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खगोलभौतिकी

सूची खगोलभौतिकी

खगोलभौतिकी (Astrophysics) खगोल विज्ञान का वह अंग है जिसके अंतर्गत खगोलीय पिंडो की रचना तथा उनके भौतिक लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। कभी-कभी इसे 'ताराभौतिकी' भी कह दिया जाता है हालाँकि वह खगोलभौतिकी की एक प्रमुख शाखा है जिसमें तारों का अध्ययन किया जाता है। .

18 संबंधों: चन्द्रशेखर संख्या, ताराभौतिकी, पृथ्वी, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, भूरसायन, यर्कीज़ वेधशाला, शैक्षणिक विषयों की सूची, सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर, सौर भौतिकी, जयन्त विष्णु नार्लीकर, खगोल विज्ञानी, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, खगोलीय स्पेक्ट्रमिकी, कण पुंज, कार्ल सेगन, अति तरलता, अधोरक्त खगोलशास्त्र, अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम

चन्द्रशेखर संख्या

चन्द्रशेखर संख्या एक विमारहित राशी है जिसे श्यानता के लिए लॉरेंज बल के अनुपात को चुम्बकीय संवहन में निरुपित करने के लिए काम में लिया जाता है। इसका नामकरण भारतीय खगोलभौतिक विज्ञानी सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर के सम्मान में किया गया। इस संख्या का मुख्य फलन चुम्बकीय क्षेत्र का मापन है जब यह निकाय के क्रान्तिक चुम्बकीय क्षेत्र के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है। .

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ताराभौतिकी

ताराभौतिकी (Stellar physics) खगोलभौतिकी की एक शाखा है जो तारों से सम्बन्धित भौतिकी का अध्ययन करती है। इसमें तारों के जन्म, उनके क्रम-विकास के अन्तर्गत जीवन-चक्र, उनके ढांचे और अन्य पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की जाती है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory (PRL)) भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अन्तर्गत एक अनुसंधान संस्थान है। यहाँ अंतरिक्ष एवं इससे सम्बन्धित विज्ञानों पर अनुसंधान किया जाता है। इसकी स्थापना १९४७ में विक्रम साराभाई ने की थी। यहाँ भौतिकी, अन्तरिक्ष एवं वायुमण्डलीय विज्ञान, खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी, ग्रहीय एवं भूविज्ञान के चुनिन्दा क्षेत्रों में मूलभूत अनुसन्धान किया जाता है। जून 2018 में, भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित हमारे सौर मंडल से बाहर के एक ग्रह ईपीआईसी 211945201 बी या 2के-236बी की खोज की। .

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भूरसायन

१८वीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी तह समुद्र की सतह के pH मेम परिवर्तन का मानचित्र भूरासायनिक चक्र का योजनामूलक निरूपण भूरसायन (Geochemistry) पृथ्वी तथा उसके अवयवों के रसायन से संबंधित विज्ञान है। भू-रसायन पृथ्वी में रासायनिक तत्वों के आकाश तथा काल (time and space) में वितरण तथा अभिगमन के कार्य से संबद्ध है। नवीन खोजों की ओर अग्रसर होते हुए कुछ भू-विज्ञानियों तथा रसायनज्ञों ने नूतन विज्ञान भू-रसायन को जन्म दिया। .

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यर्कीज़ वेधशाला

जनवरी २००६ में ली गई यर्कीज़ वेधशाला की तस्वीर यर्कीज़ वेधशाला एक खगोलशास्त्रिय वेधशाला है जो शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जाती है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य में विलियम्ज़ बे नाम के क़स्बे में स्थित है। इसे "आधुनिक खगोलभौतिकी का जन्मस्थान" कहा जाता है। यर्कीज़ वेधशाला सन् १८९७ में जॉर्ज ऍलरी हेल ने शुरू करी थी और इसके लिए पैसा चार्लज़ यर्कीज़ ने दिया था। .

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शैक्षणिक विषयों की सूची

यहाँ शैक्षणिक विषय (academic discipline) से मतलब ज्ञान की किसी शाखा से है जिसका अध्ययन महाविद्यालय स्तर या विश्वविद्यालय स्तर पर किया जाता है या जिन पर शोध कार्य किया जाता है। .

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सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर

सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (१९ अक्टूबर, १९१०-२१ अगस्त, १९९५) विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन् १९८३ में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। चन्द्रशेखर सन् १९३७ से १९९५ में उनके देहांत तक शिकागो विश्वविद्यालय के संकाय पर विद्यमान थे। .

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सौर भौतिकी

सौर भौतिकी (Solar Physics) खगोल भौतिकी की वह शाखा है जिसमे सूर्य का विस्तार से अध्ययन किया जाता है। इसमें हमारे निकटतम तारे सूर्य पर सभी सम्भव और विस्तृत प्रेक्षणों का अध्ययन किया जाता है। हमारी धरती का सबसे नजदीक का तारा है। सौर भौतिकी का अध्ययन इस लिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि सूर्य पर होने वाली गतिविधियों का हमारी धरती पर प्रभाव होगा। श्रेणी:भौतिकी की शाखाएँ.

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जयन्त विष्णु नार्लीकर

जयन्त विष्णु नार्लीकर जयन्त विष्णु नार्लीकर (मराठी: जयन्त विष्णु नारळीकर; जन्म 19 जुलाई 1938) प्रसिद्ध भारतीय भौतिकीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में अनेक पुस्तकें लिखी हैं। ये ब्रह्माण्ड के स्थिर अवस्था सिद्धान्त के विशेषज्ञ हैं और फ्रेड हॉयल के साथ भौतिकी के हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं। .

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खगोल विज्ञानी

खगोल विज्ञानी अथवा खगोल शास्त्री वे वैज्ञानिक अध्ययनकर्ता हैं जी आकाशीय पिण्डों, उनकी गतियों और अंतरिक्ष में मौजूद विविध प्रकार की चीजों की खोज और अध्ययन का कार्य करते हैं। पश्चिमी संस्कृति में गैलीलियो नामक खगोल विज्ञानी को आधुनिक खगोलशास्त्र का पिता माना जाता है। हालाँकि कुछ लोग यह नाम कॉपरनिकस को देते हैं। .

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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली

यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .

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खगोलीय स्पेक्ट्रमिकी

लिक वेधशाला (Lick Observatory) का स्टार-स्पेक्ट्रोस्कोप खगोलीय स्पेक्ट्रमिकी (Astronomical spectroscopy) वह विज्ञान है जिसका उपयोग आकाशीय पिंडों के परिमंडल की भौतिक अवस्थाओं के अध्ययन के लिए किया जाता है। प्लैस्केट के मतानुसार भौतिकविद् के लिए स्पेक्ट्रमिकी वृहद् शस्त्रागार में रखे हुए अनेक अस्त्रों में से एक अस्त्र है। खगोल भौतिकविद् के लिए आकाशीय पिंडों के परिमंडल की भौतिक अवस्थाओं के अध्ययन का यह एकमात्र साधन है। .

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कण पुंज

आवेशित या अनावेशित कणों के प्रवाह को कण पुंज (particle beam) कहते हैं। बहुत से कण पुंज प्रकाश के वेग के लगभग बराबर वेग से गति करते हैं। .

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कार्ल सेगन

कार्ल सेगन (9 नवम्बर 1934 - 20 दिसम्बर 1996) प्रसिद्ध यहूदी खगोलशास्त्री और खगोल रसायनशास्त्री थे जिन्होंने खगोल शास्त्र, खगोल भौतिकी और खगोल रसायनशास्त्र को लोकप्रिय बनाया। इन्होंने पृथ्वी से इतर ब्रह्माण्ड में जीवन की खोज करने के लिए सेटी नामक संस्था की स्थापना भी की। इन्होंने अनेक विज्ञान संबंधी पुस्तकें भी लिखी हैं। ये 1980 के बहुदर्शित टेलिविजन कार्यक्रम कॉसमॉस: ए पर्सनल वॉयेज (ब्रह्माण्ड: एक निजी यात्रा) के प्रस्तुतकर्ता भी थे। इन्होंने इस कार्यक्रम पर आधारित कॉसमॉस नामक पुस्तक भी लिखी। अपने जीवनकाल में सेगन ने 600 से भी अधिक वैज्ञानिक शोधपत्र और लोकप्रिय लेख लिखे और 20 से अधिक पुस्तकें लिखी। अपनी कृतियों में ये अकसर मानवता, वैज्ञानिक पद्धति और संशयी अनुसंधान पर जोर देते थे। .

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अति तरलता

हिलियम II सतह से 'रेंगते हुए' अपना 'स्तर' स्वयं ढूंढ़ लेती है। कुछ समय बाद देखेंगे कि चित्र में दिखाये गये दोनों पात्रों में द्रव हिलियम का स्तर एकसमान हो जायेगा। अति तरलता (Superfluidity) पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें पदार्थ ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह शून्य श्यानता का द्रव हो। मूलतः यह गुण द्रव हिलियम में पाया गया था किन्तु अति-तरलता का गुण खगोलभौतिकी, उच्च ऊर्जा भौतिकी, तथा क्वाण्टम गुरुत्व के सिद्धान्तों में भी में भी देखने को मिलता है। यह परिघटना बोस-आइंस्टाइन संघनन से सम्बन्धित है। किन्तु सभी बोस-आइंस्टाइन द्राव (condensates) अति तरल नहीं कहे जा सकते हैं और सभी अति तरल बोस-आइंस्टाइन द्राव नहीं होते। श्रेणी:द्रव गतिकी श्रेणी:पदार्थ प्रावस्थाएँ श्रेणी:उदीयमान प्रौद्योगिकी.

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अधोरक्त खगोलशास्त्र

हबल दूरदर्शी द्वारा करीना नेबुला (Carina Nebula) की इन्फ्रारेड प्रकाश में खिंची गयी तस्वीर IRAS overview अधोरक्त या इन्फ्रारेड खगोलशास्त्र (Infrared astronomy), खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी की एक शाखा है जिसमें खगोलीय निकायों को इन्फ्रारेड प्रकाश में देखकर अध्ययन किया जाता है। सन १८०० में विलियम हरशॅल ने इन्फ्रारेड प्रकाश की खोज की और इसके तीन दशक बाद सन १८३० में अधोरक्त खगोलशास्त्र की शुरुआत हुई। विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम में इन्फ्रारेड प्रकाश का तरंगदैर्ध्य विस्तार (०.७५ से ३०० माइक्रोमीटर), दृश्य प्रकाश तरंगदैर्घ्य विस्तार (३८० से ७५० नैनोमीटर) और सूक्ष्म तरंगदैर्घ्य तरंग के बीच होता है। इन्फ्रारेड खगोलशास्त्र और प्रकाशीय खगोलशास्त्र (optical astronomy) दोनों में ही प्रायः एक ही तरह केटेलिस्कोप और एक ही तरह के दर्पण या लेंस का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इन्फ्रारेड और दृश्य प्रकाश दोनों ही विद्युतचुम्बकीय तरंगों का प्रकाशिकी व्यवहार सामान होता है। पृथ्वी के वातावरण में उपस्थित जल वाष्प द्वारा विभिन्न तरंगदैर्ध्यों वाली इन्फ्रारेड प्रकाश का अवशोषण कर लिया जाता है इसलिए अधिकतर इन्फ्रारेड टेलीस्कोपों की स्थापना संभावित अधिक से अधिक ऊँचे और सूखे स्थानों में की जाती है। ' स्पिट्जर अंतरीक्ष टेलिस्कोप '(Spitzer Space Telescope) और ' हरशॅल अंतरीक्ष वेधशाला ' (Herschel Space observatory) दोनों ही ऐसी इन्फ्रारेड वेधशालाएं है जिसे सूदुर अंतरीक्ष में स्थापित किया गया है। .

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अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम

अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में एक वैज्ञानिक है। तारों समूहों, तारकीय विकास और आकाशगंगाओं में जनसंख्या और मैगेलैनिक बादलों जैसे क्षेत्रों पर जुड़े हुए काम करती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

खगोल भौतिकी, खगोल-भौतिकी

निवर्तमानआने वाली
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