1 संबंध: घड़ीयंत्र नियंत्रण।
घड़ीयंत्र नियंत्रण
पृथ्वी के घूर्णन के कारण समस्त आकाशीय पिंड पूर्व से पश्चिम की ओर गमन करते हुए प्रतीत होते हैं। इस कारण यदि किसी आकाशीय पिंड का फोटो लेते समय कैमरे को लक्ष्यपिंड की ओर निर्दिष्ट करके छोड़ दिया जाय, तो उक्त पिंड के आभासी स्थानांतरण के कारण उसका फोटो चित्र स्पष्ट नहीं प्राप्त होगा, वरन् वह बिंदु सदृश पिंड एक छोटी और मोटी रेखा के रूप में फोटो पट्टिका पर दृष्ट होगा और इस रेखा की विमितियाँ भी स्पष्ट अथवा तीक्ष्ण नहीं होंगी। इस कठिनाई को दूर करने के लिये ऐसी व्यवस्था की गई है कि खगोलीय पिंडों का फोटो लेनेवाला कैमरा एक विद्युतचालित घड़ीयंत्रनियंत्रण-व्यवस्था (Clockwork regulation mechanism) द्वारा तारों की आभासी गति की ही दिशा में तथा उनके आभासी कोणीय वेग के समान वेग से घुमाया जा सके, ताकि लक्ष्य पिंड का बिंब फोटो पट्टिका के एक ही स्थान पर 'जमा', अर्थात् 'स्थित', रहे। .