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दूध

सूची दूध

एक गिलास दूध दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। साधारणतया दूध में ८५ प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व यानी खनिज व वसा होता है। गाय-भैंस के अलावा बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।। इकॉनोमिक टाइम्स, २२ मार्च २००९ .

120 संबंधों: चमगादड़ गण, चरना, ऊष्मा चालकता, चारा घोटाला, चुचुक, चीज़ (पाश्चात्य पनीर), चीज़ की सूची, टोडा, एल्ब्यूमिन, डबल का मीठा, दही, दही चावल, दाल मखानी, दुग्ध-उत्पाद, दुग्धपायन, दुग्धशाला, दूधपाक, धानी (धानीप्राणी), नारियल का दूध, नाग पंचमी, पनीर, पशु बीमा, पशु उत्पाद, पशुधन, पायस (इमल्शन), पालरुवी जलप्रपात, पिज़्ज़ा, पंचामृत, पंचगव्य, पुडिंग, प्रक्रम, प्रोटीन, प्रोबायोटिक, प्लैटीपुस, पौष्टिक-औषध (न्यूट्रास्युटिकल), पोषण, बरगद, बादाम का दुध, बाल्यकाल स्थूलता (बच्चों में मोटापा), बासुंदी, बकरी, ब्रूस ली, भारत में पशुपालन, भारत में कृषि, भारत में अन्धविश्वास, भैंस, भेड़, मट्ठा प्रोटीन, मथित्र, मदर डेयरी, ..., मधु, मलाई, महाशिवरात्रि, माल्टा ज्वर, मिल्कशेक, मिश्री, मुर्रा भैंस, मुंहासे, मैग्नीशियम हाईड्रॉक्साइड, मैकडॉनल्ड्स, याक, रबड़ी, रस-मलाई, रक्तस्राव, रक्ताल्पता, लूची, शाही पनीर, शीर ख़ुर्मा, शीरमाल, सलाद, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, स्तन ग्रंथि, स्तन-पम्प, स्नैक फूड (अल्पाहार), सूप, सूक्ष्मजीव, सोया दूध, सोहन पापड़ी, सोहन हलवा, हरी चाय, जामुन, घी, वसा, विटामिन डी, विटामिन सी, खोया (दुग्ध उत्पाद), खीर, गन्ना, गाय, ग्रन्थि, ग्वार, ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्ट्रिया, ओपल, आयुर्वेद, आहारीय जस्ता, आहारीय आयोडीन, आइसक्रीम, इंदि‍रा गांधी मातृत्‍व सहयोग योजना, इकसिंगा, कच्चा भोजन, कापुचीनो, कार्निवल, कुपोषण, कुकी (एक प्रकार का बिस्कुट), क्वोका, कृषि, कृषि जिंसों के सबसे बड़े उत्पादक देशों की सूची, कृष्णदास (बहुविकल्पी), कृष्णदास पयहारी, कैल्सियम, कूमीस, केसीन, केक, कॉफ़ी, अमूल, अरण्डी, अंगूरी, छाछ, छेना सूचकांक विस्तार (70 अधिक) »

चमगादड़ गण

भारतीय उड़नलोमड़ी (''Pteropus giganteus'') चमगादड़ गण या काइरॉप्टेरा (Chiroptera) स्तनधारी (mammalia) वर्ग का एक गण है, जिसके अंतर्गत सभी प्रकार के चमगादड़ निहित हैं। इस वर्ग के जंतु अन्य स्तनियों से बिल्कुल भिन्न मालूम पड़ते हैं और इसके सभी सदस्यों में उड़ने की शक्ति पाई जाती है। उड्डयन के लिये इनकी अग्रभुजाएँ पंखों में परिवर्तित हो गई हैं। यद्यपि ये जंतु हवा में बहुत ऊपर तक उड़ते हैं, पर चिड़ियों से भिन्न हैं। देखने में इनकी मुखाकृति चूहे जैसी मालूम होती है। इनके कान होते हैं। चिड़ियों की भाँति ये अंडे नहीं वरन् बच्चे देते हैं और बच्चों को दूध पिलाते हैं। .

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चरना

चरना (grazing) खाने की एक विधि होती है जिसमें कोई शाकाहारी जीव घास, शैवाल (ऐल्गी) या अन्य वनस्पतियों को खाता है। कृषि में पालतु पशुओं को चराकर रासायनिक दृष्टि से वनस्पतियों को दूध, मांस व अन्य पशु-उत्पादनों में बदला जाता है। घास जैसे कई वनस्पतियों में ऊर्जा घनत्व कम होने के कारण इन्हें चरने वाले प्राणी अक्सर इन्हें बड़ी मात्रा में खाते हैं और लम्बे अरसे तक चरने की क्रिया में व्यस्त रहते हैं। .

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ऊष्मा चालकता

भौतिकी में, ऊष्मा चालकता (थर्मल कण्डक्टिविटी) पदार्थों का वह गुण है जो दिखाती है कि पदार्थ से होकर ऊष्मा आसानी से प्रवाहित हो सकती है या नहीं। ऊष्मा चालकता को k, λ, या κ से निरूपित करते हैं। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता अधिक होती है उनसे होकर समान समय में अधिक ऊष्मा प्रवाहित होती है (यदि अन्य परिस्थितियाँ, जैसे ताप का अन्तर, पदार्थ की लम्बाई और क्षेत्रफल आदि समान हों)। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता बहुत कम होती हैं उन्हें ऊष्मा का कुचालक (थर्मल इन्सुलेटर) कहा जाता है। ऊष्मा चालकता के व्युत्क्रम (रेसिप्रोकल) को उष्मा प्रतिरोधकता (thermal resistivity) कहते हैं। .

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चारा घोटाला

पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम से सरकारी खजाने का पैसा निकाल कर तथाकथित नेता खा गये। चारा घोटाला स्वतन्त्र भारत के बिहार प्रान्त का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था जिसमें पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये।, दि न्यू यॉर्क टाइम्स, 1997-07-02.

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चुचुक

स्त्री का चुचुक स्तन का अग्र भाग को चुचुक कहते हैं। स्त्रियाँ इससे बच्चे को दूध पिलाती हैं। प्रत्येक स्तन में एक चूचुक और स्तनमण्डल (एरिओला) होता है। स्तनमण्डल का रंग गुलाबी से लेकर गहरा भूरा तक हो सकता है साथ ही इस क्षेत्र में बहुत सी स्वेदजनक ग्रंथियां भी उपस्थित होती हैं। स्त्री और पुरुष दोनों में स्तन का विकास समान भ्रूणीय ऊतकों से होता है परन्तु यौवनारम्भ पर स्त्रियों के अंडाशय से स्रावित हार्मोन ईस्ट्रोजन स्त्रियों में स्तन के विकास के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है, जबकि पुरुषों मे इस हार्मोन की उपस्थिति बहुत कम मात्रा मे होने के कारण स्तनों का विकास नहीं होता, हालांकि बाल्यवस्था में चूचुक और मण्डल स्त्री-पुरूष दोनों में एक समान होते है। बच्चे के जन्म के समय में उसके वक्षस्थल हल्के उभरे हुए हो सकते है। यदि इन उभरे हुए स्तनों को दबाया जाए तो 1-2 बूंदे दूध की भी निकलती है। यह दूध मां के इस्ट्रोजन हार्मोन के प्रभाव के कारण होता है और जिसे आम भाषा में जादूगरनी का दूध कहकर पुकारा जाता है। स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन दूध का निर्माण करता है। वैसे दूध बनाने का प्रमुख कार्य प्रोलेक्टीन का है जो पिट्यूटी ग्रंथि से प्रसव के बाद निकलता है। स्तनों के अंदर कुछ फाइबर्स कोशिकाओं के कारण स्तन छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा रहता है जिसमें दूध बनाने वाली ग्रंथियां होती है। यह ग्रंथियां आपस में मिलकर एक नलिका बनाती है जो निप्पल में जाकर खुलती है तथा जहां से दूध रिस्ता है। यह नलिका निप्पल के पास आकर कुछ चौड़ी हो जाती है जहां दूध भी इकट्ठा हो सकता है। स्तनों में मांसपेशियां नहीं होती। केवल एक तरह का लिंगामेंट इसे बांधे रहता है, जिसको कूपरलिगामेंट कहते है। इसलिए अधिक वजन के कारण या अच्छा सहारा न मिलने के कारण स्तन नीचे की ओर लटक जाते है। बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराना अमृत के समान होता है। बच्चे के शरीर का विकास तथा समय के अनुसार शरीर में परिवर्तन आना यह गुण मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। गर्भावस्था की अवधि के दौरान मां के शरीर में अधिक चर्बी जम जाती है। परन्तु मां के शरीर की चर्बी स्तनपान के साथ-साथ कम होती चली जाती है। मां अपने पहले जैसे सामान्य वजन पर आ जाती है। श्रेणी:शारीरिकी.

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चीज़ (पाश्चात्य पनीर)

चीज़ और सालन से भरा एक थाल एक चीज़ बाजा़र में गौडा चीज़ की भेलियां दूध से निर्मित भोज्य पदार्थों के एक विविधतापूर्ण समूह का नाम चीज़ (Cheese) है। विश्व के लगभग सभी भागों में भिन्न-भिन्न रंग-रूप एवं स्वाद की चीज़ बनायी जाती हैं। चीज़ मूलतः शाकाहार है। इसमें उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन व कैल्शियम के अलावा, फास्फोरस, जिंक विटामिन ए, राइबोफ्लेविन व विटामिन बी2 जैसे पोषक तत्त्व भी पाए जाते हैं। यह दांतों के इनैमल की भी रक्षा करता है और दाँतों को सड़न से बचाता है। .

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चीज़ की सूची

यह उत्पत्ति स्थान के आधार पर चीज़ की सूची है। दुकान पर चीज़ काउंटर दुकान के कूलर में चीज़ थाली में परोसे हुए चीज़ों के विभिन्न प्रकार सुपरमार्केट में कई प्रकार की चीज़ .

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टोडा

श्रेणी:भारत की जनजातियाँ श्रेणी:केरल की जनजातियां टोडा जनजाति भारत की निलगिरी पहाड़ियों की सबसे प्राचीन और असामान्य जनजाति है। टोडा को कई नामों से जाना जाता है जैसे टूदास, टूडावनस और टोडर। टोडा नाम 'टुड' शब्द, टोड जनजाति के पवित्र टुड पेड़ से लिया गया माना जाता है। टोडा लोगो की अपनी भाषा है और उनके पास गुप्त रीति-रिवाजों और अपाना नियम हैं। टोड के लोगा प्रकृति ओर पहाड़ी देवताओं की पूजा करते हे, जैसे भगवान अमोद और देवी टीकीरजी। .

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एल्ब्यूमिन

अल्ब्यूमिन (लैटिन: ऐल्बस, श्वेत), या एल्ब्यूमेन एक प्रकार का प्रोटीन है। यह सांद्र लवण घोलों (कन्सन्ट्रेटेड सॉल्ट सॉल्यूशन) में धीमे-धीमे घुलता है और फिर उष्ण कोएगुलेशन होने लगता है। एल्ब्यूमिन वाले पदार्थ, जैसे अंडे की सफ़ेदी, आदि को एल्ब्यूमिनॉएड्स कहते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। १ जून २०१० प्रकृति में विभिन्न तरह के एल्बुमिन पाए जाते हैं। अंडे और मनुष्य के रक्त में पाए जाने वाले एल्बुमिन को सबसे अधिक पहचाने मिली है। यह मानव शरीर में कई महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। यह विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं का रचनात्मक अवयव हैं। अंडे की सफेदी में अल्ब्यूमिन होता है। ---- एल्बुमिन वास्तव में एक गोलाकार प्रोटीन होता है। इसकी संरचना खुरदरी और गोल होती है। इसके अणु जल के संग एक घोल तैयार करते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के पदार्थ होते हैं। मांसपेशियों में पाए जाने वाले प्रोटीन रेशेदार होते हैं। इनकी संरचना अलग तरह की होती है और ये पानी में नहीं घुलते हैं। एल्बुमिन मनुष्य के शरीर में जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण घटक होते हैं। ये वसामय ऊतकों से शरीर में महत्वपूर्ण अम्लों का निर्माण करते हैं। ये शारीरिक क्रिया को नियंत्रित कर रक्त में हार्मोन और अन्य पदार्थो के परिसंचालन में सहयोग देते हैं। शरीर में इनका अभाव होने पर कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। रोगियों के शरीर में इसकी अपेक्षित कमी के लक्षण होने पर चिकित्सक कई बार एल्बुमिन के परीक्षण का परामर्श भी देते हैं। अंडे के सफेद हिस्से में पाए जाने वाले एल्बुमिन को ओवल्बुमिन कहते हैं। गर्म करने पर एल्बुमिन और प्रोटीन जम जाते हैं। इस गुण के कारण ये पकाने में अच्छे होते हैं। इसी कारण से अंडा जल्दी उबलता है। इसमें पाया जाने वाला एल्बुमिन दूसरे तत्वों को शुद्ध करने के लिए भी काम लाया जाता है। इसे सूप बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। पकाए जाने पर प्रोटीन फैल जाते हैं और इनकी संरचना में बदलाव आता है। ओवल्बुमिन इस स्थिति में आंशिक रूप से फैलते हैं, जिससे इन पर एक सतह बन जाती है। इसे अधिक गर्म करने पर उसकी वास्तविक संरचना नष्ट हो जाती है। .

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डबल का मीठा

डबल का मीठा एक लोकप्रिय हैदराबादी व्यंजन है जो मुगलई खाने से है। इसे घर पर बनाना बहुत ही आसान है और इसे बनाने के लिए थोड़ी ही सामग्री चाहिए जैसे कि ब्रेड, दूध, क्रीम और चीनी। इसमें केसर और इलायची का उपयोग भी अच्छा स्वाद और सुगंध के लिए हुआ है। इस रेसिपी में ब्रेड के टुकड़ो को कुरकुरा होने तक घी में तला जाता है (या सेका जाता है) और फिर उन्हें केसर और इलायची वाली चाशनी में डुबोकर ऊपर से रबड़ी डाली जाती है। .

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दही

तुर्की की दही. दही एक दुग्ध-उत्पाद है जिसका निर्माण दूध के जीवाणुज किण्वन द्वारा होता है। लैक्टोज का किण्वन लैक्टिक अम्ल बनाता है, जो दूध प्रोटीन से प्रतिक्रिया कर इसे दही मे बदल देता है साथ ही इसे इसकी खास बनावट और विशेष खट्टा स्वाद भी प्रदान करता है। सोया दही, दही का एक गैर दुग्ध-उत्पाद विकल्प है जिसे सोया दूध से बनाया जाता है। खाने में दही का प्रयोग पिछले लगभग 4500 साल से किया जा रहा है। आज इसका सेवन दुनिया भर में किया जाता है। यह एक स्वास्थ्यप्रद पोषक आहार है। यह प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। .

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दही चावल

दही चावल एक भारतीय व्यंजन है जो भारत के चारों दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इसे दोपहर या रात के खाने में खाया जाता है।.

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दाल मखानी

दाल मखनी या दाल मखानी (माखन वाली दाल) एक लोकप्रिय व्यंजन हैं जिसका उद्भव भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब क्षेत्र से हुआ है। दाल मखनी में प्रमुखता से उपयोग की जाने वाली सामग्रियाँ हैं काली उड़द दाल, लाल राजमा (राजमा), मक्खन और क्रीम। .

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दुग्ध-उत्पाद

दुग्ध-उत्पाद दुग्ध-उत्पाद (दुग्धोत्पाद) या डेयरी उत्पाद से अभिप्राय उन खाद्य वस्तुओं से है जो दूध से बनती हैं। यह आम तौर पर उच्च ऊर्जा प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं। इन उत्पादों का उत्पादन या प्रसंस्करण करने वाले संयंत्र को डेयरी या दुग्धशाला कहा जाता है। भारत में इनके प्रसंस्करण के लिए कच्चा दूध आम तौर गाय या भैंसों से लिया जाता है, लेकिन यदा कदा अन्य स्तनधारियों जैसे बकरी, भेड़, ऊँट, जलीय भैंस, याक, या घोड़ों का दूध भी कई देशों में प्रयुक्त होता है। दुग्ध-उत्पाद सामान्यतः यूरोप, मध्य पूर्व और भारतीय भोजन का मुख्य हिस्सा हैं, जबकि पूर्वी एशियाई भोजन में इनका प्रयोग न के बराबर होता है। .

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दुग्धपायन

बिल्ली के बच्चों का स्तनपान दुग्धपान या दुग्धस्रवन या लैक्टेशन, स्तन ग्रंथि से दूध निकलने, उस दूध को बच्चे को पिलाने की प्रक्रिया तथा एक माँ द्वारा अपने बच्चे को दूध पिलाने में लगने वाले समय को वर्णित करता है। यह प्रक्रिया सभी मादा स्तनपायी प्राणियों में होती है और मनुष्यों में इसे आम तौर पर स्तनपान या नर्सिंग कहा जाता है। अधिकांश प्रजातियों में माँ के निपल्स से दूध निकलता है; हालाँकि, प्लैटिपस (एक गैर-गर्भनालीय स्तनपायी प्राणी) के पेट की नलिकाओं से दूध निकलता है। स्तनपायी प्राणियों की केवल एक प्रजाति दयाक फ्रूट चमगादड़ में दूध उत्पन्न करना नर का एक सामान्य कार्य है। कुछ अन्य स्तनपायी प्राणियों में हार्मोन के असंतुलन की वजह से नर दूध उत्पन्न कर सकते हैं। इस घटना को नवजात शिशुओं में भी देखा जा सकता है (उदाहरण के लिए डायन का दूध (विचेज मिल्क))। गैलक्टोपोइएसिस दूध उत्पादन को बनाये रखने को कहते हैं। इस चरण में प्रोलैक्टिन (पीआरएल) और ऑक्सीटोसिन की जरूरत पड़ती है। .

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दुग्धशाला

एक दुग्धशाला दुग्धशाला या डेरी में पशुओं का दूध निकालने तथा तत्सम्बधी अन्य व्यापारिक एवं औद्योगिक गतिविधियाँ की जाती हैं। इसमें प्रायः गाय और भैंस का दूध निकाला जाता है किन्तु बकरी, भेड़, ऊँट और घोड़ी आदि के भी दूध निकाले जाते हैं। .

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दूधपाक

दूधपाक एक प्रकार का पकवान है जो दूध, बादाम तथा चीनी से बनाया जाता है। श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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धानी (धानीप्राणी)

धानी में स्तनपान करता हुआ कंगारू का अविकसित नवजात शिशु इस कंगारू मादा की धानी में बच्चा देखा जा सकता है धानी या पाउच (pouch) मादा धानीप्राणियों (मारसूपियलों) के शरीर पर खाल मोड़कर बनी हुई एक विशेष थैली होती है। धानिप्राणी गर्भ धारण करने के बाद अन्य स्तनधारियों की तुलना में बहुत कम समय के लिए गर्भावस्था में रहते हैं। उनका शिशु जल्द ही पैदा हो जाता है और बहुत ही अविकसित अवस्था में होता है। वह फिर धानी में जाता है जहाँ वह सुरक्षित रहता है। उसकी माता के स्तन भी इसी धानी में होते हैं और वहाँ यह दूध प्राप्त करके विकसित होता है। कंगारू जैसे धानीप्राणियों के नवजात शिशु कई हफ़्तों या महीनों तक धानी में रहकर विकसित होते हैं और बाहर निलकने के बाद भी कुछ अरसे तक रक्षा, आहार और माता के साथ जगह-से-जगह जाने के लिए इसमें चले जाते हैं।, Laurie Triefeldt, pp.

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नारियल का दूध

नारियल का दूध. नारियल का दूध एक मीठा, दूधिये रंग का भोजन पकाने का माध्यम होता है जो एक परिपक्व नारियल के गूदे से निकाला जाता है। इस दूध के रंग और मीठे स्वाद का श्रेय इसमें उपस्थित उच्च शर्करा स्तर और तेल को दिया जा सकता है। कोकोनट मिल्क शब्द कोकोनट वाटर (कोकोनट जूस) से भिन्न है, कोकोनट वाटर या कोकोनट जूस नारियल के अन्दर प्राकृतिक रूप से बनने वाला तरल पदार्थ होता है। .

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नाग पंचमी

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।- .

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पनीर

पनीर पनीर (Indian cottage cheese) एक दुग्ध-उत्पाद है। यह चीज़ (cheese) का एक प्रकार है जो भारतीय उपमहाद्वीप में खूब उपयोग किया जाता है। इसी तरह छेना भी एक विशेष प्रकार का भारतीय चीज़ है जो पनीर से मिलता-जुलता है और रसगुल्ला बनाने में प्रयुक्त होता है। भारत में पनीर का प्रयोग सीमित मात्रा में ही होता है। कश्मीर आदि जैसे ठंढे प्रदेशों में अपेक्षाकृत अधिक पनीर खाया जाता है। .

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पशु बीमा

परवरिश पशुओ और बेचने के लिए पोल्ट्री अप्रत्याशित और जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि एक ठोस और पशुधन या मुर्गी बीमा पॅलिसी एक आवश्यकता है वह है। यह बीमा उन अप्रत्याशित घटनाओं और दुर्घटनाओं कि अपने जानवरों और अपनी आजीविका तबाह कर सकते हैं से अपने निवेश की सुरक्षा करता है। फ़ार्म पशु बीमा अपने विशेष पशु समूह को कवर के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, तो पशु, सूअर, भेड, एमु, बकरी, मुर्गी या अपने खेत पर इनमें से किसी भी संयोजन है या नहीं। भारतीय कृषि उद्योग, एक और हरित क्रांति कि इसे और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाता के कगार पर भारत में कुल कृषि उत्पादन के रूप में अगले दस साल में दोगुना होने की संभावना है और वह भी एक जैविक तरीके से| पशु बीमा पॉलिसी अपने मवेशियों है, जो एक ग्रामीण समुदाय की सबसे मूल्यवान संपत्ति है कि मृत्यु के कारण वित्तीय नुकसान से भारतीय ग्रामीन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रदान की जाती है। नीति होने गाय, बैल या तो सेक्स एक पशु चिकित्सक/ सर्जन द्वारा ध्वनि और उत्तम स्वास्थ्य और चोट या रोग से मुक्त होने के रूप में प्रमाणित की भैंस और जो माइक्रो फ़ाइनेंस संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य कर रहे हैं व्यक्तियों को शामिल किया, सरकार प्रायोजित संगठनों और इस तरह के संबंध समूहों/ ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र में संस्थानों| पशु बीमा .

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पशु उत्पाद

पशु उत्पाद किसी पशु के शरीर से व्युत्पन्न किया गया कोई भी माल हैं। उदाहरणार्थ, फैट, रक्त, दूध, अण्डे, और कम ज्ञात उत्पाद, जैसे कि इसिंग्लास और रेनेट। .

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पशुधन

घरेलू भेड़ और एक गाय (बछिया) दक्षिण अफ्रीका में एक साथ चराई करते हुए एक या अधिक पशुओं के समूह को, जिन्हें कृषि सम्बन्धी परिवेश में भोजन, रेशे तथा श्रम आदि सामग्रियां प्राप्त करने के लिए पालतू बनाया जाता है, पशुधन के नाम से जाना जाता है। शब्द पशुधन, जैसा कि इस लेख में प्रयोग किया गया है, में मुर्गी पालन तथा मछली पालन सम्मिलित नहीं है; हालांकि इन्हें, विशेष रूप से मुर्गीपालन को, साधारण रूप से पशुधन में सम्मिलित किया जाता हैं। पशुधन आम तौर पर जीविका अथवा लाभ के लिए पाले जाते हैं। पशुओं को पालना (पशु-पालन) आधुनिक कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है। पशुपालन कई सभ्यताओं में किया जाता रहा है, यह शिकारी-संग्राहक से कृषि की ओर जीवनशैली के अवस्थांतर को दर्शाता है। .

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पायस (इमल्शन)

A. दो अमिश्रणीय तरल जिनका अभी पायसन नहीं बना है; B. प्रावस्था II, प्रावस्था I मे परिक्षेपित होने से बना पायसन; C. एक अस्थिर पायसन समय के साथ अलग होता है; D. पृष्ठसक्रियकारक (सरफैक्टेंट) (बैंगनी रेखा) खुद को प्रावस्था II और प्रावस्था I के मध्य लाकर पायसन को स्थायित्व प्रदान करता है। पायस (emulsion) दो या इससे अधिक अमिश्रणीय तरल पदार्थों से बना एक मिश्रण है। एक तरल (परिक्षेपण प्रावस्था) अन्य तरल (सतत प्रावस्था) में परिक्षेपित (फैलता) होता है। कई पायसन तेल/पानी के पायसन होते हैं, जिनमे आहार वसा प्रतिदिन प्रयोग मे आने वाले तेल का एक सामान्य उदाहरण है। पायसन के उदाहरण में शामिल हैं, मक्खन और मार्जरीन, दूध और क्रीम, फोटो फिल्म का प्रकाश संवेदी पक्ष, मैग्मा और धातु काटने मे काम आने वाले तरल। मक्खन और मार्जरीन, मे वसा पानी की बूंदों को चारो ओर से ढक लेता है (एक पानी में तेल पायसन)। दूध और क्रीम, मे पानी, वसा की बूंदों के चारों ओर रहता है (एक तेल में पानी पायसन)। मैग्मा के कुछ प्रकार में, तरल की गोलिकायें NiFe तरल सिलिकेट की एक सतत प्रावस्था के भीतर परिक्षेपित हो सकती हैं। पायसीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पायसन का निर्माण होता है। पायसन शब्द को तेल क्षेत्र में भी इस्तेमाल किया जाता है जैसे अपरिशोधित कच्चा तेल, तेल और पानी का मिश्रण होता है। श्रेणी:रासायनिक मिश्रण श्रेणी:कलिल श्रेणी:नरम पदार्थ.

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पालरुवी जलप्रपात

पालरुवी जलप्रपात भारत के केरल राज्य के कोल्लम ज़िले में स्थित कल्लड़ा नदी के मार्ग में स्थित एक जलप्रपात है। यह भारत का ३२वाँ सबसे ऊँचा जलप्रपात है। .

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पिज़्ज़ा

पिज़्ज़ा (इतालवी Pizza) भट्टी में बनाए जानी वाली चपटी ब्रेड होती है, जीसे मुख्यतः टमाटर की चटनी, चीज़ और अन्य विविध टॉपिंग के साथ परोसा जाता है। इसकी उत्पत्ती इटली में हुई और अब यह विश्वभर में लोकप्रिय है। .

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पंचामृत

दूध, दही, मधु, घृत और गन्ने के रस से बने द्रव्य को ही पंचामृत कहा जाता है। भारत के कई घरों में पूजा-पाठ के समय इसे भगवान को अर्पित कर पीया जाता है। दीपावली आदि प्रमुख त्योहारों के दिन इसका विशेष महत्त्व है, उस दिन मंदिरों मे यह भगवान को अर्पित कर प्रशाद के रूप में सबको वितरित किया जाता है। .

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पंचगव्य

गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे औषधि की मान्यता है। हिन्दुओं के कोई भी मांगलिक कार्य इनके बिना पूरे नहीं होते। .

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पुडिंग

क्रिसमस का पुडिंग पुडिंग ताजा फल और व्हीप्ड क्रीम जैसे ऊपरी परत के साथ परोसा जा सकता है पुडिंग शब्द अक्सर एक मिष्टान्न को संदर्भित करता है, लेकिन इसका प्रयोग किसी नमकीन पकवान के संदर्भ में भी किया जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, पुडिंग विशिष्ट रूप से दूध से बनी एक मिठाई को सूचित करता है, जो कि अंडे से बनने वाले कस्टर्ड के समान ही होती है, हालांकि इसका प्रयोग अन्य प्रकारों, जैसे ब्रेड या चावल के पुडिंग के संदर्भ में भी किया जा सकता है। यूनाइटेड किंगडम तथा कुछ कॉमनवेल्थ देशों में, पुडिंग शब्द का प्रयोग गाढ़ी, काफी हद तक एक समान स्टार्च- या दुग्ध-आधारित मिठाइयों, जैसे चावल के पुडिंग और क्रिसमस पुडिंग के संदर्भ में, अथवा अनौपचारिक रूप से, मुख्य भोजन के बाद परोसे जाने वाले किसी भी मीठे पकवान के लिये किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग नमकीन पकवानों के लिये भी किया जाता है, जैसे यॉर्कशायर पुडिंग, ब्लैक पुडिंग, पशु-चर्बी से बने (suet) पुडिंग तथा स्टीक व किडनी पुडिंग.

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प्रक्रम

किसी काम को पूरा करने के लिये कई छोटे-छोटे कार्यों को एक निश्चित क्रम में करना होता है। इसे ही प्रक्रम (Process) कहते हैं और इस क्रिया को प्रक्रमण (processing) कहते हैं। उदाहरण के लिये दूध से घी बनाने में एक के बाद एक कई काम क्रम से करने पड़ते हैं। .

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प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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प्रोबायोटिक

लैक्टोबैसिलस जीवाणु प्रोबायोटिक जीवाणु है, जो दूध को दही में बदलता है। प्रोबायोटिक एक प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं, जिसमें जीवित जीवाणु या सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं। प्रोबायोटिक विधि रूसी वैज्ञानिक एली मैस्निकोफ ने २०वीं शताब्दी में प्रस्तुत की थी। इसके लिए उन्हें बाद में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।। हिन्दुस्तान लाइव। १ दिसम्बर २००९ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रोबायोटिक वे जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जिसका सेवन करने पर मानव शरीर में जरूरी तत्व सुनिश्चित हो जाते हैं।। बिज़नेस भास्कर। २४ मई २००९। डॉ॰ रतन सागर खन्ना ये शरीर में अच्छे जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि कर पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं।। बिज्नेस स्टैण्डर्ड। नेहा भारद्वाज। १८ सितंबर २००८ इस विधि के अनुसार शरीर में दो तरह के जीवाणु होते हैं, एक मित्र और एक शत्रु। भोजन के द्वारा यदि मित्र जीवाणुओं को भीतर लें तो वे धीरे-धीरे शरीर में उपलब्ध शत्रु जीवाणुओं को नष्ट करने में कारगर सिद्ध होते हैं। मित्र जीवाणु प्राकृतिक स्रोतों और भोजन से प्राप्त होते हैं, जैसे दूध, दही और कुछ पौंधों से भी मिलते हैं। अभी तक मात्र तीन-चार ही ऐसे जीवाणु ज्ञात हैं जिनका प्रयोग प्रोबायोटिक रूप में किया जाता है। इनमें लैक्टोबेसिलस, बिफीडो, यीस्ट और बेसिल्ली हैं। इन्हें एकत्र करके प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ में डाला जाता है। वैज्ञानिकों के अब तक के अध्ययन के अनुसार इस तरह से शरीर में पहुंचने वाले जीवाणु किसी प्रकार की हानि भी नहीं पहुंचाते हैं। शोधों में रोगों के रोकथाम में इनकी भूमिका सकारात्मक पाई गई है तथा इनके कोई दुष्प्रभाव भी ज्ञात नहीं हैं। .

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प्लैटीपुस

प्लैटीपुस (Platypus), जो बत्तखमुँह प्लैटीपस (duck-billed platypus) भी कहलाता है, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक स्तनधारी प्राणी है। यह स्तनधारियों के मोनोट्रीम गण की पाँच ज्ञात जातियों में से एक है (अन्य चार एकिडना की जातियाँ हैं), जो स्तनधारी होने के नाते अपने शिशुओं को दूध तो पिलाते हैं लेकिन जिनमें माता गर्भ धारण करने की बजाए अण्डे देती है। पूरे स्तनधारी समुदाय में अण्डे देने वाली केवल यही पाँच जातियाँ है। क्रमविकास (एवोल्यूशन) की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह जातियाँ उस समय का संकेत हैं जब स्तनधारी नये-नये विकसित हो रहे थे और उनमें गर्भ में शिशु विकसित करने की क्षमता उत्पन्न नहीं हुई थी। इसलिए इन्हें जीवित जीवाश्म की श्रेणी में भी डाला जाता है। .

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पौष्टिक-औषध (न्यूट्रास्युटिकल)

पौष्टिक-औषध (न्यूट्रास्युटिकल), जो "न्यूट्रिशन" (पोषण) और "फार्मास्युटिकल" (दवा/औषध) शब्दों से मिलकर बना है, एक खाद्य या खाद्य उत्पाद है जो बीमारी की रोकथाम एवं उपचार सहित स्वास्थ्य एवं चिकित्सीय लाभ प्रदान करता है। ऐसे उत्पाद पृथक्कृत पोषक तत्वों, आहार पूरकों और विशेष आहारों से लेकर आनुवंशिक रूप से तैयार किये गए खाद्य पदार्थ, जड़ी-बूटी संबंधी उत्पाद और अनाज, सूप, एवं पेय पदार्थ जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों हो सकते हैं। हाल ही में कोशिकीय-स्तरीय पौष्टिक-औषधीय पदार्थों के महत्वपूर्ण खोजों के माध्यम से शोधकर्ता, एवं चिकित्सक प्रशंसात्मक एवं वैकल्पिक चिकित्साओं के संबंध में नैदानिक अध्ययनों से प्राप्त जानकारी को उत्तरदायी चिकित्सा कार्यप्रणाली के रूप में संघटित करने और उसका मूल्यांकन करने के लिए नमूने विकसित कर रहे हैं। पौष्टिक-औषध (न्यूट्रास्युटिकल) शब्द को वास्तव में न्यू जर्सी के क्रॉफोर्ड स्थित फाउंडेशन ऑफ इन्नोवेशन मेडिसिन (एफआईएम (FIM)) के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ॰ स्टीफन एल.

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पोषण

1.

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बरगद

220px बरगद बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है। यह एक स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक वृक्ष है। इसका तना सीधा एंव कठोर होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए जमीन के अंदर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं। इन जड़ों को बरोह या प्राप जड़ कहते हैं। इसका फल छोटा गोलाकार एंव लाल रंग का होता है। इसके अन्दर बीज पाया जाता है। इसका बीज बहुत छोटा होता है किन्तु इसका पेड़ बहुत विशाल होता है। इसकी पत्ती चौड़ी, एंव लगभग अण्डाकार होती है। इसकी पत्ती, शाखाओं एंव कलिकाओं को तोड़ने से दूध जैसा रस निकलता है जिसे लेटेक्स कहा जाता है। .

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बादाम का दुध

बादाम का दुध बादाम का दुध बादाम से बना एक मलाईदार और थोडे मीठे स्वाद का पेय है जो कोलेस्टेरॉल और लैक्टोज रहित है। इस कारण ये वीगनवादीओं में और लैक्टोज या दूध की एलर्जी होने वाले लोगों मे प्रसिद्ध है। बाजार में मिलनेवाला बादाम का दुध आम तौर पर विटामिन से समृद्ध किया गया होता है। यह ब्लेंडर का उपयोग कर, बादाम और पानी से घर पर भी बनाया जा सकता है। भूमध्यसागरीय क्षेत्र में इस पेय उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है। .

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बाल्यकाल स्थूलता (बच्चों में मोटापा)

बाल्यकाल स्थूलता एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में उपस्थित अतिरिक्त वसा बच्चे के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। चूंकि प्रत्यक्ष रूप से शारीरिक वसा के मापन की विधियां कठिन हैं, मोटापे या स्थूलता का निदान अक्सर बीएमआई पर आधारित होता है। बच्चों में स्थूलता या मोटापे की स्थिति बढती जा रही है और मोटापा स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसीलिए इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य से सम्बंधित एक गंभीर चिंता का विषय माना जाता है। ऐसे बच्चों को अक्सर स्थूलता से पीड़ित नहीं कहा जाता बल्कि ऐसा कहा जाता है कि उनका वजन अधिक है या वे ओवरवेट हैं, क्योंकि यह सुनने में कम बुरा लगता है। .

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बासुंदी

बासुंदी एक गुजराती व्यंजन और भारतीय मिठाई है जो महाराष्ट्र राज्य में भी बहुत लोकप्रिय है।.

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बकरी

बकरी और उसके बच्चे बकरी एक पालतू पशु है, जिसे दूध तथा मांस के लिये पाला जाता है। इसके अतिरिक्त इससे रेशा, चर्म, खाद एवं बाल प्राप्त होता है। विश्व में बकरियाँ पालतू व जंगली रूप में पाई जाती हैं और अनुमान है कि विश्वभर की पालतू बकरियाँ दक्षिणपश्चिमी एशिया व पूर्वी यूरोप की जंगली बकरी की एक वंशज उपजाति है। मानवों ने वरणात्मक प्रजनन से बकरियों को स्थान और प्रयोग के अनुसार अलग-अलग नस्लों में बना दिया गया है और आज दुनिया में लगभग ३०० नस्लें पाई जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार सन् २०११ में दुनिया-भर में ९२.४ करोड़ से अधिक बकरियाँ थीं। .

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ब्रूस ली

ब्रूस ली (जून फान,李振藩,李小龙; पिनयिन: Lǐ Zhènfān, Lǐ Xiăolóng; 27 नवंबर, 1940 - 20 जुलाई, 1973) अमेरिका में जन्मे, चीनी हांगकांग अभिनेता, मार्शल कलाकार, दार्शनिक, फ़िल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, विंग चुन के अभ्यासकर्ता और जीत कुन डो अवधारणा के संस्थापक थे। कई लोग उन्हें 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली मार्शल कलाकार और एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में मानते हैं। वे अभिनेता ब्रैनडन ली और अभिनेत्री शैनन ली के पिता भी थे। उनका छोटा भाई रॉबर्ट एक संगीतकार और द थंडरबर्ड्स नामक हांगकांग के एक लोकप्रिय बीट बैंड का सदस्य था। ली सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में पैदा हुए थे और किशोर वय के अंत से कुछ पहले तक हांगकांग में पले-बढ़े. उनकी हांगकांग और हॉलीवुड निर्मित फ़िल्मों ने, परंपरागत हांगकांग मार्शल आर्ट फ़िल्मों को लोकप्रियता और ख्याति के एक नए स्तर पर पहुंचा दिया और पश्चिम में चीनी मार्शल आर्ट के प्रति दिलचस्पी की दूसरी प्रमुख लहर छेड़ दी। उनकी फ़िल्मों की दिशा और लहजे ने मार्शल आर्ट तथा हांगकांग के साथ-साथ बाक़ी दुनिया में मार्शल आर्ट फ़िल्मों को परिवर्तित और प्रभावित किया। वे मुख्य रूप से पांच फ़ीचर फ़िल्मों में अपने अभिनय के लिए जाने जाते हैं, लो वाई की द बिग बॉस (1971) और फ़िस्ट ऑफ़ फ़्यूरी (1972); ब्रूस ली द्वारा निर्देशित और लिखित वे ऑफ़ द ड्रैगन (1972); वार्नर ब्रदर्स की एंटर द ड्रैगन (1973), रॉबर्ट क्लाउस द्वारा निर्देशित और द गेम ऑफ़ डेथ (1978). ली एक अनुकरणीय व्यक्तित्व बन गए, विशेष रूप से चीनियों में, क्योंकि उन्होंने अपनी फिल्मों में चीनी राष्ट्रीय गौरव और चीनी राष्ट्रवाद का चित्रण किया। वे मुख्यतः चीनी मार्शल आर्ट, विशेषकर विंग चुन, का अभ्यास करते थे (लोकप्रिय पाश्चात्यीकृत शब्दावली में "कुंग फू, ") .

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भारत में पशुपालन

किसान के घर के पास बंधी हुई गायें भारत में बहुत से किसानों की जीविका पशुपालन से चलती है। दूध, मांस, अण्डा, ऊन आदि की प्राप्ति के अलावा पशुओं का उपयोग शक्ति के स्रोत के रूप में भी होता है (मुख्यतः बैल)। अतः ग्रामीन अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महती भूमिका है। .

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भारत में कृषि

भारत के अधिकांश उत्सव सीधे कृषि से जुड़े हुए हैं। होली खेलते बच्चे कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था। उस समय सम्पूर्ण कार्य करने वालों का 52% कृषि में लगा हुआ था। .

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भारत में अन्धविश्वास

अंधविश्वासों के प्रथाओं हानिरहित हो सकते है, जैसे कि बुरी नजर दूर रखने वाली नींबुऔर मिर्च। मगर वे जल की तरह गंभीर भी हो सकते है। अंधविश्वासों को अच्छे तथा बुरे अंधविश्वासों में बांटा जा सकता है। .

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भैंस

भैंस विश्व में भैंस का वितरण की स्थिति भैंस एक दुधारू पशु है। कुछ लोगों द्वारा भैंस का दूध गाय के दूध से अधिक पसंद किया जाता है। यह ग्रामीण भारत में बहुत उपयोगी पशु है। .

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भेड़

भेड़ अर्जेंटीना में भेड़ों के झुंड भेड़ एक प्रकार का पालतू पशु है। इसे मांस, ऊन और दूध के लिए पाला जाता है। .

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मट्ठा प्रोटीन

एक स्वास्थ्य-आहार की दुकान पर बेचे जा रहे मट्ठा प्रोटीन के डिब्बे. मट्ठा प्रोटीन, मट्ठा से पृथक गोलाकार प्रोटीन का एक मिश्रण, पनीर उत्पादन के उपोत्पादन के रूप में तैयार तरल पदार्थ है। कृन्तकों के कुछ पूर्व-नैदानिक अध्ययनों ने सुझाया है कि मट्ठा प्रोटीन, ग्लूटाथिऑन के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं और यह शोथरोधी या कैंसररोधी गुणों से युक्त हो सकते हैं; लेकिन, मानव आंकडे उपलब्ध नहीं है। मानव स्वास्थ्य पर मट्ठा प्रोटीन का प्रभाव काफ़ी दिलचस्प हैं और रोगों के जोखिम को घटाने, या कई रोगों के पूरक उपचार के तौर पर, इस प्रोटीन मिश्रण की जांच की जा रही है। मट्ठा प्रोटीन का सामान्यतः आहार अनुपूरक के रूप में विपणन और अंतर्ग्रहण किया जाता है और वैकल्पिक चिकित्सा समुदाय में इसको विभिन्न स्वास्थ्य दावों का श्रेय दिया जाता है। हालांकि कुछ दुग्ध एलर्जी के लिए मट्ठा प्रोटीन जिम्मेदार है, पर दूध में प्रमुख प्रत्यूर्जक कैसीन रहे हैं। .

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मथित्र

मथित्र (Centrifuge), या अपकेंद्रित, सामान्यत: ऐसे उपकरण या मशीन को कहते हैं, जिसमें अपकेंद्री (centrifugal) बल के उपयोग से विभिन्न घनत्व के पदार्थों का पृथक्करण किया जाता है। आजकल अपकेंद्रित की उपर्युक्त परिभाषा अधिक विस्तृत हो गई है, जिसके अनुसार ऐसी किसी भी मशीन को, जिसकी रचना इस विशेष प्रयोजन से की गई हो कि उसमें पदार्थों को केंद्राभिमुख, अपकेंद्री बल के सतत प्रभाव में रखा जा सके, अपकेंद्रित्र कहा जाता है। अपकेंद्रित्र में पदार्थों का पृथक्करण विभिन्न घनत्व के कारण होता है। अपकेंद्रण से अपकेंद्री बल उत्पन्न होता है, जो गुरुत्वाकर्षण बल के समान होता है। केंद्राभिमुख बल का उपयोग ऐसे अनेक प्रक्रमों को त्वरित करने में प्रयुक्त किया जा सकता है, जो सामान्यत: गुरुत्वाकर्षण के अपेक्षाकृत अल्प बल पर निर्भर करते हैं। भारत तथा अन्य देशों में अपकेंद्रित्र का उपयोग बहुत समय से होता आया है। दही तथा दूध को मथकर मक्खन निकालने की क्रिया केंद्राभिमुख बल पर निर्भर करती है। केंद्राभिमुख बल की वैज्ञानिक परिभाषा न्यूटन के बल तथा गति के प्रसिद्ध नियम पर आधारित है। न्यूटन के इस नियम के अनुसार मुक्त अवस्था में, गतिशील पदार्थों में, सरल रेखा में चलने की प्रवृत्ति होती है। अत: यदि इस प्रकार के गतिशील पदार्थ को वक्र पथ पर चलने के लिये संचालित किया जाए, तो वह पदार्थ उस संचालित, अथवा नियंत्रित करनेवाले पदार्थ, अथवा वस्तु के विपरीत बल प्रयुक्त करता है। इसके फलस्वरूप गतिशील पदार्थ में उस वक्रपथ की स्पर्श रेखा की दिशा की ओर चल पड़ने की निरंतर प्रवृत्ति होती है। उदाहरणार्थ, यह सामान्य अनुभव में देखा जाता है कि वृत्त पथ में परिभ्रमण करनेवाली कोई वस्तु परिभ्रमण केंद्र से दूर बलप्रयास करती है। बलप्रयास की यह दिशा परिभ्रमण वृत्त के स्पर्शज्या पथ की ओर होती है। अत: परिभ्रमण के कोणीय वेग, वस्तु, अथवा पदार्थ के भार, अथवा वस्तु के परिभ्रमणवृत्त के अर्धव्यास, में वृद्धि होने से अपकेंद्री बल में वृद्धि होती है। अपकेंद्री बल का घूर्णन वृत्त के अर्धव्यास तथा वस्तु के भार से क्रमानुपात होता है, जबकि इसका कोणीय वेग के वर्ग से अनुपात होता है। अपकेंद्रत्रि के प्रति मिनट घूर्णन की संख्या में दुगुनी वृद्धि होने से अपकेंद्री बल में चौगुनी वृद्धि होती हैं। इसी प्रकार अपकेंद्रित्र की गति में दस गुनी वृद्धि से अपकेंद्री बल में सौ गुनी वृद्धि हो जाती है। अपकेंद्रण की क्रिया में किसी वस्तु पर कार्य करने, अथवा प्रभाव उत्पन्न करने, वाले अपकेंद्री बल की, बहुधा वस्तु की तौल (वस्तु का भार व् गुरुत्वाकर्षण) से सीधे तुलना की जाती है। इस आधार पर अपकेंद्री बल को गुरुत्व के गुणज रूप में व्यक्त किया जाता है। गुरुत्व के लिये g अक्षर को प्रतीक माना जाता है, अत: अपकेंद्री बल को संक्षेप में g के गुणज में लिखा जाता है। यदि अपकेंद्रित्र में कोई वस्तु 600 घूर्णन प्रति मिनट की गति से घूर्णन कर रही हो तथा घूर्णनवृत्त का अर्धव्यास 3.84 इंच अथवा 10 सेंटीमीटर हो, तो इस परिस्थिति में जनित होनेवाला अपकेंद्री बल गुरुत्व का 41 गुना होता है। आधुनिक एवं विशेष प्रकार के अपकेंद्रित में गुरुत्व का लाख गुना अपकेंद्री बल उत्पन्न किया जा सकता है। आधुनिक अपकेंद्रित धातुनिर्मित एक ऐसा पात्र होता है जिसमें घूर्णन करनेवाला भाग विद्युन्मोटर की स्थिर धुरी से जुड़ा हुआ होता है। अत: विद्युन्मोटर के चलने पर अपकेंद्रित्र का घूर्णन करनेवाला भाग भी विद्युन्मोटर की गति से घूर्णित होने लगता है। घूर्णन की गति विघुत् की धुरी के घूर्णन के समान होती है। पूर्व समय में अपकेंद्रित में घूर्णन हाथ से उत्पन्न किया जाता था। आजकल भी घरेलू उपयोग में अपकेंद्रित्र के घूर्णन के लिये शारीरिक श्रम का उपयोग होता है। आधुनिक अति तीव्र गति से घूर्णित होनेवाले उपकेंद्रित्र में विद्युन्मोटर के स्थान पर वायु टरबाइन का उपयोग होने लगा है। अपकेंद्रित्र के घूर्णन करनेवाले भाग को रोटर कहा जाता है। इसका आकार कटोरी के समान, अथवा उल्टे प्याले के समान होता है। इसमें द्रव अथवा अन्य वस्तु को अपकेंद्रित्र नली में, अथवा सीधे कटोरी में, अपकेंद्रण के लिये रखा जाता है। अपकेंद्रण कार्य में अपकेद्रित्र में अनावश्यक एवं हानिकर कंपन उत्पन्न न हो, इसके लिये आवश्यक होता है कि वस्तु से पूरित रोटर पूर्ण रूप से संतुलित हो। इसके लिये वस्तु के संपूर्ण भार को घूर्णन धूरी के चारों ओर समान रूप से वितरित रखना पड़ता है। आदर्श परिस्थिति में इस व्यवस्था से मूल बलों का परिणामी शून्य के बराबर होता है। अपकेंद्रण में द्रवों की, विशेषकर ऐसे द्रवों की जिनमें ठोस पदार्थ के सूक्ष्म कण निलंबित हों अथवा जिनमें अमिश्रणीय द्रव की गोलिकाएँ अथवा दोनों ही विद्यमान हों, अपकेंद्रण प्रवृत्ति विशेष महत्व की होती है। ठोस पदार्थ के सूक्ष्म कण, जल तथा तेल से बने पायस से तीनों वस्तुओं का पृथक्करण सरलता से किया जा सकता है। अपकेंद्रण में उत्पन्न होनेवाले अपकेंद्री बल की तुलना में गुरुत्व बल अत्यंत अल्प होता है। अपकेंद्री बल के क्षेत्र में, द्रव पदार्थ घूर्णन अक्ष से अधिक से अधिक दूरी पर विपरीत होने का प्रयत्न करता है, जिससे द्रव अपकेंद्रित्र के घूर्णन पात्र के बाहरी किनारें के समीप समान मोटाई में स्थित हो जाता है। इस प्रकार पात्र में अक्ष से लेकर द्रव तक समान रूप में फैला हुआ मुक्त स्थान उत्पन्न हो जाता है, जो कि रंभाकार होता है। इस प्रकार अपकेंद्रण की क्रिया के द्वारा निलंबित करनेवाले द्रव से अपेक्षाकृत अधिक घनत्ववाले, निलंबित सूक्ष्मकण परिभ्रमण पात्र की परिधि में एकत्रित हो जाते हैं तथा निलंबन करनेवाले द्रव से कम घनत्व के निलंबित सूक्ष्मकण पात्र के स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उपर्युक्त पृथक्करण कितना शीध्र होगा, यह केंद्राभिमुख बल की तीव्रता, निलंबित करनेवाले द्रव तथा निलंबित सूक्ष्म कणों के घनत्व के अंतर, द्रव की श्यानता, निलंबित सूक्ष्म कणों के आकार तथा परिमाण और कणों की सांद्रता तथा अनेक वैद्युत प्रभार के स्तर पर निर्भर करता है। .

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मदर डेयरी

मदर डेयरी, दुग्ध उत्पादों के व्यवसाय से जुडी एक सहकारी कंपनी है जिसकी स्थापना १९७४, में भारत के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में की गयी थी। श्रेणी:दिल्ली.

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मधु

बोतल में छत्ते के साथ रखी मधु मधु या शहद (अंग्रेज़ी:Honey हनी) एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।। उत्तराकृषिप्रभा शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है।। हिन्दुस्तान लाईव। ११ अप्रैल २०१० .

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मलाई

मलाई एक प्रकार का क्रीम (अंग्रेज़ी: cream) है। खाना बनाने में उपयोग होती है। यह दूध से बनाते है। .

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि (बोलचाल में शिवरात्रि) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिक तर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी जाता है। .

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माल्टा ज्वर

माल्टा ज्वर (Malta Fever) एक अत्यन्त संक्रामक रोग है, जो ब्रूसेला (Brucella) जाति के जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है। इसे मेडिटरेनियन ज्वर, ब्रूसिलोलिस (Brucellosis), या अंडुलेंट (undulent) ज्वर भी कहते हैं। यह एक पशुजन्यरोग है। मनुष्यों में पालतू जानवरों, जैसे मवेशी कुत्ते या सूअर आदि, द्वारा इसका संचारण होता है। इन संक्रमित पशुओं का दूध पीने, मांस खाने या इनके स्रावों (secretions) के सम्पर्क में आने से इसका संक्रमण हो सकता है। रोग की तीव्रावस्था में ज्वर, पसीना, सुस्ती तथा शरीर में दर्द रहता है और कभी-कभी यह महीनों तक जीर्ण रूप में चलता रहता है। रोग द्वारा मृत्यु की संख्या अधिक नहीं है, किंतु रोग शीघ्र दूर नहीं होता। राइट (Wright) ने सन् १८९७ में ब्रूसलोसिस रोग के समूहन (agglntination) परीक्षण का वर्णन किया। ब्रूसेला की तीन किस्में ज्ञात हैं, जो जानवरों की तीन जातियों में पाई जाती है: बकरी में ब्रूसेला मेलिटेन्सिस (Br.Melitensis), सूअर में ब्रूसेला सूई (Br. Suis) तथा मवेशी में ब्रू० ऐबारटस (Br. Abortus)। संक्रमण जानवरों के दूध पीने से मनुष्य में रोग का संचार होता है। उद्भवन काल ५ से २१ दिन है। कभी कभी रोग के लक्षण प्रत्यक्ष होने में ६ से ९ माह तक लग जाते है। उग्र रूप में ज्वर, ठंड़ के साथ कँपकँपी तथा पसीना होता है। जीर्ण रूप में धीरे-धीरे लक्षण प्रकट होते हैं। इस रोग के तथा इंफ्लुएंजा, मलेरिया, तपेदिक, मोतीझरा आदि रोगों के लक्षण आपस में मिलने के कारण विशेष समूहन परीक्षा तथा त्वचा में टीका परीक्षण से रोग निदान होता है। चिकित्सा में उचित परिचर्या तथा सल्फोनेमाइड, स्ट्रेप्टोमाइसिन आदि का प्रयोग होता है। रोग प्रतिषेध के लिये पास्चूरीकृत दूध को काम में लाना चाहिए। .

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मिल्कशेक

एक स्ट्राबेरी मिल्कशेक जो की झागदार क्रीम से सना हुआ हो और स्ट्राबेरी सिरप जानी राकेट्स से लिया गया हो. मिल्कशेक एक मीठा, ठंडा पेयपदार्थ है, जो दूध, आइसक्रीम या बर्फीले दूध से बनाया जाता है और स्वाद और मिठास के लिए इसमें फलों का रस और चाकलेट सॉस का इस्तेमाल किया जाता है। पूर्ण सेवा प्रदान करने वाले रेस्तरां, सोडा फाउंटेन और ढाबेवाले प्रायः चम्मच से आइसक्रीम लेकर और दूध के साथ ब्लेंडर या ड्रिंक मिक्सर में रखकर स्टेनलेस स्टील के कप का प्रयोग करते हुए शेक को हाथ से तैयार करते और मिला देते है। अधिकांश फास्टफूड दुकान वाले शेक को आइसक्रीम के साथ हाथ से तैयार नहीं करते है। इसके वनिस्पत वे शेक तैयार करने के लिए एक स्वचालित मिल्कशेक मशीन का उपयोग करते है, जो कि उसे जमा देता है और पहले से तैयार मिल्कशेक के मिश्रण के रूप में कार्य करता है, जिसमें दूध, एक मीठा स्वाद के लिए एजेंट और उसे गाढ़ा बनाने वाला एजेंट शामिल होता है। इसके कुछ अपवाद भी है, जैसे कि यू एस श्रृंखला बेक यार्ड बर्गर, जैक इन दी बॉक्स, लोंग जॉन सिल्वरस, हार्डीस, चिक-फिल-ए और कार्ल्स जूनियर जो आइसक्रीम का प्रयोग कर हाथ से शेक बनाते है। कुछ फास्टफूड रेस्तरां जैसे कि डेयरी क्वीन पेश करते है जो कि नरम आइसक्रीम (या बर्फ दूध), मिठास प्रदान करने वाले यौगिक, स्वादिष्ट चॉकलेटसिरप और फलों के स्वाद का सिरप और दूध के सम्मिश्रण से तैयार किया जाता है। .

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मिश्री

मिश्री या मिसरी शक्कर के क्रिस्टलों का एक रूप है, जिसे भारत व पाकिस्तान में एक मिष्ठान्न के रूप में प्रयोग किया जाता है, अथवा दूध को मीठा करने में प्रयोग किया जाता है। .

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मुर्रा भैंस

मुर्रा भैंस पालतू भैंस की एक प्रजाति है जो दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है। यह मूलतः अविभाजित पंजाब का पशु है किन्तु अब दूसरे प्रान्तों तथा दूसरे देशों (जैसे इटली, बल्गेरिया, मिस्र आदि) में भी पाली जातीहै। हरियाणा में इसे काला सोना कहा जाता हैै.

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मुंहासे

मुहांसे मुंहासे या पिटिका (Pimples or Acne) त्वचा की एक स्थिति है जो सफेद, काले और जलने वाले लाल दाग के रूप में दिखते हैं। यह लगभग 14 वर्ष से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं। ये निकलते समय तकलीफ दायक होते हैं व बाद में भी इसके दाग-घब्बे चेहरे पर रह जाते हैं। .

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मैग्नीशियम हाईड्रॉक्साइड

मैग्नीशियम हाईड्रॉक्साइड (Magnesium hydroxide) एक अकार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र Mg(OH)2 है। इसे 'मिल्क ऑफ मैग्नीशिया' कहते हैं क्योंकि जल में घुलकर यह दूध जैसा दिखता है। (1) \mathrm (2) \mathrm (3) \mathrm.

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मैकडॉनल्ड्स

मैकडॉनल्ड्स कार्पोरेशन (McDonald's Corporation), हैमबर्गर फास्ट फ़ूड रेस्तरां की विश्व की सबसे बड़ी श्रृंखला है, जो प्रतिदिन 58 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों की सेवा करती है। खुद की प्रमुख रेस्तरां श्रृंखला के अतिरिक्त, मैकडॉनल्ड्स कार्पोरेशन के पास 2008 तक प्रेट ए मैनेजर में अल्पसंख्यक हिस्सेदारी थी, यह 2006 तक चिपोटल मेक्सिकन ग्रिल में प्रमुख निवेशक रही थी, और 2007 तक बोस्टन मार्केट रेस्तरां श्रृंखला का स्वामित्व भी इसके अधीन था। एक मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां को फ्रेंचाइजी, सहबद्ध या स्वयं कार्पोरेशन द्वारा संचालित किया जाता है। कार्पोरेशन की आय किराये, रॉयल्टी और फ्रेंचाइजी द्वारा दी गयी फीस, साथ ही कंपनी द्वारा संचालित रेस्तरां में होने वाली बिक्री से भी होती है।२०१५ में, कंपनी के एक ब्रांड के ८१ बिलियन यू.एस.डॉलर के एक से अधिक अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, स्टारबक्स दोगुना से अधिक मूल्य था। मैकडॉनल्ड्स इतनी भूमंडलीकृत कि बिग मैक सूचकांक के पैमाने है कि एक बिग मैक बर्गर की कीमत का उपयोग कर दोनों देशों के बीच क्रय शक्ति अब एक समानता के उपाय का वैश्विक सूचक है।कीमत के बावजूद, बिग एमएसीएस दुनिया भर में २०१५ में मैकडॉनल्ड्स २५.४१ बिलियन यू.एस.

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याक

याक याक (वैज्ञानिक नाम: Bos Grunniens) एक पशु है जो तिब्बत के ठण्डे तथा वीरान पठार, नेपाल और भारत के उत्तरी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह काला, भूरा, सफेद या धब्बेदार रंग का होता है। इसका शरीर घने, लम्बे और खुरदरे बालों से ढँका हुआ होता है। इसे कुछ लोग तिब्बत का बैल भी कहते हैं। इसे 'चमरी' या 'चँवरी' या 'सुरागाय' भी कहते हैं। .

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रबड़ी

रबड़ी एक प्रकार का पकवान है जो दूध को खूब उबाल कर व उसे गाढ़ा करके बनाया जाता है। भावप्रकाशनिघण्टु के अनुसार बिना जल छोड़े दूध को जितना ही अधिक औटाया जाये वह उतना ही अधिक गुणकारी, स्निग्ध (तरावट देने वाला), बल एवं वीर्य को बढ़ाने वाला हो जाता है। इसमें यदि खाँड या चीनी मिला दी जाये तो रबड़ी या राबड़ी बन जाती है। यह खाने में बहुत अधिक स्वादिष्ट होती है परन्तु देर से हजम होती है। .

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रस-मलाई

रस-मलाई उत्तरी एवं पूर्वी भारत की एक मिठाई है। इसका मूल भी भारतीय उपमहाद्वीप में ही है। इसमें छेना का एक रसहुल्ला जैसा आकार होता है जो मलाई के रस में डूबा रहता है। यह रस प्रायः केसर युक्त होने के कारण पीले रंग का रहता है। उसके ऊपर कतरी हुई मेवा पड़ी रहती है। श्री के.सी.दास के पड़पोतों के अनुसार ये मिठाई बंगाली मूल की है एवं इसका आविष्कार श्री दास ने ही किया था। रसमलाई एक प्रकार का पकवान है जो दूध, छेना तथा चीनी से बनाया जाता है। .

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रक्तस्राव

अंगुली से रक्तस्राव रक्तस्राव (Bleeding या Haemorrhage) शब्द का अर्थ है रुधिरवाहिकाओं से रक्त का बाहर निकलना। जब तक रुधिरवाहिकाओं में दरार, या छिद्र न हो, तब तक रक्तस्राव का होना संभव नहीं है। चोट या रोग के कारण ही रुधिरवाहिकाओं में दरार या छिद्र होते हैं। चोट लगने पर तत्काल रक्तस्राव होना प्राथमिक रक्तस्राव कहलाता है और चोट लगने के कुछ काल पश्चात् रक्तस्राव होना गौण रक्तस्राव कहलाता है। यदि रक्त धमनी से बाहर निकलता है, तो यह धमनीय रक्तस्राव कहलाता है। इस रक्तस्राव का रंग चमकीला लाल होता है और यह हृदय के स्पंदन के समकालिक होता है। शिरा से बाहर निकलनेवाले रक्त का रंग कालिमा लिए लाल होता है और घाव से बहता है। केशिका (कैपिलरीज) से स्रावित होनेवाले रक्तस्राव का रंग उपर्युक्त दोनों स्रावों के रंग के बीच का होता है और त्वचा पर केवल छोटा सा लाल धब्बा पड़ जाता है। वमन, मूत्र तथा थूक में मिला हुआ रक्त निकल सकता है, या नाक से नक्सीर फूटने के कारण रक्तस्राव होता है। आमाशय या पक्वाशय में व्रण हो जाने पर रक्तस्राव होने लगता है। स्वयं रुधिरवाहिकाओं के रुग्ण होने पर एवं उच्च रक्तचाप के कारण धमनियों में दरार पड़ जाती है और रक्तस्राव होने लगता है। मस्तिष्क के ऊतकों से रक्तस्राव होने पर रक्तमूर्च्छा (apoplexy) हो जाती है। .

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रक्ताल्पता

रक्ताल्पता (रक्त+अल्पता), का साधारण मतलब रक्त (खून) की कमी है। यह लाल रक्त कोशिका में पाए जाने वाले एक पदार्थ (कण) रूधिर वर्णिका यानि हीमोग्लोबिन की संख्या में कमी आने से होती है। हीमोग्लोबिन के अणु में अनचाहे परिवर्तन आने से भी रक्ताल्पता के लक्षण प्रकट होते हैं। हीमोग्लोबिन पूरे शरीर मे ऑक्सीजन को प्रवाहित करता है और इसकी संख्या मे कमी आने से शरीर मे ऑक्सीजन की आपूर्ति मे भी कमी आती है जिसके कारण व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है। .

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लूची

यदि पूड़ी आटे के स्थान पर मैदे से बनाई जाये तो यह लूची कहलाती है। लूची विशेष रूप से पूर्व में स्थित भारतीय राज्यों जैसे कि पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा और ओसाम में प्रचलित है। इसे बनाने के लिए मैदे में घी का मोयन मिलाकर पानी अथवा दूध में गूंधा जाता है और फिर इसे घी या तेल में तल लिया जाता है। इसे अक्सर तरी वाली सब्जियों के साथ परोसा जाता है। .

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शाही पनीर

शाही पनीर एक उत्तर भारतीय व्यंजन है जो पनीर से बनता है। .

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शीर ख़ुर्मा

शीर ख़ुर्मा या शीर खोरमा (फ़ारसी / उर्दू - شیر خرما) फारसी में "सेवियों के साथ दूध", ईद उल-फ़ित्र और ईद अल-अज़हा के दिन अफ़गानिस्तान में मुस्लिमों द्वारा तैयार एक सेवियों का पकवान (व्यंजन) है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में यह एक पारंपरिक मुस्लिम त्यौहार का नाश्ता, और समारोह के लिए मिठाई है। यह पकवान सूखे खजूरों से बना है। ईद की नमाज़ के बाद परिवार में नाश्ते के दौरान सभी अतिथि मेहमानों के लिए यह विशेष पकवान परोसा जाता है। यह दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में बहुत लोकप्रिय है। .

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शीरमाल

शीरमाल (ﺸﻴر ماﻝ), केसर के स्वाद वाली मैदा व दूध से बनी अवधी खानपान व पाकिस्तानी खान्पान की एक रोटी होती है। .

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सलाद

एक सलाद की थाली. व्यंजनों के व्यापक विविध प्रकार में से एक है सलाद जिसमें शामिल है वेजीटेबल सलाद; पास्ता सलाद, फलियां, अंडा, या अनाज सलाद; मिश्रित सलाद जिसमें मांस, अंडा, या सीफ़ूड होता है; और फ्रुट सलाद.

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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .

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स्तन ग्रंथि

स्त्री की स्तनग्रन्थि स्तनग्रंथि (Mammary gland) स्तनधारी वर्ग के शरीर की एक विशेष और अनूठी ग्रन्थि है। यह "दूध" का स्रवण करती है जो नवजात शिशु के लिए पोषक आहार है। इस प्रकरण में सबसे आद्यकालीन (primitive) स्तनधारी डकबिल (duckbill) और प्लेटिपस (platypus) हैं जो अंडा देते हैं। इनकी स्तनग्रंथि में चूचुक (nipples) का अभाव होता है और दूध की रसना (oozing) दो स्तनप्रदेशों से होती है जिसे पशुशावक जीभ से चाटते हैं। धानी प्राणीगण, जैसे कंगारू, में स्तनग्रंथि से संबंधित उसके नीचे एक धानी (pouch) रहती है जिसे स्तनगर्त (mammary pocket) कहते हैं। जन्म के बाद पशुशावक गर्भाशय से रेंगकर स्तनगर्त में आ जाते हैं। वहाँ वे अधिक समय तक अपना मुँह चूचक से लगाए रहते हैं और इस तरह दुग्ध आहार ग्रहण करते हैं। मानव जाति में जन्म के समय स्तनग्रंथि का प्रतिरूप केवल चूचक होता है। स्तनग्रंथियों को त्वचाग्रंथि माना जाता है क्योंकि त्वचा की तरह इनकी भ्रूणीय उत्पत्ति भी बहिर्जनस्तर (ectoderm) की वृद्धि से होती है। तरुण अवस्था में एस्ट्रोजेन (oestrogen), (स्त्री मदजन), हारमोन और मदचक्र (oestrons cycle) के कारण स्तन ऊतकों को अधिक उत्तेजना मिलती है और स्तन की नली प्रणाली, वसा और स्तन ऊतक में अधिक वृद्धि होती है। गर्भावस्था में स्तनग्रंथि की नलियाँ शाखीय हो जाती हैं और इन शाखाओं के छोर पर नई प्रकार की अंगूर की तरह कोष्ठिकाओं (alveori) की वृद्धि होती है। इन कोष्ठिकाओं की धारिच्छद कोशिकाएँ (epithlial cells) दूध और कोलोस्ट्रम (colostrum) स्रावित करने में समर्थ होती हैं जो अवकाशिका (central cavity) में एकत्र होते हैं और इस कारण स्तन में फैलाव भी होता है। गर्भावस्था में कोष्ठिकाओं की वृद्धि को अंडाशय (ovary) के हारमोन (oestrogen) एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टरोन (progesterone) से और पियुषिका पिंड के अग्रखंड (anterior lobe of pituitary) में स्रावित एक दुग्धजनक हारमोन (lactogenic hormone) से अधिक उत्तेजना मिलती है। दूध की उत्पत्ति कोष्ठिकाओं की संख्या पर निर्भर होती है। प्रसूति (parturition) के समय स्तनग्रंथियाँ पूर्ण रूप से विकसित और दूध स्रावित करने में समर्थ रहती हैं। .

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स्तन-पम्प

हाथ से चलने वाला स्तन-पम्प अंगूठाकार स्तन पम्प (breast pump) एक यांत्रिक युक्ति है जो दूधयुक्त (दुधारू) स्त्रियों के स्तन से दूध निकालने के लिये प्रयुक्त होता है। स्तन-पम्प हाथ से चलने वाले या पैर से चलने वाले या बिजली से चलने वाले हो सकते हैं। इसका उपयोग उन स्त्रियों के लिये अधिक उपयोगी है जो काम के लिये बच्चों से दूर रहतीं हैं। ऐसी स्थिति में सुबह एक बार दूध निकालकर उसे बोतल में भरकर रख दिया जाता है और दिन भर शिशु को बोतल में भरकर दिया जा सकता है। श्रेणी:शिशु पोषण.

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स्नैक फूड (अल्पाहार)

स्नैक (अल्पाहार) भोजन का वह भाग है जो अक्सर नियमित भोजन से कम होता है, आमतौर पर जिसे दो भोजनों के बीच में खाया जाता है। स्नैक्स कई किस्मों में आते हैं जिसमें शामिल हैं पैक किये हुए और संसाधित खाद्य पदार्थ और घर पर ताजा सामग्री से बनी चीज़ें.

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सूप

फ़्रांसिसी प्याज सूप का एक कटोरा रोटी के साथ घर में बना हुआ चिकन नूडल सूप सूप या शोरबा एक प्रकार का खाद्य पदार्थ है जो मीट और सब्जियों जैसी सामग्रियों को, स्टॉक, जूस, पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ में मिलाकर बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त गर्म सूप की अन्य विशेषता यह है कि इनमें एक पात्र में तरल पदार्थ में ठोस सामग्रियों को तब तक उबाला जाता है जब तक कि स्वाद उनसे निकलर तरल पदार्थ में न समा जाए और वह एक शोरबे जैसा हो जाये.

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सूक्ष्मजीव

जीवाणुओं का एक झुंड वे जीव जिन्हें मनुष्य नंगी आंखों से नही देख सकता तथा जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ता है, उन्हें सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गैनिज्म) कहते हैं। सूक्ष्मजैविकी (microbiology) में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है। सूक्ष्मजीवों का संसार अत्यन्त विविधता से बह्रा हुआ है। सूक्ष्मजीवों के अन्तर्गत सभी जीवाणु (बैक्टीरिया) और आर्किया तथा लगभग सभी प्रोटोजोआ के अलावा कुछ कवक (फंगी), शैवाल (एल्गी), और चक्रधर (रॉटिफर) आदि जीव आते हैं। बहुत से अन्य जीवों तथा पादपों के शिशु भी सूक्ष्मजीव ही होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीवविज्ञानी विषाणुओं को भी सूक्ष्मजीव के अन्दर रखते हैं किन्तु अन्य लोग इन्हें 'निर्जीव' मानते हैं। सूक्ष्मजीव सर्वव्यापी होते हैं। यह मृदा, जल, वायु, हमारे शरीर के अंदर तथा अन्य प्रकार के प्राणियों तथा पादपों में पाए जाते हैं। जहाँ किसी प्रकार जीवन संभव नहीं है जैसे गीज़र के भीतर गहराई तक, (तापीय चिमनी) जहाँ ताप 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ रहता है, मृदा में गहराई तक, बर्फ की पर्तों के कई मीटर नीचे तथा उच्च अम्लीय पर्यावरण जैसे स्थानों पर भी पाए जाते हैं। जीवाणु तथा अधिकांश कवकों के समान सूक्ष्मजीवियों को पोषक मीडिया (माध्यमों) पर उगाया जा सकता है, ताकि वृद्धि कर यह कालोनी का रूप ले लें और इन्हें नग्न नेत्रों से देखा जा सके। ऐसे संवर्धनजन सूक्ष्मजीवियों पर अध्ययन के दौरान काफी लाभदायक होते हैं। .

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सोया दूध

सोया दूध (सोया दूध, सोयादूध, सोयाबीन दूध या सोया रस भी कहा जाता है और कभी कभी सोया शरबत/पेय के रूप में निर्दिष्ट होता है), यह सोयाबीन से बना एक पेय है। ये तेल, पानी और प्रोटीन का एक स्थिर पायस है, जो सूखे सोयाबीन को भिगो कर पानी के साथ पीस कर बनाया जाता है। सोया दूध में लगभग उसी अनुपात में प्रोटीन होता है जैसा कि गाय के दूध में: लगभग 3.5%, साथ ही 2% वसा, 2.9% कार्बोहाइड्रेट और 0.5% राख.

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सोहन पापड़ी

सोहन पापड़ी या सोम पापड़ी या सोहन हलवा या पतीशा एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है। इनके अलावा यह बांग्लादेश और पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है। यह आकार में वर्गाकार है और कुरकुरा और परतदार बनावट की होती है। .

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सोहन हलवा

सोहन हलवा एक मिठाई है जो भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में बहुत लोकप्रिय है। यह एक प्रकार का पकवान है जो मैदा, घी तथा चीनी से बनाया जाता है। .

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हरी चाय

गायवान में पकी हरी चाय की पत्तियाँ किण्वन की विभिन्न श्रेणियों में चाय कैमेलिया साइनेसिस का पौधा हरी चाय (अंग्रेज़ी: ग्रीन टी) एक प्रकार की चाय होती है, जो कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे की पत्तियों से बनायी जाती है। इसके बनाने की प्रक्रिया में ऑक्सीकरण न्यूनतम होता है। इसका उद्गम चीन में हुआ था और आगे चलकर एशिया में जापान से मध्य-पूर्व की कई संस्कृतियों से संबंधित रही। इसके सेवन के काफी लाभ होते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। ६ जनवरी २०१० प्रतिदिन कम से कम आठ कप ग्रीन टी हृदय रोग होने की संभावनाओं को कम करने कोलेस्ट्राल को कम करने के साथ ही शरीर के वजन को भी नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। प्रायः लोग ग्रीन टी के बारे में जानते हैं लेकिन इसकी उचित मात्र न ले पाने की वजह से उन्हें उनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। हरी चाय का फ्लेवर ताज़गी से भरपूर और हल्का होता है तथा स्वाद सामान्य चाय से अलग होता है। इसकी कुछ किस्में हल्की मिठास लिए होती है, जिसे पसंद के अनुसार दूध और शक्कर के साथ बनाया जा सकता है।। दैनिक भास्कर। १ मार्च २००८ ग्रीन टी बनाने के लिए एक प्याले में २-४ ग्राम चाय पड़ती है। पानी को पूरी तरह उबलने के बाद २-३ मिनट के लिए छोड़ देते हैं। प्याले में रखी चाय पर गर्म पानी डालकर फिर तीन मिनट छोड़ दें। इसे कुछ देर और ठंडा होने पर सेवन करते हैं। विभिन्न ब्रांड के अनुसार एक दिन में दो से तीन कप ग्रीन टी लाभदायक होती है। इसका अर्थ है कि एक दिन में ३००-४०० मिलीग्राम ग्रीन टी पर्याप्त होती है। अब तक ग्रीन टी का सिर्फ एक ही नुकसान ज्ञात हुआ है, अनिद्रा यानी नींद कम आने की बीमारी। इसका कारण चाय में उपस्थित कैफीन है। हालांकि इसमें कॉफी के मुकाबले कम कैफीन होता है। .

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जामुन

जामुन का पेड़ जामुन (वैज्ञानिक नाम: Syzygium cumini) एक सदाबहार वृक्ष है जिसके फल बैंगनी रंग के होते हैं (लगभग एक से दो सेमी. व्यास के) | यह वृक्ष भारत एवं दक्षिण एशिया के अन्य देशों एवं इण्डोनेशिया आदि में पाया जाता है। इसे विभिन्न घरेलू नामों जैसे जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है। प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में मीठा होता है। अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यत: इसे नमक के साथ खाया जता है। जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में काबोहाइट्ररेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लोहा का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं। .

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घी

घी घी (संस्कृत: घृतम्), एक विशेष प्रकार का मख्खन (बटर) है जो भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन काल से भोजन के एक अवयव के रूप में प्रयुक्त होता रहा है। भारतीय भोजन में खाद्य तेल के स्थान पर भी प्रयुक्त होता है। यह दूध के मक्खन से बनाया जाता है। दक्षिण एशिया एवं मध्य पूर्व के भोजन में यह एक महत्वपूर्ण अवयव है। .

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वसा

lipid एक ट्राईग्लीसराइड अणु वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसकी संतुलित मात्रा लेना ही लाभदायक है। .

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विटामिन डी

कोलेकैल्सिफेरॉल (डी३) विटामिन डी वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है। इसके दो प्रमुख रूप हैं:विटामिन डी२ (या अर्गोकेलसीफेरोल) एवं विटामिन डी३ (या कोलेकेलसीफेरोल).

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विटामिन सी

विटामिन सी या एल-एस्कॉर्बिक अम्ल मानव एवं विभिन्न अन्य पशु प्रजातियों के लिये अत्यंत आवश्यक पोषक तत्त्व है। ये विटामिन रूप में कार्य करता है। कई प्रकार की उपापचयी अभिक्रियाओं हेतु एस्कॉर्बेट (एस्कॉर्बिक अम्ल का एक आयन) सभी पादपों व पशुओं में आवश्यक होता है। ये लगभग सभी जीवों द्वारा आंतरिक प्रणाली द्वारा निर्मित किया जाता है (सिवाय कुछ विशेष प्रजातियों के) जिनमें स्तनपायी समूह जैसे चमगादड़, एक या दो प्रधान प्राइमेट सबऑर्डर, ऐन्थ्रोपोएडिया (वानर, वनमानुष एवं मानव) आते हैं। इसका निर्माण गिनी शूकर एवं पक्षियों एवं मछलियों की कुछ प्रजातियों में नहीं होता है। जो भी प्रजातियां इसका निर्माण आंतरिक रूप से नहीं कर पातीं, उन्हें ये आहार रूप में वांछित होता है। इस विटामिन की कमी से मानवों में स्कर्वी नामक रोग हो जाता है।। हिन्दुस्ताण लाइव। २८ मार्च २०१० इसे व्यापक रूप से खाद्य पूर्क रूप में प्रयोग किया जाता है। .

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खोया (दुग्ध उत्पाद)

मावा या खोया दूध से बना एक ठोस पदार्थ है जिससे मिठाइयाँ एवं अन्य पकवान बनते हैं। यह भारतीय मीठाइयों में अत्यधिक प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ है। यह दूध को गरम करके उसके पानी को जलाकर बनाया जाता है। खोया .

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खीर

खीर खीर एक प्रकार का मिष्ठान्न है जिसे चावल को दूध में पका कर बनाया जाता है। खीर को पायस भी कहा जाता है। 'खीर' शब्द, 'क्षीर' (.

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गन्ना

गन्ना की फसल कटा हुआ गन्ना गन्ना (Sugarcane) भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़, शराब आदि का निर्माण होता हैं। गन्ने की उत्पादकता सबसे ज्यादा ब्राज़ील में होती है और भारत का गन्ने की उत्पादकता में सम्पूर्ण विश्व में दूसरा स्थान हैI .

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गाय

अभारतीय गाय जर्सीगाय गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू जानवर है जो संसार में प्राय: सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को 'माता' (गौमाता) कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्त्व रहा है। आरंभ में आदान प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है।; गाय व भैंस में गर्भ से संबन्धित जानकारी.

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ग्रन्थि

मानव ग्रान्थि किसी जीव के उस अंग को ग्रन्थि (gland) कहते हैं जो हार्मोन, दूध आदि का संश्लेषण करती हैं। .

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ग्वार

ग्वार फली ग्वार (cluster bean) का वैज्ञानिक नाम 'साया मोटिसस टेट्रागोनोलोबस' (Cyamopsis tetragonolobus) है। इसे मध्य प्रदेश(भारत) में चतरफली के नाम से भी जाना जाता हे। को अधिकतर उपयोग जानवरों के चारे के रूप में भी होता है। पशुओं को ग्वार खिलाने से उनमें ताकत आती है तथा दूधारू पशुओं कि दूध देने की क्षमता में बढोतरी होती है। ग्वार से गोंद का निर्माण भी किया जाता है इस 'ग्वार गम' का उपयोग अनेक उत्पादों में होता है। ग्वार फली से स्वादिष्ट तरकारी बनाई जाती है। ग्वार फली को आलू के साथ प्याज में छोंक लगाकर खाने पर यह बहुत स्वाद लगती है तथा अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है जैसे दाल में, सूप बनाने में पुलाव इत्यादि में। इसको तेलुगु में గోరు చిక్కుడు "Goruchikkudu kaya" or "Gokarakaya" कन्नड में Gorikayie तथा तमिल में கொத்தவரைக்காய் (kotthavarai) कहते हैं। विश्व के कुल ग्वार उत्पादन का ८०% भारत में होता है। ग्वार गर्म मौसम की फसल है। यह प्रायः ज्वार या बाजरे के साथ मिलाकर बोया जाता है जिसका उपयोग ग्वार या ग्वारफली के रूप में किया जाता है और जो हरी सब्जी के रूप में इस्तेमाल कि जाती है यह भारत के कई प्रदेशों में पाई जाती है पर उतर भारत में इसका ज्यादा उपयोग देखा जा सकता है। इस पौधे के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद प्राप्त होता है। ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम, पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है। .

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ऑस्टियोपोरोसिस

अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) हड्डी का एक रोग है जिससे फ़्रैक्चर का ख़तरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस में अस्थि खनिज घनत्व (BMD) कम हो जाता है, अस्थि सूक्ष्म-संरचना विघटित होती है और अस्थि में असंग्रहित प्रोटीन की राशि और विविधता परिवर्तित होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस को DXA के मापन अनुसार अधिकतम अस्थि पिंड (औसत 20 वर्षीय स्वस्थ महिला) से नीचे अस्थि खनिज घनत्व 2.5 मानक विचलन के रूप में परिभाषित किया है; शब्द "ऑस्टियोपोरोसिस की स्थापना" में नाज़ुक फ़्रैक्चर की उपस्थिति भी शामिल है। ऑस्टियोपोरोसिस, महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद सर्वाधिक सामान्य है, जब उसे रजोनिवृत्तोत्तर ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं, पर यह पुरुषों में भी विकसित हो सकता है और यह किसी में भी विशिष्ट हार्मोन संबंधी विकार तथा अन्य दीर्घकालिक बीमारियों के कारण या औषधियों, विशेष रूप से ग्लूकोकार्टिकॉइड के परिणामस्वरूप हो सकता है, जब इस बीमारी को स्टेरॉयड या ग्लूकोकार्टिकॉइड-प्रेरित ऑस्टियोपोरोसिस (SIOP या GIOP) कहा जाता है। उसके प्रभाव को देखते हुए नाज़ुक फ़्रैक्चर का ख़तरा रहता है, हड्डियों की कमज़ोरी उल्लेखनीय तौर पर जीवन प्रत्याशा और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस को जीवन-शैली में परिवर्तन और कभी-कभी दवाइयों से रोका जा सकता है; हड्डियों की कमज़ोरी वाले लोगों के उपचार में दोनों शामिल हो सकती हैं। जीवन-शैली बदलने में व्यायाम और गिरने से रोकना शामिल हैं; दवाइयों में कैल्शियम, विटामिन डी, बिसफ़ॉसफ़ोनेट और कई अन्य शामिल हैं। गिरने से रोकथाम की सलाह में चहलक़दमी वाली मांसपेशियों को तानने के लिए व्यायाम, ऊतक-संवेदी-सुधार अभ्यास; संतुलन चिकित्सा शामिल की जा सकती हैं। व्यायाम, अपने उपचयी प्रभाव के साथ, ऑस्टियोपोरोसिस को उसी समय बंद या उलट सकता है। .

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ऑस्ट्रिया

ऑस्ट्रिया (जर्मन: Österreich एओस्तेराइख़, अर्थात पूर्वी राज्य) मध्य यूरोप में स्थित एक स्थल रुद्ध देश है। इसकी राजधानी वियना है। इसकी (मुख्य- और राज-) भाषा जर्मन भाषा है। देश का ज़्यादातर हिस्सा ऐल्प्स पर्वतों से ढका हुआ है। यूरोपीय संघ के इस देश की मुद्रा यूरो है। इसकी सीमाएं उत्तर में जर्मनी और चेक गणराज्य से, पूर्व में स्लोवाकिया और हंगरी से, दक्षिण में स्लोवाकिया और इटली और पश्चिम में स्विटजरलैंड और लीश्टेनश्टाइन से मिलती है। इस देश का उद्भव नौवीं शताब्दी के दौरान ऊपरी और निचले हिस्से में आबादी के बढ़ने के साथ हुआ। Ostarrichi शब्द का पहले पहल इस्तेमाल 996 में प्रकाशित आधिकारिक लेख में किया गया, जो बाद में Österreich एओस्तेराइख़ में बदल गया। आस्ट्रिया में पूर्वी आल्प्स की श्रेणियाँ फैली हुई हैं। इस पर्वतीय देश का पश्चिमी भाग विशेष पहाड़ी है जिसमें ओट्जरस्टुवार्ड, जिलरतुल आल्प्स (१,२४६ फुट) आदि पहाड़ियाँ हैं। पूर्वी भाग की पहाड़ियां अधिक ऊँची नहीं हैं। देश के उत्तर पूर्वी भाग में डैन्यूब नदी पश्चिम से पूर्व को (३३० किमी लंबी) बहती है। ईन, द्रवा आदि देश की सारी नदियां डैन्यूब की सहायक हैं। उत्तरी पश्चिमी सीमा पर स्थित कांस्टैंस, दक्षिण पूर्व में स्थित न्यूडिलर तथा अतर अल्फ गैंग, आसे आदि झीलें देश की प्राकृतिक शोभा बढ़ाती हैं। आस्ट्रिया की जलवायु विषम है। यहां ग्रर्मियों में कुछ अधिक गर्मी तथा जाड़ों में अधिक ठंडक पड़ती है। यहां पछुआ तथा उत्तर पश्चिमी हवाओं से वर्षा होती है। आल्प्स की ढालों पर पर्याप्त तथा मध्यवर्ती भागों में कम पानी बरसता है। यहाँ की वनस्पति तथा पशु मध्ययूरोपीय जाति के हैं। यहाँ देश के ३८ प्रतिशत भाग में जंगल हैं जिनमें ७१ प्रतिशत चीड़ जाति के, १९ प्रतिशत पतझड़ वाले तथा १० प्रतिशल मिश्रित जंगल हैं। आल्प्स के भागों में स्प्रूस (एक प्रकार का चीड़) तथा देवदारु के वृक्ष तथा निचले भागों में चीड़, देवदारु तथा महोगनी आदि जंगली वृक्ष पाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आस्ट्रिया का प्रत्येक दूसरा वृक्ष सरो है। इन जंगलों में हिरन, खरगोश, रीछ आदि जंगली जानवर पाए जाते हैं। देश की संपूर्ण भूमि के २९ प्रतिशत पर कृषि होती है तथा ३० प्रतिशत पर चारागाह हैं। जंगल देश की बहुत बड़ी संपत्ति है, जो शेष भूमि को घेरे हुए है। लकड़ी निर्यात करनेवाले देशों में आस्ट्रिया का स्थान छठा है। ईजबर्ग पहाड़ के आसपास लोहे तथा कोयले की खानें हैं। शक्ति के साधनों में जलविद्युत ही प्रधान है। खनिज तैल भी निकाला जाता है। यहां नमक, ग्रैफाइट तथा मैगनेसाइट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। मैगनेसाइट तथा ग्रैफाइट के उत्पादन में आस्ट्रिया का संसार में क्रमानुसार दूसरा तथा चौथा स्थान है। तांबा, जस्ता तथा सोना भी यहां पाया जाता है। इन खनिजों के अतिरिक्त अनुपम प्राकृतिक दृश्य भी देश की बहुत बड़ी संपत्ति हैं। आस्ट्रिया की खेती सीमित है, क्योंकि यहां केवल ४.५ प्रतिशत भूमि मैदानी है, शेष ९२.३ प्रतिशत पर्वतीय है। सबसे उपजाऊ क्षेत्र डैन्यूब की पार्श्ववर्ती भूमि (विना का दोआबा) तथा वर्जिनलैंड है। यहां की मुख्य फसलें राई, जई (ओट), गेहूँ, जौ तथा मक्का हैं। आलू तथा चुकंदर यहां के मैदानों में पर्याप्त पैदा होते हैं। नीचे भागों में तथा ढालों पर चारेवाली फसलें पैदा होती हैं। इनके अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों में तीसी, तेलहन, सन तथा तंबाकू पैदा किया जाता है। पर्वतीय फल तथा अंगूर भी यहाँ होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ों को काटकर सीढ़ीनुमा खेत बने हुए हैं। उत्तरी तथा पूर्वी भागों में पशुपालन होता है तथा यहाँ से वियना आदि शहरों में दूध, मक्खन तथा चीज़ पर्याप्त मात्रा में भेजा जाता है। जोरारलबर्ग देश का बहुत बड़ा संघीय पशुपालन केंद्र है। यहां बकरियां, भेड़ें तथा सुअर पर्याप्त पाले जाते हैं जिनसे मांस, दूध तथा ऊन प्राप्त होता है। आस्ट्रिया की औद्योगिक उन्नति महत्वपूर्ण है। लोहा, इस्पात तथा सूती कपड़ों के कारखाने देश में फैले हुए हैं। रासायनिक वस्तुएँ बनाने के बहुत से कारखाने हैं। यहाँ धातुओं के छोटे मोटे सामान, वियना में विविध प्रकार की मशीनें तथा कलपुर्जे बनाने के कारखाने हैं। लकड़ी के सामान, कागज की लुग्दी, कागज एवं वाद्यतंत्र बनाने के कारखाने यहां के अन्य बड़े धंधे हैं। जलविद्युत् का विकास खूब हुआ है। देश को पर्यटकों का भी पर्याप्त लाभ होता है। पहाड़ी देश होने पर भी यहाँं सड़कों (कुल सड़कें ४१,६४९ कि.मी.) तथा रेलवे लाइनों (५,९०८ कि.मी.) का जाल बिछा हुआ है। वियना यूरोप के प्राय: सभी नगरों से संबद्ध है। यहां छह हवाई अड्डे हैं जो वियना, लिंज, सैल्बर्ग, ग्रेज, क्लागेनफर्ट तथा इंसब्रुक में हैं। यहां से निर्यात होनेवाली वस्तुओं में इमारती लकड़ी का बना सामान, लोहा तथा इस्पात, रासायनिक वस्तुएं और कांच मुख्य हैं। विभिन्न विषयों की उच्चतम शिक्षा के लिए आस्ट्रिया का बहुत महत्व है। वियना, ग्रेज तथा इंसब्रुक में संसारप्रसिद्ध विश्वविद्यालय हैं। आस्ट्रिया में गणतंत्र राज्य है। यूरोप के ३६ राज्यों में, विस्तार के अनुसार, आस्ट्रिया का स्थान १९वाँ है। यह नौ प्रांतों में विभक्त है। वियना प्रांत में स्थित वियना नगर देश की राजधानी है। आस्ट्रिया की संपूर्ण जनसंख्या का १/४ भाग वियना में रहता है जो संसार का २२वाँ सबसे बड़ा नगर है। अन्य बड़े नगर ग्रेज, जिंज, सैल्जबर्ग, इंसब्रुक तथा क्लाजेनफर्ट हैं। अधिकांश आस्ट्रियावासी काकेशीय जाति के हैं। कुछ आलेमनों तथा बवेरियनों के वंशज भी हैं। देश सदा से एक शासक देश रहा है, अत: यहां के निवासी चरित्रवान् तथा मैत्रीपूर्ण व्यवहारवाले होते हैं। यहाँ की मुख्य भाषा जर्मन है। आस्ट्रिया का इतिहास बहुत पुराना है। लौहयुग में यहाँ इलिरियन लोग रहते थे। सम्राट् आगस्टस के युग में रोमन लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया था। हूण आदि जातियों के बाद जर्मन लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया था (४३५ ई.)। जर्मनों ने देश पर कई शताब्दियों तक शासन किया, फलस्वरूप आस्ट्रिया में जर्मन सभ्यता फैली जो आज भी वर्तमान है। १९१९ ई. में आस्ट्रिया वासियों की प्रथम सरकार हैप्सबर्ग राजसत्ता को समाप्त करके, समाजवादी नेता कार्ल रेनर के प्रतिनिधित्व में बनी। १९३८ ई. में हिटलर ने इसे महान् जर्मन राज्य का एक अंग बना लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में इंग्लैंड आदि देशों ने आस्ट्रिया को स्वतंत्र करने का निश्चय किया और १९४५ ई. में अमरीकी, ब्रितानी, फ्रांसीसी तथा रूसी सेनाओं ने इसे मुक्त करा लिया। इससे पूर्व अक्टूबर, १९४३ ई. की मास्को घोषणा के अंतर्गत ब्रिटेन, अमरीका तथा रूस आस्ट्रिया को पुन: एक स्वतंत्र तथा प्रभुसत्तासंपन्न राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित कराने का अपना निश्चय व्यक्त कर चुके थे। २७ अप्रैल, १९४५ को डा.

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ओपल

ओपल या दूधिया पत्थर धातु से बना जैल है जो बहुत कम तापमान पर किसी भी प्रकार के चट्टान की दरारों में जमा हो जाता है, आमतौर पर चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, आग्नेय चट्टान, मार्ल और बेसाल्ट के बीच पाया जा सकता है। ओपल शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द ओपलस और यूनानी शब्द ओपैलियस से हुई है। पानी की मात्रा अक्सर तीन और दस प्रतिशत के बीच होती है लेकिन बहुत ऊंची बीस प्रतिशत तक हो सकती है। ओपल धवल से सफेद, भूरे, लाल, नारंगी, पीले, हरे, नीले, बैंगनी, गुलाबी, स्लेटी, ऑलिव, बादामी और काले रंगों में पाई जाती हैं। इन विविध रंगों में, काले रंग के खिलाफ लाल सबसे अधिक दुर्लभ है जबकि सफेद और हरा सबसे आम है। इन रंगों में भिन्नता लाल और अवरक्त तरंगदैर्घ्य के आकार और विकास के कारण आती है। ओपल ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय रत्न है। .

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आयुर्वेद

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .

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आहारीय जस्ता

आहारीय जस्ता शरीर में कई एन्जाइमों के लिये सह-घटक के रूप में कई कार्य करता है। यह ऊतकों के सामान्य कार्य में सहायता करता है और शरीर में प्रोटीन और कार्बोजों को संभालने के लिए आवश्यक है। जस्ते की कमी मघपान, आहार के परिष्कार, कम प्रोटीन के आहार, जुकाम, गर्भावस्था और रोग के कारण हो सकती है। जस्ते की कमी यकृत से विटामिन ‘ए’ के मोचन को कम कर देती है। इस प्रकार की कमी के परिणाम हो सकते है। आहार में जस्ते की कमी के कारण स्वाद और भूख की कमी, घाव भरने में विलम्ब, गंजापन, वृद्धि में विलम्ब, हृदय-रोग, मानसिक रोग, विलम्बित यौन परिपकवता और प्रजनन – संबंधी दुष्क्रिया हो सकते हैं। मध्य-पूर्व के कुछ देशों में बौनापन का कारण आहार में जस्ते की कमी को ही माना जाता है। जस्ता अपेक्षाकृत अविषाक्त है। आंतों में शरीर के लिये अनावश्यक जस्ते की अतिरिक्त मात्रा को समाप्त करने के लिये कार्यकुशल यंत्र-रेचन है। आयु के साथ जस्ते की कमी संभावना बढती है। .

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आहारीय आयोडीन

आहारीय आयोडीन मानव शरीर के अत्यावश्यक भौतिक तत्त्व है। ये अवटु ग्रंथि के सम्यक, कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन थांयरांक्सीजन की कमी पूरी करती है। आयोडीन मन को शांति प्रदान करती है, तनाव कम करती है, मस्तिष्क को सतर्क रखती है और बाल, नाखून, दांत और त्वचा को उत्तम स्थिति में रखने में मदद करता है। आयोडिन की कमी से गर्दन के नीचे अवटु ग्रंथि की सूजन (गलगंड) हो सकती है और हार्मोन का उत्पादन बन्द हो सकता है जिससे शरीर के सभीसंस्थान अव्यवस्थित हो सकते हैं। इसकी कमी से मन्द मानसिक प्रतिक्रियायें, धमनियों में सख्ती एवं मोटापा हो सकता है। मानव शरीर में केवल १०-१२ मिलीग्राम आयोडिन होती है किन्तु इसके बिना जीवित रहना सम्भव नही है। आयोडिन कोलेस्ट्रॉल की रासायनिक संशलेषण में सहायता करती है और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल चर्बी को भी बढ़ाती है। शरीर में आयोडिन की अधिकता होने से नाक में नमी अधिक हो जाती है। जल में ली गई क्लोरीन शरीर से आयोडिन अधिकता को निकालने का कारण होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार है मूली, शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस), गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, खुंभी, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार, अंडे की जर्दी, दूध, पनीर और कॉड-लिवर तेल। आयोडिन की कमी से उत्पन्न विकारों पर नियंत्रण के लिये १९८६ में न्यूसेफ़ और आस्ट्रेलिया की सरकार के समर्थन से तीसरी दुनिया के देशों को सहायता देने के लिये एक अन्तराष्ट्रीय परिषद स्थापित की गई थी। भारत ने १९९२ से पहले व्यापक आयोडिन युक्त नमक की नीति अपनाई थी। श्रेणी:पोषण श्रेणी:आयोडीन श्रेणी:आहार श्रेणी:अवटु ग्रंथि श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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आइसक्रीम

आइसक्रीम (अँग्रेजी "iced cream" या "cream ice" से) एक प्रकार की मलाई की कुल्फी जो दूध, क्रीम, चीनी और सुगंध के मिश्रण को ठंढा करके जमा देने से बनती है। खाने में यह अति स्वादिष्ट होती है और स्वच्छता से बनाई जाने पर यह स्वास्थ्यप्रद आहार है। .

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इंदि‍रा गांधी मातृत्‍व सहयोग योजना

इंदि‍रा गांधी मातृत्‍व सहयोग योजना (Indira Gandhi Matritva Sahyog Yojana (IGMSY) के अंतर्गत गर्भवती और दूध पि‍लाने वाली महि‍लाओं को कुछ शर्तों के साथ मातृत्‍व लाभ पहुंचाए जाते हैं जि‍नका उद्देश्‍य उनके स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण की स्‍थि‍ति‍ में सुधार लाना है ताकि दूध पि‍लाने वाली और गर्भवती स्‍त्रि‍यों के माहौल में सुधार कि‍या जा सके और इसके लि‍ए उन्‍हें नकद प्रोत्‍साहन राशि‍ दी जा सके। इसे समन्‍वि‍त बाल वि‍कास सेवाओं की योजना के मंच से लागू कि‍या जा रहा है। इस योजना की शुरूआत अक्‍तूबर 2010 में प्रायोगि‍क आधार पर पर की गई थी और अब यह 53 चुनिंदा जि‍लों में चल रही हैं। फि‍लहाल लाभार्थि‍यों को दो कि‍स्‍तों में 6,000 रुपए बैंक अथवा डाकघर खातों के जरि‍ए दि‍ए जाते हैं। पहली कि‍स्‍त गर्भावस्‍था के 7-9 महीनों के दौरान दी जाती है और दूसरी कि‍स्‍त की रकम कुछ शर्तें पूरी करने के बाद प्रसूति के 6 महीने बाद दी जाती है। सभी सरकारी/सार्वजनि‍क उपक्रम(केन्‍द्रीय तथा राज्‍य) के कर्मचारी इस योजना का लाभ उठाने के हकदार नहीं होंगे क्‍योंकि‍ उन्‍हें वेतन सहि‍त मातृत्‍व अवकाश दि‍या जाता है। यह योजना देश के 53 जि‍लों में प्रायोगि‍क आधार पर लागू की जा रही हैं' .

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इकसिंगा

इकसिंगा या यूनिकॉर्न (जो लैटिन शब्दों - unus (यूनस) अर्थात् 'एक' एवं cornu (कॉर्नू) अर्थात् 'सींग' से बना है) एक पौराणिक प्राणी है। हालांकि इकसिंगे का आधुनिक लोकप्रिय छवि कभी-कभी एक घोड़े की छवि की तरह प्रतीत होता है जिसमें केवल एक ही अंतर है कि इकसिंगे के माथे पर एक सींग होता है, लेकिन पारंपरिक इकसिंगे में एक बकरे की तरह दाढ़ी, एक सिंह की तरह पूंछ और फटे खुर भी होते हैं जो इसे एक घोड़े से अलग साबित करते हैं। मरियाना मेयर (द यूनिकॉर्न एण्ड द लेक) के अनुसार, "इकसिंगा एकमात्र ऐसा मनगढ़ंत पशु है जो शायद मानवीय भय की वजह से प्रकाश में नहीं आया है। यहां तक कि आरंभिक संदर्भों में भी इसे उग्र होने पर भी अच्छा, निस्वार्थ होने पर भी एकांतप्रिय, साथ ही रहस्यमयी रूप से सुंदर बताया गया है। उसे केवल अनुचित तरीके से ही पकड़ा जा सकता था और कहा जाता था कि उसके एकमात्र सींग में ज़हर को भी बेअसर करने की ताकत थी।", Geocities.com .

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कच्चा भोजन

कच्चे खाये जाने योग्य भोज्य सामग्री सलाद कच्चा भोजन (Raw foodism या following a raw food diet), खानपान की वह शैली है जिसमें केवल बिना पकायी गई (uncooked), बिना परिष्कृत (unprocessed) भोजन ही किया जाता है। इसके अन्तर्गत अनेकों तरह के फल, सब्जियाँ, दृढफल (nuts), बीज (seeds), अण्डा (खाद्य), मांस और दुग्ध उत्पाद आदि सब सम्मिलित हैं जिन्हें अपने जीवन दर्शन और पसन्द के अनुसार लोग तरह-तरह से चुनते हैं। .

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कापुचीनो

क्लासिक कापुचीनो कापुचीनो यह एक इटालियन कॉफ़ी पेय है जो एस्प्रेसो, गर्म दूध और भाप से गाढ़ा किये दूध (steamed-milk) के झाग से बनता है। यह नाम कापुचिन फ्रायर्स से पड़ा है जो उनकी आदतों के रंग से जुड़ा है। .

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कार्निवल

कोलोन, जर्मनी में रोसेनमोंटाग परेड में कार्निवल झांकियां. कार्निवल एक उत्सव का मौसम है जो लेंट से ठीक पहले पड़ता है; मुख्य कार्यक्रम आमतौर फरवरी के दौरान होते हैं। कार्निवल में आमतौर पर एक सार्वजनिक समारोह या परेड शामिल होता है जिसमें सर्कस के तत्त्व, मुखौटे और सार्वजनिक खुली पार्टियां की जाती हैं। समारोह के दौरान लोग अक्सर सजते संवरते हैं या बहुरुपिया बनते हैं, जो दैनिक जीवन के पलटाव को दर्शाता है। कार्निवल एक त्योहार है जिसे पारंपरिक रूप से रोमन कैथोलिक में आयोजित किया जाता है और एक हद तक पूर्वी रूढ़िवादी समाजों में भी.

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कुपोषण

अतिशय कुपोषण से ग्रसित एक बालक शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियाँ होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है। .

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कुकी (एक प्रकार का बिस्कुट)

संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में एक छोटे, चपटे आकार के पकाए गए स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ को कुकी कहते हैं, जिसमें आमतौर पर वसा, आटे, अण्डे तथा चीनी का मिश्रण होता है। उत्तरी अमेरिका के बाहर अंग्रेजी भाषा बोलने वाले ज्यादातर देशों में, इसका अधिक प्रचलित नाम बिस्कुट है, कई क्षेत्रों में दोनों नामों का प्रयोग होता है, जबकि बाकी जगहों पर दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं। स्कॉटलैंड में एक सादी पाव रोटी (बन) को कुकी कहा जाता है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में एक टिकिया जैसी क्विक ब्रेड (रोटी) को बिस्कुट कहा जाता है। ब्रिटेन में, पकाए गए बिस्कुट को कुकी कहा जाता है, जिसमें अधिकतर चॉकलेट के टुकड़े होते हैं। .

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क्वोका

क्वोका (quokka) पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भाग में मिलने वाला एक बिल्ली-जितने आकार का मैक्रोपोड धानीप्राणी (मारसूपियल) है। कंगारू और वालाबी जैसे अन्य धानीप्राणियों की तरह यह भी शाकाहारी और मुख्य रूप से निशाचरी होता है। क्वोका सेटोनिक्स (Setonix) वंश की एकमात्र सदस्य जाति है। क्वोका पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कुछ द्वीपों में मिलता है, जैसे कि रॉटनेस्ट द्वीप और ऐल्बनी के पास स्थित बॉल्ड द्वीप। इसके अलावा मुख्यभूमि पर टू पीपल्स बे प्राकृतिक उद्यान नामक संरक्षित क्षेत्र में भी इसकी कुछ आबादी है, जहाँ वे गिल्बर्ट्स पोटोरू नामक एक अन्य धानीप्राणी के साथ रहता है। .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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कृषि जिंसों के सबसे बड़े उत्पादक देशों की सूची

प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर खाद्य पदार्थ, फाइबर, ईंधन और कच्चे माल में बांटा जा सकता है। .

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कृष्णदास (बहुविकल्पी)

कृष्णदास से निम्नलिखित व्यक्तियों का बोध होता है-.

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कृष्णदास पयहारी

कृष्णदास पयहारी रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख आचार्य और कवि थे। इनका समय सोलहवीं शती ई. कहा जाता है। ये ब्राह्मण थे और जयपुर के निकट 'गलता' नामक स्थान पर रहते थे और केवल दूध पीते थे और इसी कारण इनका नाम पयहारी अर्थात पय (दूध)+ आहारी पड़ा। ये रामानंद के शिष्य अनंतानंद के शिष्य थे और आमेर के राजा पृथ्वीराज की रानी बाला बाई के दीक्षागुरू थे। कहा जाता है कि इन्होंने कापालिक संप्रदाय के गुरु चतुरनाथ को शास्त्रार्थ में पराजित किया था इससे इन्हें महंत का पद प्राप्त हुआ था। ये संस्कृत भाषा के पंडित थे और ब्रजभाषा के कवि थे। ब्रह्मगीता, प्रेमसत्वनिरूप इनके मुख्य ग्रंथ हैं। इनके ब्रजभाषा के अनेक पद प्राप्त होते हैं। कहते हैं एक समय पयहारी कृष्‍णदास की गुफा के सामने बाघ आया तो आपने उसको अतिथि जान, नेवता देकर आतिथ्‍यधर्म-प्रतिपालनपूर्वक अपना पल (मांस) काटकर दिया। इस प्रकार के प्रसिद्ध यश को आप जग में प्राप्‍त हुए। .

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कैल्सियम

कैल्सियम (Calcium) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्तसारणी के द्वितीय मुख्य समूह का धातु तत्व है। यह क्षारीय मृदा धातु है और शुद्ध अवस्था में यह अनुपलब्ध है। किन्तु इसके अनेक यौगिक प्रचुर मात्रा में भूमि में मिलते है। भूमि में उपस्थित तत्वों में मात्रा के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है। यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘Ca’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्सियम क्लोराइड से अलग किया था। चूना पत्थर, कैल्सियम का महत्वपूर्ण खनिज स्रोत है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है। अपने शुद्ध रूप में कैल्शियम चमकीले रंग का होता है। यह अपने अन्य साथी तत्वों के बजाय कम क्रियाशील होता है। जलाने पर इसमें से पीला और लाल धुआं उठता है। इसे आज भी कैल्शियम क्लोराइड से उसी प्रक्रिया से अलग किया जाता है जो सर हम्फ्री डैवी ने 1808 में इस्तेमाल की थी। कैल्शियम से जुड़े ही एक अन्य यौगिक, कैल्सियम कार्बोनेट को कंक्रीट, सीमेंट, चूना इत्यादि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अन्य कैल्शियम कंपाउंड अयस्कों, कीटनाशक, दुर्गन्धहर, खाद, कपड़ा उत्पादन, कॉस्मेटिक्स, लाइटिंग इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। जीवित प्राणियों में कैल्शियम हड्डियों, दांतों और शरीर के अन्य हिस्सों में पाया जाता है। यह रक्त में भी होता है और शरीर की अंदरूनी देखभाल में इसकी विशेष भूमिका होती है। कैल्सियम अत्यंत सक्रिय तत्व है। इस कारण इसको शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना कठिन कार्य है। आजकल कैल्सियम क्लोराइड तथा फ्लोरस्पार के मिश्रण को ग्रेफाइट मूषा में रखकर विद्युतविच्छेदन द्वारा इस तत्व को तैयार करते हैं। शुद्ध अवस्था में यह सफेद चमकदार रहता है। परन्तु सक्रिय होने के कारण वायु के आक्सीजन एवं नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है। इसके क्रिस्टल फलक केंद्रित घनाकार रूप में होते हैं। यह आघातवर्ध्य तथा तन्य तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं- साधारण ताप पर यह वायु के ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से धीरे धीरे अभिक्रिया करता है, परंतु उच्च ताप पर तीव्र अभिक्रिया द्वारा चमक के साथ जलता है और कैलसियम आक्साइड (CaO) बनाता है। जल के साथ अभिक्रिया कर यह हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है और लगभग समस्त अधातुओं के साथ अभिक्रिरिया कर यौगिक बनाता है। इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों (स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडियम) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, जिसे कली चूना और बिना बुझा चूना (quiklime) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड या शमित चूना या बुझा चूना (slaked lime) बनता है। यह क्षारीय पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है और धीरे-धीरे वायुमण्डल के कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है। कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण और ब्लिचिंग पाउडर कहलाता है जो वस्त्रों आदि के विरंजन में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है। अपाचयक तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी मिश्र धातुएँ बनती हैं। कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) उर्वरक के रूप में उपयोग में आते है। कैलसियम कार्बाइड का उपयोग नाइट्रोजन स्थिरीकरण उद्योग में होता है और इसके द्वारा एसिटिलीन गैस बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लोिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है। भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से 'वज्रलेप' तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। चरक ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कोपिया नामक एक स्थान से काँच बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था। .

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कूमीस

रूस में कूमीस की एक बोतल और गिलास कूमीस (किरगिज़: Кымыз, अंग्रेज़ी: Kumis) घोड़ी के दूध को किण्वित (फ़रमॅन्ट​) करके बनाए जाने वाले मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के एक पारम्परिक पेय को कहते हैं। किण्वन की वजह से घोड़ी के दूध में प्राकृतिक रूप से मौजूद लैक्टोस चीनी की कुछ मात्रा शराब में बदल जाती है और इस प्रक्रिया में कुछ कार्बन डाई-ऑक्साइड बनने से दूध में गैस के बुदबुदे भी बन जाते हैं। कूमीस को मंगोलिया में ऐरग (Айраг, Airag) कहा जाता है। अन्य शराबों की तुलना में कूमीस कम नशीली होती है और इसमें केवल २% शराब होती है।, Iain Gately, Penguin, 2009, ISBN 978-1-59240-464-3,...

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केसीन

गरम करने के बाद दूध से केसीन का विकृतीकरण (Denaturation) एवं अवक्षेपण केसीन स्तनधारी प्राणियों के दूध में पाया जानेवाली फ़ास्फोप्रोटीन है जो कैल्सियम कै सीनेट के रूप में रहता है। इसके अलावा सोयाबीन में भी केसीन पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें लगभग १५ ऐमीनो अम्ल पाए जाते हैं। इसका रंग सफेद से लेकर पीला तक होता है। केसीन, तनु क्षारों और सांद्र अम्लों में विलेय और जल में अविलेय है। अम्ल से अवक्षेपित केसीन कागज पर विलेपन करने, सरेसों (फाइबर्स), पेटों, आसंजकों (Adhedives), वस्त्रोद्योग और खाद्य पदार्थों में काम आता है। श्रेणी:दूध.

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केक

रास्पबेरी जैम और नींबू दही से भरा और बटरक्रीम फ़्रॉस्टिंग के साथ सजाया हुआ एक तह वाला पाऊंड केक भोजन के अंत में परोसा जाने वाला मिष्ठान्न, केक सेंककर तैयार किया हुआ भोज्य पदार्थ है। आमतौर पर कई किस्मों वाला केक का आटा, चीनी, अंडे, मक्खन या तेल का मिश्रण है जिसे घोलने के लिए तरल (आम तौर पर दूध या पानी) और खमीर उठाने वाले पदार्थ (जैसे कि खमीर या बेकिंग पाउडर) की ज़रूरत होती है। स्वाद व महक के लिए अक्सर फलों का गाढ़ा गूदा, मेवे या अर्क मिला दिए जाते हैं और मुख्य सामग्री के अनेक विकल्प सुलभ हैं। अक्सर केक में फलों का मुरब्बा या मिष्ठान्न वाली सॉस (जैसे पेस्ट्री क्रीम) भर दी जाती है, उसके ऊपर मक्खन वाली क्रीम या अन्य आइसिंग लगाकर बादाम और अंडे के सफ़ेद हिस्से का मिश्रण, किनारों पर बिंदियां और चाशनी में डूबे फल लगाकर सजाया जाता है। विशेष रूप से शादी, वर्षगाँठ और जन्मदिन जैसे औपचारिक अवसरों पर अक्सर खाने के बाद मिठाई के तौर पर केक का चुनाव किया जाता है। केक बनाने की अनगिनत पाक विधियां हैं, कुछ रोटी की तरह, कुछ गरिष्ठ और बड़े परिश्रम से तैयार की जाने वाली और अनेक पारम्परिक हैं। किसी ज़माने में केक बनाने (विशेष रूप से अंडे की झाग उठाने में) में काफ़ी मेहनत लगा करती थी लेकिन अब केक बनाना कोई जटिल प्रक्रिया नहीं रही, सेंकने वाले उपकरण और विधियां इतनी सरल हो गई हैं कि कोई भी नौसिखिया केक सेंक सकता है। .

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कॉफ़ी

कॉफ़ी का प्यालाकॉफ़ी (अरब. قهوة क़हवा उत्तेजक पेय पदार्थ) — एक लोकप्रिय पेय पदार्थ (साधारणतया गर्म) है, जो कॉफ़ी के पेड़ के भुने हुए बीजों से बनाया जाता है। कॉफ़ी में कैफ़ीन होने के कारण वह हल्के उद्दीपक सा प्रभाव डालती है। इसके विषय में वैज्ञानिकों का कोई निश्चित मत नहीं हैं। जहाँ एक ओर कहा जाता है कि कॉफ़ी से शुक्राणुओं की सक्रियता बढ़ती है वहीं दूसरी ओर कुछ अध्ययनों में यह भी पता चला है कि अधिक कॉफ़ी पीने से मतिभ्रम भी हो सकता है। .

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अमूल

आनंद में अमूल का कारखाना अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है जिसका मूल आणंद (गुजरात) में है। यह एक ब्रान्ड नाम है जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है। गुजरात के लगभग २६ लाख दुग्ध उत्पाद दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के अंशधारी (मालिक) हैं। अमूल, संस्कृत के अमूल्य का अपभ्रंश है; अमूल्य का अर्थ है- जिसका मूल्य न लगाया जा सके। अमूल, गुजरात के आणंद मेम स्थित है। यह किसी सहकारी आन्दोलन की दीर्घ अवधि में सफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। यह विकासशील देशों में सहकारी उपलब्धि के श्रेष्ठतम उघरणों में से एक है। अमूल ने भारत में श्वेत क्रान्ति की नींव रखी जिससे भारत संसार का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। अमूल ने ग्रामीण विकास का एक सम्यक मॉडल प्रस्तुत किया है। अमूल (आणंद सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ), की स्थापना १४ दिसंबर, १९४६ मे एक डेयरी यानि दुग्ध उत्पाद के सहकारी आंदोलन के रूप में हुई थी। जो जल्द ही घर घर मे स्थापित एक ब्रांड बन गया जिसे गुजरात सहकारी दुग्ध वितरण संघ के द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया। अमूल के प्रमुख उत्पाद हैं: दूध, दूध के पाउडर, मक्खन (बटर), घी, चीज, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइस क्रीम, पनीर, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि। .

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अरण्डी

अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५-४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५-१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं। उनके रंग कभी कभी, गहरे हरे रंग से लेकर लाल रंग या गहरे बैंगनी या पीतल लाल रंग तक के हो सकते है।। वेब ग्रीन तना और जड़ के खोल भिन्न भिन्न रंग लिये होते है। इसके उद्गम व विकास की कथा अभी तक अध्ययन अधीन है। यह पेड़ मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ़्रीका एवं भारत की उपज है, किन्तु अब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है। .

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अंगूरी

अंगूरी एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है। मिठाई पनीर को चाशनी में भिगो कर बनाया जाता है, जो कि एक मीठा सिरप है और फिर ठीक से अंगूर के आकार की गेंदों को महीन चीनी में लुढ़का कर अंतिम रूप दिया जाता है। अंगूरी हिन्दी के अंगूर से व्युत्पन्न नाम है जो उसके आकार और रूप वाचक है और उसकी मिठास की ओर भी इशारा करता है। .

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छाछ

छाछ, मट्ठा या तक्र (Buttermilk) एक पेय है जो दही से बनता है। मूलत: दही को मथनी से मथकर घी निकालने के बाद बचे हुए द्रव को छाछ कहते थे। आजकल दूध के किण्वन से बने हुए अनेक पेय भी छाछ की श्रेणी में गिने जाते हैं। ये पेय गरम जलवायु वाले देशों (जैसे भारत) में बहुत लोकप्रिय हैं। आयुर्वेद में तक्र को बहुत उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद के एक आचार्य का कथन है- भोजनान्ते पिबेत्‌ तक्रं, दिनांते च पिबेत्‌ पय:। निशांते पिबेत्‌ वारि: दोषो जायते कदाचन:। यानी भोजन के बाद छाछ, दिनांत यानी शाम को दूध, निशांत यानी सुबह पानी पीने वाले के शरीर में कभी किसी तरह का दोष या रोग नहीं होता। इसलिए भोजन के बाद मट्‌ठा पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है। .

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छेना

छेना, दूध से बना एक पदार्थ है जो दूध को फाड़कर बनाया जाता है। दूसरे शब्दों में, उस ताजे पनीर को कहते हैं जिसमे पानी की मात्रा अधिक होती है और यह आसानी से टूट जाता है और इसे ज्यादा देर तक भंडार करने के लिए नहीं बनाया जाता। इसका प्रयोग बंगाली मिठाईयां जैसे संदेश या रसगुल्ला बनाने में किया जाता है। .

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निवर्तमानआने वाली
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