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तोरा

सूची तोरा

तोरा यहूदी धर्म की मूल अवधारणाओं की शिक्षा देने वाला का धार्मिक ग्रन्थ है। श्रेणी:यहूदी धर्म.

5 संबंधों: प्रणामी संप्रदाय, बिग ब्रदर (टीवी सीरिज़), शाकाहार, सिख धर्म की आलोचना, गोल्डन काफ़ (सोने का बछड़ा)

प्रणामी संप्रदाय

प्रणामी सम्प्रदाय एक हिन्दू सम्प्रदाय है जिसमे सर्वेसर्वा इश्वर "राज जी" (सदचित्त आनन्द) को मानने वाले अनुयायी शामिल है। यह संप्रदाय अन्य धर्मों की तरह बहुईश्वर में विश्वास नहीं रखता। यह ४००-वर्ष प्राचीन संप्रदाय है। इसकी स्थापना देवचंद्र महाराज द्वारा हुई तथा इसका प्रचार प्राणनाथ स्वामी व उनके शिष्य महाराज छत्रसाल ने किया। जामनगर में नवतनपुरी धाम प्रणामी धर्म का मुख्य तीर्थ स्थल है। इसे श्री कृष्ण प्रणामी धर्म या निजानंद सम्प्रदाय या परनामी संप्रदाय भी कहते हैं। परब्रह्म परमात्मा श्री राज जी एवं उनकी सह-संगिनी श्री श्यामा महारानी जी इस ब्रह्माण्ड के पालनहार एवं रचयिता है। इस संप्रदाय में जो तारतम ग्रन्थ है, वो स्वयं परमात्मा की स्वरुप सखी इंद्रावती ने प्राणनाथ के मनुष्य रूप में जन्म लेकर लिखा। वाणी का अवतरण हुआ और कुरान, बाइबल, भगवत आदि ग्रंथो के भेद खुले। प्रणामियो को ईश्वर ने ब्रह्म आत्मा घोषित किया है। अर्थात ब्रह्मात्मा के अंदर स्वयं परमात्मा का वास होता है। ये ब्रह्मात्माएँ परमधाम में श्री राज जी एवं श्यामा महारानी जी के संग गोपियों के रूप में रहती है। सबसे पहले परमात्मा का अवतरण अल्लाह के रूप में, दूसरी बार कृष्ण (केवल 11 वर्ष 52 दिन तक के गोपी कृष्ण के रूप में, बाकी जीवन में कृष्ण विष्णु अवतार थे। कृष्ण ने गीता भी परमात्मा अवतार - अक्षरातीत अवतार में ही कही है।) और सोहलवीं शताब्दी में श्री प्राणनाथ के रूप में ईश्वर के रूप में जन्म लिया। इस सम्प्रदाय में 11 साल और 52 दिन की आयु वाले बाल कृष्ण को पूजा जाता है। क्योकि इस आयु तक कृष्ण रासलीला किया करते थे। पाठक गलत न समझे कि कृष्ण अलग अलग है। कृष्ण तो केवल एक मनुष्य रूप का नाम है कोई ईश्वर का नही। बाल्यकाल में कृष्ण परमात्मा के अवतार थे और बाकी जीवन में विष्णु अवतार। .

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बिग ब्रदर (टीवी सीरिज़)

बिग ब्रदर एक रियलिटी टेलीविजन शो है, जहां एक बड़े घर में लोगों का एक समूह एक साथ रहता है, बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग-थलग, लेकिन टेलीविजन कैमरों द्वारा उन्हें लगातार देखा जा रहा होता है। प्रत्येक सीरिज़ तीन महीने के करीब चलती है और इसमें आम तौर पर 15 से कम प्रतिभागी हुआ करते हैं। इस घर के सदस्य खुद को घर से होने वाले नियतकालिक निष्कासन से बचाते हुए एक नकद पुरस्कार जीतने की कोशिश करते हैं। जॉन डी मोल प्रोदुक्तिज़ (John de Mol Produkties) (इंडेमोल का एक स्वतंत्र भाग) नामक निर्माण संस्था के एक जबर्दस्त बहस-मुबाहिसे से इस शो का विचार 4 सितंबर 1997 सामने आया। 1999 में नीदरलैंड के वेरोनिका चैनल में पहले बिग ब्रदर का प्रसारण किया गया था। अगले साल से जर्मनी, पुर्तगाल, यूएसए (USA), यूके (UK), स्पेन, बेल्जियम, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और इटली में इसका प्रसारण शुरू हुआ और इस तरह यह एक विश्वव्यापी हलचल बन गया।‍ तब से यह लगभग 70 देशों में प्राइम-टाइम हिट बना हुआ है। शो का नाम जॉर्ज ऑरवेल के 1949 के उपन्यास नाइंटीन एटी-फोर (Nineteen Eighty-Four) से लिया गया, यह एक ऐसे आतंकराज की कहानी है जिसमे बिग ब्रदर अपनी तानाशाही के निवासियों पर हमेशा उनके टेलीविजन सेट के जरिये जासूसी कर सकता है, इस नारे के साथ कि "बिग ब्रदर इज वाचिंग यू " (Big Brother is watching you) अर्थात तुम पर बिग ब्रदर की नज़र है। .

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शाकाहार

दुग्ध उत्पाद, फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन को शाकाहार (शाक + आहार) कहते हैं। शाकाहारी व्यक्ति मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशिया या कठिनी अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज़ (पाश्चात्य पनीर), पनीर और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं। हालाँकि, इन्हें या अन्य अपरिचित पशु सामग्रियों का उपभोग अनजाने में कर सकते हैं। शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा ये है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति आधारित हैं, पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनमें कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। इसके अतिरिक्त शाकाहार में और कोई चीज़ शामिल नहीं है। इस परिभाषा की मदद से शाकाहार का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध, शहद आदि से बच्चे नहीं होते जबकि अंडे जिसे कुछ तथाकथित बुद्धजीवी शाकाहारी कहते है, उनसे बच्चे जन्म लेते हैं। अतः अंडे मांसाहार है। प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है। पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू भी कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद को हिन्दू बताता है किंतु मांसाहार करता है तो वह धार्मिक तथ्यों से हिन्दू नहीं रह जाता। अपना पेट भरने के लिए या महज़ जीभ के स्वाद के लिए किसी प्राणी की हत्या करना मनुष्यता कदापि नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यदि भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है। नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन। अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं। जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। हालाँकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।शाकाहारी मछली नहीं खाते हैं, शाकाहारी सोसाइटी, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.

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सिख धर्म की आलोचना

सिख धर्म की आलोचना अक्सर अन्य धर्मों या सिद्धांतों के मानने वालों के द्वारा की गई है। .

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गोल्डन काफ़ (सोने का बछड़ा)

निकोलस पौसिन द्वारा स्वर्ण बछड़े की आराधना: ग्रीको-रोमन भदचलन से प्रभावित कल्पना इब्रानी (हिब्रू) बाइबिल के अनुसार, द गोल्डेन काफ़ (עֵגֶּל הַזָהָב ‘ēggel hazâhâḇ) मोज़ेज़ (मुसों) जब माउंट सिनाई पर चले गए तब उनकी अनुपस्थिति के दौरान इस्राएलियों को संतुष्ट करने के लिए उनके भाई हारून (एरॉन) द्वारा बनवाई गई मूर्ति (पंथ अथवा सम्प्रदाय की प्रतिकृति) थी। द काफ़ (बछड़ा) के जरिए इस्राएल के ईश्वर का शारीरिक प्रतिनिधित्व अभिप्रेत था और इसीलिए, इस्राएल को दोबारा बुत परस्ती (मूर्तिपूजा) में शामिल करने की गलती की जा रही थी एवं ईश्वर की शारीरिक सत्ता का होना आरोपित किया जा रहा था। हिब्रू में, यह घटना ḥēṭ’ ha‘ēggel (חֵטְא הַעֵגֶּל) के रूप में जानी जाती है अथवा "द सिन ऑफ़ द काफ़" (बछड़े का पाप) के नाम से भी जाना जाता है। इसका उल्लेख सर्वप्रथम निष्क्रमण (एक्सोड्स) में किया गया है। बैल की पूजा कई संस्कृतियों में आम बात थी। मिस्र में, निष्क्रमण के विवरण के अनुसार जब इब्रानी (यहूदी) लोगों को आये अधिक समय नहीं हुआ था तब ही, एपिस बुल एवं बैल के सिर वाला खनुम (Khnum) पूज्य पात्र थे, जैसा कि कुछ लोगों का मानना है, निर्वासन के समय इब्रानी पुनर्जीवन प्राप्त कर रहे थे; वैकल्पिक रूप से, कुछ लोगों का विश्वास है कि इस्राएल के ईश्वर का संबंध चित्रित बछड़े/बैल देवता के रूप में धार्मिक रूप से आत्मसात और समन्वयता करने की प्रक्रिया के माध्यम से अंगीकृत कर लिया जाना था। मिस्रवासियों एवं इब्रानियों के मध्य प्राचीन पड़ोसियों में निकटरूप पूर्व में तथा ईजियन में, ऑरोक्स, वन्य बैल, की व्यापक रूप से पूजा की जाती थी, अक्सर चन्द्र बैल एवं ईएल के प्राणी के रूप में.

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