लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

गोविन्द विनायक करंदीकर

सूची गोविन्द विनायक करंदीकर

मराठी के प्रसिद्ध लेखक '''गोविन्द विनायक करंदीकर''' गोविंद विनायक करंदीकर (२३ अगस्त १९१८ - १४ मार्च २०१०) मराठी के प्रसिद्ध लेखक थे। वे 'विंदा करंदीकर' के नाम से भी जाने जाते थे। मराठी भाषा के महान कवि करंदीकर को भारत के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से नवाजा गया था। वे कवि के साथ-साथ निबंधकार और आलोचक भी थे। उन्होंने महान यूनानी विद्वान अरस्तू की कविताओं को मराठी में अनुवाद किया था। करंदीकर को आधुनिक मराठी कवियों में सबसे प्रयोगधर्मी कवि माना जाता है। .

4 संबंधों: मराठी साहित्य, मराठी साहित्यकारों की सूची, साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप, ज्ञानपीठ पुरस्कार

मराठी साहित्य

मराठी साहित्य महाराष्ट्र के जीवन का अत्यंत संपन्न तथा सुदृढ़ उपांग है। .

नई!!: गोविन्द विनायक करंदीकर और मराठी साहित्य · और देखें »

मराठी साहित्यकारों की सूची

कोई विवरण नहीं।

नई!!: गोविन्द विनायक करंदीकर और मराठी साहित्यकारों की सूची · और देखें »

साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप

साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप भारत की साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया जानेवाला सर्वोच्च सम्मान है। .

नई!!: गोविन्द विनायक करंदीकर और साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप · और देखें »

ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .

नई!!: गोविन्द विनायक करंदीकर और ज्ञानपीठ पुरस्कार · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

विंदा करंदीकर, गोविंद विनायक करंदीकर

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »