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दिलवाड़ा जैन मंदिर

सूची दिलवाड़ा जैन मंदिर

दिलवाड़ा मंदिर दिलवाड़ा मंदिर या देलवाडा मंदिर, पाँच मंदिरों का एक समूह है। ये राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं। इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं। दिलवाड़ा के मंदिरों में 'विमल वासाही मंदिर' प्रथम र्तीथकर को समर्पित सर्वाधिक प्राचीन है जो 1031 ई. में बना था। बाईसवें र्तीथकर नेमीनाथ को समर्पित 'लुन वासाही मंदिर' भी काफी लोकप्रिय है। यह मंदिर 1231 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाईयों द्वारा बनवाया गया था। दिलवाड़ा जैन मंदिर परिसर में पांच मंदिर संगमरमर का है। मंदिरों के लगभग 48 स्तम्भों में नृत्यांगनाओं की आकृतियां बनी हुई हैं। दिलवाड़ा के मंदिर और मूर्तियां मंदिर निर्माण कला का उत्तम उदाहरण हैं। Doorway detail Domed ceiling detail .

5 संबंधों: माउंट आबू, राजस्थान, सिरोही जिला, संगमर्मर, जैन धर्म

माउंट आबू

समुद्र तल से १२२० मीटर की ऊंचाई पर स्थित आबू पर्वत (माउण्ट आबू) राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान तथा राज्य का ग्रीष्मकालीन शैलावास है। अरावली श्रेणियों के अत्यंत दक्षिण-पश्चिम छोर पर ग्रेनाइट शिलाओं के एकल पिंड के रूप में स्थित आबू पर्वत पश्चिमी बनास नदी की लगभग १० किमी संकरी घाटी द्वारा अन्य श्रेणियों से पृथक् हो जाता है। पर्वत के ऊपर तथा पार्श्व में अवस्थित ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक तीर्थमंदिरों एवं कलाभवनों में शिल्प-चित्र-स्थापत्य कलाओं की स्थायी निधियाँ हैं। यहाँ की गुफा में एक पदचिहृ अंकित है जिसे लोग भृगु का पदचिह् मानते हैं। पर्वत के मध्य में संगमरमर के दो विशाल जैनमंदिर हैं। राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। माउंट आबू पहले चौहान साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान था। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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सिरोही जिला

सिरोही जिला भारत के राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। सिरोही राजस्थान का पर्वतीय एवं सीमावर्ती जिला हैं। पहलें सिरोही रियासत बड़ी रियासतों में अपना स्थान रखती थी। देश आजाद होने के बाद अब इसको जिला बना दिया है। इसका साम्राज्य बहुत फैला हुआ था। देश आजाद होने के बाद इसका काफ़ी एरिया पाली व जालौर ज़िले में चला गया है। सिरोही रियासत पर १२ वी सदी में देवड़ा ओ का राज था। नगर का मूल नाम शिवपुरी था। १४०५ में राव शोभा जी ने शिवपुरी शहर को बसाया था। जो खोबो की सिरोही से जानी जाती है। प्रदेश का एकमात्र पर्वतीय स्थल माउन्ट आबू इस जिले में हैं। यह क्षेत्र मौर्य, क्षत्रय, हूण, परमार, राठौड, चौहान, गुहिल आदि शासकों के अधीन रहा। प्राचीनकाल में यह क्षेत्र आबुर्द प्रदेश के नाम से जाना जाता था और गुर्जर-मरू क्षेत्र का एक भाग था। देवडा राजा रायमल के पुत्र शिवभान ने सरणवा पहाडों पर एक दुर्ग की स्थापना की और १४०५ में शिवपुरी नामक नगर बसाया। उनके पुत्र सहसमल ने शिवपुरी के दो मील आगे १४२५ में नया नगर बसाया जिसे आजकल सिरोही के नाम से जाना जाता हैं। राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित सिरोही गुजरात राज्य से जुडा एक प्रमुख नगर और इसी नाम का एक जिला मुख्यालय हैं। यह सिरोही रोड रेल्वे स्टेशन से २४ किलोमीटर दूर स्थित हैं। श्री राय साहब विसाजी मिस्त्री को सिरोही का मुख्य इंजिनियर कहा जाता है। उनके योगदान के लिए उन्हें यहाँ के लोग हमेशा याद करते हैं। .

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संगमर्मर

ताजमहल, एक विश्व प्रसिद्ध स्मारक, जो कि प्रेम हेतु सृजित है, एक संगमरमर में तराशी कलाकृति रोमन देवी, वीनस की मूर्ती संगमरमर या सिर्फ मरमर (फारसी:سنگ مرمر) एक कायांतरित शैल है, जो कि चूना पत्थर के कायांतरण का परिणाम है। यह अधिकतर कैलसाइट का बना होता है, जो कि कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का स्फटिकीय रूप है। यह शिल्पकला के लिये निर्माण अवयव हेतु प्रयुक्त होता है। इसका नाम फारसी से निकला है, जिसका अर्थ है मुलायम पत्थर। संग-पत्थर, ए-का, मर्मर-मुलायम .

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जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

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