सामग्री की तालिका
9 संबंधों: झारखंड आंदोलन, परावर्तन (धर्म), प्रमुख धार्मिक समूह, प्रकाशवीर शास्त्री, मदर टेरेसा, लव जिहाद, सैंट पैट्रिक दिवस, विश्व में बौद्ध धर्म, आर एल फ्रांसिस।
झारखंड आंदोलन
झारखंड का अर्थ है "वन क्षेत्र", झारखंड वनों से आच्छादित छोटानागपुर के पठार का हिस्सा है जो गंगा के मैदानी हिस्से के दक्षिण में स्थित है। झारखंड शब्द का प्रयोग कम से कम चार सौ साल पहले सोलहवीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। अपने बृहत और मूल अर्थ में झारखंड क्षेत्र में पुराने बिहार के ज्यादतर दक्षिणी हिस्से और छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ आदिवासी जिले शामिल है। देश की लगभग नब्बे प्रतिशत अनुसूचित जनजाति का यह निवास स्थल है। इस आबादी का बड़ा हिस्सा 'मुंडा', 'हो' और 'संथाल' आदि जनजातियों का है, लेकिन इनके अलावे भी बहुत सी दूसरी आदिवासी जातियां यहां मौजूद हैं जो इस झारखंड आंदोलन में काफी सक्रिय रही हैं। चूँकि झारखंड पठारी और वनों से आच्छादित क्षेत्र है इसलिये इसकी रक्षा करना तुलनात्मक रूप से आसान है। परिणामस्वरुप, पारंपरिक रूप से यह क्षेत्र सत्रहवीं शताब्दी के शुरुआत तक, जब तक मुगल शासक यहाँ नहीं पहुँचे, यह क्षेत्र स्वायत्त रहा है। मुगल प्रशासन ने धीरे धीरे इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करना शुरु किया और फलस्वरुप यहाँ की स्वायत्त भूमि व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन हुआ, सारी व्यवस्था ज़मींदारी व्यवस्था में बदल गयी जबकि इससे पहले यहाँ भूमि सार्वजनिक संपत्ति के रूप में मानी जाती थी। यह ज़मींदारी प्रवृति ब्रिटिश शासन के दौरान और भी मज़बूत हुई और जमीने धीरे धीरे कुछ लोगों के हाथ में जाने लगीं जिससे यहाँ बँधुआ मज़दूर वर्ग का उदय होने लगा। ये मजदूर हमेशा कर्ज के बोझ तले दबे होते थे और परिणामस्वरुप बेगार करते थे। जब आदिवासियों के ब्रिटिश न्याय व्यवस्था से कोई उम्मीद किरण नहीं दिखी तो आदिवासी विद्रोह पर उतर आये। अठारहवीं शताब्दी में कोल्ह, भील और संथाल समुदायों द्वारा भीषण विद्रोह किया गया। अंग्रेजों ने बाद मेंउन्निसवीं शताब्दी और बीसवीं शताब्दी में कुछ सुधारवादी कानून बनाये। 1845 में पहली बार यहाँ ईसाई मिशनरियों के आगमन से इस क्षेत्र में एक बड़ा सांस्कृतिक परिवर्तन और उथल-पुथल शुरु हुआ। आदिवासी समुदाय का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा ईसाईयत की ओर आकृष्ट हुआ। क्षेत्र में ईसाई स्कूल और अस्पताल खुले। लेकिन ईसाई धर्म में बृहत धर्मांतरण के बावज़ूद आदिवासियों ने अपनी पारंपरिक धार्मिक आस्थाएँ भी कायम रखी और ये द्वंद कायम रहा। झारखंड के खनिज पदार्थों से संपन्न प्रदेश होने का खामियाजा भी इस क्षेत्र के आदिवासियों को चुकाते रहना पड़ा है। यह क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा खनिज क्षेत्र है जहाँ कोयला, लोहा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और इसके अलावा बाक्साईट, ताँबा चूना-पत्थर इत्यादि जैसे खनिज भी बड़ी मात्रा में हैं। यहाँ कोयले की खुदाई पहली बार 1856 में शुरु हुआ और टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनीकी स्थापना 1907 में जमशेदपुर में की गई। इसके बावजूद कभी इस क्षेत्र की प्रगति पर ध्यान नहीं दिया गया। केंद्र में चाहे जिस पार्टी की सरकार रही हो, उसने हमेशा इस क्षेत्र के दोहन के विषय में ही सोचा था। .
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परावर्तन (धर्म)
बलपूर्वक किसी अन्य धर्म में दीक्षित हिंदुओं को पुनः हिंदू धर्म में वापस लाने को परावर्तन या परावर्तन संस्कार कहा जाता है। मध्ययुग में सर्वप्रथम स्वामी रामानन्दाचार्य ने परावर्तन कार्यक्रम चलाया था। आधुनिक काल में आर्य समाज ने इसे आगे बढ़ाया। वर्तमान समय में विश्व हिन्दू परिषद एवं अन्य हिन्दू संगठन परावर्तन के लिये प्रयास करते हैं जिनमें उन्हें उल्लेखनीय सफलता भी मिली है। .
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प्रमुख धार्मिक समूह
दुनिया के प्रमुख धर्म और आध्यात्मिक परम्पराओं को कुछ छोटे प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है, हालांकि यह किसी भी प्रकार से एकरूप परिपाटी नहीं है। 18 वीं सदी में यह सिद्धांत इस लक्ष्य के साथ शुरू किया गया कि समाज में गैर यूरोपीय सभ्यता के स्तर की पहचान हो। धर्मों की और अधिक व्यापक सूची और उनके मूल रिश्तों की रूपरेखा के लिए, कृपया धर्मों की सूची लेख देखें.
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प्रकाशवीर शास्त्री
प्रकाशवीर शास्त्री (30 दिसम्बर 1923 - 23 नवम्बर 1977) भारतीय संसद के सांसद थे। उनका मूल नाम 'ओमप्रकाश त्यागी' था। उन्होने 'शास्त्री' की उपाधि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। उनके भाषणों में तर्क बहुत शक्तिशाली होते थे। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक बन जाते थे। अटलजी मानते हैं कि प्रकाशवीरजी उनसे भी बेहतर वक्ता थे। प्रकाशवीर शास्त्री ने हिंदी, धर्मांतरण, अराष्ट्रीय गतिविधियों तथा पांचवें और छठे दशक की अनेक ज्वलंत समस्याओं पर अपने बेबाक विचार व्यक्त किए। 1957 में आर्य समाज द्वारा संचालित हिंदी आंदोलन में उनके भाषणों ने जबर्दस्त जान फूंक दी थी। सारे देश से हजारों सत्याग्रही पंजाब आकर गिरफ्तारियाँ दे रहे थे। प्रकाशवीरजी अगर निर्दलीय रहते (जनसंघ, चरणसिंह-पार्टी और कांग्रेस में नहीं जाते) और सिर्फ आर्य समाज का नेतृत्व करते रहते तो शायद अधिक प्रभावी होते। लेकिन आर्य समाजे के तत्कालीन सांगठनिक नेताओं ने उन्हे बहुत परेशान किया। .
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मदर टेरेसा
मदर टेरेसा (२६ अगस्त १९१० - ५ सितम्बर १९९७) जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया है, का जन्म अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्त्तमान सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने १९४८ में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने १९५० में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की। ४५ सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। १९७० तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं, माल्कोम मुगेरिज के कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गॉड में इसका उल्लेख किया गया। इन्हें १९७९ में नोबेल शांति पुरस्कार और १९८० में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह १२३ देशों में ६१० मिशन नियंत्रित कर रही थीं। इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं/ घर शामिल थे और साथ ही सूप, रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे। मदर टेरसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु हुई थी। .
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लव जिहाद
लव जिहाद या रोमियो जिहाद एक षड्यंत्र है जिसके तहत युवा मुस्लिम लड़के और पुरुष गैर-मुस्लिम लड़कियों के साथ प्यार का ढोंग करके उनका धर्म-परिवर्तन करते हैं। यह शब्द भारत सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है किन्तु कथित रूप से इसी तरह की गतिविधियाँ यूके आदि देशों में भी हुई हैं। केरल हाईकोर्ट के द्वारा दिए एक फैसले में लव जेहाद को सत्य पाया है। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने बकायदा इस पर सदन में एक रिपोर्ट रखी। उन्होंने लव जिहाद को लेकर चिंता भी जताई। 25 जून 2014 को मुख्यमंत्री चांडी ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि 2667 युवतियां 2006 से लेकर अब तक प्रेम विवाह के बाद इस्लाम कबूल कर चुकी हैं। वहीं केरला कैथोलिक बिशप काउंसिल ने इससे पहले 2009 में ये आंकड़ा 4500 बताया था। इसके अलावा एक अन्य संस्था ने कर्नाटक में 30 हजार लड़कियों के लव जिहाद की शिकार होने की बात कही थी। श्री नारायण धर्म परिपालन समिति के महासचिव वेलापल्ली नतेसन ने कहा था कि उनकी संस्था को पाकिस्तान और यूके में भी इसी तरह की कोशिशों की कई शिकायतें परिवारों की तरफ से आई हैं। अक्टूबर 2009 में तत्कालीन कर्नाटक सरकार ने लव जिहाद को एक गंभीर मुद्दा माना और इसकी CID जांच के आदेश दिए। तब तत्कालीन डीजीपी जेकब पुनूज की जांच में कई मामले आए। 9 दिसंबर 2009 को केरल हाइकोर्ट के जस्टिस के टी.संकरन ने लव जिहाद के मामले में पकड़े गए दो मुस्लिम युवाओं की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पुलिस रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है कि 3 से 4 हजार लड़िकयों के साथ इसी तरह के प्रेम संबंधों के मामले पिछले तीन-चार सालों में आ चुके हैं। उन्होंने ये भी बताया था कि जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाने के भी मामले मिलते हैं। ये भी पाया गया है कि धोखे में रखकर इन लड़कियों से ये संबंध बनाए गए। टाइम्स ऑफ इंडिया की 26 जुलाई 2010 को प्रकाशित एक खबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्यूतानंदन ने भी इस विषय पर चिंता जताई थी। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि पॉपूलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कैंपस फ्रंट जैसे संगठन दूसरे धर्मों की लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी कर इस्लाम कबूल करवाने की साजिश रच रह हैं। 20 सालों में केरल का इस्लामीकरण करने का प्लान बना रहे हैं। वो तालीबान के अंदाज में कॉलेजों में हमला कर सकता है। दूसरे धर्मों की लड़कियों से शादी करके लव जिहाद के जरिए सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ सकता है। ये भी जानकारियां तत्कालीन मुख्यमंत्री ने दी थी कि बकायदा पैसे देकर लोगों को इस्लाम कबूल करवाया जा रहा है। ये भी पहला मौका था जब केरल में चर्च और विश्व हिंदू परिषद साथ में आए थे क्योंकि मुस्लिम आबादी बढ़ाने का ये मकसद हर धर्म के लोगों के धर्म परिवर्तन के जरिए पूरा किया जा रहा था। ये मुद्दा उत्तर प्रदेश में भी जमकर उठाया गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कई ऐसे मामले सामने आने लगे कि लव जिहाद ने उत्तर प्रदेश में भी अपने पैर पसार लिए हैं। इस तरह के किसी भी काम में शामिल लोग किसी मजहब के नहीं हो सकते हैं। इन्हें भी देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए बकायदा पैसा दिया जाता है। ये भी आरोप कई संगठनों की तरफ से लगाए गए कि हाथ में कलावा और सिर पर तिलक लगाकर लव जिहादी दूसरे धर्म का होने का छलावा करते हैं। इन्हें बाइक और पैसा दिया जाता है ताकि ये लड़कियों को अपने जाल में फंसा सके। इस तरह के तमाम आरोप लगते रहे है। कहा तो ये भी गया कि ऐसे लोग किसी लड़की के पीछे दो से तीन हफ्ते का समय देते हैं और यदि लड़की उनके जाल में नहीं फंसती है, तो वो दूसरे शिकार की तरफ निकल पड़ते हैं। ये एक ऐसा मामला है जिसमें लड़की और लड़की का परिवार डर जाता है, इसीलिए ज्यादातर मामले तो सामने ही नहीं आ पाते हैं। दूसरी तरफ कई लड़कियां ऐसी हो सकती हैं जिनके पास सिवाय इस सच्चाई को स्वीकारने की वो फंस चुकी हैं कोई और चारा ही नहीं होता होगा। कुछ होती हैं, जो ये बर्दाश्त नहीं कर पात .
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सैंट पैट्रिक दिवस
सैंट पैट्रिक दिवस (Irish: Lá Fhéile Pádraig, "पैट्रिक के पर्व का दिन") सैंट पैट्रिक की पुण्यतिथि 17 मार्च को मनाया जाने वाला एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है। सैंट पैट्रिक दिवस के दिन आयरलैंड, उत्तरी आयरलैंड, कनाडा के न्यूफ़ौंडलैंड और लेब्राडोर प्रदेश तथा ब्रिटिश टेरीटोरी मोन्त्सेर्राट में सामूहिक अवकाश घोषित किया जाता है। यह त्योहार दुनियाभर में फैले आयरिश मूल के लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। हाल के कुछ वर्षों में आयरिश लोगों के भद्दे स्टीरियोटाइप को फैलाने के लिए इस त्योहार को मनाने के ढंग की आलोचना की गयी है। .
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विश्व में बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है, और इसके संस्थापक गौतम बुद्ध (ईसवी पूर्व ५६३ - ईसवी पूर्व ४८३) थे। विश्व में करीब १९२ करोड़ (२८.७८%) लोक बौद्ध धर्म को माननेवाले है। दुसरे सर्वेक्षण के अनुसार १.६ अरब से १.८ अरब लोक (२३% से २५%) प्रतिनिधित्व बौद्ध करते है। बौद्ध धर्म एक धर्म और दर्शन है। संसार में ईसाई धर्म धर्म के बाद सबसे अधिक बौद्ध धर्म के ही अनुयायि पाये जाते। हालांकि कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार बौद्ध धर्म आबादी ४८.८ करोड़ से ५३.५ करोड़ (विश्व की जनसंख्या में ९% से १०%) भी बताई जाती है। विश्व के सभी महाद्विपों में बौद्ध धर्म के अनुयायि रहते है। बौद्ध धर्म दुनिया का पहला विश्व धर्म है, जो अपने जन्मस्थान से निकलकर विश्व में दूर दूर तक फैला। आज दुनिया में बौद्ध धर्म की आबादी हिन्दू धर्म से अधिक और इस्लाम धर्म के बराबर या इस्लाम धर्म से भी अधिक है। भारत में बौद्ध धर्म अल्पसंख्यक है, जबकि भारत में इस विश्व धर्म का उदय हुआ था। परंतु एशिया में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म बना रहा। २०१० में १.०७ अरब से १.२२ अरब जनसंख्या के साथ चीन बौद्धों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, चीन की कुल आबादी में ८०% से ९१% बौद्ध अनुयायि है। ज्यादातर चीनी बौद्ध महायान सम्प्रदाय के अनुयायि है। दुनिया की ६५% से ७०% बौद्ध आबादी चीन में रहती है। .
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आर एल फ्रांसिस
आर एल फ्रांसिस आर एल फ्रांसिस, निर्धन ईसाई मुक्ति आन्दोलन (Poor Chrischian Liberationa Movement) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे भारत की ईसाई मिशनरियों के बीच व्याप्त भेदभाव और कटुता के खिलाफ लगातार अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं .
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धर्म-परिवर्तन के रूप में भी जाना जाता है।