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टैंटेलम

सूची टैंटेलम

टैंटेलम (Tantalum) आवर्त सारणी के पंचम संक्रमण समूह का तत्व है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक, द्रवमानसंख्या 181, प्राप्त है। इसके चार कृत्रिम रेडियधर्मी समस्थानिक भी ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 176, 177, 180 और 182 है। इस तत्व की खोज 1872 ई. में एकबर्ग (Ekeberg) नामक वैज्ञानिक ने की थी। टैंटेलम सदैव नियोबियम के साथ मिश्रित पाया जाता है। टैंटेलाइट,, इस तत्व का मुख्य खनिज है। यह कोलंबाइट, Fe (Nb O3)2 के साथ मिश्रित रहता है। यह आस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमरीका, ब्राजिल एवं कांगो में मुख्य रूप से पाया जाता है। टैंटेलम तत्व को नियोबियम से अलग करने की विधि डी मौरिग्नैक (De Morignac) ने सन् 1866 में पूरी की। अब भी यही विधि इस कार्य के लिये उपयोग में आती है। इस विधि में अयस्क को सर्वप्रथम सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गलाते हैं। इसे जल से धोकर गरम हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से पाचित करने पर, ट्रैंटेलिक एवं नियोबिक अम्ल का मिश्रण मिलता है। इसे हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल, (H F), में घुलाकर पोटासियम क्लोराइड के साथ मिश्रित करने पर टैंटेलम नियोबियम की डाइफ्लोराइड, (K2 Ta F7. K2 Nb O F5 H2 O), बनेगी। इस मिश्रण के संतृप्त विलयन से मणिभीकरण करने पर टैंटेलम लवण के मणिभ अलग जो जाते हैं और नियोबियम का यौगिक विलयन में रहता है। टैंटेलम के डाइफ्लोराइड को सोडियम धातु के साथ निर्वात नलिका में गरम करने पर टैंटेलम धातु बच जाती है। नई विधि के अनुसार द्रवित डाइफ्लोराइड का लौह के बरतन में कार्बन धनाग्र (anode) द्वारा विद्युद्विच्छेदन करते हैं। इससे चूर्ण अवस्था में टैंटेलम धातु मिलती है। चूर्ण को उच्च ताप पर दबाव के साथ गरम कर धातु के तार बनाए जाते हैं। .

9 संबंधों: तत्वों की सूची (नाम अनुसार), नाइट्रिक अम्ल, रासायनिक तत्व, रासायनिक तत्वों की सूची, रासायनिक प्रतीक, समूह ५ तत्व, संक्रमण धातु, अधातु, उच्चतापसह धातु

तत्वों की सूची (नाम अनुसार)

नीचे प्रत्येक तत्व के सबसे स्थिर समस्थानिक का तत्व प्रतीक, परमाणु क्रमांक और परमाणु भार का विवरण दिया गया है। साथ ही उनका समूह और आवर्त सारणी मे उनकी स्थिति भी प्रदर्शित है। |-style.

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नाइट्रिक अम्ल

नाइट्रिक अम्ल (Nitric acid) (HNO3), एक अत्यन्त संक्षारक (कोरोसिव) खनिज अम्ल है। इसे एक्वा फ्रोटिस (aqua fortis) और 'स्पिरिट ऑफ नाइटर' भी कहते हैं। कीमियागरों को नाइट्रिक अम्ल का ज्ञान था, जिसे वे ऐक्वा फॉर्टिस के नाम से पुकारते थे। प्रसिद्ध कीमियागर जेबर ने नाइटर (niter) और ताम्र सल्फेट, (Cu SO4) तथा फिटकरी के साथ आसवन से प्राप्त कर इसका वर्णन किया है। भारत में शोरा तथा नाइट्रिक अम्ल का १६वीं शताब्दी में ज्ञान था। शुक्राचार्य के ग्रंथ शुक्रनीति में बारूद बनाने के लिए इसे उपयोग का वर्णन हुआ है। उड़ीसा के गजपति प्रतापरुद्रदेव द्वारा लिखित ग्रंथ 'कौतुकचिंतामणि' में यवक्षार (साल्टपीटर) का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त सुवर्णतंत्र ग्रंथ (लगभग १७वीं शताब्दी में लिखा गया) में 'शंखद्राव' का वर्णन है, जो शोरे और नमक के अम्लों (HCl) का मिश्रण था। आईने अकबरी ग्रंथ में रासी (शोरे के अम्ल) का वर्णन है, जिसका चाँदी को स्वच्छ करने में उपयोग हो सकता था। वर्ष १६४८ ई. में ग्लॉबर (Glauber) ने नाइटर पर विट्रियल तेल (oil of vitreol) की अभिक्रिया द्वारा संद्र नाइट्रिक अम्ल का निर्माण किया। कैवेंडिश ने १७७६ ई में इसका संघटन ज्ञात किया। वायुमंडल में नाइट्रिक अम्ल विद्युत विसर्जन (electric discharge) द्वारा सूक्ष्म मात्रा में बनता रहता है, जो वर्षाजल में घुलकर पृथ्वी पर आता है। मिट्टी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण द्वारा भी नाइट्रिक अम्ल बनता है। यह अम्ल अनेक नाइट्रेट पदार्थों के रूप में भूमि में संचित होकर पौधों के उपयोग में आता है। नाइट्रेट यौगिकों का प्रमुख स्रोत चिली देश है। भारत की साँभर झील में पोटासियम नाइट्रेट पाया जाता है। भारत के कुछ राज्यों में मिट्टी के साथ मिला हुआ पोटासियम नाइट्रेट पाया जाता है। इससे एक समय प्रचुर मात्रा में शोरा (व्यापारिक पोटासियम नाइट्रेट) तैयार होता था। .

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रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .

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रासायनिक तत्वों की सूची

नीचे परमाणु क्रमांक के बढते हुए क्रम में रासायनिक तत्वों की सूची दी गयी है। अलग-अलग प्रकार के तत्वों को अलग-अलग रंगों से चिन्हित किया गया है। इस सूची में प्रत्येक तत्व का नाम, उसका रासायनिक प्रतीक, आवर्त सारणी में उसका समूह एवं पिरियड, रासायनिक श्रेणी, तथा परमाणु द्रब्यमान (सबसे स्थायी समस्थानिक का) दिये गये हैं। .

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रासायनिक प्रतीक

रासायनिक तत्वों के नामों के संक्षिप्त रूपों को रासायनिक प्रतीक कहते हैं। उदाहरण के लिये, नीचे एक रासायनिक अभिक्रिया को प्रतीकात्मक रूप में अभिव्यक्त किया गया है। इसमें उ (H) उदजन (हाइड्रोजन) के लिये एवं जा (O) जारक (आक्सीजन) के लिये प्रयुक्त हुई है। तत्वों के विशिष्ट समस्थानिक दिखाने, उनके परमाणु भार दिखाने एवं उनके आयनन की अवस्था या आक्सीकरण अवस्था आदि दिखाने के लिये रासायनिक संकेतों के साथ 'उपलिपि' (सबस्क्रिप्ट) एवं 'अधिकलिपि' (सुपरस्क्रिप्ट) भी जोड़े जाते हैं। .

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समूह ५ तत्व

समूह ५ तत्व (Group 5 element) आवर्त सारणी (पीरियोडिक टेबल) के रासायनिक तत्वों का एक समूह है। यह आवर्त सारणी के डी (d) खण्ड में आता है। इस समूह में वनेडियम (V), नायोबियम (Nb), टैंटेलम (Ta) और डब्नियम (Db) तत्व शामिल हैं। इनमें से पहले तीन प्रकृति में मिलने वाले उच्चतापसह धातु हैं, जबकि डब्नियम प्रयोगशाला में बनाया गया एक कृत्रिम तत्व है। .

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संक्रमण धातु

परमाणु संख्या २१ से ३०, ३९ से ४८, ५७ से ८० और ८९ से ११२ वाले रासायनिक तत्त्व संक्रमण तत्व (transition elements/ट्राँज़िशन एलिमेंट्स) कहलाते हैं। चूँकि ये सभी तत्त्व धातुएँ हैं, इसलिये इनको संक्रमण धातु भी कहते हैं। इनका यह नाम आवर्त सारणी में उनके स्थान के कारण पड़ा है क्योंकि प्रत्येक पिरियड में इन तत्त्वों के d ऑर्बिटल में इलेक्ट्रान भरते हैं और 'संक्रमण' होता है। आईयूपीएसी (IUPAC) ने इनकी परिभाषा यह दी है- वे तत्त्व जिनका d उपकक्षा अंशतः भरी हो। इस परिभाषा के अनुसार, जस्ता समूह के तत्त्व संक्रमण तत्त्व नहीं हैं क्योंकि उनकी संरचना d10 है। .

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अधातु

अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। .

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उच्चतापसह धातु

उच्चतापसह धातु (Refractory metal, अर्थ: ऊंचा तापमान सहने वाली धातु) धातुओं की एक श्रेणी है जो अत्याधिक सख़्त होती हैं और बिना आकार खोये ऊँचा तापमान सह सकती हैं। इस श्रेणी में कौन-सी धातु शामिल है और कौन-सी नहीं इस बात को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद है, लेकिन आमतौर पर आवर्त सारणी (पीरियोडिक टेबल) की ५वीं कतार के दो तत्व - नायोबियम (Nb) व मोलिब्डेनम (Mo) - और ६ठीं कतार के तीन तत्व - टैंटेलम (Ta), टंग्स्टन (W) व रीनियम (Re) - इसमें शामिल माने जाते हैं। इन सभी का पिघलाव तापमान २००० °सेंटीग्रेड से अधिक होता है और साधारण तापमान पर यह सभी अधिक कठोरता प्रदर्शित करते हैं। यह अन्य तत्वों के साथ रासायनिक अभिक्रियाओं (रियेक्शन) में भी असानी से भाग नहीं लेते और अपनी शुद्धता बनाये रखते हैं। इन कारणों से औज़ारों और औद्योगिक प्रयोगों के लिये यह बहुत भरोसेमंद होते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Ta, टाण्टलम, टैंटलम

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