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चम्पापुरी

सूची चम्पापुरी

चंपा प्राचीन अंग की राजधानी, जो गंगा और चंपा के संगम पर बसी थी। प्राचीन काल में इस नगर के कई नाम थे- चंपानगर, चंपावती, चंपापुरी, चंपा और चंपामालिनी। पहले यह नगर 'मालिनी' के नाम से प्रसिद्ध था किंतु बाद में लेमपाद के प्राचीन राजा चंप के नाम पर इसका नाम चंपा अथवा चंपावती पड़ गया। यहाँ पर चंपक वृक्षों की बहुलता का भी संबंध इसके नामकरण के साथ जोड़ा जाता है। चंपा नगर का समीकरण भागलपुर के समीप आधुनिक चंपानगर और चंपापुर नाम के गाँवों से किया जाता है किंतु संभवत: प्राचीन नगर मुंगेर की पश्चिमी सीमा पर स्थित था। कहा जाता है, इस नगर को महागोविन्द ने बसाया था। उस युग के सांस्कृतिक जीवन में चंपा का महत्वपूर्ण स्थान था। बुद्ध, महावीर और गोशाल कई बार चंपा आए थे। १२वें तीर्थकर वासुपूज्य का जन्म और मोक्ष दोनों ही चंपा में हुआ था। यह जैन धर्म का उल्लेखनीय केंद्र और तीर्थ था। दशवैकालिक सूत्र की रचना यहीं हुई थी। नगर के समीप रानी गग्गरा द्वारा बनवाई गई एक पोक्खरणी थी जो यात्री और साधु संन्यासियों के विश्रामस्थल के रूप में प्रसिद्ध थी और जहाँ का वातावरण दार्शनिक बाद विवादों से मुखरित रहता था। अजातशत्रु के लिय कहा गया है कि उसने चंपा को अपनी राजधानी बनाया। दिव्यावदान के अनुसार विंदुसार ने चंपा की एक ब्राह्मण कन्या से विवाह किया था जिसकी संतान सम्राट् अशोक थे। चंपा समृद्ध नगर और व्यापार का केंद्र भी था। चंपा के व्यापारी समुद्रमार्ग से व्यापार के लिये भी प्रसिद्ध थे। .

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सामग्री की तालिका

  1. 4 संबंधों: चम्पा (बहुविकल्पी), तीर्थंकर, जैन धर्म के तीर्थंकर, अंग महाजनपद

चम्पा (बहुविकल्पी)

चम्पा का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में किया जाता है-.

देखें चम्पापुरी और चम्पा (बहुविकल्पी)

तीर्थंकर

जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। .

देखें चम्पापुरी और तीर्थंकर

जैन धर्म के तीर्थंकर

श्रेणी:जैन धर्म श्रेणी:जैन तीर्थंकर श्रेणी:चित्र जोड़ें.

देखें चम्पापुरी और जैन धर्म के तीर्थंकर

अंग महाजनपद

अंग प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। इसका सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। बौद्ध ग्रंथो में अंग और वंग को प्रथम आर्यों की संज्ञा दी गई है। महाभारत के साक्ष्यों के अनुसार आधुनिक भागलपुर, मुंगेर और उससे सटे बिहार और बंगाल के क्षेत्र अंग प्रदेश के क्षेत्र थे। इस प्रदेश की राजधानी चम्पापुरी थी। यह जनपद मगध के अंतर्गत था। प्रारंभ में इस जनपद के राजाओं ने ब्रह्मदत्त के सहयोग से मगध के कुछ राजाओं को पराजित भी किया था किंतु कालांतर में इनकी शक्ति क्षीण हो गई और इन्हें मगध से पराजित होना पड़ा। महाभारत काल में यह कर्ण का राज्य था। इसका प्राचीन नाम मालिनी था। इसके प्रमुख नगर चम्पा (बंदरगाह), अश्वपुर थे। .

देखें चम्पापुरी और अंग महाजनपद

चम्पा (नगर) के रूप में भी जाना जाता है।