हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

तेमसुला आओ

सूची तेमसुला आओ

तेमसुला आओ या तेमसुला अओ अंग्रेज़ी भाषा की एक जानी-मानी कवयित्री, कथाकार और वाचिक संग्रहकर्ता (एथनोग्राफर) हैं। वे नॉर्थ ईस्टर्न हिल युनिवर्सिटी (एनईएचयू) से अंग्रेजी की सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं, जहां उन्होंने 1975 में अध्यापकीय जीवन शुरू किया था। 2013 में साहित्य अकादमी ने उनके अंग्रेजी कहानी संग्रह लबरनम फ़ॉर माइ हेड को अकादमी पुरस्कार से नवाजा है। वर्तमान में वे नागालैंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भी हैं। .

सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: लबरनम फ़ॉर माइ हेड, साहित्य अकादमी पुरस्कार अंग्रेज़ी, आदिवासी साहित्य, आदिवासी साहित्‍य

लबरनम फ़ॉर माइ हेड

लबरनम फ़ॉर माइ हेड अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार तेमसुला आओ द्वारा रचित एक कहानी-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

देखें तेमसुला आओ और लबरनम फ़ॉर माइ हेड

साहित्य अकादमी पुरस्कार अंग्रेज़ी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और अंग्रेज़ी भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

देखें तेमसुला आओ और साहित्य अकादमी पुरस्कार अंग्रेज़ी

आदिवासी साहित्य

आदिवासी साहित्य से तात्पर्य उस साहित्य से है जिसमें आदिवासियों का जीवन और समाज उनके दर्शन के अनुरूप अभिव्यक्त हुआ है। आदिवासी साहित्य को विभिन्न नामों से पूरी दुनिया में जाना जाता है। यूरोप और अमेरिका में इसे, कलर्ड लिटरेचर, स्लेव लिटरेचर और, अफ्रीकन देशों में ब्लैक लिटरेचर और ऑस्ट्रेलिया मेें एबोरिजिनल लिटरेचर, तो अंग्रेजी में इंडीजिनस लिटरेचर, फर्स्टपीपुल लिटरेचर और ट्राइबल लिटरेचर कहते हैं। भारत में इसे हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में सामान्यतः ‘आदिवासी साहित्य’ ही कहा जाता है। .

देखें तेमसुला आओ और आदिवासी साहित्य

आदिवासी साहित्‍य

आदिवासी साहित्‍य दिल्‍ली से प्रकाशित होने वाली आदिवासी लेखन की पहली राष्‍ट्रीय पत्रिका है जिसके संपादक डॉ॰ गंगा सहाय मीणा हैं। पत्रिका की संपादकीय टीम में देशभर के सभी प्रमुख आदिवासी साहित्‍यकार शामिल हैं, जिनमें प्रमुख नाम हैं- वाहरू सोनवणे, मोतीरावण कंगाली, रोज केरकेट्टा, तेमसुला आओ, वाल्‍टर भेंगरा 'तरुण', वंदना टेटे, शांति खलखो, अनुज लुगुन आदि। सौ पृष्‍ठों की यह त्रैमासिक पत्रिका निम्‍न स्‍तंभों में बॅंटी हुई है- कहन-गायन, मुंहामुंही, दर्शन-वैचारिकी, रंग-रोगन, देस-दिसुम, सकम और अखड़ा.

देखें तेमसुला आओ और आदिवासी साहित्‍य