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ख़ानत

सूची ख़ानत

ख़ानत (अंग्रेज़ी: Khanate) तुर्की-मंगोल संस्कृति में किसी ऐसे राज्य को कहते हैं जिसपर किसी ख़ान की उपाधि वाले शासक का राज्य हो। इसकी तुलना हिन्दी के 'सल्तनत' शब्द से की जा सकती है जो किसी ऐसे राज्य को कहते हैं जहाँ 'सुलतान' का राज्य हो। इसी तरह 'बादशाहत' में 'बादशाह' का, 'रियासत' में किसी 'रईस' का और 'अमीरात' में किसी 'अमीर' का राज होता है। आधुनिक तुर्की भाषा में 'ख़ानत' को 'काग़ानलिक' (kağanlık) कहते हैं।, A. J. Haywood, Oxford University Press, 2010, ISBN 978-0-19-975418-2,...

27 संबंधों: चग़ताई ख़ानत, तुर्कमेनाबात, तुर्की-मंगोल, तुलाबुग़ा, तोकमोक, नोगाई ख़ान, पुरानी तुर्की लिपि, बातु ख़ान, मरी ऍल, युआन राजवंश, शबरग़ान, सिबिर ख़ानत, सुनहरा उर्दू, ईवान भयानक, ख़लीफ़ा, ख़ागान, ख़ुजन्द, ख़ीवा ख़ानत, आस्त्राख़ान ख़ानत, इलख़ानी साम्राज्य, कलात ख़ानत, कारलूक लोग, कारा-ख़ितान ख़ानत, काराख़ानी ख़ानत, कालमिकिया, क्राइमियाई ख़ानत, अमीरात

चग़ताई ख़ानत

१३वीं सदी में चग़ताई ख़ानत और उसके पड़ोसी चग़ताई ख़ानत (मंगोल: Цагадайн улс, त्सगदाई उल्स; अंग्रेज़ी: Chagatai Khanate) एक तुर्की-मंगोल ख़ानत थी जिसमें मध्य एशिया के वे क्षेत्र शामिल थे जिनपर चंगेज़ ख़ान के दूसरे बेटे चग़ताई ख़ान का और उसके वंशजों का राज था। आरम्भ में यह ख़ानत मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानी जाती थी लेकिन आगे चलकर पूरी तरह स्वतन्त्र हो गई। अपने चरम पर यह अरल सागर से दक्षिण में आमू दरिया से लेकर आधुनिक चीन और मंगोलिया की सरहद पर अल्ताई पर्वतों तक विस्तृत थी। यह सन् १२२५ से लेकर किसी-न-किसी रूप में १६८७ तक चली। इस ख़ानत के चग़ताई शासक कभी तो तैमूरी राजवंश से मित्रता करते थे और कभी उनसे लड़ते थे। १७वीं सदी में जाकर उइग़ुर नेता आफ़ाक़ ख़ोजा और उनके वंशजों ने पूरे चग़ताई इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर के इस ख़ानत को समाप्त कर दिया।, Aisha Khan, The Rosen Publishing Group, 2003, ISBN 978-0-8239-3868-1,...

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तुर्कमेनाबात

तुर्कमेनाबत का हवाई अड्डा तुर्कमेनाबत (तुर्कमेनी: Türkmenabat, रूसी: Түркменабат) तुर्कमेनिस्तान के लेबाप प्रांत की राजधानी है। सन् २००९ की जनगणना में इसकी आबादी लगभग २,५४,००० थी। इस शहर को पहले चारझ़ेव (Чәрҗев, Charzhew) या 'चारजू' बुलाया जाता था (जिसका अर्थ फ़ारसी में 'चार नदियाँ या नहरें' है, इसमें 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें)। .

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तुर्की-मंगोल

मुग़ल आक्रमणों से पूर्व का यूरेशिया, क़रीब १२०० ईसवी की स्थिति तुर्की-मंगोल (Turco-Mongol) मध्य एशिया के स्तेपी इलाक़े में रहने वाले विविध ख़ानाबदोश लोगों को दिया जाने वाला नाम था जो मंगोल साम्राज्य के अधीन थे। समय के साथ-साथ उनकी भाषा और पहचान में गहरी तुर्की छाप आ गई।, Reuven Amitai-Preiss, Cambridge University Press, 2005, ISBN 978-0-521-52290-8,...

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तुलाबुग़ा

तुलाबुग़ा द्वारा जारी की गई चांदी की दिरहम तुलाबुग़ा, तालुबुग़ा या तेलुबुग़ा (मंगोल: Тулабуга; अंग्रेजी: Tulabuga; देहांत: १२९०-१२९१ ई) सुनहरा उर्दू नामक मंगोल ख़ानत का सन् १२८७ ईसवी से लेकर १२९१ ईसवी तक ख़ान था। वह तरतू का पुत्र और सुनहरे उर्दू साम्राज्य के संस्थापक बातु ख़ान का पोता था। १२५७ में उसने मशहूर मंगोल सिपहसालार बुरूनदाई के नेतृत्व में लिथुआनिया पर हमले में भाग लिया। १२८४-८५ में उसने नोगाई ख़ान के साथ हंगरी पर दूसरे आक्रमण का और १२८७ में पोलैंड पर तीसरे आक्रमण का नेतृत्व किया। १२८७ में नोगाई ख़ान की मदद से वह सुनहरे उर्दू का ख़ान बना लेकिन ४ साल बाद नोगाई ख़ान के ही कारण उसे हटाकर तोख़्ता को ख़ान बनाया गया। तोख़्ता ने १२९० या १२९१ में उसे मरवा दिया।, James Chambers, Book Sales, 2003, ISBN 978-0-7858-1567-9 .

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तोकमोक

तोकमोक शहर के एक चौराहे पर मिग (MIG) हवाई जहाज़ स्मारक तोकमोक (किरगिज़: Токмок, अंग्रेज़ी: Tokmok) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश के चुय प्रांत में एक शहर है। यह किर्गिज़स्तान के उत्तर में राष्ट्रीय राजधानी बिश्केक से पूर्व में चुय नदी और काज़ाख़स्तान की सरहद के पास स्थित है। सन् २००४ से १९ अप्रैल २००६ तक यह चुय प्रांत की राजधानी भी रहा था। .

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नोगाई ख़ान

नोगाई ख़ान (मंगोल: Ногай хан; अंग्रेजी: Nogai Khan;; देहांत: १२९९ ई) एक मंगोल सिपहसालार और सुनहरा उर्दू नामक मंगोल ख़ानत का असली शासक भी था। नोगाई का दादा बाउल ख़ान (उर्फ़ तेवल ख़ान) था जो जोची ख़ान का ७वाँ बेटा था। इस लिहाज़ से नोगाई मंगोल साम्राज्य के मशहूर संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पड़-पड़-पोता था। .

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पुरानी तुर्की लिपि

किज़िल में पुरानी तुर्की लिपि में तराशा हुआ एक शिलालेख विल्हेल्म तोमसेन द्वारा बनाई पुरानी तुर्की लिपि के वर्णों की फ़हरिस्त पुरानी तुर्की लिपि (Old Turkic script), जिसे ओरख़ोन लिपि (Orkhon script), ओरख़ोन-येनिसेय लिपि (Orkhon-Yenisey script) और गोएकतुर्क लिपि (Göktürk script) भी कहते हैं, गोएकतुर्क और अन्य तुर्की-भाषी ख़ानतों द्वारा पुरानी तुर्की भाषा को लिखने के लिए ८वीं से लेकर १०वीं सदी तक प्रयोग होने वाली एक वर्णमाला थी। इसे कभी-कभी रूनीनुमा तुर्की लिपि (Runiform Turkish script) भी कहते हैं क्योंकि दिखने में यह यूरोप की जर्मैनी भाषाएँ लिखने के लिए प्रयोग होने वाली रूनी लिपि जैसी थी, हालांकि इन दोनों लिपियों का वैसे कोई वास्तविक सम्बन्ध नहीं है। पुरानी तुर्की लिपि उर्दू और अरबी-फ़ारसी लिपि की तरह दाएँ से बाएँ पढ़ी जाती थी।, Wolfgang-Ekkehard Scharlipp, Kantzilaris Centre, 1994, ISBN 978-9963-8124-0-0 .

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बातु ख़ान

222px बातु ख़ान (मंगोल: Бат Хаан, बात ख़ान; अंग्रेजी: Batu Khan;; जन्म: १२०७ ई अनुमानित; देहांत: १२५५ ई) एक मंगोल शासक था और सुनहरा उर्दू नामक साम्राज्य का संस्थापक था जो मंगोल साम्राज्य के अधीन एक ख़ानत थी। बातु ख़ान जोची ख़ान का पुत्र और मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता था। 'बातु' या 'बात' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'कड़ा' या 'दृढ़' होता है। उसके द्वारा शुरू किये गए साम्राज्य का रूस, पूर्वी यूरोप और कॉकस के बड़े भाग पर लम्बे अरसे तक राज रहा। चंगेज़ ख़ान के पुत्रों कि मृत्य के बाद बातु ख़ान ही उस साम्राज्य का सबसे आदरणीय राजकुंवर बना और उसे 'आग़ा' (अर्थ: बड़े भाईसाहब) के नाम से जाना जाता था।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

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मरी ऍल

मरी ऍल गणराज्य का नक़्शा मरी ऍल गणतंत्र (रूसी: Респу́блика Мари́й Эл, अंग्रेज़ी: Mari El Republic) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। यह रूस के पूर्वी यूरोपीय मैदान में वोल्गा नदी के किनारों पर स्थित है और इसकी राजधानी योश्कार-ओला शहर है। .

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युआन राजवंश

सन् १२९४ ईसवी में युआन साम्राज्य का नक़्शा (हरे रंग में) - कोरिया का इलाक़ा एक स्वशासित लेकिन अधीन राज्य था युआन राजवंश (चीनी: 元朝, युआन चाओ; मंगोल: दाई ओन उल्स; अंग्रेजी: Yuan Dynasty) सन् १२७१ ईसवी से सन् १३६८ ईसवी तक चलने वाला एक राजवंश था जिसके साम्राज्य में आधुनिक चीन का लगभग पूरा हिस्सा, सारे मंगोलिया का भूक्षेत्र और कुछ आसपास के इलाक़े शामिल थे। इसकी स्थापना मंगोल नेता कुबलई ख़ान ने की थी, जो चंगेज़ ख़ान का पोता भी था। इस साम्राज्य को मंगोल साम्राज्य का एक विभाग और चीन का एक राजवंश दोनों समझा जाता है। युआन राजवंश के ज़माने में पूरा चीन पर एक विदेशी जाति ने लम्बे अरसे तक राज किया।, Gregory Veeck, Clifton Pannell, Christopher Smith, Youqin Huang, Rowman & Littlefield Publishers, 2011, ISBN 978-0-7425-6784-9,...

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शबरग़ान

शबरग़ान में चुनावों में मतदान देते कुछ नागरिक शबरग़ान (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Sheberghan) उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान के जोज़जान प्रान्त की राजधानी है। यह शहर सफ़ीद नदी के किनारे मज़ार-ए-शरीफ़ से लगभग १३० किलोमीटर दूर स्थित है। सन् २००६ में इसकी जनसँख्या १,४८,३२९ अनुमानित की गई थी। .

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सिबिर ख़ानत

१५वीं और १६वीं शताब्दी में सिबिर ख़ानत का नक़्शा सिबिर ख़ानत (तातार: Себер ханлыгы, सेबेर ख़ानलीगी; अंग्रेज़ी: Khanate of Sibir) मध्य साइबेरिया में स्थित एक तुर्की-मंगोल ख़ानत (राज्य) थी। यह कभी मंगोल साम्राज्य, श्वेत उर्दू और सुनहरे उर्दू का भाग हुआ करती थी। बाद में इसपर चंगेज़ ख़ान के ज्येष्ठ पुत्र जोची ख़ान के पाँचवे बेटे शेयबान के वंशजों की दो शाखाओं - शेयबानीयों और ताइबुगीयों - में लड़ाईयाँ होती रही। यह ख़ानत १४९० से १५९८ तक अस्तित्व में थी। सिबिर ख़ानत में साइबेरियाई तातार, ख़ान्ती, मान्सी, नेनेत्स और सेलकूप लोगों की मिश्रित आबादी रहती थी। औपचारिक रूप से इस्लाम इसका राजधर्म था और यह इतिहास का सबसे उत्तरी मुस्लिम राज्य रहा है। सन् १५८२ में रूसी त्सार-राज्य के शासक ईवान भयानक की फ़ौजों ने येरमाक तिमोफ़ेयेविच​ के नेतृत्व में इस ख़ानत पर हमला किया। इसके बाद रूस इसपर नियंत्रण पाने की कोशिश करता रहा और अंत में इसपर १५९८ में पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया।, David Westerlund, Ingvar Svanberg, pp.

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सुनहरा उर्दू

सन् १३०० ईसवी में सुनहरा उर्दू साम्राज्य (हरे रंग में) सुनहरा उर्दू या सुनहरा झुण्ड (मंगोल: Зүчийн улс, ज़ुची-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Golden Horde) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में मंगोल साम्राज्य के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसे किपचक ख़ानत और जोची का उलुस भी कहा जाता था। यह ख़ानत १२४० के दशक में स्थापित हुई और सन् १५०२ तक चली। यह अपने बाद के काल में तुर्की प्रभाव में आकर एक तुर्की-मंगोल साम्राज्य बन चला था। इस साम्राज्य की नीव जोची ख़ान के पुत्र (और चंगेज़ ख़ान के पोते) बातु ख़ान ने रखी थी। अपने चरम पर इस ख़ानत में पूर्वी यूरोप का अधिकतर भाग और पूर्व में साइबेरिया में काफ़ी दूर तक का इलाक़ा शामिल था। दक्षिण में यह कृष्ण सागर के तट और कॉकस क्षेत्र तक विस्तृत थी। इसकी दक्षिण सीमाएँ इलख़ानी साम्राज्य नाम की एक अन्य मंगोल ख़ानत से लगती थीं।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

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ईवान भयानक

ईवान भयानक ने मोस्को राज्य पर १५३३-१५४७ काल में और पूर्ण रूस पर १५४७-१५८४ काल में राज किया ईवान चतुर्थ वसीलयेविच (रूसी: Ива́н IV Васи́льевич, अंग्रेज़ी: Ivan IV Vasilyevich, जन्म: 25 अगस्त 1530, मृत्यु: 28 मार्च 1584), जिसे आमतौर पर ईवान भयानक (Ива́н Гро́зный, Ivan the Terrible) कहा जाता है 1533-1547 ईसवी काल में मोस्को का महान राजकुँवर और 1547 से लेकर 1584 में अपनी मृत्य तक रूस का त्सार (सम्राट) था। उसके काल में रूस के राज्य का बहुत विस्तार हुआ और काज़ान ख़ानत, आस्त्राख़ान ख़ानत और (मध्य साइबेरिया की) सिबिर ख़ानत पर क़ब्ज़ा होने से रूस एक बहुजातीय व बहुधर्मी देश बन गया। उसकी मृत्यु तक रूसी इलाक़े का क्षेत्रफल लगभग 40,46,856 वर्ग किमी बन चुका था (यानि आधुनिक भारत का लगभग सवा गुना) और आने वाले रूसी शासकों को और भी आगे विस्तार करने में सक्षम कर गया। उसने अपने काल में रूसी राज-व्यवस्था में असंख्य बदलाव किये जिस से रूस एक साधारण राज्य से एक साम्राज्य और एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभर पाया। ऐतिहासिक सूत्रों से ईवान के पेचीदा व्यक्तित्व के अलग-अलग बयान मिलते हैं। उसे बुद्धिमान, कला व व्यापार को बढ़ावा देने वाला, कुशल कूटनीतिज्ञ और श्रद्धालु कहा जाता है लेकिन उसके अत्याधिक क्रोध और मानसिक रोग के दौरों का भी वर्णन है। एक ऐसे अनियंत्रित क्रोध के दौरे में उसने अपने ही पुत्र (ईवान ईवानोविच) पर स्वयं वार करके उसे जान से मार डाला, जिसे उसने ख़ुद ही अपना वारिस चुना था। इस उत्तराधिकारी के मर जाने से साम्राज्य की गद्दी ईवान के छोटे पुत्र फ़ेओदोर ईवानोविच के हाथ गई जो कमज़ोर और न्यूनमनस्क (मानसिक अविकास का शिकार) था। ईवान भयानक रूस के सबसे पहले प्रकाशन गृह की शुरुआत करवाने के लिए भी याद किया जाता है।, Simon Richmond, Mark Elliott, Patrick Horton, Steve Kokker, pp.

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ख़लीफ़ा

ख़लीफ़ा (अरबी:, अंग्रेज़ी: Caliph या Khalifa) अरबी भाषा में ऐसे शासक को कहते हैं जो किसी इस्लामी राज्य या अन्य शरिया (इस्लामी क़ानून) से चलने वाली राजकीय व्यवस्था का शासक हो। पैग़म्बर मुहम्मद की ६३२ ईसवी में मृत्यु के बाद वाले ख़लीफ़ा पूरे मुस्लिम क्षेत्र के राजनैतिक नेता माने जाते थे। ख़लीफ़ाओं का सिलसिला अंत में जाकर उस्मानी साम्राज्य के पतन पर १९२५ में ही ख़त्म हुआ।, David Nicolle, pp.

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ख़ागान

कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था ख़ागान या ख़ाक़ान (मंगोल: хаган, फ़ारसी) मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में 'सम्राट' के बराबर की एक शाही उपाधि थी। इसी तरह ख़ागानत इन्ही भाषाओँ में 'साम्राज्य' के लिए शब्द था। ख़ागान को कभी-कभी 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना' भी अनुवादित किया जाता है, जो 'महाराजाधिराज' (यानि 'राजाओं का राजा') या 'शहनशाह' (यानि 'शाहों का शाह') के बराबर है। जब मंगोल साम्राज्य विस्तृत हो गया था तो उसके भिन्न हिस्सों को अलग-अलग ख़ानों के सुपुर्द कर दिया था। इन सब ख़ानों से ऊपर के 'सर्वोच्च ख़ान' को 'ख़ागान' कहा जाता था।, Donald Ostrowski, Cambridge University Press, 2002, ISBN 978-0-521-89410-4,...

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ख़ुजन्द

ख़ुजन्द में स्थित सुग़्द ऐतिहासिक संग्राहलय ख़ुजन्द चौक ख़ुजन्द (ताजिकी: Хуҷанд,, ख़ुजन्द; रूसी: Худжанд, ख़ुदझ़न्द), जो १९३६ तक ख़ोदजेंद के नाम से और १९९१ तक लेनिनाबाद (Ленинобод) के नाम से भी जाना जाता था, मध्य एशिया के ताजिकिस्तान देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर और उस राष्ट्र के सुग़्द प्रान्त की राजधानी है। यह नगर सिर दरिया के किनारे फ़रग़ना वादी के मुख पर स्थित है। ख़ुजन्द की आबादी १९८९ की जनगणना में १.६ लाख थी लेकिन २०१० में घटकर १.४९ लाख हो गई। यहाँ के अधितर लोग ताजिक समुदाय से हैं और ताजिकी फ़ारसी बोलते हैं। .

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ख़ीवा ख़ानत

ख़ीवा ख़ानत​ (उज़बेक:, ख़ीवा ख़ानलीगी; अंग्रेज़ी: Khanate of Khiva) मध्य एशिया के ख़्वारेज़्म क्षेत्र में स्थित १५११ से १९२० तक चलने वाली एक उज़बेक ख़ानत​ थी। इसके ख़ान (शासक) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान के ज्येष्ठ पुत्र जोची ख़ान के पाँचवे बेटे शेयबान के वंशज थे और उनके राज में केवल १७४०-१७४६ काल में खलल पड़ा जब ईरान के तुर्क-मूल के अफ़शारी राजवंश के नादिर शाह ने आकर यहाँ ६ वर्षों के अन्तराल के लिए क़ब्ज़ा कर लिया। .

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आस्त्राख़ान ख़ानत

आस्त्राख़ान ख़ानत का नक़्शा आस्त्राख़ान ख़ानत (तातार: Хаҗитархан Ханлыгы, ख़ाचीतरख़ान ख़ानलीगी; अंग्रेज़ी: Astrakhan Khanate) वोल्गा नदी के कैस्पियन सागर के साथ बने नदीमुख (डेल्टा) इलाक़े में स्थित १५वीं और १६वीं सदी ईसवी में एक तातार लोगों की ख़ानत (राज्य) थी। यह वही क्षेत्र है जहाँ आधुनिक युग में रूस का आस्त्राख़ान शहर स्थित है। यह ख़ानत सुनहरे उर्दू ख़ानत के पतन के बाद उभरी और इसके ख़ान (शासक) तोक़ा तैमूर (Toqa Temur) के वंशज थे। तोक़ा तैमूर स्वयं प्रसिद्ध मंगोल नेता जोची ख़ान का तेरहवाँ पुत्र और चंगेज़ ख़ान का पोता था। .

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इलख़ानी साम्राज्य

अपने चरम पर इलख़ानी साम्राज्य इलख़ानी साम्राज्य या इलख़ानी सिलसिला (फ़ारसी:, सिलसिला-ए-इलख़ानी; मंगोल: Хүлэгийн улс, हुलेगु-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Ilkhanate) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में ईरान और अज़रबेजान में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसकी स्थापना चंगेज़ ख़ान के पोते हलाकु ख़ान ने की थी और इसके चरम पर इसमें ईरान, ईराक़, अफ़्ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, आर्मीनिया, अज़रबेजान, तुर्की, जोर्जिया और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे। इलख़ानी बहुत से धर्मों के प्रति सहानुभूति रखते थे लेकिन इनमें बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म को विशेष स्वीकृति हासिल थी।, Robert Marshall, University of California Press, 1993, ISBN 978-0-520-08300-4,...

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कलात ख़ानत

कलात ख़ानत (बलोच: خانیت قلات, अंग्रेज़ी: Khanate of Kalat) ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी जो सन् १६६६ से १४ अक्तूबर १९५५ तक अस्तित्व में रही। भारत व पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद यह अगस्त १९४७ से लेकर मार्च १९४८ तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था, जिसके बाद इसका पाकिस्तान में विलय कर दिया गया। कलात शहर इस राज्य की राजधानी थी। इसके शासक की उपाधि ख़ान थी इसलिये इस रियासत को औपचारिक रूप से ख़ानत कहा जाता था।"Baluchistan" Imperial Gazetteer of India Vol.

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कारलूक लोग

६०० ईसवी के इस नक्शे में कारलूक क्षेत्र पश्चिमी गोएकतुर्क ख़ागानत के अधीन देखा जा सकता है कारलूक या क़ारलूक़ (पुरानी तुर्की: 7px 7px 7px 7px; अंग्रेजी: Karluk या Qarluq) एक ख़ानाबदोश तुर्की क़बीला था जो मध्य एशिया में अल्ताई पहाड़ों से पश्चिम में कारा-इरतिश और तरबगत​ई पर्वतों के क्षेत्र में बसा करता था। इन्हें चीनी लोग गेलोलू (葛邏祿, Gelolu) भी बुलाते थे। कारलूक समुदाय जातीयता के नज़रिए से उईग़ुर लोगों से सम्बंधित थे। तुर्की भाषाओं में एक कारलूक शाखा है, जिसका नाम इन्ही कारलूकों पर पड़ा और जिसमें उईग़ुर भाषा, उज़बेक भाषा और इली तुर्की भाषा शामिल हैं। .

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कारा-ख़ितान ख़ानत

सन् १२०० में कारा-ख़ितान ख़ानत (हरे रंग में) कारा-ख़ितान ख़ानत (मंगोल: Хар Хятан, ख़ार ख़ितान; चीनी: 西遼, शी लियाओ; अंग्रेजी: Kara-Khitan Khanate), जिसे पश्चिमी लियाओ साम्राज्य भी कहा जाता है, मध्य एशिया में स्थित ख़ितानी लोगों का एक साम्राज्य था जो सन् ११२४ ईसवी से १२१८ ईसवी तक चला। ख़ितानियों का लियाओ राजवंश उत्तरी चीन पर राज करा करता था लेकिन जुरचेन लोगों के आक्रमण से वे पश्चिम की ओर चले गए और वहाँ लियाओ राजघराने के वंशज येलू दाशी (耶律達實, Yelü Dashi) ने कारा-ख़ितान नाम की ख़ानत शुरू करी।, Barbara A. West, Infobase Publishing, 2009, ISBN 978-0-8160-7109-8,...

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काराख़ानी ख़ानत

१००० ईसवी में काराख़ानी ख़ानत अर्सलान ख़ान द्वारा ११२७ में आज़ान के लिए बनवाई गई बुख़ारा की कलयन मीनार काराख़ानी ख़ानत (Kara-Khanid Khanate) मध्यकाल में एक तुर्की क़बीलों का परिसंघ था जिन्होंने मध्य एशिया के आमू-पार क्षेत्र और कुछ अन्य भूभाग में ८४० से १२१२ ईसवी तक अपनी ख़ानत (साम्राज्य) चलाई। इसमें कारलूक, यग़मा, चिग़िल​ और कुछ अन्य क़बीले शामिल थे जो पश्चिमी तियान शान और आधुनिक शिनजियांग इलाक़ों के रहने वाले थे। काराख़ानियों ने मध्य एशिया में ईरानी मूल के सामानी साम्राज्य का ख़ात्मा कर दिया और इसके बाद मध्य एशिया में तुर्की-भाषियों का अधिक बोलबाला रहा। काराख़ानी दौर में ही महमूद काश्गरी ने अपनी प्रसिद्ध 'दीवान-उ-लुग़ात​-उत-तुर्क' नामक तुर्की भाषा के कोष की रचना की।, Rafis Abazov, pp.

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कालमिकिया

कालमिकिया (रूसी: Республика Калмыкия, रेसपूब्लिका कालमिकिया; कालमिक: Хальмг Таңһч; अंग्रेज़ी: Republic of Kalmykia) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। (2010 All-Russian Population Census, vol. 1).

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क्राइमियाई ख़ानत

सन् १६०० ईसवी में क्राइमियाई ख़ानत (नारंगी रंग में) क्राइमियाई ख़ानत (क्राइमियाई तातारी:, क़िरीम ख़ानलिग़ी; अंग्रेज़ी: Crimean Khanate) एक ख़ानत थी जिसपर सन् १४४१ से १७८३ ईसवी तक क्राइमियाई तातार लोगों का राज रहा था। इसके ख़ान शासक तोक़ा तैमूर के वंशज थे जो स्वयं जोची ख़ान का तेहरावाँ पुत्र और मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता था। सुनहरा उर्दू नामक ख़ानत के अंत होने पर जितनी भी तातार ख़ानतें उभरीं उनमें से क्राइमियाई ख़ानत ही सबसे दीर्घायु थी।, Charles J. Halperin, Indiana University Press, 1985, ISBN 9780253204455,...

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अमीरात

अमीरात (अरबी:, इमाराह, बहुवाची: इमारात; अंग्रेज़ी: Emirate) ऐसे राजनैतिक क्षेत्र को कहते हैं जिस पर अमीर की उपाधि रखने वाला वंशानुगत तानाशाह राज करता है। इसकी तुलना हिन्दी के 'सल्तनत' शब्द से की जा सकती है जो किसी ऐसे राज्य को कहते हैं जहाँ 'सुलतान' का राज्य हो। इसी तरह 'बादशाहत' में 'बादशाह' का, 'रियासत' में किसी 'रईस' का और 'ख़ानत' में किसी 'ख़ान' का राज होता है। .

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