेत-जनक), सिगनल का स्वरूप देखने आदि के काम आते हैं। .

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मापन के मात्रक

चार मापन युक्तियाँ मापन के सन्दर्भ में मात्रक या इकाई (unit) किसी भौतिक राशि की एक निश्चित मात्रा को कहते हैं जो परिपाटी या/और नियम द्वारा पारिभाषिक एवं स्वीकृत की गई हो तथा जो उस भौतिक राशि के मापन के लिए मानक के रूप में प्रयुक्त होती हो। उस भौतिक राशि की कोई भी अन्य मात्रा इस 'इकाई' के एक गुणक के रूप में व्यक्त की जाती है। उदाहरण के लिए लम्बाई एक भौतिक राशि है। 'मीटर' लम्बाई का मात्रक है जो एक निश्चित पूर्वनिर्धारित दूरी के बराबर होता है। जब हम कहते हैं कि अमुक दूरी '४७ मीटर' है तो इसका अर्थ है कि उक्त दूरी १ मीटर के ४७ गुना है। प्राचीन काल से ही मात्रकों की परिभाषा करना, उन पर सहमति करना, उनका व्यावहारिक उपयोग करना आदि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विभिन्न स्थानों एवं कालों में मात्रकों की विभिन्न प्रणालियाँ होना एक सामान्य बात थी। किन्तु अब एक वैश्विक मानक प्रणाली अस्तित्व में है जिसे 'अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली' (International System of Units (SI)) कहते हैं। .

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माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

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मिलर प्रभाव

इलेक्ट्रॉनिकी में, किसी इन्वर्टिंग वोल्टेज प्रवर्धक की तुल्य इनपुट प्रतिबाधा उस प्रतिबाधा से बहुत कम होती है जो प्रत्यक्ष दिखती है। वास्तव में उस प्रवर्धक के इनपुट तथा आउटपुट सिरों के बीच जो धारिता C होती है वह इसमें महती भूमिका निभाती है। इस प्रभाव को मिलर प्रमेय की सहायता से बड़ी आसानी से समझा जा सकता है और इसी लिए इसे मिलर प्रभाव (Miller effect) कहते हैं। .

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श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम परिपथ

एक श्रेणीक्रम परिपथ बहुत से विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक घटकों या अवयवों को जोड़कर विद्युत परिपथ बनते हैं। परिपथों में घटक दो प्रकार से जोड़े जा सकते हैं: श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम में। जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणीक्रम में जुड़े हों, उसे श्रेणी परिपथ और जिस परिपथ में सभी घटक समानांतर क्रम में जुड़े हों उसे समानांतर परिपथ कहा जा सकता है। श्रेणी परिपथ में हरेक घटक से समान धारा प्रवाहित होती हैरेस्निक, रॉबर्ट एवं हलिडे, डेविड, फ़िज़िक्स, अध्याय ३२, उदाहरण १(खण्ड I एवं II, संयुक्त संस्करण), जबकि समानांतर परिपथ में हरेक घटक पर समान वोल्टता उपलब्ध होती है।रेस्निक, रॉबर्ट एवं हलिडे, डेविड, फ़िज़िक्स, अध्याय ३२, उदाहरण ४ (खण्ड I एवं II, संयुक्त संस्करण) श्रेणी परिपथों में प्रत्येक घटक का कार्यरत रहना आवश्यक है, अन्यथा परिपथ टूट जायेगा। श्रेणीक्रम परिपथों में कोई भी घटक खराब होने पर भी शेष घटक कार्य करते रहेंगे, किन्तु किसी भी घटक को शॉर्ट सर्किट होने पर पूरा परिपथ शॉर्ट-सर्किट हो सकता है। यदि किसी परिपथ में किसी स्थान पर १० ओम के प्रतिरोध की आवश्यकता है किन्तु वह उपलब्ध नहीं है किन्तु ५-५ ओम के दो प्रतिरोध सुलभ हैं तो इनको श्रेणीक्रम में जोड़कर लगाया जा सकता है। इसी प्रकार यदि २०-२० ओम के दो प्रतिरोध उपलब्ध होने पर उन्हें समान्तरक्रम में जोड़ देने से १० ओम का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त हो जाता है। डेढ़-दो वोल्ट सहन कर सकने वाले सैकड़ों बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़कर २३० वोल्ट से घरेलू बिजली से उनको जगमगाया जाता है। कहीं पर २४ वोल्ट की जरूरत हो तो १२ वोल्ट वाली दो बैटरियों को श्रेणीक्रम में जोड़कर २४ वोल्ट प्राप्त किया जा सकता है। परिपथों में भिन्न प्रकार के अवयव भी श्रेणीक्रम या समान्तरक्रम में जुड़े हो सकते हैं उदाहरण के लिये डायोड की रक्षा के लिये उसके श्रेणीक्रम में उपयुक्त मान का फ्यूज लगा दिया जाता है; या पंखे को चालू/बंद करने के लिये उसके श्रेणीक्रम में एक स्विच डाला जाता है। इसी तरह किसी विद्युत-अपघट्टीय संधारित्र में उल्टी दिशा में वोल्टता न लग जाये इसके लिये उसके समान्तरक्रम में एक डायोड (उचित पोलैरिटी में) डाल दिया जाता है। किसी स्थान पर २ अम्पीयर धारा वहन कर सकने वाला डायोड लगाना हो तो १ एम्पीयर धारा वहन कर सकने वाले दो डायोड समान्तरक्रम में लगा देने से भी काम चल सकता है। .

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संधारित्र

विभिन्न प्रकार के आधुनिक संधारित्र समान्तर प्लेट संधारित्र का एक सरल रूप संधारित्र या कैपेसिटर (Capacitor), विद्युत परिपथ में प्रयुक्त होने वाला दो सिरों वाला एक प्रमुख अवयव है। यदि दो या दो से अधिक चालकों को एक विद्युत्रोधी माध्यम द्वारा अलग करके समीप रखा जाए, तो यह व्यवस्था संधारित्र कहलाती है। इन चालकों पर बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं। यदि संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा जाए, तो इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होगा, परंतु इसकी प्लेटों पर बराबर मात्रा में घनात्मक एवं ऋणात्मक आवेश संचय हो जाएँगे। विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है। संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर डीसी धारा नही बह सकती। संधारित्र की धारा और उसके प्लेटों के बीच में विभवान्तर का सम्बन्ध निम्नांकित समीकरण से दिया जाता है- जहाँ: .

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हेनरी कैवेंडिश

हेनरी कैवेंडिश (10 अक्टूबर 1731 - 24 फ़रवरी 1810) एक ब्रिटिश प्राकृतिक दार्शनिक, वैज्ञानिक, और एक महत्वपूर्ण प्रायोगिक और सैद्धांतिक रसायनज्ञ और भौतिक विज्ञानी था। कैवेंडिश उसकी हाइड्रोजन की खोज या जिन्हें वह "ज्वलनशील हवा" कहा करते थे के लिए विख्यात है।Cavendish, Henry (1766).

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विद्युत अपघट्य संधारित्र

प्रायः उपयोग में आने वाले टैंटलम एलेक्ट्रोलाइटिक संधारित्र तथा अलुमिनियम एलेक्ट्रोलाइटिक संधारित्र विद्युत अपघट्य संधारित्र' (electrolytic capacitor) संधारित्र का एक प्रकार है जिसके दोनो प्लेटों के बीच कोई समुचित विद्युत अपघट्य (electrolyte) का प्रयोग किया जाता है। विद्युत अपघट्य के प्रयोग के कारण विद्युत अपघट्य संधारित्र की धारिता समान आकार के अन्य संधारित्रों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। इस तरह के संधारित्र अपेक्षाकृत अधिक धारा तथा कम आवृत्ति के विद्युत परिपथों में उपयोग में लाये जाते हैं। अधिक आवृत्ति की स्थिति में ये उपयोगी नहीं होते। विद्युत अपघट्य संधारित्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -.

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विद्युत उपकरण

एक वोल्टमापी, जिसके सभी अवयव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। किसी पॉवर सप्लाई में लगे हुए अमीटर और वोल्टमीटर वर्तमान समय में अधिकांश उपकरण डिजिटल हो गये हैं। एक '''डिजिटल बहुमापी''' (मल्टीमीटर) विद्युत का उपयोग बहुत समय से होता आ रहा है और निरंतर अन्वेषण कार्य के फलस्वरूप आज के युग में अनेक प्रकार के विद्युत् उपकरणों (Electrical Instruments) का प्रयोग होने लगा है। .

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विद्युतदर्शी

विद्युत्दर्शी (Electroscopoe) का प्रयोग विद्युत आवेश के संसूचन और मापन में होता है। विद्युत्दर्शी सबसे प्राचीन विद्युत उपकरण है। सन् १७८७ के पहले कई प्रकार के विद्युत्दर्शी बने जो मुख्यत: आवेशित पिथ गुट का (सरकंडे के गूदे की गोली) के प्रतिकर्षण का उपयोग करते थे। .

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वैद्युत तथा एलेक्ट्रानिक मापक यंत्र

नीचे वैद्युत तथा एलेक्ट्रॉनिक मापक यंत्रों की सूची दी गयी है: श्रेणी:मापन उपकरण श्रेणी:विद्युत उपकरण श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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वैद्युत प्रतिघात

विद्युत प्रणालियों तथा इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में, किसी अवयव द्वारा धारा अथवा वोल्टता के परिवर्तन के विरोध को उस अवयव का प्रतिघात (रिएक्टैंस) कहते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र, धारा के परिवर्तन का विरोध करता है जबकि विद्युत क्षेत्र, वोल्टता के परिवर्तन का। वैद्युत प्रतिघात की संकल्पना कई अर्थों में वैद्युत प्रतिरोध के समान है, किन्तु कुछ अर्थों में भिन्न भी है। .

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अतिसंधारित्र

अतिसंधारित्र (supercapacitor (SC)) वे संधारित्र हैं जिनकी धारिता अन्य प्रकार के संधारित्रों की तुलना में बहुत अधिक होती है। अपने इस गुण के कारण इनका उपयोग वहाँ होता है जिसकी ऊर्जा-आवश्यकताएँ विद्युत अपघट्य संधारित्र से अधिक किन्तु तथा पुनर्भरणीय बैटरी से कम होतीं है। अतिसंधारित्र अपेक्षाकृत बहुत कम वोल्टेज तक ही आवेशित किये जा सकते है (अथवा उनकी वोल्टता धारण की सीमा कम होती है।) विद्युत-अपघट्य संधारित्रों की तुलना में अतिसंधारित्रों की (प्रति आयतन, या प्रति किलोग्राम) ऊर्जा-संग्रह की क्षमता सामान्यतः १० से १०० गुना तक अधिक होती है। इसके अलावा वे पुनर्भरणीय बैटरी की तुलना में बहुत तेज गति से आवेशित एवं अनावेशित किये जा सकते हैं और उनकी तुलना में बहुत अधिक बार आवेशित-अनावेशित किये जा सकते हैं। .

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अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा

ट्रान्समिशन लाइन का योजनामूलक निरूपण, जिसमें Z_0 अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा है। किसी समांगी विद्युत-लाइन की अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा (characteristic impedance) या सर्ज प्रतिबाधा (surge impedance) इस लाइन के अनन्त लम्बाई (काल्पनिक) में प्रवाहित वोल्तता एवं धारा के अनुपात के बराबर होती है। इसे Z_0 से निरूपित किया जाता है। यह स्थिति सीमित लम्बाई की लाइन में भी सम्भव है यदि किसी उपाय से परावर्तन (reflections) शून्य बना दिया जाय। अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा की एसआई मात्रक ओम है। किसी क्षयहीन लाइन के लिये अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा का मान पूर्णत: वास्तविक संख्या आती है अर्थात इसमें कोई काल्पनिक भाग नहीं होता। (Z_0.

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निवर्तमानआने वाली
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