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दादरी, उत्तर प्रदेश

सूची दादरी, उत्तर प्रदेश

दादरी एक शहर का नाम है गौतम बुद्ध नगर ज़िला मैं जो भारत का उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। उसके निर्देशांक है २८.५७ उ॰ और ७७.५५ पु॰। यह नगर समुद्र के स्तर से २१६ मी॰ (६५९ फ़ीट) है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर.

3 संबंधों: दादरी (बहुविकल्पी), भिक्की सिंह (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी), मजलिस जमींदार (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी)

दादरी (बहुविकल्पी)

दादरी निम्न जगहों का नाम हो सकता है.

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भिक्की सिंह (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी)

भिक्की सिंह का जन्म में दादरी गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के निकट ग्राम में गुर्जर परिवार मे हुआ था। इनका पूरा नाम भिक्की सिंह भाटी था I इनके पिताजी का नाम नथुआ सिंह भाटी था I वे मजलिस जमींदार लुहारली के बेटे थे । वे एक क्रान्तिकारी थे और कई बार उन्हे आजादी के लिए जेल भी जाना पड़ा था ।वे कई बार तिहाड जेल भी गए थे । भिक्की सिंह भाटी को 15 अगस्त 1972 मे उस समय की प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी जी के द्वारा ताम्र पत्र दिया गया था । और   तीन पैंशन जो नमक आन्दोलन ,आज़ाद हिन्द फ़ौज,और सत्याग्रह  के लिए मिलती थी । भिक्की सिंह के तीन बेटे थे ।महावीर सिंह,रणधीर सिंह,और सर्वजीत सिंह था । भिककी सिंह भाटी अपने समय में जिले के कांग्रेस के  चववनी सदस्य  थे । Reference मजलिस जमींदार (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी) http://adhunikbharatkaitihas.blogspot.com/2017/03/bhikki-singh-luharly.html http://greatgurjarsofworld.blogspot.com/2016/07/ombir-singh-bhati.html http://greatgurjarsofworld.blogspot.com/2016/07/bhikki-singh-luharly.html https://medium.com/@sandeepbhati/bhikki-singh-luharly-3ae200738393 श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रेणी:आज़ाद हिन्द फ़ौज श्रेणी:सत्याग्रह श्रेणी:दाण्डी आन्दोलन श्रेणी:भाटी श्रेणी:दादरी श्रेणी:लुहारली श्रेणी:बुलंदशहर श्रेणी:ओमबीर सिंह भाटी श्रेणी:जतन सिंह भाटी श्रेणी:कर्मवीर सिंह भाटी श्रेणी:उदयवीर सिंह भाटी श्रेणी:जयवीर सिंह भाटी श्रेणी:वीरपाल सिंह भाटी श्रेणी:जसवीर सिंह भाटी श्रेणी:नरेन्द्र प्रधान श्रेणी:राजकुमार भाटी श्रेणी:रविंद्र सिंह भाटी श्रेणी:बेगराज सिंह भाटी.

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मजलिस जमींदार (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी)

मजलिस जमींदार का जन्म सन् 1782 में दादरी गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के निकट ग्राम में गुर्जर परिवार मे हुआ था। इनका पूरा नाम मजलिस भाटी था I वे उमराव सिंह गुर्जर के क्रांतिकारी साथी थे Iमजलिस जमींदार 1857 की क्रान्ति मे एक वीर क्रान्तिकारी थे । और राजा उमराव सिंह के साथ 1857 की क्रान्ति मे हिस्सा लिया था । जिसके कारण उन्हें रिंग लीडर एक्ट में अंग्रेजो के द्वारा बुलन्दशहर पर फांसी पर लटका दिया गया था । उनके साथ अन्य 84 क्रान्तिकारियों को भी फांसी पर लटका दिया गया था । मजलिस जमींदार लुहारली के बेटे का नाम नथुआ सिंह भाटी था ।नथुआ सिंह भाटी के बेटे का नाम भिक्की सिंह भाटी था । वे एक क्रान्तिकारी थे और कई बार उन्हे आजादी के लिए जेल भी जाना पड़ा था ।वे कई बार तिहाड जेल भी गए थे । भिक्की सिंह भाटी को 15 अगस्त 1972 मे उस समय की प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी जी के द्वारा ताम्र पत्र दिया गया था । और   तीन पैंशन जो नमक आन्दोलन ,आज़ाद हिन्द फ़ौज,और सत्याग्रह  के लिए मिलती थी । भिक्की सिंह के तीन बेटे थे ।महावीर सिंह,रणधीर सिंह,और सर्वजीत सिंह था । 10 मई को मेरठ से 1857 की जन-क्रान्ति की शुरूआत कोतवाल धन सिंह गुर्जर द्वारा हो चुकी थी I जिसकी लपटे दादरी सिकंदराबाद और बुलंदशहर तक पहुच चुकी थी I 12 मई 1857 को जिसमे उमराव सिंह गुर्जर के साथ मजलिस ज़मीदार व उनके 84 साथीयो ने  सिकन्दराबाद तहसील पर धावा बोल दिया था I और ख़ज़ाने को अपने कब्ज़े मे ले लिया था जिससे अँग्रेज़ी शासन भड़क चुका था इसकी सूचना मिलते ही सिटी मॅजिस्ट्रेट व सेना सिकंदराबाद आ पहुची I सात दिन तक क्रांतिकारी सेना अँग्रेज़ी सेना से टक्कर लेती रही I 19 मई 1857 को वीर क्रांतिकारी सेना को शस्त्र अँग्रेज़ी सेना के सामने हथियार डालने पड़े Iऔर 46 वीर क्रांतिकरियो को गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया I इस क्रांतिकारी सेना मे गुर्जर समाज के अहम योगदान के लिए उन्हे ब्रिटिश सत्ता के कोप का भाज़न बनना पड़ा Iऔर गुर्जर समाज के लोगो को चुन चुनकर बंदी बनाया जाने लगा I 21मई 1857 को उमराव गुर्जर अपने दल के साथ बुलंदशहर पहुचे जिला कारागार पर धावा बोलकर अपने सभी क्रांतिकारी साथियो को छुड़ा लिया I बुलंदशहर से अँग्रेज़ी शासन समाप्त होने के आसार लगने लगे लेकिन अँग्रेज़ी सेना आ जाने के कारण ऐसा नही हो पाया I 31 1857 को गाज़ियाबाद जिले के हिंदों नदी के तट पर एक ऐतिहासिक युद्ध हुआ I जिसमे मिर्ज़ा मुगल राजनिहाल सिंग ऑर वालिदाद ख़ान के साथ आसपास के गाव वाले भी अपने हथियारो के साथ इस युद्ध मे सम्मिल्लित हुए I भारी हानि के बाद क्रांतिकारी सेना ने अपनी हार स्वकर कर ली Iउमराव सिंह गुर्जर व मजलिस ज़मीदार समेत 84 क्रांतिकारियो को गिरफ्तार कर लिया गया I और बुलंदशहर के काला आम चौक पर फासी पर लटका दिया गया Iइनमे हिम्मत सिंह (गांव रानौली) झंडू जमींदार, सहाब सिंह (नंगला नैनसुख) हरदेव सिंह, रूपराम (बील) फत्ता नंबरदार (चिटहरा) हरदयाल सिंह गहलोत, दीदार सिंह, (नगला समाना) राम सहाय (खगुआ बास) नवल, हिम्मत जमीदार (पैमपुर) कदम गूजर (प्रेमपुर) कल्लू जमींदार (चीती) करीम बख्शखांन (तिलबेगमपुर) जबता खान (मुंडसे) मैदा बस्ती (सांवली) इंद्र सिंह, भोलू गूजर (मसौता) मुल्की गूजर (हृदयपुर) मुगनी गूजर (सैंथली) बंसी जमींदार (नगला चमरू) देवी सिंह जमीदार (मेहसे) दानसहाय (देवटा) बस्ती जमींदार (गिरधर पुर) फूल सिंह गहलोत (पारसेह) अहमान गूजर (बढपुरा) दरियाव सिंह (जुनेदपुर) इंद्र सिंह (अट्टïा) आदि क्रांतिकारियों को अंग्रेजी सरकार ने रिंग लीडर दर्ज कर मृत्यु दण्ड दिया। भारत की आजादी के लिए प्रथम क्रांति युद्घ में हरदयाल सिंह रौसा, रामदयाल सिंह,निर्मल सिंह (सरकपुर) तोता सिंह कसाना (महमूदपुर लोनी) बिशन सिंह (बिशनपुरा) बताया जाता है की मजलिस ज़मीदार को हाथो व पैरो मे कील ठोककर लटका दिया गया I  References https://books.google.co.in/books?id.

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