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दहन

सूची दहन

आक्सीजन की उपस्थिति में लकड़ी का दहन किसी जलने वाले पदार्थ के वायु या आक्सीकारक द्वारा जल जाने की क्रिया को दहन या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (exothermic reaction) है। इस क्रिया में आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में ऊष्मा तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं। आम दहन के उत्पाद गैसों के द्वारा प्रदूषण भी फैलता है। विज्ञान के इतिहास में अग्नि वा ज्वाला सबंधी सिद्धांतों का विशेष महत्व रहा है। उदाहरण के लिए किसी हाइड्रोकार्बन के दहन का सामान्य रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है- मिथेन के लिए इस समीकरण का स्वरूप निम्नवत हो जाएगा- .

26 संबंधों: डीज़ल इंजन, दहन ऊष्मा, धुआँ, पर्यावरण अभियांत्रिकी, प्रांगार चक्र, फायर अलार्म (अग्नि सचेतक), बवासीर, भस्मीकरण, यूरेनियम, रसायन विज्ञान का इतिहास, रसायन विज्ञान की समयरेखा, रासायनिक समीकरण, रासायनिक क्रान्ति, रासायनिक अभिक्रिया, स्नेहक, हाइड्रोजन सायनाइड, ज्वलनशीलता, जैवभार, गैस टर्बाइन, गैसीकरण, ओजोन ह्रास, आँत्वाँ लाव्वाज़्ये, आत्महत्या के तरीके, कार्बनिक अभिक्रिया, कोलेजन, अपशिष्ट प्रबंधन

डीज़ल इंजन

डीज़ल ईंजन एक अंतर्दहन इंजन है जो बन्द स्थान में वायु को संपीडित करने से उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग करके ईंधन में ज्वलन (इग्नीशन) उत्पन्न करता है। इस प्रकार यह यह स्पार्क-ज्वलन इंजनों से भिन्न है क्योंकि उनमें वायु और ईंधन के मिश्रण को प्रज्वलित करने के लिए स्पार्क-प्लग का उपयोग किया जाता है। इसे संपीडन-ज्वलन इंजन (compression-ignition engine) भी कहते हैं। इससे प्राप्त यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा) का उपयोग वाहन, जेनरेटर तथा अन्य कई कार्यों में लाया जाता है। इसकी ख़ोज 1892 में पेरिस में जन्मे जर्मन मूल के अभियंता रूडोल्फ़ डीज़ल ने की थी। अन्य रसायनों के अलावा यह नाइट्रोजन तथा कालिख के कण दहन के उत्पाद के रूप में छोड़ता है जो प्रदूषण का ख़तरा उत्पन्न करते हैं। इस इंजन में वायु को प्रथमतया दबाया जाता है जिसकी वजह से इसका तापमान बढ़ता है। इसके बाद इसमें जैसे ही डीज़ल उड़ेला जाता है यह गरमी की वजह से जलने लगता है जिसकी वजह से और गर्मी पैदा होती है और यह अपने ऊपर लगे पिस्टन को धकेलता है। इस कारण से गति प्राप्त होती है जिसको कई गियरों तथा रेलों के सहारे इच्छित काम करने में लगाया जाता है। जब तक ट्रकों, बसों और रेल इंजनों में डीज़ल का प्रयोग नहीं शुरू हुआ तब तक यह सर्वसाधरण के लिये अज्ञात ही था। इसके अन्य उपयोग भी इतने ही महत्वपूर्ण थे, पर ऐसे जान नहीं पड़ते थे। आज डीज़ल इंजन जहाजों, जनित्रों (generators), पंपो, संपीड़कों, चक्कियों, चट्टान दलित्रों, मिट्टी हटाने की मशीनों, ट्रैक्टरों आदि में काम आ रहा है। भिन्न भिन्न कार्यों के लिये डीज़ल इंजन का अकार तथा आकृति भित्र होती है। .

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दहन ऊष्मा

किसी तत्त्व या यौगिक की १ ग्राम-अणु मात्रा को ऑक्सीजन में स्थिर आयतन पर पूर्णतया जलाने से जितनी उष्मा निकलती है, उसे उस तत्व या यौगिक की दहन-उष्मा (Heat of combustion) कहते हैं। दहन ऊष्मा का मान निम्नलिखित इकाइयों में व्यक्त किया जा सकता है-.

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धुआँ

धुआँ (Smoke) एक कोलायड है जो हवा में उपस्थित ठोस, द्रव एवं गैसों के कणों से बना होता है। धुवां तब निकलता है जब कोई पदार्थ जलता है या उसका पाइरोलिसिस (pyrolysis) किया जाता है। .

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पर्यावरण अभियांत्रिकी

औद्योगिक वायु प्रदूषण के स्रोत पर्यावरण इंजीनियरिंग पर्यावरण (हवा, पानी और/या भूमि संसाधनों) में सुधार करने, मानव निवास और अन्य जीवों के लिए स्वच्छ जल, वायु और ज़मीन प्रदान करने और प्रदूषित स्थानों को सुधारने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल हैं जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण, पुनरावर्तन, अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे और साथ ही साथ पर्यावरण इंजीनियरिंग कानून से संबंधित ज्ञान.

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प्रांगार चक्र

कार्बन चक्र आरेख. काली संख्याएं बिलियन टनों में सूचित करती हैं कि विभिन्न जलाशयों में कितना कार्बन संग्रहीत है ("GtC" से तात्पर्य कार्बन गिगाटन और आंकडे लगभग 2004 के हैं). गहरी नीली संख्याएं सूचित करती हैं कि प्रत्येक वर्ष कितना कार्बन जलाशयों के बीच संचालित होता है। इस चित्र में वर्णित रूप से अवसादों में कार्बोनेट चट्टान और किरोजेन के ~70 मिलियन GtC शामिल नहीं हैं। कार्बन चक्र जैव-भूरासायनिक चक्र है जिसके द्वारा कार्बन का जीवमंडल, मृदामंडल, भूमंडल, जलमंडल और पृथ्वी के वायुमंडल के साथ विनिमय होता है। यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में एक है और जीवमंडल तथा उसके समस्त जीवों के साथ कार्बन के पुनर्नवीनीकरण और पुनरुपयोग को अनुमत करता है.

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फायर अलार्म (अग्नि सचेतक)

एक स्ट्रोब लाईट के साथ फायर अलार्म अधिसूचना उपकरण. स्वचालित फायर अलार्म सिस्टम का निर्माण दहन से जुड़े पर्यावरणीय बदलावों पर निगरानी रखकर आग की अवांछित मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया गया है। आम तौर पर एक फायर अलार्म सिस्टम को अपने आप चालू होने वाले या हाथ से चालू होने वाले या दोनों तरह के सिस्टम के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। स्वचालित फायर अलार्म सिस्टम का इस्तेमाल आग लगने या अन्य किसी आपातकालीन घटना के बारे में लोगों को सूचित करने के लिए, आपातकालीन सेवाओं को बुलाने के लिए और आग एवं धुएं पर काबू पाने के लिए संरचना और उससे जुड़े सिस्टमों को तैयार करने के लिए किया जा सकता है। .

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बवासीर

बवासीर या पाइल्स या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको ख़ूँनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। कही पर इसे महेशी के नाम से जाना जाता है। 1- खूनी बवासीर:- खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिफॅ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है। 2-बादी बवासीर:- बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी भाषा में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रकार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम केंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है। .

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भस्मीकरण

भस्मीकरण (incineration) एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें किसी सामग्री, विषेशकर कार्बनिक रसायन वाली सामग्री, को जलाया जाता है और उसके बड़े भाग को राख व धूएँ में परिवर्तित किया जाता है। यह अपशिष्ट प्रबंधन (waste treatment) में बहुत उपयोगी है। .

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यूरेनियम

यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series), का तृतीय तत्व है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के इलेक्ट्रॉन स्थान लेते हैं। प्रकृति में पाए गए तत्वों में यह सबसे भारी तत्व है। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। .

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रसायन विज्ञान का इतिहास

रसायन विज्ञान का इतिहास बहुत पुराना है। १००० ईसापूर्व में प्राचीन सभ्यताओं के लोग ऐसी प्राविधियों काo.

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रसायन विज्ञान की समयरेखा

जॉन डाल्टन के "अ न्यू सिस्टम ऑफ केमिकल फिलॉसफी" ले लिया गया चित्र - यह परमाणु सिद्धान्त की प्रथम आधुनिक व्याख्या थी इस समयरेखा में उन महत्वपूर्ण कृतियों, खोजों, विचारों एवं प्रयोगों को सूचीबद्ध किया गया है जिनके कारण पदार्थों की संरचना एवं उनके परस्पर क्रियाओं से सम्बन्धित मानव के ज्ञान में पर्याप्त वृद्धि हुई तथा जिसे आधुनिक विज्ञान में "रसायन विज्ञान" के नाम से जाना जाता है। यद्यपि रसायन विज्ञान की जड़ें ज्ञात इतिहास के आरम्भ काल तक पहुँची हुई हैं तथापि प्राय: आधुनिक रसायन के इतिहास का आरम्भ आयरलैण्ड के रसायनशास्त्री रॉबर्ट बॉयल से माना जाता है। .

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रासायनिक समीकरण

मिथेन का दहन किसी रासायनिक अभिक्रिया के प्रतीकात्मक निरूपण को रासायनिक समीकरण कहते हैं। इसे समीकरण इसलिये कहा जाता है कि इसमें समता चिन्ह (.

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रासायनिक क्रान्ति

year .

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रासायनिक अभिक्रिया

लकड़ी का जलना एक रासायनिक अभिक्रिया है। एक बीकर में हाइड्रोजन क्लोराइड की वाष्प में परखनली से अमोनिया की वाष्प मिलाने से एक नया पदार्थ अमोनियम क्लोराइड बनते हुए रासायनिक अभिक्रिया में एक या अधिक पदार्थ आपस में अन्तर्क्रिया (इन्टरैक्शन) करके परिवर्तित होते हैं और एक या अधिक भिन्न रासायनिक गुण वाले पदार्थ बनते हैं। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक (रिएक्टैन्ट्स) कहते हैं। अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न पदार्थों को उत्पाद (प्रोडक्ट्स) कहते हैं। लैवासिये के समय से ही ज्ञात है कि रासायनिक अभिक्रिया बिना किसी मापने योग्य द्रव्यमान परिवर्तन के होती है। (द्रव्यमान परिवर्तन अत्यन्त कम होता है जिसे मापना कठिन है)। इसी को द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहते हैं। अर्थात किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान नष्ट होता है न ही बनता है; केवल पदार्थों का परिवर्तन होता है। परम्परागत रूप से उन अभिक्रियाओं को ही रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं जिनमें रासायनिक बन्धों को तोडने या बनाने में एलेक्ट्रानों की गति जिम्मेदार होती है। .

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स्नेहक

लूब्रिकेंट (जिसे कभी-कभी "लूब" के रूप में संदर्भित किया जाता है) एक ऐसा पदार्थ है (अक्सर तरल) जो दो गतिशील सतहों के बीच लगाया जाता है ताकि उनके बीच घर्षण कम हो, कार्यकुशलता में सुधार हो और जल्दी घिस ना जाए.

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हाइड्रोजन सायनाइड

हाड्रोजन सायनाइड (HCN) या हाइड्रोसायनिक अम्ल एक अकार्बनिक यौगिक है। इसे प्रूसिक अम्ल (Prussic acid) भी कहते हैं। यह रंगहीन वाष्पशील पदार्थ है, जो बहुत ही विषैला होता है। सन् १७८२ में के। डब्लू.

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ज्वलनशीलता

ज्वलनशील रसायनों का प्रतीकज्वलनशीलता या प्रज्वलनशीलता, किसी पदार्थ का वह गुण है जिसके अनुसार वह पदार्थ कितनी आसानी से जल या सुलग कर आग अथवा दहन उत्पन्न कर सकता है। किसी वस्तु के दहन हेतु आवश्यक कठिनाई की मात्रा को अग्नि परीक्षण द्वारा मापा जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, ज्वलनशीलता के मापन के लिए विभिन्न प्रकार की परीक्षण विधियां (प्रोटोकॉल) मौजूद हैं। इन परीक्षणों से प्राप्त मूल्यांकनों (रेटिंग्स) को भवन निर्माण संहिता (बिल्डिंग कोड), बीमा आवश्यकताओं, अग्नि संहिता (फायर कोड) के अतिरिक्त उन नियमों और विनियमों में प्रयोग किया जाता है जो किसी भवन निर्माण सामग्री के उपयोग और भंडारण के साथ साथ किसी अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ की किसी इमारत के अन्दर या बाहर संभाल (‘हैंडलिंग’) और उसके सड़क अथवा वायु परिवहन को निर्धारित करते हैं। .

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जैवभार

पुआल के गट्ठर बायोमास बानाने के काम आते हैं। धान की भूसी को जलाकर ऊर्जा (ऊष्मा) प्राप्त की जा सकती है। Panicum virgatum का उपयोग जैव मात्रा के रूप में किया जाता है। जीवित जीवों अथवा हाल ही में मरे हुए जीवों से प्राप्त पदार्थ जैव मात्रा या जैव संहति या 'बायोमास' (Biomass) कहलाता है। प्रायः यहाँ 'जीव' से आशय 'पौधों' से है। बायोमास ऊर्जा के स्रोत हैं। इन्हें सीधे जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है या इनको विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन में परिवर्तित करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण- गन्ने की खोई, धान की भूसी, अनुपयोगी लकड़ी आदि बायोमास को जैव ईंधन के रूप में कई प्रकार से बदला जा सकता है, जिन्हें मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है- ऊष्मीय विधियाँ, रासायनिक विधियाँ तथा जैवरासायनिक विधियाँ। .

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गैस टर्बाइन

एक प्रकार की गैस टर्बाइन और उसके विभिन्न भाग: A-प्रोपेलर, B-गीयर, C-कंप्रेसर, D-ज्वालक (कंबस्टर), E-टर्बाइन, F-निकास गैस टर्बाइन (gas turbine) एक प्रकार का अंतर्दहन इंजन है जो घूमने के लिए आवश्यक ऊर्जा ज्वलनशील गैस के प्रवाह से प्राप्त करता है और इसी कारण इसे 'दहन टर्बाइन' (combustion turbine) भी कहा जाता है। चूंकि टरबाइन की गति घूर्णी (रोटरी) होती है, यह विद्युत जनित्र को घुमाने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। यूएसए की लगभग ९० प्रतिशत विद्युत ऊर्जा भाप टरबाइनों के सहारे ही पैदा की जाती है (१९९६)। भाप टरबाइन की दक्षता अन्य ऊष्मा इंजनों से अधिक होती है। अधिक दक्षता भाप के प्रसार के लिए कई चरणों का प्रयोग करने से प्राप्त होती है। 'गैस टरबाइन' की विभिन्न परिभाषाएँ दी जाती हैं। विस्तृत परिभाषा के अनुसार गैस टरबाइन वह मूल चालक (prime mover) है जिसके संपूर्ण उष्मीय चक्र में कार्यकारी तरल गैसीय अवस्था में ही बना रहता है एवं जिसके सभी यंत्रांगों की गति परिभ्रमी होती है। संकीर्ण परिभाषा के अनुसार इस शब्द का प्रयोग सिर्फ उस मुख्य टरबाइन अंग के लिये किया जाता है जिसका माध्यम गरम वायु होती है। कुछ विद्वानों के मतानुसार गैस टरबाइन वह यंत्र है जिसमें प्रवाह प्रक्रम अविरत रहता है एवं शक्ति टरबाइन द्वारा प्राप्त होती है। .

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गैसीकरण

गैसीकरण (Gasification) वह प्रक्रिया है जिसमें जैविक पदार्थों या जीवाश्म आधारित कार्बनयुक्त पदार्थों को कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड और मिथेन में बदला जाता है। इस प्रक्रिया में पदार्थ को उच्च ताप (>700 °C) पर ले जाकर, बिना ज्वलन के, नियंत्रित मात्रा में ऑक्सीजन और/या जलवाष्प से क्रिया करायी जाती है। प्राप्त गैस का मिश्रण प्रोड्युसर गैस या 'सिंथेटिक गैस' कहलाती है जो स्वयं एक ईंधन है। इसका महत्व इस बात में है कि यह नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्ति का एक स्रोत है। गैसीकरण का लाभ यह है कि सिंथेटिक गैस को उपयोग में लाना मूल पदार्थ को उपयोग में लाने की अपेक्षा अधिक दक्ष (efficient) है क्योंकि इसे अधिक ताप पर भी जलाया जा सकता है या ईंधन सेल में भी जलाया जा सकता है। इस गैस को सीधे गैस इंजनों में भी जलाया जा सकता है। इस गैस को फिशर-ट्रॉप्स प्रक्रिया (Fischer-Tropsch process) द्वारा मेथेनॉल और हाइड्रोजन में बदला जा सकता है। गैसीकरण के लिये ऐसे पदार्थ का भी उपयोग किया जा सकता है जो अन्यथा कचड़ा समझकर फेंक दिया जाता है। इस समय जीवाश्म ईंधन का गैसीकरण औद्योगिक पैमाने बहुतायत में हो रहा है जिससे बिजली पैदा की जाती है। .

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ओजोन ह्रास

वैश्विक मासिक औसत कुल ओजोन राशि ओजोन ह्रास या ओजोन अवक्षय (ओजोन डिप्लीशन) दो अलग लेकिन सम्बंधित प्रेक्षणों का वर्णन करता है; 1970 के दशक के बाद से पृथ्वी के समतापमंडल (stratosphere) में ओजोन की कुल मात्रा में प्रति दशक लगभग चार प्रतिशत की धीमी लेकिन स्थिर कमी आ रही है;और समान अवधि के दौरान पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर समतापमंडल की ओजोन में अधिक लेकिन मौसमी कमी आ रही है। बाद वाली घटना को सामान्यतः ओजोन छिद्र के रूप में जाना जाता है। इस जाने माने संताप मंडलीय ओजोन (stratospheric ozone) रिक्तीकरण के अलावा, क्षोभ मंडलीय ओजोन रिक्तीकरण की घटनाएँ (tropospheric ozone depletion events) भी पाई गई हैं, जो बसंत ऋतु के दौरान ध्रुवीय क्षेत्रों की सतह के पास होता है। विस्तृत क्रियाविधि जिसके द्वारा ध्रुवीय ओजोन छेद, मध्य अक्षांश रिक्तीकरण से भिन्नता रखता है, लेकिन दोनों प्रवृतियों में सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है परमाणु क्लोरीन और ब्रोमीन द्वारा ओजोन का अपघटनी (catalytic) विनाश.

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आँत्वाँ लाव्वाज़्ये

लेवेजियर आँत्वाँ लॉरेंत लाव्वाज़्ये (या आँत्वाँ लॉरेंत लावासिये, Antoine Laurent Lavoisier फ्रेंच उच्चारण: ​; सन् १७४३-१७९४), फ्रांस का सुप्रसिद्ध रसायनज्ञ था। अट्ठारहवीं शताब्दी के रसायन क्रान्ति का वह केन्द्र था। रसायन और जीवविज्ञान दोनों के इतिहास पर उसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। अधिकांश लोग उसे आधुनिक रसायन का जनक मानते हैं। उसने सर्वप्रथम सिद्ध किया कि वायु के मुख्य घटक नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन हैं। .

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आत्महत्या के तरीके

आत्महत्या का तरीके खोजने वालों को भारत में आसरा नामक संस्था परामर्श देती हैं जिसका दूरभाष क्रमांक 022 2754 6669 है। उस संस्था का अधिकृत जालस्थान www.aasra.info है। आत्महत्या का तरीका ऐसी किसी भी विधि को कहते हैं जिसके द्वारा एक या अधिक व्यक्ति जान-बूझकर अपनी जान ले लेते हैं। आत्महत्या के तरीकों को जीवन लीला समाप्त करने की दो विधियों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: शारीरिक या रासायनिक.

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कार्बनिक अभिक्रिया

क्लेजन पुनर्विन्यास जिन रासायनिक अभिक्रियाओं में कार्बनिक यौगिक भाग लेते हैं उन्हें कार्बनिक अभिक्रियाएँ (Organic reactions) कहते हैं। दहन सबसे पुरानी कार्बनिक अभिक्रिया है। इसी तरह वसा का साबुनीकरण करके साबुन बनाना भी प्राचीन कार्बनिक अभिक्रिया है। आधुनिक कार्बनिक रसायन का जन्म वोहलर (Wöhler) द्वारा 1828 में यूरिया के निर्माण से हुआ। बहुत से मानव-निर्मित रसायनों जैसे औषधि, प्लास्टिक, भोजन में मिलाये जाने वाले पदार्थ, वस्त्र आदि कार्बनिक अभिक्रियाओं पर ही निर्भर हैं। .

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कोलेजन

ट्रोपोकोलेजन ट्रिपल हेलिक्स. कोलेजन एक स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले प्रोटीन का समूह है। प्रकृति में, यह जानवरों में विशेष रूप से पाया जाता है। यह संयोजी ऊतक का मुख्य प्रोटीन है। यह स्तनपायियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो समग्र-शरीर की प्रोटीन सामग्री का लगभग 25% से 35% अंश बनता है। मांसपेशी ऊतक में यह एंडोमिशियम के एक प्रमुख घटक के रूप में कार्य करता है। मांसपेशी ऊतक का 1% से 2% कोलेजन से बना है और मज़बूत, कंडरीय मांसपेशियों के वज़न का 6% इससे गठित है। जिलेटिन, जिसका खाद्य और उद्योग में प्रयोग किया जाता है, कोलेजन से व्युत्पन्न है। .

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अपशिष्ट प्रबंधन

बर्कशायर, इंग्लैंड में पहियों वाला कचरे का डब्बा अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन (transport), संसाधन (processing), पुनर्चक्रण (recycling) या अपशिष्ट (waste) के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है। यह शब्द आम तौर पर उस सामग्री को इंगित करता है जो मानव गतिविधियों से बनती हैं और ये इसलिए किया जाता है ताकि मानव पर उस के स्वस्थ, पर्यावरण (environment) या सौंदर्यशास्त्र.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

जलाया, ज्वलन

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