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गोवर्धन मठ

सूची गोवर्धन मठ

गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा राज्य के पुरी नगर में स्थित है। गोवर्धन मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म' तथा इस मठ के अंतर्गत 'ऋग्वेद' को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आद्य शंकराचार्य के प्रथम शिष्य पद्मपाद हुए। श्रेणी:ओड़िशा.

2 संबंधों: दशनामी सम्प्रदाय, शंकराचार्य

दशनामी सम्प्रदाय

दशनामी शब्द संन्यासियों के एक संगठनविशेष के लिए प्रयुक्त होता है और प्रसिद्ध है कि उसे सर्वप्रथम स्वामी शंकराचार्य ने चलाया था, किंतु इसका श्रेय कभी-कभी स्वामी सुरेश्वराचार्य को भी दिया जाता है, जो उनके अनन्तर दक्षिण भारत के शृंगेरी मठ के तृतीय आचार्य थे। ("ए हिस्ट्री ऑव दशनामी नागा संन्यासीज़ पृ. 50") .

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शंकराचार्य

शंकराचार्य आम तौर पर अद्वैत परम्परा के मठों के मुखिया के लिये प्रयोग की जाने वाली उपाधि है। शंकराचार्य हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है जो कि बौद्ध धर्म में दलाईलामा एवं ईसाई धर्म में पोप के समकक्ष है। इस पद की परम्परा आदि गुरु शंकराचार्य ने आरम्भ की। यह उपाधि आदि शंकराचार्य, जो कि एक हिन्दू दार्शनिक एवं धर्मगुरु थे एवं जिन्हें हिन्दुत्व के सबसे महान प्रतिनिधियों में से एक के तौर पर जाना जाता है, के नाम पर है। उन्हें जगद्गुरु के तौर पर सम्मान प्राप्त है एक उपाधि जो कि पहले केवल भगवान कृष्ण को ही प्राप्त थी। उन्होंने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा हेतु भारत के चार क्षेत्रों में चार मठ स्थापित किये तथा शंकराचार्य पद की स्थापना करके उन पर अपने चार प्रमुख शिष्यों को आसीन किया। तबसे इन चारों मठों में शंकराचार्य पद की परम्परा चली आ रही है। यह पद अत्यंत गौरवमयी माना जाता है। चार मठ निम्नलिखित हैं.

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