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ताजिक लोग

सूची ताजिक लोग

अफ़्ग़ान सांसद नीलोफ़र इब्राहिमी एक ताजिक हैं ताजिकिस्तान का एक परिवार ईद-उल-फ़ित्र की ख़ुशियाँ मनाते हुए ताजिक (ताजिक: Тоҷик, फ़ारसी:, तॉजिक) मध्य एशिया (विशेषकर ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान, उज़बेकिस्तान और पश्चिमी चीन) में रहने वाले फ़ारसी-भाषियों के समुदायों को कहा जाता है। बहुत से अफ़्ग़ानिस्तान से आये ताजिक शरणार्थी ईरान और पाकिस्तान में भी रहते हैं। अपनी संस्कृति और भाषा के मामले में ताजिक लोगों का ईरान के लोगों से गहरा सम्बन्ध रहा है।, Olivier Roy, I.B.Tauris, 2000, ISBN 978-1-86064-278-4 चीन के ताजिक लोग अन्य ताजिक लोगों से ज़रा भिन्न होते हैं क्योंकि वे पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलते हैं जबकि अन्य ताजिक फ़ारसी बोलते हैं।, New World Press, 1989, ISBN 978-7-80005-078-7,...

42 संबंधों: चारीकार, चग़चरान, तालोक़ान, ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िला, ताजिकिस्तान, दक्षिण क़ज़ाख़स्तान प्रांत, दुशान्बे, पंजशीर वादी, पुल-ए-ख़ुमरी, पुल-ए-आलम, फ़राह, अफ़्ग़ानिस्तान, फ़ारसी भाषा, फ़ैज़ाबाद, बदख़्शान, बदख़्शान, बातकेन प्रांत, बाज़ारक, पंजशीर, महमूद-ए-राक़ी, मैदान शहर, मेयमना, शबरग़ान, सर-ए-पोल शहर, सुरख़ानदरिया प्रान्त, सोग़दा, हज़ाराजात, जन्मपत्री, जलालाबाद प्रांत (किर्गिज़स्तान), ज़रंज, जोज़जान प्रान्त, ख़ुजन्द, ग़ज़नी प्रान्त, ग़ोरी राजवंश, गूगल अनुवाद, ओश, ओश प्रांत, कराची, क़ला-ए-नौ, अफ़्ग़ानिस्तान, क़ुरग़ोनतेप्पा, काश्गर विभाग, कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त, अहमद शाह मसूद, अइमाक़ लोग, उत्तरी मित्रपक्ष

चारीकार

चारीकार में जानवरों की एक डाक्टर चारीकार (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Charikar) उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के परवान प्रान्त की राजधानी है। यह कोहदामन (अर्थ:पहाड़ का दामन) नामक वादी का मुख्य शहर है और ग़ोरबंद नदी के किनारे स्थित है।, Ludwig W. Adamec, pp.

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चग़चरान

चग़चरान​ का एक पुल चग़चरान​ (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Chaghcharan), जिसे इतिहास में चख़चेरान और आहंगारान​ के नाम से भी जाना जाता था, मध्य अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त की राजधानी है। हरीरूद (हरी नदी) के दक्षिणी किनारे पर बसा यह शहर २,२८० मीटर की ऊँचाई पर है।, Ludwig W. Adamec, pp.

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तालोक़ान

अलाउद्दीन मुहम्मद इब्न तेकेश (राजकाल: १२००-१२२०) द्वारा तालोक़ान में ज़र्ब सिक्का - इस राजा से चंगेज़ ख़ान ने आक्रमण करके राज छीन लिया था तालोक़ान (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Taloqan) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के तख़ार प्रान्त की राजधानी है। यह शहर २,८७४ फ़ुट (८७६ मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। .

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ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िला

ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िला जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के काश्गर विभाग का एक ज़िला है। इसकी ८०% से अधिक आबादी ताजिक समुदाय की है। इस ज़िले की राजधानी ताशक़ुरग़ान​ शहर है जहाँ से पाक-अधिकृत कश्मीर से गुज़रकर पाकिस्तान व चीन को जोड़ने वाला काराकोरम राजमार्ग निकलता है।, Andrew Burke, pp.

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ताजिकिस्तान

अंतरिक्ष से ताजिकिस्तान का मंज़र ताज़िकिस्तान (ताजिक: Тоҷикистон,, तोजिकिस्तोन) मध्य एशिया मे स्थित एक देश है जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा (स्थलवेष्ठित) है। यह पहले सोवियत संघ का हिस्सा था और उस देश के विघटन के बाद सन् १९९१ में एक स्वतंत्र देश बना। १९९२-९७ के काल में गृहयुद्धों की मार झेल चुके इस देश की कूटनीतिक-भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह उज़बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, किर्गिज़स्तान तथा चीन के मध्य स्थित है। इसके अलावा पाकिस्तान के उत्तरी इलाके से इसे केवल अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त का पतला-सा वाख़ान गलियारा ही अलग करता है। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे शहर है और यहाँ की भाषा को ताजिक कहा जाता है जो फ़ारसी भाषा का एक रूप माना जाता है। इस भाषा को सीरीलिक अक्षरों में लिखा जाता है जिसमें रूसी तथा कुछ अन्य भाषाएँ भी लिखी जाती हैं। .

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दक्षिण क़ज़ाख़स्तान प्रांत

दक्षिण क़ज़ाख़स्तान प्रांत (कज़ाख़: Оңтүстік Қазақстан облысы, अंग्रेज़ी: South Kazakhstan Province) मध्य एशिया के क़ज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी शिमकेंत (Shimkent) नाम का शहर है। इस प्रांत की दक्षिणी सरहद उज़बेकिस्तान से लगती है और उज़बेकिस्तान की राजधानी ताशकेंत इसके बहुत पास है। मध्य एशिया की प्रसिद्ध नदी सिर दरिया इस प्रांत से होते हुए अरल सागर की तरफ़ गुज़रती है। यहाँ से तुर्कमेनिस्तान के तुर्कमेनाबात शहर से रूस के ओम्स्क शहर तक जाने वाली तेल की एक महत्वपूर्ण पाइप-लाइन भी निकलती है। शिमकेंत में कच्चे खनिजों से तेल, सीसा और जस्ता (ज़िंक) के कई कारख़ाने हैं। .

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दुशान्बे

दुशान्बे दुशान्बे चिकित्सा-विज्ञान विश्वविद्यालय (दोनिशगोही दवलती तिब्बी तोजिकिस्तोन) दुशान्बे (ताजिकी: Душанбе,, Dushanbe) मध्य एशिया के देश ताजिकिस्तान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। इसकी आबादी वर्ष २००८ में ६,७९,४०० अनुमानित की गई थी। शहर को १९२९ तक द्युशान्बे (Dyushanbe) के नाम से जाना जाता था और १९२९ से १९६१ तक इसका नाम स्तालिनाबाद (Сталинабад, Stalinabad) रहा। .

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पंजशीर वादी

पंजशीर वादी का एक नज़ारा पंजशीर वादी (दरी फ़ारसी:, दरा-ए-पंजशीर) उत्तर-मध्य अफ़ग़ानिस्तान में स्थित एक घाटी है। यह राष्ट्रीय राजधानी काबुल से १५० किमी उत्तर में हिन्दु कुश पर्वतों के पास स्थित है।, Accessed 2006-11-22 यह वादी पंजशीर प्रान्त में आती है और इसमें से प्रसिद्ध पंजशीर नदी गुज़रती है। यहाँ लगभग १,४०,००० लोग बसे हुए हैं जिनमें अफ़ग़ानिस्तान का सबसे बड़ा ताजिक लोगों का समुदाय भी शामिल है।, Library of Congress Country Studies, Library of Congress, 1997, Accessed 2006-11-19 .

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पुल-ए-ख़ुमरी

पुल-ए-ख़ुमरी (फ़ारसी) अफगानिस्तान का एक शहर है और बग़लान प्रान्त की राजधानी है। यहाँ पर ताजिक समुदाय बहुसंख्यक है। .

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पुल-ए-आलम

पुल-ए-आलम का एक दृश्य पुल-ए-आलम (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Pul-i-Alam) पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के लोगर प्रान्त की राजधानी है। यह शहर अफ़ग़ानिस्तान के गृह युद्ध में बहुत क्षतिग्रस्त हुस था और सन् २००१ में तालिबान के सत्ता से हटाए जाने के बाद यहाँ काफ़ी पुनर्निर्माण हुआ है। अपने शासन के दौरान तालिबान ने यहाँ सभी लड़कियों के स्कूल बंद कराने की कोशिश करी थी। सत्ता से हटाए जाने के बाद भी २ अक्टूबर २००६ को दस कट्टरपंथियों के दस्ते ने यहाँ एक लड़कियों की पाठशाला जलाने की कोशिश करी लेकिन नागरिकों ने एक दल ने उन्हें खदेड़ दिया।, Brendan O'Malley, pp.

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फ़राह, अफ़्ग़ानिस्तान

कुछ अमेरिकी सैनिक फ़राह में 'सिकंदर का क़िला' कहलाए जाने वाले ढाँचे के सामने फ़राह (फ़ारसी और पश्तो:, अंग्रेजी: Farah) पश्चिमी अफ़्ग़ानिस्तान के फ़राह प्रान्त की राजधानी है। यह शहर फ़राह नदी के किनारे स्थित है और ईरान की सीमा के काफ़ी पास है। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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फ़ैज़ाबाद, बदख़्शान

बदख़्शान प्रान्त की राजधानी फ़ैज़ाबाद​ का एक नज़ारा फ़ैज़ाबाद​ (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Fayzabad) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। १,२०० मीटर की ऊंचाई पर कोकचा नदी के किनारे स्थित यह शहर पामीर क्षेत्र का एक मुख्य व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र भी है। .

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बदख़्शान

ताजिकिस्तान का कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त अफ़ग़ानिस्तान का बदख़्शान प्रान्त अफ़ग़ानिस्तान में बदख़्शानी बच्चे बदख़्शान (फ़ारसी:, ताजिक: Бадахшон, अंग्रेजी: Badakhshan) पामीर पर्वतों के इलाक़े में स्थित मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जो आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वोत्तरी और आधुनिक ताजिकिस्तान के दक्षिणपूर्वी भागों पर विस्तृत था। अफ़ग़ानिस्तान के सुदूर उत्तरपूर्वी बदख़्शान प्रान्त (जिसमें प्रसिद्ध वाख़ान गलियारा भी आता है) और ताजिकिस्तान के दक्षिणपूर्वी कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त का नाम इसी पुराने नाम पर पड़ा है।, Svat Soucek, pp.

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बातकेन प्रांत

बातकेन प्रांत (किरगिज़: Баткен областы, अंग्रेज़ी: Batken Province) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी का नाम भी बातकेन शहर ही है। इस प्रांत का उत्तरी हिस्सा उपजाऊ फ़रग़ना वादी में आता है जबकि दक्षिण-पूर्व में अलाय पर्वत और दक्षिण-पश्चिम में तुर्किस्तान पर्वत स्थित हैं। २००९ की जनगणना के अनुसार इस प्रांत के ७६.५% लोग किरगिज़ समुदाय के, १४.७% उज़बेक समुदाय के और ६.९% ताजिक समुदाय के थे। यहाँ रूसी और तातार लोग भी रहते हैं। इस प्रांत की सरहदें पश्चिम और उत्तर में ताजिकिस्तान से और उत्तर-पूर्व में उज़बेकिस्तान से लगतीं हैं। .

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बाज़ारक, पंजशीर

बाज़ारक (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Bazarak) उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर प्रान्त की राजधानी है। यह १०० किमी लम्बी पंजशीर वादी के लगभग मध्य में स्थित है और यहाँ पर बसने वाले अधिकतर लोग ताजिक समुदाय के हैं। यह प्रसिद्ध अफ़ग़ान नेता अहमद शाह मसूद का जन्मस्थान है और उनका मकबरा भी यहीं स्थित है।, Susan Vollmer, pp.

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महमूद-ए-राक़ी

महमूद-ए-राक़ी (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Mahmud-i-Raqi), जिसे अक्सर सिर्फ़ महमूद राक़ी कहा जाता है, पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के कापीसा प्रान्त की राजधानी है। .

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मैदान शहर

मैदान शहर (दरी फ़ारसी), जिसे पश्तो लहजे में मैदान शार (पश्तो:, अंग्रेज़ी: Maidan Shar) कहते हैं, दक्षिण-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के मैदान वरदक प्रान्त की राजधानी है। .

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मेयमना

मेयमना​ (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Maymana) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के फ़ारयाब प्रान्त की राजधानी है। यह तुर्कमेनिस्तान के साथ लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के काफ़ी पास है और अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के लगभग ४०० किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। .

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शबरग़ान

शबरग़ान में चुनावों में मतदान देते कुछ नागरिक शबरग़ान (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Sheberghan) उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान के जोज़जान प्रान्त की राजधानी है। यह शहर सफ़ीद नदी के किनारे मज़ार-ए-शरीफ़ से लगभग १३० किलोमीटर दूर स्थित है। सन् २००६ में इसकी जनसँख्या १,४८,३२९ अनुमानित की गई थी। .

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सर-ए-पोल शहर

सर-ए-पोल (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Sar-e-Pol) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के सर-ए-पोल प्रान्त की राजधानी है। यह शहर २,९१३ फ़ुट (८८८ मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। सर-ए-पोल राजमार्ग द्वारा उत्तर में जोज़जान प्रान्त की राजधानी शबरग़ान और पश्चिम में फ़ारयाब प्रान्त की राजधानी मेयमना से जुड़ा हुआ है। .

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सुरख़ानदरिया प्रान्त

बोयसुन शहर में सुरख़ानदरिया प्रान्त (उज़बेक: Сурхондарё вилояти, सुरख़ोनदरयो विलोयती; अंग्रेज़ी: Surxondaryo Province) मध्य एशिया में स्थित उज़बेकिस्तान देश का एक विलायात (प्रान्त) है जो उस देश के सुदूर दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में स्थित है। प्रान्त का कुल क्षेत्रफल २०,१०० वर्ग किमी है और २००५ में इसकी अनुमानित आबादी १९,२५,१०० थी। इस सूबे के क़रीब ८०% लोग ग्रामीण इलाक़ों में रहते हैं। सुरख़ानदरिया प्रान्त की राजधानी तिरमिज़ शहर है जिसमें आमू दरिया पर एक बंदरगाह भी बनी हुई है जो की मध्य एशिया की इकलौती नदी-बंदरगाह है।, Нурислам Тухлиев, Алла Кременцова, Ozbekiston milliy ensiklopediasi, 2007 .

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सोग़दा

३०० ईसापूर्व में सोग़दा का क्षेत्र एक चीनी शिल्प-वस्तु पर सोग़दाई लोगों का चित्रण सोग़दाई व्यापारी भगवान बुद्ध को भेंट देते हुए (बाएँ की तस्वीर के निचले हिस्से को दाई तरफ़ बड़ा कर के दिखाया गया है) सोग़दा, सोग़दिया या सोग़दियाना (ताजिक: Суғд, सुग़्द; तुर्की: Soğut, सोग़ुत) मध्य एशिया में स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। यह आधुनिक उज़्बेकिस्तान के समरक़न्द, बुख़ारा, ख़ुजन्द और शहर-ए-सब्ज़ के नगरों के इलाक़े में फैली हुई थी। सोग़दा के लोग एक सोग़दाई नामक भाषा बोलते थे जो पूर्वी ईरानी भाषा थी और समय के साथ विलुप्त हो गई। माना जाता है कि आधुनिक काल के ताजिक, पश्तून और यग़नोबी लोगों में से बहुत इन्ही सोग़दाई लोगों के वंशज हैं। .

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हज़ाराजात

हज़ाराजात (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Hazarajat, हज़ारगी), जिसे हज़ारिस्तान भी कहा जाता है, हज़ारा लोगों की मध्य अफ़ग़ानिस्तान में स्थित मातृभूमि है। यह हिन्दू कुश पर्वतों के पश्चिमी भाग में कोह-ए-बाबा श्रृंखला में विस्तृत है। उत्तर में बामयान द्रोणी, दक्षिण में हेलमंद नदी, पश्चिम में फिरूज़कुह पहाड़ और पूर्व में उनई दर्रा इसकी सरहदें मानी जाती हैं। पश्तून क़बीलों द्वारा हमलों के कारण इसकी सरहदें समय-समय पर बदलती रहीं हैं।, Arash Khazeni, Encyclopedia Iranica, Accessed September 15, 2011 बामयान और दायकुंदी प्रांत लगभग पूरे-के-पूरे हज़ाराजात में आते हैं, जबकि बग़लान, हेलमंद, ग़ज़नी, ग़ोर, ओरूज़्गान, परवान, समंगान, सर-ए-पोल और मैदान वरदक प्रान्तों के बड़े हिस्से भी इसका भाग माने जाते हैं।, Indiana University, 1997 .

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जन्मपत्री

सन १६०८ में केप्लर द्वारा निर्मित कमाण्डर अल्बर्ट फॉन वालेंस्टीन की जन्मपत्री जन्मपत्री में प्राणियों की जन्मकालिक ग्रहस्थिति से जीवन में होनेवाली शुभ अथवा अशुभ घटनाओं का निर्देश किया जाता है। जन्मपत्री का स्वरूप, फलादेश विधि और संसार के अन्य देशों एवं संस्कृतियों में उसके स्वरूप तथा शुभाशुभ निर्देश की प्रणालियों में बहुत भिन्नता पायी जाती है। .

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जलालाबाद प्रांत (किर्गिज़स्तान)

ताश कोमुर शहर का नज़ारा ('मगरमच्छ पहाड़ी' से) जलालाबाद प्रांत (किरगिज़: Жалалабат областы, अंग्रेज़ी: Jalal-Abad Province) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का एक प्रांत है। इस प्रांत की राजधानी भी जलालाबाद नाम का ही शहर है। .

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ज़रंज

ईरान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा के नज़दीक ज़रंज-देलाराम राजमार्ग पर ज़रंज (बलोच, पश्तो, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Zaranj) दक्षिण-पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के नीमरूज़ प्रान्त की राजधानी है। यह ईरान की सरहद के बहुत पास है और ईरान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर एक महत्वपूर्ण चौकी है। यह राजमार्गों द्वारा पूर्व में लश्कर गाह से, उत्तर में फ़राह से और पश्चिम में ईरान के ज़ाबोल नगर से जुड़ा हुआ है। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए ज़रंज से देलाराम के बीच एक राजमार्ग बनाया था। .

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जोज़जान प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का जोज़जान प्रान्त (लाल रंग में) जोज़जान (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Jowzjan) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के उत्तर में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ११,७९८ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग ४.९ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी शबरग़ान शहर है। इस प्रान्त के लगभग ४०% लोग उज़बेक जाति के हैं और वही सबसे बड़ा समुदाय हैं। उनके अलावा यहाँ तुर्कमेनी (२९%), पश्तून (१७%) और ताजिक (१२%) भी बसते हैं। उत्तर में जोज़जान की तुर्कमेनिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। .

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ख़ुजन्द

ख़ुजन्द में स्थित सुग़्द ऐतिहासिक संग्राहलय ख़ुजन्द चौक ख़ुजन्द (ताजिकी: Хуҷанд,, ख़ुजन्द; रूसी: Худжанд, ख़ुदझ़न्द), जो १९३६ तक ख़ोदजेंद के नाम से और १९९१ तक लेनिनाबाद (Ленинобод) के नाम से भी जाना जाता था, मध्य एशिया के ताजिकिस्तान देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर और उस राष्ट्र के सुग़्द प्रान्त की राजधानी है। यह नगर सिर दरिया के किनारे फ़रग़ना वादी के मुख पर स्थित है। ख़ुजन्द की आबादी १९८९ की जनगणना में १.६ लाख थी लेकिन २०१० में घटकर १.४९ लाख हो गई। यहाँ के अधितर लोग ताजिक समुदाय से हैं और ताजिकी फ़ारसी बोलते हैं। .

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ग़ज़नी प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का ग़ज़नी प्रान्त (लाल रंग में) ग़ज़नी (पश्तो:, अंग्रेजी: Ghazni) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल २२,९१५ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००२ में लगभग ९.३ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी ग़ज़नी शहर है। ग़ज़नी प्रान्त काबुल से कंदहार जाने वाले राजमार्ग पर आता है और इतिहास में उन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है। इस प्रान्त में लगभग आधे लोग पश्तून हैं लेकिन यहाँ हज़ारा लोगों और ताजिक लोगों के भी बड़े समुदाय रहते हैं। .

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ग़ोरी राजवंश

ग़ोरी राजवंश या ग़ोरी सिलसिला (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghurids), जो अपने-आप को शनसबानी राजवंश (Shansabānī) बुलाया करते थे, एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत (दिल्ली तक), ख़ुरासान और आधुनिक पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कई भागों पर ११४८-१२१५ ईसवी काल में राज किया। यह राजवंश ग़ज़नवी राजवंश के पतन के बाद उठा था। यह राजवंश अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में केन्द्रित था और इतिहासकारों का मानना है कि इसका राजपरिवार ताजिक मूल का था। ग़ोरी राजवंश की सर्वप्रथम राजधानी ग़ोर प्रान्त का फ़िरोज़कोह शहर था लेकिन बाद में हेरात बन गया। इसके अलावा ग़ज़नी और लाहौर को भी राजधानियों की तरह इस्तेमाल किया जाता था, विशेषकर सर्दियों में। दिल्ली का प्रसिद्द क़ुतुब मीनार इसी वंश के क़ुतुब-उद-दीन ऐबक का बनवाया हुआ है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना भी की।, Nicholas Ostler, pp.

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गूगल अनुवाद

गूगल अनुवाद या गूगल ट्रान्स्लेट (Google Translate) एक अनुवादक साफ्टवेयर एवं सेवा है जो एक भाषा के टेक्स्ट या वेबपेज को दूसरी भाषा में अनुवाद करता है। यह गूगल नामक कंपनी द्वारा विकसित एवं परिचालित है। इसके लिये गूगल अपना स्वयं का अनुवादक सॉफ्टवेयर प्रयोग करता है जो सांख्यिकीय मशीनी अनुवाद है। जनवरी 2016 की स्थिति के अनुसार, गूगल अनुवाद विभिन्न स्तरों पर 90 भाषाओं का समर्थन करता है और प्रतिदिन 20 करोड़ लोगों को अनुवाद प्रदान करता है। .

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ओश

ओश और उसके पीछे के पर्वतों का नज़ारा ओश बाज़ार में ख़ुश्क मेवे की दुकानें ओश (किरगिज़:, अंग्रेज़ी: Osh) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का दूसरा सबे बड़ा शहर है। यह किर्गिज़स्तान के दक्षिण में प्रसिद्ध फ़रग़ना वादी में स्थित है और इसे कभी-कभी 'किर्गिज़स्तान की दक्षिणी राजधानी' भी कहा जाता है। माना जाता है कि ओश शहर कम-से-कम ३,००० सालों से बसा हुआ है और यह शहर सन् १९३९ से किर्गिज़स्तान के ओश प्रांत की राजधानी भी है। फ़रग़ना वादी में बहुत से जाति-समुदाय रहते हैं और ठीक यही ओश में भी देखा जाता है - यहाँ किरगिज़ लोग, उज़बेक लोग, रूसी लोग, ताजिक लोग और अन्य समुदाय बसते हैं। .

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ओश प्रांत

ओश (किरगिज़: Ош; अंग्रेज़ी: Osh) किर्गिज़स्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थित उस देश का एक ओब्लास्त (यानि प्रांत) है। इस प्रांत की राजधानी का नाम भी ओश शहर ही है। इस प्रांत की चीन के शिनजियांग प्रांत, ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रांत और गणतंत्र-अधीन ज़िलों और उज़बेकिस्तान के अन्दीझ़ान प्रांत और फ़रग़ना प्रांत से सीमाएँ लगती हैं। .

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कराची

कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और सिन्ध प्रान्त की राजधानी है। यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है। इसके उपनगरों को मिलाकर यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह 3527 वर्ग किलोमीटर में फैला है और करीब 1.45 करोड़ लोगों का घर है। यहाँ के निवासी इस शहर की ज़िन्दादिली की वजह से इसे रौशनियों का शहर और क़ैद-ए-आज़म जिन्ना का निवास स्थान होने की वजह से इसे शहर-ए-क़ैद कह कर बुलाते हैं। जिन्‍नाह की जन्‍मस्‍थली के लिए प्रसिद्ध कराची पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत की राजधानी है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर है। अरब सागर के तट पर बसा कराची पाकिस्‍तान की सांस्‍कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक राजधानी मानी जाती है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर भी है। यह शहर पाकिस्‍तान आने वाले पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। पर्यटक यहां बीच, म्‍यूजियम और मस्जिद आदि देख सकते हैं। आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 साल पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है। ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है। ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था। मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा। सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया.

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क़ला-ए-नौ, अफ़्ग़ानिस्तान

बादग़ीस प्रान्त की राजधानी क़ला-ए-नौ​ का एक नज़ारा क़ला-ए-नौ​ (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Qala i Naw) पश्चिमोत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के बादग़ीस प्रान्त की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। जिस ज़िले में यह शहर पड़ता है उसका नाम भी क़ला-ए-नौ ज़िला है। इस ज़िले की ८०% आबादी ताजिक है और ताजिक भाषा ही यहाँ सबसे अधिक बोली जाती है हालांकि बहुत से लोगों को पश्तो भी आती है। क़ला-ए-नौ के आसपास का इलाक़ा अपने पिस्ते के वनों के लिए मशहूर है। .

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क़ुरग़ोनतेप्पा

क़ुरग़ोनतेप्पा (ताजिक: Қурғонтеппа,, Qurghonteppa), जिसे सोवियत संघ के ज़माने में कुर्गान-त्युबे (ताजिक: Курган-Тюбе, Kurgan-Tyube) कहा जाता था, दक्षिणपश्चिमी ताजिकिस्तान में स्थित एक शहर है जो उस देश के ख़तलोन प्रान्त की राजधानी भी है। यह ताजिकिस्तान की राष्ट्रीय राजधानी दूशान्बे से १०० किमी दूर वख़्श नदी के किनारे बसा हुआ है। क़ुरग़ोनतेप्पा ताजिकिस्तान का चौथा सबसे बड़ा नगर है और एक आधुनिक ओद्योगिक केन्द्र है।, Rafis Abazov, pp.

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काश्गर विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित काश्गर विभाग (लाल रंग) क़ारग़िलिक (८) माकित (९) योपूरग़ा (१०) पेज़िवात (११) मारालबेख़ी (१२) ताश्कोरगान काश्गर विभाग (उईग़ुर:, क़ाश्क़ार विलायती; चीनी: 喀什地区, काशी दीचू; अंग्रेजी: Kashgar Prefecture, काश्गर प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है।, James A. Millward, Columbia University Press, 2007, ISBN 978-0-231-13924-3 इसका कुछ इलाक़ा भारत के अक्साई चिन क्षेत्र का भाग है, जो १९५० के दशक से चीन के क़ब्ज़े में है लेकिन जिसे भारत अपनी धरती का अंग मानता है।, Theodore Shabad, Taylor & Francis, 1972 काश्गर विभाग का कुल क्षेत्रफल १,१२,०५७ वर्ग किमी है (यानी भारत के बिहार राज्य से ज़रा बड़ा)। सन् २०१० की जनगणना में इस विभाग की आबादी ३९,७९,३६२ अनुमानित की गई थी (यानी पटना शहर की आबादी का केवल दो-तिहाई)। काश्गर विभाग की राजधानी काश्गर शहर है। .

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कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त

कूहिस्तोनी-बदख़्शान की राजधानी ख़ोरूग़ से एक नज़ारा कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त (ताजिकी: Кӯҳистони Бадахшон) या विलोयत-इ मुख़्तोर-इ कूहिस्तोनी-बदख़्शान ताजिकिस्तान की एक स्वशासित (ऑटोनोमस) विलायत (प्रान्त) है। यह प्रान्त ताजिकिस्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल ६४,२०० वर्ग किमी है और सन् २००८ में इसकी आबादी २.१८ लाख अनुमानित कि गई थी। कूहिस्तोनी-बदख़्शान की राजधानी ख़ोरूग़ शहर है। इस प्रान्त का पुराना नाम गोर्नो-बदख़्शान हुआ करता था।, Bradley Mayhew, Greg Bloom, Paul Clammer, Lonely Planet, 2010, ISBN 978-1-74179-148-8 .

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अहमद शाह मसूद

अहमद शाह मसूद अहमद शाह मसूद (Ahmad Shah Massoud, जन्म: १९५३, देहांत: २००१) अफ़ग़ानिस्तान के एक राजनैतिक और सैनिक नेता थे। १९७९ से १९८९ तक चलने वाले अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत युद्ध के दौरान वे सोवियत संघ के विरुद्ध लड़ने वाले एक मुख्य व्यक्ति थे और फिर बाद में वे कट्टरपंथी तालिबान के विरुद्ध लड़ने वाले गुटों के भी सरदार रहे। .

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अइमाक़ लोग

अइमाक़​ (Aimaq) हेरात नगर से उत्तर में पश्चिम-मध्य अफ़्ग़ानिस्तान में और ईरान के ख़ोरासान प्रांत​ में विस्तृत कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाले ख़ानाबदोश क़बीलों का सामूहिक नाम है। यह फ़ारसी की कई अइमाक़​ उपभाषाएँ बोलते हैं, हालांकि इनके तइमानी और मालेकी उपसमुदायों ने पश्तो भाषा और पश्तून संस्कृति अपना ली है। अफ़्ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में अइमाक़ बहुसंख्यक समुदाय समझे जाते हैं। इसके अलावा यह बड़ी संख्या में हेरात और बादग़ीस प्रान्तों में और कम संख्या में फ़राह, फ़ारयाब, जोज़जान और सर-ए-पोल प्रान्तों में भी रहते हैं।, Willem Vogel, pp.

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उत्तरी मित्रपक्ष

अफ़ग़ान उत्तरी मित्रपक्ष (Afghan Northern Allaince), जिसे औपचारिक रूप से अफ़ग़ानिस्तान की मुक्ति के लिए संयुक्त इस्लामी मोर्चा (United Islamic Front for the Salvation of Afghanistan,, जबहा-ए-मुत्तहिद-ए-इस्लामी-ए-मिल्ली बरा-ए-निजात-ए-अफ़ग़ानिस्तान), अफ़ग़ानिस्तान में एक सैनिक मोर्चा था जो १९९६ में काबुल पर तालिबान कट्टरपंथी गुट का क़ब्ज़ा हो जाने के बाद उस का बलपूर्वक विरोध करने के लिए बना था। इसे तालिबान-विरोधी विस्थापित अफ़ग़ान राष्ट्रीय सरकार के राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी और भूतपूर्व रक्षामंत्री अहमद शाह मसूद ने स्थापित किया था। शुरू में इसमें अधिकतर ताजिक समुदाय के लोग थे लेकिन सन् २००० तक अन्य जातीय गुट भी इससे जुड़ चुके थे। इसके नेताओं में उज़बेक समुदाय के अब्दुल रशीद दोस्तुम, पश्तून समुदाय के अब्दुल क़ादिर और हज़ारा समुदाय के मुहम्मद मोहक़िक़ और सय्यद हुसैन अनवरी शामिल थे। उत्तरी मित्रपक्ष को तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ने में ईरान, रूस, भारत व ताजिकिस्तान से मदद मिली, जबकि तालिबान को पाकिस्तान और अल-क़ायदा सहायता दी।, Joel Ostrow, pp.

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