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ताश

सूची ताश

साइकिल ब्रांड के कुछ विशिष्ट अंग्रेज़-अमेरिकी ताश के पत्ते ताश मोटे-भारी कागज़, पतले गत्ते, या पतले प्लास्टिक से विशेष रूप से बनी होती है; जिसमें पहचान के लिए अलग रूपांकन बने होते हैं और उनका इस्तेमाल ताश के खेल के लिए एक सेट के रूप में किया जाता है। खेल में सुविधा के लिए आमतौर पर ताश के पत्ते हथेली के आकार के होते हैं। ताश के एक पूरे सेट को पैक या डेक कहते हैं और एक खेल के दौरान एक बार में एक खिलाड़ी द्वारा उठाये गए पत्तों के सबसेट को सामान्यतः हैण्ड कहा जाता है। ताश के एक डेक से अनेक प्रकार के पत्ते के खेल खेले जा सकते हैं, उनमें से कुछ जुआ में भी शामिल हो सकते हैं। चूंकि ताश मानकीकृत हो चुके हैं और आम तौर पर उपलब्ध हैं, सो उनका अन्य इस्तेमाल भी होने लगा है, जैसे कि हाथ की सफाई, भविष्यवाणी, गूढ़लेखन, बोर्ड गेम, या ताश के घर बनाना.

8 संबंधों: चायख़ाना, प्रतिदर्श समष्टि, प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पोकर, होल छिद्रक, इक्का, क्रम-विकास से परिचय, 52 पत्तों का समूह (ताश)

चायख़ाना

चीन के नानजिंग शहर में एक चायख़ाना चायख़ाना ऐसे स्थान को बोलते हैं जो ग्राहकों या अतिथियों को चाय पिलाने के कार्य पर केन्द्रित हो। भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, चीन, जापान और बहुत से अन्य समाजों में चायख़ाने लोक-संस्कृति और सामाजिक मिलन का पारम्परिक केंद्र भी हैं या ऐतिहासिक रूप से रह चुके हैं। अक्सर चायख़ानो में चाय के अलावा हलके-फुल्के नाश्ते भी परोसे जाते हैं। कुछ जगहों पर चायख़ानो में शतरंज, ताश, धूम्रपान (जैसे कि हुक्का) और अन्य हलकी सामूहिक क्रियाओं का भी बंदोबस्त किया जाता है।, C. J. Richards, Richards, 1976, ISBN 978-0-7223-0890-5,...

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प्रतिदर्श समष्टि

प्रायिकता सिद्धांत में प्रतिदर्श समष्टि किसी यादृच्छिक परीक्षण के सभी संभावित परिणामों का समुच्चय होता है, जिसे अमूमन संकेत S,\ \Omega अथवा U द्वारा प्रकट किया जाता है। उदाहरणार्थ, एक सिक्के को उछालने के परीक्षण पर विचार करें। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि \ है। दो सिक्कों को उछालने के परीक्षण के लिए प्रतिदर्श समष्टि \ होगा। एक छःमुखी पासा फेकनें के लिए प्रतिदर्श समष्टि \ है। कुछ परीक्षणों के लिए दो या दो से अधिक संभाव्य प्रतिदर्श समष्टि हो सकते हैं। उदाहरणार्थ, अगर ताश के ५२ पत्तों की एक भली-भाँति फेंटी हुई गड्डी में से एक पत्ता निकाला जाये, तो एक संभावित प्रतिदर्श समष्टि सभी रैंकों (इक्का से बादशाह तक) का समूह, जबकि एक अन्य किसी पत्ते का सूट (ईंट, चिड़ी, पान या हुकुम) हो सकता है। श्रेणी:प्रायिकता सिद्धांत he:מרחב הסתברות.

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प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी

प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा तकनीक को जानने के लिये पुरातत्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पडता है। प्राचीन भारत का साहित्य अत्यन्त विपुल एवं विविधतासम्पन्न है। इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्राचीन भारत के कुछ योगदान निम्नलिखित हैं-.

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पोकर

एक टेक्सास होल्ड'एम का खेल। यह पोकर का सबसे लोकप्रिय प्रकार है। पोकर ताश का एक प्रकार का खेल है जिसमें शर्त लगाना व अकेले खेलना शामिल है। इसमें विजेता उसके पास मौजूद पत्तों के मेल व क्रम से चुना जाता है जिनमें कुछ पत्ते खेल खत्म होने तक छिपे रहते हैं। यह खेल भिन्न-भिन्न प्रकार से खेला जाता है जिनमें खेले गए पत्ते, मिलाए गए पत्ते व छिपे हुए पत्तों की अलग अलग मात्रा शामिल होती है। पोकर का सबसे लोकप्रिय प्रकार टेक्सास होल्ड'एम है। .

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होल छिद्रक

टेप मापक (इंच में) दिखाने के लिए अनुमानित आकार आम छेद पद एक होल छिद्रक या छेद पंच (छेद छेदने का शस्र) एक कार्यालय के उपकरण है प्रयोग किया जाता है बनाने के लिए छेद पत्रकों के कागज, अक्सर के उद्देश्य के लिए इकट्ठा करने में चादरें एक बांधने की मशीन या फ़ोल्डर.

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इक्का

ताश की गड्डी के चार इक्के इक्का ताश का एक पत्ता है। एक ताश की गड्डी में ऐसे चार इक्के होते हैं (चिडी, हुकुम, पान, ईंट)। अधिकतर हुकुम इक्के को काफ़ी सजावट के साथ छापा जाता है। हुकुम का इक्का स्कॉटलैंड के राजा जेम्स VI और इंगलैंड के I की आवश्यक्ता के अनुसार पहली बार सजावट के साथ छापा गया था जिन पर छपाई घर की मुहर छपी होती थी। उस काल में यह ज़रुरी था जिससे उस छपाई घर ने नया कर भरा है या नहीं पता चलता था। हालांकि यह कर 1960 में रद्द कर दिया गया परन्तु सजावट की प्रथा आज भी चालू है। इक्का शब्द का अर्थ हिन्दी में "एक" होता है और इसके अंग्रेज़ी शब्द ऐस (Ace) का लैटिन भाषा में अर्थ "एक चिज़" होता है जो एक छोटे रोमन सिक्के से लिया गया है। ताश में शामिल करने से पहले इसका अर्थ पासे के उस सिरे से था जिसपे केवल एक निशान होता था। पासे का एक अंक, जो सबसे कम पारी की कीमत थी, इस कारण इसे बुरा शगुन माना जाता था, परन्तु ताश में इक्का सबसे बड़ा पत्ता होने के कारण इसका अर्थ बदल कर "उत्कृष्ट" या "बेहतरीन" बन गया। आज इक्का शब्द टेनिस में उस शॉट के लिए प्रयोग होता है जो सर्व करते वक्त बिना रोके निकल जाए। अन्य उपयोगों में यह बेहतरीन लडाकू विमान चालक या ऐसे इंसान के लिए लागू होता है जो अपने काम में महारत रखता हो। .

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क्रम-विकास से परिचय

क्रम-विकास किसी जैविक आबादी के आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ियों के साथ परिवर्तन को कहते हैं। जैविक आबादियों में जैनेटिक परिवर्तन के कारण अवलोकन योग्य लक्षणों में परिवर्तन होता है। जैसे-जैसे जैनेटिक विविधता पीढ़ियों के साथ बदलती है, प्राकृतिक वरण से वो लक्षण ज्यादा सामान्य हो जाते हैं जो उत्तरजीवन और प्रजनन में ज्यादा सफलता प्रदान करते हैं। पृथ्वी की उम्र लगभग ४.५४ अरब वर्ष है। जीवन के सबसे पुराने निर्विवादित सबूत ३.५ अरब वर्ष पुराने हैं। ये सबूत पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ३.५ वर्ष पुराने बलुआ पत्थर में मिले माइक्रोबियल चटाई के जीवाश्म हैं। जीवन के इस से पुराने, पर विवादित सबूत ये हैं: १) ग्रीनलैंड में मिला ३.७ अरब वर्ष पुराना ग्रेफाइट, जो की एक बायोजेनिक पदार्थ है और २) २०१५ में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ४.१ अरब वर्ष पुराने पत्थरों में मिले "बायोटिक जीवन के अवशेष"। Early edition, published online before print. क्रम-विकास जीवन की उत्पत्ति को समझाने की कोशिश नहीं करता है (इसे अबायोजेनेसिस समझाता है)। पर क्रम-विकास यह समझाता है कि प्राचीन सरल जीवन से आज का जटिल जीवन कैसे विकसित हुआ है। आज की सभी जातियों के बीच समानता देख कर यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी के सभी जीवों का एक साझा पूर्वज है। इसे अंतिम सार्वजानिक पूर्वज कहते हैं। आज की सभी जातियाँ क्रम-विकास की प्रक्रिया के द्वारा इस से उत्पन्न हुई हैं। सभी शख़्सों के पास जीन्स के रूप में आनुवांशिक पदार्थ होता है। सभी शख़्स इसे अपने माता-पिता से ग्रहण करते हैं और अपनी संतान को देते हैं। संतानों के जीन्स में थोड़ी भिन्नता होती है। इसका कारण उत्परिवर्तन (यादृच्छिक परिवर्तनों के माध्यम से नए जीन्स का प्रतिस्थापन) और लैंगिक जनन के दौरान मौजूदा जीन्स में फेरबदल है। इसके कारण संताने माता-पिता और एक दूसरे से थोड़ी भिन्न होती हैं। अगर वो भिन्नताएँ उपयोगी होती हैं तो संतान के जीवित रहने और प्रजनन करने की संभावना ज्यादा होती है। इसके कारण अगली पीढ़ी के विभिन्न शख्सों के जीवित रहने और प्रजनन करने की संभावना समान नहीं होती है। फलस्वरूप जो लक्षण जीवों को अपनी परिस्थितियों के ज्यादा अनुकूलित बनाते हैं, अगली पीढ़ियों में वो ज्यादा सामान्य हो जाते हैं। ये भिन्नताएँ धीरे-धीरे बढ़ती रहती हैं। आज देखी जाने वाली जीव विविधता के लिए यही प्रक्रिया जिम्मेदार है। अधिकांश जैनेटिक उत्परिवर्तन शख़्सों को न कोई सहायता प्रदान करते हैं, न उनकी दिखावट को बदलते हैं और न ही उन्हें कोई हानि पहुँचाते हैं। जैनेटिक ड्रिफ्ट के माध्यम से ये निष्पक्ष जैनेटिक उत्परिवर्तन केवल संयोग से आबादियों में स्थापित हो जाते हैं और बहुत पीढ़ियों तक जीवित रहते हैं। इसके विपरीत, प्राकृतिक वरण एक यादृच्छिक प्रक्रिया नहीं है क्योंकि यह उन लक्षणों को बचाती है जो जीवित रहने और प्रजनन करने के लिए जरुरी हैं। प्राकृतिक वरण और जैनेटिक ड्रिफ्ट जीवन के नित्य और गतिशील अंग हैं। अरबों वर्षों में इन प्रक्रियाओं ने जीवन के वंश वृक्ष की शाखाओं की रचना की है। क्रम-विकास की आधुनिक सोच १८५९ में प्रकाशित चार्ल्स डार्विन की किताब जीवजातियों का उद्भव से शुरू हुई। इसके साथ ग्रेगर मेंडल द्वारा पादपों पर किये गए अध्ययन ने अनुवांशिकी को समझने में मदद की। जीवाश्मों की खोज, जनसंख्या आनुवांशिकी में प्रगति और वैज्ञानिक अनुसंधान के वैश्विक नैटवर्क ने क्रम-विकास की क्रियाविधि की और अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान की है। वैज्ञानिकों को अब नयी जातियों के उद्गम (प्रजातीकरण) की ज्यादा समझ है और उन्होंने अब प्रजातीकरण की प्रक्रिया का अवलोकन प्रयोगशाला और प्रकृति में कर लिया है। क्रम-विकास वह मूल वैज्ञानिक सिद्धांत है जिसे जीववैज्ञानिक जीवन को समझने के लिए प्रयोग करते हैं। यह कई विषयों में प्रयोग होता है जैसे आयुर्विज्ञान, मानस शास्त्र, जैव संरक्षण, मानवशास्त्र, फॉरेंसिक विज्ञान, कृषि और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक विषय। .

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52 पत्तों का समूह (ताश)

सारे पत्ते, अंग्रेज़ी पैटर्न में। 52 फ़्रांसीसी ताश सबसे सामान्य पत्तियाँ की समूह है आजकल। चार सूट्स है इस प्रकार का ताश में: चिड़ी (♣), ईंट (♦), पान (♥) और हुकुम (♠)। सभी सूट में है अंक के पत्ते, 1 से 12.

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