लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

चण्डी

सूची चण्डी

श्री चण्डी देवी का म्ंदिर हरिद्वार मे स्थित। काली देवी के समान ही चण्डी देवी को माना जाता है, ये कभी कभी दयालु रूप में और प्राय: उग्र रूप में पूजी जाती है, दयालु रूप में वे उमा, गौरी, पार्वती, अथवा हैमवती, जगन्माता और भवानी कहलाती है, भयावने रूप में दुर्गा, काली और श्यामा, चण्डी अथवा चण्डिका, भैरवी आदि के नाम से जाना जाता है, अश्विन और चैत्र मास की की शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रा में चण्डी पूजा विशेष समारोह के द्वारा मनायी जाती है। पूजा के लिये नवरात्रा स्थापना के दिन ब्राह्मण के द्वारा मन्दिर के मध्य स्थान को गोबर और मिट्टी से लीप कर मिट्टी के एक कलश की स्थापना की जाती है, कलश में पानी भर लिया जाता है और आम के पत्तों से उसे आच्छादित कर दिया जाता है, कलश के ऊपर ढक्कन मिट्टी का जौ या चावल से भर कर रखते हैं, पीले वस्त्र से उसे ढक दिया जाता है, ब्राह्मण मन्त्रों को उच्चारण करने के बाद उसी कलश में कुशों से पानी को छिडकता है और देवी का आवाहन उसी कलश में करता है, देवी चण्डिका के आवाहन की मान्यता देते हुये कलश के चारों तरफ़ लाल रंग का सिन्दूर छिडकता है, मन्त्र आदि के उच्चारण के समय और इस नौ दिन की अवधि में ब्राह्मण केवल फ़ल और मूल खाकर ही रहता है, पूजा का अन्त यज्ञ से होता है, जिसे होम करना कहा जाता है, होम में जौ, चीनी, घी और तिलों का प्रयोग किया जाता है, यह होम कलश के सामने होता है, जिसमे देवी का निवास समझा जाता है, ब्राह्मण नवरात्रा के समाप्त होने के बाद उस कलश के पास बिखरा हुआ सिन्दूर और होम की राख अपने प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों के घर पर लेकर जाता है और और सभी के ललाट पर लगाता है। इस प्रकार से सभी का देवी चामुण्डा के प्रति एकाकार होना माना जाता है, भारत और विश्व के कई देशों के अन्दर देवी का पूजा विधान इसी प्रकार से माना जाता है। प्राचीन हिन्दु और बौद्ध मन्दिरों को इंडोनेशिया में चण्डी कहा जाता है। इसके पीछे तथ्य यह है कि इनमे से कई देवी (अथवा चण्डी) उपासना के लिये स्थापित किये गये थे। इनमे से सबसे विख्यात प्रमबनन चण्डी है। श्रेणी:हिन्दू देवियाँ.

8 संबंधों: चण्डी चरित्र, देह सिवा बरु मोहि इहै, बिहार में यातायात, रामभद्राचार्य, सुपर कमाण्डो ध्रुव, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची, ज्वालामुखी मंदिर, खाटूश्यामजी

चण्डी चरित्र

चण्डी चरित्र सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा रचित देवी चण्डिका की एक स्तुति है। गुरु गोबिन्द सिंह एक महान योद्धा एवं भक्त थे। वे देवी के शक्ति रूप के उपासक थे। यह स्तुति दशम ग्रंथ के "उक्ति बिलास" नामक विभाग का एक हिस्सा है। गुरुबाणी में हिन्दू देवी-देवताओं का अन्य जगह भी वर्णन आता है। 'चण्डी' के अतिरिक्त 'शिवा' शब्द की व्याख्या ईश्वर के रूप में भी की जाती है। "महाकोश" नामक किताब में ‘शिवा’ की व्याख्या ‘ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ’ (परब्रह्म की शक्ति) के रूप में की गई है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भी 'शिवा' 'शिव' (ईश्वर) की शक्ति है। देवी के रूप का व्याख्यान गुरु गोबिंद सिंह जी यूं करते हैं: पवित्री पुनीता पुराणी परेयं ॥ प्रभी पूरणी पारब्रहमी अजेयं ॥॥ अरूपं अनूपं अनामं अठामं ॥॥ अभीतं अजीतं महां धरम धामं ॥३२॥२५१॥ .

नई!!: चण्डी और चण्डी चरित्र · और देखें »

देह सिवा बरु मोहि इहै

देह सिवा बरु मोहि इहै गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ के चण्डी चरितर में स्थित एक शबद है। इसमें गुरुजी चण्डी की स्तुति करते हुए उनसे वरदान मांगते हैं कि मैं कभी भी शुभ कर्मों को करने से पीछे न हटूँ। यह शबद ब्रजभाषा में है। .

नई!!: चण्डी और देह सिवा बरु मोहि इहै · और देखें »

बिहार में यातायात

यह लेख बिहार राज्य की सार्वजनिक और निजी परिवहन प्रणाली के बारे में है। .

नई!!: चण्डी और बिहार में यातायात · और देखें »

रामभद्राचार्य

जगद्गुरु रामभद्राचार्य (जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) (१९५०–), पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।दिनकर २००८, पृष्ठ ३२। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया। .

नई!!: चण्डी और रामभद्राचार्य · और देखें »

सुपर कमाण्डो ध्रुव

सुपर कमांडो ध्रुव (अंग्रेजी; Super Commando Dhruva) एक काल्पनिक पात्र, एवं एक भारतीय काॅमिक्स सुपरहीरो है, जिसकी काॅमिकों का प्रकाशन राज काॅमिक्स द्वारा किया जाता है। इस पात्र, की रचना विख्यात लेखक एवं चित्रकारी अनुपम सिन्हा द्वारा किया गया था, उन्होंने उसकी पहली काॅमिक्स GENL #74 "प्रतिशोध की ज्वाला" से आगमन दिलाया जिसे अप्रैल १९८७ में प्रकाशित किया गया और उसके बाद से, उसे नियमित तौर पल अन्य कई किस्तों के साथ राज काॅमिक्स द्वारा प्रकाशित करती रही। सुपर कमांडो ध्रुव, जिसका पूरा नाम ध्रुव मेहरा है, इसके अतिरिक्त संदर्भ में उसकी कमाण्डो फाॅर्स के कैडेट उन्हें कैप्टन ध्रुव के नाम से संबोधित करती है। सुपर कमांडो ध्रुव का कार्यस्थल भारत स्थित काल्पनिक शहर राजनगर में बताया जाता। वहीं वह एक काल्पनिक सरकारी-मान्यता प्राप्त कमाण्डो फाॅर्स नामक अपराध उन्मूलन संगठन की स्थापना करता है। ध्रुव के चरित्र को इस प्रकार विशिष्ट एवं प्रतिष्ठित बनाया गया है; पीली व नीली वर्दी, काले-भूरे जुते और एक युटिलिटी पेटी जिसपर सितारे के आकार का बकल है। यही सितारा उसके चरित्र की विशेष ट्रेडमार्क बनती है। ध्रुव की सबसे असामान्य बात यह है कि अधिकांश सुपरहीरो की तरह, उसकी कोई अप्रत्यक्ष व्यक्तित्व नहीं है और ना ही अपनी पहचान छुपाने के लिए नकाब की जरूरत महसूस करता है। सबसे अलग व विशेष कि उसमें किसी तरह की अमानवीय शक्तियों के ना है; मगर अपनी तेज बुद्धि, सूक्ष्म प्रेक्षण कुशलता, हरेक प्राजातियों के पशु-पक्षियों से बात करने की कला, वैज्ञानिक तार्किकता, युद्ध कला व नटबाजी में माहिर, अपनी बेमिसाल इच्छाशक्ति और धरती से पापियों को हटाने का दृढ़ संकल्प ही उसे किसी उसे किसी भी सामान्य सुपरहीरो या मनुष्यों से अद्वितीय बनाता है। ध्रुव ने अपनी प्रथम परिचय के बाद ही लोकप्रिय पात्रों में पहचान पाई। वह राज काॅमिक्स के बेहद सफलतम पात्रों में भी एक शुमार हैं। इतने वर्ष बीतने पर भी, ध्रुव ने भारतीय काॅमिक्स जगत के सुपरहीरो की पीढ़ी में विशिष्ट स्थान बनाया है। .

नई!!: चण्डी और सुपर कमाण्डो ध्रुव · और देखें »

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची

जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य (जगद्गुरु रामभद्राचार्य अथवा स्वामी रामभद्राचार्य के रूप में अधिक प्रसिद्ध) चित्रकूट धाम, भारत के एक हिंदू धार्मिकनेता, शिक्षाविद्, संस्कृतविद्वान, बहुभाषाविद, कवि, लेखक, टीकाकार, दार्शनिक, संगीतकार, गायक, नाटककार और कथाकलाकार हैं। उनकी रचनाओं में कविताएँ, नाटक, शोध-निबंध, टीकाएँ, प्रवचन और अपने ग्रंथों पर स्वयं सृजित संगीतबद्ध प्रस्तुतियाँ सम्मिलित हैं। वे ९० से अधिक साहित्यिक कृतियों की रचना कर चुके हैं, जिनमें प्रकाशित पुस्तकें और अप्रकाशित पांडुलिपियां, चार महाकाव्य,संस्कृत और हिंदी में दो प्रत्येक। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर एक हिंदी भाष्य,अष्टाध्यायी पर पद्यरूप में संस्कृत भाष्य और प्रस्थानत्रयी शास्त्रों पर संस्कृत टीकाएँ शामिल हैं।दिनकर २००८, प्रप्र.

नई!!: चण्डी और जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची · और देखें »

ज्वालामुखी मंदिर

ज्वालामुखी मंदिर, कांगडा घाटी से 30 कि॰मी॰ दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में शामिल है। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवो को जाता है। उन्हीं के द्वारा इस पवित्र धार्मिक स्थल की खोज हुई थी। इस स्थाल पर माता सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति रूप में होते है। ज्वालामुखी मंदिर के समीप में ही बाबा गोरा नाथ का मंदिर है। जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निमार्ण कराया। मंदिर के अंदर माता की नौ ज्योतियां है जिन्हें, महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। .

नई!!: चण्डी और ज्वालामुखी मंदिर · और देखें »

खाटूश्यामजी

श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। .

नई!!: चण्डी और खाटूश्यामजी · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

चण्डिका, चंडी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »