लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

जापानी सैन्यवाद

सूची जापानी सैन्यवाद

जापानी सैनिक साम्राट की राजाज्ञा (इम्पीरियल रेस्क्रिप्ट) का वाचन करते हुए जापानी सैन्यवाद (जापानी: 日本軍國主義 or 日本軍国主義 Nihon gunkoku shugi?; Japanese militarism) से आशय जापानी साम्राज्य का यह सोच कि राष्ट्र के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में सैन्यवाद हाबी रहना चाहिए। सैन्यवाद का मतलब इस सोच से है कि सेना की शक्ति ही राष्ट्र की शक्ति है। .

2 संबंधों: द्वितीय विश्वयुद्ध, कराटे

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

नई!!: जापानी सैन्यवाद और द्वितीय विश्वयुद्ध · और देखें »

कराटे

() यूक्यू द्वीप समूह में विकसित एक युद्धकला है जो अब ओकिनावा, जापान में है। इसका विकास देशी युद्ध पद्धति से हुआ था जिसे चीनी केम्पो कहते हैंओकिनवान कराटे का इतिहास कराटे एक प्रहार कला है जिसमें मुक्केबाजी, पाद प्रहार और घुटना प्रहार और मुक्त-हस्त प्रौद्योगिकी जैसे नाइफ-हैंड्स (कराटे चोप) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कुछ शैलियो में ग्रेपलिंग, लॉक्स, अटकाव, थ्रो और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रहार करना सिखाया जाता है अध्याय 9 में मोटोबु-यू और बुजेइकन, दो टी शैली के साथ ग्रेपलिंग और महत्वपूर्ण बिंदुओं में प्रहार तकनीक को बताया गया है। पृष्ठ 165, सेइटोकु हिगा: "एक प्रहार को निष्प्रभाव करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव, कलाई पर पकड़, ग्रेपलिंग, प्रहार और पाद प्रहार का प्रयोग एक सौम्य तरीका है।" एक कराटे अभ्यस्त कर्मी को कहा जाता है। 19 वीं शताब्दी में जापान द्वारा यूक्यु साम्राज्य को मिलाने से पहले यहां कराटे को विकसित किया गया था। जापानी और यूक्यूवांश के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के समय के दौरान 20वीं शताब्दी की प्रारम्भ में इसे जापान की मुख्य भूमि में शामिल किया गया था। 1922 में जापान के शिक्षा मंत्रालय ने गिचिन फुनाकोशी को कराटे के प्रदर्शन के लिए टोक्यो आमंत्रित किया था। 1924 में केइयो विश्वविद्यालय ने पहला विश्वविद्यालय कराटे क्लब की स्थापना की और 1932 तक प्रमुख जापानी विश्वविद्यालयों में कराटे क्लब खुल चुके थे। जापानी सैन्यवाद के इस बढ़ते युग में, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ओकिनावा संयुक्त राज्य सैन्य का एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया और वहां तैनात सैनिकों के बीच कराटे लोकप्रिय बन गया। 1960 और 1970 के दशक की फिल्मों के चलते मार्शल आर्ट की लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ और कराटे शब्द का प्रयोग सभी प्रहार-आधारित ओरिएंटल मार्शल आर्ट का उल्लेख करने के लिए एक सामान्य तरीके की शुरूआत की गई। उसके बाद दुनिया भर में कराटे स्कूल खुलने लगे थे और कम रूचि के साथ-साथ जो आर्ट का गहन अध्ययन करना चाहते थे, दोनों की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर स्कूलों को खोला गया। शोटोकोन डोजो के मुख्य प्रशिक्षक शिगेरु एगामी ने कहा कि "विदेशी देशों में कराटे के अनुयायी कराटे का अनुसरण केवल लड़ाई के तकनीक के लिए करते हैं।..फिल्म और टेलीविजन...कराटे को एक रहस्यमयी युद्ध शैली के रूप में दर्शाया गया है जिसमें बताया गया है कि उसमें एक घूंसा भी चोट या मौत का कारण बनने में सक्षम होता है।..

नई!!: जापानी सैन्यवाद और कराटे · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »