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जयपुर

सूची जयपुर

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .

490 संबंधों: चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी', चाकसू, चिल्का, चंद्रशेखर हाडा, चुतर सिंह हत्याकांड, चौथ का बरवाड़ा, चौदहवीं लोकसभा, चौहान, चौहान वंश, चूड़ी, टाइटन कप 1996-97, ट्रेंट (वेस्टसाइड), टीका राम पालीवाल, एमिटी विश्वविद्यालय, एयर कोस्टा, एसीसी महिला एशिया कप, एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के कीर्तिमानों की सूची, एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय के एक मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची, झुंझुनू जिला, डिडेल, डेली न्यूज़ एण्ड एनालिसिस, डेगाना, डॉ मंडन मिश्र, डीडी राजस्थान, ढ़ूंढ़ाड़, ढूंढाड़, तरुणसागर, तात्या टोपे, तानसेन सम्मान, ताराघर, तारेक्ष, ताजमहल, त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर, तोमर वंश, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, द गेटवे होटल्स एंड रिसॉर्ट्स, दशनामी सम्प्रदाय, दसलाखी नगर, दादूदयाल, दाल बाटी चूरमा, दांत माता मंदिर, दिवाकर शर्मा, दिगंबर तेरापंथ, दक्षिण एशिया, दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2009-10, दक्षिण अमेरिका, दुर्गा लाल, द्वैतवन, दौलतराम, दैनिक नवज्योति, ..., दैनिक भास्कर, देहमी, देवर्षि रमानाथ शास्त्री, देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, दीपक चाहर, दीया कुमारी, धौला कुआँ, नरेश दाधीच (राजनीतिशास्त्री), नाहरगढ़ दुर्ग, नागेश भट्ट, निर्भय वाधवा, निशा और उसके कज़न्स, निवाई, टोंक, नवनीत प्राकृतिक योग चिकित्सा धाम, नवलगढ, नंदवंशी, न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2010-11, नीमराना, पण्डित टोडरमल, पद्मावत (फ़िल्म), पद्माकर, परिकल्पना सम्मान, पामेला बोर्डस, पावन धाम, पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1986-87, पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2007-08, पंचानन माहेश्वरी, पंजाब केसरी, पुरुषोत्तम दास टंडन, प्रतापसिंह बारहठ, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रभु लाल भटनागर, प्रमाणसागर, प्रमोद करण सेठी, प्रकाश परिमल, प्रेरणा देशपांडे, प्रो कबड्डी लीग, पैलेस ऑन व्हील्स, फ़र्स्ट इण्डिया न्यूज़, बलत्कर गण, बलाचौर, बाणगंगा नदी, बानसूर, बावड़ी, बिड़ला मन्दिर, जयपुर, बिडोली सीकर, बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, बिसाऊ पैलेस होटल, जयपुर, बिहारी (साहित्यकार), ब्रजनिधि, ब्रजभाषा साहित्य, बीदसर, भट्ट मथुरानाथ शास्त्री, भारत, भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची, भारत में पर्यटन, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की 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राजमार्ग (भारत), राष्ट्रीय राजमार्ग ११, राष्ट्रीय राजमार्ग १२, राष्ट्रीय राजमार्ग ८, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, राजपुताना, राजपूत शैली, राजभवन (राजस्थान), राजस्थान, राजस्थान पत्रिका, राजस्थान पुलिस, राजस्थान महाविद्यालय, राजस्थान में पर्यटन, राजस्थान में जैन धर्म, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम, राजस्थान रॉयल्स, राजस्थान रॉयल्स के कीर्तिमानों की सूची, राजस्थान सरकार, राजस्थान विधान सभा, राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का संगीत, राजस्थान का इतिहास, राजस्थान क्रिकेट टीम, राजस्थान के दुर्गों की सूची, राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग, राजस्थान के महलों की सूची, राजस्थान के शहर, राजस्थान के जिले, राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य, राजस्थान की झीलें, राजस्थान की मिट्टियाँ, राजस्थान की रूपरेखा, राजस्थान की जलवायु, राजस्थान उच्च न्यायालय, राजस्‍थान स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान विश्‍वविद्यालय, राजा विष्णुसिंह, राजविराज, राजीव महर्षि, राजीव खंडेलवाल, राव राजेन्द्र सिंह, रावत पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, मानसरोवर, रावत सीनियर सेकेंडरी स्कूल, विवेक विहार, रिया सेन, रिजवान ज़हीर उस्मान, रजनी पनिक्कर, रज़्मनामा, रघुवीर यादव, रैबारी, रेडियो सिटी, रोमन सैनी, रोहित शर्मा, रोहित शर्मा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शतकों की सूची, लाडनूं, लखनऊ, लक्ष्मणगढ़, लक्ष्मी मिष्ठान भंडार होटल, लेमन ट्री होटल्स, लेकर हम दीवाना दिल, शरद जोशी सम्मान, शशि साँखला, शार्दुल ठाकुर, शास्त्रीय नृत्य, शिरीन मिर्ज़ा, शिला माता मन्दिर, शिव मंदिर, नई का नाथ, बांसखो,जयपुर, शिवदीन राम जोशी, शिवानन्द गोस्वामी, श्री चक्र, श्री राजपूत करणी सेना, श्री कल्याण महाविद्यालय, सीकर, श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2005-06, श्रीकृष्ण जुगनू, श्रीकृष्णभट्ट कविकलानिधि, शूरसेन देश, शेखर गुरेरा, शेखावाटी, सचिन तेंदुलकर के अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट शतकों की सूची, सपना पूनिया, सपालदक्ष, सबसे बड़े शहरों की सूची, सबसे सघन आबादी वाले शहर, समर्थलाल मीणा, सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत, सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान, सलोली, राजस्थान, साँभर, सालासर बालाजी, साहिब सिंह वर्मा, सांडवा, सांभर झील, सांवर लाल जाट, सिटी पैलेस, जयपुर, सिन्धु-गंगा के मैदान, सिसोदिया रानी बाग, सवाई मान सिंह स्टेडियम, संतोष यादव, संस्कृत भाषा, संजीवनी टुडे, सुनील शास्त्री, सुविज्ञ शर्मा, सुंदरदास, स्टैच्यू सर्किल, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, स्मिता बंसल, सौर घड़ी, सूरसागर, सूरौठ, सेखाला, सी-डैक, सीमा तोमर, सीआईडी (धारावाहिक), सीकर, सीकर जिला, हम्मीर चौहान, हरसिल, हल्द्वानी में यातायात, हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद, हाथी छाप, हिण्डौन, हिन्दू मेला, हिन्दी पत्रिकाएँ, हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें, हवा महल (रेडियो कार्यक्रम), हवामहल, होहोबा, हीरा लाल शास्त्री, जन्तर मन्तर (जयपुर), जय, जय सिंह द्वितीय, जयचमराजा वोडेयार बहादुर, जयपुर मेट्रो रेल, जयपुर राज्य, जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, जयपुर विकास प्राधिकरण, जयपुर का इंडियन ऑयल डिपो अग्निकांड, जयपुर के दर्शनीय स्थल, जयपुर अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, जयपुर-वैभवम, जयपुर-किशनगढ़ द्रुतगामी मार्ग, जयपुर/आलेख, जयबाण तोप, जयसिंह सिद्धराज, जयगढ़ दुर्ग, जल महल, जसदेव सिंह, जहाजपुर, ज़िया फ़तेहाबादी, जिलिया, जिज्ञासा सिंह, जवाहर नवोदय विद्यालय, जवाहर कला केन्द्र, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जंतर मंतर, जंतर मंतर, दिल्ली, जुलाई २०१०, ज्योतिर्मयी देवी, जैसलमेर हवाई अड्डा, जूही परमार, जे.सी. कुमारप्पा, जेनपैक्ट, जोधपुर, जोधा अकबर (टीवी धारावाहिक), जोबनेर, ईश्वरविलास महाकाव्य, ईसरलाट, वनस्थली विद्यापीठ, वाराणसी, वाजिद खान, वाईमैक्स, विद्याधर, विद्याधर (बहुविकल्पी), विद्याधर चक्रवर्ती, विद्यानंद, विद्यागोरी अड़कर, विधान सभा, विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V, विराटनगर (राजस्थान), विश्व मोहन भट्ट, विश्वरूप, विस्थापन (सदिश), वेधशाला, वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1994-95, वीणा म्यूजिक, खड़िया आदिवासी, खरगोन ज़िला, खाटूश्यामजी, राजस्थान, खानपुर डागरान, गणगौर, गतिप्रेरक, गलताजी, गायत्री देवी, गांधीनगर जयपुर रेलवे स्टेशन, गुप्तिनंदी, गुरुग्राम जिला, ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर, गैटोर, गोएयर, गोनेर, गोपीनाथ कविराज, गोरखपुर, गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री, गोविन्द चन्द्र पाण्डेय, गोविंददेव मंदिर, ऑटो एक्सपो, ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2013-14, ओबेरॉय होटल एंड रिसॉर्ट्स, औधोगिक नगर, और प्यार हो गया (धारावाहिक), आधिकारिक आवास, आमेर, आमेर दुर्ग, आसलू, इच्छा-मृत्यु, इडर के प्रताप सिंह, इनाणिया, इन्दौर, इफ्को चौक, इरफ़ान ख़ान, इलाहाबाद, इश्केदारियां, इंडियन प्रीमियर लीग, इंडिया'ज़ रॉ स्टार, इंदौर दूरंतो एक्सप्रेस, इंग्लैंड क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1992-93, कटराथल, कनक वृंदावन, कमला बेनीवाल, कमलानाथ, करण कपूर, करणसिंह यादव, कर्पूर चन्द्र कुलिश, कर्क रेखा, कलानाथ शास्त्री, कामवन, काशी, कवई (गाँव), कंपनी राज, कछवाहा, कुमार पद्मनाभ सिंह, कुमार संगाकारा, कुशवाहा, कुकस, कृपानिवास, कृष्णदास (बहुविकल्पी), कृष्णदास पयहारी, कृष्णा पूनिया, कैलाश सांखला, कैलाश वर्मा, कैलगरी, केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना, कोट कासिम, कोटा, कीर्ति कुमारी, अनवर ज़हीर जमाली, अपूर्वी चंदेला, अमृता प्रकाश, अरुण सुभाषचन्द्र यादव, अलवर, अलवर जिला, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, अशोक आत्रेय, असरानी, अहमद और मुहम्मद हुसैन, अजमेर जिला, अवनीश सिंह चौहान, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट 2013-14, अंजना सुखानी, अंकित भारद्वाज, अकबर, अकबर के नवरत्न, अकलेरा, अक्षांश पर शहर, उत्तर पश्चिम रेलवे, उत्तर भारत, उजियारे कवि, ऋतुराज (कवि), छतरी (स्मारक), छवि राजावत, १३ मई २००८ जयपुर बम विस्फोट, १४ नवम्बर, १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, १९९६ क्रिकेट विश्व कप, २०११ पाकिस्तान भूकम्प, २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग, ३१ जुलाई, 1987 क्रिकेट विश्व कप, 2011 इंडियन प्रीमियर लीग सूचकांक विस्तार (440 अधिक) »

चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'

चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' (१८८३ - १२ सितम्बर १९२२) हिन्दी के कथाकार, व्यंगकार तथा निबन्धकार थे। .

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चाकसू

चाकसू जयपुर जिले की तहसील मुख्यालय है। यह जयपुर से दक्षिण दिशा में २५ किमी की दूरी पर स्थित है। यह तहसील मुख्यालय व नगरपालिका क्षेत्र है जिसकी जनसंख्या २००१ के अनुसार ३०,००० के लगभग है। श्रेणी:जयपुर जिला श्रेणी:राजस्थान के शहर.

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चिल्का

चिल्का अथवा चल्का एक जाट गौत्र है जो राजस्थान, भारत के जयपुर, सीकर और झुन्झुनू जिलों में पाये जाते हैं। 'चल्का' एक राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ 'चमकना' है। ऐसा माना जाता है कि ये लोग रंग में थोड़े चमकीले चेहरे वाले होते थे। अतः ये लोग राजस्थान में चिल्का के रूप में जाने जाते हैं। .

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चंद्रशेखर हाडा

कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाडा का जन्म २ अगस्त १९६५ को बरखेडा मध्यप्रदेश में हुआ। एक फर्म में उप प्रबन्धक रह्ते फ्रीलान्स कार्टूनिंग की। चंद्रशेखर हाडा का पहला कार्टून नवभारत में छपा। स्वदेश, जनसत्ता, नईदुनिया, कादम्बिनी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, पंजाब केसरी, मिलाप आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित कार्टून छपते रहे हैं। पिछले १७ वर्षों से दैनिक भास्कर ग्रुप में कार्यरत हैं। इनदिनों जयपुर राजस्थान में हैं। श्रेणी:भारतीय कार्टूनिस्ट श्रेणी:1965 में जन्मे लोग.

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चुतर सिंह हत्याकांड

चुतर सिंह हत्याकांड जिसमें २५ जून २०१६ राजस्थान राज्य के जैसलमेर ज़िले के मोकळा गांव का निवासी २१ वर्षीय चुतर सिंह सोढ़ा जो कि जैसलमेर पुलिस के अंतर्गत एक हिस्ट्रीशीटर था उसका पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया, लेकिन राजपूत समाज के अंतर्गत चुतर सिंह का एनकाउंटर न मानकर हत्या माना है। जैसलमेर पुलिस के अनुसार चुतर सिंह पर बाड़मेर में ये एक हिस्ट्रीशीटर थे जिनके खिलाफ १७ मामले दर्ज थे। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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चौहान

चौहान या चव्हाण एक वंश है। चौहान गुर्जर तथा राजपूतों में आता है।विद्वानो का कहना है कि चौहान मुल से राजपूत थे तथा १० वी शदी तक गुर्जर प्रतिहारो के अधीन थे। चौहान साम्भर झील और पुष्कर, आमेर और वर्तमान जयपुर, राजस्थान में भी होते थे, जो अब सारे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। इसके अलावा मैनपुरी उत्तर प्रदेश एवं नीमराना, राजस्थान के अलवर जिले में भी पाये जाते हैं। .

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चौहान वंश

शाकम्भरी के चाहमान या चौहान वंश (संस्कृत: चौहानवंशः; आंग्ल: Chauhan dynasty) गुर्जर व राजपूतों के प्रसिद्ध वंशों में से अन्यतम है। 'चौहान' ये उत्तरभारत के आर्यों का कोई वंश है। चौहान गोत्र गुर्जर और राजपूतों में अन्तर्भूत होता है। शाकम्भरी में चौहान वंश के संस्थापक वासुदेव चौहान थे इतिहासविदों का मत है कि, चौहानवंशीय जयपुर के साम्भर तालाब के समीप में, पुष्कर-प्रदेश में और आमेर-नगर में निवास करते थे। सद्य वे उत्तरभारत में विस्तृत रूप से फैले हैं। उत्तरप्रदेशराज्य के मैनपुरी बिजनौर जिले में अथवा नीमराणा राजस्थान में बहुधा निवास करते हैं। श्रेणी:चौहान वंश श्रेणी:राजस्थान का इतिहास.

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चूड़ी

भारत में चूड़ियों का प्रदर्शन करती एक दुकान चूड़ियाँ (Bangles) एक पारम्परिक गहना है जिसे भारत सहित दक्षिण एशिया में महिलाएँ कलाई में पहनती हैं। चूड़ियाँ वृत्त के आकार की होती हैं। चूड़ी नारी के हाथ का प्रमुख अलंकरण है, भारतीय सभ्यता और समाज में चूड़ियों का महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदू समाज में यह सुहाग का चिह्न मानी जाती है। भारत में जीवितपतिका नारी का हाथ चूड़ी से रिक्त नहीं मिलेगा। भारत के विभिन्न प्रांतों में विविध प्रकार की चूड़ी पहनने की प्रथा है। कहीं हाथीदाँत की, कहीं लाख की, कहीं पीतल की, कहीं प्लास्टिक की, कहीं काच की, आदि। आजकल सोने चाँदी की चूड़ी पहनने की प्रथा भी बढ़ रही है। इन सभी प्रकार की चूड़ियों में अपने विविध रंग रूपों और चमक दमक के कारण काच की चूड़ियों का महत्वपूर्ण स्थान है। सभी धर्मों एवं संप्रदायों की स्त्रियाँ काच की चूड़ियों का अधिक प्रयोग करने लगी हैं। .

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टाइटन कप 1996-97

टाइटन कप 17 अक्टूबर और 6 नवंबर, 1996 के बीच भारत में आयोजित त्रिकोणीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट था। इसमें दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों को शामिल किया गया था। हालांकि दक्षिण अफ्रीका ने अपने सभी राउंड-रोबिन मैचों को जीता था, लेकिन यह फाइनल में भारत से हार गया। टूर्नामेंट प्रायोजित टाइटन इंडस्ट्रीज के नाम पर रखा गया था। .

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ट्रेंट (वेस्टसाइड)

ट्रेंट, टाटा समूह की खुदरा कारोबार शाखा है। 1998 में आरंभ ट्रेंट, वेस्टसाइड नामक खुदरा श्रृंखला का संचालन करती है जो भारत में बढ़ रही कई खुदरा श्रृंखलाओं में से एक है। ट्रेंट का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। .

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टीका राम पालीवाल

टीका राम पालीवाल एक भारतीय राजनेता है और राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके है। .

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एमिटी विश्वविद्यालय

एमिटी विश्वविद्यालय भारत का सबसे बड़ा निजी विश्वविद्यालय है। यहां ९०,००० से अधिक विद्यार्थी हैं। इसकी स्थापना २००३ में हुई थी। इसके परिसर नोएडा, जयपुर एवं लखनऊ में हैं। इसकी स्थापना अशोक चौहान ने किया जिन्होने 'ऋतनन्द बालवेद शिक्षा फाउन्डेशन' की भी स्थापना की है। चित्र:Amity Univ NOIDA1.jpg चित्र:Amity Univ NOIDA2.jpg चित्र:Amity Univ NOIDA3.jpg चित्र:Amity Univ NOIDA4.jpg श्रेणी:दिल्ली के विश्वविद्यालय श्रेणी:उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय श्रेणी:निजी विश्वविद्यालय.

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एयर कोस्टा

एयर कोस्टा, भारत की एक क्षेत्रीय एयरलाइन है जो विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में स्थित है। इसने अपनी पहली उड़ान अक्तूबर 2013 से चेन्नई से प्रारम्भ किया जो इसके मुख्य संचालन और रखरखाव के केन्द्रों में से एक है। यह एल ई पी एल समूह का हिस्सा है जो विजयवाड़ा में स्थित है। इसने अपनी अनुसूचित आपरेशन (उड़ान का प्रारम्भ) अक्टूबर 2013 में दो एमब्रेयर ई -170 विमान का उपयोग कर,300 कर्मचारियों के साथ की, जिसमे प्रवासी पायलटों और इंजीनियरों सम्मिलित थे। एयरलाइन, भारत में टियर टू और थ्री शहरों के बीच हवाई सम्पर्क व यातायात में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है और इसने 2015 तक 1.5 करोड़ डॉलर के निवेश की घोषणा की है। इस एयरलाइन्स की 2015 तक विजयवाड़ा हवाई अड्डे पर एक विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा स्थापित करने की योजना है। वर्तमान में चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस एयरलाइन के रखरखाव केंद्र है। .

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एसीसी महिला एशिया कप

एसीसी महिला एशिया कप एक अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट एशिया से महिला क्रिकेट टीमों से चुनाव लड़ा है। यह तिथि करने के लिए पांच बार खेला गया है। .

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एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के कीर्तिमानों की सूची

एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जिसे अंग्रेजी में (वनडे/ODI) के नाम से जाना जाता है। इस प्रारूप में प्रायः पूर्ण सदस्यता वाली राष्ट्रीय क्रिकेट टीमें खेलती हैं। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वर्तमान में 50 ओवर रखे गए गए हैं हालांकि पूर्व में 55 तथा 60 ओवरों के मैच खेले जाते थे जो बाद में 50 ओवरों के कर दिए गए। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का पहला मैच ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड के बीच जनवरी १९७१ को खेला गया था। वनडे क्रिकेट अर्थात एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक तथा सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के नाम है, सचिन ने कुल  १८,४२६ बनाए है। जबकि सबसे ज्यादा विकेट लेने का श्रेय श्रीलंका क्रिकेट टीम के मुथैया मुरलीधरन को जाता है। इनके अलावा सबसे ज्यादा लगातार मैच जीतने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम का है जिन्होंने लगातार २१ मैच जीते थे और लगातार सबसे हारने वाली टीम बांग्लादेश है जो लगातार २७ मैच हारी थी। व्यक्तिगत कीर्तिमानों में सचिन तेंदुलकर और मुथैया मुरलीधरन के अलावा रोहित शर्मा का नाम भी आता है जिन्होंने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट २ दोहरे शतक लगाए तथा एक मैच में सबसे ज्यादा रन भी इन्होंने ने ही बनाए है जो २६४ रन बनाए थे। गेंदबाजी में श्रीलंका क्रिकेट टीम के चमिंडा वास ने १९ रन देकर ०८ विकेट लिए थे। एक ओवर में सबसे ज्यादा रन दक्षिण अफ्रीका के हर्शल गिब्स ने ३६ रन बनाए है तथा सबसे तेज शतक एबी डी विलियर्स ने मात्र ३१ गेंदों पर बनाया है। .

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एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय के एक मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची

एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में जो आईसीसी की पूर्ण सदस्य टीम है उनमें भारतीय क्रिकेट टीम के रोहित शर्मा का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है रोहित के नाम २६४ रन है जो श्रीलंका क्रिकेट टीम के खिलाफ बनाया था। .

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झुंझुनू जिला

झुंझुनू जिला भारत के राजस्थान प्रान्त में स्थित है तथा सीकर एंव चूरु जिलों के नज़दीक है। .

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डिडेल

डिडेल एक जाट गोत्र का नाम है, जो भारत के राजस्थान और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, नागौर, टोंक जिलों में मिलते हैं एवं मध्यप्रदेश के हरडा, मंदसौर, रतलाम जिलों में मिलते हैं। यह गोत्र ऋषि दधीचि के परिवार पेड़ में भी है। डिडेल गोत्र सबसे ज्यादा नागौर जिले के रोल गांव में हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#D.

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डेली न्यूज़ एण्ड एनालिसिस

डेली न्यूज एंड एनालिसिस (Daily News and Analysis) (डीएनए) एक भारतीय व्यापकपर्ण अंरेज़ी भाषा समाचार पत्र है इसकी संस्थापना 2005 में मुम्बई, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, बंगलोर और इन्दौर से आरम्भ हुई। यह अंग्रेज़ी में प्रकशित भारतीय अखबारों में प्रथम है जिसके सभी पृष्ठ रंगीन होते हैं। .

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डेगाना

डेगाना भारत के राजस्थान राज्य में नागौर जिले का एक प्रमुख शहर है। .

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डॉ मंडन मिश्र

आठवीं शताब्दी के दार्शनिक मण्डन मिश्र के लिये वहाँ जाएँ। ---- डॉ मंडन मिश्र (७ जून १९२९ - १५ नवम्बर, २००१) संस्कृत के प्रसिद्ध पण्डित थे जिन्होने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की। सन् २००० में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। डॉ॰ मण्डन मिश्र का जन्म 7 जून 1929 ई. को जयपुर से 50 किलोमीटर दूर हणूतिया नामक गाँव में हुआ। आपके पिता पं॰ श्री कन्हैयालाल मिश्र कर्मकाण्ड के अच्छे विद्वान् थे। डॉ॰ मिश्र की प्रारम्भिक शिक्षा अमरसर और उच्च शिक्षा जयपुर में हुई। आपने मीमांसा और साहित्य में सर्वोत्तम श्रेणी में आचार्य, तथा संस्कृत में सर्वोत्तम श्रेणी से एम.ए. एवं मीमांसा दर्शन का समालोचनात्मक इतिहास विषय पर राजस्थान विश्वविद्यालय से पी.एच.डी.

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डीडी राजस्थान

डीडी राजस्थान एक राज्य के स्वामित्व वाला टीवी चैनल है जो दूरदर्शन केन्द्र जयपुर से प्रसारित होता है। .

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ढ़ूंढ़ाड़

ढ़ूंढ़ाड़ (जयपुर) ढ़ूंढ़ नदी के निकटवर्ती भू-भाग को कहते हैं। श्रेणी:ढ़ूंढ़ नदी.

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ढूंढाड़

ढुंढाड़ (जिसे जयपुर क्षेत्र भी कहा जाता है) राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक क्षेत्र रहा है। इसे समय समय पर कछावा राज्य, आंबेर राज्य और जयपुर राज्य भी कहा गया है। यह पश्चिम राजस्थान में स्थित है। इसमें आने वाले जिले हैं.

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तरुणसागर

मुनि Tarunsagar एक Digambara भिक्षु और लेखक की एक पुस्तक श्रृंखला शीर्षक Kadve प्रवचन (कड़वे प्रवचन).

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तात्या टोपे

तात्या टोपे (1814 - 18 अप्रैल 1859) भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। सन १८५७ के महान विद्रोह में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। सन् सत्तावन के विद्रोह की शुरुआत १० मई को मेरठ से हुई थी। जल्दी ही क्रांति की चिन्गारी समूचे उत्तर भारत में फैल गयी। विदेशी सत्ता का खूनी पंजा मोडने के लिए भारतीय जनता ने जबरदस्त संघर्ष किया। उसने अपने खून से त्याग और बलिदान की अमर गाथा लिखी। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के मंच से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशवा, राव साहब, बहादुरशाह जफर आदि के विदा हो जाने के बाद करीब एक साल बाद तक तात्या विद्रोहियों की कमान संभाले रहे।nice and thanks .

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तानसेन सम्मान

तानसेन सम्मान मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार वर्ष 1980 में स्थापित किया गया था। मध्य प्रदेश शासन द्वारा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। .

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ताराघर

---- नेहरू ताराघर, मुंबई ताराघर (अंग्रेज़ी में प्लेनेटेरियम) या तारामण्डल या नक्षत्रालय एक ऐसा भवन होता है जहाँ खगोलिकी व नाइट स्काई विषयक ज्ञानवर्धक व मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं। ताराघर की पहचान अक्सर उसकी विशाल गुंबदनुमा प्रोजेक्शन स्क्रीन होती है। भारत में ३० ताराघर हैं। इनमें से चार, जो क्रमशः मुंबई, नई दिल्ली, बंगलौर व इलाहाबाद में स्थित हैं, जवाहरलाल नेहरू के नाम से जाने जाते हैं। चार ताराघर बिड़ला घराने द्वारा पोषित हैं जो कोलकाता, चैन्नई, हैदराबाद व जयपुर में हैं। सितंबर १९६२ में प्रारंभ कोलकाता स्थित एम पी बिड़ला ताराघर देश का पहला ताराघर है। .

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तारेक्ष

१८वीं शदी का फारस का एक तारेक्ष तारेक्ष या तारक्षवेधयंत्र का पर्यायवाची अंग्रेजी शब्द ऐस्ट्रोलैब (Astrolabe) तथा संस्कृत शब्द 'यंत्रराज' है। यह एक प्राचीन वेधयंत्र है, जिससे यह नक्षत्रों के उन्नतांश ज्ञात करके समय तथा अक्षांश जाने जाते थे। संभवत: इसका आविष्कार परगा के यूनानी ज्योतिषी ऐपोलोनियस (ई. पू. 240) अथवा हिपार्कस (ई. पू. 150) ने किया था। अरब के ज्योतिषियों ने इस यंत्र में बहुत सुधार किए। यूरोप में ईसा की 15वीं शताब्दी के अंत से लेकर 18वीं शताब्दी के मध्य तक समुद्र यात्रियों में यह यंत्र बहुत प्रचलित था। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी राजा जयसिंह को यह यंत्र बहुत प्रिय था। जयपुर में दो तारेक्ष यंत्र विद्यमान हैं, जिनके अंक तथा अक्षर नागरी लिपि के हैं। .

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ताजमहल

ताजमहल (تاج محل) भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने, अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था। ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् १९८३ में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। साधारणतया देखे गये संगमर्मर की सिल्लियों की बडी- बडी पर्तो से ढंक कर बनाई गई इमारतों की तरह न बनाकर इसका श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमर्मर से ढंका है। केन्द्र में बना मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठता में सौन्दर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है, कि यह पूर्णतया सममितीय है। इसका निर्माण सन् १६४८ के लगभग पूर्ण हुआ था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्रायः इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है। .

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त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर

यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में विराजे रणतभंवर के लाड़ले त्रिनेत्र गणेश के मेले की बात ही कुछ निराली है। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। कहाँ जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। .

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तोमर वंश

तोमर या तंवर उत्तर पश्चिम भारत का एक राजवन्श था। तोमरो का मानना है कि वे चन्द्रवन्शी है। इन्होंने वर्तमान दिल्ली की स्थापना दिहिलिका केनाम से की थी। .

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द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया (The Times of India, TOI के रूप में संक्षेपाक्षरित) भारत में प्रकाशित एक अंग्रेज़ी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रबन्धन और स्वामित्व बेनेट कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा किया जाता है। दुनिया में सभी अंग्रेजी भाषा के व्यापक पत्रों में इस अखबार की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। 2005 में, अखबार ने रिपोर्ट दी कि (24 लाख से अधिक प्रसार के साथ) इसे ऑडिट बुरो ऑफ़ सर्क्युलेशन के द्वारा दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी भाषा के सामान्य समाचार पत्र के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसके वावजूद भारत के भाषायी समाचार पत्रों (विशेषत: हिन्दी के अखबारों) की तुलना में इसका प्रसार बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया को मीडिया समूह बेनेट, कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा प्रकाशित किया जाता है, इसे टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स (एक हिंदी भाषा का दैनिक), दी महाराष्ट्र टाइम्स (एक मराठी भाषा का दैनिक) का भी प्रकाशन करता है। .

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द गेटवे होटल्स एंड रिसॉर्ट्स

गेटवे होटल्स एंड रिसॉर्ट्स दक्षिण एशिया का एक अत्याधुनिक, पूर्ण सेवा प्रदान करने मध्य बाजार होटल और रिजॉर्ट श्रृंखला है। गेटवे होटल्स का स्वामित्व इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड के पास हैं और यह टाटा समूह का एक हिस्सा है। .

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दशनामी सम्प्रदाय

दशनामी शब्द संन्यासियों के एक संगठनविशेष के लिए प्रयुक्त होता है और प्रसिद्ध है कि उसे सर्वप्रथम स्वामी शंकराचार्य ने चलाया था, किंतु इसका श्रेय कभी-कभी स्वामी सुरेश्वराचार्य को भी दिया जाता है, जो उनके अनन्तर दक्षिण भारत के शृंगेरी मठ के तृतीय आचार्य थे। ("ए हिस्ट्री ऑव दशनामी नागा संन्यासीज़ पृ. 50") .

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दसलाखी नगर

जो शहर मोटे अक्षरों में लिखे हैं वो अपने राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी भी हैं .

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दादूदयाल

दादूदयाल (1544-1603 ई.) हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं। दादू के नाम से 'दादू पंथ' चल पडा। ये अत्यधिक दयालु थे। इस कारण इनका नाम 'दादू दयाल' पड गया। दादू हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने शबद और साखी लिखीं। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है। जात-पाँत के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर इनके पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं। .

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दाल बाटी चूरमा

दाल बाटी चूरमा एक राजस्थानी व्यंजन है। बाटी मोटे गेहू के आटे से बनाई जाती है। चूरमा मीठे आटे का मिश्रण होता है। यह एक धार्मिक अवसरों, गोठ, विवाह समारोहों और राजस्थान में जन्मदिन पार्टियों में भी बनाई जाती है। दाल बाटी चूरमा आमतौर पर दोपहर के भोजने के समय या खाने के समय के दौरान या तो सेवा है। अधिक घी का स्वाद इसे और भी बेहतर स्वाद बना देता है। जोधपुर,जयपुर और जैसलमेर के शहर इस राजस्थानी पकवान के लिए प्रसिद्ध हैं। दाल, बाटी, चूरमा उत्तम राजस्थान विशेषता के रूप में जाना जाता है एक राजस्थानी खाना है। या अधिक मसाला राजस्थानी खाने की विशेषता है। चूरमा में एक अंतहीन विविधता है रंग जो सामग्री पर निर्भर करता है और एक आश्चर्यजनक विविधता है जिनमें से कई एक साथ परोसा जा सकता है, रोटी के साथ जो इसे फिर से गेहूं या मक्का या बाजरा से मिलकर बनाया जाता है।। .

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दांत माता मंदिर

दांत माता का मंदिर मीणाओं के सीहरा राजवंश की कुल देवी का मंदिर है। यह मंदिर जयपुर के जमवा रामगढ़ में स्थित है। माता के मंदिर का निर्माण सीहरा राजवंश के राजा राव सींगोजी ने विक्रम संवत 352 में करवाया था और पूर्व की ओर झांकती हुई मंदिर की सीढ़ियाँ बनवाई थीं। .

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दिवाकर शर्मा

राजास्थान विश्वविद्यालय् दिवाकर शर्मा (१९३३ चूरु,राजस्थान-२००९) संस्कृत, हिंदी तथा राजस्थानी भाषाओं के विद्वान थे। आपने संस्कृत की कलाधिस्नातक परीक्षा कोटा में उत्तीर्ण की थी तथा पीएच.

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दिगंबर तेरापंथ

आचार्य Gyansagar'', एक आचार्य (सिर के मठवासी आदेश) के ''Digambara Terapanth'' Digambara Terapanth एक संप्रदायों के दिगम्बर जैन, दूसरे जा रहा है Bispanthi संप्रदाय है। इसे से बाहर का गठन मजबूत विपक्ष के लिए धार्मिक वर्चस्व के पारंपरिक धार्मिक नेताओं को बुलाया भट्टारक के दौरान 12-16 वीं सदी ए. डी, के लिए bhattarakas शुरू से हटने मूल/Mula जैन, सीमा शुल्क.

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2009-10

दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने दो मैचों की टेस्ट सीरीज़ के लिए भारत का दौरा किया और फरवरी 2010 में तीन मैचों की एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला (वनडे) का दौरा किया। .

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दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। दक्षिणी अमेरिका की उत्तर से दक्षिण लम्बाई लगभग ७,२०० किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई ५,१२० किलोमीटर है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग ६ गुना बड़ा है। पनामा नहर इसे पनामा भूडमरुमध्य पर उत्तरी अमरीका महाद्वीप से अलग करती है। किंतु पनामा देश उत्तरी अमरीका में आता है। ३२,००० किलोमीटर लम्बे समुद्रतट वाले इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एण्डीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टीटीकाका झील हैं। भूमध्यरेखा के समीप पेरू देश में चिम्बोरेजो तथा कोटोपैक्सी नामक विश्व के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं जो लगभग ६,०९६ मीटर ऊँचे हैं। अमेजन, ओरीनिको, रियो डि ला प्लाटा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राज़ील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेण्टाइना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फ़ाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं। .

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दुर्गा लाल

पंडित दुर्गा लाल (1948 - 21 जनवरी 1990) जयपुर घर के प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। उनका जन्म महेंद्रगढ़, राजस्थान में हुआ था। 1989 के नृत्य नाटक घनश्याम में उन्हें मुख्य भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है; जिसमें संगीतज्ञ पंडित रवि शंकर द्वारा निर्मित था और इसे बर्मिंघम ओपेरा कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था। कथक रूप के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, सम्मानित किया गया था। 1984 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला था। ये लाल सुंदर प्रसादजी के शिष्य था। कथक नर्तक होने के साथ ही वे एक गायक भी थे और पखवाज खेलते थे। उन्होंने कथक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कथक नृत्य (कथक केंद्र), नई दिल्ली में पढ़ाया करते थे। निघट चौधरी पाकिस्तान में पंडित लाल के उल्लेखनीय छात्र हैं। लाल के भाई पंडित देवीलाल भी एक प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। देवीलाल की पत्नी गीतांजली लाल भी एक संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता (2007) हैं। दुर्गा लाल की मृत्यु के बाद उनके बच्चों और अन्य आर्ट बिरादरी सदस्य पंडित दुर्गा लाल मेमोरियल महोत्सव नामक वार्षिक त्यौहार का आयोजन कर रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं, बड़ी बेटी नूपुर और छोटे बेटे मोहित नूपुर कथक कलाकार और गायक हैं और मोहित एक पर्सियन लेखक हैं।उनके शिष्यों में प्रसिद्ध नर्तक उमा डोगरा और जयंत कास्त्रुआर शामिल हैं। लाल की स्मृति में, डोगरा ने "पंडित दुर्गा लाल समरोह" का आयोजन 2005 तक 15 वर्षों से किया था। .

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द्वैतवन

कोई विवरण नहीं।

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दौलतराम

पं.

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दैनिक नवज्योति

राजस्थान के स्वाधीनता सेनानी कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी द्वारा संस्थापित दैनिक नवज्योति जयपुर, जोधपुर, अजमेर और कोटा, राजस्थान से प्रकाशित होने वाला एक दैनिक हिन्दी समाचार पत्र है। इसका प्रथम संस्करण १९३६ में प्रकाशित हुआ। .

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दैनिक भास्कर

दैनिक भास्‍कर भारत का एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचारपत्र है। भारत के 12 राज्‍यों (व संघ-क्षेत्रों) में इसके 37 संस्‍करण प्रकाशित हो रहे हैं। भास्कर समूह के प्रकाशनों में दिव्य भास्कर (गुजराती) और डीएनए (अंग्रेजी) और पत्रिका अहा ज़िंदगी भी शामिल हैं। 2015 में यह देश का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अखबार बना। .

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देहमी

देहमी सभी जातियों के लोगों के लिए एक पवित्र गांव है। यहाँ इस गाँव में श्री माता मंसा देवी मंदिर स्थित है यह एक हिन्दू धर्म का मंदिर है जो राष्ट्रीय राजमार्ग-8 (दिल्ली से जयपुर) के पास देहमी गांव में स्थित शक्ति को समर्पित सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। मंसा देवी, माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती है, मंसा देवी, देवी दुर्गा का एक रूप है। यहाँ नवरात्रि मेले के अवसर पर मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। यह मंदिर राजस्थान राज्य के अलवर जिले में बेहरर और बरौदा शहर के पास है। यह उत्तरी भारत में पूजा के सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक है। .

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देवर्षि रमानाथ शास्त्री

देवर्षि रमानाथ शास्त्री (1878 – 1943) संस्कृत भाषा के कवि तथा श्रीमद्वल्लभाचार्य द्वारा प्रणीत पुष्टिमार्ग एवं शुद्धाद्वैत दर्शन के विद्वान् थे। उन्होने हिन्दी, ब्रजभाषा तथा संस्कृत में प्रचुर लेखन किया है। वे बाल्यावस्था से ही संस्कृत में कविता करने लग गए थे और उसी दौरान प्रसिद्ध मासिक पत्र ‘संस्कृत रत्नाकर’ में उनकी प्रारंभिक कविता ‘दुःखिनीबाला’ छपी थी। उनका जन्म आन्ध्र से जयपुर आये कृष्णयजुर्वेद की तैत्तरीय शाखा अध्येता वेल्लनाडु ब्राह्मण विद्वानों के देवर्षि परिवार की विद्वत् परम्परा में सन् 1878 (विक्रम संवत् 1936, श्रावण शुक्ल पंचमी) को जयपुर में हुआ। उनके पिता का नाम श्री द्वारकानाथ तथा माता का नाम श्रीमती जानकी देवी था। इनके एकमात्र पुत्र पंडित ब्रजनाथ शास्त्री (1901-1954) थे, जो स्वयं शुद्धाद्वैत के मर्मज्ञ थे। वे संस्कृत के उद्भट विद्वान् व युगपुरुष कविशिरोमणि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के अग्रज थे। .

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देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

इंदौर विमानक्षेत्र इंदौर में स्थित है। इसका ICAO कोडहै VAID और IATA कोड है IDR। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 7500 फी.

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दीपक चाहर

दीपक लोकेन्द्र सिंह चाहर (जन्म 7 अगस्त 1992) एक भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेट के खिलाड़ी है जो घरेलू क्रिकेट में राजस्थान के लिए खेलते हैं। ये एक आधिकारिक तौर पर मध्यम गति के तेज गेंदबाज हैं जो पहले इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस की टीम का हिस्सा रहे थे और अब इन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने खरीद लिया है। चाहर इससे पहले राजस्थान रॉयल्स के लिए भी खेल चुके है। चहर ने २०१०-११ के रणजी ट्रॉफी सीजन के पहले मैच में जयपुर में हैदराबाद के खिलाफ अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत में१० रन देकर ८ विकेट लिए थे। उस मैच में हैदराबाद की टीम महज 21 रनों पर ऑल आउट हो गयी थी वह रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे कम स्कोर है। चहर की प्रभावशाली स्विंग गेंदबाजी ने उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने खरीद लिया था। इसके बाद साल २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग की नीलामी में चेन्नई सुपर किंग्स ने खरीदा। .

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दीया कुमारी

राजकुमारी दिया कुमारी (जन्म 30 जनवरी 1971), अक्सर शैली जयपुर की राजकुमारी दिया कुमारी जयपुर के महाराजा सवाई सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की पुत्री हैं। .

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धौला कुआँ

धौला कुआँ दक्षिण पश्चिम दिल्ली का महात्मा गाँधी मार्ग पर स्थित एक चौराहे, तथा उससे लगे रिहायशी क्षेत्र का नाम है। पहले यहाँ एक गोल-चक्कर था, जिसे हटाकर दिल्ली सरकार द्वारा पुलों की एक निर्बाध श्रंखला से इसे एक नया रूप दिया गया। यहीं से राष्ट्रीय राजमार्ग ८ प्रारम्भ होता है, जो जयपुर की तरफ जाता हैं। मेट्रो कि एयरपोर्ट लाइन से भी इसे जोड़ दिया गया हैं। यहाँ एक अनाधिकारिक बस अड्डा भी है, जहाँ से हरियाणा तथा राजस्थान के कुछ नगरों तक के लिए बीएस सेवा का संचालन होता है। .

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नरेश दाधीच (राजनीतिशास्त्री)

डॉ॰ नरेश दाधीच (जन्म: ३ जनवरी १९५७) वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के उपकुलप्ति हैं। इसके पूर्व वे राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक थे। वे गांधीवाद एवं शान्ति अध्ययन के प्रसिद्ध विद्वान हैं। उनके पीएचडी का विषय था - 'गाँधी और अस्तित्ववाद का तुलनात्मक अध्ययन'। यह गाँधीजी के ऊपर किए गये आरम्भिक तुलनात्मक अध्यनों में से एक है। .

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नाहरगढ़ दुर्ग

नाहरगढ़ का किला जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर बना हुआ है। आरावली की पर्वत श्रृंखला के छोर पर आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था। यहाँ एक किंवदंती है कि कोई एक नाहर सिंह नामके राजपूत की प्रेतात्मा वहां भटका करती थी। किले के निर्माण में व्यावधान भी उपस्थित किया करती थी। अतः तांत्रिकों से सलाह ली गयी और उस किले को उस प्रेतात्मा के नाम पर नाहरगढ़ रखने से प्रेतबाधा दूर हो गयी थी। १९ वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह के द्वारा भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया गया था जिनकी हालत ठीक ठाक है जब कि पुराने निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चले हैं। यहाँ के राजा सवाई राम सिंह के नौ रानियों के लिए अलग अलग आवास खंड बनवाए गए हैं जो सबसे सुन्दर भी हैं। इनमे शौच आदि के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गयी थी। किले के पश्चिम भाग में “पड़ाव” नामका एक रेस्तरां भी है जहाँ खान पान की पूरी व्यवस्र्था है। यहाँ से सूर्यास्त बहुत ही सुन्दर दिखता है। .

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नागेश भट्ट

नागेश भट्ट (1730–1810) संस्कृत के नव्य वैयाकरणों में सर्वश्रेष्ठ है। इनकी रचनाएँ आज भी भारत के कोने-कोने में पढ़ाई जाती हैं। ये महाराष्ट्र के ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम शिव भट्ट और माता का नाम सतीदेवी था। साहित्य, धर्मशास्त्र, दर्शन तथा ज्योतिष विषयों में भी इनकी अबाध गति थी। प्रयाग के पास श्रृंगवेरपुर में रामसिंह राजा रहते थे। वहीं इनके आश्रयदाता थे। एक जनप्रवाद है कि नागेश भट्ट को सं.

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निर्भय वाधवा

निर्भय वाधवा जन्म (28 सितम्बर 1987) एक भारतीय फिल्म अभिनेता है। इनका जन्म राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगर जयपुर में हुआ। इनके पिता एक सिविल अभियन्ता है। http://www.bollywoodlife.com/news-gossip/mahabharat-dushasan-aka-nirbhay-wadhwa-not-scared-of-being-typecast-as-a-baddie-watch-cheerharan-promo/http://indianexpress.com/article/entertainment/television/nirbhay-wadhwa-bags-role-in-bharat-ka-veer-putra-maharana-pratap/http://timesofindia.indiatimes.com/tv/news/hindi/Jaipurs-Nirbhay-Wadhwa-to-play-Hanuman-in-new-show/articleshow/46067075.cms .

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निशा और उसके कज़न्स

निशा और उसके कज़न्स एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है जो स्टार प्लस पर प्रसारित होता है। धारावाहिक राजस्थान के जयपुर की पृष्ठभूमि पर बना है। यह आधुनिक पीढी के युवाओं की सोच के अंतर को प्रदर्शित करता है। .

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निवाई, टोंक

निवाई भारतीय राज्य राजस्थान के टोंक जिले का एक नगरपालिका क्षेत्र और नगर है। इसके उत्तर में जयपुर, पूर्व में सवाई माधोपुर, दक्षिण में बूंदी और भीलवाड़ा जिले तथा पश्चिम में अजमेर जिले हैं। .

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नवनीत प्राकृतिक योग चिकित्सा धाम

नवनीत प्राकृतिक योग चिकित्सा धाम एक प्राकृतिक चिकित्सालय है जो भारत के जयपुर में स्थित है। .

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नवलगढ

नवलगढ (राजस्थानी: नौलगढ) राजस्थान में झुन्झुनू जिले की तहसील है। यह मुकुंदगढ़ के दक्षिण में और डुण्डलोद से दूर पड़ता है। नवलगढ के सीमावर्ती गाँव उत्तर में मोहब्बतसर,चेलासी,चेलासी ढ़हर,नवलड़ी,पूर्व में सैनीनगर,बिरोल दक्षिण में झाझड़,बेरीऔर पश्चिम में बिडो़दी बड़ी हैं तथा कस्बा उत्तर में डुण्डलोद, है। नवलगढ़ यह एक रेलवे-स्टेशन भी है। .

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नंदवंशी

नंदवंशी शब्द नन्द या नंदगोप नामक प्रसिद्ध पौराणिक चरित्र के वंशजों का परिचायक है। हरिवंश पुराण के अनुसार - नन्द "पावन ग्वाल" नाम से परिभाषित गोपालक या गोप जाति के मुखिया थे। वासुदेव नवजात कृष्ण के जन्म की रात को ही पालन पोषण हेतु नन्द को सौंप कर आए थे। .

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न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2010-11

न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम भारत दौरा कर रही है, 4 नवंबर और 10 दिसंबर 2010 के बीच तीन टेस्ट मैचों और पांच वनडे खेले। .

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नीमराना

नीमराना (वास्तविक उच्चारण:नीमराणा) भारत के राजस्थान प्रदेश के अलवर जिले का एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर है, जो नीमराना तहसील में दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर दिल्ली से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह 1947 तक चौहानों द्वारा शासित 14 वीं सदी के पहाड़ी किले का स्थल है। नीमराना का स्वामित्व मात्र 16 साल की उम्र के कुट्टू के पास है, जो इसके अंतिम शासक है और उन्होंने प्रीवी पर्स के उन्मूलन के बाद किले के रखरखाव में असमर्थ होने के कारण इसे नीमराना होटल्स नामक एक समूह को बेच दिया, जिसे इसने एक हेरिटेज (विरासत) होटल में बदल दिया.

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पण्डित टोडरमल

पंडित टोडरमल (1719 – 1766) भारत के जैन धर्म के महान पण्डित तथा लेखक थे। वे जयपुर के निवासी थे। उन्होने जैन ग्रन्थों के संरक्षण एवं अध्ययन की एक सुसंगठित प्रणाली अपनायी थी। श्रेणी:जैन विद्वान.

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पद्मावत (फ़िल्म)

'पद्मावत' एक भारतीय ऐतिहासिक फ़िल्म है जिसका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है और निर्माण भंसाली प्रोडक्शन्स और वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स ने किया है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह हैं। पहले यह फ़िल्म 1 दिसम्बर 2017 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली थी; परंतु फिर कुछ लोगों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चली कानूनी कार्यवाही के बाद यह २५ जनवरी २०१८ को रिलीज हुई। इस फ़िल्म में चित्तौड़ की प्रसिद्द राजपूत रानी पद्मिनी का वर्णन किया गया है जो रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह फ़िल्म दिल्ली सल्तनत के तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी का १३०३ ई. में चित्तौड़गढ़ के दुर्ग पर आक्रमण को भी दर्शाती है। पद्मावत के अनुसार, चित्तौड़ पर अलाउद्दीन के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी के अनुपन सौन्दर्य के प्रति उसका आकर्षण था। अन्ततः 28 जनवरी 1303 ई. को सुल्तान चित्तौड़ के क़िले पर अधिकार करने में सफल हुआ। राणा रतन सिंह युद्ध में शहीद हुये और उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने अन्य स्त्रियों के साथ आत्म-सम्मान और गौरव को मृत्यु से ऊपर रखते हुए जौहर कर लिया। .

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पद्माकर

रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे। मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा अकादमिक उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। .

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परिकल्पना सम्मान

परिकल्पना सम्मान हिन्दी ब्लॉगिंग का एक ऐसा वृहद सम्मान है, जिसे बहुचर्चित तकनीकी ब्लॉगर रवि रतलामी ने हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर कहा है। यह सम्मान प्रत्येक वर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन में देशविदेश से आए हिन्दी के चिरपरिचित ब्लॉगर्स की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है। .

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पामेला बोर्डस

पामेला चौधरी सिंह (जन्म 1961), इन को इन के पामेला बोर्ड्स इस विवाह पश्चात नाम से जाना जाता है। भारत में जन्मी पामेला एक फोटोग्राफर और पूर्व मिस इंडिया भी रह चुकी है, जो संयुक्त राष्ट्र में 1988 और 1989 में कई उल्लेखनीय व्यक्तियों की मिस्ट्रेस और एस्कोर्ट के रूप में सुर्ख़ियों में रहीं, जिनमें हथियारों के डीलर अदनान खाशोगी भी शामिल हैं। वे अपने समय में सन्डे टाइम्स के संपादक, एंड्रयू नील के एक सामाजिक साथी के रूप में विख्यात रहीं; साथ ही द ओबसर्वर के तत्कालीन संपादक डोनाल्ड ट्रेल्फोर्ड और कनिष्ठ मंत्री कोलिन मोनिहान की भी साथी रहीं; तब यह पाया गया कि उनके पास हाउस ऑफ़ कॉमन्स का पास था जिसकी व्यवस्था एम पी डेविड शॉ और हेनरी बेलिंघम के द्वारा की गयी थी। द ईविनिंग स्टैंडर्ड और डेली मेल ने आरोप प्रकाशित किये कि वे लीबिया के एक सुरक्षा अधिकारी अहमद गदफ अल दाइम से जुड़ी हुई थीं, इसमें 1960 के दशक के प्रोफुमो मामले से मिलते जुलते मुद्दे उठाये गये, या अधिक व्यापक रूप से कहा जाये तो ये मुद्दे प्रथम विश्व युद्ध की जासूस माता हारी से मेल खाते थे। सिंह का जन्म नयी दिल्ली में हुआ, उनके पिता भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। वे जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल में पढीं और बाद में साहित्य का अध्ययन करने के लिए दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में आ गयीं। उन्होंने 1982 में मिस इंडिया का ताज जीता और उसी साल मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वे यूरोप चलीं गयीं, जहां वे हेनरी बोर्डस से मिलीं और उनके साथ शादी कर ली। बाली में जब कुछ पत्रकार उनका पीछा कर रहे थे, तब वे एक मोटरसाइकल दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गयीं। .

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पावन धाम

पावन धाम (पंच्खंड पीठ) पावन धाम: जयपुर से पहले विराटनगर (पुराना नाम बैराठ) नामक एक क़स्बा आता है। यह वही स्थान है जहाँ पांड्वो ने अज्ञातवास के दौरान अपना जीवन व्यतीत किया था। यहीं पंचखंड पर्वत पर भारत वर्ष का सबसे अनोखा और एकमात्र हनुमान मंदिर है जहाँ हनुमान जी की बिना बन्दर और पूछ वाली मूर्ति स्थापित है। इसका नाम वज्रांग मंदिर है और इसकी स्थापना अमर हुतात्मा गोभक्त, महान स्वतंत्रता सेनानी, यशश्वी लेखक, हिन्दू संत, हिन्दू नेता श्रीमन महात्मा रामचन्द्र वीर जी ने की थी। .

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पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1986-87

पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने 1986-87 के मौसम में पांच टेस्ट मैचों और छह वनडे मैचों के लिए भारत का दौरा किया। उन्होंने तीन प्रथम श्रेणी के मैच भी खेले। श्रृंखला के अंतिम मैच में पाकिस्तानी टीम 16 टेस्ट से जीत के बाद 1-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी, पिछले चार मैचों की श्रृंखला ड्रॉ की गई थी। इमरान खान ने पाकिस्तान की कप्तानी की थी, जिसे "मैन ऑफ द सीरीज" वोट दिया गया था। .

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पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2007-08

पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने नवंबर 2007 में भारत का दौरा किया और 6 नवंबर और 12 दिसंबर के बीच 5 एकदिवसीय और 3 टेस्ट मैच खेले। .

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पंचानन माहेश्वरी

पंचानन माहेश्वरी(1904-1966 ई0), सुप्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी थे। इनका जन्म राजस्थान के जयपुर नगर में हुआ था, जहाँ इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा हुई। प्रयाग विश्वविद्यालय से आपने एम0 एस-सी0 की परीक्षा उत्तीर्ण की। वनस्पति के पादरी प्रोफेसर के चरित्र का इन पर पर्याप्त प्रभाव पड़ा और उससे इनमें कर्मठता, स्पष्टवादिता तथा सहृदयता के गुण आए। अध्ययन के पश्चात्‌ इनकी नियुक्ति आगरा कालेज में, 1930 में हुई। इन्होंने क्रमश: इलाहाबाद, लखनऊ तथा ढाका विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। 1948 ई0 में दिल्ली विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के अध्यक्ष होकर आए और तब से जीवनपर्यंत वहीं रहे। मस्तिष्क की सूजन से पीड़ित होकर 18 मई 1966 ई0 को इनका निधन दिल्ली में ही हुआ। माहेश्वरी का विशेष कार्य पादप भ्रूणविज्ञान एवं पादप आकारिकी पर हुआ है। वनस्पति विज्ञान की अन्य शाखाओं, विशेषत: पादप क्रिया विज्ञान, में भी इनकी रूचि थी। इनके अधीन अध्ययन करने के लिये छात्र विदेशों, विशेषत: अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटाइना इत्यादि देशों, से आते थे। आपके अधीन शोधकार्य करके लगभग 60 छात्र छात्राओं ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। 300 से ऊपर इनके शोधनिबंध अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी तथा अंग्रेजी भाषाओं के अतिरिक्त इन्हें जर्मन फ्रेंच भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान था। इनकी लिखी पुस्तक, 'इंट्रोडक्शन टु इंब्रियो-लॉजी ऑव संजियो स्पर्मस्‌', जो मैकग्रॉहिल बुक कंपनी द्वारा 1950 ई0 में प्रकाशित हुई थी, अंतरराष्ट्रीय महत्व की है और उससे इनका यश देश देशांतर में फैल गया। ये 1934 ई0 में नैशनल इंस्टिट्यूट ऑव सायंसेज के सदस्य मनोनीत हुए। 1959 ई0 में इंडियन बोटैनिकल सोसायटी ने इन्हें बीरबल साहनी पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। माहेश्वरी ने विदेशों में भी काफी भ्रमण किया था और अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा ये आमंत्रित किए गए थे और वहाँ उन्होंने व्याख्यान दिए थे। मैकगिल विश्वविद्यालय ने इन्हें डी0 एस-सी0 की संमानित उपाधि से सम्मानित किया था। इलिवायस विश्वविद्यालय ने इन्हें विजटिंग प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर सम्मानित किया था। भारत के प्रतिनिधि के रूप में इन्होंने अनेक अंतराष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान के सम्मेलनों में भाग लिया था। भ्रूण विज्ञान और पादप क्रिया विज्ञान (Plant Physiology) के सम्मिश्रण से इन्होंने एक नई शाखा का विकास किया है, जिसमें फूलों के विभिन्न भागों को कृत्रिम पोषण द्वारा वृद्धि कराने की दिशा में इन्हें काफी सफलता मिली। टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना तथा टेस्ट ट्यूब कल्चर पर शोध निबंध प्रस्तुत करने पर 1965 ई0 में लंदन की रॉयल सोसायटी ने इन्हें फेलो (F.R.S) नियुक्त कर सम्मानित किया था। जर्मन सरकार के निमंत्रण पर 1961ई0 में ये पश्चिम जर्मनी गए और अनेक विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिया। इनके महत्व के शोध कार्य पौधों की आकारिकी तथा जिमनोस्पर्म के अध्ययन पर हैं। श्रेणी:वनस्पति वैज्ञानिक श्रेणी:भारतीय वैज्ञानिक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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पंजाब केसरी

पंजाब केसरी भारत का प्रमुख हिन्दी दैनिक समाचार पत्र है। यह भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के विभिन्न नगरों से प्रकाशित होता है। आतंकवाद के दौर में आतंक के खिलाफ आवाज उठाने वाले पंजाब केसरी अखबार के संस्‍थापक, सम्पादक लाला जगतनारायण को आतंकवादियों ने गोलियों से भून डाला था। इसके बाद उनके बेटे रमेशचन्द्र की भी आतंकियों ने हत्‍या कर दी थी। 'पंजाब केसरी' का प्रकाशन १९६४ में जालन्धर से हुआ। लाला जगतनारायण इस पत्र के संस्थापक थे। यह पंजाब के लोकप्रिय दैनिक पत्र है। `पंजाब केसरी' अपने रविवासरीय संस्करण के अतिरिक्त व्यंग्य विनोद संस्करण, कला संस्कृति संस्करण, कहानी संस्करण, महिला संस्करण तथा खिलाड़ी संस्करण भी प्रकाशित करता है। अर्थात् प्रतिदिन कोई न कोई संस्करण विशेष सामग्री लिए होता है। निर्भिकता के कारण लाला जगतनारायण और उनके पुत्र रमेश चन्द्र की आंतकवादियों ने हत्या कर दी.

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पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरूषोत्तम दास टंडन (१ अगस्त १८८२ - १ जुलाई, १९६२) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे। हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। हिन्दी को भारत की राजभाषा का स्थान दिलवाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया। १९५० में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें भारत के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया। वे जन सामान्य में राजर्षि (संधि विच्छेदः राजा+ऋषि.

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प्रतापसिंह बारहठ

प्रतापसिंह बारहठ (२४ मई १८९३ - २७ मई १९१८) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रांतिवीर थे। .

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रभु लाल भटनागर

प्रभुलाल भटनागर, (8 अगस्त, 1912 - 5 अक्टूबर, 1976) विश्वप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है।। इंडियन मैथ सोसायटी। ऑब्सोल्यूट एस्ट्रॉनोमी .

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प्रमाणसागर

मुनि प्रमाणसागर एक दिगम्बर साधु है। इन्होंने जैन दर्शन पर कई पुस्तकों का लेखन किया है। .

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प्रमोद करण सेठी

डॉक्टर प्रमोद करण सेठी (28 नवम्बर 1927 - 06 जनवरी 2008) दुनियाभर में मशहूर 'जयपुर पांव' के जनक थे। श्री रामचन्द्र शर्मा के साथ मिलकर उन्होने सन् १९६९ में 'जयपुर पांव' नामक सस्ता एवं लचीला कृत्रिम पैर का विकास किया। वे हड्डी रोग विशेषज्ञ और मैगसायसाय व पद्मश्री पुरस्कारों से सम्मानित थे। .

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प्रकाश परिमल

प्रकाश परिमल (जन्म- २८ नवम्बर १९३६, बीकानेर) एक हिन्दी-राजस्थानी लेखक, कला-समीक्षक, चित्रकार और अनुवादक हैं। इनके साहित्य, दर्शन, वैदिक-ज्ञान, कला विषयक कई ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। .

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प्रेरणा देशपांडे

प्रेरणा देशपांडे कथक नृत्य की एक मान्यता प्राप्त भारतीय प्रतिपादक है, जिन्होंने सात साल की उम्र से ही शरदनी गोले से कथक का अध्ययन शुरू कर दिया था। जब वह पंद्रह वर्ष की थी तब उन्होंने अपना पहला प्रदर्शन किया था। उसके बाद फिर उन्होंने बीस साल से अधिक समय तक लखनऊ और जयपुर घरानों के रोहिणी भाटे से गुरु-शिष्य परंपरा की परंपरा के तहत कथक का अध्ययन किया। वह अपनी सुंदर आंदोलनों और कथक के विभिन्न पहलुओं, जैसे अभ्यनया (अभिव्यक्ति) और लेआ (लय) पर कमांड के लिए निपुणता के लिए जानी जाती है। प्रेरणा देशपांडे ने अपनी औपचारिक शिक्षा पुणे विश्वविद्यालय (ललित कला केंद्र) से भारत के प्रदर्शन कला केंद्र में की थी और उन्होंने कथक में अपनी मास्टर की डिग्री पूरी की। उन्होंने गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की, और अपने इस औपचारिक गणितीय ज्ञान को उसके नृत्य पर लागू किया। प्रेरणा का विवाह विख्यात तबला कलाकार श्री सुप्रीत देशपांडे के साथ हुआ। उनकी एक बेटी ईश्वरी देशपांडे है, जो नृत्यितम में उनकी एक उन्नत छात्रा भी हैं। इश्वरी ने १९९९ के आसपास तीन वर्ष की उम्र में नृत्य करना शुरू किया,और वह कम से कम १२ वर्ष की उम्र से एक कथक नर्तक के रूप में नृत्य कर रही है। २००७ में उन्होंने कथक-ओडिसी सहयोग में प्रसिद्ध ओडिसी नर्तक सुजाता महापात्र के साथ मिलकर विश्व विरासत स्थल अजंता और एलोरा में कत्थक नृत्य को पेश किया। .

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प्रो कबड्डी लीग

प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) भारत में एक पेशेवर कबड्डी लीग, इंडियन प्रीमियर लीग टी -20 क्रिकेट टूर्नामेंट के प्रारूप पर आधारित है। यह प्रायोजन कारणों के लिए के रूप में स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी में जाना जाता है। टूर्नामेंट के पहले संस्करण में भारत के विभिन्न शहरों का प्रतिनिधित्व करने वाले आठ फ्रेंचाइजी के साथ 2014 में खेला गया था। यह वर्तमान में मशाल स्पोर्ट्स द्वारा प्रबंधित किया जाता है। .

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पैलेस ऑन व्हील्स

पैलेस ऑन व्हील्स भारत की एक विलासदायी रेलगाड़ी है। इसको भारतीय रेल द्वारा राजस्थान राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया गया था। इस रेल सेवा को अगस्त २००९ में नवीनीकृत कर पुनः लॉन्च किया गया था, जिसमें पहले से अलग नयी सजावट, यात्रा कार्यक्रम एवं भोजन सूची थी। वर्ष २०१० में इसे विश्व की सबसे विलासदायी रेलगाड़ियों की सूची में चौथा स्थान दिया गया था। .

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फ़र्स्ट इण्डिया न्यूज़

फ़र्स्ट इण्डिया न्यूज़ एक भारतीय ऑनलाइन समाचार चैनल है। इसका मुख्यालय जयपुर,राजस्थान में है। .

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बलत्कर गण

Bhattarakas के Balatkara गण. से "भारत और उसके देशी प्रधानों द्वारा" लुई Rousselet, चार्ल्स Randolph बकसुआ लंदन: चैपमैन और हॉल, 1875 Balatkara गण एक प्राचीन जैन मठवासी आदेश.

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बलाचौर

बलाचौर उत्तर भारत के पंजाब राज्य मे नवांशहर शहर की एक तहसील है। बला चौर दोआबा क्षेत्र के अंदर आता है और काफ़ी सारे गाँव इसके अंदर आते है। बला चौर में चौधरी रहमत अली (जिन्होने पाकिस्तान शब्द की पहली बार घोषणा की) का ज्न्म हुआ था। .

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बाणगंगा नदी

बाणगंगा भारत की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का पानी भरतपुर में घना पक्षी राष्ट्रीय उद्यान में भूमिगत होकर नम भूमि का निर्माण करता है। इसे 'अर्जुन की गंगा' भी कहा जाता है। .

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बानसूर

बानसूर (Bansuri) भारत के राजस्थान में अलवर जिले में एक शहर और तहसील है। बानसूर तहसील का मुख्यालय बानसूर शहर है। यह जयपुर डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय अलवर के 46 किलोमीटर पश्चिम और राज्य की राजधानी जयपुर से 117 किमी दक्षिण में स्थित है। बानसूर तहसील अहिरवाल सांस्कृतिक क्षेत्र का एक हिस्सा है। बानसूर तहसील को कोटपुटली तहसील ने पश्चिम में, उत्तर में बैहरोर तहसील, पूर्व में उमरेन तहसील और दक्षिण में अलवर तहसील का निर्माण किया है। अलवर, नीम का थाना, नारनौल, और बावल बानसूर के निकटतम शहर हैं। यह २८९ मीटर की ऊंचाई पर है। अलवर, सरिस्का, नारनौल, सैमोड (समोड बाग) और नूह आसपास के पर्यटन स्थल हैं। .

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बावड़ी

बावड़ी श्रेणी:सिंचाई श्रेणी:भारतीय वास्तुशास्त्र श्रेणी:भारत में जल प्रबंधन श्रेणी:भारतीय स्थापत्य कला श्रेणी:बावड़ी.

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बिड़ला मन्दिर, जयपुर

बिड़ला मंदिर का विशिष्ट दृश्य बिड़ला मन्दिर, जयपुर, जयपुर, भारत में स्थित एक लक्ष्मीनारायण मंदिर है और भारत में स्थित बिड़ला मन्दिरों में से एक है। .

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बिडोली सीकर

सीकर मुख्यालय से दक्षिण की ओर 21 किलोमीटर दूर स्थित हैं। बिडोली के पूर्व में 4 किलोमीटर जीनमाता जी का भव्य मंदिर स्थित हैं। .

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बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा (अंग्रेज़ी: Birla Institute of Technology Mesra; जो बीआईटी मेसरा या बीआईटी राँची के नाम से भी प्रसिद्ध है) झारखंड के राँची में स्थित भारत का अग्रणी स्वायत्त अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज़ा हासिल है। मुख्य परिसर के अतिरिक्त लालपुर (रांची), इलाहाबाद, कोलकाता, नोएडा, जयपुर, चेन्नई, पटना और देवघर में बीआईटी के भारतीय विस्तार पटल हैं। इनके अतिरिक्त बहरीन, मस्कट, संयुक्त अरब अमीरात और मॉरिशस में बीआईटी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र हैं। जून २००५ में एसी निलसन एवं इंडिया टुडे द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इसे देश के दस श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शुमार किया गया था। .

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बिसाऊ पैलेस होटल, जयपुर

बिसाऊ पैलेस होटल, जयपुर भारत के जयपुर में स्थित एक हेरिटेज होटल है। 19वीं सदी में निर्मित, यह महल रघुवीर सिंह जी, का था जो एक शाही सामंत थे। यह जयपुर के पुराने शहर चांद पोल (पुराने शहर के लिए एक प्रवेश द्वार) के दीवारों के बाहर स्थित है। .

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बिहारी (साहित्यकार)

बिहारीलाल या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे। .

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ब्रजनिधि

प्रतापसिंह 'ब्रजनिधि' (संवत् 1821-1860) जयपुरनरेश तथा हिन्दी कवि थे। 'ब्रजनिधि' उनका काव्यप्रयुक्त उपनाम है। प्रतापसिंह ब्रजनिधि ने भवननिर्माण में भी विशेष रुचि दिखाई। चंद्रमहल के कई विशाल भवन रिधसिधपोल, बड़ा दीवानखाना, गोविंद जी के पिछाड़ी का हौज, हवामहल, गोवर्धननाथ, ब्रजराजबिहारी, ठाकुर ब्रजनिधि तथा मदनमोहन जी के मंदिर आपके स्थापत्य कलाप्रेम के द्योतक हैं। प्रतापसिंह 14 वर्ष की अवस्था में सिंहासनारूढ़ हो गए थे। युद्धों में अत्यधिक व्यस्त एवं रोगों से ग्रस्त रहने पर भी इन्होंने अपने अल्प जीवन में लगभग 1400 वृत्तों का प्रणयन किया। लोकविश्रुत है कि महाराज परम भागवत थे। भक्ति-रस-तरंग अथवा मन की उमंग में वे जो पद, रेखते अथवा छंद रचते थे, उन्हें उसी दिन या अगले दिन अपने इष्टदेव गोविंददेव तथा ठाकुर ब्रजनिधि महाराज को समर्पित करते थे। कम से कम पाँच वृत्त नित्य भेंट करने का उनका नियम था। .

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ब्रजभाषा साहित्य

ब्रजभाषा विक्रम की १३वीं शताब्दी से लेकर २०वीं शताब्दी तक भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी। विभिन्न स्थानीय भाषाई समन्वय के साथ समस्त भारत में विस्तृत रूप से प्रयुक्त होने वाली हिन्दी का पूर्व रूप यह ‘ब्रजभाषा‘ अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है जिसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' के नाम से भी पुकार सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में हिन्दी-काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों, रीतिकालीन कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानन्द, बिहारी, इत्यादि। हिन्दी फिल्मों के गीतों में भी बृज के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया गया है। वस्तुतः उस काल में हिन्दी का अर्थ ही ब्रजभाषा से लिया जाता था | .

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बीदसर

सीकर जिले के नक्शे पर बीदसर। बीदसर राजस्थान में सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील का एक गाँव है। यह लक्ष्मणगढ़ के पूर्व में और नवलगढ़ से दूर पड़ता है। बीदसर के सीमावर्ती गाँव और कस्बे बिड़ोदी, बीदासर, मिर्जवास, डुण्डलोद और नवलगढ़ हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार बीदसर की जनसँख्या 1547 है। .

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भट्ट मथुरानाथ शास्त्री

कवि शिरोमणि भट्ट श्री मथुरानाथ शास्त्री कविशिरोमणि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री (23 मार्च 1889 - 4 जून 1964) बीसवीं सदी पूर्वार्द्ध के प्रख्यात संस्कृत कवि, मूर्धन्य विद्वान, संस्कृत सौन्दर्यशास्त्र के प्रतिपादक और युगपुरुष थे। उनका जन्म 23 मार्च 1889 (विक्रम संवत 1946 की आषाढ़ कृष्ण सप्तमी) को आंध्र के कृष्णयजुर्वेद की तैत्तरीय शाखा अनुयायी वेल्लनाडु ब्राह्मण विद्वानों के प्रसिद्ध देवर्षि परिवार में हुआ, जिन्हें सवाई जयसिंह द्वितीय ने ‘गुलाबी नगर’ जयपुर शहर की स्थापना के समय यहीं बसने के लिए आमंत्रित किया था। आपके पिता का नाम देवर्षि द्वारकानाथ, माता का नाम जानकी देवी, अग्रज का नाम देवर्षि रमानाथ शास्त्री और पितामह का नाम देवर्षि लक्ष्मीनाथ था। श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि, द्वारकानाथ भट्ट, जगदीश भट्ट, वासुदेव भट्ट, मण्डन भट्ट आदि प्रकाण्ड विद्वानों की इसी वंश परम्परा में भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने अपने विपुल साहित्य सर्जन की आभा से संस्कृत जगत् को प्रकाशमान किया। हिन्दी में जिस तरह भारतेन्दु हरिश्चंद्र युग, जयशंकर प्रसाद युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग हैं, आधुनिक संस्कृत साहित्य के विकास के भी तीन युग - अप्पा शास्त्री राशिवडेकर युग (1890-1930), भट्ट मथुरानाथ शास्त्री युग (1930-1960) और वेंकट राघवन युग (1960-1980) माने जाते हैं। उनके द्वारा प्रणीत साहित्य एवं रचनात्मक संस्कृत लेखन इतना विपुल है कि इसका समुचित आकलन भी नहीं हो पाया है। अनुमानतः यह एक लाख पृष्ठों से भी अधिक है। राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली जैसे कई संस्थानों द्वारा उनके ग्रंथों का पुनः प्रकाशन किया गया है तथा कई अनुपलब्ध ग्रंथों का पुनर्मुद्रण भी हुआ है। भट्ट मथुरानाथ शास्त्री का देहावसान 75 वर्ष की आयु में हृदयाघात के कारण 4 जून 1964 को जयपुर में हुआ। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची

भारत दक्षिण एशिया में एक देश है। भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार, वह सातवाँ सबसे बड़ा देश है, और १.२ अरब से अधिक लोगों के साथ, वह दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत में उनतीस राज्य और सात संघ राज्यक्षेत्र हैं। वह विश्व की जनसंख्या के १७.५ प्रतिशत का घर हैं। .

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची इस प्रकार से है। इसे राज्य, राजमार्ग संख्या, कुल लंबाई इत्यादि किसी भी क्रम से चुना व छांटा जा सकता है। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची

शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .

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भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची

इस लेख में भारत के सर्वोच्च सौ महानगरीय क्षेत्रों की सूची (२००८ अनुसार) है। इन सौ महानगरों की संयुक्त जनसंख्या राष्ट्र की कुल जनसंख्या का सातवां भाग बनाती है। .

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भारत में स्मार्ट नगर

भारत में स्मार्ट नगर की कल्पना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की है जिन्होंने देश के १०० नगरों को स्मार्ट नगरों के रूप में विकसित करने का संकल्प किया है। सरकार ने २७ अगस्त २०१५ को ९८ प्रस्तावित स्मार्ट नगरों की सूची जारी कर दी। .

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची

भारत तथा के संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची नीचे दी गयी है-.

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भारत का भूगोल

भारत का भूगोल या भारत का भौगोलिक स्वरूप से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के वितरण और इसके प्रतिरूप से है जो लगभग हर दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। दक्षिण एशिया के तीन प्रायद्वीपों में से मध्यवर्ती प्रायद्वीप पर स्थित यह देश अपने ३२,८७,२६३ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। साथ ही लगभग १.३ अरब जनसंख्या के साथ यह पूरे विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं। एक ओर इसके उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं। कर्क रेखा इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है। मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है। प्राकृतिक विविधता ने यहाँ की नृजातीय विविधता और जनसंख्या के असमान वितरण के साथ मिलकर इसे आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान की है। इन सबके बावजूद यहाँ की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक एकता इसे एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करती है। हिमालय द्वारा उत्तर में सुरक्षित और लगभग ७ हज़ार किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा के साथ हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर स्थित भारत का भू-राजनैतिक महत्व भी बहुत बढ़ जाता है और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है। .

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भारत के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर

* अमृतसर.

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भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ

भारत अनादि काल से संस्कृति, आस्था, आस्तिकता और धर्म का महादेश रहा है। इसके हर भाग और प्रान्त में विभिन्न देवी-देवताओं से सम्बद्ध कुछ ऐसे अनेकानेक प्राचीन और (अपेक्षाकृत नए) धार्मिक स्थान (तीर्थ) हैं, जिनकी यात्रा के प्रति एक आम भारतीय नागरिक पर्यटन और धर्म-अध्यात्म दोनों ही आकर्षणों से बंधा इन तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए सदैव से उत्सुक रहा है। .

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भारत के प्रवेशद्वार

प्रवेशद्वार:भारत के सभि राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश १. प्रवेशद्वार:अरुणाचल प्रदेश (इटानगर) २. प्रवेशद्वार:असम (दिसपुर) ३. प्रवेशद्वार:उत्तर प्रदेश (लखनऊ) ४. प्रवेशद्वार:उत्तरांचल (देहरादून) ५. प्रवेशद्वार:उड़ीसा (भुवनेश्वर) ६. प्रवेशद्वार:अंडमान और निकोबार द्वीप* (पोर्टब्लेयर) ७. प्रवेशद्वार:आंध्र प्रदेश (हैदराबाद) ८. प्रवेशद्वार:कर्नाटक (बंगलोर) ९. प्रवेशद्वार:केरल (तिरुवनंतपुरम) १०.

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भारत के महानगरों की सूची

भारत के महानगरों की सूची.

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भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की राजधानियाँ

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की राजधानियों की है। भारत में कुल 29 राज्य और 7 केन्द्र-शासित प्रदेश हैं। सभी राज्यों और दो केन्द्र-शासित प्रदेशों, दिल्ली और पौण्डिचेरी, में चुनी हुई सरकारें और विधानसभाएँ होती हैं, जो वॅस्टमिन्स्टर प्रतिमान पर आधारित हैं। अन्य पाँच केन्द्र-शासित प्रदेशों पर देश की केन्द्र सरकार का शासन होता है। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत राज्यों का निर्माण भाषाई आधार पर किया गया था, और तबसे यह व्यवस्था लगभग अपरिवर्तित रही है। प्रत्येक राज्य और केन्द्र-शासित प्रदेश प्रशासनिक इकाईयों में बँटा होता है। नीचे दी गई सूची में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की विभिन्न प्रकार की राजधानियाँ सूचीबद्ध हैं। प्रशासनिक राजधानी वह होती है जहाँ कार्यकारी सरकार के कार्यालय स्थित होते हैं, वैधानिक राजधानी वह है जहाँ से राज्य विधानसभा संचालित होती है, और न्यायपालिका राजधानी वह है जहाँ उस राज्य या राज्यक्षेत्र का उच्च न्यायालय स्थित होता है। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

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भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

कोई विवरण नहीं।

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भारत के हवाई अड्डे

यह सूची भारत के हवाई यातायात है। .

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भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय पुलिस सेवा

भारतीय पुलिस सेवा, जिसे आम बोलचाल में भारतीय पुलिस या आईपीएस, के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार के अखिल भारतीय सेवा के एक अंग के रूप में कार्य करता है, जिसके अन्य दो अंग भारतीय प्रशासनिक सेवा या आईएएस और भारतीय वन सेवा या आईएफएस हैं जो ब्रिटिश प्रशासन के अंतर्गत इंपीरियल पुलिस के नाम से जाना जाता था। .

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची

१९३८ के हरिपुरा सम्मेलन में (बाएं से दाएं) महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चन्द्र बोस और वल्लभ भाई पटेल। गले में फीता पहने बोस इस सम्मेलन के अध्यक्ष थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतंत्र भारत का प्रमुख राजनीतिक दल है और इस की स्थापना स्वतंत्रता से पूर्व १८८५ में हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष दल के चुने हुए प्रमुख होते है जो आम जनता के साथ दल के रिश्ते को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार होते है। .

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भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन १९३५ को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार हुई। बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धांत के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फिनांस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रंथ दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एंड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन १९३७ में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १९४९ से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ४ सितम्बर २०१६ को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। .

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

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भारतीय संगीत का इतिहास

पाँच गन्धर्व (चौथी-पाँचवीं शताब्दी, भारत के उत्तर-पश्चिम भाग से प्राप्त) प्रगैतिहासिक काल से ही भारत में संगीत कीसमृद्ध परम्परा रही है। गिने-चुने देशों में ही संगीत की इतनी पुरानी एवं इतनी समृद्ध परम्परा पायी जाती है। माना जाता है कि संगीत का प्रारम्भ सिंधु घाटी की सभ्यता के काल में हुआ हालांकि इस दावे के एकमात्र साक्ष्य हैं उस समय की एक नृत्य बाला की मुद्रा में कांस्य मूर्ति और नृत्य, नाटक और संगीत के देवता रूद्र अथवा शिव की पूजा का प्रचलन। सिंधु घाटी की सभ्यता के पतन के पश्चात् वैदिक संगीत की अवस्था का प्रारम्भ हुआ जिसमें संगीत की शैली में भजनों और मंत्रों के उच्चारण से ईश्वर की पूजा और अर्चना की जाती थी। इसके अतिरिक्त दो भारतीय महाकाव्यों - रामायण और महाभारत की रचना में संगीत का मुख्य प्रभाव रहा। भारत में सांस्कृतिक काल से लेकर आधुनिक युग तक आते-आते संगीत की शैली और पद्धति में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है। भारतीय संगीत के इतिहास के महान संगीतकारों जैसे कि स्वामी हरिदास, तानसेन, अमीर खुसरो आदि ने भारतीय संगीत की उन्नति में बहुत योगदान किया है जिसकी कीर्ति को पंडित रवि शंकर, भीमसेन गुरूराज जोशी, पंडित जसराज, प्रभा अत्रे, सुल्तान खान आदि जैसे संगीत प्रेमियों ने आज के युग में भी कायम रखा हुआ है। भारतीय संगीत में यह माना गया है कि संगीत के आदि प्रेरक शिव और सरस्वती है। इसका तात्पर्य यही जान पड़ता है कि मानव इतनी उच्च कला को बिना किसी दैवी प्रेरणा के, केवल अपने बल पर, विकसित नहीं कर सकता। .

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भारतीय ज्योतिषी

भारतीय ज्योतिषी से अभिप्राय उन ग्रंथकारों से है जिन्होंने अपने ग्रंथ, भारत में विकसित ज्योतिष प्रणाली के आधार पर लिखे। प्राचीन काल के ज्योतिषगणना संबंधी कुछ ग्रंथ ऐसे हैं, जिनके लेखकों ने अपने नाम नहीं दिए हैं। ऐसे ग्रंथ हैं वेदांग ज्योतिष (काल ई पू 1200); पंचसिद्धांतिका में वर्णित पाँच ज्योतिष सिद्धांत ग्रंथ। कुछ ऐसे भी ज्योतिष ग्रंथकार हुए हैं जिनके वाक्य अर्वाचीन ग्रंथों में उद्धृत हैं, किंतु उनके ग्रंथ नहीं मिलते। उनमें मुख्य हैं नारद, गर्ग, पराशर, लाट, विजयानंदि, श्रीषेण, विष्णुचंद आदि। अलबेरूनी के लेख के आधार पर लाट ने मूल सूर्यसिद्धांत के आधार पर इसी नाम के एक ग्रंथ की रचना की है। श्रीषेण के मूल वसिष्ठ सिद्धांत के आधार पर वसिष्ठ-सिद्धांत लिखा। ये सब ज्योतिषी ब्रह्मगुप्त (शक संवत् 520) से पूर्व हुए है। श्रीषेण आर्यभट के बाद तथा ब्रह्मगुप्त से पूर्व हुए हैं। प्रसिद्ध ज्योतिषियों का परिचय निम्नलिखित है:;आर्यभट प्रथम;वराहमिहिर;ब्रह्मगुप्त;मनु रचनाकाल: शक संवत् 800 के लगभग, ग्रंथ: बृहन्मानसकरण।;विटेश्वर रचनाकाल: शंक संवत् 821, ग्रंथ: करणसार।;बटेश्वर इन्होंने सिद्धांत बटेश्वर लिखा है, जिसे हाल ही में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑव ऐस्ट्रोनॉमिकल ऐंड संस्कृत रिसर्च, नई दिल्ली, ने छपाया है। अलबेरुनी के पास इस ग्रंथ का एक अरबी अनुवाद था और उसने इसकी बहुत प्रंशसा की है। इसकी ज्याप्रणाली अन्य सिद्धांतों की ज्याप्रणाली से सूक्ष्म है। कुछ विद्वानों के अनुसार वित्तेश्वर और बटेश्वर एक ही व्यक्ति थे।;मुंजाल इनका रचनाकाल शक संवत् 854 है। इनका उपलब्ध ग्रंथ लघुमानसकरण है। इन्होंने अयनगति 1 कला मानी है। अयनगति के प्रसंग में भास्कराचार्य ने इनका नाम लिया है। मुनीश्वर ने मरीचि में अयनगति विषयक इनके कुछ श्लोक उद्धृत किए हैं, जो लघुमानस के नहीं हैं। इससे पता चलता है कि मुंजाल का एक और मानस नामक ग्रंथ था, जो उपलब्घ नहीं है।;आर्यभट द्वितीय;चतुर्वेद पृथूदक स्वामी, रचनाकाल: 850-900 शक संवत् के भीतर। ग्रंथ: ब्रह्मस्फुटसिद्धांत की टीका।;विजयनंदि रचनाकाल: शक सं 888। ग्रंथ: करणतिलक।;श्रीपति इनका रचनाकाल शक सं 961 हैं। इन्होंने सिद्धांतशेखर तथा धीकोटिदकरण नामक गणित ज्योतिष विषयक और रत्नमाला नामक मुहूर्त्त विषयक ग्रंथ लिखा है। सुधाकर द्विवेदी के अनुसार इनका रत्नसार नामक एक अन्य मुहूर्त ग्रंथ भी है। इनकी विशेषता यह है कि इन्होंने ज्याखंडों के बिना केवल चाप के अंशों से ज्यासाधन किया है। ये नागदेव के पुत्र थे।;वरुण रचनाकाल: शक सं 962। ग्रंथ: खंडखाद्य टीका।;भोजराज इनका रचनाकाल शक सं 964 है। इनका ग्रंथ राजमृगांक है। इसमें इन्होंने ब्रह्मगुप्त के सिद्धांत के लिये बीजसंस्कारों को निकाला है।;दशबल इनका रचनाकाल शक सं 980 है। इसका ग्रंथ करणकमलमार्तंड है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें सारणियाँ दी गई हैं, जिनसे ग्रहों की गणना सुगम हो जाती है।;ब्रह्मदेव गणक इनके पिता का नाम चंद्र था। ये मथुरा के रहनेवाले थे। इनका रचनाकाल शक सं 1014 है। इन्होंने करणप्रकाश नामक ग्रंथ लिखा है। इन्होंने आर्यभटीयम् की गतियों में लल्ल के बीजसंस्कार करके उसे ग्रहण किया है। इनका शून्यायनांश वर्ष शक सं 445 है। इन्होंने अयनगति 1 कला मानी है1;शतानंद जगन्नाथपुरी निवासी शतानंद का रचनाकाल शक सं 1021 है। इनका प्रसिद्ध ग्रंथ भास्वतीकरण है। इनका शून्यायनांश वर्ष 450 तथा अयनगति 1 कला है। इन्होंने अहर्गण का साधन स्पष्ट मेष से किया है। इनकी विशेषता यह है कि इन्होंने ग्रहगतियों को शतांश अथवा प्रति शत में रखा है, जिससे गणित करने में सरलता हो जाती है। यह पद्धति आधुनिक दशमलव प्रणाली जैसी है1;महेश्वर प्रसिद्ध गणित ज्योतिषी भास्कराचार्य के पिता तथा गुरु, महेश्वर, का जन्मकाल शक सं 1000 के लगभग है। शेखर इनका गणितज्योतिष का ग्रंथ है। इनके अन्य ग्रंथ हैं। लघुजातकटीका, वृत्तशत, प्रतिष्ठाविधिदीपक।;सोमेश्वर तृतीय इनके अन्य नाम हैं भूलोक मल्ल और सर्वज्ञभूपाल। ये चालुक्य वंश के राजा थे। इन्होंने शक सं 1051 में अभिलाषितार्थचिंतामणि नामक ग्रंथ लिखा।;भास्कराचार्य;वाविलालकोच्चन्ना रचनाकाल: शक संवत् 1220। इन्होंने सूर्यसिद्धांत के आधार पर एक करणग्रंथ लिखा है।;महादेव प्रथम ये गुजराती ब्राह्मण थे। शक संवत् 1238 में इन्होंने चक्रेश्वर नामक ज्योतिषी द्वारा आरंभ किए हुए, ग्रहसिद्धि नामक सारणीग्रंथ को पूर्ण किया।;महादेव तृतीय ये त्र्यंबक की राजसभा के पंडित, बोपदेव, के पुत्र थे। इन्होंने शक संवत् 1289 में कामधेनुकरण नामक ग्रंथ लिखा।;नार्मद रचनाकाल: शक संवत् 1300। रचना: सूर्यसिद्धांत टीका।;पद्नाभ रचनाकाल: शक संवत् 1320। रचना: यंत्ररत्नावली, जिसके द्वितीय अध्याय में प्रसिद्ध ध्रुवमय यंत्र है।;लल्ल पं सुधाकर द्विवेदी ने इनका रचनाकाल शक संवत् 421 तथा केर्न ने शक संवत् 420 माना है, किंतु बालशंकर दीक्षित के अनुसार इनका काल लगभग शक संवत् 560 है। इन्होंने आर्यभटीय के आधार पर अपना शिष्यधीवृद्धिदतंत्र नामक ग्रहगणित का ग्रंथ लिखा है। प्रत्यक्ष वेध द्वारा इन्होंने कुछ बीज संस्कारों का वर्णन किया है। भास्कराचार्य ने सिद्धांतशिरोमणि में कई स्थानों पर इनके गणनासूत्रों की अशुद्धियाँ दिखलाई हैं।;दामोदर रचनाकाल: शक सं 1339, ग्रंथ: भट्टतुल्य। इसकी ग्रहगणना आर्यभट सरीखी है।;गंगाधर रचनाकाल: शक सं 1356। ग्रंथ: चंद्रमान।;मकरंद रचनाकाल: शक सं 1400। इन्होंने सूर्यसिद्धांत के अनुसार सारणियाँ बनाईं, जो बहुत प्रसिद्ध है। आज भी बहुत से पंचांग इनके आधार पर बनते हैं।;केशव प्रसिद्ध ग्रहलाघवाकार गणेश के पिता केशव का रचनाकाल 1418 ई सं के लगभग है। इन्होंने करणग्रंथ ग्रहकौतुक लिखा। ये बहुत निपुण वेधकर्त्ता थे। इन्होंने अपने ग्रंथ में प्रत्यक्ष वेध द्वारा अन्य सिद्धांतकारों के ग्रहगणित की अशुद्धियों का निर्देश किया है।;गणेश केशव के पुत्र गणेश का जन्मकाल 1420 शक सं के लगभग है। इनके ग्रंथ हैं ग्रहलाघव, लघुतिथि चिंतामणि, बृहत्तिथिचिंतामणि, सिद्धांतशिरोमणि टीका, लीलावती टीका, विवाहवृंदावन टीका, मुहूर्तत्व टीका, श्राद्धनिर्णय, छंदोर्णव, टीका, तर्जनीयंत्र, कृष्णाष्टमीनिर्णय, होलिकानिर्णय, लघुपाय पात आदि। इनकी कीर्ति का मुख्य स्तंभ है ग्रहलाघवकरण। सिद्धांतग्रंथों में वर्ण्य प्राय: सभी विषय इसमें हैं। इसकी विशेषता यह है कि इसमें ज्या चाप की गणना के बिना ही सब गणना की गई है और यह अत्यंत शुद्ध है। ये बहुत अच्छे वेधकर्ता थे। इन्होंने अपने पिता के वेधों से भी लाभ उठाया। इसीलिये इन्होंने एक ऐसी गणनाप्रणाली निकाली जो अति सरल होते हुए भी बहुत शुद्ध थी। इनके ग्रंथ के आधार पर भारत में बहुत से पंचांग बनते हैं। ग्रहलाघव की अनेक टीकाएँ हो चुकी हैं।;लक्ष्मीदास रचनाकाल: शक सं 1422, रचना: सिद्धांतशिरोमणि के गणिताध्याय तथा गोलाध्याय की उदाहरण सहित टीका।;ज्ञानराज इनका रचनाकाल शक सं 1425 है। इनका ग्रंथ सुंदरसिद्धांत है। इसके दो मुख्य भाग हैं: गणिताध्याय तथा गोलाध्याय। ग्रहगणित के लिये इन्होंने करणग्रंथों की तरह क्षेपक तथा वर्षगतियाँ भी दी हैं। कहीं कहीं पर इनकी उपपत्तियाँ भास्करसिद्धांत से विशिष्ट हैं। इन्होंने यंत्रमालाधिकार में एक नवीन यंत्र बनाया है।;सूर्य इनका जनम शक सं 1430 है। ये ज्ञानराज के पुत्र थे। इन्होंने गणित ज्योतिष के सूर्यप्रकाश, लीलावती टीका, बीज टीका, श्रीपतिपद्धतिगणित, बीजगणित, नामक ग्रंथों की रचना की है। कोलब्रुक के अनुसार इन्होंने सिद्धांतशिरोमणि टीका तथा गणितमालती ग्रंथ भी बनाए हैं। इनका एक और ग्रंथ है सिद्धांतसंहितासार समुच्चय।;अनंत प्रथम रचनाकाल: शक सं 1447। रचना: अनंतसुधारस नामक सारणीग्रंथ।;ढुंढिराज रचनाकाल: शक सं 1447 के लगभग, रचना: अनुंबसुधारस की सुधारस-चषक-टीका, ग्रहलाघवोदाहरण, ग्रहफलोपपत्ति; पंचांगफल, कुंडकल्पलता तथा प्रसिद्ध फलितग्रंथ जातकाभरण।;नृसिंह प्रथम ये गणेश के भाई, राम, के पुत्र थे। रचना मध्यग्रहसिद्धि (शक सं 1400) तथा ग्रहकौमुदी।;अनंत द्वितीय मुहूर्तचिंतामणि के निर्माता राम तथा ताजिक नीलकंठी के निर्माता, नीलकंठ के पिता अनंत, का रचनाकाल शक सं 1480 है। इन्होंने कामधेनु की टीका तथा जातकपद्धति की रचना की।;नीलकंठ रचनाकाल: शक सं 509, ग्रंथ: तोडरानंद तथा ताजिकनीलकंठी। गणकतरंगिणी के अनुसार इन्होंने जातकपद्धति भी लिखी थी। आफ्रेच सूची के अनुसार इनके अन्य ग्रंथ हैं: तिथिरतनमाला, प्रश्नकौमुदी अथवा ज्योतिषकौमुदी, दैवज्ञवल्लभा, जैमिनीसूत्र की सूबोधिनी टीका। ग्रहलाघव टीका, ग्रहौतक टीका, मकरंद टीका तथा एक मुहूर्तग्रंथ की टीका।;रघुनाथ प्रथम काल: शक सं 1484, रचना: सुबोधमंजरी।;रघुनाथ द्वितीय काल: शक सं 1487, रचना: मणिप्रदीप।;कृपाराम काल: शक सं 1420 के पश्चात्, रचनाएँ: बीजगणित, मकरंद तथा यंत्रचिंतामणि की उदाहरणस्वरूप टीकाएँ। इन्होंने सर्वार्थचिंतामणि, पंचपक्षी तथा मुहूर्ततत्व की टीकाएँ भी की हैं।;दिनकर काल: शक सं 1500, ग्रंथ: खेटकसिद्धि तथा चंद्रार्की।;गंगाधर काल: शक सं 1508, ग्रंथ: ग्रहलाघव की मनोरमा टीका।;रामभट काल: शक सं 1512, ग्रंथ: रामविनोदकरण।;श्रीनाथ काल: शक सं 1512, ग्रंथ: ग्रहचिंतामणि।;विष्णु काल: शक सं 1530, ग्रंथ: एक करणग्रंथ।;मल्लारि काल: शक सं 1524, ग्रंथ: ग्रहलाघव की उपपत्तिसहित टीका।;विश्वनाथ काल: शक सं 1534-1556। ये प्रसिद्ध सोदाहरण टीकाकार हैं। इन्होंने सूर्यसिद्धांत शिरोमणि, करणकुतूहल, मकरंद, केशबीजातक पद्धति, सोमसिद्धांत, तिथिचिंतामणि, चंद्रमानतंत्र, बृहज्जातक, श्रीपतिपद्धति वसिष्ठसंहिता तथा बृहत्संहिता पर टीकाएँ की हैं।;नृसिंह द्वितीय जन्म: शक सं 1508, ग्रंथ: सूर्यसिद्धांत की सौरभाष्य तथा सिद्धांतशिरोमणि की वासनाभाष्य टीकाएँ।;शिव जन्म: शक सं 1510, ग्रंथ: अनंतसुधारस टीका।;कृष्ण प्रथम रचना: शक सं 1500-1530, ग्रंथ: भास्कराचार्य के बीजगणित की बीजनवांकुद तथा जातकपद्धति की टीकाएँ, तथा छादकनिर्णय।;रंगनाथ प्रथम रचना: शक सं 1525, ग्रंथ: सूर्यसिद्धांत की गूढ़ार्थप्रकाशिका टीका।;नागेश रचनाकाल: शक सं-1541, ग्रंथ: करणग्रंथ, तथा ग्रहप्रबोध।;मुनीश्वर ये गूढ़ार्थप्रकाशिकाकार रंगनाथ के पुत्र थे। इनका जन्मकाल श सं 1525 है। इन्होंने सिद्धांतसार्वभौम ग्रंथ लिखा तथा लीलावती पर निसृष्टार्थदूती और सिद्धांतशिरोमणि की मरीचि टीका की। कुछ विद्वान् पाटीसार भी इनका लिखा मानते हैं।;दिवाकर जन्मकाल: शक सं 1528 है, रचना: मकरंद की मकरंदविवृत्ति टीका।;कमलाकर भट्ट जन्म: शक सं 1530 के लगभग। इन्होंने काशी में शक सं 1580 के लगभग सिद्धांततत्वविवेक बनाया। यह आधुनिक सूर्यसिद्धांत के आधार पर लिखा गया है। इसमें बहुत सी गणित संबंधी नवीन रीतियाँ है। तुरीय यंत्र का विस्तृत वर्णन तथा ध्रुवतारा की स्थिरता का वर्णन इनकी नूतनता है। इन्होंने मुनीश्वर तथा भास्कराचार्य का कई स्थलों पर खंडन किया है, जो कुछ स्थलों पर इनके निजी अज्ञान का द्योतक है। ये संक्षिप्त न लिखकर बहुत विस्तार से लिखते हैं। इनके 13 अध्यायों के ग्रंथ में 3,024 श्लोक हैं।;रंगनाथ द्वितीय जन्म: शक सं 1534 के लगभग, ग्रंथ: सिद्धांतशिरोमणि की मितभाषिणी टीका तथा सिद्धांतचूड़ामणि।;नित्यानंद रचनाकाल: शक सं 1561। इन्होंने सायन मानों से सर्वसिद्धांतराज ग्रंथ लिखा है। इसमें वर्तमान 365.14.33.7 40448 दिनादि है, जो वास्तव काल के निकटतर है। इनके दिए हुए भगणों से यह स्पष्ट है कि ये कुशल वेधकर्ता थे।;कृष्ण द्वितीय इन्होंने शक सं 1575 में करणकौस्तुभ लिखा1;रत्नकंठ इन्होंने शक सं 1580 में पंचांगकौस्तुभ नामक सारणीग्रंथ लिखा।;विद्दन शक सं 1626 से कुछ पूर्व, इन्होंने वार्षिकतंत्र लिखा। इनका अन्य ग्रंथ ग्रहणमुकुर है।;जटाधर इन्होंने शक सं 1626 में फत्तेशाह प्रकाश नामक करणग्रंथ लिखा।;दादाभट इन्होंने शक सं 1641 में सूर्यसिद्धांत की करणावलि टीका लिखी1;नारायण रचना: शक सं 1661। इन्होंने होरासारसुधानिधि, नरजातकव्याख्या, गणकप्रिया, स्वरसार तथा ताजकसुधानिधि लिखे।;जयसिंह राजा जयसिंह शंक सं 1615 में राजसिंहासन पर बैठे थे। इन्होंने हिंदू, मुसलमान तथा यूरोपीय ज्योतिष ग्रंथों का अध्ययन किया और देखा कि उनसे स्पष्ट ग्रह तथा दृश्य ग्रहों में अंतर है। इसलिये इन्होंने जयपुर, दिल्ली, मथुरा, उज्जैन तथा काशी में पक्की वेधशालाएँ बनवाईं जो अब भी इनके कीर्तिस्तंभ की तरह विद्यमान हैं। आठ साल तक वेध करवाकर इन्होंने अरबी का जिजमुहम्मद तथा संस्कृत में सम्राट् सिद्धांत नामक ग्रंथ बनवाए। सिद्धांत सम्राट् इन्होंने जगन्नाथ पंडित से शक सं 1653 में बनवाया। इनके ग्रंथ से ग्रह अतिसूक्ष्म आते हैं।;शंकर इन्होंने शक सं 1688 में वैष्णवकरण लिखा।;मणिराम इन्होंने शक सं 1696 में ग्रहगणित चिंतामणि लिखी।;भुला इन्होंने शक सं 1703 में ब्रह्मसिद्धांतसार लिखा।;मथुरानाथ इन्होंने शक सं 1704 में यंत्रराजघटना लिखा।;चिंतामणिदीक्षित शक सं 1658-1733। इन्होंने सूर्यसिद्धांतसारणी तथा गोलानंद नामक वेधग्रंथ लिखा।;शिव इन्होंने शक सं 1737 में तिथिपारिजात लिखा।;दिनकर इन्होंने शक सं 1734 से 1761 के बीच ग्रहविज्ञानसारणी, मासप्रवेशसारणी, लग्नसारणी, क्रांतिसारणी आदि ग्रंथ लिखे।;बापूदेव शास्त्री काशी के संस्कृत कालेज के ज्योतिष के मुख्य अध्यापक थे। बापूदेव शास्त्री (नृसिंह) का जन्म शक सं 1743 में हुआ। ये प्रयाग तथा कलकत्ता विश्वविद्यालयों के परिषद तथा आयरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन की रॉयल के सम्मानित सदस्य थे। इन्हें महामहोपाध्याय की उपाधि मिली थी। इनके ग्रंथ हैं: रेखागणित प्रथमाध्याय, त्रिकोणमिति, प्राचीन ज्योतिषाचार्याशयवर्णन, सायनवाद, तत्वविवेकपरीक्षा, मानमंदिरस्थ यंत्रवर्णन, अंकगणित, बीजगणित। इन्होंने सिद्धांतशिरोमणि का संपादन तथा सूर्यसिद्धांत का अंग्रेजी में अनुवाद किया। इनका दृक्सिद्ध पंचांग आज भी वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित होता है।;नीलांबर शर्मा इनका गोलप्रकाश शक सं 1793 में प्रकाशित हुआ।;विनायक अथवा केरो लक्ष्मण छत्रे इन्होंने पाश्चात्य ज्योतिष के आधार पर ग्रहसाधनकोष्ठक शक सं 1772 में लिखा। इनका अन्य ग्रंथ चिंतामणि हैं।;चिंतामणि रघुनाथ आचार्य जन्म: शक सं 1750। इन्होंने तमिल में ज्योतिषचिंतामणि लिखा।;कृष्ण शास्त्री गाडबोले जन्म: शक सं 1753। इन्होंने वामनकृष्ण जोशी गद्रे के साथ ग्रहलाघव का मराठी अनुवाद, ज्योतिषशास्त्र तथा पंचांगसाधनसार छपाया तथा "मासानां मार्गशीर्षोहं" लेख द्वारा यह सिद्ध किया कि वेद शकपूर्व 30 हजार वर्ष से प्राचीन हैं1;वेंकटेश बापूजी केतकर इन्होंने शक सं 1812 में पाश्चात्य ज्योतिष के आधार पर "ज्योतिर्गणित" लिखा, जिससे ग्रहगणना बहुत सूक्ष्म होती है।;सुधाकर द्विवेदी इनका जन्मकाल शक सं 1782 है। ये काशी के संस्कृत कालेज के ज्योतिष के प्रधान पंडित तथा अपने समय के अति प्रसिद्ध विद्वान् थे। इन्हें महामहोपाध्याय की उपाधि प्राप्त थी। इनके ग्रंथ हैं: दीर्घवृत्तलक्षण, विचित्र प्रश्न सभंग, द्युचरचार, वास्ववचंद्रश्रृंगोन्नति, पिंडप्रभाकर, भाभ्रम रेखानिरूपण, धराभ्रम, ग्रहणकरण, गोलीयरेखागणित, रेखागणित के एकादश द्वादश अध्याय तथा गणकतरंगिणी। इन्होंने सूर्यसिद्धांत, ग्रहलाघव आदि ग्रंथों की टीकाएँ तथा बहुत से ग्रंथों का संपादन भी किया।; शंकर बालकृष्ण दीक्षित जन्मकाल सं 1775 है। इन्होंने विद्यार्थीबुद्धिवर्द्धिनी, सृष्टिचमत्कार,

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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। .

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भारतीय क्रिकेट टीम

भारतीय क्रिकेट टीम भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा संचालित भारतीय क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की पूर्णकालिक सदस्य है। भारतीय टीम दो बार क्रिकेट विश्वकप (१९८३ और २०११) अपने नाम कर चुकी है। वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री हैं। .

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भिलाला

भिलाला (दरबार/ठाकुर) जाति मूल रूप से मिश्रित राजपूत और भील क्षत्रिय जाति है जो के राजपूत योद्धाओं के भील सरदारों/शासक/जमींदारों की कन्याओं से विवाह से उत्पन्न हुई| ये मुख्य रूप से मालवा, मेवाड और निमाड़ में रहते है| इन्हें दरबार/ठाकुर कहा जाता है और इनके रिति रिवाज और पोशाक राजपूती है और अधिकांश लोगो की रीति रिवाज पुराने ही हैं। सभी भीलाला हिन्दू हैं | .

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भैरोंसिंह शेखावत

भैरोंसिंह शेखावत (२३ अक्टूबर १९२३ - १५ मई २०१०) भारत के उपराष्ट्रपति थे। वे १९ अगस्त २००२ से २१ जुलाई २००७ तक इस पद पर रहे। वे १९७७ से १९८०, १९९० से १९९२ और १९९३ से १९९८ तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। भैरोंसिंह शेखावत का जन्म तत्कालिक जयपुर रियासत के गाँव खाचरियावास में हुआ था। यह गाँव अब राजस्थान के सीकर जिले में है। इनके पिता का नाम श्री देवी सिंह शेखावत और माता का नाम श्रीमती बन्ने कँवर था। गाँव की पाठशाला में अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया। हाई-स्कूल की शिक्षा गाँव से तीस किलोमीटर दूर जोबनेर से प्राप्त की, जहाँ पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था। हाई स्कूल करने के पश्चात जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया ही था कि पिता का देहांत हो गया और परिवार के आठ प्राणियों का भरण-पोषण का भार किशोर कंधों पर आ पड़ा, फलस्वरूप हल हाथ में उठाना पड़ा। बाद में पुलिस की नौकरी भी की; पर उसमें मन नहीं रमा और त्यागपत्र देकर वापस खेती करने लगे। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात लोकतंत्र की स्थापना में आम नागरिक के लिए उन्नति के द्वार खोल दिए। राजस्थान में वर्ष १९५२ में विधानसभा की स्थापना हुई तो शेखावत ने भी भाग्य आजमाया और विधायक बन गए। फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा तथा सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते हुए विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति पद तक पहुँच गए। .

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भूमिगत रेल

भूमि की सतह के नीचे सुरंग बनाकर उसके अन्दर रेल की पटरी बिछाकर जो रेलगाड़ी चलायी जाती है उसे भूमिगत रेल कहते हैं। इन्हें मेट्रो रेल, मेट्रो, सब-वे अथवा त्वरित रेल (रैपिड रेल) भी कहा जाता है। .

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भीनमाल

भीनमाल (English:Bhinmal) राजस्थान राज्य के जालौर जिलान्तर्गत भारत का एक ऐतिहसिक शहर है। यहाँ से आशापुरी माताजी तीर्थ स्थल मोदरान स्टेशन भीनमाल के पास स्थित है जिसकी यहां से दूरी 28 किलोमीटर है। शहर प्राचीनकाल में 'श्रीमाल' नगर के नाम से जाना जाता था। "श्रीमाल पुराण" व हिंदू मान्यताओ के अनुसार विष्णु भार्या महालक्ष्मी द्वारा इस नगर को बसाया गया था। इस प्रचलित जनश्रुति के कारण इसे 'श्री' का नगर अर्थात 'श्रीमाल' नगर कहा गया। प्राचीनकाल में गुजरात राज्य की राजधानी रहा भीनमाल संस्कृत साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान महाकवि माघ एवँ खगोलविज्ञानी व गणीतज्ञ ब्रह्मगुप्त की जन्मभूमि है। यह शहर जैन धर्म का विख्यात तीर्थ है। .

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मणिपाल विश्वविद्यालय

मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी भारत का एक समविश्वविद्यालय है। यह 'मणिपाल विश्वविद्यालय' के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। यह कर्नाटक के मणिपाल में स्थित है। इसमें ५४ देशों के लगभग २६००० विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस विश्वविद्यालय की शाखाएँ बंगलुरु, मंगलोर सिक्किम, जयपुर, दुबई, मलेशिया तथा एण्टीगुआ में हैं। यह कॉमनवेल्थ विश्वविद्यालय संघ का एक सदस्य है। श्रेणी:भारत के विश्वविद्यालय.

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मण्डोलिया

मंढोलिया अथवा मण्डोलिया अथवा मण्डोल्या एक जाट गोत्र है। इस गोत्र के लोग राजस्थान के जयपुर और टोंक जिलों में निवास करते हैं। .

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मत्स्य राज

मत्स्य, छठी शताब्दी ई०पू० में उदित 16 में से एक था। सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह महाजनपद राजतंत्रात्मक था। वर्तमान राजस्थान के अलवर, भरतपुर और जयपुर इसके अंतर्गत आते थे। इसकी राजधानी बैठान अथवा विराटनगर थी जो वर्तमान राजस्थान के जयपुर जिले का एक शहर है। श्रेणी:महाजनपद.

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मधुसूदन ओझा

पण्डित मधुसूदन ओझा (1866-1939) संस्कृत के विद्वान एवं लगभग दो सौ पुस्तकों के रचयिता थे। वे जयपुर के महाराजा कॉलेज में संस्कृत के अध्यक्ष थे। .

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मनोहरथाना

मनोहरथाना राजस्थान के दक्षिण पूर्व में स्थित झालावाड जिले का एक कस्बा है। यह राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा से कुछ ही दुरी पर स्थित है और कस्बे से मध्यप्रदेश सीमा करीब १२ किलोमीटर है। मनोहर थाना ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिती है, तहसील मनोहर थाना लगती है। यह ग्राम तीन और से नदियों से घिरा हुआ है। दो तरफ़ से इसे मध्य प्रदेश से आने वाली घोडापछाड नदी (यहाँ इसे कालीखाड नदी भी कहते हैं) घेरती है एवं एक और से परवन नदी। गांव के बाहर ही कालीखाड परवन नदी में मिलती है, जिसे संगम स्थल कहा जाता है। गांव के चारों तरफ़ परकोटा है जिसे प्राचीन काल में मनोहर भील नामक राजा ने बनवाया था। किले में आज भी राजाओं के समय के खण्डर हुए कक्ष, स्नानागार आदि देखे जा सकते हैं। कुछ वर्ष पहले तक आसपास घने वन भी हुआ करते थे लेकिन अब सब काटे जा चुके हैं। यह कस्बा आस पास के करीब ५० गाँवों के लिये व्यापार का केन्द्र है। कृषि उपज मंडी भी है जहाँ काश्तकार अपनी फसल बेचने आते हैं। .

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मनोज राजोरिया

डॉ.

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मरियम उज़-ज़मानी

मरियम उज़-ज़मानी बेगम साहिबा (नस्तालीक़:; जन्म 1 अक्टूबर 1542, दीगर नाम: रुकमावती साहिबा,राजकुमारी हिराकुँवारी और हरखाबाई) एक राजपूत शहज़ादी थीं जो मुग़ल बादशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर से शादी के बाद मलिका हिन्दुस्तान बनीं। वे जयपुर की राजपूत आमेर रियासत के राजा भारमल की सब से बड़ी बेटी थीं। उनके गर्भ से सल्तनत के वलीअहद और अगले बादशाह नूरुद्दीन जहाँगीर पैदा हुए। .

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मल्लिकार्जुन बी मंसूर

मल्लिकार्जुन भीमारयप्पा मंसूर (कन्नड़:ಮಲ್ಲಿಕಾರ್ಜುನ ಮನ್ಸೂರ್) (१९१०-१९९२) हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में जयपुर-अतरौली घराने के खयाल शैली के गायक थे। इनको भारत सरकार द्वारा सन १९७६ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक से हैं। .

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मलूकदास

मलूकदास (संo १६३१ की वैशाख बदी ५ - सं. १७३९ वैशाख बदी १४) एक सन्त कवि थे। उनका जन्म, संo १६३१ की वैशाख बदी ५ को, कड़ा (जिo इलाहाबाद) के कक्कड़ खत्री सुंदरदास के घर हुआ था। इनका पूर्वनाम 'मल्लु' था और इनके तीन भाइयों के नाम क्रमश: हरिश्चंद्र, शृंगार तथा रामचंद्र थे। इनकी 'परिचई' के लेखक तथा इनके भांजे एवं शिष्य मथुरादास के अनुसार इनके पितामह जहरमल थे और इनके प्रपितामह का नाम वेणीराम था। उनका कहना है कि मल्लू अपने बचपन से ही अत्यंत उदार एवं कोमल हृदय के थे तथा इनमें भक्तों के लक्षण पाए जाने लगे थे। यह बात इनके माता पिता पसंद नहीं करते थे और जीविकोपार्जन की ओर प्रवृत्त करने के उद्देश्य से, उन्होंने इन्हें केवल बेचने का काम सौंपा था परंतु इसमें उन्हें सफलता नहीं मिल सकी और बहुधा मंगतों को दिए जानेवाले कंबल आदि का हाल सुनकर उन्हें और भी क्लेश होने लगा। बालक मल्लू को दी गई किसी शिक्षा का विवरण हमें उपलब्ध नहीं है और ऐसा अनुमान किया जाता है कि ये अधिक शिक्षित न रहे होंगे। कहते हैं, इनके प्रथम गुरु कोई पुरुषोत्तम थे जो देवनाथ के पुत्र थे और पीछे इन्होंने मुरारिस्वामी से दीक्षा ग्रहण की जिनके विषय में इन्होंने स्वयं भी कहा है, मुझे मुरारि जी सतगुरु मिल गए जिन्होंने मेरे ऊपर विश्वास की छाप लगा दी, (सुखसागर पृo १९२)। अभी तक पाए गए संकेतों के आधार पर कहा जा सकता है कि इनका विवाह संभवत: १२ वर्ष की अवस्था के अनंतर ही हुआ होगा। इनकी पत्नी का नाम ज्ञात नहीं। इनके देशभ्रमण की चर्चा करते समय केवल पुरी, दिल्ली एवं कालपी जैसे स्थानों के ही नाम विशेष रूप से लिए जाते हैं और अनुमान किया जाता है कि यह पर्यटन कार्य भी इन्होंने अधिकतर उस समय किया होगा जब ये वृद्ध हो चले थे तथा जब ये अपने मत का उपदेश भी देने लगे थे। सं.

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महात्मा रामचन्द्र वीर

रामचन्द्र वीर (जन्म १९०९ - मृत्यु २००९) एक लेखक, कवि तथा वक्ता और धार्मिक नेता थे। उन्होंने 'विजय पताका', 'हमारी गोमाता', 'वीर रामायण' (महाकाव्य), 'हमारा स्वास्थ्य' जैसी कई पुस्तकें लिखीं। भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन, गोरक्षा तथा अन्य विविध आन्दोलनों में कई बार जेल गये। विराट नगर के पंचखंड पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र उनके पुत्र हैं। .

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महादजी शिंदे

महादजी सिंदे महादजी शिंदे (या, महादजी सिंधिया; १७३० -- १७९४) मराठा साम्राज्य के एक शासक थे जिन्होंने ग्वालियर पर शासन किया। वे सरदार राणोजी राव शिंदे के पाँचवे तथा अन्तिम पुत्र थे। शिंदे (अथवा सिंधिया) वंश के संस्थापक राणोजी शिंदे के पुत्रों में केवल महादजी पानीपत के तृतीय युद्ध से जीवित बच सके। तदनंतर, सात वर्ष उसके उत्तराधिकार संघर्ष में बीते (१७६१-६८)। स्वाधिकार स्थापन के पश्चात् महादजी का अभूतपूर्व उत्कर्ष आरंभ हुआ (१७६८)। पेशवा के शक्तिसंवर्धन के साथ, उसने अपनी शक्ति भी सुदृढ़ की। पेशवा की ओर से दिल्ली पर अधिकार स्थापित कर (१० फरवरी, १७७१), उसने शाह आलम को मुगल सिंहासन पर बैठाया (६ जनवरी, १७७२)। इस प्रकार, पानीपत में खोये, उत्तरी भारत पर मराठा प्रभुत्व का उसने पुनर्लाभ किया। माधवराव की मृत्यु से उत्पन्न अव्यवस्था तथा उससे उत्पन्न आंग्ल-मराठा युद्ध में उसने रघुनाथराव (राघोबा) तथा अंग्रेजों के विरुद्ध नाना फड़नवीस और शिशु पेशवा का पक्ष ग्रहण किया। तालेगाँव में अंग्रेजों की पराजय (जनवरी, १७७९) से वह महाराष्ट्र संघ का सर्वप्रमुख सदस्य मान्य हुआ। अंतत:, उसी की मध्यस्थता से मराठों और अंग्रेजों में सालबाई की संधि संभव हो सकी (१७८२)। इससे उसकी महत्ता और प्रभुत्व में बड़ी अभिवृद्धि हुई। युद्ध की समाप्ति पर महादजी पुन: उत्तर की ओर अभिमुख हुआ। ग्वालियर अधिकृत कर (१७८३), उसने गोहद के राणा को पराजित किया (१७८४)। फ्रेंच सैनिक डिबोयन (de boigne) की सहायता से उसने अपनी सेना सुशिक्षित एवं सशक्त की। मुगल सम्राट् ने उसे वकील-ए-मुतलक की पदवी से पुरस्कृत किया; तथा मुगल राज्य संचालन का उत्तरदायित्व उसे सौंपा। महादजी ने अनेक विद्रोहों का दमन कर मुगल राज्य में व्यवस्था स्थापित की। किंतु जयपुर के सैनिक अभियान की असफलता के कारण उसकी स्थिति संकटापन्न हो गई (१७८७), तथापि इस्माइल बेग की पराजय से (जून, १७८८) उसने अपनी सत्ता पुन:स्थापित कर ली। दानवी आततायी गुलाम कादिर को दिल्ली से खदेड़, नेत्रविहीन मुगल सम्राट् को उसने पुन: सिंहासनासीन किया (अक्टूबर, १७८९)। १७९१ के अंत तक उसने राजपूतों को भी नत कर दिया। अब नर्मदा से सतलज तक पूरा उत्तरी भारत उसके आधिपत्य में था। अपनी सफलता के चरमोत्कर्ष में, १२ वर्षों बाद, वह महाराष्ट्र लौटा। दो वर्ष पूना में रहकर (१७९२-९४) उसने महाराष्ट्र संघ को पुन: संगठित करने का सतत किंतु विफल प्रयत्न किया। लाखेरी में तुकोजी होल्कर की पूर्ण पराजय (जून १७९३) उसकी अंतिम विजय थी, यद्यपि पारस्परिक विभेद से दु:खित महादजी ने उसे विजय दिवस संबोधित करने की अपेक्षा शोक दिवस ही की संज्ञा दी। १२ फरवरी, १७९४ को उसकी मृत्यु हुई। कुशाग्रबुद्धि महादजी व्यक्तिगत जीवन में सरल, तथा स्वभाव से सहिष्णु, धैर्यशील और उदार था। उसमें नेतृत्व शक्ति और सैनिक प्रतिभा तो थी ही, राजनीतिज्ञता भी असाधारण थी। उसके महान् कार्य, विषम परिस्थितियों तथा आंतरिक वैमनस्य - नाना फड़निस के द्वेषी स्वभाव और तुकोजी होल्कर के शत्रुतापूर्ण व्यवहार - के बावजूद केवल स्वावलंबन के बल पर संपन्न हुए। किंतु इन सब के ऊपर थी उसकी स्वार्थरहित उदात्त दृष्टि, जिसे, महाराष्ट्र के दुर्भाग्य से, सहयोग की अपेक्षा सदैव गत्यवरोध ही प्राप्त हुआ। .

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महाभारत कालीन जनपद

महाभारत कालीन जनपद .

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महाराजा महाविद्यालय

महाराजा विश्वविद्यालय भारत में राजस्थान की राजधानी, जयपुर में एक कॉलिज है। .

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महाराजा रामसिंह द्वितीय

महाराजा रामसिंह द्वितीय जो १८४३ ईस्वी में मात्र १६ वर्ष की उम्र में जयपुर के राजा बने थे। नाबालिग होने के कारण ब्रिटिश सरकार ने इन्हें वयस्क होने तक अपने संरक्षण में ले लिया था। इनके समय में मेजर जॉन लुडलो ने जनवरी १८४३ ईस्वी में जयपुर का प्रशासन सम्भाला था। इसने सती प्रथा,दास प्रथा,कन्या वध और दहेज प्रथा आदि पर रोक लगाने के आदेश जारी किये थे। ये जयपुर के शासक जयसिंह तृतीय के पुत्र थे। १८५७ के स्वतंत्रता आंदोलन में महाराज रामसिंह ने अंग्रेजों की भरपूर सहायता की थी। इस कारण अंग्रेज सरकार ने इन्हें सितार - ए - हिन्द की उपाधि प्रदान की। इनके समय में सन् १८४५ में जयपुर में महाराजा कॉलेज तथा संस्कृत कॉलेज का निर्माण हुआ था। .

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महाराजा सूरज मल

महाराजा सूरजमल (१७०७-१७६३) भरतपुर राज्य के दूरदर्शी हरयाणा में 'दांगी' भी उन्हीं की शाखा है। मराठों के पतन के बाद महाराजा सूरजमल ने गाजियाबाद, रोहतक, झज्जर के इलाके भी जीते। 1763 में फरुखनगर पर भी कब्जा किया। वीरों की सेज युद्धभूमि ही है। 25 दिसम्बर 1763 को नवाब नजीबुदौला के साथ युद्ध में महाराज सूरजमल वीरगति को प्राप्त हुए। .

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महाराजा ईश्वरीसिंह

इनकी असामयिक मृत्यु मात्र ३० साल की उम्र में दिनांक 12.12.

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महिलाओं से छेड़छाड़

महिलाओं से छेड़छाड़ भारत में और कभी-कभी पाकिस्तान और बांग्लादेश ज्योति पुरी द्वारा वुमन, बॉडी, डिज़ायर इन पोस्ट-कलोनियल इंडिया: नरेटिव्ज़ ऑफ़ जेंडर एंड सेक्शुआलिटी.

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महेंद्र सिंह धोनी

महेंद्र सिंह धोनी अथवा मानद लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी (एम एस धोनी भी) झारखंड, रांची के एक राजपूत परिवार में जन्मे पद्म भूषण, पद्म श्री और राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित भारतीय क्रिकेटर हैं। धोनी भारतीय क्रिकेटर तथा भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैं और भारत के सबसे सफल एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कप्तान हैं। शुरुआत में एक असाधारण उज्जवल व आक्रामक बल्लेबाज़ के नाम पर जाने गए। धोनी धीरे-धीरे भारतीय एक दिवसीय के सबसे शांतचित्त कप्तानों में से जाने जाते हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने २००७ आईसीसी विश्व ट्वेन्टी २०, २००७-०८ कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज २००७-२००८ के सीबी सीरीज़ और बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी जीती जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को २-० से हराया उन्होंने भारतीय टीम को श्रीलंका और न्यूजीलैंड में पहली अतिरिक्त वनडे सीरीज़ जीत दिलाई ०२ सितम्बर २०१४ को उन्होंने भारत को २४ साल बाद इंग्लैंड में वनडे सीरीज में जीत दिलाई। धोनी ने कई सम्मान भी प्राप्त किए हैं जैसे २००८ में आईसीसी वनडे प्लेयर ऑफ़ द इयर अवार्ड (प्रथम भारतीय खिलाड़ी जिन्हें ये सम्मान मिला), राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार और २००९ में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म श्री पुरस्कार साथ ही २००९ में विस्डन के सर्वप्रथम ड्रीम टेस्ट ग्यारह टीम में धोनी को कप्तान का दर्जा दिया गया। उनकी कप्तानी में भारत ने २८ साल बाद एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप में दुबारा जीत हासिल की। सन् २०१३ में इनकी कप्तानी में भारत पहली बार चैम्पियंस ट्रॉफी का विजेता बना। धोनी दुनिया के पहले ऐसे कप्तान बन गये जिनके पास आईसीसी के सभी कप है। इन्होंने २०१४ में टेस्ट क्रिकेट को कप्तानी के साथ अलविदा कह दिया था। इनके इस फैसले से क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया। धोनी लगातार दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप में २०१५ क्रिकेट विश्व कप में भारत का नेतृत्व किया और पहली बार भारत ने सभी ग्रुप मैच जीते साथ ही इन्होंने लगातार ११ विश्व कप में मैच जीतकर नया रिकार्ड भी बनाया ये भारत के पहले ऐसे कप्तान बने जिन्होंने १०० वनडे मैच जिताए हो। और उन्होनें कहा है कि जल्द ही वो एक ऐसा कदम उठाएंगे जो किसी कप्तान ने अपने कैरियर में नहीं उठाया वो टीम को २ हिस्सों में बाटेंगे जो खिलाड़ी अच्छा नहीं खेलेगा उसे वो दूसरी टीम में डाल देंगे और जो खिलाड़ी अच्छा खेलेगा वो उसे अपनी टीम में रख लेंगे इसमें कुछ नये खिलाड़ी भी आ सकते हैं। धोनी ने ४ जनवरी २०१७ को भारतीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और ट्वेन्टी-ट्वेन्टी टीम की कप्तानी छोड़ी। .

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माधोगढ़ दुर्ग

माधोगढ़ दुर्ग राजस्थान के एक गाँव "माधोगढ़ गाँव" में स्थित एक दुर्ग है लेकिन वर्तमान में एक हेरिटेज़ होटल है। यह जयपुर से 42 किमी की दुरी पर स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण श्री माधोसिंह जी ने करवाया। सन 2000 में ठाकुर भवानी सिंह जी ने इसे हेरिटेज़ होटल में बदल दिया था। .

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मान मंदिर घाट

मान मंदिर घाट, वाराणसी मान मंदिर घाट वाराणसी में स्थित एक गंगा घाट है। इस घाट को जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने १७७० में बनवाया था। इसमें नक्काशी अरजा लीदार अलंकृत झरोखे बने हैं। इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी में यंत्र मंत्र वेधशाला भी बनवायी थी जो दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा के संग पांचवीं खगोलशास्त्रीय वेधशाला है। इस घाट के उत्तरी ओर एक सुंदर बाल्कनी है, जो सोमेश्वर लिंग को अर्घ्य देने के लिये बनवायी गई थी। श्रेणी:वाराणसी श्रेणी:वाराणसी के घाट.

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मान सिंह द्वितीय

सवाई मान सिंह द्वितीय (मोर मुकुट सिंह; 21 अगस्त 1912– 24 जून 1970) कछवाहा वंश से संबन्धित जयपुर के अंतिम शासक थे। उन्होंने 1922 से लेकर राज्य के भारत में विलय (1949) तक शासन किया। इसके बाद उन्होंने 1949 से लेकर 1956 तक राजस्थान के राजप्रमुख के रूप में कार्य संभाला। बाद के सालों में इन्होंने स्पेन में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया। महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय को अच्छे खिलाड़ी होने के साथ-साथ पोलो खेल में खासी शोहरत हासिल थी। .

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मानव भूगोल

देशों के अनुसार जनसंख्या का घनत्व, 2006 मानव भूगोल, भूगोल की प्रमुख शाखा हैं जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। मानव भूगोल की एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहु अनुमोदित परिभाषा है, मानव एवं उसका प्राकृतिक पर्यावरण के साथ समायोजन का अध्ययन। मानव भूगोल में पृथ्वी तल पर मानवीय तथ्यों के स्थानिक वितरणों का अर्थात् विभिन्न प्रदेशों के मानव-वर्गों द्वारा किये गये वातावरण समायोजनों और स्थानिक संगठनों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में मानव-वर्गो और उनके वातावरणों की शक्तियों, प्रभावों तथा प्रतिक्रियाओं के पारस्परिक कार्यात्मक सम्वन्धों का अध्ययन, प्रादेशिक आधार पर किया जाता है। मानव भूगोल का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यूरोपीय देशों, पूर्ववर्ती सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत के विश्वविद्यालयों में इसके अध्ययन में अधिकाधिक रूचि ली जा रही है। पिछले लगभग ४० वर्षों में मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र का वैज्ञानिक विकास हुआ है और संसार के विभिन्न देशों में वहाँ की जनसंख्या की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उन्नति के लिये संसाधन-योजना में इसके ज्ञान का प्रयोग किया जा रहा है। .

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मानेसर

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का मानचित्र मानेसर भारत के हरियाणा राज्य के गुड़गांव जिले का एक तेजी से उभरता औद्योगिक शहर है, साथ ही यह दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर (NCR) का एक हिस्सा भी है। यह एक सुशुप्त गाँव से भारत के एक सर्वाधिक तेजी से उभरते टाउनशिप में परिवर्तित हो चुका है। यह एनसीआर (NCR) से एक शीघ्र जुड़नेवाला क्षेत्र है। कुछ विकासकों ने मानेसर के साथ एक नया उपनाम जोड़कर इसे 'नया गुड़गांव' का नाम दिया है। राजनीतिक संवेदनशीलता के केन्द्र - दिल्ली से इसकी निकटता के कारण सरकार ने यहाँ राष्ट्रीय महत्त्व के कुछ संस्थानों जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (और इसका प्रशिक्षण केंद्र), राष्ट्रीय बम डेटा केंद्र और राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र के मुख्यालयों की स्थापना की स्थापना की है। आसपास के स्थानों से 100,000 से अधिक लोग काम करने के लिए मानेसर जाते हैं। गुड़गांव-मानेसर मास्टर प्लान के अनुमान के अनुसार 2021 तक यहाँ की जनसंख्या 37,00,000 हो जाएगी.

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माय एफएम

150px माय एफएम, एक राष्ट्रव्यापी निजी एफएम रेडियो स्टेशन है| यह रेडियो दैनिक भास्कर समूह द्वारा चलाया जा रहा है | यह रेडियो स्टेशन ९४.३ मेगाहर्ट्स एफएम बैंड फ्रिकुएंसी पर प्रसारित होता है| वर्तमान में यह स्टेशन १७ विभिन्न शहरों में प्रसारित होता है | माय एफएम का टैगलाइन है - "जियो दिल से" | .

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माया इन्डिया

माया इन्डिया हिन्दी की एक पत्रिका है। यह जयपुर से प्रकाशित होती है। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:हिन्दी पत्रिकाएँ श्रेणी:सामाजिक पत्रिकाएँ श्रेणी:साहित्यिक पत्रिकाएँ.

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मालवीय नगर, जयपुर

मालवीय नगर दक्षिण जयपुर का एक समृद्ध आवासीय क्षेत्र है। इसके निकटतम अन्य आवासीय स्थल दुर्गापुरा, जवाहर नगर, जगतपुरा और सांगानेर हैं। इसका नामकरण प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी मदन मोहन मालवीय के सम्मान में किया गया। .

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मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर

मालवीय राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, जयपुर, राजस्थान की स्थापना १९६३ में की गई थी और २६ जून २००२ को इसे मालवीय राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा दिया गया। यह संस्थान नौ अवर स्नातक पाठयक्रम तथा १० पूर्णकालिक एवं पांच अंशकालिक स्नातकोत्तर पाठयक्रमों का संचालन करता है। यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, रसायन इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, इलैक्ट्रॉनिकी तथा संचार इंजीनियरी, सूचना प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी तथा धातुकर्मीय इंजीनियरी में चार वर्षीय अवर स्नातक पाठयक्रमों और एक पांच वर्षीय बी.

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मावठा सरोवर

मावठा झील भारत के राजस्थान प्रदेश की राजधानी में आमेर दुर्ग के नीचे स्थित है। यह एक कृत्रिम झील है, जिसका निर्माण महल की सुरक्षा एवं सुन्दरता बढ़ाने के लिए किया गया था। झील के एक किनारे के साथ-साथ ही दुर्ग में जाने का पैदल मार्ग है, एवं एक सुंदर उद्यान भी बना है। इसका निर्माण कछवाहा राजा जयसिंह के समय में किया गया था। इस उद्यान का नाम दुलाराम बाग है। वर्षा ऋतु में मावठा झील पानी से भर जाती है एवं तब यहाँ की सुन्दरता देखने लायक होती है। झील की अधिकतम लम्बाई ६८० मी.

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माउंट आबू

समुद्र तल से १२२० मीटर की ऊंचाई पर स्थित आबू पर्वत (माउण्ट आबू) राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान तथा राज्य का ग्रीष्मकालीन शैलावास है। अरावली श्रेणियों के अत्यंत दक्षिण-पश्चिम छोर पर ग्रेनाइट शिलाओं के एकल पिंड के रूप में स्थित आबू पर्वत पश्चिमी बनास नदी की लगभग १० किमी संकरी घाटी द्वारा अन्य श्रेणियों से पृथक् हो जाता है। पर्वत के ऊपर तथा पार्श्व में अवस्थित ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक तीर्थमंदिरों एवं कलाभवनों में शिल्प-चित्र-स्थापत्य कलाओं की स्थायी निधियाँ हैं। यहाँ की गुफा में एक पदचिहृ अंकित है जिसे लोग भृगु का पदचिह् मानते हैं। पर्वत के मध्य में संगमरमर के दो विशाल जैनमंदिर हैं। राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। माउंट आबू पहले चौहान साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान था। .

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मिर्जवास

मिर्जवास भारत के राजस्थान में सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील का एक गाँव है। यह लक्ष्मणगढ़ के पूर्व में और नवलगढ़ से दूर पड़ता है। मिर्जवास के सीमावर्ती गाँव और कस्बे बीदसर, बीदासर, डुन्डलोद, खेड़ी राड़ान और सान्खु हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार मिर्जवास की जनसँख्या १,९७७ है। .

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मिसिस कौशिक की पाँच बहुएँ

मिसिस कौशिक की पाँच बहुएँ एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला हैं कि ज़ी टीवी पर अकड़ है। शो ૨૦ जून ૨૦૧૧ को प्रीमियर हुआ। यह मूलतः सोम - गुरु से प्रसारित किया, लेकिन अब ३ अक्टूबर ૨૦૧૧ के रूप में सोमवार - शुक्रवार ऐर है। रंग से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद हिट से शो उत्तराँ और बालाजी टेलीफिल्म्स, लोकप्रिय शो सोनी टीवी पर क्या हुआ तेरा वादा, इस शो अच्छा २.५-२.६ की औसत टीआरपी लाभ और यह रहा यह कमाता से तीसरे ज़ी टीवी पर सबसे बेहतरीन शो इसकी।ه .

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मिस्टर बीन्स

मिस्टर बीन्स जयपुर में सरदार पटर मार्ग स्थित एक लाउंज रेस्तरां है। यह कॉफ़ी, चॉकलेट से बने वयंजन व हुक्का परोसते है। यह प्रतिष्ठान कॉलेज की भीड़ के बीच प्रसिद्ध है। .

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मंडरायल

'मंडरायल' (Mandrayal) राजस्थान (भारत) राज्य के करौली जिले का एक क़स्बा है। यहाँ की जनसँख्या 74600 है। मंडरायल के पास के शहरों में सबलगढ़, ग्वालियर, करौली मुख्य रूप से हैं। यहाँ हिन्दी भाषा बोली जाती है। इन्हें भी देखे----- करौली .

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मंडावर

मंडावर, राजस्थान प्रान्त के दौसा जिले की महवा तहसील में स्थित है। यह अरावली की सुंदर पाहाड़ियो से घिरा हुआ एक प्राचीन ऐतिहासिक ग्राम है। यह अलवर एवं दौसा जिले की सीमा बनाता है। यह् विश्वप्रसिद्ध सरिस्का बाघ अभयारण्य के निकट है। यह जयपुर-आगरा लिंक रेलपथ का प्रमुख ब्रिटिशकालीन रेल स्टेशन है जो उत्तर-पश्चिम रेलवे के प्रमुख बांदीकुई जंक्शन के निकट अवस्थित है। मंडावर राजस्थान प्रांत के अग्रणी ग्रामों में से एक है। इसमे सभी जाति व धर्म (हिन्दू, मुस्लिम, जैन व बाहर से आए सिक्ख धर्म) के लोग आपसी भाईचारे से निवास करते हैं। इसमे विशाल अनाज मंडी स्थित है जिसमे बाँदीकुई साइड से निहालपुरा तक के किसान अपने जिन्स को बेचने के लिए आते हैं। मंडावर की जयपुर से रेलमार्ग की दुरी 117 किमी हैं .

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मंडावा

मंडावा भारत में राजस्थान के झुन्झुनु जिले में एक शहर है। शेखावाटी क्षेत्र का हिस्सा है। मंडावा उत्तर में जयपुर से 190 किमी स्थित है। मंडावा अपने किले और हवेली के लिए जाना जाता है। .

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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मुंदोता दुर्ग और महल

मुंदोता दुर्ग और महल लगभग १५५० में बनाया गया एक दुर्ग तथा महल है। यह दुर्ग राजपूती वास्तुकला तथा मुग़ल वास्तुकला में निर्मित है यह जयपुर के मुंदोता कस्बे में स्थित है। मुंदोता पर नथावत वंश के कच्छहवा राजवंश के शासकों ने शासन किया था। Mandawa, Devi Singh.

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मुंबई इंडियंस

मुंबई इंडियंस, इंडियन प्रीमियर लीग में एक क्रिकेट टीम है। इस टीम का नेतृत्व रोहित शर्मा करते हैं, जो इस टीम के आइकॉन प्लेयर भी हैं। यह टीम रॉबिन सिंह द्वारा प्रशिक्षित है और इसका स्वामित्व इंडियाविन स्पोर्ट्स (IndiaWin Sports) में 100% हिस्सेदारी के द्वारा भारत के सबसे बड़े समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, के पास है। .

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मृदुल काबरा

मृदुल काबरा (जुलाई २३, १९९३) एक भारतीय उद्यमी, टेडएक्स स्पीकर एवं डिजिटल मार्केटिंग गुरु हैं। वें क्वेडरिगो (Quadrigo) नामक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी व शैक्षणिक संस्थान के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। .

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मेरठ

मेरठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यहाँ नगर निगम कार्यरत है। यह प्राचीन नगर दिल्ली से ७२ कि॰मी॰ (४४ मील) उत्तर पूर्व में स्थित है। मेरठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (ऍन.सी.आर) का हिस्सा है। यहाँ भारतीय सेना की एक छावनी भी है। यह उत्तर प्रदेश के सबसे तेजी से विकसित और शिक्षित होते जिलों में से एक है। मेरठ जिले में 12 ब्लॉक,34 जिला पंचायत सदस्य,80 नगर निगम पार्षद है। मेरठ जिले में 4 लोक सभा क्षेत्र सम्मिलित हैं, सरधना विधानसभा, मुजफ्फरनगर लोकसभा में हस्तिनापुर विधानसभा, बिजनौर लोकसभा में,सिवाल खास बागपत लोकसभा क्षेत्र में और मेरठ कैंट,मेरठ दक्षिण,मेरठ शहर,किठौर मेरठ लोकसभा क्षेत्र में है .

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मोटेश्वर महादेव मन्दिर

मोटेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर तहसील में स्थित एक मन्दिर है। यहां के चैती मैदान में महादेव नगर के किनारे चैती मंदिर स्थित यह मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है और इसका शिवलिंग बारहवां उप ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। इसी मान्यता के कारण लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर यहा लोग कांवड़ चढ़ाते हैं। मोटेश्वर महादेव मंदिर दूसरी मंजिल पर है। इस शिवलिंग के चारों ओर तांबे का फर्श बना है और इसे जागेश्वर के एक कारीगर ने बनाया था। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण इसे कोई अपने दोनों हाथों से घेर नहीं पाता है। .

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मीठड़ी मारवाड़

ध्रुवीय निर्देशांक: 27°57'5975"N 74°68'7235"Eध्रुवीय निर्देशांक मीठड़ी मारवाड़ मीठड़ी मारवाड़http://www.fallingrain.com/world/IN/24/Mitri.htmlमीठड़ी मारवाड़ राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील का एक गाँव है। .

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मीन भगवान का मन्दिर, राजस्थान

भारत के राजस्थान प्रांत में भगवान मीनेष अर्थात मत्स्यावतार को समर्पित यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बें में स्थित है। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज के सहयोग से बना यह भव्य मंदिर साधारण नहीं बल्कि तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस है। भगवान मीनेष के इस मंदिर का 108 फीट ऊँचा गुम्बद लोगों का मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आम-तौर पर सरसों की तूड़ी को अनुपयोगी समझकर जला दिया जाता है, लेकिन सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज ने इस सरसों की तूड़ी को बेचकर इसका उपयोग मंदिर निर्माण कार्य में किया।  मीन भगवान मन्दिर सवाई माधोपुर  प्रथम बार इस क्षेत्र के मीणा समाज के लोगों ने सरसों की तूड़ी बेचकर 7 करोड़ रुपये इकट्ठे किये और मीणा समाज के ग्रामीणों की मुहिम रंग लाई और मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणों ने धीरे धीरे मंदिर को बनाना शुरू किया और आज यह मंदिर इतना आलीशान बन गया कि मंदिर को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड तो है ही साथ ही साथ सीसीटीवी कैमरों से लैस ये मंदिर लोगों का प्रमुख आस्था केन्द्र भी बन गया है। यह मंदिर मीणा जनजाति का राजस्थान में सबसे सुंदर, सबसे बड़ा एवं आधुनिक सुविधाओं से लैस भगवान मीनेष का प्रमुख मंदिर है, जो अब तक का सबसे विशाल मीन मंदिर माना जाता है, चौथ का बरवाड़ा में स्थित ये मंदिर मीणा जनजाति की एकता व अखंडता का जीता-जागता उदाहरण है। सवाई माधोपुर जिले में मीणा महापंचायतों की रूपरेखा इसी मंदिर से तय की जाती है। .

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मीनाकारी

मीनाकारी से सज्जित एक प्लेट मीनाकारी (Enamaling) एक कलात्मक प्रक्रिया है। इसमें काच (ग्लास) के बारीक पाउडर को ७५० डिग्री सेल्सियस से ८५० डिग्री सेल्सियस तक गर्म करके पिघलाकर धातु ऑक्‍साइड जैसे चांदी, सोना, तांबा और जिंक के ऊपर क्रिस्टलीय पारदर्शी रूप में जड़ (fuse) दिया जाता है। तांबे, चांदी या सोने पर किए गए असली इनामेल से मणियों जैसे खूबसूरत रंग पैदा होते हैं। मीनाकारी का कार्य मूल्यवान व अर्द्धमूल्वान रत्नों तथा सोने व चांदी के आभूषणों पर किया जाता है। जयपुर में सोने के आभूषणों और खिलौनों पर बड़ी सुंदर मीनाकारी की जाती है। मीनाकारी एक पुरानी और अति-प्रचलित प्रौद्योगिकी है। अपने अधिकांश इतिहास में यह मुख्यतः आभूषणों और सजावटी कलाओं के ऊपर की जाती रही है। किन्तु उन्नीसवीं शती के बाद मीनाकारी का उपयोग औद्योगिक वस्तुओं और दैनन्दिन उपयोग की वस्तुओं (जैसे भोजन पात्रों पर) पर भी किया जाने लगा। .

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यदुनाथ सरकार

यदुनाथ सरकार (बांग्ला में उच्चारण, 'जदुनाथ सरकार') (1870 - 1958) भारत के एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे। भारतीय मुगलकाल के इतिहास-लेखन के क्षेत्र में उनका अकादमिक योगदान अप्रतिम है| .

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यशोधर पंडित

यशोधर पण्डित (११वीं-१२वीं शताब्दी) जयपुर के राजा जय सिंह प्रथम के दरबार के प्रख्यात विद्वान थे जिन्होने कामसूत्र की ‘जयमंगला’ नामक टीका ग्रंथ की रचना की। इस ग्रन्थ में उन्होने वात्स्यायन द्वारा उल्लिखित चित्रकर्म के छः अंगों (षडंग) की विस्तृत व्याख्या की है। वात्स्यायन विरचित ‘कामसूत्र’ में वर्णित उपरोक्त श्लोक में आलेख्य (अर्थात चित्रकर्म) के छह अंग बताये गये हैं- रूपभेद, प्रमाण, भाव, लावण्ययोजना, सादृश्य और वर्णिकाभंग।‘जयमंगला’ नामक ग्रंथ में यशोधर पण्डित ने चित्रकर्म के षडंग की विस्तृत विवेचना की है। प्राचीन भारतीय चित्रकला में यह षडंग हमेशा ही महत्वपूर्ण और सर्वमान्य रहा है। आधुनिक चित्रकला पर पाश्चात्य प्रभाव पड़ने के वावजूद भी यह महत्वहीन नहीं हो सका। क्योंकि षडंग वास्तव में चित्र के सौन्दर्य का शाश्वत आधार है। इसलिए चित्रकला का सौंदर्यशास्त्रीय अध्ययन के लिए इसकी जानकारी आवश्यक है। .

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युद्धवीर सिंह

युद्धवीर सिंह (1897, जयपुर - 1983, नई दिल्ली) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता तथा होमियोपैथी चिकित्सक थे। श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

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रणथम्भोर दुर्ग

रणथंभोर दुर्ग दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग के सवाई माधोपुर रेल्वे स्टेशन से १३ कि॰मी॰ दूर रन और थंभ नाम की पहाडियों के बीच समुद्रतल से ४८१ मीटर ऊंचाई पर १२ कि॰मी॰ की परिधि में बना एक दुर्ग है। दुर्ग के तीनो और पहाडों में प्राकृतिक खाई बनी है जो इस किले की सुरक्षा को मजबूत कर अजेय बनाती है। यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36वीं बैठक में 21 जून 2013 को रणथंभोर को विश्व धरोहर घोषित किया गया। यह राजस्थान का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। .

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रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान

रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत के बड़े उद्यानों में से एक है। यह जयपुर से १३० किलोमीटर दक्षिण और कोटा से ११० किलोमीटर उत्तर-पूर्व में राजस्थान के दक्षिणी जिले सवाई माधोपुर में स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन और कस्बा सवाई माधोपुर यहाँ से ११ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। .

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रणजी ट्रॉफी 2016-17

रणजी ट्राफी 2016-17 रणजी ट्रॉफी, भारत में प्रमुख प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट के 83 वें सीजन है। पिछले सीजन के विपरीत, 2016-17 टूर्नामेंट तटस्थ स्थानों पर खेले जाएंगे। कप्तान और कोच परिवर्तन के सहायक थे। छत्तीसगढ़ क्रिकेट टीम प्रतियोगिता में अपनी पहली फिल्म बनाने के लिए रणजी ट्रॉफी के इस संस्करण में प्रतिस्पर्धा करने के लिए 28 टीम बनने वाली हैं। सितंबर 2016 में बीसीसीआई ने प्रतियोगिता के लिए दिनांक, समूहों और जुड़नार की घोषणा। गुलाबी गेंद टूर्नामेंट में इस्तेमाल किया जाएगा, मदद करने के लिए बीसीसीआई के एक दिन/रात खेलने पर एक निर्णय करने के टेस्ट मैच। मुंबई गत चैम्पियन हैं। .

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रणजी ट्रॉफी 2016-17 ग्रुप ए

रणजी ट्रॉफी 2016-17 रणजी ट्रॉफी, की भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट के 83 वें मौसम है। यह तीन समूहों में विभाजित 28 टीमों ने चुनाव लड़ा जा रहा है। ग्रुप ए और बी नौ टीमों का समावेश है और ग्रुप सी दस टीमों के शामिल हैं। .

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रणजी ट्रॉफी 2016-17 ग्रुप सी

रणजी ट्रॉफी 2016-17 की रणजी ट्रॉफी, भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट के 83 वें मौसम है। यह तीन समूहों में विभाजित 28 टीमों ने चुनाव लड़ा जा रहा है। ग्रुप ए और बी नौ टीमों का समावेश है और ग्रुप सी दस टीमों के शामिल हैं। .

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रणजी ट्रॉफी 2017-18

2017-18 रणजी ट्रॉफी को रणजी ट्रॉफी का 84 वां सत्र होना है, जो भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट का प्रीमियर है। पिछला सत्र तटस्थ स्थानों पर खेला गया था इस सीज़न के लिए, घरेलू कप्तानों के साथ तटस्थ स्थल परीक्षण के बाद लोकप्रिय नहीं होने के बाद भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) घर और दूर स्थानों पर जुड़ने के लिए वापस जाने पर सहमत हुए। हालांकि, टूर्नामेंट के नाक आउट चरण को तटस्थ स्थानों पर खेला जाना जारी रहेगा। पिछली सीज़न से दूसरे बदलाव तीन से चार से समूह की संख्या में वृद्धि होगी, साथ ही ग्रुप स्टेज में छह फाटकर्स खेलने वाले प्रत्येक टीम के साथ। प्रत्येक समूह की शीर्ष दो टीमें क्वार्टर फाइनल में प्रगति करेगी। सीजन 6 अक्टूबर 2017 को शुरू करने के लिए निर्धारित है, 7 दिसंबर 2017 को क्वार्टर फाइनल के साथ, 17 दिसंबर 2017 को सेमीफाइनल, और फाइनल 29 दिसंबर 2017 से 2 जनवरी 2018 तक आयोजित किया गया। गुजरात पिछली चैंपियन हैं। .

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रणजी ट्रॉफी ग्रुप बी 2017-18

रणजी ट्रॉफी 2017-18 भारत की प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का 84 वां सत्र है। यह 28 टीमों द्वारा चार समूहों में विभाजित किया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक में सात टीम हैं। .

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रसिक गोविंद(रीतिग्रंथकार कवि)

रसिक गोविंद(रीतिग्रंथकार कवि) रसिक गोविन्द रीतिकाल के कवि थे। वे निंबार्क संप्रदाय के एक महात्मा हरिव्यास की गद्दी के शिष्य थे और वृंदावन में रहते थे। हरिव्यास जी की शिष्य परंपरा में 'सर्वेश्वरशरण देव' जी बड़े भारी भक्त हुए हैं। रसिक गोविंद उन्हीं के शिष्य थे। ये जयपुर (राजपूताना) के रहने वाले और नटाणी जाति के थे। इनके पिता का नाम 'शालिग्राम', माता का 'गुमाना' और बड़े भाई का नाम 'बालमुकुंद' था। इनका कविता काल संवत 1850 से 1890 तक अर्थात विक्रम की उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से लेकर अंत तक प्रतीत होता है। अब तक इनके 9 ग्रंथों का पता चला है - रामायण सूचनिका, रसिक गोविंदानंद घन, लछिमन चंद्रिका, अष्टदेशभाषा, पिंगल, समयप्रबंध, कलियुगरासो, रसिक गोविंद और युगलरस माधुरी। इनका असली नाम 'गोविन्द' था और ये जयपुर के रहनेवाले नटाणी जाति के वैश्य थे। रामचंद्र शुक्ल के अनुसार इनका काव्यकाल संवत्.

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रसगंगाधर

रसगंगाधर संस्कृत साहित्यशास्त्र पर प्रौढ़ एवं सर्वथा मौलिक कृति है। इसके निर्माता सर्वतंत्र स्वतंत्र पंडितराज जगन्नाथ हैं जो नवाव शाहाबुद्दीन के आश्रित तथा आसफ खाँ के द्वारा सम्मानित राजकवि थे। यह दाराशिकोह के समकालिक थे। पंडितराज न केवल मार्मिक, सहृदय एवं सूक्ष्म समालोचक ही थे अपितु एक प्रतिभाशाली निसर्ग कवि भी। .

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राधाबाई

राधाबाई नेवास के बर्वे परिवार की कन्या थीं जिनका विवाह बालाजी विश्वनाथ के साथ हुआ था। इनके पिता का नाम डुबेरकर अंताजी मल्हार बर्वे था। राधाबाई बालाजी के पिता विश्वनाथ भट्ट सिद्दियों के अधीन श्रीवर्धन गाँव के देशमुख थे। भारत के पश्चिमी सिद्दियों से न पटने के कारण विश्वनाथ और बालाजी श्रीवर्धन गाँव छोड़कर बेला नामक स्थान पर भानु भाइयों के साथ रहने लगे। राधाबाई भी अपने परिवार के साथ बेला में रहने लगीं। कुछ समय पश्चात् बालाजी डंडाराजपुरी के देशमुख हो गए। १६९९ ई. से १७०८ ई. तक वे पूना के सर-सूबेदार रहे। राधाबाई में त्याग, दृढ़ता, कार्यकुशलता, व्यवहारचातुर्य और उदारता आदि गुण थे। राधाबाई एवं बालाजी के दो पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं। इनके बड़े पुत्र बाजीराव का जन्म १७०० ई. में और दूसरे पुत्र चिमाजी अप्पा का सन् १७१० में हुआ था। इनकी पुत्रियों के नाम अनुबाई और भिऊबाई थे। बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु सन् १७२० में हुई। राधाबाई को बहुत दु:ख हुआ, यद्यपि उनके पुत्र बाजीराव पेशवा बनाए गए। राधाबाई राज्य के विभिन्न कार्यों में बाजीराव को उचित सलाह देती थीं। जब १७३५ में राधाबाई ने तीर्थयात्रा पर जाने की इच्छा प्रकट की, चिमाजी अप्पा ने इसका प्रबंध शीघ्र ही किया। १४ फरवरी को इन्होंने पूना से प्रस्थान किया। ८ मार्च को वे बुरहानपुर पहुँची। ६ मई को उदयपुर में उन्हें राजकीय सम्मान मिला। २१ मई को नाथद्वारा का दर्शन किया और २१ जून को जयपुर पहुँची। सवाई राजा जयसिंह ने उनका अत्यधिक आदर सत्कार किया। वे यहाँ तीन माह तक ठहरीं। सितंबर मास में वे जयपुर से चल पड़ीं। वे मथुरा, वृंदावन, कुरुक्षेत्र और प्रयाग होती हुईं १७ अक्टूबर को वाराणसी पहुँच गईं। वहाँ से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में गया की ओर प्रस्थान किया। वहीं से १७३६ में वे वापसी यात्रा पर चल पड़ीं। मार्ग में स्थानीय शासकों ने उनके लिए अंगरक्षकों की व्यवस्था की। मोहम्मद खान बंगश ने राधाबाई का बहुत सम्मान किया और उन्हें बहुमूल्य उपहार प्रदान किए। राधाबाई प्रसन्न हुई और १ जून, १७३६ ई. को पूना पहुंचीं। राधाबाई की इस यात्रा ने साधारणत: मराठों के लिए और विशेषकर पेशवा बाजीराव के लिए मित्रतापूर्ण वातावरण का निर्माण किया। राधाबाई को यात्रा से लौट दो वर्ष भी न हो पाए थे कि उन्हें एक और परिस्थिति का सामना करना पड़ा। मस्तानी और बाजीराव का संबंध सरदारों की आलोचना का विषय बन चुका था। बाजीराव के आलोचकों का वर्ताव उस समय और तीव्र हुआ जब पेशवा परिवार में रघुनाथ राव का उपनयन और सदाशिव राव का विवाह होने वाला था। पंडितों ने किसी भी ऐसे कार्य में भाग न लेने का निर्णय किया। राधाबाई ने बाजीराव को विशेष रूप से सतर्क रहने के लिए लिखा। अंतत: राधाबाई उपर्युक्त कार्य कराने में सफल हुई। मस्तानी और बाजीराव के संबंध को विशेष महत्व कभी नहीं दिया अपितु सदा ही यह प्रयत्न किया कि परिवार में फूट की स्थिति न उत्पन्न हो और पेशवा परिवार का सम्मान भी बना रहे। चिमाजी अप्पा ने मस्तानी को कैद किया। राधाबाई ने मस्तानी को कैद से छुड़ाया और वह बाजीराव के पास आ गई। बाजीराव ने भी राधाबाई की आज्ञाओं का पालन किया। १७४० ई. के अप्रैल मास में बाजीराव की मृत्यु से राधाबाई को बहुत दु:ख हुआ। पाँच माह पश्चात् ही चिमाजी अप्पा की भी मृत्यु हो गई। अब राधाबाई का उत्साह शिथिल पड़ गया। फिर भी, जब कभी आवश्यकता पड़ती थी, वे परिवार की सेवा और राजकीय कार्यों में बालाजी बाजीराव को उचित परामर्श देतीं थीं। १७५२ ई. में जब पेशवा दक्षिण की ओर गए हुए थे राधाबाई ने ताराबाई और उमाबाई की सम्मिलित सेना को पूना की ओर बढ़ने से रोकने का उपाय किया। दूसरे अवसर पर उन्होंने बाबूजी नाइक को पेशवा बालाजी के विरुद्ध अनशन करने से रोका। राधाबाई ने तत्कालीन राजनीति में सक्रिय भाग लिया। इनके व्यवहार में कभी भी कटुता नहीं आने पाती थी। इन्होंने अपने परिवार को साधारण स्थिति से पेशवा पद प्राप्त करते देखा। २० मार्च, १७५३ ई. को इनकी मृत्यु हुई। श्रेणी:मराठा साम्राज्य.

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राम चरण (गुरु)

गुरु राम चरण या रामचरण जी महाराज अठारहवीं सदी के आरम्भ में राजस्थान के जयपुर में उत्पन्न के एक संत थे। इन्होने रामसनेही संप्रदाय की स्थापना की। ये निर्गुण भक्ति शाखा के संत थे। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राम लीला

रामलीला का एक दृश्य। रामलीला उत्तरी भारत में परम्परागत रूप से खेला जाने वाला राम के चरित पर आधारित नाटक है। यह प्रायः विजयादशमी के अवसर पर खेला जाता है। .

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रामबाग महल

रामबाग महल राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक महल है लेकिन वर्तमान में यह एक होटल है। यह पहले जयपुर के महाराजा का घर था। .

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राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान

राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान, ०९ से १६ वर्ष के आयु वर्ग के रचनात्मक बच्चों के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदत्त सम्मान है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (भारत सरकार) के स्वायत्त निकाय द्वारा राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा दिए जाने वाले सम्मान में एक पट्टिका, एक प्रमाण पत्र शैक्षिक संसाधन और नकद पुरस्कार सम्मिलित हैं। राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान प्रायः नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। बालश्री सम्मान भारत के ३ राष्ट्रपति पुरस्कारों में से एक है, बाल श्री देश का सर्वोच्च बाल पुरस्कार हैं। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग (भारत)

भारत के राजमार्ग भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग, भारत की केन्द्रीय सरकार द्वारा संस्थापित और सम्भाले जानी वाली लंबी दूरी की सड़के है। मुख्यतः यह सड़के 2 पंक्तियो की है, प्रत्येक दिशा में जाने के लिए एक पंक्ति। भारत के राजमार्गो की कुल दूरी लगभग 58,000 किमी है, जिसमे से केवल 4,885 किमी की सड़को के मध्य पक्का विभाजन बनाया गया है। राजमार्गो की लंबाई भारत के सड़को का मात्र 2% है, लेकिन यह कुल यातायात का लगभग 40% भार उठाते है। 1995 में पास संसदीय विदेहक के तहत इन राजमार्गो को बनाने और रख-रखाव के लिए निजी संस्थानो की हिस्सेदारी को मंजूरी दी गई। हाल के समय में इन राजमार्गो का तेजी से विकास हुआ जिनके तहत भारत के शहर और कस्बो के बीच यातायात के समय में गिरावट आई। कुछ शहरो के बीच 4 और 6 पंक्तियों के राजमार्गो का भी विकास हुआ। भारत का सबसे बड़ा राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग ७ (NH7) है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को भारत के दक्षिणी कोने, तमिलनाडु के कन्याकुमारी शहर के साथ जोड़ता है। इसकी लंबाई 2369 किमी है। सबसे छोटा राजमार्ग 5 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग NH71B (NH71B) है,। काफ़ी सारे राजमार्गों का अभी भी विकास हो रहा है। ज्यादतर राजमार्गों को कंक्रीट का नहीं बनाया गया है। मुम्बई पुणे एक्सप्रेस-वे इसका एक अपवाद है। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग ११

५८२ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग आगरा से निकलकर बीकानेर तक जाता है। इसका रूट आगरा - जयपुर - बीकानेर है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय राजमार्ग १२

राष्ट्रीय राजमार्ग १२ भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग है। यह राजस्थान के जयपुर शहर को मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से जोड़ता है।;बीच में पडने वाले मुख्य नगर व कस्बे.

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राष्ट्रीय राजमार्ग ८

१४२८ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग दिल्ली को मुंबई से जोड़ता है। इसका रूट दिल्ली - जयपुर – अजमेर – उदयपुर – अहमदाबाद – वडोदरा - मुंबई है। दिल्ली-मुंबई को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे-8 के आसपास तो अनेक जगह हैं। दिल्ली से 48 कि॰मी॰ दूर सुल्तानपुर बर्ड सेंक्चुरी में प्रवासी पक्षियों को निहारने के साथ आधुनिक सुविधाओं से युक्त हेरिटेज विलेज मानेसर में ठहर कर सुकून की सांस ले सकते हैं। यहां ठहरने के लिए विश्व की सबसे बड़ी होटल श्रृंखला बेस्ट वैस्टर्न का रिजॉर्ट भी है। इसके अलावा गुड़गांव से एक अलग मार्ग पकड़कर 60 कि॰मी॰ दूर पटौदी जा सकते हैं, जहां प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी नवाब मंसूर अली खान पटौदी का पुश्तैनी आवास हेरिटेज होटल के रूप में स्वागत को तैयार है। गुड़गांव से ही एक हाईवे अलवर के लिए निकलता है। इस मार्ग पर दमदमा झील और सोहना जैसी मिनी सैरगाहें भी हैं। राजमार्ग-8 पर ही आगे बहरोड़ से पहले एक मार्ग नीमराना की ओर जाता है, जहां सैलानी ऐतिहासिक इमारत में ठहरने का लुत्फ उठा सकते हैं। वहां का नीमराना फोर्ट विश्वप्रसिद्ध हेरिटेज होटल है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (अंग्रेज़ी:नेशनल काउन्सिल ऑफ टीचर्स एड्युकेशन, लघु:NCTE) भारत सरकार की एक संस्था है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद अधिनियम, १९९३ (#७३, १९९३) के अन्तर्गत १७ अगस्त, १९९५ में की गई थी। इसका उत्तरदायित्व भारतीय शिक्षा प्रणाली के मानक, प्रक्रियाएं एवं धाराओं की स्थापना एवं निरीक्षण करना है। .

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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान भारत में आयुर्वेद से सम्बन्धित प्रशिक्षण और अनुसंधान का सर्वोच्च संस्थान है। इसकी स्थापना १९७६ में जयपुर में हुई थी। यह डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर से सम्बद्ध है। .

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राजपुताना

राजस्थान पहले राजपुताना के रूप में जाना जाता था। 1909 का ब्रिटिशकालीन नक्शा मौजूदा राजस्थान के ज़िलों का मानचित्र राजपुताना जिसे रजवाड़ा भी कहा जाता है। राजपूतों की राजनीतिक सत्ता आयी तथा ब्रिटिशकाल में यह राजपुताना (राजपूतों का देश) नाम से जाने जाना लगा। इस प्रदेश का आधुनिक नाम राजस्थान है, जो उत्तर भारत के पश्चिमी भाग में अरावली की पहाड़ियों के दोनों ओर फैला हुआ है। इसका अधिकांश भाग मरुस्थल है। यहाँ वर्षा अत्यल्प और वह भी विभिन्न क्षेत्रों में असमान रूप से होती है। यह मुख्यत: वर्तमान राजस्थान राज्य की भूतपूर्व रियासतों का समूह है, जो भारत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। .

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राजपूत शैली

निहाल चन्द द्वारा १८वीं शताब्दी में चित्रित राजपूत शैली का चित्र रापूत चित्रशैली, भारतीय चित्रकला की प्रमुख शैली है। राजस्थान में लोक चित्रकला की समृद्धशाली परम्परा रही है। मुगल काल के अंतिम दिनों में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक राजपूत राज्यों की उत्पत्ति हो गई, जिनमें मेवाड़, बूंदी, मालवा आदि मुख्य हैं। इन राज्यों में विशिष्ट प्रकार की चित्रकला शैली का विकास हुआ। इन विभिन्न शैलियों में की विशेषताओं के कारण उन्हे राजपूत शैली का नाम प्रदान किया गया। राजस्थानी चित्रशैली का पहला वैज्ञानिक विभाजन आनन्द कुमार स्वामी ने किया था। उन्होंने 1916 में ‘राजपूत पेन्टिंग’ नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने राजपूत पेन्टिंग में पहाड़ी चित्रशैली को भी शामिल किया। परन्तु अब व्यवहार में राजपूत शैली के अन्तर्गत केवल राजस्थान की चित्रकला को ही स्वीकार करते हैं। वस्तुतः राजस्थानी चित्रकला से तात्पर्य उस चित्रकला से है, जो इस प्रान्त की धरोहर है और पूर्व में राजपूताना में प्रचलित थी। विभिन्न शैलियों एवं उपशैलियों में परिपोषित राजस्थानी चित्रकला निश्चय ही भारतीय चित्रकला में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। अन्य शैलियों से प्रभावित होने के उपरान्त भी राजस्थानी चित्रकला की मौलिक अस्मिता है। .

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राजभवन (राजस्थान)

राजभवन जयपुर भारत के राजस्थान राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है। यह राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित है। कल्याण सिँह राज्य के वर्तमान राज्यपाल हैं। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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राजस्थान पत्रिका

राजस्थान पत्रिका हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाला एक भारतीय समाचार पत्र है। यह अखबार भारत के सात राज्यों से प्रकाशित हो रहा है। यह जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, कोटा और सीकर सहित कई अन्य क्षेत्रों से राजस्थान से प्रकाशित होता है और राजस्थान के अलावा भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, रायपुर, अहमदाबाद, ग्वालियर, कोलकाता, चेन्नई, नई दिल्ली और बंगलौर से प्रकाशित होता है। .

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राजस्थान पुलिस

राजस्थान पुलिस भारत के राजस्थान राज्य की लोकप्रिय नागरिक सेवा है। राजस्थान पुलिस का ध्येय "अपराधियोँ में डर, आमजन में.

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राजस्थान महाविद्यालय

विश्वविद्यालय राजस्थान महाविद्यालय (केवल राजस्थान महाविद्यालय) भारतीय राज्य राजस्थान के जयपुर नगर में स्थित एक महाविद्यालय है। यह राजस्थान विश्वविद्यालय के छः घटक महाविद्यालयों में से एक है। महाविद्यालय में स्नातक स्तर के कला संकाय के पाठ्यक्रमों का अध्ययन करवाया जाता है। यह जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर स्थित है। इस महाविद्यालय से सम्बद्ध छात्रावास विवेकानन्द छात्रावास है। .

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राजस्थान में पर्यटन

राजस्थान भारत का एक राज्य है जो पर्यटन के लिए सबसे अच्छा राज्य माना जाता है। राजस्थान राज्य में हर ज़िले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है, यहां विशेषरूप से दुर्ग है जो लगभग हर ज़िले में है। इनके अलावा राजस्थान में कई पौराणिक मन्दिर भी है। प्राकृतिक सुंदरता और महान इतिहास से संपन्न राजस्थान में पर्यटन उद्योग समृद्धिशाली है। राजस्थान देशीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यकटों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है। भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने ज़रूर आता है क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यकटों के लिए "गोल्डन ट्रायंगल" का हिस्सा है। जयपुर के महल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानोयों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं। इन प्रसिद्ध स्थलों को देखने के लिए यहां हज़ारों पर्यटक आते हैं। जयपुर का हवामहल, जोधपुर, बीकानेर के धोरे और जैसलमेर के धोरे काफी प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग,चित्तौड़गढ़ दुर्ग काफी प्रसिद्ध है। यहां राजस्थान में कई पुरानी हवेलियाँ भी है जो वर्तमान में हैरीटेज होटलें बन चुकी हैं। पर्यटन ने यहाँ आतिथ्य क्षेत्र में भी रोज़गार को बढ़ावा दिया है। यहां की मुख्य मिठाई "घेवर" है। .

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राजस्थान में जैन धर्म

राजस्थान भारत के पश्चिम भाग में स्थित राज्य है, जिसका जैन धर्म के साथ बहुत ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है। दक्षिणी राजस्थान श्वेताम्बर जैन धर्म का केन्द्र बिन्दु रहा है। दिगम्बर के भी बड़े केन्द्र राजस्थान के उत्तरी व पूर्वी भागों में स्थित हैं। .

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राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम

राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा इंटरसिटी बस परिवहन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम है इसका मुख्यालय जयपुर राजस्थान में हैं। .

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राजस्थान रॉयल्स

राजस्थान रॉयल्स, इंडियन प्रीमियर लीग की एक जयपुर स्थित फ्रैन्चाइज़ है। जुबिन भरूचा इस टीम के वर्तमान प्रशिक्षक (कोच) व कप्तान अजिंक्य रहाणे हैं जिन्हें २०१८ की नीलामी में रिटेन किया गया। इस टीम का घरेलू मैदान सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर है। इस टीम का शुभंकर है शेर, जिसे मूछू सिंह कहते हैं।.

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राजस्थान रॉयल्स के कीर्तिमानों की सूची

राजस्थान रॉयल्स जयपुर स्थित एक इंडियन प्रीमियर लीग की फ्रेंचाईजी है जिन्होंने २००८ का खिताब जीता था। उक्त सूची राजस्थान रॉयल्स के रिकॉर्ड की है। .

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राजस्थान सरकार

राजस्थान सरकार भारतीय राज्य राजस्थान और इसके ३३ जिलों का सर्वोच्च अधिकारप्राप्त प्राधिकरण है। .

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राजस्थान विधान सभा

राजस्थान विधान सभा भारतीय राज्य राजस्थान में एकसदनीय विधानमंडल है। यह राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित है। विधान सभा सदस्यों अर्थात विधायकों का चुनाव सीधे जनता करती है। वर्तमान में इसमें विधायक संख्या 200 है। यदि जल्दी भंग नहीं किया जाए तो इसका समयान्तराल 5 वर्ष है। .

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राजस्थान विश्वविद्यालय

राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, एवं विधि अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से है। .

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राजस्थान का संगीत

राजस्थान का संगीत एक संगीत है राजस्थान जो भारत का एक राज्य है। इसके प्रमुख संगीत के क्षेत्र जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर तथा उदयपुर इत्यादि माने जाते हैं। ऐसा ही संगीत नज़दीकी राष्ट्र पाकिस्तान (सिंध) में भी सुनने को मिलता है। .

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राजस्थान का इतिहास

पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार राजस्थान का इतिहास पूर्व पाषाणकाल से प्रारंभ होता है। आज से करीब एक लाख वर्ष पहले मनुष्य मुख्यतः बनास नदी के किनारे या अरावली के उस पार की नदियों के किनारे निवास करता था। आदिम मनुष्य अपने पत्थर के औजारों की मदद से भोजन की तलाश में हमेशा एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते रहते थे, इन औजारों के कुछ नमूने बैराठ, रैध और भानगढ़ के आसपास पाए गए हैं। अतिप्राचीनकाल में उत्तर-पश्चिमी राजस्थान वैसा बीहड़ मरुस्थल नहीं था जैसा वह आज है। इस क्षेत्र से होकर सरस्वती और दृशद्वती जैसी विशाल नदियां बहा करती थीं। इन नदी घाटियों में हड़प्पा, ‘ग्रे-वैयर’ और रंगमहल जैसी संस्कृतियां फली-फूलीं। यहां की गई खुदाइयों से खासकरकालीबंग के पास, पांच हजार साल पुरानी एक विकसित नगर सभ्यता का पता चला है। हड़प्पा, ‘ग्रे-वेयर’ और रंगमहल संस्कृतियां सैकडों किलोमीटर दक्षिण तक राजस्थान के एक बहुत बड़े इलाके में फैली हुई थीं। इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि ईसा पूर्व चौथी सदी और उसके पहले यह क्षेत्र कई छोटे-छोटे गणराज्यों में बंटा हुआ था। इनमें से दो गणराज्य मालवा और सिवि इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने सिकंदर महान को पंजाब से सिंध की ओर लौटने के लिए बाध्य कर दिया था। उस समय उत्तरी बीकानेर पर एक गणराज्यीय योद्धा कबीले यौधेयत का अधिकार था। महाभारत में उल्लिखित मत्स्य पूर्वी राजस्थान और जयपुर के एक बड़े हिस्से पर शासन करते थे। जयपुर से 80 कि॰मी॰ उत्तर में बैराठ, जो तब 'विराटनगर' कहलाता था, उनकी राजधानी थी। इस क्षेत्र की प्राचीनता का पता अशोक के दो शिलालेखों और चौथी पांचवी सदी के बौद्ध मठ के भग्नावशेषों से भी चलता है। भरतपुर, धौलपुर और करौली उस समय सूरसेन जनपद के अंश थे जिसकी राजधानी मथुरा थी। भरतपुर के नोह नामक स्थान में अनेक उत्तर-मौर्यकालीन मूर्तियां और बर्तन खुदाई में मिले हैं। शिलालेखों से ज्ञात होता है कि कुषाणकाल तथा कुषाणोत्तर तृतीय सदी में उत्तरी एवं मध्यवर्ती राजस्थान काफी समृद्ध इलाका था। राजस्थान के प्राचीन गणराज्यों ने अपने को पुनर्स्थापित किया और वे मालवा गणराज्य के हिस्से बन गए। मालवा गणराज्य हूणों के आक्रमण के पहले काफी स्वायत्त् और समृद्ध था। अंततः छठी सदी में तोरामण के नेतृत्तव में हूणों ने इस क्षेत्र में काफी लूट-पाट मचाई और मालवा पर अधिकार जमा लिया। लेकिन फिर यशोधर्मन ने हूणों को परास्त कर दिया और दक्षिण पूर्वी राजस्थान में गुप्तवंश का प्रभाव फिर कायम हो गया। सातवीं सदी में पुराने गणराज्य धीरे-धीरे अपने को स्वतंत्र राज्यों के रूप में स्थापित करने लगे। इनमें से मौर्यों के समय में चित्तौड़ गुबिलाओं के द्वारा मेवाड़ और गुर्जरों के अधीन पश्चिमी राजस्थान का गुर्जरात्र प्रमुख राज्य थे। लगातार होने वाले विदेशी आक्रमणों के कारण यहां एक मिली-जुली संस्कृति का विकास हो रहा था। रूढ़िवादी हिंदुओं की नजर में इस अपवित्रता को रोकने के लिए कुछ करने की आवश्यकता थी। सन् 647 में हर्ष की मृत्यु के बाद किसी मजबूत केंद्रीय शक्ति के अभाव में स्थानीय स्तर पर ही अनेक तरह की परिस्थितियों से निबटा जाता रहा। इन्हीं मजबूरियों के तहत पनपे नए स्थानीय नेतृत्व में जाति-व्यवस्था और भी कठोर हो गई। .

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राजस्थान क्रिकेट टीम

राजस्थान क्रिकेट टीम एक क्रिकेट टीम है। यह भारत के राजस्थान राज्य की क्रिकेट टीम है। इस टीम का घरेलु मैदान सवाई मानसिंह स्टेडियम है। राजस्थान क्रिकेट टीम दो बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीत चूकी है तथा इस टीम का संचालन राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन कर रहे हैं। यह टीम "टीम राजस्थान" के लोकप्रिय नाम से भी जानी जाती है। .

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राजस्थान के दुर्गों की सूची

राजस्थान एक प्राचीन धरोहर है यहाँ अनेक राजाओं ने लंबे समय तक शासन किया। इस दौरान अपने शासन काल में उन्होंने अपनी तथा अपनी प्रजा की सुरक्षा हेतु दुर्गों अर्थात् किलों का निर्माण करवाया। .

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राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग

राजस्थान के छह पहाड़ी दुर्ग यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल है। वे दुर्ग है.

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राजस्थान के महलों की सूची

भारतीय राज्य राजस्थान में कई प्राचीन हवेलीयां,महल दुर्ग इत्यादि है: .

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राजस्थान के शहर

* अजमेर,.

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राजस्थान के जिले

राजस्थान के ७ मंडलों में ३३ जिले हैं जो इस प्रकार हैं।- श्रेणी:राजस्थान से सम्बन्धित सूचियाँ.

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राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य

देश का सबसे अधिक दुर्लभ पक्षी गोडावण है जो राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिले में अधिक संख्या में मिलता है राजस्थान में तीन राष्ट्रीय उद्यान, २५ वन्य जीव अभ्यारण्य एवं ३३ आखेट निषेद क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं। भारतीय वन्यजीव कानून १९७२ देश के सभी राज्यों में लागू है। राज्य में वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास को जानने के लिए भू-संरचना के अनुसार प्रदेश को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है- १ मरुस्थलीय क्षेत्र, २ पर्वतीय क्षेत्र, ३ पूर्वी तथा मैदानी क्षेत्र और ४ दक्षिणी क्षेत्र। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जो कि भरतपुर में स्थित है यह एक राष्ट्रीय उद्यान है अर्थात एक अंतर्राष्ट्रीय पार्क जिसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। धार्मिक स्थलों के साथ जुड़े ओरण सदैव ही पशुओं के शरणस्थल रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पशु-पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान व राज्य सरकार द्वारा स्थापित स्थल अभ्यारण्य कहलाता है। .

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राजस्थान की झीलें

प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है। .

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राजस्थान की मिट्टियाँ

साधारणतया जिसे हम मिट्टी कहते हैं, वह चट्टानों का चूरा होता है। ये चट्टानें मुख्यतया तीन प्रकार की होती हैं - स्तरीकृत, आग्नेय और परिवर्तित। क्षरण या नमीकरण के अभिकर्त्ता तापमान,वर्षा,हवा,हिमानी,बर्फ व नदियों द्वाया ये चट्टाने टुकड़ों में विभाजित होती हैं जो अंत में हमें के रूप में दिखाई देती हैं। .

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राजस्थान की रूपरेखा

यह रूपरेखा राजस्थान के बारे में एक सामयिक पथप्रदर्शक है। राजस्थान – क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत गणराज्य का सबसे बड़ा राज्य है। यह भारत के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित है। इसमें थार रेगिस्तान नामक बहुत विशाल बंजर भूभाग शामिल है जिसे ग्रेट (great) भारतीय रेगिस्तान भी कहा जाता है जो पश्चिम में पाकिस्तान की सीमा तक सतलुज-सिंधु नदी घाटी तक फैला हुआ है। राजस्थान की सीमाएँ दक्षिण-पश्चिम में गुजरात उत्तर-पूर्व में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश तथा उत्तर में पंजाब से लगती हैं। राजस्थान, भारत के 10.4% भूभाग में फैला हुआ है जिसका कुल क्षेत्रफल 342,239 वर्ग किलोमीटर है। .

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राजस्थान की जलवायु

उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान का जलवायु आम तौर पर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान पेश करता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। भारत का यह राज्य राजस्थान उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाएं देशांतर रेखाएं तथा देशांतर रेखाओं के अक्षीय कोण अथवा पृथ्वी के मानचित्र में पश्चिम से पूर्व अथवा भूमध्य रेखा के समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं उन्हें अक्षांश रेखाएं कहा जाता है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार २३°३ उत्तरी अक्षांश से ३०°१२ उत्तरी अक्षांश तक है तथा देशांतरीय विस्तार ६०°३० पूर्वी देशांतर से ७८°१७ पूर्वी देशांतर तक है। कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल २१ जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु जबकि राज्य का सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले में स्थित फलोदी है। इसी प्रकार राज्य में गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसलिए माउंट आबू को राजस्थान का शिमला कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान कम होता है तथा प्रति १६५ मीटर की ऊंचाई पर तापमान १ डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। राजस्थान का गर्मियों में सर्वाधिक दैनिक तापांतर वाला जिला जैसलमेर है जबकि राज्य में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां श्रीगंगानगर जिले में चलती है राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। राजस्थान में गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण जो धूल भरे बवंडर बनते हैं उन्हें भभुल्या कहा जाता है गर्मियों में राज्य के दक्षिण पश्चिम तथा दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा भी होती है राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवने आकर्षित होती है तथा भारतीय उपमहाद्वीप के ऋतु चक्र को नियमित करने में योगदान देती है। राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है। राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है जबकि राज्य का सबसे आर्द्र स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है जबकि सबसे शुष्क जिला जैसलमेर है। राज्य का दक्षिण पश्चिम दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी भाग सामान्यतया आर्द्र कहलाता है। जबकि पूर्वी भाग सामान्यतया उप आर्द्र कहलाता है जबकि पश्चिमी भाग शुष्क प्रदेश में आता है इसके अलावा राजस्थान का उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भाग सामान्यतया अर्ध अर्ध शुष्क प्रदेश में आता है। .

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राजस्थान उच्च न्यायालय

राजस्थान उच्च न्यायालय भारत के राजस्थान प्रान्त का न्यायालय हैं। इसका मुख्यालय जोधपुर मे है। यह २१ जून, १९४९ को राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश, १९४९ के अंतर्गत स्थापित किया गया। इसकी एक खण्डपीठ जयपुर में भी स्थित है। .

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राजस्‍थान स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान विश्‍वविद्यालय

राजस्‍थान स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान विश्‍वविद्यालय (Rajasthan University of Health Sciences) जयपुर में स्थित राजस्थान का राज्य विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना २५ फरवरी २००५ को राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम २००५ के अन्तर्गत की गयी थी। यह जनवरी २००६ से कार्य करना आरम्भ कर दिया। .

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राजा विष्णुसिंह

| महाराजा विष्णुसिंह जयपुर राजघराने में आमेर के शासक और १७वीं सदी के सिद्ध-तांत्रिकशिवानन्द गोस्वामी के शिष्य और सवाई जयसिंह के पिता थे। .

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राजविराज

राजविराज नेपाल के सप्तरी जिला का मुख्यालय है। यह नेपाल में तराई क्षेत्र का सबसे पहला और नेपाल अधिराज्य का चौथा मुख्यालय है। यह नेपाल का पहला नगर है जिसे टाउन प्लानिंग करके बसाया गया है। वि॰सं॰ १९९४ मे सप्तकोशी नदी ने पुराना मुख्यालय हनुमाननगर को बाढ से प्रभावित करने के बाद मुख्यालय के लिया दूसरा जगह का खोज शुरु करवाया गया था। तत्कालीन बडाहाकिम प्रकाशशमशेर जबरा ने उपयुक्त जगह खोजकर शहर बसाने की जिम्मेवारी ख्यातिप्राप्त इन्जिनीयर डिल्लीजंग को दिया था। उस समय सुन्दर शहर के रूप में प्रसिद्ध भारत के जयपुर नगर के मानचित्र के आधार पर टाउन प्लानिंग करकर विं.सं.१९९८ मे राजविराज शहर बसाया गया था। .

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राजीव महर्षि

राजीव महर्षि भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक तथा संयुक्त राष्ट्र में बॉर्ड ऑफ ऑडिटर के अध्यक्ष हैं | वे पूर्व भारत के गृह सचिव तथा भारत के वित्त सचिव रह चुके हैं। वे 1978 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वित्त सचिव मंत्रालय का वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी होता है जो मंत्रालय के विभिन्न विभागों के काम-काज में समन्वय रखता है। इनसे पूर्व इस पद पर श्री अरविंद मायाराम कार्यरत थे जिनका स्थानांतरण अक्टूबर 2014 में पर्यटन मंत्रालय में हो गया। .

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राजीव खंडेलवाल

राजीव खंडेलवाल एक भारतीय फिल्म और टेलीविजन अभिनेता हैं।इनका जन्म १६ अक्‍टूबर १९७५ को राजस्‍थान के जयपुर में हुआ था। .

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राव राजेन्द्र सिंह

राव राजेन्द्र सिँह एक भारतीय राजनीतिज्ञ है। वर्तमान में वे राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष है। वे जयपुर के शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। .

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रावत पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, मानसरोवर

रावत पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल मानसरोवर, रावत एजुकेशनल ग्रुप की प्रमुख शाखाओ में एक है। यह विद्यालय हिंदी माध्यम विद्यालयों में एक प्रमुख स्थान रखता है। .

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रावत सीनियर सेकेंडरी स्कूल, विवेक विहार

272x272पिक्सेल रावत सीनियर सेकेंडरी स्कूल विवेक विहार, रावत बाल निकेतन जो कि 1983 में स्थापित हुआ की विस्तृत शाखा है। यह रावत एजुकेशनल ग्रुप की एक प्रारंभिक शाखा है। .

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रिया सेन

रिया सेन (রিয়া সেন, pron.) (जन्म: रिया देव वर्मा, २४ जनवरी १९८१) एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं। उनकी नानी सुचित्रा सेन, माँ मुनमुन सेन और बहन राइमा सेन भी अभिनेत्रियाँ रही हैं, इस तरह रिया मूलतः अभिनेताओं के परिवार में से है। उन्होंने अपना अभिनय करियर सन् १९९१ में फ़िल्म विषकन्या में एक बाल कलाकार के रूप में शुरू किया। उनको अपने फिल्म कैरियर की पहली व्यवसायिक सफलता सन् २००१ में एन. चंद्रा द्वारा दिग्दर्शित कम बजट वाली सेक्स कॉमेडी हिन्दी फ़िल्म स्टाइल में मिली। उनकी कुछ अन्य फ़िल्मों में निर्माता प्रीतिश नंदी की संगीतमय हिंगलिश (Hinglish) फ़िल्म झंकार बीट्स (2001), शादी नं. 1 (2005) और मलयालम में हॉरर फ़िल्म अनंथाभाद्रम (2005) शामिल है। सोलह साल की उम्र में जब रियाने फाल्गुनी पाठक के संगीत विडियो याद पिया की आने लगी में काम किया, तब पहली बार उनको एक मॉडल के रूप में पहचाना गया। तब से वह संगीत वीडियो, टेलिविजन विज्ञापनों, फैशन शो में और पत्रिका के आवरण पर दिखाई देने लगी। रिया ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया है और ऐड्स (AIDS) के प्रति जागरुकता फैलाने वाले एक संगीत विडियो में आयी, जिसका लक्ष्य लोगों के बीच इस बीमारी के बारे में बडे पैमाने में फैली गलतफ़हमियां को दूर करने का था। उन्होंने बाल नेत्र-चिकित्सा के लिया धन जुटाने में भी मदद की। अब तक रिया को अभिनेता अश्मित पटेल के साथ एम्एम्एस (MMS) क्लिप, फोटोग्राफर दब्बू रत्नानी के वार्षिक कैलेंडर में उनके अर्धनग्न चित्र और रूढ़िवादी भारतीय फ़िल्म उद्योग में बड़े परदे पर चुम्बन देनें को ले कर विवादों का सामना करना पड़ा हैं। .

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रिजवान ज़हीर उस्मान

रिजवान ज़हीर उस्मान (12 अगस्त 1948- 03 नवंबर 2012) राजस्थान के एक भारतीय साहित्यकार और नाट्यकर्मी थे। वे हिंदी के आधुनिक नाटककारों में अपनी मौलिक नाटकीयता के कारण जाने जाते हैं। उन्होने 100 से अधिक कहानियों और 150 नाटकों के लेखन के अलावा कला, साहित्य, कहानी, और नाटक के क्षेत्र में जीवनभर योगदान दिया था। उन्होंने करीब डेढ़ सौ से अधिक नाटकों का मंचन व प्रदर्शन किया और स्वयं अभिनय करते 50 से अधिक नाटकों का निर्देशन भी किया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा नाट्य लेखन एवं निर्देशन के लिए 'लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है। साहित्य अकादमी द्वारा नाटक ’कल्पना पिशाच’ के लिये 'देवीलाल सामर नाट्य लेखन पुरस्कार’ दिया जा चुका है। जयपुर के जवाहर कला केन्द्र द्वारा आयोजित पूर्वांकी नाट्य-लेखन में सर्वश्रेष्ठ नाटक ‘वही हुआ जिसका डर था तितली कों‘ पुरस्कृत किया गया था। किडनी की समस्या के कारण लम्बी बीमारी के बाद उनके पैतृक निवास भूत-महल मोहल्ले में हाथीपोल उदयपुर में उनका निधन हो गया। उस्मान सही अर्थों में एक आधुनिक/ उत्तर-आधुनिक रंगकर्मी थे, जिनकी नाट्य-दृष्टि अगर आधुनिक साहित्य, खास तौर पर कविताओं से प्रेरणा लेती थी तो बहुधा उसका विसर्जन राजनीति के ज्वलंत सवालों से टकराहट में होता था । उस्मान मूलतः राजनैतिक मंतव्यों के नाट्य-शिल्पी थे और उनका पक्ष स्पष्ट – कि नाटक महज़ मनोरंजन की विधा नहीं, उसका एक सन्देश भी है, मानव-संवेदना के परिष्कार के पक्ष में एक साफ़-सुथरा उद्देश्य भी । मनुष्य की नियति और अवस्थिति की वह बड़े गहरी समझ वाले निर्देशक और लेखक थे । विडम्बना, असमानता, हिंसा, हत्या, शोषण, लालच, वासना, ईर्ष्या, पूंजीवाद, संहार, युद्ध उनके लिए सिर्फ शब्द नहीं थे- इन सब के नाट्य-प्रतीक उस्मान ने अपने नाटकों में इतनी भिन्नता से रचे कि देख कर ताज्जुब में पड़ जाना होता है। इतिहास, परंपरा और संस्कृति पर उनकी स्वयं की एक अंतर्दृष्टि थी और एक अल्पसंख्यक होते हुए भी उनका सम्पूर्ण लेखन हर तरह की सीमित साम्प्रदायिकता, ओछे धार्मिक-वैमनस्य और सामजिक-प्रतिहिंसा के कीटाणुओं से पूरी तरह मुक्त था। नाटक बनाने सोचने लिखने और मंच पर लाने की उनकी एक खास 'स्टाइल' थी, और उनकी शैली की नक़ल लगभग असंभव। उनके नाट्य-प्रयोग और उनके नाटकों के अनेकानेक दृश्यबंध ही नहीं, पात्र और उनके नाम तक उस्मान के अपने निहायत मौलिक हस्ताक्षरों की अप्रतिमता का इज़हार करते जान पड़ते हैं। तोता, कोरस, आद, छठी इन्द्रिय, हक्का, पैसे वाली पार्टी, लेबर, ईगो, योद्धा, दिवंगत दादाजान, मामा, बहुत बड़ा सांप........आदि उस्मान के‘पात्रों’ में शुमार हैं। हर पात्र की अपनी अंतर्कथा और चरित्र है- हर पात्र नाटक में ज़रूरी पात्र है और कथानक में उसकी अपनी जगह अप्रतिम। ‘राजस्थान साहित्य अकादमी’ उदयपुर ने इनके कुछ नाटकों- 'आखेट-कथा',,'अनहद नाद' दोनों सही, दोनों गलत', 'बंसी टेलर', 'भीड़', 'चन्द्रसिंह गढ़वाली', 'छलांग' 'दिन में आधी रात', 'एकतरफा यातायात', 'लोमड़ियाँ', ' माँ का बेटा और कटार वाले नर्तक', 'मेरे गुनाहों को बच्चे माफ़ करें', 'पुत्र', 'रहम दिल सौदागर', 'यहाँ एक जंगल था श्रीमान' को ‘मधुमती’ में समय-समय पर प्रकाशित किया है.

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रजनी पनिक्कर

रजनी पनिक्कर (११ सितंबर १९२४- १८ नवम्बर १९७४) का जन्म लाहौर में हुआ था। वहीं से उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी में एम० ए० किया। बचपन से ही उनकी रूचि लेखने में थी। उन्होंने बंबई में प्रकाशित होने वाली कहानी की एक पत्रिका का संपादन किया। भारत विभाजन के बाद वे पंजाब सरकार के सूचना विभाग के पाक्षिक हिंदी पत्र 'प्रदीप' की संपादिका बनीं और आकाशवाणी के लखनऊ, कलकत्ता, दिल्ली, जयपुर आदि विभिन्न केंद्रों पर अनेक वर्ष तक अधिकारी के रूप में रहीं। उन्होंने दिल्ली स्थित महत्त्वपूर्ण सस्था लेखिका संघ की स्थापना की तथा उसकी प्रथम अध्यक्षा भी रहीं। विवाह पूर्व उनका नाम रजनी नैयर था। फौजी अफसर ट्रावनकोर के श्रीधर पनिक्कर से विवाह हो जाने के बाद वे नैयर से रजनी पनिक्कर बन गईं। वे अपने निर्भीक और ओजपूर्ण लेखन के कारण जानी जाती हैं। उन्होंने उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। उन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यासों की रचना की है, जो हिंदी संसार में बहुचर्चित रहे। (१९४९) में 'ठोकर' नाम से अपना पहला उपन्यास रजनी नैयर नाम से ही लिखा था। इसमें शिक्षित मध्यमवर्गीय परिवार की स्वछंदता का सफल चित्रण देखा जा सकता है। उनके उपन्यास 'पानी की दीवार' (१९५४) की कथा प्रेम के स्वस्थ और शालीन दृष्टिकोण को उभारती है। यह उपन्यास मनोवैज्ञानिक पर आधारित है। 'मोम के मोती' (१९५४) में रजनी पनिक्कर ने पुरूषों की उद्दंड कामुकता और इससे उत्पन्न सामाजिक वातावरण में नौकरीपेशा नारी की समस्याओं को उजागर किया है। 'प्यासे बादल' (१९५५) में उन्होंने सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार का महत्व प्रदर्शित किया है और बताया है कि इससे समाज का कोढ़ समझा जानेवाला आदमी भी सुधर सकता है। 'जाड़े की धूप' (१९५८) नौकरीपेशा नारी और उसके बदलते प्रेम संबंधों की कहानी है जिसमें दांपत्य से विचलन और निस्सरता की बात की गई है। 'काली लड़की' (१९५८) साँवली सूरत वाली लड़की की सामाजिक कठिनाइयों की कहानी है। 'महानगर की मीता' (१९५६) में मीता अपनी शर्त पर जीवन जीने की चाह रखती है और जीकर दिखाती है। इसके अतिरिक्त रजनी पनिक्कर के 'एक लड़कीः दो रूप', 'दूरियाँ', 'अपने-अपने दायरे', 'सिगरेट के टुकड़े' (१९५६), 'सोनाली दी', 'प्रेम चुनरिया बहुरंगी' आदि उपन्यास भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी कई रचनाएं उत्तरप्रदेश सरकार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूनेस्को द्वारा पुरस्कृत हुई हैं। पचास वर्ष की छोटी सी जीवन अवधि में ही उन्होंने हिंदी कथा लेखन में अपने अनुभवों को जो विस्तार दिया वह हिन्दी साहित्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। श्रेणी:हिन्दी उपन्यासकार श्रेणी:हिन्दी कथाकार श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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रज़्मनामा

रज़्मनामा (फ़ारसी: رزم نامہ, जंग की किताब) महाभारत का फ़ारसी अनुवाद है जो कि मुग़ल बादशाह अकबर के समय में करवाया गया था। 1574 में अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी में मकतबख़ाना (अनुवादघर) शुरू किया। इसके साथ अकबर ने राजतरंगिणी, रामायण, वग़ैरा जैसे संस्कृत ग्रंथों को फ़ारसी में अनुवाद करने के लिए हिमायत दी। रज़्मनामा की तीन प्रतियाँ है प्रथम जयपुर अजायबघर में, दुसरी 1599 में तैयार जो वर्तमान समय में विविध संग्रहालय में रखी गई है और अंतिम रज़्मनामा रहीम का है जो 1616 में पुरा हुआ था। रज़्मनामा अपने चित्रों के कारण महत्त्वपूर्ण है। जयपुर प्रत के मुख्य चित्रकार दशवंत, वशावंत और लाल है। ई.स. 1599 की प्रत के मुख्य चित्रकार असी, धनु और फटु है। .

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रघुवीर यादव

रघुवीर यादव हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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रैबारी

रबारी, रैबारी राईका, गोपालक एव देसाई के नाम से जानेवाली  यह एक अति प्राचीन क्षत्रिय जाती है। जिसके मूल सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े हुए हैं खेती और पशुपालन भारतीय लोगो का मुख्य व्यवसाय रहा है।  इस जाती के लोग भी इसी  व्यवसाई से जुड़े हुए लोग है।  रैबारी उत्तर भारत की एक प्रमुख एव प्राचीन जनजाति है।  इन्हें अहीर जाति के एक शाखा माना जाता है.

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रेडियो सिटी

150px रेडियो सिटी भारत का एक गैर शासकीय रेडियो स्टेशन है। इसका प्रसारण ९१.१ मेगाहर्ट्ज़ पर होता है। इस रेडियो स्टेशन कि शुरुआत सबसे पहले मुंबई से २००४ में हुई। अब यह भारत के कई शहरों और महानगरों में एक प्रचलित रेडियो स्टेशन है। इसकीं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिस.

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रोमन सैनी

डॉ॰ रोमन सैनी एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी है, अनएकेडेमी नामक निःशुल्क ऑनलाइन शैक्षणिक संस्था के संस्थापक है। वे मोटिवेशनल स्पीकर और गिटारिस्ट भी हैं। जनवरी 2016, रोमन सैनी ने निःशुल्क शैक्षणिक पहल अनएकेडेमी पर ध्यान देने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। दैनिक भास्कर के साक्षात्कार में रोमन ने कहा की सिविल सर्विस छोड़ने का फैसला कठिन था। लेकिन हमारी ये पहल एजुकेशन की तस्वीर बदलेगी। .

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रोहित शर्मा

रोहित गुरूनाथ शर्मा (Rohit Sharma) (जन्म: ३० अप्रैल १९८७) एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी है। इनका जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। रोहित मुख्य रूप से सलामी बल्लेबाज के रूप में जाने जाते हैं। रोहित टेस्ट क्रिकेट, वनडे और ट्वेन्टी-ट्वेन्टी के अलावा इंडियन प्रीमियर लीग में भी खेलते है इसके अतिरिक्त मुम्बई इंडियन्स टीम के कप्तान भी है। वर्तमान में वे भारतीय वनडे टीम के उप कप्तान भी है। उन्होंने अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ ०९ नवम्बर २०१३ को कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर खेलकर की थी उस मैच में रोहित ने १७७ रनों की पारी खेली थी, उन्होंने १०८ वनडे मैचों के बाद टेस्ट मैच खेला था। जबकि एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत २३ जून २००७ को आयरलैण्ड क्रिकेट टीम के खिलाफ की थी। इनके अलावा रोहित ने अपने ट्वेन्टी-ट्वेन्टी में अपना पहला मैच १९ सितम्बर २००७ को इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ खेला था। १३ नवम्बर २०१४ को कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर श्रीलंकाई टीम के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए २६४ रनों की पारी खेलकर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक मैच में सबसे ज्यादा रन अर्थात सर्वोच्च स्कोर बनाकर नया कीर्तिमान कायम किया है। रोहित शर्मा एक दिवसीय क्रिकेट इतिहास में सबसे ज्यादा दोहरे शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी है। इन्होंने वनडे में तीन दोहरे शतक लगाये है जो अभी तक किसी बल्लेबाज ने नहीं लगाए है। फ़ोर्ब्स इंडिया २०१५ के भारत के १०० शीर्ष प्रसिद्ध व्यक्तियों में शर्मा को ८वाँ स्थान मिला। महेंद्र सिंह धोनी और गौतम गंभीर के बाद अपनी टीम को आईपीएल खिताब दिलाने वाले तीसरे कप्तान हैं। .

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रोहित शर्मा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शतकों की सूची

रोहित शर्मा एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जो शीर्ष क्रम में दाईने हाथ से बल्लेबाजी करते है। रोहित शर्मा क्रिकेट इतिहास के एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तीन बार दोहरे शतक लगाए हैं। इन्होंने अब तक २२ शतक लगाए है जिसमें १७ वनडे शतक है जबकि ३टेस्ट क्रिकेट में शतक है तथा २ ट्वेन्टी-ट्वेन्टी में भी शतक है। रोहित ने अपना पहला वनडे मैच आयरलैण्ड क्रिकेट टीम के खिलाफ जून २००७ में किया था जबकि पहला शतक ज़िम्बाब्वे के खिलाफ २०१० में बनाया था,उस मैच में ११४ रन बनाए थे। इन्होंने अपने टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत २०१३ में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ की थी। उस मैच में इन्होंने 177 रनों की पारी खेली थी। १३ नवम्बर २०१४ को इन्होंने श्रीलंका क्रिकेट टीम के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान पर वनडे मैच में २६४ रन बनाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया था। ०२ अक्तूबर २०१५ को रोहित शर्मा ने टी२० में शतक लगाकर दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए जिन्होंने टी२० में शतक लगाया। .

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लाडनूं

आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर लाडनूँ राजस्थान का एक कस्बा है जो नागौर जिले की लाडनूं तहसील का मुख्यालय है। लाडनूं अपने नाम के अनुरूप धनाढ्य लोगों एवं सेठों का शहर रहा है, जहां से वे भारत के विभिन्न शहरों में फैले हुए हैं। दिल्ली से यह 380 किमी एवं जयपुर से 220 किमी की दूरी पर स्थित है। राजस्थान राज्य बनने से पहले यह जोधपुर रियासत की जागीर थी। यह नगर सुजानगढ, सीकर, बीकानेर, जोधपुर, अजमेर, जयपुर एवं अन्य प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। दिल्ली-रतनगढ-जोधपुर रेलवे लाइन पर यह महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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लक्ष्मणगढ़

लक्ष्मणगढ़ भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक शहर है। सीकर जिले में लक्ष्मणगढ़ उप प्रभाग में उप प्रभागीय मुख्यालय है। लक्ष्मणगढ़ सीकर जिले में तहसील मुख्यालय भी है। लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति सीकर जिले में लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति का मुख्यालय भी है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 11 के उत्तर में, सीकर से 24 किमी की दूरी पर स्थित है। .

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लक्ष्मी मिष्ठान भंडार होटल

लक्ष्मी मिष्ठान भंडार होटल, जो एल एम् बी के नाम से भी लोकप्रिय है, यह भारत के राजस्थान राज्य में जयपुर शहर का एक प्रसिद्ध होटल, रेस्तरां एवं मिठाई की दुकान है। 1954 में स्थापित यह होटल जौहरी जयपुर शहर के जौहरी बाजार स्थित है। यह होटल राज्य को पहले तीन सितारा होटल के रूप में जाना जाता है। आज, यह सबसे अधिक अपने रेस्तरां और मिठाई की दुकान के लिए जाना जाता है, जो एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण रहे हैं। यहाँ पर पारंपरिक मिठाई जैसे पनीर घेवर, मीठी लस्सी, के अलावा नाश्ते के लिए समोसा, चाट और आलू टिक्की परोसे जाते हैं। सिंघ, प. १७७बृयन, प. ४१५ आमतौर पर भारत के सभी प्रसिद्ध नास्ते के व्यंजन यहाँ पर उपलब्ध है। लक्ष्मी मिष्ठान भंडार होटल की सबसे बड़ी खासियत इसका अनूठा स्वाद है जो आपको और कही नहीं मिलेगा। .

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लेमन ट्री होटल्स

कोई विवरण नहीं।

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लेकर हम दीवाना दिल

लेकर हम दीवाना दिल एक भारतीय बॉलीवुड फिल्म है। जिसका निर्देशन आरिफ़ अली और निर्माण दिनेश विजन व सैफ़ अली ख़ान ने किया है। यह फ़िल्म 4 जुलाई 2014 में प्रदर्शित हुई थी। .

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शरद जोशी सम्मान

शरद जोशी सम्मान,उत्कृष्ट सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने हिन्दी व्यंग्य, ललित निबन्ध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए स्थापित किया है। यह गौरव की बात है कि शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे, जिन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया तेवर और वैविध्य दिया तथा समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशा प्रदान करने का उत्तारदायी रचनाकर्म किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है। .

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शशि साँखला

शशि साँखला एक कथक नृतकी है जो कि जयपुर,राजस्थान से है। कथक नृत्य में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। और अब वह जयपुर कथक केंद्र की प्राचार्या भी हैं। उन्होंने जोधपुर में १८ वर्ष की आयु में एक शिक्षक के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था और १९७८ में जयपुर कथक केंद्र (राजस्थान सरकार के एक स्वायत्त निकाय) में शामिल हो गई और २००६ में प्रधानाचार्या के रूप में सेवानिवृत्त हुई। उनके पास ४० साल के शिक्षण का अनुभव हैं और उन्होंने भारतीयों के अलावा कई विदेशी बच्चों को भी प्रशिक्षित किया है। उन्होंने अपने शिक्षण काल ​​में कई नृत्य जैसे बैले, पनिहारी, राधारी, चाउंसार, दशावतार, गणगौर, राजपूतानी आदि नृत्यों के साथ कथक किया और लोक नृत्य के संयोजन में उनकी विशेषज्ञता अद्वितीय है। .

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शार्दुल ठाकुर

शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) (जन्म;१६ अक्टूबर १९९१, पालघर, महाराष्ट्र, भारत) एक भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी है जो घरेलू क्रिकेट मुम्बई के लिए खेलते है। ये प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते हुए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के २१८वें खिलाड़ी है। इन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग में किंग्स इलेवन पंजाब के लिए खेले है जबकि अभी मुम्बई इंडियन्स के लिए खेलते है। .

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शास्त्रीय नृत्य

भारत में नृत्‍य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्‍यों की विभिन्‍न विधाओं ने जन्‍म लिया है। प्रत्‍येक विधा ने विशिष्‍ट समय व वातावरण के प्रभाव से आकार लिया है। राष्‍ट्र शास्‍त्रीय नृत्‍य की कई विधाओं को पेश करता है, जिनमें से प्रत्‍येक का संबंध देश के विभिन्‍न भागों से है। प्रत्‍येक विधा किसी विशिष्‍ट क्षेत्र अथवा व्‍यक्तियों के समूह के लोकाचार का प्रतिनिधित्‍व करती है। भारत के कुछ प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य हैं - .

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शिरीन मिर्ज़ा

शिरीन मिर्ज़ा एक भारतीय अभिनेत्री हैं। शिरीन अपने किरदार "सिम्मी (ये है मोहब्बतें)" के लिए लोकप्रिय है। उन्होंने काफी धारावाहिकों जैसे "धर्मक्षेत्र, २४, और कुछ फिल्मे, मैं नहीं अन्ना, और नोट टुडे और वर्तमान में भी काम किया हैं। .

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शिला माता मन्दिर

शिला देवी मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर नगर में आमेर महल में स्थित एक मंदिर है। इसकी स्थापना यहां सवाई मानसिंह द्वितीय द्वारा की गयी थी। स्थानीय लोगों से मिली सूचनानुसार शिला देवी जयपुर के कछवाहा राजपूत राजाओं की कुल देवी रही हैं। इस मंदिर में लक्खी मेला लगता है जो काफ़ी प्रसिद्ध है। इस मेले में नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शनों के लिए आती है। शिला देवी की मूर्ति के पास में भगवान गणेश और मीणाओं की कुलदेवी हिंगला की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। कहते हैं कि यहां पहले मीणाओं का राज हुआ करता था। नवरात्रों में यहाँ दो मेले लगते हैं एवं देवी को प्रसन्न करने के लिए पशु बलि दी जाती है। आमेर दुर्ग के महल में जलेब चौक है जिसके दक्षिणी भाग में शिला माता का ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। ये शिला माता राजपरिवार की कुल देवी भी मानी जाती हैं। यह मंदिर जलेब चौक से दूसरे उच्च स्तर पर मौजूद है अतः यहां से कुछ सीढ़ियाँ चढ़ कर मंदिर तक पहुंचना होता है। ये शिला देवी मूलतः अम्बा माता का ही रूप हैं एवं कहा जाता है कि आमेर या आंबेर का नाम इन्हीं अम्बा माता के नाम पर ही अम्बेर पड़ा था जो कालान्तर में आम्बेर या आमेर हो गया। माता की प्रतिमा एक शिला पर उत्कीर्ण होने के कारण इसे शिला देवी कहा जाता है। .

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शिव मंदिर, नई का नाथ, बांसखो,जयपुर

नई का नाथ,शिव मंदिर जयपुर-तुंगा मार्ग पर जयपुर से लगभग 35 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। भगवान शिव को समर्पित, यह एक एतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर के 7 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध माधोगढ का किला स्थित है जहां पर देश विदेश से सैलानी आते हैं। .

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शिवदीन राम जोशी

श्रेणी:राजस्थानी साहित्यकार शिवदीन राम जोशी (जन्म: १० जून १९२१, खंडेला, सीकर जिला) एक भारतीय कवि थे। उनके साहित्य में सवैया, मनहर, मतगयंद, कुंडली छंद ओर कवित्त का प्रयोग तथा धमाल, भजन ओर गजलों का समावेश है। पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम, प्रकृति चित्रण, प्रार्थना और उपदेश के साथ-साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों, पाखंड, भ्रष्टाचार एवं काल चिंतन उनके साहित्य का मुख्य केंद्र रहे हैं। उनके साहित्य की भाषा ब्रज मिश्रित हिंदी है। कहीं कहीं राजस्थानी, उर्दू और फारसी शब्दों के अलावा अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। जोशी का अधिकांश साहित्य अप्रकाशित है। .

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शिवानन्द गोस्वामी

शिवानन्द गोस्वामी | शिरोमणि भट्ट (अनुमानित काल: संवत् १७१०-१७९७) तंत्र-मंत्र, साहित्य, काव्यशास्त्र, आयुर्वेद, सम्प्रदाय-ज्ञान, वेद-वेदांग, कर्मकांड, धर्मशास्त्र, खगोलशास्त्र-ज्योतिष, होरा शास्त्र, व्याकरण आदि अनेक विषयों के जाने-माने विद्वान थे। इनके पूर्वज मूलतः तेलंगाना के तेलगूभाषी उच्चकुलीन पंचद्रविड़ वेल्लनाडू ब्राह्मण थे, जो उत्तर भारतीय राजा-महाराजाओं के आग्रह और निमंत्रण पर राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य प्रान्तों में आ कर कुलगुरु, राजगुरु, धर्मपीठ निर्देशक, आदि पदों पर आसीन हुए| शिवानन्द गोस्वामी त्रिपुर-सुन्दरी के अनन्य साधक और शक्ति-उपासक थे। एक चमत्कारिक मान्त्रिक और तांत्रिक के रूप में उनकी साधना और सिद्धियों की अनेक घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। श्रीमद्भागवत के बाद सबसे विपुल ग्रन्थ सिंह-सिद्धांत-सिन्धु लिखने का श्रेय शिवानंद गोस्वामी को है।" .

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श्री चक्र

श्री चक्र श्री चक्र की ज्यामितीय संरचना श्री चक्र एक यन्त्र है जिसका प्रयोग श्री विद्या में होता है। इसे 'श्री यंत्र', 'नव चक्र' और 'महामेरु' भी कहते हैं। यह सभी यंत्रो में शिरोमणि है और इसे 'यंत्रराज' कहा जाता है। वस्तुतः यह एक एक जटिल ज्यामितीय आकृति है। इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती त्रिपुर सुंदरी हैं। श्री यंत्र की स्थापना और पूजा से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। नवरात्रि, धनतेरस के दिन श्रीयंत्र का पूजन करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। श्री यंत्र के केन्द्र में एक बिंदु है। इस बिंदु के चारों ओर 9 अंतर्ग्रथित त्रिभुज हैं जो नवशक्ति के प्रतीक हैं। इन नौ त्रिभुजों के अन्तःग्रथित होने से कुल ४३ लघु त्रिभुज बनते हैं। .

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श्री राजपूत करणी सेना

श्री राजपूत करणी सेना (एसआरकेएस) 2006 में स्थापित एक राजपूत जाति संगठन है। यह जयपुर, राजस्थान, भारत में आधारित है। ये समूह कथित "राष्ट्रीय एकता" की हिमायत करते हैं और जाति-केंद्रित सकारात्मक भेदभाव और "भ्रष्टाचार" का विरोध करते हैं। लोकेंद्र सिंह काल्वी इस संगठन के अगुआ है। .

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श्री कल्याण महाविद्यालय, सीकर

श्री कल्याण महाविद्यालय, (Shri Kalyan Government PG College) संक्षेप में एस.

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श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2005-06

श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर 2005 में क्रिकेट मैचों के लिए भारत का दौरा किया। दौरे को दो चरणों में विभाजित किया गया था, जैसा कि भारत ने भारत-श्रीलंका वनडे (जो कि 25 अक्टूबर और 12 नवंबर के बीच खेला जाता था) और टेस्ट, जो दिसंबर में हुई थी, के बीच एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला के लिए दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी की थी। ओडीआई श्रृंखला से पहले, भारत आईसीसी की एकदिवसीय चैम्पियनशिप तालिका में सातवें स्थान पर था, जबकि श्रीलंका दूसरे स्थान पर था, और भारतीय टीम ने आधिकारिक तौर पर कप्तानों को बदल दिया था और राहुल द्रविड़ ने सौरव गांगुली से कप्तानों को बदल दिया था। हालांकि, भारत ने रैंकिंग को खारिज कर दिया, इस श्रृंखला को सुरक्षित रखने के लिए सातों के पहले चार एकदिवसीय मैच जीतने और कप्तान द्रविड़ के आराम के बावजूद 6-1 से जीत दर्ज की और सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को छठे ओडीआई के लिए शीर्ष पर ले लिया। श्रीलंका के 100 टेस्ट और 345 एकदिवसीय मैचों में सलामी बल्लेबाज सनथ जयसूर्या को छह एकदिवसीय मैचों में 86 रन बनाने के बाद टेस्ट से हटा दिया गया जबकि राहुल द्रविड़ 18 अंकों के साथ आईसीसी की रैंकिंग में 312 रन बनाकर दो बार आउट हुए। भारत के विकेट-कीपर एमएस धोनी ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जो श्रृंखला का दूसरा सबसे औसत दर्जे वाला बल्लेबाज था, और उन्होंने एक मैचों में 183 नाबाद बनाये जो एक ओडीआई में एक बल्लेबाज ने छठे सबसे ऊंची पारी खेली। टेस्ट सीरीज़ भारत ने भी जीता, इस बार 2-0 से, बारिश के कारण पहले टेस्ट के तीन और डेढ़ दिन का खेल हार गया। दूसरे टेस्ट में, भारत ने पहली पारी में 60 रनों की बढ़त हासिल की, जबकि अनिल कुंबले ने 72 रनों के लिए छह विकेट लिए और चार अर्धशतक (इरफ़ान पठान, युवराज सिंह, राहुल द्रविड़ और एमएस धोनी) ने भारत को 375 और रन करने से पहले घोषित किया। कुंबले ने तब मैच में दस रन पूरे कर लिए थे क्योंकि श्रीलंका को 247 रन पर आउट कर दिया गया था, जो 188 रन से हार गया था। दूसरे मैच में, जीत का अंतर भी अधिक समझदार था, कुंबले ने सात विकेट लिए और हरभजन सिंह ने 10 रनों के रूप में श्रीलंका को 256 रनों के नुकसान के लिए 206 और 249 के लिए आउट किया। .

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श्रीकृष्ण जुगनू

श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ राजस्थान के युवा और जाने माने भारतविद पुराविशेषज्ञ हैं। इतिहास-पुरातत्त्व, शिल्प, कला, स्थापत्य, शिक्षा, धर्म, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र व संस्कृति जैसे विषयों के अनुवाद, अध्ययन-अध्यापन, अनुसंधान और लेखन में गहरी रुचि तथा एतद्विषयक स्थलों के टोही-भ्रमण में भी गहन दिलचस्पी लेने वाले डॉ॰ श्रीकृष्ण 'जुगनू' प्राचीन ग्रंथों के संपादन और उन्हें प्रकाशित करने के संबंध में उपयोगी कार्य कर रहे हैं। .

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श्रीकृष्णभट्ट कविकलानिधि

(देवर्षि) श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि (1675-1761) सवाई जयसिंह के समकालीन, बूंदी और जयपुर के राजदरबारों से सम्मानित, आन्ध्र-तैलंग-भट्ट, संस्कृत और ब्रजभाषा के महाकवि थे। "सवाई जयसिंह द्वितीय (03 नवम्बर 1688 - 21 सितम्बर 1743) ने अपने समय में जिन विद्वत्परिवारों को बाहर से ला कर अपने राज्य में जागीर तथा संरक्षण दिया उनमें आन्ध्र प्रदेश से आया यह तैलंग ब्राह्मण परिवार प्रमुख स्थान रखता है। इस परिवार में में ही उत्पन्न हुए थे (देवर्षि) कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट जी, जिन्होंने 'ईश्वर विलास', 'पद्यमुक्तावली', 'राघव गीत' आदि अनेक ग्रंथों की रचना कर राज्य का गौरव बढ़ाया। इन्होंने सवाई जयसिंह से सम्मान प्राप्त किया था, (उनके द्वारा जयपुर में आयोजित) अश्वमेध यज्ञ में भाग लिया था, जयपुर को बसते हुए देखा था और उसका एक ऐतिहासिक महाकाव्य में वर्णन किया था। देवर्षि-कुल के इस प्रकांड विद्वान ने अपनी प्रतिभा के बल पर अपने जीवन-काल में पर्याप्त प्रसिद्धि, समृद्धि एवं सम्मान प्राप्त किया था।" भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने अपने इन पूर्वज कविकलानिधि का सोरठा छंद में निबद्ध संस्कृत-कविता में इन शब्दों में स्मरण किया था- तुलसी-सूर-विहारि-कृष्णभट्ट-भारवि-मुखाः। भाषाकविताकारि-कवयः कस्य न सम्भता:।। .

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शूरसेन देश

शूरसेन देश प्राचीन काल में राजस्थान में जनपद था। राजस्थान भारत वर्ष के पश्चिम भाग में अवस्थित है जो प्राचीन काल से विख्यात रहा है। तब इस प्रदेश में कई इकाईयाँ सम्मिलित थी जो अलग-अलग नाम से सम्बोधित की जाती थी। उदाहरण के लिए जयपुर राज्य का उत्तरी भाग मध्यदेश का हिस्सा था तो दक्षिणी भाग सपालदक्ष कहलाता था। अलवर राज्य का उत्तरी भाग कुरुदेश का हिस्सा था तो भरतपुर, धोलपुर, करौली राज्य शूरसेन देश में सम्मिलित थे। श्रेणी:राजस्थान.

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शेखर गुरेरा

सम्पादकीय कार्टूनिस्ट शेखर गुरेरा (पूरा नाम: चंद्रशेखर गुरेरा) एक भारतीय कार्टूनिस्ट हैं। इन्हें भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय से मान्यता प्राप्त है। इन्हें दैनिक पाकेट कार्टून के माध्यम से भारत के राजनीतिक एवं सामाजिक परिवेश पर चंद पंक्तियों में सटीक एवं गुदगुदाती टिप्पणियों के लिए जाना जाता है। इनके दैनिक कार्टून अंग्रेजी, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के दैनिक समाचार पत्रों: द पायनियर, पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, हिंदसमाचार एवं जगबानी में प्रकाशित होते हैं। इन्होंने अपने कार्टून जीवन की शुरुआत १९८४ में बतौर स्नातक कर रहे विज्ञान के एक छात्र, फ्रीलांसर के रूप में की थी। .

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शेखावाटी

शेखावाटी उत्तर-पूर्वी राजस्थान का एक अर्ध-शुष्क ऐतिहासिक क्षेत्र है। राजस्थान के वर्तमान सीकर और झुंझुनू जिले शेखावाटी के नाम से जाने जाते हैं इस क्षेत्र पर आजादी से पहले शेखावत क्षत्रियों का शासन होने के कारण इस क्षेत्र का नाम शेखावाटी प्रचलन में आया। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर-शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ, सुरजगढ, नवलगढ़,मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, * कंकङेऊ कलां खाचरियाबास, अलसीसर,यासर,मलसीसर,लक्ष्मणगढ,बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी क्षेत्र पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र में तेजी से उभर रहा है, यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र है। वही नवलगढ़, फतेहपुर, गंगियासर,अलसीसर, मलसीसर, लक्ष्मणगढ, मंडावा आदि जगहों पर बनी प्राचीन बड़ी-बड़ी हवेलियाँ अपनी विशालता और भित्ति चित्रकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिन्हें देखने देशी-विदेशी पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। पहाडों में सुरम्य जगहों बने जीण माता मंदिर, शाकम्बरीदेवी का मन्दिर, लोहार्ल्गल के अलावा खाटू में बाबा खाटूश्यामजी का (बर्बरीक) का मन्दिर,सालासर में हनुमान जी का मन्दिर * कंकङेऊ कलां में बाबा माननाथ की मेङी आदि स्थान धार्मिक आस्था के ऐसे केंद्र है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। इस शेखावाटी प्रदेश ने जहाँ देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले देशप्रेमी दिए वहीँ उद्योगों व व्यापार को बढ़ाने वाले सैकडो उद्योगपति व व्यापारी दिए जिन्होंने अपने उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला झुंझुनू जिला शेखावाटी का ही भाग है। .

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सचिन तेंदुलकर के अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट शतकों की सूची

सचिन तेंदुलकर ने अन्य किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी से अधिक एकदिवसीय और टेस्ट शतक बनाये हैं। सचिन तेंदुलकर भारतीय सेवानिवृत क्रिकेट खिलाड़ी और पूर्व कप्तान हैं। वो अपनी पीढी के क्रिकेट खिलाड़ियों में महानतम खिलाड़ियों के रूप में जाने जाते हैं और वो सबसे अधिक अन्तरराष्ट्रीय रन बनाने वाले क्रिकेट खिलाड़ी भी हैं। तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा आयोजित टेस्ट मैचों और एकदिवसीय मैचों में शतक (१०० या इससे अधिक रन) बनाये। उन्होंने अपना अन्तिम शतक मार्च २०१२ में बांग्लादेश के विरुद्ध बनाया। इस मैच में उन्होंने ११४ रन बनाकर अपने अन्तरराष्ट्रीय शतकों का शतक पूर्ण किया, ऐसा शतक बनाने वाले वो दुनिया के प्रथम और एकमात्र क्रिकेट खिलाड़ी हैं। .

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सपना पूनिया

सपना पूनिया (Sapna Punia) (जन्म ०२ जनवरी १९८८) एक भारतीय महिला रेसवॉकर है जिनका जन्म राजस्थान के जयपुर ज़िले में हुआ था। इन्होंने 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में क़्वालीफाई किया जो कि ब्राजील रियो डि जेनेरियो में आयोजित किया गया। सपना पूनिया एथलीट होने के साथ ही राजस्थान पुलिस की उप-निरीक्षक भी है। .

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सपालदक्ष

सपालदक्ष प्राचीन काल में राजस्थान में जनपद था। राजस्थान भारत वर्ष के पश्चिम भाग में अवस्थित है जो प्राचीन काल से विख्यात रहा है। तब इस प्रदेश में कई इकाईयाँ सम्मिलित थी जो अलग-अलग नाम से सम्बोधित की जाती थी। उदाहरण के लिए जयपुर राज्य का उत्तरी भाग मध्यदेश का हिस्सा था तो दक्षिणी भाग सपालदक्ष कहलाता था। अलवर राज्य का उत्तरी भाग कुरुदेश का हिस्सा था तो भरतपुर, धोलपुर, करौली राज्य शूरसेन देश में सम्मिलित थे। श्रेणी:राजस्थान.

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सबसे बड़े शहरों की सूची

दुनिया के सबसे बड़े शहरों का निर्धारण करने हेतु यह देखा जाना जरुरी की वह किस परिभाषा का उपयोग कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र एक शहर का गठन करने वाली तीन परिभाषाओं का उपयोग करता है, लेकिन सभी शहरों को उसी मापदंड का उपयोग करके वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। शहरों को शहरी क्षेत्र, उनके शहरी क्षेत्र की सीमा या उनके महानगरीय क्षेत्र कि जनसंख्या के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। .

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सबसे सघन आबादी वाले शहर

FE-India-Map-2014.jpg भारत के घनी आबादी वाले शहरों भारत के सबसे घनी आबादी वाले शहरों की सूची .

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समर्थलाल मीणा

समर्थलाल मीणा (१९३४ – ७ मई २०१४) भारतीय राज्य राजस्थान के राजनीतिज्ञ थे। वो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य थे। वो २४ जुलाई १९९८ से ४ जनवरी १९९९ तक राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष रहे। वो राजस्थान के राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से पाँच बार विधायक निर्वाचित हुये। ७ मई २०१४ को जयपुर स्थित संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में उनका निधन हो गया। .

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सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत

सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत जिसे 'एन आई टी सूरत' के नाम से भी जाना जाता है, प्रौद्योगिकी एवम अभियांत्रिकी का राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। यह भारत के लगभग तीस राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एन आई टी) में से एक है। इसे भारत सरकार ने १९६१ में स्थापित किया था। इसकी संगठनात्मक संरचना एवम स्नातक प्रवेश प्रक्रिया शेष सभी एन आई टी की तरह ही है। संस्थान में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, विज्ञान मानविकी और प्रबंधन में स्नातक, पूर्व स्नातक एवम डॉक्टरेट के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। .

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सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान

यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। .

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सलोली, राजस्थान

सलोली राजस्थान राज्य, भारत के अलवर जिले में रेनी तहसील का एक ग्राम है। यह जयपुर डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय अलवर से ५० किलोमीटर दूर, रेनी से ६ किलोमीटर और राज्य की राजधानी जयपुर से १०७ किलोमीटर दूर स्थित है। .

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साँभर

साँभर पश्चिमी राजस्थान में साँभर झील के दक्षिण पूर्वी किनारे पर स्थित nagar है और नमक के निर्यात के कारण काफी प्रसिद्ध है। इसका प्राचीन नाम 'शाकम्भरी' है। महाभारत के आदि पुराण में इसका उल्लेख है। स्कंदपुराण ने इसके आसपास के प्रदेश को 'शाकंभर सपादलक्ष' की संज्ञा दी है। यहाँ की खुदाई में प्राप्त यवन यौधेय, और हिंद-समानी मुदाएँ एवं उसी समय के मकान और अन्य वस्तुएँ भी इसकी प्राचीनता की द्योतक हैं। साँभर कई सदियों तक चौहानों की राजधानी रही और साँभर के हाथ से निकल जाने पर भी चौहान राजा 'संभरीशव' (शाकंभरीराज) कहलाते रहे। अजयराज चौहान ने संवत् ११७० के लगभग साँभरी के स्थान पर अजमेर को अपना राजनगर बनाया। पृथ्वीराज की पराजय के बाद यहाँ मुसलमानों का राज्य हुआ। सन् १७०८ में जयपुर और जोधपुर के राजाओं ने इसपर अधिकार किया। अब इसका महत्व मुख्य रूप से साँभर नमक के कारण है। साँभर में शाकंभरी देवी के मंदिर का उल्लेख पृथ्वीराजविजय में भी है। नगर का नाम शाकंभरी देवी के नाम से 'साँभर' हो गया है। .

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सालासर बालाजी

सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं। हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। इस समय 6 से 7 लाख लोग अपने इस देवता को श्रद्धांजलि देने के लिए यहाँ एकत्रित होते हैं। भारत में यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमे बालाजी के दाढ़ी और मूँछ है। बाकि चेहरे पर राम भक्ति में राम आयु बढ़ाने का सिंदूर चढ़ा हुआ है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों ने किया था, जिसमे मुख्य थे फतेहपुर से नूर मोहम्मद व दाऊ। हनुमान सेवा समिति, मंदिर और मेलों के प्रबन्धन का काम करती है। यहाँ रहने के लिए कई धर्मशालाएँ और खाने-पीने के लिए कई जलपान-गृह (रेस्तराँ) हैं। श्री हनुमान मंदिर सालासर कस्बे के ठीक मध्य में स्थित है। वर्त्तमान में सालासर हनुमान सेवा समिति ने भक्तों की तादाद बढ़ते देखकर दर्शन के लिए अच्छी व्यवस्था की है। .

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साहिब सिंह वर्मा

साहिब सिंह वर्मा (अंग्रेजी: Sahib Singh Verma, जन्म:15 मार्च 1943 - मृत्यु: 30 जून 2007) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व तेरहवीं लोक सभा के सांसद (1999–2004) थे। 2002 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार में श्रम मन्त्री नियुक्त किया। इससे पूर्व साहब सिंह 1996 से 1998 तक दिल्ली प्रदेश के मुख्यमन्त्री भी रहे। 30 जून्, 2007 को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर एक कार-दुर्घटना में अचानक उनका देहान्त हो गया। उस समय वे सीकर जिला से नीम का थाना में एक विद्यालय की आधारशिला रखकर वापस अपने घर दिल्ली आ रहे थे। .

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सांडवा

सांडवा, भारत में राजस्थान राज्य के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित चुरू जिले की बीदासर तहसील का एक कस्बेनुमा गाँव है। यह जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। यह जयपुर से 245, बीकानेर से 125 किमी और दिल्ली से 405 किलोमीटर से किमी दूर है। यह उत्तम स्कूलों और कॉलेजों तथा राजस्थान के प्रसिद्ध पशु मेले के लिए जाना जाता है। यह बीदासर तहसील का सबसे बङी ग्राम पंचायत वाला गाँव है। गाँव में हिन्दु व मुस्लिम धर्म के लोग रहते है हिन्दुओं में ब्राह्मण (पारीक, दाधीच, सारस्वत, जांगिड़ व गौड़), बनिया (ओसवाल व महेश्वरी), राजपूत, जाट, नाई, दर्जी, सुथार, सुनार, लुहार, नायक, मेघवाल, हरिजन आदि व मुस्लिमों में शेख, छींपा, तेली, कलाल आदि जाति के लोग रहते हैं। गाँव के बीचो बीच बड़ा बाजार है जहां हर प्रकार की सभी आवश्यक वस्तुएँ मिलती है। आसपास के करीब ५० छोटे छोटे गाँवो के लोग अपने दैनिक उपयोग की वस्तुएं यहाँ की करीब 300 खुदरा दुकानों से ले जाते हैं। इसके अतिरिक्त गाँव में ग्रामपंचायत, पुलिस थाना, पटवारी घर, पोस्ट ऑफिस, अस्पताल, पशु अस्पताल, बैंक, वनपौधशाला, कृषि उपज मण्डी की शाखा आदि सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। गाँव में करीब 120 कुंए हैं खेतो में। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था मुख्यतः मूंगफली, चना, गेहूँ, बाजरा, ग्वार, मोठ आदि की फसल पर निर्भर है। Sandwa Fort .

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सांभर झील

भारत के राजस्थान राज्य में जयपुर नगर के समीप स्थित यह लवण जल (खारे पानी) की झील है। यह झील समुद्र तल से 1,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। जब यह भरी रहती है तब इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील रहता है। इसमें तीन नदियाँ आकर गिरती हैं। इस झील से बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया जाता है। अनुमान है कि अरावली के शिष्ट और नाइस के गर्तों में भरा हुआ गाद (silt) ही नमक का स्रोत है। गाद में स्थित विलयशील सोडियम यौगिक वर्षा के जल में घुसकर नदियों द्वारा झील में पहुँचाता है और जल के वाष्पन के पश्चात झील में नमक के रूप में रह जाता है।566 ecv me nirman vasudev chohan duvara .

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सांवर लाल जाट

सांवर लाल जाट एक भारतीय राजनेता थे। अजमेर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद थे। पहले ये राजस्थान सरकार में केन्द्रिय मंत्री थे। वो राजस्थान विधानसभा में अजमेर जिले की नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। उन्होंने सोहलवीं लोकसभा का चुनाव अजमेर से जीता था। .

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सिटी पैलेस, जयपुर

सिटी पैलेस जयपुर में स्थित राजस्थानी व मुगल शैलियों की मिश्रित रचना एक पूर्व शाही निवास जो पुराने शहर के बीचोंबीच है। भूरे संगमरमर के स्तंभों पर टिके नक्काशीदार मेहराब, सोने व रंगीन पत्थरों की फूलों वाली आकृतियों ले अलंकृत है। संगमरमर के दो नक्काशीदार हाथी प्रवेश द्वार पर प्रहरी की तरह खड़े है। जिन परिवारों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी राजाओं की सेवा की है। वे लोग गाइड के रूप में कार्य करते है। पैलेस में एक संग्राहलय है जिसमें राजस्थानी पोशाकों व मुगलों तथा राजपूतों के हथियार का बढ़िया संग्रह हैं। इसमें विभिन्न रंगों व आकारों वाली तराशी हुई मूंठ की तलवारें भी हैं, जिनमें से कई मीनाकारी के जड़ऊ काम व जवाहरातों से अलंकृत है तथा शानदार जड़ी हुई म्यानों से युक्त हैं। महल में एक कलादीर्घा भी हैं जिसमें लघुचित्रों, कालीनों, शाही साजों सामान और अरबी, फारसी, लेटिन व संस्कृत में दुर्लभ खगोल विज्ञान की रचनाओं का उत्कृष्ट संग्रह है जो सवाई जयसिंह द्वितीय ने विस्तृत रूप से खगोल विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्राप्त की थी। .

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सिन्धु-गंगा के मैदान

सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .

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सिसोदिया रानी बाग

सिसोदिया रानी बाग एक बाग तथा महल है जो भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1779 में करवाया था। 1991 में एक भारतीय हिंदी फ़िल्म लम्हें की शूटिंग भी यहीं की गई थी। उस फ़िल्म में अनिल कपूर तथा श्री देवी ने अभिनय किया था। यह बाग बहुत सुंदर है। .

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सवाई मान सिंह स्टेडियम

यह जयपुर का एक प्रमुख खेल का मैदान है। .

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संतोष यादव

संतोष यादव भारत की एक पर्वतारोही हैं। वह माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली विश्व की प्रथम महिला हैं। इसके अलावा वे कांगसुंग (Kangshung) की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं। उन्होने पहले मई १९९२ में और तत्पश्चात मई सन् १९९३ में एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की।jay hind .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संजीवनी टुडे

संजीवनी टुडे एक भारतीय हिन्दी भाषा का समाचार पत्र है जो राजस्थान की राजधानी जयपुर से प्रकाशित होता है। यह अंतर्जाल पर ईपेपर तथा ऑनलाइन वेबसाइट के तौर पर भी उपलब्ध है। वर्तमान में इस समाचार पत्र के सम्पादक राजेश मीणा है। .

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सुनील शास्त्री

सुनील शास्त्री भारत के द्वितीय प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हैं। उन्होंने अभी हाल में ही नरेन्द्र मोदी से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। जिन दिनों वे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के थे उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में एक लम्बे समय तक मन्त्री पद का दायित्व दिया गया। बाद में काँग्रेस पार्टी से उनका मोहभंग हुआ और उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व काल में भाजपा की केन्द्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय सचिव रह चुके सुनील शास्त्री एक राजनेता के अलावा कवि और लेखक भी हैं। उन्होंने अपने पिता के जीवन पर आधारित एक पुस्तक हिन्दी में लिखी है जिसका अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है। .

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सुविज्ञ शर्मा

सुविज्ञ शर्मा (जन्म २८ जुलाई, १९८३) एक भारतीय कलाकार, चित्रकार, फ़ैशन डिज़ाइनर और उद्यमी हैं, जिन्हें अपनी मिनिएचर पेंटिंग्स (लघु-चित्रों), तंजौर पेंटिंग, फ्रेस्को कला और सजीव चित्रों के लिए जाना जाता है। भारत के प्रसिद्ध वास्तुकला धरोहर स्थानों जैसे जयपुर में सिटी पैलेस एवं जामा मस्जिद सहित अनगिनत पुनर्नवीकरण और फ्रेस्को पेंटिंग प्रोजेक्ट्स का श्रेय इनको जाता है। इन्हें प्रतिष्ठित भारत गौरव सम्मान, २०१२ से सम्मानित किया गया है। इनकी कलाकृतियाँ भारत के कई प्रसिद्ध घरानों, जैसे कि बजाज, बिड़ला और सिंघानिया, अंबानी, पिरामल, मित्तल और बर्मन के निजी संग्रह में एक प्रतिष्ठित स्थान रखती हैं। वे भारत में लघु कला की विरासत को विकसित करने और बढ़ावा देने वाले एकमात्र कलाकार हैं। इनकी कलाकृतियाँ मारवाड़ इंडिया, सोसायटी, हैलो, सैवी, डीएनए, मिड डे, और टाइम्स ऑफ इंडिया आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में चित्रित की गई हैं। सुविज्ञ शर्मा की कलाकृतियों को कई रंग शालाओ और संग्रहालयों में प्रदर्शित किया जा चुका है, जिनमें सिंगापुर आर्ट म्युजियम, सिमरोज़ा आर्ट गैलरी, चित्रकूट आर्ट गैलरी, चेन्नई आर्ट गैलरी, अर्टिसन्स आर्ट गैलरी एवं इंडिया हैबिटैट सेन्टर सम्मलित हैं। सितंबर, २०१४ में, सुविज्ञ शर्मा ने २४ कैरेट सोने से अलंकृत औपनिवेशिक स्टांप पेपर चित्र प्रस्तुत करता हुआ अपना कलासंग्रह, एन आर्ट कलेक्टर्स पैराडाइज़, प्रदर्शित किया, जिसका अनावरण बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी द्वारा किया गया है। १८ अक्टूबर २०१५ को, सुविज्ञ का नवीनतम कला संग्रह फॉरएवर इटरनल पिचवई, का अनावरण अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा किया गया। .

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सुंदरदास

सुन्दरदास (चैत्र शुक्ल ९, सं. १६५३ वि. - कार्तिक शुक्ल ८, सं. १७४६ वि.) भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि थे। वे निर्गुण भक्त कवियों में सबसे अधिक शास्त्र निष्णात और सुशिक्षित संत कवि थे। सास्त्रज्ञानसंपन्न और काव्य कला निपुण कवि के रूप में सुंदरदास का हिंदी संत-काव्य-धारा के कवियों में विशिष्ट स्थान है। .

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स्टैच्यू सर्किल

स्टैच्यू सर्किल राजस्थान की राजधानी जयपुर का केन्द्र है। इस गोल चक्कर के मध्य सवाई जयसिंह की मूर्ति बहुत ही उत्कृष्ट ढंग से बनी हुआ है। इसे जयपुर के संस्थापक को श्रद्धांजलि देने के लिए नई क्षेत्रीय योजना के अंतर्गत बनाया गया है। .

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स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर

स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर एक व्यावसायिक रूप से सुव्यवस्थित सरकारी क्षेत्र का बैंक है। जिसका शुभारम्भ वर्ष १९६३ में स्टेट बैंक ऑफ़ जयपुर और स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर के विलयीकरण से भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैंक के रूप में हुआ। वर्तमान में बैंक की देशभर में ८६४ से अधिक शाखायें हैं। इसका व्यापार केन्द्र मुख्यतः राजस्थान है। .

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स्मिता बंसल

स्मिता बंसल (जन्म: 21 फ़रवरी 1977) एक भारतीय अभिनेत्री हैं। "अमानत", "आशीर्वाद" और "सरहदें" जैसे धारावाहिकों से ख्याति पानेवाली बंसल ने बॉलीवुड में भी सफल अभिनय किया है। वर्त्तमान में स्मिता बालिका वधु नामक धारावाहिक में कार्यरत हैं। .

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सौर घड़ी

क्षैतिज सौर घड़ी मिनेसोटा में। १७ जून १२:२१ बजे, ४४°५१′३९.३″उ, ९३°३६′५८.४″प. सौर घड़ी (अंग्रेज़ी:सन डायल) का प्रयोग सूर्य की दिशा से समय का ज्ञान करने के लिए किया जाता था। इन घड़ियों की कार्यशैली और क्षमता दिन के समय तक सीमित होती थी क्योंकि यह रात के समय काम नहीं कर पाती थीं। इसके फिर भी विश्व में समय जानने हेतु सबसे पहले इनका प्रयोग किया गया था। इन्हीं घड़ियों को आधार बनाकर समय बताने वाली अन्य घड़ियों का आविष्कार हुआ था।। हिन्दुस्तान लाइव। २८ मार्च भारत में प्राचीन वैदिक काल से सौर घड़ियों का प्रयोग होता रहा है। सूर्य सिद्धांत में सौर घड़ी द्वारा समय मापन के शुद्ध तरीके अध्याय ३ और १३ में वर्णित हैं। .

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सूरसागर

सूरसागर, ब्रजभाषा में महाकवि सूरदास द्वारा रचे गए कीर्तनों-पदों का एक सुंदर संकलन है जो शब्दार्थ की दृष्टि से उपयुक्त और आदरणीय है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग "कृष्ण की बाल-लीला' और "भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। सूरसागर में लगभग एक लाख पद होने की बात कही जाती है। किन्तु वर्तमान संस्करणों में लगभग पाँच हजार पद ही मिलते हैं। विभिन्न स्थानों पर इसकी सौ से भी अधिक प्रतिलिपियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनका प्रतिलिपि काल संवत् १६५८ वि० से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक है इनमें प्राचीनतम प्रतिलिपि नाथद्वारा (मेवाड़) के सरस्वती भण्डार में सुरक्षित पायी गई हैं। दार्शनिक विचारों की दृष्टि से "भागवत' और "सूरसागर' में पर्याप्त अन्तर है। सूरसागर की सराहना करते हुए डॉक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है - .

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सूरौठ

सूरौठ भारतवर्ष के उत्तर-पश्चिम राज्य राजस्थान के करौली जिले के हिण्डौन उपखण्ड का एक कस्बा है। यह कस्बा राजस्थान के पूर्व में में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 172 किलोमीटर पूर्व स्थित हैै।यह हिण्डौन सिटी से 16 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ के पास नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है। श्रेणी:राजस्थान के शहर.

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सेखाला

सेखाला राजस्थान के जोधपुर ज़िले की बालेसर तहसील में स्थित एक गाँव, ग्राम पंचायत तथा पंचायत समिति (ब्लॉक) है। यह जयपुर से 342 किमी दूर है। जोधपुर से सेखाला 81 किमी दूर है। सेखाला गाँव का पिन कोड 342025 है तथा पोस्ट ऑफिस का मुख्यालय सेतरावा है। शेरगढ़,राजस्थान (10 किमी),रायसर (10 किमी),देड़ा (13 किमी),सेतरावा (13 किमी),कुई इंदा (15 किमी) .

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सी-डैक

प्रगत संगणन विकास केन्द्र (Centre for Development of Advanced Computing अथवा सी-डैक) भारत की एक अर्धसरकारी सॉफ्टवेयर कम्पनी है। सी-डैक का शुरुआत में मुख्य उद्देश्य स्वदेशी महासंगणक बनाना था। वर्तमान में यह सॉफ्टवेयर एवं इलैक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक नामी कम्पनी है। हिन्दीजगत में यह मुख्य रूप से भाषाई कम्प्यूटिंग सम्बंधी विकास कार्यों के लिये जानी जाती है। .

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सीमा तोमर

सीमा तोमर एक भारतीय ट्रैप निशानेबाज और अंतर्राष्ट्रीय खेल संघ द्वारा आयोजित विश्व कप में कोई मेडल जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं। इस प्रतियोगिता में उन्होंने रजत पदक (सिल्वर मेडल) हासिल किया था। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जोहरी गांव से संबंध रखती हैं। उनके परिवार में हर तीसरी महिला निशानेबाज है और उनकी मां प्रकाशी तोमर देश की सबसे बुजुर्ग महिला निशानेबाज हैं। तोमर निशानेबाजी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक जाना पहचाना नाम हैं। वर्तमान में वह भारतीय सेना में कार्यरत हैं। .

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सीआईडी (धारावाहिक)

सीआईडी सोनी चैनल पर प्रसारित होने वाला हिन्दी भाषा का एक धारावाहिक है, जिसे भारत का सबसे लंबा चलने वाला धारावाहिक होने का श्रेय प्राप्त है। अपराध व जासूसी शैली पर आधारित इस धारावाहिक में शिवाजी साटम, दयानन्द शेट्टी और आदित्य श्रीवास्तव मुख्य किरदार निभा रहे हैं। इसके सर्जक, निर्देशक और लेखक बृजेन्द्र पाल सिंह हैं। इसका निर्माण फायरवर्क्स नामक कंपनी ने किया है जिसके संस्थापक बृजेन्द्र पाल सिंह और प्रदीप उपूर हैं। २१ जनवरी १९९८ से शुरु होकर यह धारावाहिक अब तक लगातार चल रहा है। इसका प्रसारण प्रत्येक शनिवार और रविवार को रात १० बजे होता है। इसका पुनः प्रसारण सोनी पल चैनल पर रात ९ बजे होता है जिसमें इसके पुराने प्रकरण दिखाये जाते हैं। इस धारावाहिक ने २१ जनवरी २०१८ को अपने प्रसारण के २० वर्ष पूर्ण किये और २१वें वर्ष में प्रवेश किया। इससे पहले, २७ सितम्बर २०१३ को इस धारावाहिक ने अपनी १०००वीं कड़ी पूरी की। इस धारावाहिक को कई अन्य भाषाओं में भी भाषांतरित किया गया है। .

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सीकर

सीकर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह शहर शेखावाटी के नाम से जाना जाता है। सीकर एक एतिहासिक शहर है जहाँ पर कई हवेलियां (बड़े घर जो कि मुग़लकालीन वास्तुकला द्वारा बनाए गए हैं) है जो कि मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। .

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सीकर जिला

- सीकर जिला भारत के राजस्थान प्रान्त का एक जिला है। यह जिला शेखावाटी के नाम से जाना जाता है, यह प्राकृतिक दृष्टि महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण हैŀ यहां पर तरह- तरह के प्राकृतिक रंग देखने को मिलते हैं सीकर जिले को "वीरभान" ने बसाया ओर "वीरभान का बास" सीकर का पुराना नाम दिया। राजा माधोसिंह जी ने वर्तमान स्वरूप प्रदान किया ओर सीकर नाम दिया। इन्होंने छल करके "कासली" गांव के राजा से गणेश जी की मूर्ति जीती, ये मूर्ति कासली के राजा को एक़ सन्त द्वारा भेंट की गई थी, इस मूर्ति की प्राप्ति के बाद कासली गांव "अविजय" था, कई बार सीकर के राजा ने कासली को जीतने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा, बाद में गुप्तचरों के जरिये जब इसके बारे में सूचना हासिल हुई तो आपने एक विश्वसनीय सैनिक को साधु का भेष धराकर कासली भेजा और छल से ये मूर्ति हासिल की तथा आगली सुबह कासली पर आक्रमण कर विजय हासिल की। छल से मूर्ति प्राप्त करने और विजय हासिल करने के बाद सीकर राजा ने महल के सामने गणेश जी का मंदिर भी बनवाया जो की आज भी सुभाष चोक में स्थित है। राजा ने गोपीनाथ जी का मंदिर भी बनवाया था। सीकर की रामलीला बहुत ही प्रसिद्ध है। पूरे शेखावाटी में इस रामलीला मंचन को भी राजा ने शुरू करवाया था। और अब इसे सांस्कृतिक मंडल नामक संस्था चलाती है। .

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हम्मीर चौहान

हम्मीर देव चौहान, पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। उन्होने रणथंभोर पर १२८२ से १३०१ तक राज्य किया। वे रणथम्भौर के सबसे महान शासकों में सम्मिलित हैं। हम्मीर देव का कालजयी शासन चौहान काल का अमर वीरगाथा इतिहास माना जाता है। हम्मीर देव चौहान को चौहान काल का 'कर्ण' भी कहा जाता है। पृथ्वीराज चौहान के बाद इनका ही नाम भारतीय इतिहास में अपने हठ के कारण अत्यंत महत्व रखता है। राजस्थान के रणथम्भौर साम्राज्य का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतिभा सम्पन शासक हम्मीर देव को ही माना जाता है। इस शासक को चौहान वंश का उदित नक्षत्र कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। डॉ॰ हरविलास शारदा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का प्रथम पुत्र था और इनके दो भाई थे जिनके नाम सूरताना देव व बीरमा देव थे। डॉक्टर दशरथ शर्मा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का तीसरा पुत्र था वहीं गोपीनाथ शर्मा के अनुसार सभी पुत्रों में योग्यतम होने के कारण जैत्रसिंह को हम्मीर देव अत्यंत प्रिय था। हम्मीर देव के पिता का नाम जैत्रसिंह चौहान एवं माता का नाम हीरा देवी था। यह महाराजा जैत्रसिंह चौहान के लाडले एवं वीर बेटे थे। .

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हरसिल

हरसिल, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल के उत्तरकाशी जिले में उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग के मध्य स्थित एक ग्राम और कैण्ट क्षेत्र है। यह स्थान गंगोत्री को जाने वाले मार्ग पर भागीरथी नदी के किनारे स्थित है। हरसिल समुद्र तल से ७,८६० फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से ३० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान जो १,५५३ वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। .

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हल्द्वानी में यातायात

कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, हल्द्वानी उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित हल्द्वानी राज्य के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है। इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। नगर के यातायात साधनों में २ रेलवे स्टेशन, २ बस स्टेशन तथा एक अधिकृत टैक्सी स्टैंड है। इनके अतिरिक्त नगर से २८ किमी की दूरी पर एक घरेलू हवाई अड्डा स्थित है, और नगर में एक अंतर्राज्यीय बस अड्डा निर्माणाधीन है। .

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हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद भारत सरकार की एक संस्था है, यह भारत के हस्तशिल्प निर्यातकों को प्रोत्साहन तथा हस्तशिल्प निर्यात से सम्बन्धित जानकारियाँ तथा सुविधाऐं मुहैया कराती है। .

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हाथी छाप

हाथी छाप हाथी की लीद से बनने वाले कागज की एक ब्रांड है। इसका निर्माण कार्य राजस्थान, भारत में होता है। इसका नामकरण भी इसके उत्पादन पदति से प्रेरित है। भारत के अलावा हाथी की लीद से कागज निर्माण का कार्य श्रीलंका और दक्षिण अफ़्रीका में भी होता है। हाथी छाप की स्थापन उद्यमी महिमा मेहरा और उनके वाणिज्यिक साथी साथी विजेंद्र शेखावत ने 2003 में दिल्ली में की। प्रथम चार वर्षों तक उन्होंने कागज का निर्यात जर्मनी में किया। 2007 में ये भारत में स्थापित हुआ। लीद की सफाई करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हाथी लीद को पूर्णतया बड़े जल टैंकों में धोया जाता है। लीद को धोने बाद निकलने वाले जल को कृषि कारु में उर्वरक के रूप में काम में लिया जाता है और धुली हुई लीद को सुखाकर कागज निर्माण के काम लोया जाता है। .

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हिण्डौन

हिण्डौन राजस्थान राज्य का ऐतिहासिक व पौराणिक शहर है। यह शहर अरावली पहाड़ी के समीप स्थित है। प्राचीनकाल में हिण्डौन शहर मत्स्य के अंतर्गत आता था। मत्स्य शासन के दौरान बनाए गई प्राचीन इमारतें आज भी मौजूद हैं। भागवतपुराण के अनुसार हिण्डौन, भक्त प्रहलाद व हिरण्यकश्यप की कर्म भूमि रही है। महाभारतकाल की राक्षसी हिडिम्बा भी इसी शहर में रहा करती थी। हिण्डौन, ऐतिहासिक मंदिरों व इमारतों का गढ़ माना जाता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर राजस्थान के पूर्व में हिण्डौन उपखण्ड में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 156 किलोमीटर पूर्व स्थित है। यह नगर देश में लाल पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के बहुत मंदिर यहाँ स्थित है। यह शहर राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ का नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! हिण्डौन शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ क्षेत्र है !यहाँ की आबादी लगभग 1.35 लाख है। अमृत योजना में 151 करोड़ राजस्थान सरकार द्वारा स्वीक्रत किये गये हैं। .

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हिन्दू मेला

हिन्दु मेला एक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था थी जिसकी स्थापना 1867 में गणेन्द्रनाथ ठाकुर ने द्विजेन्द्र नाथ ठाकुर, राजनारायण बसु और नवगोपाल मित्र के साथ मिलकर की थी। इसे 'चैत्र मेला' भी कहते थे क्योंकि इसकी स्थापना चैत्र संक्रान्ति (बंगाली वर्ष का अन्तिम दिन) के दिन हुई थी। गगेन्द्रनाथ ठाकुर इसके संस्थापक सचिव थे। हिन्दु मेला ने बंगाल के पढे लिखे वर्ग में देश के लिये सोचने, उसके प्रति देशवासियों को तैयार करने की कोशिश की। यह किसी धार्मिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए नहीं बनी थी। यह देशभक्ति का विकास और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने का कार्य करती थी। इसका उद्देश्य भारत की सभ्यता की कीर्ति को पुनर्जीवित करना, देशवासियों को जागृत करना, राष्ट्रभाषा का विकास करना, उनके विचारों को उन्नत बनाना था ताकि अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे सांस्कृतिक उपनिवेशीकरण का प्रतिकार किया जा सके। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र संक्रान्ति को आयोजित किया जाता था। इसमें देशभक्ति के गीत, कविताएँ और व्याख्यान होते थे। इसमें भारत के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक दशा की विस्तृत समीक्षा की जाती थी। स्वदेशी कला, स्वदेशी हस्तशिल्प, स्वदेशी व्यायाम और पहलवानी की प्रदर्शनी लगती थी। इसमें अखिल भारतीयता का भी ध्यान रखा जाता था तथा बनारस, जयपुर, लखनऊ, पटना और कश्मीर आदि की कलात्मक वस्तुएं, हस्तशिल्प आदि का प्रदर्शन न्ही किया जाता था। 'लज्जय भारत-यश गाइबो की कोरे?' नामक गाना इसमें कई बार गाया गया। इसके रचयिता गगेन्द्रनाथ थे। १८९० के दशक में इस संस्था का प्रभाव कम हो गया किन्तु इसने स्वदेशी आन्दोलन के लिए जमीन तैयार कर दी थी। .

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हिन्दी पत्रिकाएँ

हिन्दी पत्रिकाएँ सामाजिक व्‍यवस्‍था के लिए चतुर्थ स्‍तम्‍भ का कार्य करती हैं और अपनी बात को मनवाने के लिए एवं अपने पक्ष में साफ-सूथरा वातावरण तैयार करने में सदैव अमोघ अस्‍त्र का कार्य करती है। हिन्दी के विविध आन्‍दोलन और साहित्‍यिक प्रवृत्तियाँ एवं अन्‍य सामाजिक गतिविधियों को सक्रिय करने में हिन्दी पत्रिकाओं की अग्रणी भूमिका रही है।; प्रमुख हिन्दी पत्रिकाएँ- .

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हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें

हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाएँ, हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं के विकास और संवर्द्धन में उल्लेखनीय भूमिका निभाती रहीं हैं। कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, आलोचना, यात्रावृत्तांत, जीवनी, आत्मकथा तथा शोध से संबंधित आलेखों का नियमित तौर पर प्रकाशन इनका मूल उद्देश्य है। अधिकांश पत्रिकाओं का संपादन कार्य अवैतनिक होता है। भाषा, साहित्य तथा संस्कृति अध्ययन के क्षेत्र में साहित्यिक पत्रिकाओं का उल्लेखनीय योगदान रहा है। वर्तमान में प्रकाशित कुछ प्रमुख पत्रिकाओं की सूची निम्नवत है: .

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हवा महल (रेडियो कार्यक्रम)

हवा महल भारत के विविध भारती रेडियो चैनल पर एक लोकप्रीय दैनिक कार्यक्रम है जो हर रात को प्रसारित होता है। इसके प्रत्येक प्रसारण में किसी एक लेखक की कहानी का नाटकीय रूपांतर करके उसे प्रदर्शित किया जाता है। "मोदी के मतवाले राही" जैसे कुछ अन्य रेडियो कार्यक्रमों के साथ-साथ यह उन चंद-एक प्रोग्रैमों में था जिसे ऐसी कम्पनियों के विज्ञापनों के लिए अनुकूल माना जाता था जो देश-भर में अपनी छवि बनाना चाहती थीं। इसपर इश्तेहार देने की इतनी होड़ लगी रहती थी कि कभी-कभी छह मास तक के लिए सारा विज्ञापन समय बिक चुका होता था। .

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हवामहल

हवामहल हवा महल भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक राजसी-महल है। इसे सन 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी 'राजमुकुट' की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था। इसकी अद्वितीय पांच-मंजिला इमारत जो ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है, बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है, जिसमें ९५३ बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहते हैं। इन खिडकियों को जालीदार बनाने के पीछे मूल भावना यह थी कि बिना किसी की निगाह पड़े "पर्दा प्रथा" का सख्ती से पालन करतीं राजघराने की महिलायें इन खिडकियों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें। इसके अतिरिक्त, "वेंचुरी प्रभाव" के कारण इन जटिल संरचना वाले जालीदार झरोखों से सदा ठंडी हवा, महल के भीतर आती रहती है, जिसके कारण तेज़ गर्मी में भी महल सदा वातानुकूलित सा ही रहता है। चूने, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित यह महल जयपुर के व्यापारिक केंद्र के हृदयस्थल में मुख्य मार्ग पर स्थित है। यह सिटी पैलेस का ही हिस्सा है और ज़नाना कक्ष या महिला कक्ष तक फैला हुआ है। सुबह-सुबह सूर्य की सुनहरी रोशनी में इसे दमकते हुए देखना एक अनूठा एहसास देता है। .

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होहोबा

होहोबा एक रेगिस्तानी पौधा है इसका अंग्रेजी नाम जोजोबा (Jojoba) है तथा वानस्पतिक नाम साइमन्डेसिया चायनेंसिमइसे होहोबा के नाम से जाना जाता है। यह मूलतः रेगिस्तानी पौधा है जो मैक्सिको, High temperatures are tolerated by jojoba, but frost can damage or kill plants.

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हीरा लाल शास्त्री

पण्डित हीरालाल शास्त्री (24 नवम्बर 1899 - 28 दिसम्बर 1974)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी तथा राजनेता तथा वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक थे। वे राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री (30 मार्च 1948 से 5 जनवरी 1951 तक) बने। आत्मकथा:- प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र प्रसिद्ध गीत:- प्रलय प्रतीक्षा नमो नमो (1930) .

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जन्तर मन्तर (जयपुर)

जन्तर-मन्तर, जयपुर जयपुर का जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह द्वारा १७२४ से १७३४ के बीच निर्मित एक खगोलीय वेधशाला है। यह यूनेस्को के 'विश्व धरोहर सूची' में सम्मिलित है। इस वेधशाला में १४ प्रमुख यन्त्र हैं जो समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, सौर मण्डल के ग्रहों के दिक्पात जानने आदि में सहायक हैं। इन यन्त्रों को देखने से पता चलता है कि भारत के लोगों को गणित एवं खगोलिकी के जटिल संकल्पनाओं (कॉंसेप्ट्स) का इतना गहन ज्ञान था कि वे इन संकल्पनाओं को एक 'शैक्षणिक वेधशाला' का रूप दे सके ताकि कोई भी उन्हें जान सके और उसका आनन्द ले सके। जयपुर में पुराने राजमहल 'चन्द्रमहल' से जुडी एक आश्चर्यजनक मध्यकालीन उपलब्धि है- जंतर मंतर! प्राचीन खगोलीय यंत्रों और जटिल गणितीय संरचनाओं के माध्यम से ज्योतिषीय और खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध इस अप्रतिम वेधशाला का निर्माण जयपुर नगर के संस्थापक आमेर के राजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने 1728 में अपनी निजी देखरेख में शुरू करवाया था, जो सन 1734में पूरा हुआ था। सवाई जयसिंह एक खगोल वैज्ञानिक भी थे, जिनके योगदान और व्यक्तित्व की प्रशंसा जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' ('भारत: एक खोज') में सम्मानपूर्वक की है। सवाई जयसिंह ने इस वेधशाला के निर्माण से पहले विश्व के कई देशों में अपने सांस्कृतिक दूत भेज कर वहां से खगोल-विज्ञान के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियाँ मंगवाईं थीं और उन्हें अपने पोथीखाने (पुस्तकालय) में संरक्षित कर अपने अध्ययन के लिए उनका अनुवाद भी करवाया था। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने हिन्दू खगोलशास्त्र में आधार पर देश भर में पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया था। ये वेधशालाएं जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में बनवाई गई। इन वेधशालाओं के निर्माण में उन्होंने उस समय के प्रख्यात खगोशास्त्रियों की मदद ली थी। सबसे पहले महारजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने उज्जैन में सम्राट यन्त्र का निर्माण करवाया, उसके बाद दिल्ली स्थित वेधशाला (जंतर-मंतर) और उसके दस वर्षों बाद जयपुर में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। देश की सभी पांच वेधशालाओं में जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी है। इस वेधशाला के निर्माण के लिए 1724 में कार्य प्रारम्भ किया गया और 1734 में यह निर्माण कार्य पूरा हुआ।http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq.

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जय

जय अथवा JAI निम्न में से कोई एक हो सकता है: .

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जय सिंह द्वितीय

सवाई जयसिंह या द्वितीय जयसिंह (०३ नवम्बर १६८८ - २१ सितम्बर १७४३) अठारहवीं सदी में भारत में राजस्थान प्रान्त के नगर/राज्य आमेर के कछवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। सन १७२७ में आमेर से दक्षिण छः मील दूर एक बेहद सुन्दर, सुव्यवस्थित, सुविधापूर्ण और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर आकल्पित नया शहर 'सवाई जयनगर', जयपुर बसाने वाले नगर-नियोजक के बतौर उनकी ख्याति भारतीय-इतिहास में अमर है। काशी, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में, अतुलनीय और अपने समय की सर्वाधिक सटीक गणनाओं के लिए जानी गयी वेधशालाओं के निर्माता, सवाई जयसिह एक नीति-कुशल महाराजा और वीर सेनापति ही नहीं, जाने-माने खगोल वैज्ञानिक और विद्याव्यसनी विद्वान भी थे। उनका संस्कृत, मराठी, तुर्की, फ़ारसी, अरबी, आदि कई भाषाओं पर गंभीर अधिकार था। भारतीय ग्रंथों के अलावा गणित, रेखागणित, खगोल और ज्योतिष में उन्होंने अनेकानेक विदेशी ग्रंथों में वर्णित वैज्ञानिक पद्धतियों का विधिपूर्वक अध्ययन किया था और स्वयं परीक्षण के बाद, कुछ को अपनाया भी था। देश-विदेश से उन्होंने बड़े बड़े विद्वानों और खगोलशास्त्र के विषय-विशेषज्ञों को जयपुर बुलाया, सम्मानित किया और यहाँ सम्मान दे कर बसाया। .

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जयचमराजा वोडेयार बहादुर

जयचमराजा वोडेयार बहादुर (18 जुलाई 1919 - 23 सितंबर 1974) मैसूर की शाही रियासत के 25वें और अंतिम महाराजा थे, जो 1940 से 1950 तक पदासीन रहे.

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जयपुर मेट्रो रेल

जयपुर मेट्रो रेल भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में प्रस्तावित मेट्रो रेल प्रणाली का नाम है। जयपुर नगर में मेट्रो बहुत समय से प्रस्तावित थी और और अन्ततः अब जाकर इस परियोजना को हरी झण्डी मिली है। जयपुर में मेट्रो रेल चलाने के लिए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर ५ अगस्त, २०१० को जयपुर मेट्रो रेल कारपोरेशन लि.

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जयपुर राज्य

जयपुर रजवाड़ा (अन्य नाम: जयपुर स्टेट) ११२८ से १९४७ अवधि का भारत का एक रजवाड़ा था। इसका केन्द्र जयपुर नगर था। यह बारहवीं शताब्दी से अस्तित्त्व में आया एवं १९४७ तक रहा। १९४७ में भारतीय स्वाधीनता उपरान्त भारतीय संघ में विलय हो गया। इतिहास के भिन्न कालों में इसे भिन्न भिन्न नामों से जाना गया जैसे: जयपुर राज्य, आम्बेर राज्य, ढूंढाड़ राज्य एवं कछवाहा राज्य, आदि। .

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जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन

जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन (कूट: JP) जयपुर का प्रधान रेलवे स्टेशन है। यह २००२ से उत्तर पश्चिम रेलवे का मुख्यालय भी है। इस रेलवे का जयपुर मण्डल का कार्यालय भी जयपुर में ही है। .

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जयपुर विकास प्राधिकरण

जयपुर विकास प्राधिकरण भवन जयपुर विकास प्राधिकरण (संक्षिप्त जविप्रा) जयपुर नगर के विकास हेतु राजस्थान सरकार की एक संस्था है जिसकी औपचारिक शुरूआत 5 अगस्त 1982 को हुई। इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य जयपुर शहर के लिए विकासात्मक योजनाएं बनाना और क्षेत्र के समुचित, व्यवस्थित और तेजी से विकास की निगरानी करना है। जयपुर विकास प्राधिकरण, राजस्थान सरकार की एक स्वायत्तशासी समिति (एजेंसी) है और जयपुर शहर के लिए मास्टर प्लान के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। यह जयपुर के विकास और पर्यावरण संरक्षण के अलावा शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ढांचागत और बुनियादी सुविधा के विकास के लिए गठित है। .

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जयपुर का इंडियन ऑयल डिपो अग्निकांड

जयपुर इंडियन ऑयल डिपो अग्निकांड गुरूवार २९ अक्टूबर २००९ को हुआ था। इस अग्निकाण्ड में राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर शहर के निकट स्थित सांगानेर में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तेल भण्डार डिपो में भीषण आग लग गई जिसमें कंपनी को जहाँ करोड़ों की हानि हुई, वहीं इस दुर्घटना में ११ लोगों की मृत्यु भी हो गयी। .

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जयपुर के दर्शनीय स्थल

जयपुर मैट्रो। राजस्थान की राजधानी जयपुर को गुलाबी नगरी नाम से भी जाना जाता है। इस नगर में सुंदर नगरों, हवेलियों और किलों की भरमार है। जयपुर का अर्थ है - जीत का नगर। इसे कुशवाह राजपूत राजा सवाई जय सिंह, द्वितीय ने 1727 में बसाया था। उस समय का यह प्रथम नगर था जो योजनाबद्ध ढ़ंग से बसाया गया था। इसका ख़ाका तैयार किया था वास्तु शिल्पी विद्याधर भट्टाचार्य ने। मुगलों ने जो भवन बनवाए उनमें लाल पत्थर का उपयोग किया जबकि राजा जय सिंह ने पूरे नगर को गुलाबी रंग से पुतवाया। जिसके कारण जयपुर को गुलाबी नगर कहा जाता है l जयपुर को यदि पास से देखना हो तो पूरे नगर को पैरों से नापना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से यह नगर २६२ किमी की दूरी पर स्थित है और बस, रेल और हवाई यातायात से अच्छे से जुड़ा है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ हिन्दी और राजस्थानी है। नाहरगढ़ से जयपुर का रात का दृश्य। जयपुर में आने के बाद पता चलता है, कि आप किसी रजवाडे में प्रवेश कर गये है हैं, शाही साफ़ा बांधे जयपुर के बना और लंहगा-चुन्नी से सजी जयपुर की नारियां, गपशप मारते जयपुर के वृद्ध लोग, राजस्थानी भाषा में कितनी प्यारी बोलियां,पधारो म्हारे देश जैसा स्वागत और बैठो सा, जीमो सा, जैसी बातें, कितनी सुहावनी लगती है। यहाँ के विभिन्न दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं। .

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जयपुर अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

जयपुर विमानक्षेत्र जयपुर में स्थित है। इसका ICAO कोड है VIJP और IATA कोड है JAI। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 7500 फी.

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जयपुर-वैभवम

जयपुरवैभवम्, भट्ट मथुरानाथ शास्त्री (23 मार्च 1889 - 4 जून 1964) द्वारा भारत की स्वाधीनता से तत्काल पूर्व सन 1947 में 476 पृष्ठों में प्रकाशित एक काव्य-ग्रन्थ है। जो जयपुर के नगर-सौंदर्य, दर्शनीय स्थानों, देवालयों, मार्गों, उद्यानों, सम्मानित नागरिकों, उत्सवों, यहाँ की कविता-परम्परा और प्रमुख त्योहारों आदि पर केन्द्रित है .

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जयपुर-किशनगढ़ द्रुतगामी मार्ग

जयपुर-किशनगढ़ द्रुतगामी मार्ग, जिसे जयपुर-अजमेर एक्सप्रेसवे भी कहते हैं, एक ९० किलोमीटर लम्बा पहुँच नियंत्रित द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) है, जो भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी, जयपुर को किशनगढ़ से जोड़ता है। यह द्रुतमार्ग रा. रा. ८ का एक खण्ड है जो कि स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना का हिस्सा है, जो अपने आप में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एन.एच.डी.पी) का एक हिस्सा है। इस एक्सप्रेसवे की चौड़ाई छह लेन है, तथा इसका उद्घाटन अप्रैल, २००५ में किया गया था। .

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जयपुर/आलेख

देखें:पूर्ण लेख → जयपुर जयपुर जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। महान वास्तुविद.

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जयबाण तोप

जयबाण तोप,जयपुर में जयगढ़ के किले पर स्थित, दुनिया की सबसे बड़ी तोप मानी जाती है।निर्माण काल‎: ‎1720 ई,मारक क्षमता‎: ‎22 मील शहर‎: ‎जयपुर() .

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जयसिंह सिद्धराज

गुजरात के चालुक्य नरेश कर्ण और मयणल्लदेवी का पुत्र जयसिंह सिद्धराज (1094-1143 ई) कई अर्थों में उस वंश का सर्वश्रेष्ठ सम्राट् था। सिद्धराज उसका विरुद था। उसका जन्म 1094 ई. में हुआ था। पिता की मृत्यु के समय वह अल्पवयस्क था अतएव उसकी माता मयणल्लदेवी ने कई वर्षों तक अभिभाविका के रूप में शासन किया था। वयस्क होने और शासनसूत्र सँभालने के पश्चात् जयसिंह ने अपना ध्यान समीपवर्ती राज्यों की विजय की ओर दिया। अनेक युद्धों के अनंतर ही वह सौराष्ट्र के आभीर शासक नवघण अथवा खंगार को पराजित कर सका। विजित प्रदेश के शासन के लिए उसने सज्जन नाम के अधिकारी को प्रांतपाल नियुक्त किया किंतु संभवत: जयसिंह का अधिकार चिरस्थायी नहीं हो पाया। जयसिंह ने चालुक्यों के पुराने शत्रु नाडोल के चाहमान वंश के आशाराज को अधीनता स्वीकार करने और सामंत के रूप में शासन करने के लिए बाध्य किया। उसने उत्तर में शाकंभरी के चाहमान राज्य पर भी आक्रमण किया और उसकी राजधानी पर अधिकार कर लिया। किंतु एक कुशलनीतिज्ञ के समान उसने अपने पक्ष को शक्तिशाली बनाने के लिए अपनी पुत्री का विवाह चाहमान नरेश अर्णोराज के साथ कर दिया और अर्णोराज को सामंत के रूप में शासन करने दिया। मालव के परमार नरेश नरवर्मन् के विरुद्ध उसे आशाराज और अर्णोराज से सहायता प्राप्त हुई थी। दीर्घकालीन युद्ध के पश्चात् नरवर्मन् बंदी हुआ लेकिन जयसिंह ने बाद में उसे मुक्त कर दिया। नरवर्मन् के पुत्र यशोवर्मन् ने भी युद्ध को चालू रखा। अंत में विजय फिर भी जयसिंह की ही हुई। बंदी यशोवर्मन् को कुछ समय तक कारागार में रहना पड़ा। इस विजय के उपलक्ष में जयसिंह ने अवंतिनाथ का विरुद धारण किया और अंवतिमंडल के शासन के लिए महादेव को नियुक्त किया। किंतु जयसिंह के राज्यकाल के अंतिम वर्षों में यशोवर्मन् के पुत्र जयवर्मन् ने मालवा राज्य के कुछ भाग को स्वतंत्र कर लिया था। जयसिंह ने भिनमाल के परमारवंशीय सोमेश्वर को अपने राज्य के कुछ भाग को स्वतंत्र कर लिया था। जयसिह ने भिनमाल के परमारवंशीय सोमेश्वर को अपने राज्य पर पुनः अधिकार प्राप्त करने में सहायता की थी और संभवत: उसके साथ पूर्वी पंजाब पर आक्रमण किया था। जयसिंह को चंदेल नरेश मदनवर्मन् के विरुद्ध कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं प्राप्त हो सकी। संभवत: मालव में मदनवर्मन् की सफलताओं से आशांकित होकर ही उसने त्रिपुरी के कलचुरि और गहड़वालों से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए। कल्याण के पश्चिमी चालुक्य वंश के विक्रमादित्य षष्ठ ने नर्मदा के उत्तर में और लाट तथा गुर्जर पर कई विजयों का उल्लेख किय है। किंतु ये क्षणिक अभियान मात्र रहे होंगे और चालुक्य राज्य पर इनका कोई भी प्रभाव नहीं था। अपने एक अभिलेख में जयसिंह ने पेर्मार्दि पर अपनी विजय का उल्लेख किया है किंतु संभावना है कि पराजित नरेश कोई साधारण राजा था, प्रसिद्ध चालुक्य नरेश नहीं। जयसिंह को सिंधुराज पर विजय का भी श्रेय दिया गया है जो सिंध का कोई स्थानीय मुस्लिम सामंत रहा होगा। जयसिंह ने बर्बरक को भी पराजित किया जो संभवत: गुजरात में रहनेवाली किसी अनार्य जाति का व्यक्ति था और सिद्धपुर के साधुओं को त्रास देता था। अपनी विजयों के फलस्वरूप जयसिंह ने चालुक्य साम्राज्य की सीमाओं का जो विस्तार किया वह उस वंश के अन्य किसी भी शासक के समय में सम्भव नहीं हुआ। उत्तर में उसका अधिकार जोधपुर और जयपुर तक तथा पश्चिम में भिलसा तक फैला हुआ था। काठियावाड़ और कच्छ भी उसके राज्य में सम्मिलित थे। जयसिंह पुत्रहीन था। इस कारण उसके जीवन के अंतिम वर्ष दुःखपूर्ण थे। उसकी मृत्यु के बाद सिंहासन उसके पितृव्य क्षेमराज के प्रपौत्र कुमारपाल को मिला। किन्तु क्षेमराज औरस पुत्र नहीं था, इसलिए जयसिंह ने अपने मंत्री उदयन के पुत्र बाहड को अपना दत्तक पुत्र बनाया था। रुद्र महालय मन्दिर के भग्नावशेष अपनी विजयों से अधिक जयसिंह अपने सांस्कृतिक कृत्यों के कारण स्मरणीय है। जयसिंह ने कवियों और विद्वानों को प्रश्रय देकर गुजरात को शिक्षा और साहित्य के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया। इन साहित्यकारों में से रामचंद्र, आचार्य जयमंगल, यशःचन्द्र और वर्धमान के नाम उल्लेखनीय हैं। श्रीपाल को उसने कवीन्द्र की उपाधि दी थी और उसे अपना भाई कहता था। लेकिन इन सभी से अधिक विद्वान् और प्रसिद्ध तथा जयसिंह का विशेष प्रिय और स्नेहपात्र जिसकी बहुमुखी प्रतिभा के कारण अन्य समकालीन विद्वानों का महत्व चमक नहीं पाया, जैन पंडित हेमचंद्र था। अपने व्याकरण ग्रंथ सिद्धहेमचंद्र के द्वारा उसने सिद्धराज का नाम अमर कर दिया है। जयसिह शैवमतावलंबी था। मेरुत्तुंग के अनुसार उसने अपना माता के कहने पर बाहुलोड में यात्रियों से लिया जानेवाला कर समाप्त कर दिया। लेकिन धार्मिक मामले में उसकी नीति उदार और समदर्शी थी। उसके समकालीन अधिकांश विद्वान् जैन थे। किंतु इनको संरक्षण देने में उसका जैनियों के प्रति कोई पक्षपात नहीं था। एक बार उसने ईश्वर और धर्म के विषय में सत्य को जानने के लिए विभिन्न मतों के आचार्यों से पूछा किन्तु अंत में हेमचंद्र के प्रभाव में सदाचार के मार्ग को ही सर्वश्रेष्ठ समझा। इस्लाम के प्रति भी उसकी नीति उदार थी। उसकी सर्वप्रमुख कृति सिद्धपुर में रुद्रमहालय का मंदिर था जो अपने विस्तार के लिय भारत के मंदिरों में प्रसिद्ध है। उसने सहस्रलिंग झील भी निर्मित की और उसके समीप एक कीर्तिस्तम्भ बनवाया। सरस्वती के तटपर उसने दशावतार नारायण का मंदिर भी बनवाया था। .

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जयगढ़ दुर्ग

जयगढ़ दुर्ग (राजस्थानी: जयगढ़ क़िला) भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में अरावली पर्वतमाला में चील का टीला नामक पहाड़ी पर आमेर दुर्ग एवं मावता झील के ऊपरी ओर बना किला है। इस दुर्ग का निर्माण जयसिंह द्वितीय ने १७२६ ई. में आमेर दुर्ग एवं महल परिसर की सुरक्षा हेतु करवाया था और इसका नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। Jaigarh Fort Aravalli Hills from Jaigarh Fort जयगढ़ दुर्ग को जीत का किला भी कहा जाता है। यह दुर्ग आमेर में स्थित है, जयपुर शहर सीमा मे यह किला १७२६ में बनकर तैयार हुआ था। यहाँ पर विश्व की सबसे बड़ी तोप रखी हुई है। File:Rajasthan-Jaipur-Jaigarh-Fort-compound-Apr-2004-00.JPG|Jaigarh Fort compound area, Jaipur, Rajasthan File:Rajasthan-Jaipur-Jaigarh-Fort-compound-Apr-2004-01.JPG|Jaigarh Fort compound area, Jaipur, Rajasthan File:Rajasthan-Jaipur-Jaigarh-Fort-perimeter-walls-Apr-2004-00.JPG|Jaigarh Fort fortifications, Jaipur, Rajasthan File:Rajasthan-Jaipur-Jaigarh-Fort-perimeter-walls-Apr-2004-01.JPG|Jaigarh Fort fortifications, Jaipur, Rajasthan File:Rajasthan-Jaipur-Jaigarh-Fort-water-supply-Apr-2004-01.JPG|Jaigarh Fort water supply, Jaipur, Rajasthan File:Jaigarh_fort_cannon.jpg .

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जल महल

जलमहल राजस्थान (भारत) की राजधानी जयपुर के मानसागर झील के मध्‍य स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण 'आई बॉल' भी कहा जाता है। इसे 'रोमांटिक महल' के नाम से भी जाना जाता था। जयसिंह द्वारा निर्मित यह महल मध्‍यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढीदार जीनों से युक्‍त दुमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित भवन है। जलमहल अब पक्षी अभ्‍यारण के रूप में भी विकसित हो रहा है। यहाँ की नर्सरी में 1 लाख से अधिक वृक्ष लगे हैं जहाँ राजस्थान के सबसे ऊँचे पेड़ पाए जाते हैं। .

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जसदेव सिंह

जसदेव सिंह (जन्म) भारत के एक खेल-टीकाकार (कमेन्टेटर) हैं।उन्हें सन २००८ में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया था। वे आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर सन १९६३ से ही स्वतन्त्रता दिवस तथा गणतन्त्र दिवस की परेडों के आधिकारिक टिप्पणीकार भी रहे हैं। जसदेव सिंह १९५५ में आकाशवाणी जयपुर में भर्ती हुए। उसके ८ वर्ष बाद वे दिल्ली आ गये और दूरदर्शन में कार्य करने लगे। वे नौ ओलम्पिक खेलों, आठ हॉकी विश्व कप और छः एशियाई खेलों का टिप्पणी कर चुके हैं। उन्हें 'ओलम्पिक ऑर्डर भी प्रदान किया जा चुका है। .

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जहाजपुर

जहाजपुर भीलवाड़ा जिले में (ध्रुवीय निर्देशांक: 25°37'7"N 75°16'32"E) स्थित बूंदी और शाहपुरा, तथा टोंक जिले के कस्बे देवली के निकट राजस्थान का एक प्राचीन क़स्बा है, जो उदयपुर से 96 मील (लगभग 153.6 कि.मी.) की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है। किंवदंती के अनुसार जहाजपुर के दुर्ग का निर्माण मूलत: महान मौर्य सम्राट अशोक के पौत्र सम्प्रति ने किया था जो जैन धर्म का अनुयायी था। यह दुर्ग हाडोती बूंदी और मेवाड़ के भूभाग की एक गिरिद्वार की तरह रक्षा करता था। दसवीं शती में राणा कुंभा ने जहाजपुर के क़िले का पुन:निर्माण करवाया था। जहाजपुर में अनेक प्राचीन जैन मंदिरों के खंडहर मिले हैं। यह एक नगरपालिका और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भी है।यह इलाक़ा खनिज संपदा से परिपूर्ण है .

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ज़िया फ़तेहाबादी

ज़िया फ़तेहाबादी ज़िया फ़तेहाबादी (१९१३ - १९८६) उर्दू लेखक एवं कवि थे। ज़िया फ़तेहाबादी, फ़तेहाबाद (ज़िला: तरन तारन) निवासी मेहर लाल सोनी का उपनाम था। .

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जिलिया

जिलिया गढ़ राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक स्थान है। इसे झिलिया, अभयपुरा, अभैपुरा, मारोठ, मारोट, महारोट, महारोठ आदि नामों से भी जानते हैं। इसका आधिकारिक नाम ठिकाना जिलिया (अंग्रेज़ी:Chiefship of Jiliya, चीफ़शिप ऑफ़ जिलिया) व उससे पूर्व जिलिया राज्य (अंग्रेज़ी:Kingdom of Jiliya, किंगडम ऑफ़ जिलिया) था। जिलिया मारोठ के पांचमहलों की प्रमुख रियासत थी जिसका राजघराना मीरा बाई तथा मेड़ता के राव जयमल के वंशज हैं। मेड़तिया राठौड़ों का मारोठ पर राज्य स्थापित करने वाले वीर शिरोमणि रघुनाथ सिंह मेड़तिया के पुत्र महाराजा बिजयसिंह ने मारोठ राज्य का अर्ध-विभाजन कर जिलिया राज्य स्थापित किया। इसकी उत्तर दिशा में सीकर, खंडेला, दांता-रामगढ़, पूर्व दिशा में जयपुर, दक्षिण दिशा में किशनगढ़, अजमेर, मेड़ता व जोधपुर और पश्चिम दिशा में नागौर व बीकानेर हैं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने बंगाल के गौड़ देश से आये भ्राताओं राजा अछराज व बछराज गौड़ की वीरता से प्रसन्न होकर उन्हें अपना सम्बन्धी बनाया और सांभर के पास भारत का प्राचीन, समृद्ध और शक्तिशाली मारोठ प्रदेश प्रदान किया जो नमक उत्पाद के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र-नगर के नाम से विख्यात था। गौड़ शासक इतने प्रभावशाली थे की उनके नाम पर सांभर का यह क्षेत्र आज भी गौड़ावाटी कहलाता है। गौड़ावाटी में सांभर झील व कई नदियाँ हैं, जिनमें खण्डेल, रुपनगढ़, मीण्डा (मेंढा) आदि प्रमुख हैं। मारोठ भारत के प्राचीनतम नगरों में से एक है और जैन धर्म का भी यहाँ काफी विकास हुआ और राजपूताना के सत्रहवीं शताब्दी के चित्रणों में मारोठ के मान मन्दिर की तुलना उदयपुर के महलों तथा अम्बामाता के मंदिर, नाडोल के जैन मंदिर, आमेर के निकट मावदूमशाह की कब्र के मुख्य गुम्बद के चित्र, मोजमाबाद (जयपुर), जूनागढ़ (बीकानेर) आदि से की जाती है। .

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जिज्ञासा सिंह

जिज्ञासा सिंह एक भारतीय अभिनेत्री हैं। यह कलर्स के एक धारावाहिक थपकी प्यार की से अपने अभिनय की शुरुआत की। .

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जवाहर नवोदय विद्यालय

जवाहर नवोदय विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय अथवा नवोदय विद्यालय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली पूरी तरह से आवासीय, सह शिक्षा, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली से संबद्ध शिक्षण परियोजना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - १९८६ के अन्तर्गत ऐसे आवासीय विद्यालयों की कल्पना की गई जिन्हें जवाहर नवोदय विद्यालय का नाम दिया गया, जो सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे लाने का उत्तम प्रयास है। इस परीयोजना का प्रमुख लक्ष्य गांव-गांव तक उत्तम शिक्षा पहुचाना है। ये विद्यालय पूर्णतः आवासीय एवं निःशुल्क विद्यालय होते हैं जहाँ विद्यार्थियों को नि:शुल्क आवास, भोजन, शिक्षा एवं खेलकूद सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। हर जिले में एक नवोदय विद्यालय होता है। .

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जवाहर कला केन्द्र

जवाहर कला केन्द्र (अंग्रेजी: Jawahar kala kendra) राजस्थान जयपुर में स्थित एक बहु कला केन्द्र है इसे राजस्थान सरकार ने बनाया। इसमें राजस्थानी कलाएँ ता हस्तकलाएँ देखने को मिलती है। इसका वास्तु चित्र वास्तुकलाकार चार्ल्स कॉरिया ने 1986 में बनाया थ तथा 1991 में बनकर तैयार हुआ। .

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जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय

जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय राजस्थान के जयपुर में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। पहले इसका नाम' राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय' था। सम्पूर्ण संस्कृत वाङ्मय के सांगोपांग अध्ययन और अध्यापन का संचालन करने, सतत विशेषज्ञीय अनुसंधान और उससे आनुषंगिक अन्य विषयों की व्यवस्था करने तथा संस्कृत वाङ्मय में निहित ज्ञान-विज्ञान की अनुसंधान पर आधारित सरल वैज्ञानिक पद्धति से व्यावहारिक व्याख्या प्रस्तुत करने के साथ ही अन्य महत्त्वपूर्ण अनुसंधानों के परिणामों और उपलब्धियों को प्रकाश में लाने के उद्देश्य से राजस्थान राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम 1998 (1998 का अधिनियम 10) की अनुमति महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा दिनांक 2-9-1998 को दीगई। दिनांक 6 फ़रवरी 2001 को राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय ने मूर्त्त रूप लिया जिसके प्रथम कुलपति पद्मश्री डॉ॰मण्डन मिश्र नियुक्त किये गये। उपशासन सचिव, शिक्षा (ग्रुप - 6) द्वारा जारी आदेश क्र.प.(1) शिक्षा - 6/2000 दिनांक 27-06-2005 के अनुसार दिनांक 27-06-2005 से विश्वविद्यालय का नाम जगद्गुरू रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर कर दिया गया है। .

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जंतर मंतर

जंतर मंतर, "यंत्र मंत्र" का अपभ्रंश रूप है। सवाई जयसिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा, दिल्ली और वाराणसी में भी किया था। पहली वेधशाला 1724 में दिल्ली में बनी। इसके 10 वर्ष बाद जयपुर में जंतर मंतर का निर्माण हुआ। इसके 15 वर्ष बाद मथुरा, उज्जैन और बनारस में भी ऐसी ही वेधशालाएं खड़ी की गईं।.

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जंतर मंतर, दिल्ली

जंतर मंतर, दिल्ली के हृदय, कनॉट प्लेस में स्थित है जंतर मंतर, दिल्ली, c1858 दिल्ली का जन्तर मन्तर एक खगोलीय वेधशाला है। अन्य चार जन्तर मन्तर सहित इसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी किया था। दिल्ली का जंतर-मंतर समरकंद की वेधशाला से प्रेरित है। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी। इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया। ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं। सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है। मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन को नाप सकता है। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है। .

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जुलाई २०१०

भारतीय रुपये का नया प्रतीक-चिह्न.

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ज्योतिर्मयी देवी

ज्योतिर्मयी देवी (জ্যোতির্ময়ী দেবী) (1896–1988) बांग्ला भाषा की भारतीय लेखिका थी। उन्होने अपने बचपन के दिनों में राजस्थान की तथा भारत के विभाजन के समय बांग्लादेश की महिलाओं के बारे में मुख्य रूप से लिखा। वे अपनी कहानियों के लिए तथा सामाजिक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं। उनकी किताबें कोलकाता में विभिन्न दुकानों के साथ-साथ अन्य स्थानों पर भी उपलब्ध हैं। इनकी कहानी "डैनी" पश्चिम बंगाल की माध्यमिक शिक्षा के बंगाली पाठ्यक्रम का हिस्सा है। उनकी कृतियों का अनुवाद बांग्ला लेखिका बर्निता बागची ने किया है। .

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जैसलमेर हवाई अड्डा

जैसलमेर हवाई अड्डा जैसलमेर, राजस्थान में स्थित, मूल रूप से भारतीय वायुसेना का अड्डा है, यहाँ से केवल एक उड़ान है किंगफिशर की जो इसे जोधपुर तथा जयपुर से जोड़ती है। इसकी हवाई पट्टी ९००० लम्बी तथा १५० फीट चौड़ी है श्रेणी:जैसलमेर श्रेणी:राजस्थान के हवाईअड्डे.

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जूही परमार

जूही परमार(जन्म 14 दिसम्बर 1980) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं, जिन्हें टेलिविजन की दुनिया में कुमकुम के नाम से भी जाना जाता है। जुही एक बहुमुखी कलाकार के रूप में जानी जातीं हैं। वे मशहूर धारावाहिक बिग बॉस की विजेता भी रह चुकीं हैं। .

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जे.सी. कुमारप्पा

गांधीवादी अर्थशास्त्री जेसी कुमारप्पा जे सी कुमारप्पा (४ जनवरी १८९२ - ३० जनवरी १९६०) भारत के एक अर्थशास्त्री थे। उनका मूल नाम 'जोसेफ चेल्लादुरई कॉर्नेलिअस' (Joseph Chelladurai Cornelius) था। वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी रहे। वे ग्राम-विकास सम्बन्धी आर्थिक सिद्धान्तों के अग्रदूत थे। उन्होने गांधीवाद पर आधारित आर्थिक सिद्धान्तों का विकास किया। जे सी कुमारप्पा को भारत में गाँधीवादी अर्थशास्त्र का प्रथम गुरु माना जाता है। अपने जीवनकाल में कुमारप्पा ने गाँधीवादी अर्थशास्त्र से जुड़े विषयों पर न केवल विशद लेखन किया बल्कि एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में भारत के दूरस्थ स्थानों में अनेक आर्थिक सर्वेक्षण करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प के लिए सार्थक कार्यनीति का प्रतिपादन भी किया। कुमारप्पा का अर्थशास्त्र स्वतंत्र भारत के हर व्यक्ति के लिए आर्थिक स्वायत्तता एवं सर्वांगीण विकास के अवसर देने के उसूल पर आधारित था। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इसके प्राकृतिक स्वरूप को उन्नत करने के हिमायती कुमारप्पा ऐसे बिरले अर्थशास्त्री थे जो पर्यावरण संरक्षण को औद्योगिक-वाणिज्यिक उन्नति से कहीं अधिक लाभप्रद मानते थे। गाँधी के आर्थिक दर्शन से कांग्रेस पार्टी में उनके अपने सहयोगी भी पूर्णतः सहमत नहीं थे। इसीलिए स्वतंत्र भारत की आर्थिक नीतियों और गाँधीवादी आर्थिक नीतियों के बीच कोई समानता नहीं रही। परिणास्वरूप स्वतंत्र भारत ने पाश्चात्य अर्थव्यस्था के नमूने के अंधानुकरण की होड़ में कुमारप्पा को जल्दी ही विस्मृत कर दिया। .

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जेनपैक्ट

डालियान केंद्र, चीन. 2-3,000 लोग यहां काम करते हैं, जो डालियान सॉफ्टवेयर पार्क में स्थित है। जेनपैक्ट NYSE) एक भारतीय बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग और आईटी कंपनी है। यह पूर्व में GE के स्वामित्व वाली कंपनी थी, जिसे GE कैपिटल इंटरनेशनल सर्विसेज या GECIS कहा जाता था। यह भारत, चीन, गुआटेमाला, हंगरी, मैक्सिको, मोरक्को, फिलीपींस, पोलैंड, नीदरलैंड, रोमानिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका से संचालित होती है। प्रमोद भसीन जेनपैक्ट के अध्यक्ष और सीईओ हैं। वर्तमान में विभिन्न स्थानों में इसमें 37,000 लोगों को रोजगार मिला है और यह 24/7 आधार पर 30 भाषाओं में सेवाएं प्रदान कर रही है। इसकी सेवाओं मेंवित्तीय सेवाएं, बिक्री और विपणन,विश्लेषिकी,आपूर्ति श्रृंखला,कलेक्शंस, ग्राहक सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और शिक्षा तथा कंटेंट प्रबंधन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। .

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जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

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जोधा अकबर (टीवी धारावाहिक)

जोधा अकबर ज़ी टीवी पर प्रसारित होने वाला एक ऐतहासिक धारावाहिक है। कार्यक्रम का प्रथम प्रसारण 18 जून 2013 को हुआ था। मशहूर चलचित्र निर्माता एकता कपूर ने इस धारावाहिक का उत्पादन किया है। रजत टोकस एवं परिधि शर्मा मुख्य भूमिका में है। .

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जोबनेर

जोबनेर राजस्थान के जयपुर जिले का एक नगर है। यह नगर अपने कृषि महाविद्यालय (स्वामी केशवानन्द कृषि महाविद्यालय) के लिए प्रसिद्ध है। श्रेणी:राजस्थान का भूगोल.

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ईश्वरविलास महाकाव्य

सवाई जयसिंह के समकालीन, बूंदी और जयपुर के राजदरबारों से सम्मानित, आन्ध्र-तैलंग-भट्ट, संस्कृत और ब्रजभाषा के महाकवि, श्रीकृष्णभट्ट कविकलानिधि द्वारा रचित, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर द्वारा प्रकाशित 'ईश्वरविलास' महाकाव्यजयपुर के इतिहास पर एकाग्र काव्यग्रंथ है। .

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ईसरलाट

अठारहवीं सदी में निर्मित जयपुर शहर में त्रिपोलिया बाज़ार में दिखलाई देने वाली पुराने शहर की सबसे ऊंची मीनार 'ईसरलाट' उर्फ़ 'सरगासूली' जिसका का निर्माण महाराजा ईश्वरी सिंह ने जयपुर के गृहयुद्धों में अपनी तीन विजयों की स्मृति में करवाया था। श्रेणी:जयपुर की ऐतिहासिक इमारतें.

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वनस्थली विद्यापीठ

वनस्थली विद्यापीठ महिला शिक्षा की राष्ट्रीय संस्था है जो राजस्थान के टोंक जिले की निवाई में स्थित है। जहॉ शिशु कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर शिक्षण एंव अनुसंधान कार्य हो रहा है। विद्यापीठ को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 3 के अधीन भारत सरकार द्वारा समविश्वविद्यालय घोषित किया गया है। विद्यापीठ भारतीय विश्वविद्यालय संघ तथा एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज का सदस्य है। वनस्थली का वातावरण स्वतंत्रता का वातावरण है। छात्राओं को अधिकतम स्वतन्त्रता दी जाती है और उनके व्यक्तित्व के निर्माण का प्रयास किया जाता है। जो छात्रा दो-चार वर्ष वनस्थली में पढ़ लेती है उसके व्यक्तित्व मे वनस्थली की झलक देखी जा सकती है। वनस्थली के विशाल पुस्तकालय में लगभग एक लाख पुस्तकें हैं जिनमें उच्चकोटि के अनेक दुर्लभ ग्रन्थ भी हैं। लगभग 750 पत्रिकाएँ नियमित रूप से आती हैं जिनमें उच्च स्तर की विदेशी पत्रिकाएँ भी हैं। क्षेत्रीय स्तर पर, राज्य के स्तर पर, तथा राष्ट्रीय स्तर पर भी वनस्थली की छात्राएँ खेलकूद के विभिन्न कार्यक्रमों में पुरस्कृत होती है। घुड़सवारी के प्रशिक्षण की यहाँ जो व्यवस्था है वह यही का एक विशिष्ट और सराहनीय पक्ष है। लगभग प्रतिवर्ष ही राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा राजस्थान विश्वविद्यालय की मेरिट लिस्ट में यहाँ की छात्राएँ भी स्थान पाती हैं। वनस्थली का उच्च माध्यमिक विद्यालय देश का प्रथम 'गर्ल्स ऑटोनॉमस स्कूल' है। .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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वाजिद खान

वाजिद खान (जन्म: १० मार्च १९८१, मंदसौर,मध्य प्रदेश, भारत) एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आयरन नेल आर्टिस्ट (कलाकार), चित्रकार, पेटेंट धारक, व अविष्कारक हैं। .

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वाईमैक्स

ईमैक्स का बेस स्टेशन उपकरण, जिसके ऊपर एक सेक्टर एंटीना और बेतार मॉडम स्थापित है m ऊपर लिथुआनिया में स्थापित वाइमैक्स (अंग्रेज़ी:Y-Max, WiMax) एक दूरसंचार तकनीक है। इस तकनीक के माध्यम से एक कंप्यूटर, दूसरे कंप्यूटर से बिना तारों की सहायता से संपर्क स्थापित कर सकेंगे। वर्तमान में कई देश इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वर्तमान में मौजूद 2जी और 3जी फोन की सहायता से आप इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते। इसके लिए ऐसे फोन की आवश्यकता होगी, जो वाईमैक्स संगत हो। वाईमैक्स इंटरनेट और सेल्यूलर दोनों नेटवर्क पर काम करता है। इसकी गति २ एमबीपीएस होती है और दस कि॰मी॰ तक यह समान रहती है। इसकी रेंज वाई-फाई की तुलना में ज्यादा होती है। जहां लैपटॉप के लिए इसकी सीमा ५ से १५ कि॰मी॰ होगी, तो वहीं फिक्सड कंप्यूटर स्टेशनों में ५० कि॰मी॰ होगी। वाईमैक्स पर १९९० के दौरान कई कंपनियों मसलन एटीएंडटी, नोकिया और वेरीजोन के इंजीनियरों ने काम करना शुरू किया है। सभी कपंनियां ऐसी तकनीक बनाना चाहती थीं, जिसकी रेंज कई कि॰मी॰ की हो। इंटेल कॉर्पोरेशन ने इस विचार को पकड़ा और वाई-फाई से उन्नत इस तकनीक को २००२ में अस्तित्व में लाया गया। वाई-फाई की रेंज जहां कुछ मीटर तक होती है, तो वहीं वाईमैक्स लंबी दूरी तक की क्षमता वाली प्रणाली है। इसकी सहायता से बड़े क्षेत्र को कम टावरों की सहायता से कवर किया जा सकता है। दस कि॰मी॰ की दूरी तक वाइमेक्स की स्पीड समान रहती है। इसकी डाउनलोड क्षमता २० एमबीपीएस है। इसमें इंटरनेट पर जीपीएस, गेमिंग और डाउनलोड की सुविधा मौजूद है। यह वायरलैस कवरेज की क्षमता को दस से तीस गुना तक बढ़ा देता है। इस सेवा हेतु स्पेक्ट्रम में आवृत्ति बैण्डविड्थ की सरकार ने नीलामी की है। तयह सेवा भारत संचार निगम लिमिटेड ने भारत में सर्वप्रथम जयपुर से आरंभ की है।। पत्रिका.कॉम यहां वाई-मैक्स तकनीक के जरिए टेलीफोन की जगह छोटा एंटीना लगाया जाएगा, जो टावर से संपर्क में रहेगा। ऎसे में 25 किमी दायरे में इंटरनेट चल सकेगा। इसके बाद मुंबई में यह सेवा आरंभ करने के लिए कई भारतीय दूरसंचार कंपनियां प्रयासरत हैं। इनमें टाटा कम्युनिकेशंस अग्रणी है। .

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विद्याधर

एक विद्याधर जोड़ी हिन्दू मान्यता के अनुसार विद्याधर हिमालय में रहने वाले उपदेव हैं। वे शिव के सहचर हैं। उनके पास चमत्कारिक शक्ति होती है। बौद्ध धर्म में भी विद्याधर की अवधारणा है। १८वी सदी में विद्याधर जयपुर नगर के वास्तुशिल्पी का नाम भी है| श्रेणी:भारतीय मिथक.

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विद्याधर (बहुविकल्पी)

'विद्याधर' से निम्नलिखित का बोध होता है-.

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विद्याधर चक्रवर्ती

विद्याधर चक्रवर्ती। विद्याधर भट्टाचार्य (?)। विद्याधर (१६९३-१७५१) भारत के नगर-नियोजन के पुरोधा थे। आज से 286 साल पहले जयपुर जैसा सुव्यवस्थित और आधुनिक नगर बसाने के आमेर महाराजा सवाई जयसिंह के सपने को साकार करने में उनकी भूमिका सबसे निर्णायक और महत्वपूर्ण रही। गणित, शिल्पशास्त्र, ज्योतिष और संस्कृत आदि विषयों में उनकी असाधारण गति थी। विद्याधर बंगाल मूल के एक गौड़-ब्राह्मण थे, जिनके दस वैदिक ब्राह्मण पूर्वज आमेर-राज्य की कुलदेवी दुर्गा शिलादेवी की शिला खुलना-उपक्षेत्र के जैसोर (तब पूर्व बंगाल), अब बांग्लादेश) से लाने के समय जयपुर आये थे। उन्हीं में से एक के वंशज विद्याधर थे। .

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विद्यानंद

आचार्य Vidyanand जी (हिंदी: आचार्य विद्यानंद) (जन्म 22 अप्रैल 1925) के एक वरिष्ठ सबसे प्रमुख विचारक, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, संपादक, क्यूरेटर और एक बहुमुखी जैन साधु समर्पित किया है, जो अपने पूरे जीवन में उपदेश और अभ्यास महान अवधारणा की अहिंसा (अहिंसा) के माध्यम से जैन धर्महै। वह है के शिष्य आचार्य Deshbhushan.

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विद्यागोरी अड़कर

विद्यागोरी अड़कर (मराठी: विद्यागौरी आडकर) एक भारतीय शास्त्रीय नर्तक है। यह कथक नृत्य करती है और जयपुर घराने भारतीय शास्त्रीय नृत्य को प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कई संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है जिसमें खजुराहो महोत्सव के नृत्य, तिरुवनंतपुरम में चिलका नृत्य समारोह, नृत्य और संगीत का महोत्सव, दिल्ली आदि शामिल हैं। .

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विधान सभा

विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा, सिक्किम, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है, उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है। प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। .

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विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V

प्रविष्टियों का प्रारूप है.

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विराटनगर (राजस्थान)

नेपाल के विराटनगर के लिये देखें, विराटनगर विराट नगर (बैराठ) राजस्थान प्रान्त के जयपुर जिले का एक शहर है। इसका पुराना नाम बैराठ है। विराट नगर राजस्थान में उत्तर में स्थित है। यह नगरी प्राचीन मत्स्य राज की राजधानी रही है। चारो और सुरम्य पर्वतों से घिरे प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी रहे विराटनगर में पुरातात्विक अवशेषों की सम्पदा बिखरी पड़ी है या भूगर्भ में समायी हुई है। विराट नगर अरावली की पहाडियों के मध्य में बसा है। राजस्थान के जयपुर जिले में शाहपुरा के अलवर-जयपुर रोड के उत्तर-पूर्व की तरफ 25 किलोमीटर दूर विराट नगर कस्बा अपनी पौराणिक ऐतिहासिक विरासत को आज भी समेटे हुए हैं। विराटनगर नाम से प्राय: लोगों को भ्रम हो जाता है। विराटनगर नामक एक क़स्बा नेपाल की सीमा में भी है। किन्तु नेपाल का विराट नगर, महाभारत कालीन विराटनगर नहीं है। महाभारतकालीन गौरव में आराध्यदेव भगवान श्री केशवराय का मंदिर,जिसमे 3 ही कृष्ण एवम् 3 ही विष्णु की प्रतिमाये स्थित है। 64 खम्बे व108 टोड़ी है। ये केशवराय मंदिर विश्व दर्शन के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।इस सम्बन्ध विराटनगर पौराणिक, प्रगेतिहासिक, महाभारतकालीन तथा गुप्तकालीन ही नहीं मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओ को भी अपने में समेटे हुए, राजस्थान के जयपुर और अलवर जिले की सीमा पर स्थित है विराटनगर में पौराणिक शक्तिपीठ, गुहा चित्रों के अवशेष, बोद्ध माथों के भग्नावशेष, अशोक का शिला लेख और मुगलकालीन भवन विद्यमान है। अनेक जलाशय और कुंड इस क्षेत्र की शोभा बढा रहे हैं। प्राकर्तिक शोभा से प्रान्त परिपूर्ण है। विराटनगर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय व्याघ्र अभ्यारण, भर्तृहरी का तपोवन, पाण्डुपोल नाल्देश्वर और सिलिसेढ़ जैसे रमणीय तथा दर्शनीय स्थल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते है। यहाँ के दर्शय दर्शनीय स्थलो में प्रसिद्ध श्रीकेश्वराय मंदिर नगर के मध्य आकर्षक का केंद्र है। जिसमे भगवान केशव एवम् विष्णु के साथ कोई देवी (शक्ति) नहीं है। भगवान केशव का जो रूप महाभारत में था। उसी स्वरूप में भगवन श्रीकृष्ण का मंदिर दर्शनीय है। जो विराटनगर पर्यटन नगरी में सुविख्यात है। .

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विश्व मोहन भट्ट

विश्व मोहन भट्ट या पंडित विश्व मोहन भट्ट भारतीय संगीत की प्रमुख हस्तियों में से एक हैं। .

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विश्वरूप

विश्वरूप अथवा विराट रूप भगवान विष्णु तथा कृष्ण का सार्वभौमिक स्वरूप है। इस रूप का प्रचलित कथा भगवद्गीता के अध्याय ११ पर है, जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र युद्ध में विश्वरूप दर्शन कराते हैं। यह युद्ध कौरवों तथा पाण्डवों के बीच राज्य को लेकर हुआ था। इसके संदर्भ में वेदव्यास कृत महाभारत ग्रंथ प्रचलित है। परंतु विश्वरूप दर्शन राजा बलि आदि ने भी किया है। भगवान श्री कृष्ण नें गीता में कहा है-- पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः। नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च।। अर्थात् हे पार्थ! अब तुम मेरे अनेक अलौकिक रूपों को देखो। मैं तुम्हें अनेक प्रकार की आकृतियों वाले रंगो को दिखाता हूँ। कुरुक्षेत्र में कृष्ण और अर्जुन युद्ध के लिये तत्पर। विश्वरूप अर्थात् विश्व (संसार) और रूप। अपने विश्वरूप में भगवान संपूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन एक पल में करा देते हैं। जिसमें ऐसी वस्तुऐं होती हैं जिन्हें मनुष्य नें देखा है परंतु ऐसी वस्तुऐं भी होतीं हैं जिसे मानव ने न ही देखा और न ही देख पाएगा। .

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विस्थापन (सदिश)

एक कण द्वारा तय दूरी व विस्थापन का सापेक्ष अध्ययन विस्थापन (Displacement) एक सदिश राशि है। जब कोई वस्तु एक बिन्दु P से दूसरे बिन्दु Q तक किसी भी पथ से होते हुए गति करती है तो इस विस्थापन का परिमाण उन दो बिन्दुओं के मध्य की निम्नतम दूरी होगी तथा विस्थापन की दिशा, रेखा PQ की दिशा में (P से Q की तरफ) होगी। विस्थापन को s से दर्शाते हैं। विस्थापन का परिमाण काल्पनिक सीधे पथ की लम्बाई है, अतः यह कण द्वारा तय की गई कुल दूरी से अलग हो सकता है। जब कोई वस्तु p बिन्दु से q बिन्दु तक जाती है और वापस पुनः p बिन्दु आ जाती हैं, तब विस्थापन शून्य होगा, जबकि चली गयी दूरी शून्य नहीं होगी। .

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वेधशाला

ऐल्प्स की पहाड़ियो पर स्थित स्फ़िंक्स् वेधशाला ऐसी एक या एकाधिक बेलनाकार संरचनाओं को आधुनिक वेधशाला (Observatory) कहते हैं जिनके ऊपरी सिर पर घूमने वाला अर्धगोल गुंबद स्थित होता है। इन संरचनाओं में आवश्यकतानुसार अपवर्तक या परावर्तक दूरदर्शक रहता है। दूरदर्शक वस्तुत: वेधशाला की आँख होता है। खगोलीय पिंडों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आँकड़े एकत्रित करके उनका अध्ययन और विश्लेषण करने में इनका उपयोग होता है। कई वेधशालाएँ ऋतु की पूर्व सूचनाएँ भी देती हैं। कुछ वेधशालाओं में भूकंपविज्ञान और पार्थिव चुंबकत्व के संबंध में भी कार्य होता है। .

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वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1994-95

वेस्टइंडीज की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने 5 मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला के लिए 1 99 4 में भारत का दौरा किया और इसके बाद 3 टेस्ट मैचों की एक श्रृंखला का आयोजन किया। भारत ने एकदिवसीय श्रृंखला 4-1 से जीती और टेस्ट श्रृंखला 1-1 से ड्रॉ की गई। द्विपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखला विल्स विश्व सीरीज 1994-95 के आसपास खेली गई, एक त्रिकोणीय ओडीआई टूर्नामेंट जिसमें भारत, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड शामिल थे, और भारत ने जीता था। त्रिकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट को रंगीन कपड़ों में खेला गया था, जबकि द्विपक्षीय सीरीज़ गोरे में खेला गया था। .

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वीणा म्यूजिक

वीणा संगीत (ओरिएंटल ऑडियो विजुअल इलेक्ट्रॉनिक्स) राजस्थान, भारत में आधारित एक संगीत लेबल है। यह के.सी.

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खड़िया आदिवासी

खड़िया महिला खड़िया, मध्य भारत की एक जनजाति है। यह जनजाति आस्ट्रालॉयड मानव-समूह का अंग है और इनकी भाषा आस्ट्रिक भाषा परिवार की आस्ट्रोएशियाटिक शाखा के मुंडा समूह में आती है। जनसंख्या की दृष्टि से मुंडा समूह में संताली, मुंडारी और हो के बाद खड़िया का स्थान है। खड़िया आदिवासियों का निवास मध्य भारत के पठारी भाग में है, जहाँ ऊँची पहाड़ियाँ, घने जंगल और पहाड़ी नदियाँ तथा झरने हैं। इन पहाड़ों की तराइयों में, जंगलों के बीच समतल भागों और ढलानों में इनकी घनी आबादी है। इनके साथ आदिवासियों के अतिरिक्त कुछ दूसरी सदान जातियाँ तुरी, चीक बड़ाईक, लोहरा, कुम्हार, घाँसी, गोंड, भोगता आदि भी बसी हुई हैं। खड़िया समुदाय मुख्यतः एक ग्रामीण खेतिहर समुदाय है। इसका एक हिस्सा आहार-संग्रह अवस्था में है। शिकार, मधु, रेशम के कोये, रस्सी और फल तथा जंगली कन्दों पर इनकी जीविका आधारित है। जंगल साफ करके खेती द्वारा गांदेली, मडुवा, उरद, धन आदि पैदा कर लेते हैं। .

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खरगोन ज़िला

खरगोन भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय खारगोन है। .

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खाटूश्यामजी, राजस्थान

खाटूश्यामजी भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले का एक महत्वपूर्ण गाँव है। यह खाटूश्यामजी के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। .

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खानपुर डागरान

खानपुर डागरान या खानपुर अहीरा या खानपुर अहीर (Khanpur Dagran) एक गाँव है जो भारतीय राज्य राजस्थान के अलवर जिले के कोटकासिम तहसील का एक गाँव है। यह गाँव खानपुर डागरान अहीरवाल का एक हिस्सा है जहाँ की जनसंख्या में ८५ प्रतिशत लोग यादव है। ये यादव जाति के लोग ज्यादातर डागर वंश के है। खानपुर डागरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली से 130 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है, राज्य की राजधानी जयपुर से 145 किमी उत्तर में, अलवर शहर से 60 किलोमीटर उत्तर में, 60 किलोमीटर उत्तर रेवाड़ी शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर, धारुहेरा से 25 किमी दक्षिण में, भिवाड़ी से 25 किलोमीटर दक्षिण में और तिजेरा से 22 किलोमीटर पश्चिम में, 20 किलोमीटर उत्तर किशनगढ़ बास, कोटकासिम से 5 किलोमीटर दक्षिण में, बिबरीनी से 4 किलोमीटर उत्तर में, अलवर जिले में स्थित है। खानपुर डागरान के पास के गांवों में बदसरारा (1 किलोमीटर), खेरी (1 किलोमीटर), चाचियावास (1 किलोमीटर), पुर (2 किलोमीटर), सोनोडा अहिर (1.5 किलोमीटर), घेकाक (3 किलोमीटर), चंद्रपुर (1 किलोमीटर), जलाका (1 किलोमीटर) 1.8 किलोमीटर)। यह स्थान अलवर और रेवाड़ी जिला की सीमा में है। रेवाड़ी जिला इस जगह की ओर से पश्चिम में है। यह हरियाणा राज्य की सीमा के पास है .

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गणगौर

गणगौर राजस्थान का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। शिव की अर्धांगिनी पार्वती के रूप में गणगौर की पूजा उदयपुरबीकानेर और जयपुर के अलावा राजस्थान के कई शहरों की प्राचीन परंपरा है श्रेणी:राजस्थान के लोक नृत्य श्रेणी:भारत में त्यौहार.

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गतिप्रेरक

एक पेसमेकर, स्केल के संग आकार का अनुमान लगाने हेतु एक कृत्रिम पेसमेकर अन्तर्शिरा भेदन हेतु। गतिप्रेरक (अंग्रेज़ी:पेसमेकर) एक ऐसा छोटा उपकरण है, जो मानव हृदय के साथ ऑपरेशन कर लगाया जाता है और मुख्यतः ह्रदय गति को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके द्वारा किये गये प्रमुख कार्यों में ह्रदय गति को उस समय बढ़ाना, जब यह बहुत धीमी हो एवं उस समय धीमा करना, जब यह बहुत तेज़ हो आते हैं। इनके अलावा हृदय गति के अनियमित होने की दशा में ह्रदय को नियन्त्रित रूप से धड़कने में मदद भी करता है। पेसमेकर को सर्जरी के द्वारा छाती में रखा जाता है। लीड नामक तारों को ह्रदय की मांसपेशी में डाला जाता है। बैटरी वाला यह उपकरण कंधे के नीचे त्वचा के भीतर रखा जाता है।। हार्ट ऑनलाइन इसे लगाने के ऑपरेशन उपरांत रोगी को घर ले जाने के लिये परिवार का कोई वयस्क सदस्य या मित्र उसके साथ आना चाहिए। रोगी के लिये उस समय वाहन चलाना या अकेले वापस जाना सुरक्षित नहीं है। रोगी को अपनी शल्य-क्रिया के बाद पहले दिन किसी वयस्क को घर मे अपने साथ ठहराना चाहिये। इसकी सर्जरी में १-२ घंटे लगते हैं। एक ऐसा ही पेसमेकर उन लोगों के मस्तिष्क के लिए भी बनाया गया है, जिनके हाथ पैर ठीक से काम नहीं करते हैं। .

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गलताजी

गलताजी मन्दिर का विहंगम दृष्य गलताजी, जयपुर, राजस्थान स्थित एक प्राचीन तीर्थस्थल है। निचली पहाड़ियों के बीच बगीचों से परे स्थित मंदिर, मंडप और पवित्र कुंडो के साथ हरियाली युक्त प्राकृतिक दृश्य इसे आन्नददायक स्थल बना देते हैं। दीवान कृपाराम द्वारा निर्मित उच्चतम चोटी के शिखर पर बना सूर्य देवता का छोटा मंदिर शहर के सारे स्थानों से दिखाई पड़ता है। गलताजी मंदिर जयपुर से केवल 10 किमी दूर स्थित है। जयपुर के आभूषणों में से एक, मंदिर परिसर में प्राकृतिक ताजा पानी का झरना और 7 पवित्र कुण्ड शामिल हैं। इन कुण्डों के बीच, 'Galta कुंड', पवित्रतम एक है और सूखी कभी नहीं माना जाता है। शुद्ध पानी की एक वसंत 'गौमुख', एक रॉक, एक गाय के सिर की तरह आकार टैंक में से बहती है। एक शानदार संरचना, इस भव्य मंदिर, गुलाबी बलुआ पत्थर में बनाया गया है कम पहाड़ियों के बीच, और अधिक एक महल या 'हवेली' एक पारंपरिक मंदिर से की तरह लग रहे करने के लिए संरचित है। Galta बंदर मंदिर हरे-भरे पेड़-पौधों की विशेषता भव्य परिदृश्य का एक वापस छोड़ दिया है, और जयपुर शहर का एक आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है। यह मंदिर है कि इस क्षेत्र में ध्यान केन्द्रित करना बंदरों के कई जनजातियों के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक भजन और मंत्र, प्राकृतिक सेटिंग के साथ संयुक्त, जो वहां का दौरा किसी के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करते हैं। .

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गायत्री देवी

जयपुर के भूतपूर्व राजघराने की राजमाता गायत्री देवी का जन्म २३ मई १९१९ को लंदन में हुआ था। राजकुमारी गायत्री देवी के पिता राजकुमार जितेन्द्र नारायण कूचबिहार (बंगाल) के युवराज के छोटे भाई थे, वहीं माता बड़ौदा की राजकुमारी इंदिरा राजे थीं। पहले शांतिनिकेतन, फिर लंदन और स्विट्ज़रलैंड में शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात इनका इनका विवाह जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) से हुआ। वॉग पत्रिका द्वारा कभी दुनिया की दस सुंदर महिलाओं में गिनी गईं राजमाता गायत्री देवी राजनीति में भी सक्रिय थीं। इन्होंने सन् १९६२ में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा स्थापित स्वतंत्र पार्टी की उम्मीदवार के रूप में जयपुर संसदीय क्षेत्र से समूचे देश में सर्वोच्च बहुमत से चुनाव में विजयी होने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद १९६७ और १९७१ के चुनावों में विजयी होकर लोकसभा सदस्य चुनी गईं। लेकिन राजनीतिक सफर में कष्ट भी सहने पड़े, जब आपातकाल के दौरान वे दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद रही। गायत्री देवी पर (ए प्रिंसेस रिमेम्बर्स) तथा (ए गवर्नमेंट्स गेट वे) नामक पुस्तकें अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी हैं। 90 वर्ष की आयु में २९ जुलाई २००९ को इनका जयपुर में निधन हो गया। .

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गांधीनगर जयपुर रेलवे स्टेशन

गांधीनगर जयपुर रेलवे स्टेशन (स्टेशन कूट - GAGJ) भारत के राजस्थान राज्य का एक रेलवे स्टेशन है | जो जयपुर में स्थित हैं | .

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गुप्तिनंदी

आचार्य Guptinandi जी एक Digambara भिक्षु द्वारा शुरू आचार्य Kunthusagar.

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गुरुग्राम जिला

गुड़गाँव, भारतीय राज्य हरियाणा का छठा सबसे बड़ा शहर है। यह हरियाणा के ४ प्रमण्डलों में से भी एक है। गुडगाँव हरियाणा का ओद्योगिक और वितीय केंद्र है। गुड़गाँव भारत की राजधानी दिल्ली से ३० किलोमीटर, द्वारका से १० किलोमीटर, चंडीगढ़ से २६८ किलोमीटर दूर है। गुड़गाँव दिल्ली के चार प्रमुख उपग्रह शहरो में से एक है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा है। गुड़गाँव दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग और दिल्ली मेट्रो के माध्यम से सीमा साँझा करता है। गुड़गाँव का भारत में प्रति व्यक्ति आय में चंडीगढ़ और मुंबई के बाद तीसरा स्थान है। गुडगाँव भारत का एकमात्र पहला एसा शहर है जिसके प्रतेक घर में बिजली की पूर्ति होती है। बिज़नस टुडे मैगज़ीन के द्वारा गुड़गाँव को भारत में रहने के लिए ११ स्थान प्राप्त है। पिछले २५ सालो में गुडगाँव ने बहुत तेजी से प्रगति की है और अपने आप को दुनिया के नक़्शे पर स्थापित किआ है। .

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ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

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गैटोर

सिसोदिया रानी के बाग में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था। .

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गोएयर

गो-एयर(GoAir) भारत की कम कीमत वाली विमान सेवा है। मई २०१३ के शेयर गणना के अनुसार यह भारत की पांचवी सबसे बड़ी विमानन सेवा है। इस सेवा का प्रारंभ नवम्बर २००५ से शुरू हुआ। यह २१ शहरों में दिन भर की १०० तथा सप्ताह की ७५० उड़ानों द्वारा घरेलू विमानन सेवा प्रदान करता है। इस पर वाडिया समूह का स्वामित्व है। .

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गोनेर

गोनेर राजस्थान के सांगानेर तहसील एवं बगरु विधानसभा क्षेत्र में स्थित एक कस्बा है जो जयपुर से लगभग 18 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित है। यह 'जयपुर का वृंदावन' के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक एवं शैक्षणिक नगरी है। एक ओर जहां प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर स्थित है वहीं दूसरी और यहां राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थित हैं। प्रमुख दर्शनीय स्थल-.

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गोपीनाथ कविराज

महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज (७ सितम्बर 1887 - १२ जून 1976) संस्कृत के विद्वान और महान दार्शनिक थे। १९१४ में पुतकालयाक्ष्यक्ष से आरम्भ करते हुए वे १९२३ से १९३७ तक वाराणसी के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य रहे। इस कालावधि में वे सरस्वती भवन ग्रन्थमाला के सम्पादक भी रहे। गोपीनाथ कविराज बंगाली थे और इनके पिताजी का नाम वैकुण्ठनाथ बागची था। आप का जन्म ब्रिटिश भारत के ग्राम धमरई जिला ढाका (अब बांग्लादेश) मे हुआ था। उनका जन्म प्रतिष्ठित बागची घराने मे हुआ था और "कविराज" उनको सम्मान में कहा जाता था। आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा श्री मधुसूदन ओझा एवं शशिधर "तर्क चूड़ामणि" के निर्देशन मे जयपुर मे प्रारंभ किया। महामहोपाध्याय पं॰ गोपीनाथ कविराज वर्तमान युग के विश्वविख्यात भारतीय प्राच्यविद् तथा मनीषी रहे हैं। इनकी ज्ञान-साधना का क्रम वर्तमान शताब्दी के प्रथम दशक से आरम्भ हुआ और प्रयाण-काल तक वह अबाधरूप से चलता रहा। इस दीर्घकाल में उन्होंने पौरस्त्य तथा पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान की विशिष्ट चिन्तन पद्धतियों का गहन अनुशीलन कर, दर्शन और इतिहास के क्षेत्र में जो अंशदान किया है उससे मानव-संस्कृति तथा साधना की अंतर्धाराओं पर नवीन प्रकाश पड़ा है, नयी दृष्टि मिली है। उन्नीसवीं शती के धार्मिक पुनर्जागरण और बीसवीं शती के स्वातन्त्र्य-आन्दोलन से अनुप्राणित उनकी जीवन-गाथा में युगचेतना साकार हो उठी है। प्राचीनता के सम्पोषक एवं नवीनता के पुरस्कर्ता के रूप में कविराज महोदय का विराट् व्यक्तित्व संधिकाल की उन सम्पूर्ण विशेषताओं से समन्वित है, जिनसे जातीय-जीवन प्रगति-पथ पर अग्रसर होने का सम्बल प्राप्त करता रहा है। इनके द्वारा रचित एक शोध तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि के लिये उन्हें सन् १९६४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (संस्कृत) से सम्मानित किया गया। .

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गोरखपुर

300px गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह एक धार्मिक केन्द्र के रूप में मशहूर है जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, बौद्धों के घर, इमामबाड़ा, 18वीं सदी की दरगाह और हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान गीता प्रेस। 20वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र बिन्दु था और आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में 'बंगाल नागपुर रेलवे' के रूप में जाना जाता था, यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा/GIDA) की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है। .

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गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री

सन 1904 ईस्वी में महापुरा (जयपुर) में जन्मे गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री साहित्य, न्याय-शास्त्र और वेदांत दर्शन के जाने माने अध्येता विद्वान, तंत्र-विद्या के ज्ञाता, संस्कृत गद्य और पद्य के जाने-माने लेखक और आशुकवि थे। इनके पिता का नाम गोपीकृष्ण गोस्वामी और माता का नाम ऐनादेवी था। इनका विवाह मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में ओरछा राजगुरुओं के परिवार में हुआ। कवि शिरोमणि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के साले गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री तैलंग ब्राह्मणों के आत्रेय गोत्र में कृष्ण-यजुर्वेद के तैत्तरीय आपस्तम्ब में मूलपुरुष श्रीव्येंकटेश अणणम्मा और शिवानन्द गोस्वामी के वंशज थे। .

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गोविन्द चन्द्र पाण्डेय

डॉ॰ गोविन्द चन्द्र पाण्डेय (30 जुलाई 1923 - 21 मई 2011) संस्कृत, लेटिन और हिब्रू आदि अनेक भाषाओँ के असाधारण विद्वान, कई पुस्तकों के यशस्वी लेखक, हिन्दी कवि, हिन्दुस्तानी अकादमी इलाहबाद के सदस्य राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और सन २०१० में पद्मश्री सम्मान प्राप्त, बीसवीं सदी के जाने-माने चिन्तक, इतिहासवेत्ता, सौन्दर्यशास्त्री और संस्कृतज्ञ थे। .

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गोविंददेव मंदिर

गोविन्द देव जी का मंदिर वृंदावन में स्थित वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है। इसका निर्माण १५९० ई. (तद. १६४७ वि॰सं॰) में हुआ था। इस मंदिर के शिला लेख से यह जानकारी पूरी तरह सुनिश्चित हो जाती है कि इस भव्य देवालय को आमेर के राजा भगवान दास के पुत्र राजा मानसिंह ने बनवाया था। रूप गोस्वामी एवं सनातन गोस्वामी नामक दो वैष्णव गुरूऔं की देखरेख में मंदिर के निर्माण होने का उल्लेख भी मिलता है। जेम्स फर्गूसन, प्रसिद्ध इतिहासकार ने लिखा है कि यह मन्दिर भारत के मन्दिरों में बड़ा शानदार है। मंदिर की भव्यता का अनुमान इस उद्धरण से लगाया जा सकता है 'औरंगज़ेब ने शाम को टहलते हुए, दक्षिण-पूर्व में दूर से दिखने वाली रौशनी के बारे जब पूछा तो पता चला कि यह चमक वृन्दावन के वैभवशाली मंदिरों की है। औरंगज़ेब, मंदिर की चमक से परेशान था, समाधान के लिए उसने तुरंत कार्यवाही के रूप में सेना भेजी। मंदिर, जितना तोड़ा जा सकता था उतना तोड़ा गया और शेष पर मस्जिद की दीवार, गुम्बद आदि बनवा दिए। कहते हैं औरंगज़ेब ने यहाँ नमाज़ में हिस्सा लिया। मंदिर का निर्माण में 5५ से १० वर्ष लगे और लगभग एक करोड़ रुपया ख़र्चा बताया गया है। सम्राट अकबर ने निर्माण के लिए लाल पत्थर दिया। श्री ग्राउस के विचार से, अकबरी दरबार के ईसाई पादरियों ने, जो यूरोप के देशों से आये थे, इस निर्माण में स्पष्ट भूमिका निभाई जिससे यूनानी क्रूस और यूरोपीय चर्च की झलक दिखती है। इस मंदिर की निर्माण शैली - हिन्दू (उत्तर-दक्षिण भारत), जयपुरी, मुग़ल, यूनानी और गोथिक का मिश्रण है। इसका लागत मूल्य- एक करोड़ रुपया (लगभग)। यह मंदिर ५-१० वर्षों में बनकर तैयार हुआ था। इसका माप- 105 x 117 फुट (200 x 120 फुट बाहर से) व ऊंचाई - 110 फुट (सात मंज़िल थीं आज केवल चार ही मौजूद हैं) १८७३ में श्री ग्राउस (तत्कालीन ज़िलाधीश मथुरा) ने मंदिर की मरम्मत का कार्य शुरू करवाया जिसमें ३८,३६५ रूपये का ख़र्च आया। जिसमें ५००० रूपये महाराजा जयपुर ने दिया और शेष सरकार ने। मरम्मत और रख रखाव आज भी जारी है लेकिन मंदिर की शोचनीय दशा को देखते हुए यह सब कुछ नगण्य है। .

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ऑटो एक्सपो

ऑटो एक्सपो २००८, प्रगति मैदान दिल्ली में भारतीय वाहन उद्योग का सबसे बड़ा आयोजन ऑटो एक्सपो (वाहन प्रदर्शनी) भारत की राजधानी दिल्ली में हर दो साल में आयोजित होने वाला एक व्यापार मेला हैं। इसका आयोजन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में होंता है। शंघाई मोटर शो के बाद यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा वाहन व्यापार मेला है। मेले का आयोजन ऑटोमोटिव कम्पोनेण्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एक्मा), भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (सियाम) और कॉन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) मिल कर करते हैं। १९८६ से लेकर अब तक ११ ऑटो एक्सपो भारत की राजधानी में आयोजित किये जा चुके हैं। पहली बार १२वाँ ऑटो एक्सपो का आयोजन नई दिल्ली के बजाय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के औद्योगिक नगर ग्रेटर नोएडा में किया गया। .

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ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम का भारत दौरा 2013-14

ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने 10 अक्टूबर से 2 नवंबर 2013 के बीच भारत का दौरा किया, जिसमें ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच और भारत के खिलाफ सात मैचों की एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला थी। चल रहे पीठ की चोट के कारण, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर माइकल क्लार्क को कैलम फर्ग्यूसन ने स्थान दिया और जॉर्ज बेली ने टीम का नेतृत्व किया। दूसरे एकदिवसीय मैच के दौरान, पहले पांच आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने पचास या उससे ज्यादा अंक हासिल किए, एक ऐसी उपलब्धि जो कि कोई भी टीम पहले कभी नहीं कर पाई थी। दूसरे मैच में, भारत ने 360 रनों का लक्ष्य जीतने का पीछा किया, जिससे यह एक वनडे मैच जीतने के लिए दूसरे सबसे ज्यादा रन का पीछा कर रहा था। दो हफ्ते बाद छठे मैच में, भारत ने ऑस्ट्रेलिया के कुल 350 रनों का पीछा करते हुए एक गेम जीतने के लिए तीसरे सबसे अधिक रन-का पीछा करने का प्रयास किया। यह एक संयोग है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए एक ही टीम के खिलाफ सभी तीन उच्चतम रनों का सामना किया गया है। सातवें और अंतिम मैच में, भारतीय बल्लेबाज रोहित शर्मा एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरे शतक बनाने वाले तीसरे खिलाड़ी बने, जब उन्होंने 158 गेंदों में 209 रन बनाए। उनकी पारी में 16 छक्के शामिल थे, जिसने ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर शेन वॉटसन के 15 रनों के पिछले रिकॉर्ड को हराया था। .

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ओबेरॉय होटल एंड रिसॉर्ट्स

ओबेरॉय ग्रूप एक होटल कंपनी है जिस्का प्रधान कार्यालय दिल्ली में स्थापित है। ओबेराय की स्थापना १९३४ में किया गया और पांच देशों में३० होटल और तीन जहाज़ चला रही है। यह दुनिया में सबसे सजाया होटल चेनों में से एक माना जाता है और यात्रा + आराम, कोंडे नास्ट ट्रैवलर, फोर्ब्स और गैलीलियो से विभिन्न पुरस्कार प्राप्त किया है। .

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औधोगिक नगर

राजस्थान में बहुत से शहरो में अनेकों कम्पनिया हैं इस द्रष्टि से राजस्थान मे प्रमुख औधोगिक नगर निम्न हैं १. भिवाडी़ (अलवर) २. नीमराणा (अलवर) ३. कोटा ४. भीलवाडा ५. अलवर ६. जयपुर ७. जोधपुर ८. किशनगढ़ (अजमेर) ९. पाली १०.

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और प्यार हो गया (धारावाहिक)

और प्यार हो गया एक ज़ी टीवी पर प्रसारित होने वाला भारतीय धारावाहिक था। यह 6 जनवरी 2014 से 2 दिसम्बर 2014 तक चला। इसके पश्चात इसके स्थान पर सतरंगी ससुराल देने लगा। .

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आधिकारिक आवास

सामान्य रूप में आधिकारिक आवास किसी अधिकार या पद के साथ मिलनेवाले आवास को कहते है। लेकिन सार्वभौमिक रूप से, किसी देश के राष्ट्रप्रमुख, शासनप्रमुख, राज्यपाल या अन्य वरिष्ठ पद के निवासस्थान को "आधिकारिक आवास" कहते है। निम्नलिखित दुनिया के आधिकारिक आवासों की सूची है। सूची का प्रारूप इस प्रकार है.

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आमेर

आमेर का किला जयपुर, c. 1858आमेर का किला आमेर जयपुर नगर सीमा में ही स्थित उपनगर है, इसे मीणा राजा आलन सिंह ने बसाया था, कम से कम 967 ईस्वी से यह नगर मौजूद रहा है, इसे 1037 ईस्वी में राजपूत जाति के कच्छावा कुल ने जीत लिया था। आमेर नगरी और वहाँ के मंदिर तथा किले राजपूती कला का अद्वितीय उदाहरण है। यहाँ का प्रसिद्ध दुर्ग आज भी ऐतिहासिक फिल्मों के निर्माताओं को शूटिंग के लिए आमंत्रित करता है। मुख्य द्वार गणेश पोल कहलाता है, जिसकी नक्काशी अत्यन्त आकर्षक है। यहाँ की दीवारों पर कलात्मक चित्र बनाए गए थे और कहते हैं कि उन महान कारीगरों की कला से मुगल बादशाह जहांगीर इतना नाराज़ हो गया कि उसने इन चित्रों पर प्लास्टर करवा दिया। ये चित्र धीरे-धीरे प्लास्टर उखड़ने से अब दिखाई देने लगे हैं। आमेर में ही है चालीस खम्बों वाला वह शीश महल, जहाँ माचिस की तीली जलाने पर सारे महल में दीपावलियाँ आलोकित हो उठती है। हाथी की सवारी यहाँ के विशेष आकर्षण है, जो देशी सैलानियों से अधिक विदेशी पर्यटकों के लिए कौतूहल और आनंद का विषय है। The fort borders the Maota Lake, and is a major tourist attraction in Rajasthan.

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आमेर दुर्ग

आमेर दुर्ग (जिसे आमेर का किला या आंबेर का किला नाम से भी जाना जाता है) भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित एक पर्वतीय दुर्ग है। यह जयपुर नगर का प्रधान पर्यटक आकर्षण है। आमेर का कस्बा मूल रूप से स्थानीय मीणाओं द्वारा बसाया गया था, जिस पर कालांतर में कछवाहा राजपूत मान सिंह प्रथम ने राज किया व इस दुर्ग का निर्माण करवाया। यह दुर्ग व महल अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिये भी जाना जाता है। दुर्ग की विशाल प्राचीरों, द्वारों की शृंखलाओं एवं पत्थर के बने रास्तों से भरा ये दुर्ग पहाड़ी के ठीक नीचे बने मावठा सरोवर को देखता हुआ प्रतीत होता है। लाल बलुआ पत्थर एवं संगमर्मर से निर्मित यह आकर्षक एवं भव्य दुर्ग पहाड़ी के चार स्तरों पर बना हुआ है, जिसमें से प्रत्येक में विशाल प्रांगण हैं। इसमें दीवान-ए-आम अर्थात जन साधारण का प्रांगण, दीवान-ए-खास अर्थात विशिष्ट प्रांगण, शीश महल या जय मन्दिर एवं सुख निवास आदि भाग हैं। सुख निवास भाग में जल धाराओं से कृत्रिम रूप से बना शीतल वातावरण यहां की भीषण ग्रीष्म-ऋतु में अत्यानन्ददायक होता था। यह महल कछवाहा राजपूत महाराजाओं एवं उनके परिवारों का निवास स्थान हुआ करता था। दुर्ग के भीतर महल के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट ही इनकी आराध्या चैतन्य पंथ की देवी शिला को समर्पित एक मन्दिर बना है। आमेर एवं जयगढ़ दुर्ग अरावली पर्वतमाला के एक पर्वत के ऊपर ही बने हुए हैं व एक गुप्त पहाड़ी सुरंग के मार्ग से जुड़े हुए हैं। फ्नोम पेन्ह, कम्बोडिया में वर्ष २०१३ में आयोजित हुए विश्व धरोहर समिति के ३७वें सत्र में राजस्थान के पांच अन्य दर्गों सहित आमेर दुर्ग को राजस्थान के पर्वतीय दुर्गों के भाग के रूप में युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। .

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आसलू

आसलू, भारत में राजस्थान राज्य के शेखावाटी क्षेत्र में स्थित चुरू जिले की चुरू तहसील का एक छोटा सा गाँव है। यह दिल्ली-जोधपूर राजमार्ग पर स्थित है। यह जयपुर से 245, बीकानेर से 190 किमी और दिल्ली से 250 किलोमीटर से किमी दूर है। श्रेणी:चूरू जिले के गाँव.

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इच्छा-मृत्यु

इच्छा-मृत्यु अर्थात यूथनेशिया (Euthanasia) मूलतः ग्रीक (यूनानी) शब्द है। जिसका अर्थ Eu.

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इडर के प्रताप सिंह

लेफ्टिनेंट जनरल प्रताप सिंह (22 अक्टूबर 1845 – 4 सितम्बर 1922) इडर राज्य (गुजरात) के महाराजा तथा ब्रितानी भारतीय सेना के अधिकारी थे। १९०२ से १९११ तक वे अहमदनगर (हिम्मतनगर) के महाराजा भी थे। प्रताप सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1845 को हुआ था। वह जोधपुर के तख्त सिंह (1819 -13 फरवरी 1873) जोधपुर के महाराजा के तीसरे बेटे थे और उनकी पहली पत्नी, गुलाब कुंवरजी माजी थीं, और उनके शुरुआती जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है। उन्होंने जयपुर के महाराजा राम सिंह के अधीन प्रशासनिक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसके भाई महाराजा जसवंत सिंह जोधपुर ने उन्हें अपने राज्य में आमंत्रित किया। .

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इनाणिया

इनाणिया दाधीच ब्राह्मण एवं जाट समुदाय की एक गोत्र है जो मुख्यतः राजस्थान में बाडमेर, नागौर, जयपुर में तथा मध्य प्रदेश के रतलाम में निवास करते हैं। .

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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इफ्को चौक

इफ्को चौक हरियाणा के गुड़गाँव शहर का एक चौराहा है। यहां राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ८, यानि दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को दिल्ली से आने वाली पुरानी गुडअगाव रोड काटती है। यह दिल्ली मेट्रो रेल की दक्षिण विस्तार वाली येलो लाइन शाखा का एक प्रस्तावित स्टेशन भी है। श्रेणी:दिल्ली मेट्रो ब्लूलाइन श्रेणी:मेट्रो स्टेशन श्रेणी:गुड़गाँव्र.

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इरफ़ान ख़ान

शाहबजादे इरफान अली खान (इरफ़ान ख़ान, इरफान) (जन्मः ७ जनवरी १९६७) हिन्दी अंग्रेजी फ़िल्मों, व टेलीविजन के एक अभिनेता हैं। उन्होने द वारियर, मकबूल, हासिल, द नेमसेक, रोग जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया। हासिल फिल्म के लिये उन्हे वर्ष २००४ का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। वह बालीवुड की ३० से ज्यादा फिल्मों मे अभिनय कर चुके हैं। इरफान हॉलीवुड मे भी एक जाना पहचाना नाम हैं। वह ए माइटी हार्ट, स्लमडॉग मिलियनेयर और द अमेजिंग स्पाइडर मैन फिल्मों मे भी काम कर चुके हैं। 2011 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया। 60वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफ़ान खान को फिल्म पान सिंह तोमर में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिया गया। .

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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इश्केदारियां

इश्केदरियां 2015 की एक बॉलीवुड रोमांटिक फ़िल्म है जिसका निर्देशन वी.के. प्रकाश ने किया है। इसके निर्माता राजेश बंगा (Rajesh Banga)हैं पर इसमें महाक्षय चक्रवर्ती और एवलिन शर्मा और मोहित दत्ता ने अभिनय किया है। पहले ये फ़िल्म बॉम्बे वेल्विट के साथ 15 मई 2015 को रिलीज़ होने वाली थी लेकिन बाद में इसे 29 मई को अकेले ही प्रदशित किया गया। .

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इंडियन प्रीमियर लीग

इंडियन प्रीमियर लीग (संक्षिप्त में IPL) भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित ट्वेन्टी ट्वेन्टी प्रतियोगिता है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के भारत में एक पेशेवर ट्वेन्टी ट्वेन्टी क्रिकेट लीग भारतीय शहरों का प्रतिनिधित्व मताधिकार टीमों द्वारा हर साल चुनाव लड़ा है। लीग, 2007 में भारत (बीसीसीआई) के सदस्य ललित मोदी ने क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्थापित किया गया, अप्रैल और हर साल के मई के ऊपर निर्धारित है। 2016 में आईपीएल का टाइटल प्रायोजक विवो इलेक्ट्रॉनिक्स, इस प्रकार लीग को आधिकारिक तौर पर विवो इंडियन प्रीमियर लीग के रूप में जाना जाता है। आईसीसी भविष्य यात्रा कार्यक्रम में एक विशेष विंडो है। आईपीएल दुनिया में सबसे-भाग लिया क्रिकेट लीग है और सभी खेल लीग के बीच छठे स्थान पर है। 2010 में आईपीएल बन गया दुनिया में पहली बार खेल के आयोजन यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। आईपीएल की ब्रांड वैल्यू अमेरिकी मूल्यांकन, गूंथा हुआ आटा और फेल्प्स के एक प्रभाग द्वारा अमेरिका में 2015 में 3.5 अरब $ होने का अनुमान था। बीसीसीआई के मुताबिक, 2015 आईपीएल सीजन भारतीय अर्थव्यवस्था के जीडीपी में 11.5 लाख ₹ (अमेरिका $ 182 मिलियन) का योगदान दिया। 13 टीमों को लीग के पहले सत्र के बाद से प्रतिस्पर्धा करने के लिए है, छह में कम से कम एक बार खिताब जीत लिया है। जबकि राजस्थान रॉयल्स, डेक्कन चार्जर्स और सनराइजर्स हैदराबाद एक बार जीत लिया है तथा मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स तीन बार और कोलकाता नाइट राइडर्स, ने दो बार जीत लिया है। चेन्नई सुपर किंग्स मौजूदा चैंपियन 2018 के मौसम जीत चुके हैं। 2014 तक इस टूर्नामेंट में शीर्ष तीन टीमों को चैंपियंस लीग ट्वेंटी20 के लिए क्वालीफाई किया। हालांकि, चैंपियंस लीग ट्वेंटी20 2015 में बंद किया गया था और तब से मृत हो गया है। .

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इंडिया'ज़ रॉ स्टार

इंडिया'ज़ रॉ स्टार (हिन्दी- "भारत का कोरा सितारा") सांईबाबा टेलीफिल्म्स द्वारा निर्मित एक भारतीय टेलीविजन रिएलिटी संगीत प्रतियोगिता है। इसका पहला सत्र (सीज़न) २४ अगस्त २०१४ से ३० नवम्बर २०१४ तक स्टार प्लस-हिंदी टीवी चैनल पर चला। कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री गौहर खान हैं। यो यो हनी सिंह ने कार्यक्रम में निर्णयकर्ता की भूमिका निभाई है। पहले सत्र के विजेता ऋतुराज मोंहन्ती रहे। .

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इंदौर दूरंतो एक्सप्रेस

इंदौर दूरंतो एक्सप्रेस इंदौर दूरंतो एक्सप्रेस इंडियन रेलवे की एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस है जो कि मुंबई सेंट्रल (बी–सी–टी) को इंदौर (आई–एन–डी-बी) से जोडती है। यह ट्रेन १२२२७ तथा १२२२८ क्रमांक से संचालित होती है। मुंबई तथा इंदौर को जोड़ने वाली अन्य ट्रेनों में ट्रेन संख्या १२९६१ एवं १२९६२ अवंतिका एक्सप्रेस भी आती है। .

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इंग्लैंड क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1992-93

इंग्लिश क्रिकेट टीम ने जनवरी, फरवरी और मार्च 1993 के दौरान भारत का दौरा किया। इंग्लैंड के खराब प्रदर्शन और परिणाम, चयन, दौरे प्रबंधन, भारतीय व्यंजनों और जलवायु, हवाई अड्डे औद्योगिक कार्रवाई के साथ और यहां तक ​​कि खिलाड़ियों के चेहरे के बाल सफलता की कमी के लिए दोषी ठहराया गया था पर विवाद से घिरा हुआ था। जहां तक ​​दस्ते चयन का संबंध था, प्राथमिक ध्यान डेविड गॉवर का हिस्सा था, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ पिछली गर्मियों की सीरीज़ में 50 से अधिक रन बनाये हैं। उनके प्रतिस्थापन डर्मोट रीवे थे जिन्होंने टेस्ट श्रृंखला में भी शामिल नहीं किया। गॉवर को टीम के बाहर छोड़ने का आधिकारिक कारण यह था कि वह "बहुत पुराना" था, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद में क्रिकेट खेलने के प्रतिबंध से सिर्फ वापसी करने के बावजूद, दिग्गज माइक गैटिंग और जॉन एम्बुरी ने भी यात्रा कर दी है, ऐसा लग रहा था बल्कि नकली। इसके बारे में प्रश्न भी संसद में उठाए गए और एमसीसी के एक विशेष आम बैठक बुलाई गई, लेकिन इसका असर नहीं हुआ, और भारत में गॉवर की उपस्थिति मीडिया के प्रतिनिधि के रूप में ही थी। इस गड़हे के नीचे दफन कर दिया गया था जैक रसेल के अतिरिक्त चूक, इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर होने के लिए सबसे अधिक माना जाता है, जो काफी हद तक अनधिकृत रिचर्ड ब्लेकी के पक्ष में था। भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन भी दक्षिण अफ्रीका के एक खराब दौरे के बाद श्रृंखला में बढ़त के दबाव में थे, जिसके बाद भारतीय मीडिया ने उनकी कप्तानी पर सवाल उठाया, लेकिन पहले टेस्ट में मैच जीतने के प्रदर्शन के बाद टोन बदल गया। भारत ने टेस्ट सीरीज 3-0 से जीती, उसी ग्यारह को पूरा करते हुए, और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में तीन मैचों का खेल बनाया गया था। .

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कटराथल

कटराथल, भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले की पीपराली तहसील का एक गाँव है। यह सीकर से झुन्झुनू जाने वाले राज्य राजमार्ग संख्या ८ पर स्थित है। राजस्थान राज्य सरकार ने कटराथल में 30 एकड़ मुफ्त जमीन आवंटित कर दी जिससे कि यहाँ पर शेखावाटी यूनिवर्सिटी की स्थापना संभव हो सकी है। .

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कनक वृंदावन

कनक वृंदावन राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक उद्यान है। यह अरावली पर्वत से घिरी घाटी में आमेर दुर्ग को जाने वाले मार्ग में नाहरगढ़ दुर्ग के नीचे बना हुआ है। यह उद्यान जयपुर शहर से लगभग ८ कि.मी उत्तर में स्थित है। इस उद्यान परिसर के निकट भरपूर हरा-भरा वन क्षेत्र एवं कई दर्शनीय स्थल हैं, जैसे आमेर दुर्ग, जयगढ़ दुर्ग, नाहरगढ़ दुर्ग। उद्यान का निर्माण जयपुर के कछवाहा राजपूत महाराजा सवाई जयसिंह ने लगभग २८० वर्ष पूर्व करवाया था। इसके नाम में कनक नाम महाराजा की एक रानी कनकदे के नाम से आया है एवं परिसर में स्थित गोविंददेव जी की मूर्ति वृंदावन से आने के कारण वृंदावन का नाम जोड़ा गया है।| Jaipur - The pink city| Jaipur.org| Archive date: 23 अप्रैल 2013.

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कमला बेनीवाल

कमला बेनीवाल (जन्‍म: 12 जनवरी 1927) मिज़ोरम की वर्तमान राज्‍यपाल हैं। ये त्रिपुरा और गुजरात की पूर्व राज्‍यपाल रह चुकी हैं और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की सबसे वरिष्‍ठ राजनेता हैं। ये लंबे समय तक राजस्‍थान कांग्रेस राज्‍य सरकार में कई महत्‍वपूर्ण मंत्री पद संभाल चुकी हैं। .

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कमलानाथ

कमलानाथ शर्मा (के.एन.शर्मा भी) जलविज्ञान, सिंचाई तथा जल-निकास, एवं जल-विद्युत अभियांत्रिकी के अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, वैदिक ग्रंथों में जलविज्ञान, पर्यावरण आदि विषयों के लेखक, साहित्यकार, तथा हिंदी के जानेमाने व्यंग्य लेखक और कहानीकार हैं। जलविज्ञान, जल-विद्युत अभियांत्रिकी व विश्व खाद्यान्न में उल्लेखनीय योगदान के अतिरिक्त के॰एन॰शर्मा ने वेदों, उपनिषदों आदि वैदिक वाङ्मय में जल, पर्यावरण, पारिस्थितिकी आदि पर भी शोध करके प्रचुरता से लिखा है। हिंदी साहित्य में साठ के दशक से कमलानाथ के नाम से उनके व्यंग्य तथा कहानियां भी देश की विभिन्न पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान आपने विश्व के लगभग सभी देशों की यात्रा की, वहां के सिंचाई, जलनिकास, जलविज्ञान आदि के विकास में योगदान दिया तथा अनेक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं से संबद्ध रहे। .

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करण कपूर

करण कपूर (जन्म १८ जनवरी १९६२) भारतीय मूल के एक पूर्व फ़िल्म अभिनेता और मॉडल हैं। वे बॉलीवुड अभिनेता शशि कपूर और उनकी दिवंगत पत्नी, ब्रिटिश अभिनेत्री जेनिफर केंडल के बेटे हैं। उनके दादा पृथ्वीराज कपूर थे और उनके चाचा हैं: राज कपूर और शम्मी कपूर। उनके बड़े भाई कुणाल कपूर और बहन संजना कपूर ने भी कुछ फिल्मों में अभिनय किया है, लेकिन वे उनके जैसे सफल नहीं हुए। उनके नाना-नानी, जेफ़री केंडल और लौरा केंडल भी अभिनेता थे, जिन्होंने अपने थिएटर समूह "शेक्सपीराना" के साथ भारत और एशिया का दौरा किया करते थे और नाटक शेक्सपियर ऍण्ड शॉ का प्रदर्शन करते। बाद में करण ने फोटोग्राफी की ओर रुख़ किया और इस ही पेशे को अपनाने का फैसला किया, हालांकि उन्होंने एक अभिनेता के रूप में भी काम किया है। एक हालिया साक्षात्कार में करण का कहना था कि अभिनय से जुड़े एक बहुत प्रसिद्ध बॉलीवुड परिवार का हिस्सा रहने के बावजूद वे बचपन से ही हमेशा फोटोग्राफी में दिलचस्पी रखते हैं। .

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करणसिंह यादव

डॉ॰ करणसिंह यादव एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान अलवर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं | वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता हैं | .

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कर्पूर चन्द्र कुलिश

कर्पूर चन्द्र कुलिश हिन्दी समाचार समूह राजस्थान पत्रिका के संस्थापक थे। वे प्रख्यात कवि एवं लेखक भी थे। उनका जीवन संघर्षशील रहा और उन्होंने हिन्दी के विकास के लिए सराहनीय कार्य किया। उन्हें भारतीय राज्य राजस्थान में हिन्दी पत्रकारिता के जनक के रूप में भी जाना जाता है। कुलिश वर्ष 1956 तक वो राजस्थान के राजनीतिक और कॉर्पोरेट जुड़ाव वाले एक पत्र से जुड़े हुए एक निराश संवाद-दाता थे। 1956 में उन्होंने अपने एक दोस्त से ₹ 500 उधार लिए और उनसे उन्होंने पत्रिका समाचार समूह की स्थापना की। 1986 में वो कार्यभार से मुक्त हुए तब तक पत्रिका समूह को राजस्थान का सबसे अग्रणी समाचार पत्र बना चुके थे। .

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कर्क रेखा

विश्व के मानचित्र पर कर्क रेखा कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा‎ के समानान्तर पर, ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा हैं। यह रेखा पृथ्वी पर उन पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक हैं जो पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होती हैं। कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरतम अक्षांश रेखा हैं, जिसपर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता हैं। यह घटना जून क्रांति के समय होती है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुक जाता है। इस रेखा की स्थिति स्थायी नहीं हैं वरन इसमें समय के अनुसार हेर-फेर होता रहता है। २१ जून को जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है, उत्तरी गोलार्ध में वह दिन सबसे लंबा व रात सबसे छोटी होती है। यहां इस दिन सबसे अधिक गर्मी होती है (स्थानीय मौसम को छोड़कर), क्योंकि सूर्य की किरणें यहां एकदम लंबवत पड़ती हैं। कर्क रेखा के सिवाय उत्तरी गोलार्ध के अन्य उत्तरतर क्षेत्रों में भी किरणें अधिकतम लंबवत होती हैं। याहू जागरण पर इस समय कर्क रेखा पर स्थित क्षेत्रों में परछाईं एकदम नीचे छिप जाती है या कहें कि नहीं बनती है। इस कारण इन क्षेत्रों को अंग्रेज़ी में नो शैडो ज़ोन कहा गया है। भास्कर पर इसी के समानान्तर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है जो मकर रेखा कहलाती हैं। भूमध्य रेखा इन दोनो के बीचो-बीच स्थित होती हैं। कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच के स्थान को उष्णकटिबन्ध कहा जाता हैं। इस रेखा को कर्क रेखा इसलिए कहते हैं क्योंकि जून क्रांति के समय सूर्य की स्थिति कर्क राशि में होती हैं। सूर्य की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ने को उत्तरायण एवं कर्क रेखा से मकर रेखा को वापसी को दक्षिणायन कहते हैं। इस प्रकार वर्ष ६-६ माह के में दो अयन होते हैं। अभिव्यक्ति पर .

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कलानाथ शास्त्री

कलानाथ शास्त्री (जन्म: 15 जुलाई 1936) संस्कृत के जाने माने विद्वान,भाषाविद्, एवं बहुप्रकाशित लेखक हैं। आप राष्ट्रपति द्वारा वैदुष्य के लिए अलंकृत, केन्द्रीय साहित्य अकादमी, संस्कृत अकादमी आदि से पुरस्कृत, अनेक उपाधियों से सम्मानित व कई भाषाओँ में ग्रंथों के रचयिता हैं। वे विश्वविख्यात साहित्यकार तथा संस्कृत के युगांतरकारी कवि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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कामवन

कामां या कामवन राजस्थान के भरतपुर जिले का एक उपखंड और तहसील मुख्यालय है। इसका वर्तमान नाम 'कामां' है। कामां एक बड़ा ही प्राचीन और ऐतिहासिक क़स्बा है। आसपास के क़स्बे/ शहर हैं: नगर, नंदगाँव, बरसाना, डीग, पलवल और अलवर आदि। इसके ध्रुवीय निर्देशांक हैं: 27°39'13"N 77°16'11"E .

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काशी

काशी जैनों का मुख्य तीर्थ है यहाँ श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म हुआ एवम श्री समन्तभद्र स्वामी ने अतिशय दिखाया जैसे ही लोगों ने नमस्कार करने को कहा पिंडी फट गई और उसमे से श्री चंद्रप्रभु की प्रतिमा जी निकली जो पिन्डि आज भी फटे शंकर के नाम से प्रसिद्ध है काशी विश्वनाथ मंदिर (१९१५) काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है। इस स्थान पर गंगा ने प्राय: चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है और इसी घुमाव के ऊपर इस नगरी की स्थिति है। इस नगर का प्राचीन 'वाराणसी' नाम लोकोच्चारण से 'बनारस' हो गया था जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने शासकीय रूप से पूर्ववत् 'वाराणसी' कर दिया है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है - 'काशिरित्ते..

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कवई (गाँव)

राजस्थान प्रांत में जयपुर जिले से ३२५ किलोमीटर दूर बाराँ जिले में कवई नामक गाँव है। इस गाँव के ९० प्रतिशत लोग गाँव के बाहर शादी विवाह नहीं करते हैं। इस कारण भारत में इसे विशेष रूप से स्थानीय विवाह करने वाले गाँव के रूप में जाना जाता है। दरअसल ये गाँव वाले, रिषिश्वेशर समुदाय है, इनके पुरखे लगभग तीन सौ साल पहले, मध्य भारत (आज का मध्य प्रदेश) से रोजगार की तलाश मे राजस्थान मे आकर बसे थे। तब से वे यहीं के होकर रह गए। धीरे धीरे आपस मे विवाह का सिलसिला शुरु हुआ, जिसने बाद मे परम्परा का रूप ले लिया। सफल शादियों ने इनके उत्साह को और बढाया। .

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कंपनी राज

कंपनी राज का अर्थ है ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत पर शासन। यह 1773 में शुरू किया है, जब कंपनी कोलकाता में एक राजधानी की स्थापना की है, अपनी पहली गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स नियुक्त किया और संधि का एक परिणाम के रूप में बक्सर का युद्ध के बाद सीधे प्रशासन, में शामिल हो गया है लिया जाता है1765 में, जब बंगाल के नवाब कंपनी से हार गया था, और दीवानी प्रदान की गई थी, या बंगाल और बिहार में राजस्व एकत्रित करने का अधिकार हैशा सन १८५८ से,१८५७ जब तक चला और फलस्वरूप भारत सरकार के अधिनियम १८५८ के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार सीधे नए ब्रिटिश राज में भारत के प्रशासन के कार्य ग्रहण किया। .

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कछवाहा

कछवाहा(कुशवाहा) वंश सूर्यवंशी राजपूतों की एक शाखा है। कुल मिलाकर बासठ वंशों के प्रमाण ग्रन्थों में मिलते हैं। ग्रन्थों के अनुसार: अर्थात दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है। इन्हीं में से एक क्षत्रिय शाखा कछवाहा (कुशवाहा) निकली। यह उत्तर भारत के बहुत से क्षेत्रों में फ़ैली। .

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कुमार पद्मनाभ सिंह

सवाई पद्मनाभ सिंह, जयपुर के वर्तमान महाराजा है। वे जयपुर की राजकुमारी दियाकुमारी व नरेन्द्र सिंह पुत्र है। वे महाराजा भवानी सिंह के उत्तराधिकारी हैं। .

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कुमार संगाकारा

कुमार चोकशानडा संगाकारा (කුමාර් සංගක්කාර) (जन्म 27 अक्टूबर 1977, मटाले, श्रीलंका) एक श्रीलंकाई क्रिकेटर और श्रीलंकाकी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। वे बाएं हाथ के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज हैं। वे खेल के सभी रूपों में एक विकेट-कीपर और शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में खेलते थे, लेकिन टेस्ट मैचों में उन्होंने इस क्रम को छोड़ दिया, क्योंकि जब वे एक शुद्ध बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं तो टेस्ट में उनकी बल्लेबाजी का औसत काफी अधिक है। .

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कुशवाहा

कुशवाहा भारतीय समाज की एक वंश/जाति है। परंपरागत रूप से किसान थे परंतु 20वीं शताब्दी में उन्होने स्वयं को राजपूत वंश का बताया। इस जाति का कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों पर शासन रहा हैं जिनमे से अलवर, आमेर (वर्तमान जयपुर) व मैहर प्रमुख हैं। कुशवाहा या कछवाहा, स्वयं को अयोध्या के सूर्यवंशी राजा राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं। .

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कुकस

कुकस जयपुर के निकट स्थित औद्यौगिक कस्बा है। यह आमेर के किले से लगभग 10 किमी दूर है। कुकस में रिको औद्योगिक क्षेत्र के विकास के कारण क्षेत्र का विकास आरम्भ हो गया जिससे महाविद्यालयों और वाणिज्यिक क्षेत्रों का विकास औद्योगिक पार्क में होने लगा। कुकस दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। .

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कृपानिवास

कृपानिवास रसिक रामोपासना के एक प्रमुख आचार्य। इनका जन्म १७५० ई. के आसपास दक्षिण भारत में हुआ था। इनके पिता का नाम सीतानिवास तथा माता का गुणशीला था। वे श्री रंग के उपासक थे। उन्होंने इन्हें बचपन ही में रामानुजीय वैष्णव संत आनंद विलास से दीक्षा दिलाई। पंद्रह वर्ष की अवस्था में इन्हें संसार से विरक्ति हुई और वे घर त्याग कर मिथिला चले आए और रसिक भावना का आश्रय लिया। चारों धाम की पैदल यात्रा करते हुए अग्रदास के आचार्य पीठ रेवासा (जयपुर) गए। वहाँ से अयोध्या आए और कुछ दिनों वहाँ रहे। वहाँ से वे उज्जैन गए और वहांम् कुछ काल तक रहे। तदनंतर वे चित्रकूट आए ओर शेष जीवन वहीं व्यतीत किया। चित्रकूट में ही स्फटिक शिला के पास उनका देहावसान हुआ। युगलप्रिया के अनुसार उन्होंने लगभग एक लाख छंदों की रचना की थी किंतु इनके जो ग्रंथ उपलब्ध हैं उनमें पच्चीस हजार से अधिक छंद नहीं हैं। उनके लिखे समस्त ग्रंथ सांप्रदायिक सिद्धांत निरूपण की दृष्टि से लिखे गए है। कुछ रचनाएँ भावनात्मक भी हैं जो विभिन्न राग-रागिनियों में गेय हैं। श्रेणी:भक्तकवि.

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कृष्णदास (बहुविकल्पी)

कृष्णदास से निम्नलिखित व्यक्तियों का बोध होता है-.

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कृष्णदास पयहारी

कृष्णदास पयहारी रामानंदी संप्रदाय के प्रमुख आचार्य और कवि थे। इनका समय सोलहवीं शती ई. कहा जाता है। ये ब्राह्मण थे और जयपुर के निकट 'गलता' नामक स्थान पर रहते थे और केवल दूध पीते थे और इसी कारण इनका नाम पयहारी अर्थात पय (दूध)+ आहारी पड़ा। ये रामानंद के शिष्य अनंतानंद के शिष्य थे और आमेर के राजा पृथ्वीराज की रानी बाला बाई के दीक्षागुरू थे। कहा जाता है कि इन्होंने कापालिक संप्रदाय के गुरु चतुरनाथ को शास्त्रार्थ में पराजित किया था इससे इन्हें महंत का पद प्राप्त हुआ था। ये संस्कृत भाषा के पंडित थे और ब्रजभाषा के कवि थे। ब्रह्मगीता, प्रेमसत्वनिरूप इनके मुख्य ग्रंथ हैं। इनके ब्रजभाषा के अनेक पद प्राप्त होते हैं। कहते हैं एक समय पयहारी कृष्‍णदास की गुफा के सामने बाघ आया तो आपने उसको अतिथि जान, नेवता देकर आतिथ्‍यधर्म-प्रतिपालनपूर्वक अपना पल (मांस) काटकर दिया। इस प्रकार के प्रसिद्ध यश को आप जग में प्राप्‍त हुए। .

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कृष्णा पूनिया

कृष्णा पूनिया (अंग्रेजी:Krishna Poonia) (जन्म ०५ मई १९७७) एक भारतीय डिस्कस थ्रोअर है। इन्होंने ११ अक्टूबर २०१० में दिल्ली में आयोजित किये राष्ट्रमंडल खेलों में फाइनल मैच में क्लीन स्वीप कर ६१.५१ मीटर में स्वर्ण पदक जीता था। इसके पश्चात २०११ में भारत सरकार ने नागरिक सम्मान में इन्हें पद्मश्री का पुरस्कार दिया गया था। .

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कैलाश सांखला

कैलाश शंखला (30 जनवरी 1925 - 15 अगस्त 1994) एक भारतीय प्रकृतिवादी और संरक्षणवादी थे। ये दिल्ली जूलॉजिकल पार्क के निदेशक और राजस्थान के चीफ वन्यजीव वार्डन थे। ये बाघों के संरक्षण के लिए काफी लोकप्रिय हुए हैं। इन्हें "भारत का टाइगर मैन" के रूप में भी जाना जाता था, और 1973 में भारत में स्थापित एक संरक्षण कार्यक्रम प्रोजेक्ट टाइगर के गठन में भी शामिल था। .

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कैलाश वर्मा

डॉ॰ कैलाश वर्मा वर्तमान राजस्थान विधानसभा में बगरू से विधायक हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के राजनेता हैं। .

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कैलगरी

कैलगरी कनाडा के अलबर्टा प्रांत का सबसे बड़ा शहर है। यह प्रांत के दक्षिण में, कनाडा की चट्टानों (Canadian Rockies) की अग्रिम पर्वतमालाओं के लगभग पूर्व में एक तलहटी एवं मैदानी क्षेत्र में स्थित है। यह शहर अलबर्टा के घासभूमि वाले क्षेत्र में स्थित है। 2006 में, कैलगरी शहर की आबादी 988,193 होने के कारण इस शहर की नगरपालिका देश की तीसरी सबसे बड़ी एवं अलबर्टा की सबसे बढ़ी नगरपालिका बन गई थी। 2006 में सम्पूर्ण महानगरीय जनसँख्या 1,079,310 के साथ यह कनाडा का पांचवां सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। 2009 में, कैलगरी की अनुमानित महानगरीय जनसंख्या 1,230,248 के होते हुए यह क्रम में बढ़कर चौथा सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। एडमॉन्टन के दक्षिण में स्थित होने से सांख्यिकीविदों ने इन दो शहरों के बीच के संकीर्ण जनसँख्या वाले क्षेत्र को "कैलगरी-एडमॉन्टन गलियारा" के रूप में परिभाषित किया है। टोरंटो और वैंकूवर के बीच कैलगरी कनाडा का सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। महानगरीय क्षेत्र एवं शहर के नजदीक प्रमुख पहाड़ी आश्रयों के साथ कैलगरी शीतकालीन खेलों एवं पर्यावरणीय पर्यटन के लिए एक गंतव्य स्थल है। यहाँ की आर्थिक गतिविधियाँ ज्यादातर पेट्रोलियम उद्योग पर केंद्रित हैं। शहर के आर्थिक विकास में कृषि, पर्यटन और उच्च तकनीक उद्योगों का भी योगदान है। 1988 में कैलगरी, शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला कनाडा का पहला शहर बन गया था। .

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केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना

केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (Central Government Health Scheme (CGHS)) भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य योजना है। यह १९५४ में आरम्भ किया गया था। इसका उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों, पेंशनधारियों, तथा उनके आश्रितों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। यह सेवा निम्नलिखित नगरों में उपलब्ध है- .

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कोट कासिम

कोट कासिम भारतीय राज्य राजस्थान के अलवर जिले का एक कस्बा है। यह एक तहसिल भी है। इसका मूल नाम कोट क़ासिम (क़ासिम का किला) है लेकिन वर्तमान में इसे कोट कासिम उच्चारित किया जाता है। कोटकासिम अहिरवाल में आता है और यहाँ पर अधिकतर अहिर हैं। .

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कोटा

कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक एवं शैक्षणिक शहर है। यह चम्बल नदी के तट पर बसा हुआ है। कोटा राजधानी जयपुर से सडक एवं रेलमार्ग से लगभग २४० किलोमीटर की दूरी पर है। यह नगर जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग १२ पर स्थित है। दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा अनेक किलों, महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और न्यूक्लियर पावर प्लान्ट आधुनिकता का एहसास कराता है। .

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कीर्ति कुमारी

कीर्ति कुमारी (13 अगस्त 1967 - 28 अगस्त 2017) भारतीय जनता पार्टी से एक भारतीय राजनीतिज्ञ और राजस्थान विधानसभा की सदस्य थी, जो राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करती थी। 28 अगस्त 2017 को कुमारी की मृत्यु स्वाइन फ्लू से हुई थी। वह पचास वर्ष की थी | .

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अनवर ज़हीर जमाली

अनवर जहीर जमाली पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने 10 सितंबर 2015 को न्यायाधीश पद का शपथ उठाया। अनवर जहीर 1951 को हैदराबाद, पाकिस्तान में पैदा हुए। आपके पूर्वजों का संबंध भारत के शहर जयपुर से था। अपने परिवार एक धार्मिक घराना है, जिसका सिलसिला वंश कुतुबुद्दीन अहमद हंसी से जा मिलता है। आप गिनती उन मनसनिन में होता है जो परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पीसीओ के तहत शपथ लेने से इनकार कर दिया था। .

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अपूर्वी चंदेला

अपूर्वी चंदेला (जन्म: 4 जनवरी 1993; जयपुर) एक भारतीय निशानेबाज हैं, जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्म, ग्लासगो में 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग इवेंट में 206.7 का स्कोर बनाकर भारत को दूसरी बार निशानेबाजी में स्वर्ण पदक दिलाया। .

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अमृता प्रकाश

अमृता प्रकाश एक भारतीय अभिनेत्री है। .

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अरुण सुभाषचन्द्र यादव

अरुण सुभाषचन्द्र यादव एक भारतीय राजनीतिज्ञ एवं 14वीं और 15वीं लोक सभा के सदस्य थे।  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं13 जनवरी 2014 से १ मई २०१८  मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) के अध्यक्ष रह चुके हैं.

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अलवर

अलवर भारत के राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। यह नगर राजस्थान के मेवात अंचल के अंतर्गत आता है। दिल्ली के निकट होने के कारण यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब १६० कि॰मी॰ की दूरी पर है। अलवर अरावली की पहाडियों के मध्य में बसा है। अलवर का प्राचीन नाम 'शाल्वपुर' था। चारदीवारी और खाई से घिरे इस शहर में एक पर्वतश्रेणी की पृष्ठभूमि के सामने शंक्वाकार छन्द की पहाड़ी पर स्थित बाला क़िला इसकी विशिष्टता है। 1775 में इसे अलवर रजवाड़े की राजधानी बनाया गया था। वर्तमान में अलवर राजस्थान का महत्त्वपूर्ण औधोगिक नगर हैं तथा आठवाँ बड़ा नगर हैं। अलवर को राजस्थान का सिंह द्वार भी कहते हैं। अलवर यादव बाहुल्य जिला है। मतस्य प्रदेश अथवा अलवर का राठ क्षेत्र(बहरोड तथा नीमराना का क्षेत्र)पूरे जिले में अपना अलग ही प्रभाव रखता है। राठ के बारे में एक बात कही जाती है "ना राठ नवै, ना राठ मनै"। अर्थात राठ ना तो झुकाने से झुकता है और ना ही मनाने से मानता है,राठ क्षेत्र अपनी मर्जी से चलता है। .

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अलवर जिला

अलवर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अलवर है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा भी है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब १७० कि॰मी॰ की दूरी पर है। अलवर अरावली की पहाडियो के मध्य में बसा है। .

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अल्बर्ट हॉल संग्रहालय

अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (अंग्रेजी:Albert Hall Museum) भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित एक संग्रहालय है। यह राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। यह संग्रहालय "राम निवास उद्यान" के बाहरी ओर सीटी वॉल के नये द्वार के सामने है। यह "भारत-अरबी शैली" में बनाई गयी एक बिल्डिंग है। इसकी डिजाइन सर सैम्युल स्विंटन जैकब ने की थी तथा यह पब्लिक संग्रहालय के रूप में 1887 में खुला था। .

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अशोक आत्रेय

अशोक आत्रेय बहुमुखी प्रतिभा के संस्कृतिकर्मी सातवें दशक के जाने माने वरिष्ठ हिन्दी-कथाकार और (सेवानिवृत्त) पत्रकार हैं | मूलतः कहानीकार होने के अलावा यह कवि, चित्रकार, कला-समीक्षक, रंगकर्मी-निर्देशक, नाटककार, फिल्म-निर्माता, उपन्यासकार और स्तम्भ-लेखक भी हें| .

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असरानी

असरानी एक हिन्दी फिल्म हास्य अभिनेता हैं। .

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अहमद और मुहम्मद हुसैन

उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन भारत के राजस्थान सूबे के शहर जयपुर से दो भाई हैं जो क्लासिकी ग़ज़ल गायकी करते हैं। उनके वालिद साहिब का नाम उस्ताद अफ़्ज़ल हुसैन है जो ग़ज़ल और ठुमरी के उस्ताद माने जाते थे। .

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अजमेर जिला

अजमेर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। राजस्थान राज्य का हृदयस्थल अजमेर जिला राजस्थान राज्य के मध्य में 25 डिग्री 38’ से 26 डिग्री 50’ उतरी अक्षांश एवं 73 डिग्री 54’ से 75 डिग्री 22’ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित हैं। अजमेर उत्तर-पश्चिमी रेल्वे के दिल्ली-अहमदाबाद मार्ग पर स्थित हैं जो जयपुर के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर किला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूणी नदी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि नुरजहाँ ने गुलाब के इत्र को ईजाद किया था। कुछ लोगों का मानना है यह इत्र नूरजहाँ की माँ ने ईजाद किया था। अजमेर में पान की खेती भी होती है। इसकी महक और स्वाद गुलाब जैसी होती है। .

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अवनीश सिंह चौहान

अवनीश सिंह चौहान (४ जून १९७९) हिंदी गीत-नवगीत साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। शब्दायन, मुरादाबाद जनपद के प्रतिनिधि रचनाकार, भ्रष्टाचार के विरुद्ध, हिन्दी गीतिकाव्य: विकास के सोपान, तथा ए स्ट्रिंग ऑफ वर्ड्स आदि संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित होने के अलावा इनके गीत, नवगीत, रिपोर्ताज, आलेख, समीक्षाएँ, साक्षात्कार, आनुवाद आदि दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, पत्रिका, अमर उजाला आदि पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होते रहे हैं। .

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट 2013-14

2013-2014 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सत्र सितंबर 2013 से मार्च 2014 तक है। .

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अंजना सुखानी

अंजना सुखानी एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्यतः बॉलीवुड फ़िल्मों में दिखाई देती हैं। .

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अंकित भारद्वाज

अंकित भारद्वाज एक भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न अभिनेता है। इन्होंने अपनी पहली फ़िल्म में काम ड़िज़ायर्स ऑफ़ द हर्ट में किया था। अभी २०१५ में सोनी टीवी पर चलने वाले धारावाहिक भारत का वीर पुत्र – महाराणा प्रताप में चंद्रसेन का किरदार करने में मौका मिला। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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अकबर के नवरत्न

अकबर के नवरत्न: टोडरमल, तानसेन, अबुल फजल, फैजी, अब्दुल रहीम भारत का महान मुगल बादशाह अकबर स्वयं निरक्षर होते हुए भी इतिहासज्ञों, चित्रकारों, सुलेख लिखने वाले केलिग्राफिस्ट, विचारकों, धर्म-गुरुओं, कलाकारों एवं बुद्धिजीवियो का विशेष प्रेमी था। कहा जाता है अकबर के दरबार में ऐसे नौ (९) गुणवान दरबारी थे जिन्हें कालांतर में अकबर के नवरत्न के नाम से भी जाना गया। .

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अकलेरा

अकलेरा कस्बा राजस्थान के झालावाड जिले में स्थित है। यह तहसील मुख्यालय है। जिला मुख्यालय झालावाड से लगभग ५५ किलोमीटर दूर है। विधानसभा क्षेत्र मनोहरथाना लगता है। रेलवे लाइन अभी नहीं है लेकिन कार्य चल रहा है और २०१० तक पूर्ण होना संभावित है। प्राचीनकाल में अमीर अली ठग ने इस कस्बे को बसाया था। भीमगड, काकोनी यहाँ के मुख्य पर्यटन स्थल है। .

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अक्षांश पर शहर

पृथ्वी के अक्षांशों पर स्थित शहरों की सूची है। .

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उत्तर पश्चिम रेलवे

इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 2002 में हुई थी। इसका मुख्यालय जयपुर में स्थित है। .

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उत्तर भारत

उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.

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उजियारे कवि

उजियारे कवि एक हिन्दी कवि थे। वे बृंदावननिवासी नवलशाह के पुत्र थे। इनके लिखे दो ग्रंथ मिलते हैं: (१) जुगल-रस-प्रकाश तथा (२) रसचंद्रिका। उक्त दोनों ग्रंथों की हस्तलिखित प्रतियाँ नागरीप्रचारिणी सभा, काशी के याज्ञिक संग्रहालय में सुरक्षित हैं। देखा जाए तो उक्त दोनों ग्रंथ एक ही हैं। दोनों में समान लक्षण उदाहरण दिए गए हैं। कवि ने अपने आश्रयदाताओं, हाथरस के दीवान जुगलकिशोर तथा जयपुर के दौलतराम के नाम पर एक ही ग्रंथ के क्रमश: जुगल-रस-प्रकाश तथा रसचंद्रिका नाम रख दिए हैं। जुगल-रस-प्रकाश की रचनातिथि संवत्.

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ऋतुराज (कवि)

कवि ऋतुराज का जन्म राजस्थान में भरतपुर जनपद में सन 1940 में हुआ। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से अंग्रेजी में एम.

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छतरी (स्मारक)

राजाओं के मरणोंपरान्त उनकी याद में स्थापत्य की दृष्टि से विशिष्ट स्मारक बनाये गए, जिन्हें छतरियां तथा देवल के नाम से जाना जाता है। छतरियां ज्यादातर भारतीय राज्य राजस्थान में देखने को मिलती है। जिसमें जयपुर की गैटोर, जोधपुर की जसवंत थड़ा,कोटा का छत्र विलास बाग़, जैसलमेर का बड़ा बाग़ तो इस दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसलमेर के पीले पत्थर से बनी छतरियां सुंदर है। छतरियों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों शैलियों का मिश्रण पाया जाता है। सबसे नीचे चौकोर अथवा आठ कोनों का चबूतरा बनाया जाता है। इन चबूतरों के ऊपर दूसरा गोल चबूतरा बनाया जाता है। .

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छवि राजावत

छवि राजावत (जन्म: 1980) जयपुर से दूर टोंक जिले के छोटे से गांव सोड़ा की सरपंच हैं। वे भारत की सबसे कम उम्र की और शायद एकमात्र एमबीए सरपंच हैं। वे नवंबर 2013 में स्थापित भारतीय महिला बैंक की एक निदेशक (डायरेक्टर) भी हैं। .

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१३ मई २००८ जयपुर बम विस्फोट

13 मई, 2008 को जयपुर में शृंखलाबद्ध सात बम विस्फोट किए गए। विस्फोट १२ मिनट की अवधि के भीतर घनी आबादी वाले स्थलों पर किए गए। आठवाँ बम निष्कृय पाया गया। प्रारंभिक सूचनाओं में मृतकों कि संख्या ६० बताई गई थी। इन विस्फोटों को हवा महल के निकट सहित विभिन्न इलाकों में साइकिलों के जरिये अंजाम दिया गया, जहाँ विदेशी पर्यटक आमतौर पर आते हैं। विस्फोटों के बाद काफी देर तक शहर की मोबाइल और टेलीफोन लाइनें जाम हो गईं, जिससे दूसरे शहरों में मौजूद लोग अपने परिजनों और रिश्तेदारों की खैरियत जानने के लिए परेशान होते रहे। ये धमाके त्रिपोलिया बाजार, जौहरी बाजार, माणक चौक, बड़ी चोपड़ और छोटी चोपड़ पर हुए। त्रिपोलिया बाजार में भी एक विस्फोट हुआ, जहाँ एक हनुमान मंदिर है और उस समय वहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। ये सभी धमाके दो किलोमीटर के दायरे में हुए। पुलिस ने कहा कि हनुमान मंदिर के निकट बम निरोधक दस्ते ने एक विस्फोटक को निष्क्रिय कर दिया है। मौके पर खून बिखरा पड़ा था। धमाके इतने शक्तिशाली थे कि कुछ लोगों के शव तो कुछ फुट ऊपर तक उड़ गए। हमले की साजिश काफी सावधानी से रची गई थी। राजस्थान के पुलिस महानिदेशक एएस गिल ने कहा कि निश्चित तौर पर यह आतंकवादी हमला था। .

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१४ नवम्बर

१४ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१८वॉ (लीप वर्ष मे ३१९ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४७ दिन बाकी है। .

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१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

१८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को समर्पित भारत का डाकटिकट। १८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत '10 मई 1857' की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया।1 सैनिकों के विद्रोह की खबर फैलते ही मेरठ की शहरी जनता और आस-पास के गांव विशेषकर पांचली, घाट, नंगला, गगोल इत्यादि के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह कोतवाल (प्रभारी) के पद पर कार्यरत थे।2 मेरठ की पुलिस बागी हो चुकी थी। धन सिंह कोतवाल क्रान्तिकारी भीड़ (सैनिक, मेरठ के शहरी, पुलिस और किसान) में एक प्राकृतिक नेता के रूप में उभरे। उनका आकर्षक व्यक्तित्व, उनका स्थानीय होना, (वह मेरठ के निकट स्थित गांव पांचली के रहने वाले थे), पुलिस में उच्च पद पर होना और स्थानीय क्रान्तिकारियों का उनको विश्वास प्राप्त होना कुछ ऐसे कारक थे जिन्होंने धन सिंह को 10 मई 1857 के दिन मेरठ की क्रान्तिकारी जनता के नेता के रूप में उभरने में मदद की। उन्होंने क्रान्तिकारी भीड़ का नेतृत्व किया और रात दो बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी।3 जेल से छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले पुलिस फोर्स के नेतृत्व में क्रान्तिकारी भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। मंगल पाण्डे 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर, बंगाल में शहीद हो गए थे। मंगल पाण्डे ने चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में अपने एक अफसर को 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी, बंगाल में गोली से उड़ा दिया था। जिसके पश्चात उन्हें गिरफ्तार कर बैरकपुर (बंगाल) में 8 अप्रैल को फासी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में हुए जनक्रान्ति के विस्फोट से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है। क्रान्ति के दमन के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने 10 मई, 1857 को मेरठ मे हुई क्रान्तिकारी घटनाओं में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए मेजर विलियम्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई।4 मेजर विलियम्स ने उस दिन की घटनाओं का भिन्न-भिन्न गवाहियों के आधार पर गहन विवेचन किया तथा इस सम्बन्ध में एक स्मरण-पत्र तैयार किया, जिसके अनुसार उन्होंने मेरठ में जनता की क्रान्तिकारी गतिविधियों के विस्फोट के लिए धन सिंह कोतवाल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, उसका मानना था कि यदि धन सिंह कोतवाल ने अपने कर्तव्य का निर्वाह ठीक प्रकार से किया होता तो संभवतः मेरठ में जनता को भड़कने से रोका जा सकता था।5 धन सिंह कोतवाल को पुलिस नियंत्रण के छिन्न-भिन्न हो जाने के लिए दोषी पाया गया। क्रान्तिकारी घटनाओं से दमित लोगों ने अपनी गवाहियों में सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गूजर है इसलिए उसने क्रान्तिकारियों, जिनमें गूजर बहुसंख्या में थे, को नहीं रोका। उन्होंने धन सिंह पर क्रान्तिकारियों को खुला संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।6 एक गवाही के अनुसार क्रान्तिकरियों ने कहा कि धन सिंह कोतवाल ने उन्हें स्वयं आस-पास के गांव से बुलाया है 7 यदि मेजर विलियम्स द्वारा ली गई गवाहियों का स्वयं विवेचन किया जाये तो पता चलता है कि 10 मई, 1857 को मेरठ में क्रांति का विस्फोट काई स्वतः विस्फोट नहीं वरन् एक पूर्व योजना के तहत एक निश्चित कार्यवाही थी, जो परिस्थितिवश समय पूर्व ही घटित हो गई। नवम्बर 1858 में मेरठ के कमिश्नर एफ0 विलियम द्वारा इसी सिलसिले से एक रिपोर्ट नोर्थ - वैस्टर्न प्रान्त (आधुनिक उत्तर प्रदेश) सरकार के सचिव को भेजी गई। रिपोर्ट के अनुसार मेरठ की सैनिक छावनी में ”चर्बी वाले कारतूस और हड्डियों के चूर्ण वाले आटे की बात“ बड़ी सावधानी पूर्वक फैलाई गई थी। रिपोर्ट में अयोध्या से आये एक साधु की संदिग्ध भूमिका की ओर भी इशारा किया गया था।8 विद्रोही सैनिक, मेरठ शहर की पुलिस, तथा जनता और आस-पास के गांव के ग्रामीण इस साधु के सम्पर्क में थे। मेरठ के आर्य समाजी, इतिहासज्ञ एवं स्वतन्त्रता सेनानी आचार्य दीपांकर के अनुसार यह साधु स्वयं दयानन्द जी थे और वही मेरठ में 10 मई, 1857 की घटनाओं के सूत्रधार थे। मेजर विलियम्स को दो गयी गवाही के अनुसार कोतवाल स्वयं इस साधु से उसके सूरजकुण्ड स्थित ठिकाने पर मिले थे।9 हो सकता है ऊपरी तौर पर यह कोतवाल की सरकारी भेंट हो, परन्तु दोनों के आपस में सम्पर्क होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में कोतवाल सहित पूरी पुलिस फोर्स इस योजना में साधु (सम्भवतः स्वामी दयानन्द) के साथ देशव्यापी क्रान्तिकारी योजना में शामिल हो चुकी थी। 10 मई को जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया कि सभी सैनिकों ने एक साथ मेरठ में सभी स्थानों पर विद्रोह कर दिया। ठीक उसी समय सदर बाजार की भीड़, जो पहले से ही हथियारों से लैस होकर इस घटना के लिए तैयार थी, ने भी अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियां शुरू कर दीं। धन सिंह कोतवाल ने योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया।10 आदेश का पालन करते हुए अंग्रेजों के वफादार पिट्ठू पुलिसकर्मी क्रान्ति के दौरान कोतवाली में ही बैठे रहे। इस प्रकार अंग्रेजों के वफादारों की तरफ से क्रान्तिकारियों को रोकने का प्रयास नहीं हो सका, दूसरी तरफ उसने क्रान्तिकारी योजना से सहमत सिपाहियों को क्रान्ति में अग्रणी भूमिका निभाने का गुप्त आदेश दिया, फलस्वरूप उस दिन कई जगह पुलिस वालों को क्रान्तिकारियों की भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया।11 धन सिंह कोतवाल अपने गांव पांचली और आस-पास के क्रान्तिकारी गूजर बाहुल्य गांव घाट, नंगला, गगोल आदि की जनता के सम्पर्क में थे, धन सिंह कोतवाल का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में गूजर क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। मेरठ के आस-पास के गांवों में प्रचलित किवंदन्ती के अनुसार इस क्रान्तिकारी भीड़ ने धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया12 और जेल को आग लगा दी। मेरठ शहर और कैंट में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था उसे यह क्रान्तिकारियों की भीड़ पहले ही नष्ट कर चुकी थी। उपरोक्त वर्णन और विवेचना के आधार पर हम निःसन्देह कह सकते हैं कि धन सिंह कोतवाल ने 10 मई, 1857 के दिन मेरठ में मुख्य भूमिका का निर्वाह करते हुए क्रान्तिकारियों को नेतृत्व प्रदान किया था।1857 की क्रान्ति की औपनिवेशिक व्याख्या, (ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहासकारों की व्याख्या), के अनुसार 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह था जिसका कारण मात्र सैनिक असंतोष था। इन इतिहासकारों का मानना है कि सैनिक विद्रोहियों को कहीं भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था। ऐसा कहकर वह यह जताना चाहते हैं कि ब्रिटिश शासन निर्दोष था और आम जनता उससे सन्तुष्ट थी। अंग्रेज इतिहासकारों, जिनमें जौन लोरेंस और सीले प्रमुख हैं ने भी 1857 के गदर को मात्र एक सैनिक विद्रोह माना है, इनका निष्कर्ष है कि 1857 के विद्रोह को कही भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था, इसलिए इसे स्वतन्त्रता संग्राम नहीं कहा जा सकता। राष्ट्रवादी इतिहासकार वी0 डी0 सावरकर और सब-आल्टरन इतिहासकार रंजीत गुहा ने 1857 की क्रान्ति की साम्राज्यवादी व्याख्या का खंडन करते हुए उन क्रान्तिकारी घटनाओं का वर्णन किया है, जिनमें कि जनता ने क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया था, इन घटनाओं का वर्णन मेरठ में जनता की सहभागिता से ही शुरू हो जाता है। समस्त पश्चिम उत्तर प्रदेश के बन्जारो, रांघड़ों और गूजर किसानों ने 1857 की क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में ताल्लुकदारों ने अग्रणी भूमिका निभाई। बुनकरों और कारीगरों ने अनेक स्थानों पर क्रान्ति में भाग लिया। 1857 की क्रान्ति के व्यापक आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक कारण थे और विद्रोही जनता के हर वर्ग से आये थे, ऐसा अब आधुनिक इतिहासकार सिद्ध कर चुके हैं। अतः 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह नहीं वरन् जनसहभागिता से पूर्ण एक राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम था। परन्तु 1857 में जनसहभागिता की शुरूआत कहाँ और किसके नेतृत्व में हुई ? इस जनसहभागिता की शुरूआत के स्थान और इसमें सहभागिता प्रदर्शित वाले लोगों को ही 1857 की क्रान्ति का जनक कहा जा सकता है। क्योंकि 1857 की क्रान्ति में जनता की सहभागिता की शुरूआत धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में मेरठ की जनता ने की थी। अतः ये ही 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते हैं। 10, मई 1857 को मेरठ में जो महत्वपूर्ण भूमिका धन सिंह और उनके अपने ग्राम पांचली के भाई बन्धुओं ने निभाई उसकी पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। ब्रिटिश साम्राज्य की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की कृषि नीति का मुख्य उद्देश्य सिर्फ अधिक से अधिक लगान वसूलना था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों ने महलवाड़ी व्यवस्था लागू की थी, जिसके तहत समस्त ग्राम से इकट्ठा लगान तय किया जाता था और मुखिया अथवा लम्बरदार लगान वसूलकर सरकार को देता था। लगान की दरें बहुत ऊंची थी, और उसे बड़ी कठोरता से वसूला जाता था। कर न दे पाने पर किसानों को तरह-तरह से बेइज्जत करना, कोड़े मारना और उन्हें जमीनों से बेदखल करना एक आम बात थी, किसानों की हालत बद से बदतर हो गई थी। धन सिंह कोतवाल भी एक किसान परिवार से सम्बन्धित थे। किसानों के इन हालातों से वे बहुत दुखी थे। धन सिंह के पिता पांचली ग्राम के मुखिया थे, अतः अंग्रेज पांचली के उन ग्रामीणों को जो किसी कारणवश लगान नहीं दे पाते थे, उन्हें धन सिंह के अहाते में कठोर सजा दिया करते थे, बचपन से ही इन घटनाओं को देखकर धन सिंह के मन में आक्रोष जन्म लेने लगा।13 ग्रामीणों के दिलो दिमाग में ब्रिटिष विरोध लावे की तरह धधक रहा था। 1857 की क्रान्ति में धन सिंह और उनके ग्राम पांचली की भूमिका का विवेचन करते हुए हम यह नहीं भूल सकते कि धन सिंह गूजर जाति में जन्में थे, उनका गांव गूजर बहुल था। 1707 ई0 में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात गूजरों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी राजनैतिक ताकत काफी बढ़ा ली थी।14 लढ़ौरा, मुण्डलाना, टिमली, परीक्षितगढ़, दादरी, समथर-लौहा गढ़, कुंजा बहादुरपुर इत्यादि रियासतें कायम कर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक गूजर राज्य बनाने के सपने देखने लगे थे।15 1803 में अंग्रेजों द्वारा दोआबा पर अधिकार करने के वाद गूजरों की शक्ति क्षीण हो गई थी, गूजर मन ही मन अपनी राजनैतिक शक्ति को पुनः पाने के लिये आतुर थे, इस दषा में प्रयास करते हुए गूजरों ने सर्वप्रथम 1824 में कुंजा बहादुरपुर के ताल्लुकदार विजय सिंह और कल्याण सिंह उर्फ कलवा गूजर के नेतृत्व में सहारनपुर में जोरदार विद्रोह किये।16 पश्चिमी उत्तर प्रदेष के गूजरों ने इस विद्रोह में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। 1857 के सैनिक विद्रोह ने उन्हें एक और अवसर प्रदान कर दिया। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेष में देहरादून से लेकिन दिल्ली तक, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी तक। पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के गूजर इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। हजारों की संख्या में गूजर शहीद हुए और लाखों गूजरों को ब्रिटेन के दूसरे उपनिवेषों में कृषि मजदूर के रूप में निर्वासित कर दिया। इस प्रकार धन सिंह और पांचली, घाट, नंगला और गगोल ग्रामों के गूजरों का संघर्ष गूजरों के देशव्यापी ब्रिटिष विरोध का हिस्सा था। यह तो बस एक शुरूआत थी। 1857 की क्रान्ति के कुछ समय पूर्व की एक घटना ने भी धन सिंह और ग्रामवासियों को अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया। पांचली और उसके निकट के ग्रामों में प्रचलित किंवदन्ती के अनुसार घटना इस प्रकार है, ”अप्रैल का महीना था। किसान अपनी फसलों को उठाने में लगे हुए थे। एक दिन करीब 10 11 बजे के आस-पास बजे दो अंग्रेज तथा एक मेम पांचली खुर्द के आमों के बाग में थोड़ा आराम करने के लिए रूके। इसी बाग के समीप पांचली गांव के तीन किसान जिनके नाम मंगत सिंह, नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह (अथवा भज्जड़ सिंह) थे, कृषि कार्यो में लगे थे। अंग्रेजों ने इन किसानों से पानी पिलाने का आग्रह किया। अज्ञात कारणों से इन किसानों और अंग्रेजों में संघर्ष हो गया। इन किसानों ने अंग्रेजों का वीरतापूर्वक सामना कर एक अंग्रेज और मेम को पकड़ दिया। एक अंग्रेज भागने में सफल रहा। पकड़े गए अंग्रेज सिपाही को इन्होंने हाथ-पैर बांधकर गर्म रेत में डाल दिया और मेम से बलपूर्वक दायं हंकवाई। दो घंटे बाद भागा हुआ सिपाही एक अंग्रेज अधिकारी और 25-30 सिपाहियों के साथ वापस लौटा। तब तक किसान अंग्रेज सैनिकों से छीने हुए हथियारों, जिनमें एक सोने की मूठ वाली तलवार भी थी, को लेकर भाग चुके थे। अंग्रेजों की दण्ड नीति बहुत कठोर थी, इस घटना की जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार कर अंग्रेजों को सौंपने की जिम्मेदारी धन सिंह के पिता, जो कि गांव के मुखिया थे, को सौंपी गई। ऐलान किया गया कि यदि मुखिया ने तीनों बागियों को पकड़कर अंग्रेजों को नहीं सौपा तो सजा गांव वालों और मुखिया को भुगतनी पड़ेगी। बहुत से ग्रामवासी भयवश गाँव से पलायन कर गए। अन्ततः नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह ने तो समर्पण कर दिया किन्तु मंगत सिंह फरार ही रहे। दोनों किसानों को 30-30 कोड़े और जमीन से बेदखली की सजा दी गई। फरार मंगत सिंह के परिवार के तीन सदस्यों के गांव के समीप ही फांसी पर लटका दिया गया। धन सिंह के पिता को मंगत सिंह को न ढूंढ पाने के कारण छः माह के कठोर कारावास की सजा दी गई। इस घटना ने धन सिंह सहित पांचली के बच्चे-बच्चे को विद्रोही बना दिया।17 जैसे ही 10 मई को मेरठ में सैनिक बगावत हुई धन सिंह और ने क्रान्ति में सहभागिता की शुरूआत कर इतिहास रच दिया। क्रान्ति मे अग्रणी भूमिका निभाने की सजा पांचली व अन्य ग्रामों के किसानों को मिली। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः चार बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने तोपों से हमला किया। रिसाले में 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपची थे। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनमें से 46 लोग कैद कर लिए गए और इनमें से 40 को बाद में फांसी की सजा दे दी गई।18 आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक स्वाधीनता आन्दोलन और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। पूरे गांव को लगभग नष्ट ही कर दिया गया। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। संदर्भ एवं टिप्पणी 1.

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१९९६ क्रिकेट विश्व कप

१९९६ क्रिकेट विश्व कप, (आधिकारिक तौर पर विल्स विश्व कप) क्रिकेट विश्व कप का छठा संस्करण था। http://www.icc-cricket.com/cricket-world-cup/about/279/history यह पाकिस्तान, भारत और श्रीलंका में १४ फरवरी से १७ मार्च १९९६ को आयोजित किया गया। http://www.espncricinfo.com/ci/engine/series/60981.html टूर्नामेंट विल्स द्वारा प्रायोजित किया गया था और इसमे बारह टीमो ने भाग लिया था। प्रत्येक मैच ५० ओवर प्रति टीम का था और रंगीन कपड़ों में और सफेद गेंदों के साथ खेली गया था और अधिकतम मैच दूधिया रोशनी (फ्लडलाइट्स) के दौरान खेले गए थे। टूर्नामेंट का फाइनल श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच था, और श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को गद्दाफी स्टेडियम मे खेले गए फाइनल मे ७ विकेट से पराजित कर अपना पहला क्रिकेट विश्व कप जीता। http://www.espncricinfo.com/ci/engine/match/65192.html .

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२०११ पाकिस्तान भूकम्प

२०११ पाकिस्तान भूकम्प १९ जनवरी २०११ को रात १:५३ (भारतीय समयानुसार) पर पाकिस्तान में आया शक्तिशाली भूकम्प था। दक्षिण पश्चिमी पाकिस्तान में रिक्टर पैमाने पर ७.४ की तीव्रता वाले इस भूकम्प का केन्द्र पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रान्त था। संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार इस भूकम्प का केन्द्र धरातल से ८४ किलोमीटर नीचे था जिस कारण इतनी अधिक तीव्रता ला सकने वाले इस भूकम्प से जन-धन की भारी क्षती नहीं हुई। इस भूकम्प के झटके पड़ोसी देशों और कुछ दूरी पर स्थित देशों तक में महसूस किए गए जैसे भारत, अफ़्गानिस्तान, ईरान, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन। मेर्साली परिमाप (मेप) पर इस भूकम्प की तीव्रता विभिन्न स्थानों पर इस प्रकार थी: इस्लामाबाद में मेप ४, कराची में मेप ४, मस्कट मेप मेप ४, दिल्ली में मेप ४, काबुल में मेप ३, दुबई में मेप ३ और अबू धाबी में मेप ३। इस भूकम्प से पाकिस्तान के दलबण्डिन में २०० मिट्टी के घरों के ढ़हने के समाचार हैं। क्वेटा में २ महिलाएँ भूकम्प के कारण हृदयाघात से मर गईं। क्वेटा भूकम्प-केन्द्र से लगभग ३३० किमी उत्तरपश्चिम में स्थित है, जहाँ तीव्रता मेप ४ थी। .

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२०१८ इंडियन प्रीमियर लीग

२०१८ इंडियन प्रीमियर लीग जिन्हें आईपीएल ११ के रूप में भी जाना जाता है यह आईपीएल का ११वां संस्करण है जिसे २००८ में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्थापित किया गया था और यह एक ट्वेन्टी-ट्वेन्टी लीग है। यह सीजन ७ अप्रैल से २७ मई तक आयोजित किया गया, इस सीजन में २०१३ आईपीएल में सट्टेबाजी के मामले में उनके संबंधित मामले में २०१६ और २०१७ के लिए चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को निलंबित कर दिया गया था और अब इस सीजन में वापसी की। संस्करण का पहला मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच ०७ अप्रैल को खेला गया। फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को ८ विकेट से हराय। इस संस्करण में केन विलियमसन ने सबसे ज्यादा रन बनाये एवं एंड्रयू टाय ने सबसे अधिक विकेट लिए। सुनील नारायण को मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट एवं ऋषभ पंत को एमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट के ख़िताब से नवाज़ा गया। .

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३१ जुलाई

३१ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २१२वॉ (लीप वर्ष में २१३ वॉ) दिन है। साल में अभी और १५३ दिन बाकी है। .

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1987 क्रिकेट विश्व कप

१९८७ क्रिकेट विश्व कप, (आधिकारिक तौर पर रिलायंस विश्व कप) क्रिकेट विश्व कप का चौथा संस्करण था। http://www.icc-cricket.com/cricket-world-cup/about/279/history यह भारत और पाकिस्तान में ८ अक्टूबर-८ नवंबर १९८७ को आयोजित किया गया। http://www.espncricinfo.com/ci/engine/series/60876.html टूर्नामेंट रिलायन्स इण्डस्ट्रीज द्वारा प्रायोजित किया गया था और इसमे आठ टीमो ने भाग लिया था। प्रत्येक मैच ५० ओवर प्रति टीम का था और पारंपरिक सफेद कपड़ों में और लाल गेंदों के साथ खेली गया था और सरे मैच दिन के दौरान खेले गए थे। टूर्नामेंट का फाइनल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच था, और ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को इडेन गार्डेंस में खेले गए फाइनल में ७ रन से पराजित कर अपना पहला क्रिकेट विश्व कप जीता। http://www.espncricinfo.com/ci/engine/match/65117.html .

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2011 इंडियन प्रीमियर लीग

इंडियन प्रीमियर लीग 2011 जिसे कि संक्षेप में आईपीएल 4 या आईपीएल 2011 भी कहा जाता है, ये इंडियन प्रीमियर लीग का चौथा सत्र है, जिसकी शुरुआत भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड ने 2007 में की थी। टूर्नामेंट की मेजबानी भारत करेगा और इसका उद्घाटन और समापन समारोह चेन्नई के एम ए चिदंबरम स्टेडियम में होगा, जो कि वर्तमान विजेता दल चेन्नई सुपर किंग्स का गृह भी है। यह सत्र 8 अप्रैल से 28 मई 2011 तक चलेगा.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

राजस्थान की राजधानी, सवाई जयनगर, जयपुर का इतिहास, गुड़ियाघर, जयपुर, गुलाबी नगर

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