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ताइपे १०१

सूची ताइपे १०१

ताइपे १०१। ताइपे १०१ ताईवान की राजधानी ताइपे में स्थित एक गगनचुंबी अट्टालिका है। यह २००४ से २०१० में बुर्ज ख़लीफ़ा, दुबई के खुलने तक विश्व की सबसे ऊँची ईमारत थी। इसकी कुल ऊँचाई ५०९.२ मीटर यानी आधा किलोमीटर से भी ऊँची है। इस ईमारत में जमीन से ऊपर कुल १०१ तल और ५ तल जमीन से नीचे हैं। यह २००३ में बनकर तैयार हुई थी। .

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सामग्री की तालिका

  1. 3 संबंधों: ताइपे, पेट्रोनास जुड़वा मीनार, सौर घड़ी

ताइपे

ताइपे शहर का दृश्य ताइपे शहर का झण्डा ताइवान में ताइपे की स्थिति ताइपे, चीन गणराज्य (जिसे ताइवान के नाम से ज्यादा जाना जाता है) की राजधानी है। ताइपे ताइवान द्वीप के सबसे बड़े मेट्रोपोलिटन क्षेत्र का केंद्रीय शहर है। यह द्वीप के उत्तरी छोर पर, तम्सुई नदी के किनारे पर स्थित है। ताइपे शहर की आबादी २६,१८,७७२ है। ताइपे, नया ताइपे और कीलूंग मिलकर "ताइपे मेट्रोपोलिटन क्षेत्र" बनाते हैं, जिसकी कुल आबादी ६९,००,२७३ है। केवल "ताइपे" शब्द का प्रयोग मुख्यतः मेट्रोपोलिटन क्षेत्र के लिए और "ताइपे शहर" शब्द का प्रयोग सिर्फ शहर के लिए किया जाता है। ताइपे शहर चारों और से नया ताइपे से घिरा हुआ है। ताइपे ताइवान की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्रबिंदु है। यह शहर मध्य-पूर्वी एशिया के प्रमुख शहरों में से एक है। यहाँ दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची इमारत है, जिसका नाम ताइपे १०१ है। .

देखें ताइपे १०१ और ताइपे

पेट्रोनास जुड़वा मीनार

पेट्रोनास टि्वन टावर पेट्रोनास जुड़वा मीनार या पेट्रोनास ट्विन टॉवर मलेशिया के क्वालालम्पुर शहर में स्थित दुनिया की गगनचुम्बी इमारतों में से एक है। इसके निर्माण में करीबन तीन वर्ष लगे। इस ८८ मंजिला इमारत के एक मंजिल को बनाने में ४ दिन लगे थे। सन् १९९८ से लेकर, ताइपेई १०१ के पूर्ण होने तक, सन् २००४ तक यह इमारत दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी और आज भी दुनिया की सबसे ऊंची जुड़वा इमारत है। .

देखें ताइपे १०१ और पेट्रोनास जुड़वा मीनार

सौर घड़ी

क्षैतिज सौर घड़ी मिनेसोटा में। १७ जून १२:२१ बजे, ४४°५१′३९.३″उ, ९३°३६′५८.४″प. सौर घड़ी (अंग्रेज़ी:सन डायल) का प्रयोग सूर्य की दिशा से समय का ज्ञान करने के लिए किया जाता था। इन घड़ियों की कार्यशैली और क्षमता दिन के समय तक सीमित होती थी क्योंकि यह रात के समय काम नहीं कर पाती थीं। इसके फिर भी विश्व में समय जानने हेतु सबसे पहले इनका प्रयोग किया गया था। इन्हीं घड़ियों को आधार बनाकर समय बताने वाली अन्य घड़ियों का आविष्कार हुआ था।। हिन्दुस्तान लाइव। २८ मार्च भारत में प्राचीन वैदिक काल से सौर घड़ियों का प्रयोग होता रहा है। सूर्य सिद्धांत में सौर घड़ी द्वारा समय मापन के शुद्ध तरीके अध्याय ३ और १३ में वर्णित हैं। .

देखें ताइपे १०१ और सौर घड़ी

ताइपेई १०१, तईपेई 101 के रूप में भी जाना जाता है।