5 संबंधों: जोधपुर, जोधपुर जिला, जोधपुर के दर्शनीय स्थल, उम्मैद भवन पैलेस, छतरी (स्मारक)।
जोधपुर
जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .
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जोधपुर जिला
जोधपुर जिला भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला है। इसका मुख्यालय जोधपुर नगर में है जो कि राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। जोधपुर सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यह अपनी महान सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहर के लिये पूरे संसार में मशहूर है। अपने महलों और किलों के कारण यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। तनावड़ा जोधपुर शहर पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है, इसकी स्थापना राव जोधा ने सन १४५९ में की थी। .
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जोधपुर के दर्शनीय स्थल
जोधपुर अपने दर्शनीय स्थलों के लिए काफी प्रसिद्ध है। .
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उम्मैद भवन पैलेस
उम्मैद भवन पैलेस उम्मैद भवन पैलेस राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित एक महल है। यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। यह ताज होटल का ही एक अंग है। इसका नाम महाराजा उम्मैद सिंह के पौत्र ने दिया था जो वर्तमान में मालिक है। अभी वर्तमान समय में इस पैलेस में ३४७ कमरे है। इस उम्मैद भवन पैलेस को चित्तर पैलेस के नाम से भी पहले जाना जाता था जब इसका निर्माण कार्य चालू था। यह पैलेस १९४३ में बनकर तैयार हुआ था। .
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छतरी (स्मारक)
राजाओं के मरणोंपरान्त उनकी याद में स्थापत्य की दृष्टि से विशिष्ट स्मारक बनाये गए, जिन्हें छतरियां तथा देवल के नाम से जाना जाता है। छतरियां ज्यादातर भारतीय राज्य राजस्थान में देखने को मिलती है। जिसमें जयपुर की गैटोर, जोधपुर की जसवंत थड़ा,कोटा का छत्र विलास बाग़, जैसलमेर का बड़ा बाग़ तो इस दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसलमेर के पीले पत्थर से बनी छतरियां सुंदर है। छतरियों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों शैलियों का मिश्रण पाया जाता है। सबसे नीचे चौकोर अथवा आठ कोनों का चबूतरा बनाया जाता है। इन चबूतरों के ऊपर दूसरा गोल चबूतरा बनाया जाता है। .