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घी

सूची घी

घी घी (संस्कृत: घृतम्), एक विशेष प्रकार का मख्खन (बटर) है जो भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन काल से भोजन के एक अवयव के रूप में प्रयुक्त होता रहा है। भारतीय भोजन में खाद्य तेल के स्थान पर भी प्रयुक्त होता है। यह दूध के मक्खन से बनाया जाता है। दक्षिण एशिया एवं मध्य पूर्व के भोजन में यह एक महत्वपूर्ण अवयव है। .

52 संबंधों: चन्दौसी, तिरुवन्नमलई, त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर, दाल बाटी चूरमा, दक्षिण भारतीय व्यंजन, दूध, दोहद, पटना, पतंजलि आयुर्वेद, पनीर, पाव भाजी, पिण्ड, पितृमेध, पंचामृत, पंचगव्य, पंजीरी, प्रक्रम, पूड़ी, बालूशाही, बिहारशरीफ, महिदपुर, मैसूर पाक, मोयन, रागी, लूची, शाही पनीर, शीर ख़ुर्मा, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, सोमवार व्रत कथा, सोहन पापड़ी, हलवा, हाइड्रोजनीकरण, हिलसा, बिहार, हवन, जीवक, वसा, खाजा, ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर, ओड़िया लोग, आन्ध्र प्रदेश, आयुर्वेद, आयुर्वेद में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ तथा खनिज, आहार वसा, इमरती, कर्ण, काजू कतली, कुद का पतीसा, कुपोषण, अमूल, अग्निहोत्र, ..., छाछ, छौंक सूचकांक विस्तार (2 अधिक) »

चन्दौसी

चन्दौसी उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले का एक शहर (कस्बा) है। इसको पुराने समय में चाँदसी नगरी के नाम से जाना जाता है। चन्दौसी दिल्ली से लगभग १४० किमी पूर्व में तथा मुरादाबाद नगर से ४० किमी दक्षिण में स्थित प्रसिद्ध व्यापारिक मंडी है। अलीगढ़, खैर, मेरठ, बरेली, नैनीताल और सहारनपुर के बीच में स्थित होने के कारण इस मंडी का केंद्रीय महत्व है। सड़कों और रेलों का प्रसिद्ध जंकशन है। यहाँ भारत का प्रसिद्ध टेर्निंग काॅलेज हैं जो रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। गेहूँ, चावल, मक्का, सरसों, जौ ताथ नमक का व्यापार होता है। चंदौसी का घी शुद्धता के लिये उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है। कपास से विनौला निकालने की मशीनें भी यहाँ हैं। यहाँ से कपास, सन, पटुआ, चीनी और पत्थर बाहर भेजा जाता है। इसके समीप जलविद्युत् केंद्र है।यहाँ गणेश चौथ का मेला लगता है और ये मुंबई के बाद यहाँ लगता है। भारत में चंदौसी के गणेश मेला का द्वितीय स्थान है। यहाँ की गजक और रेलवे स्टेशन के छोले भटूरे भारत भर में प्रसिद्ध है। इसका पिन कोड - 244412 .

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तिरुवन्नमलई

भारत के तमिलनाडु राज्य स्थित तिरुवन्नमलई जिले में बसा तिरुवन्नमलई एक तीर्थ शहर और नगरपालिका है। यह तिरुवन्नमलई जिले का मुख्यालय भी है। अन्नमलईयर मंदिर इसी तिरुवन्नमलई में बसा हुआ है, जो कि अन्नमलई पहाड़ की तराई में स्थित है और यह मंदिर तमिलनाडु में भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। लम्बे समय से तिरुवन्नमलई कई योगियों और सिद्धों से जुड़ा रहा है, और सबसे हाल के समय की बात करें तो अरुणाचल की पहाड़ियां, जहां 20वीं सदी के गुरु रमण महर्षि रहते थे, वह एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में चर्चित हो चुका है। .

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त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर

यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में विराजे रणतभंवर के लाड़ले त्रिनेत्र गणेश के मेले की बात ही कुछ निराली है। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। कहाँ जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। .

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दाल बाटी चूरमा

दाल बाटी चूरमा एक राजस्थानी व्यंजन है। बाटी मोटे गेहू के आटे से बनाई जाती है। चूरमा मीठे आटे का मिश्रण होता है। यह एक धार्मिक अवसरों, गोठ, विवाह समारोहों और राजस्थान में जन्मदिन पार्टियों में भी बनाई जाती है। दाल बाटी चूरमा आमतौर पर दोपहर के भोजने के समय या खाने के समय के दौरान या तो सेवा है। अधिक घी का स्वाद इसे और भी बेहतर स्वाद बना देता है। जोधपुर,जयपुर और जैसलमेर के शहर इस राजस्थानी पकवान के लिए प्रसिद्ध हैं। दाल, बाटी, चूरमा उत्तम राजस्थान विशेषता के रूप में जाना जाता है एक राजस्थानी खाना है। या अधिक मसाला राजस्थानी खाने की विशेषता है। चूरमा में एक अंतहीन विविधता है रंग जो सामग्री पर निर्भर करता है और एक आश्चर्यजनक विविधता है जिनमें से कई एक साथ परोसा जा सकता है, रोटी के साथ जो इसे फिर से गेहूं या मक्का या बाजरा से मिलकर बनाया जाता है।। .

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दक्षिण भारतीय व्यंजन

दक्षिण भारतीय व्यंजन शब्द का प्रयोग भारत के चार दक्षिणी राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पाए जाने वाले व्यंजन के लिए होता है। .

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दूध

एक गिलास दूध दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। साधारणतया दूध में ८५ प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व यानी खनिज व वसा होता है। गाय-भैंस के अलावा बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।। इकॉनोमिक टाइम्स, २२ मार्च २००९ .

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दोहद

दोहद शब्द का अर्थ 'गर्भवती की इच्छा' है। संभवत: यह संस्कृत 'दौहृद' शब्द का प्राकृत रूप है जो संस्कृत में गृहीत अन्य प्राकृत शब्दों के समान स्वीकृत हो गया है। याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार गर्भिणी स्त्री का यह प्रिय आचरण है जिसे अवश्य पूरा करना चाहिए। यदि गभिणी स्त्री की इस प्रकार की आकांक्षाएँ पूर्ण न की जाएँ, उन्हें गर्भावस्था में जिन वस्तुओं की इच्छा होती है वे न दी जाएँ तो गर्भविकृति, मरण एवं अन्यान्य दोष होते हैं। सुश्रुत (शरीरस्थान) में 'दोहद' का विषयविवेचन इस प्रकार है - स्त्रियों के गर्भवती होने से चौथे महीने में गर्भ के अंग प्रत्यंग और चैतन्य शक्ति का विकास होता है तथा चेतना का आधार हृदय भी इसी महीने में उत्पन्न होता है। इसी समय इंद्रियों को कुछ न कुछ विषयभोग करने की इच्छा होती है। इसे अभिलाषपूरण अर्थात् ईपिसत वस्तु देना कहते हैं। इस काल में स्त्रियों का देह दो हृदयवाला अर्थात् एक अपना और दूसरा गर्भस्थ संतान का होता है। अत: इस तात्कालिक अभिलाषा को 'दोहद' कहते हैं। उनकी यह अभिलाषा अगर पूर्ण न की जाए तो गर्भस्थ संतान कुब्ज, कूणि, खंज, जड़, वामन, विकृताक्ष, अथवा अंध होती है तथा अन्यान्य गर्भपीड़ा की आशकों बनी रहती है। ईप्सित दोहद की पूर्ति होने पर गर्भिणी की संतान बलवान्, गुणवान् एवं दीर्घजीवी होती है। नहीं तो गर्भ के विषय में अथवा स्वयं गर्भिणी के लिए डर बना रहता है। विभिन्न इंद्रियों और वस्तुओं के आधार पर दोहद का विवेचन करते हुए कहा है कि गर्भिणी की जिस इंद्रिय की अभिलाषा पूरी नहीं होती, भावी संतान को भी अपने जीवन में उसी इंद्रिय की पीड़ा उत्पन्न होती है। गर्भिणी को यदि राजदर्शन की इच्छा हो तो संतान सुंदर और अलंकारप्रिय; आश्रयदर्शन की इच्छा हो तो धर्मशील और संयतात्मा; देवप्रतिमादर्शन की इच्छा हो तो संतान देवतुल्य; सर्पादि व्यालजातीय जंतु देखने की इच्छा हो तो हिंसांशील; गोह का मांस खाने की इच्छा हो तो शूर, रक्ताक्ष और लोमश अर्थात् अधिक रोएँवाला; हरिण का मांस खाने की इच्छा हो तो बनचर; वाराह का मांस खाने की इच्छा हो तो बनचर; वाराह का मांस खाने की इच्छा हो तो निहाल और शूर, सृप का मांस खाने की इच्छा हो तो उद्विग्न तथा तीतर का मांस खाने की इच्छा हो तो संतान भीरु होती है। इनके अतिरिक्त यदि अन्य जंतु का मांस खाने की इच्छा हो, तो वह जंतु जिस स्वभाव और आचरण का होगा, संतान भी उसी स्वभाव और आचरण की होगी, अत: गर्भिणी की अभिलाषा को अवश्य ही पूरा करना चाहिए। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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पतंजलि आयुर्वेद

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड भारत प्रांत के उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित आधुनिक उपकरणों वाली एक औद्योगिक इकाई है। इस औद्योगिक इकाई की स्थापना शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण खनिज और हर्बल उत्पादों के निर्माण हेतु की गयी है। .

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पनीर

पनीर पनीर (Indian cottage cheese) एक दुग्ध-उत्पाद है। यह चीज़ (cheese) का एक प्रकार है जो भारतीय उपमहाद्वीप में खूब उपयोग किया जाता है। इसी तरह छेना भी एक विशेष प्रकार का भारतीय चीज़ है जो पनीर से मिलता-जुलता है और रसगुल्ला बनाने में प्रयुक्त होता है। भारत में पनीर का प्रयोग सीमित मात्रा में ही होता है। कश्मीर आदि जैसे ठंढे प्रदेशों में अपेक्षाकृत अधिक पनीर खाया जाता है। .

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पाव भाजी

स्वादिष्ट पाव भाजी पाव भाजी एक प्रमुख पश्चिम भारतीय नाश्ता हैं। महाराष्ट्र में इस नाश्ते का काफी प्रचलन हैं खासकर के मुंबई की पाव भाजी विश्व प्रसिद्ध है। पाव भाजी शब्द मराठी भाषा के पाव और भाजी से बना है। पाव एक प्रकार की डबल रोटी होती है और भाजी कई सब्जिया जैसे टमाटर, फूल गोभी,शिमला मिर्च आदि को घी अथवा मक्खन में पका कर बनाई जाती है। पाव शब्द की उत्पत्ती पुर्तगाली शब्द पाओ (pão) से मानी जाती है। श्रेणी:भारतीय खाना श्रेणी:खान पान श्रेणी:अल्पाहार.

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पिण्ड

पिण्ड चावल और जौ के आटे, काले तिल तथा घी से निर्मित गोल आकार के होते हैं जो अन्त्येष्टि में तथा श्राद्ध में पितरों को अर्पित किये जाते हैं। .

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पितृमेध

पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है। यह प्रत्एक हिंदू के लिए आवश्यक है। केवल संन्यासी-महात्माओं के लिए—निरग्रि होने के कारण शरीर छूट जाने पर भूमिसमाधि या जलसमाधि आदि देने का विधान है। कहीं-कहीं संन्यासी का भी दाह-संस्कार किया जाता है और उसमें कोई दोष नहीं माना जाता है। .

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पंचामृत

दूध, दही, मधु, घृत और गन्ने के रस से बने द्रव्य को ही पंचामृत कहा जाता है। भारत के कई घरों में पूजा-पाठ के समय इसे भगवान को अर्पित कर पीया जाता है। दीपावली आदि प्रमुख त्योहारों के दिन इसका विशेष महत्त्व है, उस दिन मंदिरों मे यह भगवान को अर्पित कर प्रशाद के रूप में सबको वितरित किया जाता है। .

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पंचगव्य

गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे औषधि की मान्यता है। हिन्दुओं के कोई भी मांगलिक कार्य इनके बिना पूरे नहीं होते। .

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पंजीरी

पंजीरी कई तरह की चीजों और मसालों को भूनकर बनाया जाने वाला एक प्रकार का मीठा चूर्ण जो खाये जाने में काम आता है। जैसे—सत्यनारायण की पूजा के लिए बनानेवाली पँजीरी; प्रसूता अथवा दुर्बलों को खिलाने के लिए बनाई जानेवाली पौष्टिक पँजीरी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आटे से बनी पंजीरी को 'मनभोग' कहते हैं। धनिये से बनी पंजीरी को ही प्राय: पंजीरी कहा जाता है जो मुख्यत: कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। .

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प्रक्रम

किसी काम को पूरा करने के लिये कई छोटे-छोटे कार्यों को एक निश्चित क्रम में करना होता है। इसे ही प्रक्रम (Process) कहते हैं और इस क्रिया को प्रक्रमण (processing) कहते हैं। उदाहरण के लिये दूध से घी बनाने में एक के बाद एक कई काम क्रम से करने पड़ते हैं। .

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पूड़ी

पूरी या वास्तविक नाम पूड़ी (बहुवचन: पूड़ियाँ) एक एशियाई अखमीरी रोटी है जिसे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत दक्षिण एशिया के कई देशों में नाश्ते या हल्के भोजन के रूप में खाया जाता है। पुड़ी को सबसे अधिक नाश्ते में परोसा जाता है, इसके अतिरिक्त यह विशेष या औपचारिक समारोहों में परोसी जाती है। कभी कभी प्रसाद के रूप में भी पूड़ियाँ बाँटी जाती हैं। जॉर्जियाई भाषा में रोटी को पूड़ी कहा जाता है। .

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बालूशाही

बालूशाही (उर्दू: بالوشاھی) एक प्रकार का पकवान है जो मैदा तथा चीनी से बनाया जाता है। बालूशाही मैदा आटे से बनती है और गहरे घी में तली जाती है। तत्पश्चात् उसे चीनी के सिरप में डुबाया जाता है। श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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बिहारशरीफ

बिहारशरीफ बिहार के नालंदा जिले का मुख्यालय है। .

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महिदपुर

महिदपुर उज्जैन जिले की एक नगरपालिका है। महिदपुर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन जिल्ले में एक नगर और नगरपालिका हैं। आधुनिक शहर महिदापुर शिपा नदी के किनारे में स्थित हैं। यह मालवा स्केत्र में स्थित हैं। वर्तमान मे, शहर जिला उज्जैन का तहसील स्थान है। महिदपुर और महिदपुर रोड कृषि उत्पाद के लिये प्रसिद्ध है- घी, मावा(मोटा दूध) और नमकीन। यह मार्ग सड़क पर उज्जैन (जोरा के माध्यम से), नागदा और अगार शहर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिस पर मार्ग पर अक्सर बसें चलती है। इस शहर में कई कोलकोलिथिक अवशेष खोदा गया है। इस शहर में मराठों और अग्रेंजों के बीच महिदपुर की लड़ाई लड़ा गई थी। नतीजा यह था कि मंडेशर की संधि और मालवा की शांति। १८ वीं शाताब्दी में यहाँ आयोजित हुए गायक का आयोजन उज्जैन में एक लाइलाज डिलीज फैल गया था। .

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मैसूर पाक

मैसूर पाक (कन्नड़: ಮೈಸೂರು ಪಾಕ್), कर्नाटक का एक मीठा व्यंजन है, जिसे बहुत सारे घी, बेसन, मेवा व चीनी से बनाया जाता है। मूल रूप से इसे मसूर (दाल) पाक कहा जाता था और इसे मसूर की दाल से तैयार बेसन से बनाया जाता था। इसके नाम का उद्गम संभवत: इसी मसूर दाल और पाक (किसी खाद्य वस्तु को चीनी की चाशनी में पका पर उस पर चीनी की परत चढ़ाना) से हुआ है। .

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मोयन

कोई विवरण नहीं।

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रागी

रागी या मड़ुआ अफ्रीका और एशिया के सूखे क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक मोटा अन्न है। यह एक वर्ष में पक कर तैयार हो जाता है। यह मूल रूप से इथियोपिया के उच्च इलाकों का पौधा है जिसे भारत में कोई चार हजार साल पहले लाया गया। ऊँचे इलाकों में अनुकूलित होने में यह काफी समर्थ है। हिमालय में यह २,३०० मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता है। .

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लूची

यदि पूड़ी आटे के स्थान पर मैदे से बनाई जाये तो यह लूची कहलाती है। लूची विशेष रूप से पूर्व में स्थित भारतीय राज्यों जैसे कि पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा और ओसाम में प्रचलित है। इसे बनाने के लिए मैदे में घी का मोयन मिलाकर पानी अथवा दूध में गूंधा जाता है और फिर इसे घी या तेल में तल लिया जाता है। इसे अक्सर तरी वाली सब्जियों के साथ परोसा जाता है। .

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शाही पनीर

शाही पनीर एक उत्तर भारतीय व्यंजन है जो पनीर से बनता है। .

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शीर ख़ुर्मा

शीर ख़ुर्मा या शीर खोरमा (फ़ारसी / उर्दू - شیر خرما) फारसी में "सेवियों के साथ दूध", ईद उल-फ़ित्र और ईद अल-अज़हा के दिन अफ़गानिस्तान में मुस्लिमों द्वारा तैयार एक सेवियों का पकवान (व्यंजन) है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में यह एक पारंपरिक मुस्लिम त्यौहार का नाश्ता, और समारोह के लिए मिठाई है। यह पकवान सूखे खजूरों से बना है। ईद की नमाज़ के बाद परिवार में नाश्ते के दौरान सभी अतिथि मेहमानों के लिए यह विशेष पकवान परोसा जाता है। यह दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में बहुत लोकप्रिय है। .

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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .

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सोमवार व्रत कथा

यह उपवास सप्ताह के प्रथम दिवस सोमवार को रखा जाता है। यह व्रत सोम यानि चंद्र या शिवजी के लिये रखा जाता है। .

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सोहन पापड़ी

सोहन पापड़ी या सोम पापड़ी या सोहन हलवा या पतीशा एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है। इनके अलावा यह बांग्लादेश और पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है। यह आकार में वर्गाकार है और कुरकुरा और परतदार बनावट की होती है। .

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हलवा

पिस्ता के साथ बाल्कन शैली में ताहिनी आधारित हलवा हलवा (या हलावा, हलेवेह, हेलवा, हलवाह, हालवा, हेलावा, हेलवा, हलवा, अलुवा, चालवा, चलवा) कई प्रकार की घनी, मीठी मिठाई को संदर्भित करता है, जिसे पूरे मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का सींग, बाल्कन, पूर्वी यूरोप, माल्टा और यहूदी जगत में खाने के लिए पेश किया जाता है। शब्द हलवा (अरबी हलवा حلوى से) का प्रयोग दो प्रकार की मिठाई के वर्णन के लिए किया जाता है.

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हाइड्रोजनीकरण

हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation) का अभिप्राय केवल असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों से हाइड्रोजन की क्रिया द्वारा संतृप्त यौगिकों के प्राप्त करने से है। उदाहरण के लिये, हाइड्रोजनीकरण द्वारा एथिलीन अथवा ऐंसेटिलीन से एथेन प्राप्त किया जाता है। मैलिक अम्ल (maleic acid) में हाइड्रोजन के योग से सक्सीनिक अम्ल (succinic acid) का निर्माण हाइड्रोजनीकरण का अच्छा उदाहरण है: center .

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हिलसा, बिहार

हिलसा (Hilsa, ہِلسا) भारत के बिहार राज्य स्थित नालंदा जिले के अंतर्गत एक अनुमंडल है। यह बिहार की राजधानी पटना के लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह अनेक स्वाधीनता सेनानीयों की जन्मभूमि और भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौर में एक प्रमुख केंद्र रहा है। .

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हवन

हवन अथवा यज्ञ भारतीय परंपरा अथवा हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। कुण्ड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट हवि पहुँचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है (जो अग्नि में डाले जाते हैं).

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जीवक

जीवक कौमारभच्च प्राचीन भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे। अनेक बौद्ध ग्रन्थों में उनके चिकित्सा-ज्ञान की व्यापक प्रशंसा मिलती है। वे बालरोगविशेषज्ञ थे। वे महात्मा बुद्ध के निजी वैद्य थे। वे बिम्बसार के शासनकाल में मगध की राजधानी, वर्तमान राजगीर) में एक गणिका के पुत्र के रूप में जन्मे थे। जन्म के पश्चात लोक लाज से बचाने हेतु उन्हें एक कूड़े के ढेर पर फेंक दिया गया था। सौभाग्य से उस पर सम्राट बिम्बिसार के पुत्र कुमार अभय की दृष्टि पड़ गई। कुमार ने उसके जीवन की रक्षा की तथा अपनी देख रेख में उसके भरण–पोषण का प्रबन्ध कर दिया। राजगृह में शिक्षा पूर्ण करने के बाद कुमार ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए तक्षशिला भेज दिया। वहाँ वे सात वर्ष तक चिकित्सा शास्त्र का सफलता पूर्वक अध्ययन किया। वे अत्रेय के शिष्य थे। .

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वसा

lipid एक ट्राईग्लीसराइड अणु वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसकी संतुलित मात्रा लेना ही लाभदायक है। .

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खाजा

खाजा एक प्रकार का पकवान है जो मुख्यतः मैदा, चीनी, घी या डालडा से बनाया जाता है। यह पूर्वी भारत के बिहार, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय है। ये सभी क्षेत्र एक समय मौर्य साम्राज्य के अंग थे। कहा जाता है कि दो हजार वर्ष पूर्व भी इन क्षेत्रों के उपजाऊ इलाकों में खाजा बनाया जाता था। सिलाव तथा राजगीर दो ऐसे स्थान है, जहां का खाजा अन्य के मुकाबले बेहतर समझा जाता है। बिहार तथा पड़ोसी राज्यों से होते हुए खाजा अब अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो गया है। आंध्र प्रदेश के काकिनाड़ा का खाजा, स्तानीय रूप से प्रसिद्ध है। .

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ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

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ओड़िया लोग

ओश़िया संस्कृति तथा सौन्दर्य ओडीसा के लोग बहुत मिलजुलकर रहते हैं। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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आयुर्वेद

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .

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आयुर्वेद में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ तथा खनिज

आयुर्वेद की औषधियाँ मुख्यतः जड़ी-बूटियों में खनिज मिलाकर बनायी जाती हैं। कभी-कभार इनमें पशुओं से प्राप्त वस्तुएँ भी मिलायी जाती हैं। आयुर्वेदिक औषधियाँ निम्नांकित प्रकार की होती हैं -.

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आहार वसा

वह पशु अथवा वनस्पति वसा जिसका प्रयोग खाने के लिए किया जाता है आहार वसा कहलाती है। किसी तेल के विपरीत, कमरे के तापमान पर आहार वसा अर्धठोस अवस्था में रहती है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि वसा शब्द का प्रयोग अमूमन तेल और आहार वसा दोनो के लिए ही किया जाता है। आहार वसा के उदाहरण हैं मक्खन, घी, चर्बी और मार्जरीन। सन् 1827 में विलियम प्राउट ने वसा को प्रोटीन और शर्करा के साथ संतुलित आहार के एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व के रूप में मान्यता का प्रदान की थी। .

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इमरती

इमरती एक प्रकार का मीठा पकवान है जो उर्द की दाल के घोल और चीनी की चाशनी से बनाया जाता है। इमरती या झंग्री एक प्रकार की स्वादिष्ट मिठाई हैं जो भारत एवं इसके आस पास के देशों में मुग़ल रसोइयों द्वारा लायी गयी थी। यह उरद दाल के पिसी गयी मिश्रण को तेल में तलकर बनाई जाती हैं। इसका आकर गोल एवं फूलों की तरह होता हैं। तलने के बाद इसे चीनी के चासनी में डाला जाता है। इस व्यंजन को जलेबी भी कुछ लोग गलती से समझ लेते हैं, जो आकार में इससे थोड़ी पतली एवं इमारती से एवं ज्यादा मीठी होती हैं। इमरती उड़द के आटे की घोल से बनाया जाता हैं एवं इसे बोलचाल की भाषा जलेबी परपू (दाल) भी कहा जाता हैं चीनी की चाशनी एवं केशर इसमें रंग लाने के लिए मिलाया जाता है। .

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कर्ण

जावानी रंगमंच में कर्ण। कर्ण महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थी। कर्ण का जन्म कुन्ती का पाण्डु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा। वह सूर्य पुत्र था। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों न पड़ गए हों। कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था। तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही। कर्ण की छवि द्रौपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण धूमिल भी हुई थी लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। .

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काजू कतली

काजू कतली एक प्रकार का पकवान है जो काजू और चीनी से बनाया जाता है। यह मुख्य रूप से काजू के टुकड़ों से बनाई जाती है। साथ ही यह मुख्य रूप से त्योहारों में खासतौर से बनाई जाती है। .

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कुद का पतीसा

कुद, भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में ऊधमपुर जिले में एक छोटा शहर है। यहाँ का पतीसा काफ़ी मशहूर है। इसकी शोहरत जम्मू से ले कर चंडीगढ़ तक फैली हुई है। स्वाद में यह सोहन पापड़ी जैसा ही होता है पर घी अधिक होने के कारण इसमें रोएँ कम होते हैं। अक्सर लोगबाग दीवाली के बाद जम्मू आदि से लौटने पर अपने साथियों के लिए कुद का पतीसा ले के आते हैं। इसके लिए साथी काफ़ी दुआ देते हैं। श्रेणी:मिठाई.

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कुपोषण

अतिशय कुपोषण से ग्रसित एक बालक शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियाँ होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है। .

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अमूल

आनंद में अमूल का कारखाना अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है जिसका मूल आणंद (गुजरात) में है। यह एक ब्रान्ड नाम है जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है। गुजरात के लगभग २६ लाख दुग्ध उत्पाद दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के अंशधारी (मालिक) हैं। अमूल, संस्कृत के अमूल्य का अपभ्रंश है; अमूल्य का अर्थ है- जिसका मूल्य न लगाया जा सके। अमूल, गुजरात के आणंद मेम स्थित है। यह किसी सहकारी आन्दोलन की दीर्घ अवधि में सफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। यह विकासशील देशों में सहकारी उपलब्धि के श्रेष्ठतम उघरणों में से एक है। अमूल ने भारत में श्वेत क्रान्ति की नींव रखी जिससे भारत संसार का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। अमूल ने ग्रामीण विकास का एक सम्यक मॉडल प्रस्तुत किया है। अमूल (आणंद सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ), की स्थापना १४ दिसंबर, १९४६ मे एक डेयरी यानि दुग्ध उत्पाद के सहकारी आंदोलन के रूप में हुई थी। जो जल्द ही घर घर मे स्थापित एक ब्रांड बन गया जिसे गुजरात सहकारी दुग्ध वितरण संघ के द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया। अमूल के प्रमुख उत्पाद हैं: दूध, दूध के पाउडर, मक्खन (बटर), घी, चीज, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइस क्रीम, पनीर, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि। .

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अग्निहोत्र

ब्राह्मण पुरोहित यज्ञ वेदी में घी का हवन करते हुए. अग्निहोत्र एक वैदिक यज्ञ है जिसका वर्णन यजुर्वेद में मिलता है। अग्निहोत्र एक नित्य वैदिक यज्ञ है। श्रेणी:यजुर्वेद.

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छाछ

छाछ, मट्ठा या तक्र (Buttermilk) एक पेय है जो दही से बनता है। मूलत: दही को मथनी से मथकर घी निकालने के बाद बचे हुए द्रव को छाछ कहते थे। आजकल दूध के किण्वन से बने हुए अनेक पेय भी छाछ की श्रेणी में गिने जाते हैं। ये पेय गरम जलवायु वाले देशों (जैसे भारत) में बहुत लोकप्रिय हैं। आयुर्वेद में तक्र को बहुत उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद के एक आचार्य का कथन है- भोजनान्ते पिबेत्‌ तक्रं, दिनांते च पिबेत्‌ पय:। निशांते पिबेत्‌ वारि: दोषो जायते कदाचन:। यानी भोजन के बाद छाछ, दिनांत यानी शाम को दूध, निशांत यानी सुबह पानी पीने वाले के शरीर में कभी किसी तरह का दोष या रोग नहीं होता। इसलिए भोजन के बाद मट्‌ठा पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है। .

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छौंक

छौंक लगाने की तैयारी छौंक जिसे तड़का (पश्चिमी भाग) या बघार (दक्षिणी भाग) भी कहते हैं, मुख्यत: भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में विभिन्न व्यंजनों को पकाने में प्रयोग की जाने वाली एक विधि है। छौंक लगाने में घी या तेल को गर्म कर उसमें खड़े मसाले (अथवा पिसे मसाले भी) डाले जाते हैं ताकि उनमें समाहित सुगंधित तेल उनकी कोशिकाओं से निकल कर, उस व्यंजन जिसमें इन मसालों को मिलाया जाना है, को, उसका वो खास स्वाद प्रदान कर सकें। छौंक को किसी व्यंजन की शुरुआत या फिर अंत में मिलाया जा सकता है। शुरुआत मे लगे छौंक में अमूमन खड़े मसालों के साथ साथ पिसे मसाले और नमक भी मिलाया जाता है जबकि अंत में लगे छौंक में अक्सर खड़े मसाले ही डाले जाते हैं। शुरुआत में लगा छौंक अक्सर सब्जी पकाने में प्रयोग किया जाता है, जबकि दाल, सांबर आदि व्यंजनों में इसे अंत में मिलाया जाता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

देशी घी, घृत

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