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ज़ेब-उन-निसा

सूची ज़ेब-उन-निसा

जे़ब-अल-निसा (15 फरवरी 1638 – 26 मई 1702) एक मुग़ल शहज़ादी और बादशाह औरंगज़ेब (3 नवंबर, 1618 – 3 मार्च 1707) और उसकी मुख्य मलिका दिलरस बानो बेगम की सबसे बड़ी औलाद थी। वह एक कवित्री भी थी, जो "मख़फ़ी" (مخفی) के छद्म नाम के तहत लिखा करती था। उसके जीवन के पिछले 20 वर्षों में उसे सलीमगढ़ क़िला, दिल्ली में उसके पिता द्वारा क़ैद रखा गया है। शहज़ादी जे़ब-उन-निसा को एक कवि के रूप में याद किया जाता है, और उसका लेखन दीवान-ए-मख़फ़ी के रूप में मरणोपरांत एकत्रित किया गया था। .

2 संबंधों: दिलरस बानो बेगम, औरंगज़ेब

दिलरस बानो बेगम

दिलरस बानो बेगम (1622 – 8 अक्टूबर 1657) मुग़ल राजवंश के आख़िरी महान शहंशाह औरंगज़ेब की पहली और मुख्य बीवी थीं। उन्हें अपने मरणोपरांत ख़िताब राबिया उद्दौरानी ('उस युग की राबिया') के नाम से भी पहचानी जाती है। औरंगाबाद में स्थित 'बीबी का मक़बरा', जो ताज महल (औरंगज़ेब की माँ यानि दिलरस बेगम की सास मुमताज़ महल का मक़बरा) की आकृति पर बनवाया गया, उनकी आख़िरी आरामगाह के तौर पर अपने शौहर का हुक्म पर निर्मित हुआ था। दिलरस मिर्ज़ा बदीउद्दीन सफ़वी और नौरस बानो बेगम की बेटी थीं, और इसके परिणामस्वरूप वे सफ़वी राजवंश की शहज़ादी थीं। 1637 में उनके विवाह तत्कालीन शहज़ादा मुहिउद्दीन (तख़्तनशीन होने के बाद 'औरंगज़ेब' के नाम से प्रसिद्ध) से करवाया गया था और उनकी पाँच औलाद की पैदाइश हुई; जिनमें मुहम्मद आज़म शाह (मुग़लिया सल्तनत के आर्ज़ी वलीअहद), होशियार शायरा ज़ेबुन्निसा (औरंगज़ेब की पसंदीदा बेटी),Krynicki, p. 73 शहज़ादी ज़ीनतुन्निसा (ख़िताब: पादशाह बेगम), और सुल्तान मुहम्मद अकबर (बादशाह के सर्वप्रिय बेटे)। साल 1657 में संभवतः जच्चा संक्रमण की वजह से उनकी मौत हो गई। .

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औरंगज़ेब

अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (3 नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा। औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था। औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था। मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ज़ेबुन्निसा, जे़ब अलनिसा, जे़ब-अल-निसा, जे़ब-उन-निसा

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