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घासभूमि

सूची घासभूमि

घासभूमि या विहारभूमि या चमनज़ार ऐसे विस्तृत क्षेत्र को कहते हैं जहाँ दूर-दूर तक घास और छोटे झाड़ फैले हुए हों। ऐसी जगहों पर जहाँ-तहाँ वृक्ष भी हो सकते हैं लेकिन भूमि के अधिकतर हिस्से पर घास ही बिछी हुई होती है। अंटार्कटिका को छोड़कर घासभूमियाँ हर महाद्वीप पर पाई जाती हैं और अक्सर स्थानीय नामों से जानी जाती हैं। दक्षिणी अफ़्रीका में इसे 'वॅल्ड', उप-सहारवी अफ़्रीका में 'सवाना', यूरोप व एशिया में 'स्तेपी', उत्तर अमेरिका में 'प्रेरी' और दक्षिण अमेरिका में 'पाम्पास' के नाम से जाना जाता है।, Buffy Silverman, pp.

15 संबंधों: चीता, पूर्वजगत बंदर, फौंगपुई, फीया, मर्ग, यूरेशियाई स्तेपी, रुआण्डा, सहेल, सुम्बावा, सीरियाई मरुस्थल, खट्टा पालक, ऑस्ट्रेलिया, क्षुपभूमि, कृषि, उव्स प्रांत

चीता

बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)। ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में १२० कि॰मी॰ प्रति घंटे ऑलदो एकोर्डिंग टू चीता, ल्यूक हंटर और डेव हम्मन (स्ट्रुइक प्रकाशक, 2003), pp.

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पूर्वजगत बंदर

पूर्वजगत बंदर (Old World monkey) एशिया और अफ़्रीका के महाद्वीपों पर मिलने वाले बंदरों का जीववैज्ञानिक कुल है। इसमें वर्षावनों, सवाना घासभूमि और अन्य स्थानों पर रहने वाले कई बंदर आते हैं। यूरोप में भी इस कुल के बंदरों के जीवाश्म (फ़ॉसिल) मिले हैं और जिब्राल्टर पर भी कुछ बंदरों की टोलियाँ अस्तित्व में हैं हालांकि यह शायद अन्य जगहों से लाई गई हो। जीववैज्ञानिक नाम से पूर्वजगत बंदरों के कुल को सेर्कोपिथेसिडाए (Cercopithecidae) बुलाया जाता है। ध्यान दे कि केवल पूर्वजगत के बंदर ही इस कुल में आते है। नवजगत (मसलन दक्षिण अमेरिका) के बंदरों का कुल अलग है। .

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फौंगपुई

फौंगपुई (Phawngpui), जिसे नीला पर्वत भी कहते हैं, पूर्वोत्तर भारत की लुशाई पर्वतमाला का और मिज़ोरम राज्य का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह २,१५७ मीटर ऊँचा है और दक्षिणपूर्वी मिज़ोरम में बर्मा की सरहद के पास स्थित है। यह पूरा क्षेत्र फौंगपुई राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत एक संरक्षित क्षेत्र है। फौंगपुई मिज़ोरम के लॉन्गतलाई ज़िले में स्थित है। .

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फीया

फीया या मारमोट (marmot) एक प्रकार की बड़ी गिलहरी होती है। इसकी १५ जातियाँ ज्ञात हैं जो सभी मारमोटा (marmota) जीववैज्ञानिक गण में आती हैं। कुछ जातियाँ पहाड़ी क्षेत्रों में रहती हैं, जैसे कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय, लद्दाख़ और देओसाई पठार; तिब्बत; यूरोप के ऐल्प्स पर्वत, कारपैथी पर्वत, पिरिनी पर्वत और अन्य क्षेत्र; उत्तर अमेरिका के रॉकी पर्वत, कास्केड पर्वत और अन्य क्षेत्र, इत्यादि। कुछ जातियाँ घासभूमि पसंद करती हैं और उत्तर अमेरिका की प्रेरी घासभूमि और एशिया व यूरोप की स्तेपी घासभूमि में निवास करती हैं। ध्यान दें कि उत्तर अमेरिका में मिलने वाला प्रेरी डॉग (prairie dog) देखने में इस से मिलता जुलता है लेकिन वह मारमोटा गण में शामिल नहीं और जीववैज्ञानिक दृष्टि से फीया नहीं माना जाता। .

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मर्ग

हिमाचल प्रदेश में खज्जियार मर्ग स्विट्ज़रलैंड में ऐल्प पर्वतों में एक मर्ग मर्ग या केदार या चारागाह ऐसे मैदान को कहते हैं जिसमें वृक्षों की बजाए घास व अन्य छोटे पौधे ही उग रहें हों। इसमें अक्सर मवेशी चराए जाते हैं।, Ricky Evans, Karen Evans, pp.

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यूरेशियाई स्तेपी

यूरेशियाई स्तेपी (Eurasian Steppe), जो महान स्तेपी भी कहलाती है, यूरेशिया के समशीतोष्ण कटिबन्ध क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल स्तेपी घासभूमि और क्षुपभूमि क्षेत्र है। यह पश्चिम में पूर्वी यूरोप के मोल्दोवा देश से आरम्भ होकर युक्रेन, रूस, कज़ाख़स्तान, शिंजियांग और मंगोलिया से गुज़रता हुआ पूर्वी एशिया के मंचूरिया क्षेत्र तक फैला हुआ है। पूर्वी यूरोप के हंगरी देश में इसका एक अलग हुआ भाग भी है, जो पुस्ता कहलाता है। .

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रुआण्डा

रुआण्डा (Rwanda) मध्य-पूर्व अफ़्रीका में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल लगभग २६ हज़ार वर्ग किमी है, जो भारत के केरल राज्य से भी छोटा है। यह अफ़्रीका महाद्वीप की मुख्यभूमि पर स्थित सबसे छोटे देशों में से एक है। रुआण्डा पृथ्वी की भूमध्य रेखा (इक्वेटर) से ज़रा दक्षिण में स्थित है और महान अफ़्रीकी झीलों के क्षेत्र का भाग है। इसके पश्चिम में पहाड़ियाँ और पूर्व में घासभूमि है। .

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सहेल

सहेल क्षेत्र साहेल या सहेल पट्टी अफ़्रीका के पश्चिम से पुर्व तक फ़ैला एक क्षेत्र है जो सहारा के रेगिस्तान को दक्षिण के घास के मैदानो से पृथक करता है। सहेल पट्टी की लंबाई ३,८६२ किलोमीटर है और यह अटलांटिक महासागर से लेकर लाल सागर तक फ़ैली हुई है। इस पट्टी की चोड़ाई कुछ सौ किलोमीटर से लेकर हजारों किलोमीटर तक है। सहेल पट्टी सेनेगल, मॉरीतानिया, माली, बुर्किना फासो, नाइजर, नाईजीरिया, चाड, सूडान और इरीट्रिया में फ़ैली हुई है। .

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सुम्बावा

सुम्बावा इण्डोनेशिया के लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह के बीच में स्थित एक द्वीप है। इसके पश्चिम में लोम्बोक द्वीप, पूर्व में फ़्लोरेस द्वीप और दक्षिण में सुम्बा द्वीप है। प्रशासनिक रूप से यह पश्चिम नुसा तेंगारा प्रान्त का भाग है, हालांकि इसे स्वयं एक अलग प्रान्त बनाने का प्रस्ताव सक्रीय है। यह द्वीप शहद उत्पादन, संदल की लकड़ी और सप्पान (जिससे लाल रंग बनता है) के लिए जाना जाता है। द्वीप का बड़ा भाग घासभूमि है जिसपर मवेशी चराये जाते हैं और जहाँ की स्थानीय हिरण आबादी का शिकार भी करा जाता है। .

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सीरियाई मरुस्थल

सीरियाई मरुस्थल (Syrian Desert, अरबी: بادية الشام, बादियत अस-शाम) मध्यपूर्व में स्थित एक 500,000 वर्ग किमी पर फैला हुआ घासभूमि और रेगिस्तान का एक विस्तार है। यह दक्षिणपूर्वी सीरिया, पूर्वोत्तरी जॉर्डन, उत्तरी साउदी अरब और पश्चिमी इराक़ में फैला हुआ है। दक्षिण में यह अरबी रेगिस्तान से जाकर मिल जाता है। इसका अधिकतर भाग एक शुष्क कंकड़-बजरी वाला मैदान है जिसमें जहाँ-तहाँ वादियाँ मिलती हैं। .

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खट्टा पालक

खट्टा पालक (अंग्रेज़ी: common sorrel, garden sorrel), जिसे कभी-कभी खट्टा साग भी कहा जाता है, एक छोटे आकार की हरे पत्तों वाली वनस्पति जाति है जो सरसरी रूप से पालक जैसी दिखती है। यह विश्व की कई घासभूमियों व अन्य स्थानों में जंगली उगती है लेकिन इसे खाने के लिए भी उगाया जाता है। इसका स्वाद पालक से अलग और ज़रा खट्टा व तीखा होता है जिसका कारण इसके पत्तों में उपस्थित ऑक्सैलिक अम्ल होता है। बहुत बड़ी मात्रा में खाने पर इसके प्रभाव विषैले भी हो सकते हैं। कई कीट-शिशु इसके पत्तों को खाते हैं। .

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ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया, सरकारी तौर पर ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल दक्षिणी गोलार्द्ध के महाद्वीप के अर्न्तगत एक देश है जो दुनिया का सबसे छोटा महाद्वीप भी है और दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप भी, जिसमे तस्मानिया और कई अन्य द्वीप हिंद और प्रशांत महासागर में है। ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ऐसी जगह है जिसे एक ही साथ महाद्वीप, एक राष्ट्र और एक द्वीप माना जाता है। पड़ोसी देश उत्तर में इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और पापुआ न्यू गिनी, उत्तर पूर्व में सोलोमन द्वीप, वानुअतु और न्यू कैलेडोनिया और दक्षिणपूर्व में न्यूजीलैंड है। 18वी सदी के आदिकाल में जब यूरोपियन अवस्थापन प्रारंभ हुआ था उसके भी लगभग 40 हज़ार वर्ष पहले, ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप और तस्मानिया की खोज अलग-अलग देशो के करीब 250 स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाईयो ने की थी। तत्कालिक उत्तर से मछुआरो के छिटपुट भ्रमण और होलैंडवासियो (Dutch) द्वारा 1606, में यूरोप की खोज के बाद,1770 में ऑस्ट्रेलिया के अर्द्वपूर्वी भाग पर अंग्रेजों (British) का कब्ज़ा हो गया और 26 जनवरी 1788 में इसका निपटारा "देश निकला" दण्डस्वरुप बने न्यू साउथ वेल्स नगर के रूप में हुआ। इन वर्षों में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई और महाद्वीप का पता चला,19वी सदी के दौरान दूसरे पांच बड़े स्वयं-शासित शीर्ष नगर की स्थापना की गई। 1 जनवरी 1901 को, छ: नगर महासंघ हो गए और ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रमंडल का गठन हुआ। महासंघ के समय से लेकर ऑस्ट्रेलिया ने एक स्थायी उदार प्रजातांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था का निर्वहन किया और प्रभुता संपन्न राष्ट्र बना रहा। जनसंख्या 21.7मिलियन (दस लाख) से थोडा ही ऊपर है, साथ ही लगभग 60% जनसंख्या मुख्य राज्यों सिडनी,मेलबर्न,ब्रिस्बेन,पर्थ और एडिलेड में केन्द्रित है। राष्ट्र की राजधानी केनबर्रा है जो ऑस्ट्रेलियाई प्रधान प्रदेश (ACT) में अवस्थित है। प्रौद्योगिक रूप से उन्नत और औद्योगिक ऑस्ट्रेलिया एक समृद्ध बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है और इसका कई राष्ट्रों की तुलना में इन क्षत्रों में प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है जैसे स्वास्थ्य, आयु संभाव्यता, जीवन-स्तर, मानव विकास, जन शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता और मूलभूत अधिकारों की रक्षा और राजनैतिक अधिकार.

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क्षुपभूमि

क्षुपभूमि (scrubland) किसी ऐसे भूक्षेत्र को कहा जाता है जहाँ के वनस्पतियों में क्षुपों (यानि झाड़ियों) प्रधान हो। अक्सर ऐसे इलाक़ों में घास, बूटियाँ और जड़प्रधान पौधे (जिनकी जड़ें में ऊर्जा जमा करी जाने से वह मोटी हो जाती हैं, मसलन अदरक) भी विस्तृत होते हैं। क्षुपभूमि प्राकृतिक होती है या फिर मानवीय गतिविधियों के कारण भी बन सकती है। कभी-कभी वन में आग लगने के कारण वृक्ष जल जाते हैं और कुछ वर्षों के काल के लिये यहाँ क्षुप ही फैले हुए होते हैं जिसके बाद धीरे-धीरे पेड़ों के बढ़ने से यह फिर से क्षुपभूमि से परिवर्तित होकर वन बन जाती है। अगर समय-समय पर प्राकृतिक कारणों से अग्नि का प्रकोप हो तो ऐसे स्थान स्थायी रूप से भी क्षुपभूमि बने रह सकते हैं। .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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उव्स प्रांत

उव्स (मंगोल: Увс; अंग्रेज़ी: Uvs) मंगोलिया के पश्चिमोत्तर में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इस प्रांत की राजधानी उलानगोम (Улаангом, Ulaangom) शहर है। उव्स प्रांत का नाम मंगोलिया की सबसे बड़ी झील, उव्स झील, पर रखा गया है जो इस राज्य में आती है। इस प्रांत की उत्तरी सीमा रूस से लगती है और इसका क्षेत्र स्तेपी घासभूमि, गोबी रेगिस्तान और पर्वतीय क्षेत्र का मिश्रण है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

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घासभूमियों

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