सामग्री की तालिका
7 संबंधों: ब्रिटिश राजतंत्र, विलय के अधिनियम, १८००, ग्रेट ब्रिटेन राजशाही, आयरलैंड राजशाही, कलकत्ता का सम्मेलन, अंग्रेज शासकों की सूची, 1832 लंदन सम्मेलन।
ब्रिटिश राजतंत्र
ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं जब उन्होंने अपने पिता जॉर्ज षष्ठम् से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बाल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है। वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉंकरर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी। १३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना की। ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और ब्रिटिश राजतंत्र
विलय के अधिनियम, १८००
विलय के अधिनियम, १८०० यानि ऍक्ट्स ऑफ़ यूनियन, १८००, आयरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन की संसद द्वारा पारित दो अधिनियमों का संयुक्त नाम है, जिनके परिणामस्वरूप, १ जनवरी १८०१ से आयरलैंड राजशाही और ग्रेट ब्रिटेन राजशाही, जोकि पूर्वतः व्यक्तिगत विलय की स्थिति में थे, का पूर्णतः, एक राज्य के रूप में विलय हो गया। यह दोनों दोनों अधिनियम (संशोधनों के साथ) आज भी यूनाइटेड किंगडम में लागू है, परंतु आयरलैंड गणराज्य में इन्हें पूर्ववत कर दिया गया है। इस विलय के बाद दोनों राज्यों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना हुई, और साथ ही दोनों देशों के सांसदों का भी विलय हो गया, जिसकी राजधानी लंदन का वेस्टमिंस्टर शहर था। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और विलय के अधिनियम, १८००
ग्रेट ब्रिटेन राजशाही
ग्रेट ब्रिटेन राजशाही या ग्रेट ब्रिटेन राजतंत्र, आधिकारिक रूपसे:ग्रेट ब्रिटेन, पश्चिमी यूरोप में १ मई १७०७ से १३ दिसंबर १८०० तक विद्यमान, यूनाइटेड किंगडम का पूरक राज्य था। ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना १७०६ को अंग्रेज़ी राजशाही और स्कोटियाई राजशाही के बीच तय किये गए विलयके समझौतेका १७०७में विलय के अधिनियमों के रूपमें पारित होनेके कारण हुआ था। इन अधिनोइयमोंके कारण, पूर्व आंग्ल राजतंत्र और स्कॉट राजतंत्रका एक शासक, एक संसद तथा एक व्यवस्था के साथ, एकही राजतांत्रिक इकाईके रूपमें विलय होगया, जिसका विस्तार पूरे ग्रेट ब्रिटेन और उसके निकट के द्वीपों पर अधिपत्य था। इस राजतंत्र का अधिआसन, लंदन का वेस्टमिंस्टर शहर था। यह एक पूर्णतः एकात्मक राज्य राज्य था, और इसकी राजनीतिक व्यवस्था में स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के बीच किसी प्रकार का संघीय या महासंघिया संबंध नहीं था। इंग्लैंड और स्कॉटलैंड (और आयरलैंड) सन् १६०३ में एलिज़ाबेथ प्र॰ के देहांत पश्चात् जेम्स प्रथम की सिंघासन-उत्तराधिकृति से एक व्यक्तिगत विलय की स्थिती में थे। हालाँकि, इंग्लैंड और आयरलैंड का विलय हो गया था, परंतु आईरिस राज्य, ग्रेट ब्रिटेन का हिस्सा नहीं था, और वह एक स्वतंत्र प्रदेश था। १ जनवरी १८०१, को ग्रेट ब्रिटेन राजशाही का आयरिश राजशाही के साथ विलय होगया और ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना हुई। १९२२ में, आयरलैंड का पांच-छ्याई भाग, इस संयुक्त राजशाही से निकल गया और इस राज्य का पुनःनामकरण कर, इसका नाम ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही कर दिया गया, जोकि आज विद्यमान है। इस संयुक्त राज्य के शुरूआती वर्ष, जकॉबियाइ जागरणों से भरे थे, जो १७४६ में स्टुअर्टवंशी चार्ल्स एडवर्ड स्टुअर्ट की हार के साथ समाप्त हुए। तत्पश्चात् १७६३ में सप्तवर्षीय युद्ध में विजय ने सर्वप्रथम वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया, जोकि अगले १०० वर्षों में इतिहास के बृहत्तम् साम्राज्य के रूप में विकसित हुई। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और ग्रेट ब्रिटेन राजशाही
आयरलैंड राजशाही
आयरलैंड राजशाही(शास्त्रीय आयरिश:Ríoghacht Éireann; आधुनिक आयरिश:Ríocht Éireann), आयरलैंड द्वीप पर १५४२ से १८०० के बीच विद्यमान अंग्रेज़ी राजशाही का एक कठपुतली राज्य था। यह तब अस्तित्व में आई जब १५४२ में आयरलैंड की संसद ने क्राउन ऑफ़ आयरलैंड ऍक्ट पारित कर इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम् को आयरलैंड का राजा घोषित कर दिया। राजतंत्र घोषित होने से पहले, इस राज्य को इंग्लैण्ड रियासत की एक जागीर(लॉर्डशिप) होने का पद प्राप्त था। इस राज्य की स्थापन के प्रारंभिक वर्षों में आयरिश राजतन्त्र को अन्य यूरोपीय राज्यों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थी। हालाँकि, कुछ प्रोटोस्टेंट राज्यों ने इसे मान्यता दी थी, परंतु किसी भी कैथोलिक राज्य ने आयरलैंड को एक वाजिब राजतंत्र और इंग्लैंड के शासक को आयरिश सिंघासन का वैधिक वारिस मानने से इनकार कर दिया था। वर्ष १९५५ में पोप पॉल चतुर्थ ने रजा हेनरी की बेटी और उत्तराधिकारी, रानी मैरी प्र॰ को आयरलैंड की रानी होने की मान्यता प्रदान की। वर्ष १८०० में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की सांसदों में एक्ट्स ऑफ़ यूनियन के पारित होने के कारण इसका विलय ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ होगया, और आयरलैंड की सरकार, प्रशासन तथा राजमुकुट को ग्रेट ब्रिटेन के साथ मिला कर एक संयुक्त रियासत को स्थापित किया गया। इस संयुक्त राज्य का नाम ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही(उनिदेत किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एण्ड आयरलैंड) रखा गया, जिसमे से आयरलैंड के पांच-छ्याई भाग १९२२ में ब्रिटेन से आयरिश मुक्त राज्य के रूप में स्वतंत्र होगया। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और आयरलैंड राजशाही
कलकत्ता का सम्मेलन
कोलकाता का सम्मेलन 19 वी सदी की एक सन्धि थी जो चिंग राजवंश और वृहत् ब्रिटेन और आयरलैण्ड की संयुक्त राजशाही केबीच में। यह सन्धि तिब्बत और भारतीय के बीच की सीमाओं से संबंधित था। भारत के गवर्नर जनरल, लॉर्ड लांसडाउन और चीनी अम्बन (तिब्बत में निवासी), शेंग ताई, ने 17 मार्च 1890 को कोलकाता, भारत में हस्ताक्षर किया। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और कलकत्ता का सम्मेलन
अंग्रेज शासकों की सूची
इंग्लैण्ड रियासत में राजतंत्र की शुरुवात अल्फ्रेड महान और समाप्ति महारानी ऐन, ग्रेट ब्रिटेन की महारानी से हुई जब वो १७०७ में इंग्लैंड की राजशाही के स्कॉटलैंड की राजशाही से विलय के बाद बने ग्रेट ब्रिटेन राजशाही की महारानी बनीं। महारानी ऐन के बाद के शासकों के लिये देखें ब्रिटेन के शासक। हालांकि कुछ इतिहासकारा कुछ अन्य राजाओं को भी इंग्लैंड का पहला राजा मानने का तर्क देते हैं जो आंग्ल-सैक्सनों के राज्यों पर नियंत्रण रखने का माद्दा व चाहत रखते थे। उदाहरण के तौर पर, ओफ्फा, मर्सिया का राजा और वेसेक्स का राजा एग्बर्ट को कभी-२ प्रसिध लेखकों द्वारा इंग्लैंड के राजा के रूप में निरूपित किया जाता है। लेकिन हर इतिहासकार इससे सहमत भी नहीं हैं। आठवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में ओफ़्फा ने दक्षिणी इंग्लैंड पर आधिपत्य हासिल कर अलिया था लेकिन ये राज ७९६ ई॰ में उसकी मृत्यु के पहले ही खत्म हो गया।८२९ ई॰ में एग्बर्ट ने मर्सिया पर अधिकार कर लिया लेकिन जल्द ही इसे गँवा भी दिया। नवीं शताब्दी के अंत तक वेसेक्स सबसे प्रभावशाली आंग्ल-सैक्सन साम्राज्य था। इसका राजा अल्फ्रेड महान पश्चिमी मर्सिया का एक शक्तिशाली सामंत था। वह अपने लिये आंग्ल और सैक्सनों का राजा की उपाधि का प्रयोग करता था लेकिन उसने कभी भी पूर्वी और उत्तरी इंग्लैंड पर शासन नहीं किया। उसके बेटे एडवर्ड द एल्डर ने पूर्वी डेनलॉ पर विजय हासिल की लेकिन एडवर्ड का बेटे ऍथेल्स्तन ९२७ ई में नॉर्थम्ब्रिया पर विजय हासिल करके पूरे इंग्लैंड पर शासन करने वाला पहला राजा बना। आधुनिक इतिहासकारों ऍथेल्स्तन को ही इंग्लैंड का पहला राजा मानते हैं। वेल्स की रियासत का इंग्लैंड के साम्राज्य में रुडलैन का स्टैचुएट के अंतर्गत १२८४ में विलय कर दिया गया और १३०१ में राजा एडवर्ड प्रथम ने अपने ज्येष्ठ पुत्र, भविष्य के राजा एडवर्ड द्वितीय को वेल्स का राजकुमार के तौर पर प्रतिष्ठित किया। तभी से एडवर्ड तृतीय के अलावा अंग्रेज अधीराटों के सभी बड़े बेटों ने यह पद हासिल किया है। १६०३ ई में एलिज़ाबेथ प्रथम की निसंतान मृत्यु के बाद इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के सिंहासनों का स्कॉटलैंड का जेम्स ६ के शासन में एक निजी एकीकरण कर दिया गया। शाही ऐलान के साथ जेम्स ने स्वयं को ग्रेट ब्रिटेन का राजा घोषित कर दिया लेकिन ग्रेट ब्रिटेन जैसे किसी भी साम्राज्य का कानूनी तौर पर निर्माण १७०७ तक नहीं हुआ था। महारानी ऐन के शासन काल में १७०७ में हुए विलय के अधिनियमों के बाद इंग्लैंड कानूनी तौर पर स्कॉटलैंड के साथ जुड़ गया और इस तरह ग्रेट ब्रिटेन राजशाही का गठन हुआ। १८०१ में विलय के अधिनियम के तहत आयरलैंड राजशाही जो हेनरी द्वि॰ के समय से अंग्रेजी शासन के अधीन था ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही में शामिल हो गया और १९२२ में आयरिश मुक्त राज्य के बनने तक इसका हिस्सा रहा। चूंकि उत्तरी आयरलैंड यूके के साथ रहा इसलिये इसके बाद से इस साम्राज्य को यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉर्दर्न आयरलैंड के नाम से जानते हैं। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और अंग्रेज शासकों की सूची
1832 लंदन सम्मेलन
लंदन सम्मेलन १८३२ (London Conference of 1832) यूनान में स्थायी सरकार की स्थापना के लिए बुलाई गयी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन था। तीन महान शक्तियों (ब्रिटेन, फ़्रान्स और रूस) के मध्य इस बात पर आम सहमति बनी कि बवेरिया के राजकुमार के अधीन यूनान का राज्य स्थापित किया गया। अगले वर्ष कांस्टेंटिनोपल की संधि में इस निर्णय की पुष्टि हुई। यह संधि अक्केरमैन कन्वेंशन के पश्चात हुई जो पहले ही बाल्कन, सर्बिया राज्य की संप्रभूता जैसे प्रादेशिक समझौते करवाकर पहचान बना चुका था। .
देखें ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही और 1832 लंदन सम्मेलन
वृहत् ब्रिटेन और आयरलैण्ड की संयुक्त राजशाही के रूप में भी जाना जाता है।