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चतुष्फलकी

सूची चतुष्फलकी

150px ठोस ज्यामिति में चार समतल फलकों वाले ठोस को चतुष्फलकी (चतुः + फलकी .

5 संबंधों: चतुष्फलकीय संख्या, ठोस ज्यामिति, पिरैमिड (ज्यामिति), भूभौतिकी, समावयवता

चतुष्फलकीय संख्या

चतुष्फलकीय संख्या अथवा त्रिकोणीय पिरामिड संख्या चित्र संख्या है जो त्रिभुजाकार आधार और तीन अन्य फलकों को जोड़ने पर बनने वाली चतुष्फलकी आकृति पिरामिड को निरूपित करती है। nवीं चतुष्फलकीय संख्या, प्रथम n त्रिकोण संख्याओं के योग के बराबर होती है। प्रथम 10 चतुष्फलकीय संख्यायें निम्न हैं: .

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ठोस ज्यामिति

मूलभूत ज्यामितीय ठोस आक्रितियाँ गणित में परम्परागत रूप से त्रिबीमीय ज्यामिति को ठोस ज्यामिति (solid geometry) कहा जाता रहा है। समतल ज्यामिति (Plane geometry) के विकास के बाद इसका विकास हुआ। .

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पिरैमिड (ज्यामिति)

यह लेख 'पिरामिड' नामक ठोस ज्यामितीय आकृति एवं उसके गणितीय विवरण के बारे में है। अन्य उपयोगों के लिए पिरामिड (बहुविकल्पी) देखें। ---- ठोस ज्यामिति में पिरैमिड (pyramid) उस बहुफलकीय ठोस को कहते हैं जिसका आधार कोई बहुभुज हो तथा शेष सभी त्रिभुजाकार फलक एक बिन्दु (शीर्ष) पर मिलते हों। दूसरे शब्दों में, आधार के प्रत्येक कोर और शीर्ष मिलकर एक त्रिभुजाकार फलक बनाते हैं। अतः किसी पिरैमिड का आधार n भुजाओं वाला बहुभुज हो तो उसमें कुल (n+1) फलक होते हैं जिसमें से n फलक त्रिभुजाकार होते हैं। चतुष्फलकी भी एक पिरैमिड है। n भुजाओं वाले आधार पर निर्मित पिरैमिड में (n+1) शीर्ष तथा 2n कोर (edges) होंगे। श्रेणी:ठोस ज्यामिति.

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भूभौतिकी

भूभौतिकी (Geophysics) पृथ्वी की भौतिकी है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी सारी समस्याओं की छानबीन होती है। साथ ही यह एक प्रयुक्त विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें भूमि समस्याओं और प्राकृतिक रूपों में उपलब्ध पदार्थों के व्यवहार की व्याख्या मूल विज्ञानों की सहायता से की जाती है। इसका विकास भौतिकी और भौमिकी से हुआ है। भूविज्ञानियों की आवश्यकता के फलस्वरूप नए साधनों के रूप में इसका जन्म हुआ। विज्ञान की शाखाओं या उपविभागों के रूप में भौतिकी, रसायन, भूविज्ञान और जीवविज्ञान को मान्यता मिले एक अरसा बीत चुका है। ज्यों-ज्यों विज्ञान का विकास हुआ, उसकी शाखाओं के मध्यवर्ती क्षेत्र उत्पन्न होते गए, जिनमें से एक भूभौतिकी है। उपर्युक्त विज्ञानों को चतुष्फलकी के शीर्ष पर निरूपित करें तो चतुष्फलक की भुजाएँ (कोर) नए विज्ञानों को निरूपित करती हैं। भूभौतिकी का जन्म भौमिकी एवं भौतिकी से हुआ है। .

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समावयवता

विभिन्न प्रकार के समाववी यौगिक रासायनिक यौगिकों का जब सूक्ष्मता से अध्ययन किया गया, तब देखा गया कि यौगिकों के गुण उनके संगठन पर निर्भर करते हैं। जिन यौगिकों के गुण एक से होते हैं उनके संगठन भी एक से ही होते हैं और जिनके गुण भिन्न होते हैं उनके संगठन भी भिन्न होते हैं। बाद में पाया गया कि कुछ ऐसे यौगिक भी हैं जिनके संगठन, अणुभार तथा अणु-अवयव एक होते हुए भी, उनके गुणों में विभिन्नता है। ऐसे विशिष्टता यौगिकों को समावयवी (Isomer, Isomeride) संज्ञा दी गई और इस तथ्य का नाम समावयवता (Isomerism) रखा गया। .

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