2 संबंधों: पत्थलगड़ी, शिलावर्त।
पत्थलगड़ी
पत्थलगड़ी उन पत्थर स्मारकों को कहा जाता है जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हजारों साल पहले की थी। यह एक पाषाणकालीन परंपरा है जो आदिवासियों में आज भी प्रचलित है। माना जाता है कि मृतकों की याद संजोने, खगोल विज्ञान को समझने, कबीलों के अधिकार क्षेत्रों के सीमांकन को दर्शाने, बसाहटों की सूचना देने, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रागैतिहासिक मानव समाज ने पत्थर स्मारकों की रचना की। पत्थलगड़ी की इस आदिवासी परंपरा को पुरातात्त्विक वैज्ञानिक शब्दावली में ‘महापाषाण’, ‘शिलावर्त’ और मेगालिथ कहा जाता है। दुनिया भर के विभिन्न आदिवासी समाजों में पत्थलगड़ी की यह परंपरा मौजूदा समय में भी बरकरार है। झारखंड के मुंडा आदिवासी समुदाय इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं जिनमें कई अवसरों पर पत्थलगड़ी करने की प्रागैतिहासिक और पाषाणकालीन परंपरा आज भी प्रचलित है। .
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शिलावर्त
शिलावर्त (stone circle) या पत्थर का गोला ऐसे पुरातत्व स्थल को कहते हैं जिसमें कई पत्थरों को खड़ा करके ज़मीन पर एक बड़े गोले का आकार बनाया गया हो। ऐसे पत्थर के चक्र विश्व में कई जगहों पर मिलते हैं और अलग-अलग कारणों से बनाए गए थे। इनमें से अधिकतर पाषाण युग में बने थे हालांकि कुछ कांस्य युग व अन्य कालों में भी खड़े किए गए थे। उदाहरणवश भारत के नागपुर शहर के पास जुनापाणी शिलावर्त १००० ईसापूर्व के काल में खड़े किए गए थे। अक्सर शिलावर्तों में मानव शवों को दफ़नाया जाता था, मसलन महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में पाषाण युग में दफ़नाए गए १५०० लोगों के लिये बने ५ शिलावर्त मिलें हैं।, Kenneth A.R. Kennedy, pp.
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