सामग्री की तालिका
3 संबंधों: भागवत पुराण, ज्ञानदास, गोविन्ददास चक्रवर्ती।
भागवत पुराण
सन १५०० में लिखित एक भागवत पुराण मे यशोदा कृष्ण को स्नान कराते हुए भागवत पुराण (Bhaagwat Puraana) हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् (Shrimadbhaagwatam) या केवल भागवतम् (Bhaagwatam) भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। .
देखें गोविंददास और भागवत पुराण
ज्ञानदास
ज्ञानदास 'ब्रजबुलि' एवं बँगला दोनों भाषाओं के श्रेष्ठ कवि थे। गोविंददास कविराज के उपरांत रचनासौष्ठव के लिय इन्हीं की ख्याति है। इनके 'ब्रजबुलि' में लिखे पद्य अत्यंत सुंदर हैं। वैष्णवदास के पद-संग्रह-पंथ 'पदकल्पतरु' में लगभग 105 ब्रजबुलि के पद संगृहीत हैं जो ज्ञानदास द्वारा रचित हैं। ज्ञानदास नाम से युक्त कोई कोई पद विभिन्न पदसंग्रहां में किसी दूसरें के नाम से भी पाया जाता है। इनके बँगला भाषा में लिखे पद ब्रजबुलि के पदों की अपेक्षा अधिक सुंदर है। इन्होंने राधा-कृष्ण-लीला संबंधी पद रचे हैं। 'रूपानुराग', रसोद्गार', एवं 'माथुर' विषयों से संबंधित पदों में ज्ञानदास की कवित्वशक्ति का सुंदर निदर्शन है। इन पदों के अलावा कुछ अन्य रचनाएँ भी प्राप्त हुई हैं जिनका संबंध इनसे बताया जाता है। ज्ञानदास रचित 'बाल्य लीला' ग्रंथ भी सुकुमार भट्टाचार्य ने संपादित करके वाणीमंडप, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित किया है। अंत में इनके नाम से युक्त एक आगम निबंध भी पाया गया है जिसका नाम 'भागवततत्व लीला' अथवा 'भागवतेम्तर' है। ज्ञानदास के पदों का एक अर्वाचीन संकलन ज्ञानदास पदावली नाम से स्वर्गीय रमणीमोहन मल्लिक ने किया था। ज्ञानदास की जन्मभूमि बर्दवान जिले के उत्तर में स्थित काँदड़ाग्राम में है। जन्मतिथि सन् 1530 ईo निर्धारित की गई है। भक्तिरत्नाकर ग्रंथ में इस बात का उल्लेख है कि राढ़ देश के काँदड़ ग्राम में इनका घर था। ज्ञानदास जाति के ब्राह्मण थे। इन्होंने नित्यानंद प्रभु की पत्नी जाल्वा देवी से गुरुदीक्षा ली थी। कृष्णदास कविराज ने चैतन्यचरितामृत में इसीलिये इनका उल्लेख नित्यानंद प्रभु की शिष्यशाखा में किया है। 'नरोत्तमविलास' ग्रंथ में उल्लेख है कि ज्ञानदास करवा एवं खेदुरी के वैष्णव सम्मेलन में उपस्थित थे। ज्ञानदास ने राधा-कृष्ण-लीला-वर्णन में चंडीदास का अनुगमन किया है। .
देखें गोविंददास और ज्ञानदास
गोविन्ददास चक्रवर्ती
गोविन्ददास चक्रवर्त्ती बांग्ला के प्रसिद्ध कवि थे। ये बोराकुली ग्राम निवासी भक्त और पदकर्ता थे। ये श्रीनिवास आचार्य के शिष्य थे। गोविंददास कविराज इनके समसामयिक एवं गुरुभाई थे। गोविंददास चक्रवर्त्ती की निश्चित जन्मतिथि अज्ञात है। इनका रचनाकाल गोविंददास कविराज के ही आसपास है। भक्ति रत्नाकर ग्रंथ में इनके बारे में कहा गया है कि ये श्रीनिवास आचार्य के अतिप्रिय शिष्य थे एवं गीतल-वाद्य-विद्या में निपुण भक्तिमूर्ति थे। वैष्णवदास एवं उद्धवदास ने अपने एक एक पद में इनका उल्लेख किया है। इनके कुछ ही पद प्राप्त हैं। श्रेणी:बांग्ला कवि.
देखें गोविंददास और गोविन्ददास चक्रवर्ती
गोविंददास कविराज के रूप में भी जाना जाता है।