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थायराइड ग्रंथि

सूची थायराइड ग्रंथि

स्थिति: यह अस्थि कंटक के पीछे स्वर यन्त्र के नीचे ड्रेकिया के सामने लैटिकान के ठीक नीचे स्थित होती है । रचना: यह अस्थि आकार में उल्टे कीप के समान होती है । थायरॉइड ऊतक की पट्टी के यह आगे व पीछे की तरफ जुड़ी हुई होती है । कार्य (Function): इसमें से थाइरॉक्सिन नामक हॉर्मोन्स निकलता है । इसमें आयोडीन की मात्रा काफी होती है । यह कोशिका की वृद्धि पर नियन्त्रण रखता है । इसकी कमी से शरीर की वृद्धि रुक जाती है । जीव नाटे रह जाते हैं, तथा भार बढ़ जाता है, सिर में दर्द, पेशियों का कमजोर हो जाना, सुस्ती आना, चिड़चिड़ापन आ जाता है, बाल झड़ने लगते हैं । कभी-कभी यह ग्रन्थि स्वयं फूलकर घेंघा नामक रोग हो जाता है, तथा थाइरोंक्सिन हॉर्मोन्स की अधिकता से इसका रंग लाल हो जाता है । पसीना अधिक आता है, शरीर गर्म रहता है, भार घटता है, नेत्र बड़े होकर बाहर को निकल आते हैं, हृदय की गति बढ़ जाती है । इस अस्थि के निम्न कार्य हैं: (1) शरीर के तापमान में मेटाबोलिज्म दर को नियन्त्रित करती है । (2) यह अस्थि शरीर के तापमान को भी बनाये रखने में सहायक है । (3) आँतों की ग्लूकोज रक्त तथा उत्पादन को नियन्त्रण में रखती है । (4) थाइरॉक्सिन स्राव को नियन्त्रण में रखती है, यदि थाइरॉक्सिन में ज्यादा स्राव होता है, तो उसे घेंघा हो जाता है ।.

1 संबंध: अंत:स्रावी ग्रंथि

अंत:स्रावी ग्रंथि

अंतःस्रावी ग्रंथियाँ, उन ग्रंथियों को कहा जाता है, जो अपने हार्मोन सीधे रक्तधारा में छोड़ देती हैं। इन अंतःस्रावी ग्रंथियों को पहले एक-दूसरे से पृथक् समझा जाता था, किंतु अब ज्ञात हुआ है कि ये सब एक-दूसरे से संबद्ध हैं और पीयूषिका ग्रंथि तथा मस्तिष्क का मैलेमस भाग उनका संबंध स्थापित करते हैं। अतः मस्तिष्क ही अंतःस्रावी तंत्र का केंद्र है। शरीर में निम्नलिखित मुख्य अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हैं: पीयूषिका (पिट्यूटैरी), अधिवृक्क (ऐड्रोनल), अवटुका (थाइरॉइड), उपावटुका (पैराथाइरॉयड), अंडग्रंथि (टेस्टीज), डिंबग्रंथि (ओवैरी), पिनियल, लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ और थाइमस। .

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