6 संबंधों: डीडीटी, लाख (लाह), हेमिपटेरा, विष प्रतिकारक, गुलदाउदी, कीटविज्ञान।
डीडीटी
डीडीटी (Dichloro-Diphenyl-Trichloroethane) पहला आधुनिक कीटनाशक था जो मलेरिया के विरूद्ध प्रयोग किया गया था, किंतु बाद में यानि 1950 के बाद इसे कृषि कीटनाशी रूप में प्रयोग करने लगे थे। खेतों में इसके भारी प्रयोग से अनेक क्षेत्रों में मच्छर इसके प्रति प्रतिरोधी हो गए। इसका मुख्य उपयोग मच्छरों, खटमलों,आदि को नियंत्रित करने में किया जाता है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात् इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.
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लाख (लाह)
लाख, या लाह संस्कृत के ' लाक्षा ' शब्द से व्युत्पन्न समझा जाता है। संभवत: लाखों कीड़ों से उत्पन्न होने के कारण इसका नाम लाक्षा पड़ा था। लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृति का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है। 'लाख' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'लक्ष' शब्द से हुई है, संभवतः इसका कारण मादा कोष से अनगिनत (अर्थात् लक्ष) शिशु कीड़ों का निकलना है। लगभग 34 हजार लाख के कीड़े एक किग्रा.
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हेमिपटेरा
खटमल हेमिपटेरा (Hemiptera, हेमि (hemi) आधा, टेरॉन (pteron) एक पंख) के अंतर्गत खटमल, जूँ, चिल्लर, शल्क कीट (जैसे लाख का कीड़ा), सिकाडा (Cicada) और वनस्पति खटमल (जिसे गाँवों में लाहीं कहते हैं)। इन्हें 'मत्कुणगण' भी कहा जाता है। मत्कुण का अर्थ होता है खटमल। इस प्रकार की कीटों को हेमिप्टेरा नाम सबसे पहिले लीनियस (Linnaeus) ने 1735 ई. में दिया था। इस नाम का आधार यह था कि इस गण की बहुत सी जातियों में अग्रपक्ष (आगे के पंख) का अर्ध भाग झिल्लीमय और शेष अर्ध भाग कड़ा होता है। किंतु यह विशिष्टता इस गण के सब कीटों में नहीं पाई जाती। सबसे महत्वपूर्ण लक्षण जो इस गण की सभी जातियों में मिलता है और जिसकी ओर सबसे पहले फेब्रीसियस (Fabricius) का ध्यान सन् 1775 में गया था, इन कीटों के मुख भाग हैं। मुख भाग में चोंच के आकार का शुंड होता है, यह सुई के समान नुकीला और चूसनेवाला होता है। इससे कीट छेद बना सकता है अधिकांश कीट पौधों के रस इसी से चूसते हैं। इससे ये पौधों को अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं। हानियाँ दो प्रकार से हो सकती हैं- एक तो रस के चूसने से और दूसरी विषाणु (virus) के प्रविष्ट कराने से। इन कीटों का रूपांतरण अपूर्ण होता है। इनमें से अधिकांश कीट छोटे अथवा मध्य श्रेणी के होते हैं किंतु कोई कोई बहुत बड़े भी हो सकते हैं, जैसे जलवासी हेमिप्टेरा और सिकाडा। साधारणतया इन कीटों का रंग हरा या पीला होता है किंतु सिकाडा लालटेन मक्खी और कपास के हेमिप्टेरे के रंग प्राय: भिन्न होते हैं। .
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विष प्रतिकारक
विष कष्टकारक और घातक होते हैं। इनके प्रभाव के निराकरण के लिए कुछ औषधियाँ और उपचार प्रयुक्त होते हैं। इन्हें विषप्रतिकारक (Antidote) कहते हैं। विष के खाने के अनेक कारण हो सकते हैं। कुछ लोग आत्महत्या के लिए विष खाते हैं। कुछ लोग दूसरे का धनमाल हड़पने के लिए विष खिलाकर बेहोश कर, धनमाल लेकर चंपत हो जाना चाहते हैं। ऐसी बातें रेलयात्रियों के संबंध में बहुधा सुनी जाती हैं। कुछ लोग अनजान में विष खा लेते हैं और उसके अहितकर प्रभाव का शिकार बनते हैं। विषों के लाभकारी उपयोग भी हैं। कष्टकारक कीड़ों मकोड़ों, जैसे मच्छर और खटमल और रोगोत्पादक जंतुओं, जैसे चूहों आदि, के नाश करने में विषों का प्रयोग होता है। .
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गुलदाउदी
गुलदाउदी (Chrysanthemum) एक बारहमासी सजावटी फूलों का पौधा है। इसकी लगभग 30 प्रजातियों पाई जाती हैं। मुख्यतः यह एशिया और पूर्वोत्तर यूरोप मे पाया जाता है। ग्रीक भाषा के (Anemone) अनुसार क्राइसैंथिमम शब्द का अर्थ स्वर्णपुष्प है। इस जाति का पुष्प छोटा तथा सम्मित एनीमोन सदृश होता है। बेंथैम तथा हूकर (Bentham and Hooker, 1862-93) के वनस्पति-विभाजन-क्रम के आधार पर गुलदाऊउदी का स्थान नीचे दिए हुए क्रम के अनुसार निर्धारित होता है: वर्ग द्विदलीय (Dicotyledon) गैमोपेटैली (Gamopetalae) श्रेणी इनफेरी (Inferae) आर्डर ऐस्टरेलीज़ (Asterales) कुल कॉम्पॉज़िटी (Compositae) जीनस क्राइसैंथिमम .
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कीटविज्ञान
पादप और कीट कीटविज्ञान (एंटोमॉलोजी Entomology) प्राणिविज्ञान का एक अंग है जिसके अंतर्गत कीटों अथवा षट्पादों का अध्ययन आता है। षट्पाद (षट्.
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